शनिवार, 3 नवंबर 2012

रिफायनरी को लेकर एचपीसीएल की टीम बाड़मेर पहुंची

रिफायनरी को लेकर एचपीसीएल की टीम बाड़मेर पहुंची

बाड़मेर. बाड़मेर में रिफायनरी लगाए जाने को लेकर पिछले दो सालों से राज्य सरकार व केद्र सरकार के बीच वार्ताओं का दौर चल रहा है। लंबे समय से चर्चाओं के दौर के बाद अब राज्य व केद्र सरकार सहित पेट्रोलियम एजेंसियों के बीच रिफायनरी का मुददा गंभीरता से उछलता दिखाई दे रहा है। बाड़मेर के बायतु क्षेत्र में रिफायनरी लगाए जाने को लेकर सरकार की ओर से पहल की जा चुकी है, जिसे लिए भूमि अधिग्रहण करने सहित कई तैयारियां चल रही है जिसको लेकर शनिवार को जिला कलेक्टर भानू प्रकाश एटरू की अध्यक्षता में हिंदुस्तान पोट्रोलियम क्रोपरेशन लिमिटेड के अधिकारियों के साथ बैठक हुई। जिसमें बाड़मेर की रिफायनरी पर विस्तार से विचार-विमर्श कर यहां की भौगोलिक परिस्थतियों के बारे में जानकारी ली। बैठक में सार्वजनिक निर्माण विभाग, भूमि अवाप्ति अधिकारी सहित जिला प्रशासन के अधिकारी उपिस्थत थे। जिसमें लीलाणा में लगने वाली रिफायरी को लेकर वहां की स्थितियों के बारे में जिला प्रशासन के साथ विस्तार से जानकारी ली। हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड के अधिकारियों से हुई बातचीत में उन्होंने बाड़मेर में जल्द ही रिफायनरी लगाए जाने की संभावना जताई, जिसे लिए यहां भूमि अधिग्रहण को लेकर लीलाला का अवलोकन करने व वहां की भौगोलिक स्थितियों की जानकारी लेने की बात कही। साथ ही अतिरिक्त जिला कलेक्टर अरुण पुरोहित ने कहा कि रिफायनरी को लेकर एचपीसीएल की टीम बाड़मेर आई थी, जिसे बाद बैठक में रिफायनरी को लेकर चर्चा की गई। रिफायनरी को लेकर राज्य सरकार व केद्र सरकार सहित अन्य कई बड़ी कंपनियों के बीच डील को लेकर लंबे समय से चर्चाओं का दौर चल रहा है। जिसे बाद अब सरकारी स्तर पर भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही की जाने व केद्रीय टीमों के बाड़मेर पहुंच रिफायनरी को लेकर जांच की जाने को लेकर अब उम्मीदे परवान पर चढ़ने लगी है। जिससे उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही बाड़मेर रिफायनरी लगेगी। अब देखना ये है कि सरकार रिफायनरी को लेकर कब घोषणा कर पाती है। ये तो समय आने पर बता पाएंगे।

प्रेमी के खातिर बेटी ने की मां की हत्या

प्रेमी के खातिर बेटी ने की मां की हत्या

इंदौर। स्वार्थसिद्धि के लिए इंसान किस हद गिर सकता है इसका प्रत्यक्ष प्रमाण महू के पास गवली पलासिया में देखने को मिला है। वहां एक युवती ने लव मैरिज का विरोध करने वाली अपनी मां को ही मौत घाट उतार डाला। फिर अपनी करतूत पर परदा डालने के लिए प्रेमी के साथ इंदौर भाग आई व घटना के प्रति अनभिज्ञता जताती रही थी। मगर पुलिस की पड़ताल में सच्चाई सामने आई तब कलयुगी बेटी को हवालात पहुंचाया जा सका है।

एएसपी देहात पkविलोचन शुक्ल के अनुसार यह घटना बड़गोंदा थाना क्षेत्र के गवली पलासिया में 25 अक्टूबर की शाम हुई थी। वहां आनंद नगर में रहने वाली गीताबाई पति कैलाश अग्रवाल (45) की रक्तरंजित लाश उसके घर में पड़ी मिली थी। पास रहने वालों ने लाश देखी तो पुलिस को सूचना दी थी। पुलिस की प्राथमिक पड़ताल में पता चला कि वह अपनी बेटी मीना उर्फ सोनू (22) के साथ रहती थी। घटना के कुछ देर पहले ही मीना किसी काम से इंदौर के लिए रवाना हुई थी। पुलिस ने मीना से संपर्क किया तो उसने घटना के प्रति अनभिज्ञता बताई थी। इसे चोरी, लूट या किसी रंजिश में हत्या का मामला समझकर पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज किया व तहकीकात शुरू की थी। मृतका की लाश की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि किसी ठोस व बोथरे हथियार से सिर व शरीर के अन्य हिस्सों पर आई चोटों के कारण गीताबाई की मौत हुई थी। एएसपी शुक्ला, डीएसपी सीपीसिंह व बड़गोंदा टीआई ने अपने अमले के साथ घटनास्थल की बारीकी से पड़ताल की तो पता चला कि घर से कोई कीमती वस्तु गायब नहीं है। साथ ही यह तथ्य सामने आया कि वारदात में किसी चिरपरिचित व्यक्ति का हाथ होसकता है।
चाबी ने खोला राज

जांच में यह पता चला था कि घर के दरवाजे पर ताला लगा था। पड़ोसियों की मदद से पुलिस ने दरवाजा तोड़कर ही प्रवेश किया था। घर के ताले की दो ही चाबियां थीं। एक चाबी तो पहले दिन ही लाश के पास पड़ी मिली थी। जब पुलिस ने मीना उर्फ सोनू से दूसरी चाबी के संबंध में पूछा तो वह उसके पास मिली थी। आखिर उस पर सख्ती बरती गई तो इस अंधे कत्ल का राज खुल सका।

प्रेमी अभी जांच के घेरे में

एएसपी शुक्ल ने बताया कि मीना ने हत्या कबूल करते हुए बताया कि इंदौर के नंदा नगर में रहने वाले सचिन पिता मदन राठौर के साथ उसका प्रेम प्रसंग चल रहा था। वे दोनों लव मैरिज करना चाहते थे, लेकिन गीताबाई इस बात का विरोध कर रही थी। काफी प्रयास करने पर भी मां नहीं मानी तो मीना ने घर में रखे लोहे के सरिए से हमला कर मां को मौत के घाट उतार दिया। फिर प्रेमी सचिन के साथ इंदौर चली गई थी। प्राथमिक जांच में प्रेमी के खिलाफ कोई प्रमाण नहीं मिले हैं फिर भी पुलिस गहराई से छानबीन कर वारदात में उसकी की जांच कर रही है।

जैसलमेर में अरण्य पर्व रविवार को

जैसलमेर में अरण्य पर्व रविवार को

मशहूर जनजाति कलाकार बरसाएंगे लोक संस्कृति के रंग और रस

जैसलमेर, 3 नवम्बर/ पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से लोक कला यात्रा ‘‘अरण्य पर्व’’ के अन्तर्गत जैसलमेर के पूनम स्टेडियम में रविवार शाम सात बजे जनजाति कलाकारों के समूह देश-विदेश में प्रसिद्ध रंगारंग कार्यक्रम पेश करेंगे। इसकी सभी तैयारियां पूर्ण कर ली गई हैं।

जिला कलक्टर शुचि त्यागी ने जैसलमेर में होने वाले अपनी तरह के इस अनूठे सांस्कृतिक उत्सव में शरीक होने की अपील जैसलमेरवासियों से की है। इस दौरान् देश के विभिन्न हिस्सों में जनजातियों की मशहूर लोककला और नृत्य शैलियों पर आधारित प्रतिनिधि कार्यक्रमों से भरपूर मनोरंजन का अवसर प्राप्त होगा।

जैसलमेर जिले में शुक्रवार से शुरू हुए तीन दिवसीय अरण्य पर्व के कार्यक्रमों का समापन रविवार शाम पूनम स्टेडियम में होगा जहां एक दर्जन से ज्यादा आदिवासी नृत्य शैलियों के 200 लोक कलाकारों द्वारा कला प्रदर्शन किया जायेगा।

पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, उदयपुर के निदेशक शैलेन्द्र दशोरा ने बताया कि इस आयोजन में राजस्थान से सहरिया स्वाँग, गरासिया गैर, गैर घूमरा, कुचामणी ख्याल, गुजरात से सिद्धि धमाल, मेवासी,डांग नृत्य, महाराष्ट्र से तारपा व सौंगी मुखवटे, गोवा से कुणबी गावड़ा व मई छत्तीसगढ़ से पंथी व गौंडी कर्मा मध्यप्रदेश नृत्य शैलियों से जुड़े अन्तर्राष्ट्रीय प्रसिद्धि प्राप्त कलाकारों के कार्यक्रम मन मोहेंगे।

देखभाल केंद्रों में बुजुर्गों को भी मिले सेक्स का हक




सेक्स पर जुड़ी तमाम चर्चाओं को आमतौर पर युवा वर्ग से जोड़ कर ही देखा जाता है. लेकिन एक नई रिपोर्ट में बुजुर्गों के सेक्स अधिकारों को लेकर सवाल उठाए गए हैं.

ऑस्ट्रेलियन सेंटर फॉर एविडेंस बेस्ड एज केयर नाम की संस्था ने नई रिपोर्ट जारी की है. इसमें कहा है कि बुजुर्गों के लिए बने देखभाल केंद्रों में रहने वाले लोगों को सेक्स के अधिकार से वंचित किया जा रहा है.रिपोर्ट के मुताबिक लोगों की बढ़ती उम्र और सुरक्षा चिंताओं के कारण इन संस्थानों में उम्रदराज लोगों को सेक्स का आनंद उठाने नहीं दिया जाता.

रिपोर्ट में कहा गया है कि सेक्स एक सामान्य चीज़ है और ढलती उम्र में स्वस्थ रहने की जो भी क्रियाएँ होती हैं उसमें सेक्स भी शामिल है. इसमें ऐसे लोगों को भी शामिल किया गया है जिन्हें डिमेंशिया है.

उनकी क्या इच्छा है....

बुजुर्गों की देखभाल करने वाले कार्यकर्ताओं को आशंका रहती है कि क्या ऐसे लोगों को यौन संबंध बनाने देना कानूनी है या जोखिम भरा तो नहीं है. इस वजह से कार्यकर्ता बूढ़े लोगों को शारीरिक तौर पर नजीदकियाँ बढ़ाने नहीं देते.

रिपोर्ट में इस बात को माना गया है कि ये जरूरी है कि कुछ मरीजों को किसी भी तरह की नुकसानदेह स्थिति से दूर रखा जाए लेकिन ये भी जरूरी है कि बूढ़े लोग सेक्स के बारे में अपने निर्णय खुद ले सकें.

इस रिपोर्ट की मानें तो मरीजों को सेक्स के बारे में अपनी इच्छा जाहिर करने का मौका न देकर एक तरह से उनकी स्वायत्ता का गला घोटना है और ये इन लोगों की उनकी देखभाल के कर्तव्य में कार्यकर्ताओं की विफलता है.

रिपोर्ट प्रकाशित करने वाले लोगों का कहना है कि बूढ़े लोगों के लिए बने देखभाल केंद्रों को औपचारिक नीतियाँ लागू करने के बारे में सोचना चाहिए या फिर इस मुद्दे से निपटने के लिए प्रशिक्षित स्टाफ रखना चाहिए
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पिता की अनदेखी के लिए पुत्र गए जेल

पिता की अनदेखी के लिए पुत्र गए जेल

राजस्थान के बाड़मेर ज़िले की एक अदालत ने एक बुज़ुर्ग पिता की अनदेखी और उन्हें अकेला छोड़ देने के जुर्म में उनके तीन पुत्रों को दो-दो महीने क़ैद की सज़ा सुनाई है.
एक बुज़ुर्ग
बाड़मेर के गुधमलानी एसडीएम अदालत ने फ़ैसला सुनाते हुए पुलिस को तीनों पुत्रों को फ़ौरन गिरफ़्तार करके जेल भेजने के आदेश दिए.70 साल के सोनाराम बिश्नोई ने अदालत से गुहार लगाई थी कि उनके पुत्रों ने उन्हें अकेला छोड़ दिया है और वे उनका ख़्याल नहीं रखते हैं.

सोनाराम बिश्नोई के छह पुत्र हैं और उनमें से तीन ने अदालत के निर्देश के बावजूद उनकी कोई मदद नहीं कर रहे थे.

उनके अनुसार उनके तीन पुत्रों ने अदालत के सामने वादा किया था कि वे अपने पिता का पूरा ख़्याल रखेंगे जबकि तीन पुत्रों ने किसी तरह की मदद से इनकार कर दिया था.

अदालत ने दोनों पक्षों की बात सुनी. पुत्रों का कहना था कि उनके पिता खुद ग़ैर-ज़िम्मेदार व्यक्ति हैं और उन्होंने कभी भी अपने पुत्रों का ख़्याल नहीं रखा था.

अदालत ने पहले पुत्रों को समझाने की कोशिश की कि वे अपने पिता का ख़्याल रखें, लेकिन उन्होंने अदालत की बात नहीं मानी.

तब जाकर एसडीएम शंकर लाल ने वरिष्ठ नागरिकों की देख-रेख के लिए बने क़ानून के तहत अपने अधिकारों का इस्तेमाल करके पुत्रों को सज़ा सुना दी.

राज्य में लगभग दो साल पहले बने क़ानून के अनुसार अगर कोई पुत्र अपने माता-पिता की अनदेखी का दोषी पाया जाता है तो उसे तीन महीने की सज़ा और पांच हज़ार रूपए तक का जुर्माना हो सकता है.

दो माह की पल्लवी के गर्भ में मिला बच्चा


Click to Downloadपटना राज्य के अररिया जिले के जोकीहाथ थाना क्षेत्र के बनकोरा गांव निवासी गंगा प्रसाद सिंह की दो माह की बेटी के गर्भ में बच्चा मिला है। यह आश्चर्यजनक संयोग भारत में दूसरी जबकि बिहार में पहली बार हुआ है। अल्ट्रासाउंट व सिटी स्कैन रिपोर्ट में पुष्टि होने के बाद चिकित्सा जगत में इस बात को लेकर नयी बहस छिड़ गयी है।

जानकारी के अनुसार गंगा प्रसाद सिंह की पत्नी मंजू देवी ने दो माह पूर्व एक बच्ची को जन्म दिया था। जन्म से ही बच्ची का पेट फूला हुआ था, जिससे उसे काफी पीड़ा हो रही थी। परेशान अंजू देवी ने अररिया के डॉ नसीर एवं डॉ ओम प्रकाश से उसे दिखाया। डॉक्टरों ने पेट में पानी होने की बात कही और काफी दिनों तक उसका इलाज किया। तमाम चिकित्सकीय प्रयासों के बावजूद बच्ची की तकलीफ कम नहीं हुई।

थक-हार कर पल्लवी के मां-पिता ने ग्रामीणों की सलाह पर पूर्णिया के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ अमरेंद्र कुमार से उसे दिखाया। उन्होंने बच्ची का अल्ट्रासाउंट करवाने को कहा। रिपोर्ट में बच्ची पल्लवी के पेट में बच्चा मिला। इस हैरअंगेज घटना की पुष्टि के लिए सिटी स्कैन भी करवाया गया। रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर यह मामला पूरे क्षेत्र में फैल गया। बच्ची को देखने के लिए अस्पताल में मीडियाकर्मियों व स्थानीय लोगों की भीड़ जमा हो गयी।

बच्ची के गर्भ में बच्च रहने का इतिहास काफी पुराना है। सबसे पहले जब यह मामला 1808 में प्रकाश में आया था, तब चिकित्सा विज्ञान उतना डेवलप नहीं था। उस वक्त जार्ज विलियम ने इसे देखा था। उस समय पोस्टमार्टम के दौरान बच्ची की पेट में बच्च मिला था।

अप्रैल 1990 में ग्रीस में व 1999 में महाराष्ट्र के नागपुर में संजू भगत के यहां भी इस तरह का मामला सामने आया था। इसके अलावा 2006 में पाकिस्तान, 2008 में इंडोनेशिया, 2008 व 2009 में चीन एवं 2011 में यूनान के इजिप्ट में गर्भस्थ शिशु के गर्भ में बच्चा मिला था।

वसुंधरा को पार्लियामेंटरी बोर्ड अध्यक्ष के लिए हरी झंडी



जयपुर.भाजपा हाईकमान ने नेता प्रतिपक्ष वसुंधरा राजे को स्टेट पार्लियामेंटरी बोर्ड का चेयरमैन बनाने के लिए हरी झंडी दे दी है। स्टेट पार्लियामेंटरी बोर्ड का गठन आने वाले दिनों में कभी भी हो सकता है। स्टेट पार्लिमेंटरी बोर्ड के चेयरमैन का पद इसलिए अहम है, क्योंकि विधानसभा और लोकसभा सहित स्थानीय निकायों और पंचायती राज संस्थाओं के लिए टिकट तय करने में बोर्ड अध्यक्ष की भूमिका अहम होती है।



पार्टी अध्यक्ष के रूप में अरुण चतुर्वेदी को ही रखते हुए दोनों खेमों में संतुलन बिठाना चाहती है। चतुर्वेदी लो-प्रोफाइल हैं और वसुंधरा राजे के साथ उनका तालमेल बिठाने में ज्यादा दिक्कत नहीं है।



भाजपा हाईकमान के सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी अगर विवादों में नहीं फंसते तो इसकी घोषणा अब तक हो जाती। वसुंधरा राजे का नाम स्टेट पार्लियामेंटरी बोर्ड के लिए इसलिए तय किया जा रहा है कि उनके समर्थक उन्हें अध्यक्ष बनाने की मांग करते रहे हैं, ताकि विधानसभा चुनाव के दौरान टिकट वितरण में उनका पलड़ा भारी रहे।



अब तक इस बोर्ड की अध्यक्षता प्रदेश अध्यक्ष ही करते रहे हैं। पार्टी संविधान में राष्ट्रीय स्तर पर पार्लियामेंटरी बोर्ड के चेयरमैन के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष को ही बनाए जाने का उल्लेख है, लेकिन स्टेट पार्लियामेंटरी बोर्ड का अध्यक्ष कौन हो, इसे लेकर पार्टी संविधान का अनुच्छेद17 मौन है।



इसके राजनीतिक मायने क्या?



पार्टी की कमान वसुंधरा राजे को सौंपने को लेकर विवाद हो रहा है, इसलिए यह रास्ता उचित माना जा रहा है।


राजस्थान में वसुंधरा ही क्यों?


जिस तरह गुजरात में नरेंद्र मोदी, मध्यप्रदेश में शिवराजसिंह चौहान, हिमाचल प्रदेश में प्रेमकुमार धूमल, छत्तीसगढ़ में रमनसिंह आदि हैं, वैसे ही राजस्थान में वसुंधरा राजे क्यों नहीं हो सकतीं। प्रदेश में वे ही जननेता हैं और उनकी लोकप्रियता को विरोधी भी मानते हैं।


विरोध में ये तर्क


वे नेता प्रतिपक्ष रहते ही पार्टी से सीधे टकराव ले सकती हैं और दो-दो बार अपने इस्तीफों की पेशकश कर सकती हैं तो मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके तेवर और तीखे हो सकते हैं।



पार्लियामेंटरी बोर्ड क्या?


इसे राजनीतिक भाषा में स्टेट पार्लियामेंटरी बोर्ड कहा जाता है, लेकिन मूलत: यह स्टेट इलेक्शन कमेटी ही है।



प्रदेश से बाहर रहकर वसुंधरा ने संघ व हाईकमान के प्रमुख नेताओं और संगठन के फैसलों को प्रभावित करने वाले प्रमुख लोगों से मुलाकातें कीं।


विधायकों से ले रहीं फीडबैक


वसुंधरा राजे ने विधायकों से फीडबैक जुटाना शुरू कर दिया है। उनसे पूछा जा रहा है कि उनके इलाके के जातीय समीकरण क्या हैं? सरकारी कामों के क्या हाल हैं? लोगों में सरकार के प्रति कितना जनाक्रोश है और वे मुद्दे क्या हैं? विधायक के नाते उनका प्रोफाइल क्या है? हमारी सरकार को आपके इलाके में आज भी लोग किन कामों के लिए याद करते हैं? सरकार की कौन-सी बजट घोषणा पूरी नहीं हुई है?



हमारी सरकार के समय की वे कौन-सी घोषणाएं हैं, जो इस सरकार के समय पूरी हुई हैं। विधायकों से एक-एक पेज पर यह नोट मांगा जा रहा है। विधायकों से फीडबैक के आधार पर ही दिसंबर से शुरू होने वाली परिवर्तन यात्रा की रणनीति तय की जाएगी। उसी आधार पर घोषणाएं की जाएंगी। इसके लिए हर पाइंट और इलाके में काम करने वाले नेताओं की सूचियां तैयार हो चुकी हैं।


वसुंधरा राजे स्थापित नेता : कप्तान सिंह


वसुंंधरा राजे प्रदेश में पार्टी की स्थापित नेता हैं। जो स्थापित होता है, वही आम तौर पर मुख्यमंत्री होता है। चाहे गुजरात को देखें या हिमाचल को। पार्टी में अनुशासन और संविधान की व्यवस्था है। इसलिए इसकी औपचारिक घोषणा बहुमत आने के बाद की जाती है। जहां तक पार्लियामेंटरी बोर्ड के चेयरमैन का सवाल है, अभी बोर्ड की घोषणा नहीं हुई है।

कप्तान सिंह, प्रदेश प्रभारी भाजपा


हां, कभी-कभी ऐसा भी होता है : चतुर्वेदी


स्टेट पार्लियामेंटरी बोर्ड का अध्यक्ष वैसे तो प्रदेशाध्यक्ष ही होता है, लेकिन कुछ प्रदेशों में कभी-कभी (कभी-कभी पर विशेष जोर) कहीं-कहीं किसी अन्य नेता को भी बना दिया जाता है।


ललितकिशोर चतुर्वेदी, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष

जयपुर के संस्थापक सवाई जयसिंह की 325वीं जयंती मनाई

जयपुर। जयपुर के संस्थापक महाराजा सवाई जयसिंह की 325वीं जयंती पर शनिवार को स्टेच्यू सर्किल पर पुष्पांजली कार्यक्रम का आयोजन हुआ। कार्यक्रम के दौरान मंजू शर्मा व संजय रायजादा ने भजनों का गायन किया। जय गणपति वंदन गणनायक, वैष्णवजन जनतो तैने कहिए जो और सत्यम शिवम सुंदरम् आदि भजनों की मनमोहक प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम में महापौर ज्योति खण्डेलवाल,उपमहापौर मनीष पारीक, निगम की सांस्कृतिक समिति की अध्यक्ष दुर्गेश नंदिनी, मुख्य कार्यकारी अधिकारी जगरूप सिंह यादव, आयुक्त मुख्यालय डॉ वीरेन्द्र मीणा, सभी जोनल आयुक्त ने महाराजा सवाई जयसिंह को पुष्प अर्पित किए। इस अवसर पर बड़ी संख्या में अधिकारी, निगमकर्मी एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
उल्लेखनीय है कि महाराज सवाई जय सिंह ने ही जयपुर को बसाया था और उन्हीं के नाम पर जयपुर नाम रखा गया है। वे ज्योतिषविद, कुशल प्रशासक और योद्धा होने के साथ-साथ अंतरिक्ष विज्ञान से बहुत प्रभावित भी थे। उन्होंने ही जंतर-मंतर नाम से वैधशालाओं का निर्माण करवाया।

अब मुलायम सिंह पर बरसे केजरीवाल

अब मुलायम सिंह पर बरसे केजरीवाल

नई दिल्ली। इंडिया अंगेस्ट कार्पोरेशन के सदस्य, सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल ने इस बार अपना निशाना समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव को बनाया है। केजरीवाल माइक्रो ब्लागिंग साइट टि्वटर पर यादव पर जमकर भड़ास निकाली है। उन्होंने यादव द्वारा अमर सिंह के खिलाफ मनी लॉन्डरिंग केस वापस लेने को शर्मनाक बताया।

केजरीवाल ने टि्वटर पर लिखा, अमर सिंह के खिलाफ मनी लॉन्डरिंग केस वापस लेना शर्मनाक है। क्या यह न्याय व्यवस्था के लिए अपराधिक नहीं है। हमें इस तरह की आपराधिक व्यवस्था को पूरी तरह से खत्म करना होगा।

साथ ही लिखा मुलायम सिंह अब सलमान खुर्शीद के खिलाफ केस वापस लेंगे। वे सही समय का इंतजार कर रहे है। अब देश के वर्तमान नेताओं से देशवासियों को कोई उम्मीद नहीं है। इन नेताओं और ऎसी व्यवस्था को जड़ से ही उखाड़ फेंकना होगा। जब से हमने नेताओं की पोल खोलना शुरू की तब से देश भर के लोग हमें सूचनाएं भेज रहे है।

भोपाल में डीआईजी से मिले 15 करोड़

भोपाल में डीआईजी से मिले 15 करोड़

भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के जेल मुख्यालय में पदस्थ एक डीआईजी के यहां लोकायुक्त पुलिस छापेमारी में 15 करोड़ रूपए से अधिक की आय से अधिक संपत्ति मिली है। उप महानिरीक्षक (डीआईजी) उमेश गांधी के सरकार और निजी ठिकानों पर लोकायुक्त पुलिस संगठन की यह छापेमारी कार्रवाई शनिवार सुबह हुई। भोपाल के ओल्ड सुभाष नगर स्थित मकान से अभी तक मिले दस्तावेजों और अन्य सामान तथा रिकॉर्ड को खंगालने की कार्रवाई अभी जारी है।

लोकायुक्त पुलिस संगठन भोपाल पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ चौधरी ने बताया कि डीआईजी गांधी के खिलाफ आय से अधिक की संपत्ति की प्रमाण सहित शिकायते मिली थी। इन शिकायतों की जांच के बाद सुबह लोकायुक्त पुलिस के तीन दलों ने भोपाल और सागर में श्री गांधी के शासकीय आवास और अन्य ठिकानों पर छापे की कार्रवाई की।

1.89 करोड़ की एफडी,38 लाख की बीमा

चौधरी ने बताया कि छापे की कार्रवाई में अभी प्रारंभिक रूप से गांधी के पास से 1.89 करोड की सावधि जमा(एफडी),85 लाख बैंकों में जमा,38 लाख की जीवन बीमा पॉलिसियां,लाखों रूपए नगद एवं सोने-चांदी के जेवरात तथा करीब अचल संपत्तियां कुल 15 करोड़ रूपए से अधिक की आय से अधिक चल एवं अचल संपत्ति का पता चला है।

27 मकान,दुकान और प्लाट

पुलिस के अनुसार छापे में गांधी के भोपाल स्थित शासकीय आवास से अभी तक बरामद किए गए दस्तावेजों से गांधी की इंदौर, भोपाल,रायसेन,सागर,कटनी और जबलपुर में करीब 27 मकान,दुकाने,प्लाट और जमीने होना पाया गया है। इस संपत्ति के दस्तावेजों का पूरा परीक्षण करने के बाद ही वास्तविक मूल्य का पता चल पाएगा।

कई शहरों में रहे जेल अधिकारी

पुलिस के अनुसार डीआईजी गांधी जेल अधीक्षक से लेकर अन्य पदों पर भोपाल,इंदौर,ग्वालियर,रीवा सहित अन्य शहरों के जेलों में पदस्थ रहे हैं। इनके खिलाफ जेल के सामान खरीदी में घपले करने की शिकायतें हो चुकी थी। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि भोपाल और सागर में गांधी और उनके भाई अजय गांधी के भोपाल स्थित ओल्ड सुभाष नगर के मकान से अभी तक मिले दस्तावेजों और अन्य सामान तथा रिकॉर्ड को खंगालने की कार्रवाई जारी है।

जिकर्रुहमान का तांगा रहा प्रथम


जिकर्रुहमान का तांगा रहा प्रथम

तांगा दौड़ के रोमांच के साथ उर्स का समापन

  रोल अलसुबह शुरू हुई तांगा दौड़...कोचवानों के इशारे पर दौड़ते घोड़े...सड़क के किनारों पर खड़े दर्शक...भीड़ को काबू में करती पुलिस...। पाक जुब्बा शरीफ के उर्स में शुक्रवार को उत्साह और उमंग के साथ तांगा दौड़ देख दर्शक रोमांचित हो उठे। दर्शकों ने तालियां बजा कर कोचवानों का हौंसला बढ़ाया। भोर के समय दौड़ते तांगों की आवाज सुनकर देखने वाले भी उत्साह से भर गए। नागौर के दिल्ली दरवाजा में सबसे पहले दिल्ली के कोचवान जिकर्रुहमान के तांगे ने प्रवेश कर जीत दर्ज की। सुबह 6.30 बजे तांगा दौड़ देखने सड़क किनारे दर्शकों की रेलमपेल बन गई। रोल से नागौर तक भोर के समय हल्के अंधेरे को चीरते तांगे एक दूसरे से आगे निकलने की कोशिश में थे। सबसे आगे चल रहे कोचवान जिकुर्रुहमान व अहमद खां के तांगों में अंत तक एक दूसरे से आगे निकलने की जद्दोजहद रही। हवा से बातें कर रहे तांगे मेलार्थियों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गए। इस दौरान पुलिस बंदोबस्त रहा। रास्ते हूटिंग का दौर तांगों के नागौर पहुंचने तक नहीं थमा।

ये रहे विजेता

बासनी के हबीबुर्रहमान के घोड़े को चला रहे कोचवान जिकर्रुहमान ने पहला स्थान प्राप्त किया। दूसरे स्थान पर अहमद खां व तीसरे स्थान पर जयपुर के अन्नू उर्फ मुन्ना का तांगा रहा। नगरपरिषद ने विजेताओं को पुरस्कृत किया।

रोल मेले का समापन

तांगा दौड़ के साथ ही तीन दिवसीय मेले का समापन शुक्रवार को हुआ। वक्फ कमेटी के सदर मोहम्मद फारूक ने कमेटी की ओर से मेला व्यवस्थाओं में सहयोग के लिए पुलिस, प्रशासन, रोल ग्राम पंचायत व ग्रामीणों का आभार जताया।

खरीदारी का दौर चला

रोल के जुब्बा शरीफ के मेले में तांगा दौड़ के साथ समापन के बावजूद शुक्रवार को दिन भर मेले में लगी दुकानों पर खरीदारी होती रही। यह खरीदारी ग्रामीण इलाकों के लोगों की थी। ग्रामीण क्षेत्र की महिलांए विशेष तौर से सजधज कर मेले में पहुंचकर मौत का कुआं, झूलों का आनंद लेते हुए खूब खरीदारी की। शुक्रवार को रोल के अलावा डिडिया कला व खुर्द, छावटा, गगवाना, सुरजनियावास, खेतोलाव, खेरवाड़, टांगला, बुगरड़ा, सोमणा, डेह, खंवर, रातंगा, कसनाऊ, मूंडवा, फरड़ौदा, ज़ायल सहित कई गांवों के लोगों ने खरीदारी की।

देर रात चला कव्वाली का दौर

मेले के दौरान गुरुवार को दरगाह में कवाल सरफूद्दीन नईमुद्दीन एंड पार्टी द्वारा बेहतरीन अंदाज में उम्दा कव्वालियों की प्रस्तुतियां देकर खूब दाद बटोरी। प्रोग्राम देर रात तक चला।






शराबी पति से परेशान पत्नी ने की आत्महत्या


शराबी पति से परेशान पत्नी ने की आत्महत्या

नागौरश्रीबालाजी कस्बे की ढाणियों में रहने वाली चार बच्चों की मां ने शुक्रवार को शराबी पति से परेशान होकर शरीर पर केरोसीन डाल आग लगाकर आत्महत्या कर ली। उसके पिता ने दहेज के लिए प्रताडि़त करने व आए दिन परेशान करने, मरने के लिए प्रेरित करने के आरोप में मामला दर्ज किया है। थानाधिकारी मनोज माचरा ने बताया कि गीता (28) पत्नी जेठाराम मेघवाल ने शरीर पर केरोसीन डाल कर आग लगा ली। उसकी मौके पर ही मौत हो गई। पड़ोसी प्रेमाराम मेघवाल की सूचना पर श्रीबालाजी पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने श्रीबालाजी अस्पताल में मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करवाकर शव उसके पिता को सुपुर्द कर दिया। गीता के पिता गुढ़ा भगवानदास निवासी भगवानाराम पुत्र जोगाराम मेघवाल ने रिपोर्ट दी कि गीता को उसका पति जेठाराम मेघवाल आए दिन शराब के नशे में मारपीट कर दहेज के लिए प्रताडि़त करता था। इससे परेशान होकर गीता ने आत्महत्या कर ली।

पहले किया बच्चे को कमरे में बंद

थानाधिकारी ने बताया कि महिला का पति घर से बाहर गया हुआ था। उस दौरान घर में उसका एक साल का बच्चा ही था। एक लड़का स्कूल गया हुआ था। दो लड़के पास की ढाणी में खेलने गए थे। गीत ने आत्महत्या करने से पहले एक साल के बच्चे को कमरे में बंद कर कुंडी लगा दी। फिर केरोसिन से आग लगा कर आत्महत्या कर ली। इस संबंध में पुलिस ने किसी को गिरफ्तार नहीं किया है।

केबिन में युवती के साथ मिला विचाराधीन बंदी

केबिन में युवती के साथ मिला विचाराधीन बंदी
डीडवाना (नागौर)। चर्चित गोदारा हत्याकाण्ड का विचाराधीन बंदी संजय पांडे शुक्रवार को एक मेडिकल स्टोर के केबिन में युवती के साथ मिला। चालानी गार्ड उसे जांच के लिए अस्पताल लेकर आए थे। विधायक रूपाराम डूडी की इत्तला पर पुलिस के आला अधिकारी मौके पर पहुंचे।


डूडी ने आरोप लगाया कि केबिन में बंदी और युवती आपत्तिजनक हालत में मिले। पुलिस अधिकारियों ने बंदी को वापस जेल भेज दिया व युवती को पूछताछ के लिए थाने ले आए। पुलिस अधीक्षक भूपेन्द्र साहू ने तीनों चालानी गार्ड को निलम्बित कर दिया है। पुलिस के अनुसार पांडे डीडवाना उप कारागृह में काफी समय से बंद है।

बीमार होने के कारण जेलकर्मी उसे शुक्रवार दोपहर 12.30 बजे राजकीय बांगड़ अस्पताल लेकर गए। प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ. बी. एस. राठौड़ ने उसकी जांच की। जांच के बाद जेलकर्मी बंदी पांडे को एक निजी मेडिकल स्टोर पर ले गए। वहां उससे मिलने एक युवती आई। पांडे युवती को बात करने के लिए दुकान के अन्दर बनी केबिन में ले गया।

सूचना पर विधायक डूडी उक्त दुकान पर पहुंच गए। डूडी का कहना है कि पांडे व युवती वहां संदिग्धावस्था में मिले। विधायक ने पुलिस व प्रशासन के आला अधिकारियों को बुलवा लिया। कुछ ही देर में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अशोक कुलश्रेष्ठ, व अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे।


तीनों चालानी गार्ड को निलम्बित कर दिया गया है। युवती की भूमिकाकी जांच की जा रही है। युवती ने पूछताछ में बताया कि वह जयपुर की रहने वाली है और पेशे से वकील है। उसकी मदद करने के लिए वह उससे मिलने आई थी। मामले में अतिरिक्त जिला कलक्टर विश्वम्बर लाल व पुलिस उप अधीक्षक हेमाराम चौधरी को जांच अधिकारी बनाया गया है।
भूपेन्द्र साहू, पुलिस अधीक्षक नागौर

"मैं राजभवन में बैठने वाली औरत नहीं"

"मैं राजभवन में बैठने वाली औरत नहीं"

जयपुर। बहाव क्षेत्र में अतिक्रमण के लिए अफसरों को जिम्मेदार ठहराने और सड़े गेहूं की आवक पर राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगने जैसी कार्रवाई से सक्रिय नजर आ रहीं राज्यपाल मार्गे्रट आल्वा ने शुक्रवार को यहां कहा कि वे राजभवन में बैठने वाली औरत नहीं हैं। उन्हें काम के लिए यहां भेजा गया है और वे काम करने आई हैं।

साथ ही उन्होंने यह भी साफ किया कि वे राजभवन में जनता दरबार नहीं लगातीं अलबत्ता जो लोग आग्रह करते हैं उनसे सीधे मिलकर उनकी समस्या का समाधान करने की कोशिश करती हैं। वे सप्ताह में 3 दिन लोगों से मिलती हैं। आल्वा राजभवन में मीडिया से अनौपचारिक बात कर रही थीं।

नहीं चाहती थी लोग सड़ा गेहूं खाएं
सड़े गेहूं की आवक से जुड़े सवाल पर राज्यपाल बोलीं, मीडिया में (राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित) यह खबर आने पर उन्होंने सरकार से रिपोर्ट मांगी। क्या कोई दिशा निर्देश दिए? इस सवाल के जवाब में राज्यपाल ने कहा कि वे सार्वजनिक वितरण प्रणाली से जुड़े विभाग की मंत्री नहीं हैं। उनके सामने यह मामला आया तो उन्होंने रिपोर्ट मांगी, इस पर तुरंत कार्रवाई हुई। मैं नहीं चाहती लोग सड़ा गेहूं खाकर बीमार पड़ें। संयुक्त जांच में150 कट्टे सड़े गेहूं के निकले हैं। खराब गेहूं पशुओं के खाने या खाद के काम आएगा।

गरीबों के भी अधिकार
बहाव क्षेत्र में अतिक्रमण के लिए अफसरों को जिम्मेदार ठहराने के वक्तव्य का जिक्र आने पर आल्वा ने कहा कि अतिक्रमण हटाए जा रहे हैं पर वहां रहने वाले गरीब लोग हैं, वे भी नागरिक हैं और उनके भी अधिकार हैं। उनकी सीएम से बात हुई है, जिसमें विकल्प के बारे में तय हुआ।

कौन पहुंचाएगा पिंकी को वाराणसी ?



कौन पहुंचाएगा पिंकी को वाराणसी ?

25 दिन से अस्पताल में भर्ती है लावारिस युवती


108 ने पहुंचाया था अस्पताल, अस्पताल प्रबंधन ने कर दिया इलाज...और अब इस युवती के लिए कोई आगे नहीं आ रहा है


जैसलमेर मेरा नाम पिंकी है, मेरे पिता का नाम समृद्ध उपाध्याय और मां का नाम मीरा देवी है, मैं बनारस से आई हूं, जहां गंगा का घाट है....। बस वह इतना ही बोलती है और उसके बाद अपने परिजनों को याद कर फफक पड़ती है। यह दुखद कहानी है एक मानसिक विक्षिप्त युवती की। जो भटकते हुए जैसलमेर पहुंच गई थी। यहां उसे सिर पर गंभीर चोट भी लगी, चोट लगने का कारण पता नहीं चल पा रहा है। चोटिल युवती के लिए किसी ने 108 को फोन किया और 108 ने उसे अस्पताल में छोड़ दिया। अस्पताल प्रबंधन पिछले 25 दिन से उसका इलाज कर रहा है, अब उसका स्वास्थ्य काफी बेहतर है। मगर अब उसे वापिस भेजने की बात है तो हर कोई असमंजस में पड़ जाता है। अस्पताल प्रबंधन ने पुलिस को इतिला दे दी है। लेकिन अभी तक कोई इस युवती को वाराणसी भेजने के लिए आगे नहीं आया है।

कैसे जाएगी अपने घर: अस्पताल प्रबंधन और पुलिस के साथ साथ जो भी इस युवती के बारे में जानता है वह यही सोच रहा है कि आखिर पिंकी कैसे अपने घर पहुंचेगी 

वह अभी तक यह बता पाई है कि वह बनारस की रहने वाली है, वहां पर कहां रहती है और क्या पता है, कुछ भी नहीं बताया। ऐेसे में उसे वहां भेजना काफी मुश्किल है। अस्पताल प्रबंधन ने इस संबंध में पुलिस को भी इतिला कर दी है।