शनिवार, 3 नवंबर 2012

वसुंधरा को पार्लियामेंटरी बोर्ड अध्यक्ष के लिए हरी झंडी



जयपुर.भाजपा हाईकमान ने नेता प्रतिपक्ष वसुंधरा राजे को स्टेट पार्लियामेंटरी बोर्ड का चेयरमैन बनाने के लिए हरी झंडी दे दी है। स्टेट पार्लियामेंटरी बोर्ड का गठन आने वाले दिनों में कभी भी हो सकता है। स्टेट पार्लिमेंटरी बोर्ड के चेयरमैन का पद इसलिए अहम है, क्योंकि विधानसभा और लोकसभा सहित स्थानीय निकायों और पंचायती राज संस्थाओं के लिए टिकट तय करने में बोर्ड अध्यक्ष की भूमिका अहम होती है।



पार्टी अध्यक्ष के रूप में अरुण चतुर्वेदी को ही रखते हुए दोनों खेमों में संतुलन बिठाना चाहती है। चतुर्वेदी लो-प्रोफाइल हैं और वसुंधरा राजे के साथ उनका तालमेल बिठाने में ज्यादा दिक्कत नहीं है।



भाजपा हाईकमान के सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी अगर विवादों में नहीं फंसते तो इसकी घोषणा अब तक हो जाती। वसुंधरा राजे का नाम स्टेट पार्लियामेंटरी बोर्ड के लिए इसलिए तय किया जा रहा है कि उनके समर्थक उन्हें अध्यक्ष बनाने की मांग करते रहे हैं, ताकि विधानसभा चुनाव के दौरान टिकट वितरण में उनका पलड़ा भारी रहे।



अब तक इस बोर्ड की अध्यक्षता प्रदेश अध्यक्ष ही करते रहे हैं। पार्टी संविधान में राष्ट्रीय स्तर पर पार्लियामेंटरी बोर्ड के चेयरमैन के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष को ही बनाए जाने का उल्लेख है, लेकिन स्टेट पार्लियामेंटरी बोर्ड का अध्यक्ष कौन हो, इसे लेकर पार्टी संविधान का अनुच्छेद17 मौन है।



इसके राजनीतिक मायने क्या?



पार्टी की कमान वसुंधरा राजे को सौंपने को लेकर विवाद हो रहा है, इसलिए यह रास्ता उचित माना जा रहा है।


राजस्थान में वसुंधरा ही क्यों?


जिस तरह गुजरात में नरेंद्र मोदी, मध्यप्रदेश में शिवराजसिंह चौहान, हिमाचल प्रदेश में प्रेमकुमार धूमल, छत्तीसगढ़ में रमनसिंह आदि हैं, वैसे ही राजस्थान में वसुंधरा राजे क्यों नहीं हो सकतीं। प्रदेश में वे ही जननेता हैं और उनकी लोकप्रियता को विरोधी भी मानते हैं।


विरोध में ये तर्क


वे नेता प्रतिपक्ष रहते ही पार्टी से सीधे टकराव ले सकती हैं और दो-दो बार अपने इस्तीफों की पेशकश कर सकती हैं तो मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके तेवर और तीखे हो सकते हैं।



पार्लियामेंटरी बोर्ड क्या?


इसे राजनीतिक भाषा में स्टेट पार्लियामेंटरी बोर्ड कहा जाता है, लेकिन मूलत: यह स्टेट इलेक्शन कमेटी ही है।



प्रदेश से बाहर रहकर वसुंधरा ने संघ व हाईकमान के प्रमुख नेताओं और संगठन के फैसलों को प्रभावित करने वाले प्रमुख लोगों से मुलाकातें कीं।


विधायकों से ले रहीं फीडबैक


वसुंधरा राजे ने विधायकों से फीडबैक जुटाना शुरू कर दिया है। उनसे पूछा जा रहा है कि उनके इलाके के जातीय समीकरण क्या हैं? सरकारी कामों के क्या हाल हैं? लोगों में सरकार के प्रति कितना जनाक्रोश है और वे मुद्दे क्या हैं? विधायक के नाते उनका प्रोफाइल क्या है? हमारी सरकार को आपके इलाके में आज भी लोग किन कामों के लिए याद करते हैं? सरकार की कौन-सी बजट घोषणा पूरी नहीं हुई है?



हमारी सरकार के समय की वे कौन-सी घोषणाएं हैं, जो इस सरकार के समय पूरी हुई हैं। विधायकों से एक-एक पेज पर यह नोट मांगा जा रहा है। विधायकों से फीडबैक के आधार पर ही दिसंबर से शुरू होने वाली परिवर्तन यात्रा की रणनीति तय की जाएगी। उसी आधार पर घोषणाएं की जाएंगी। इसके लिए हर पाइंट और इलाके में काम करने वाले नेताओं की सूचियां तैयार हो चुकी हैं।


वसुंधरा राजे स्थापित नेता : कप्तान सिंह


वसुंंधरा राजे प्रदेश में पार्टी की स्थापित नेता हैं। जो स्थापित होता है, वही आम तौर पर मुख्यमंत्री होता है। चाहे गुजरात को देखें या हिमाचल को। पार्टी में अनुशासन और संविधान की व्यवस्था है। इसलिए इसकी औपचारिक घोषणा बहुमत आने के बाद की जाती है। जहां तक पार्लियामेंटरी बोर्ड के चेयरमैन का सवाल है, अभी बोर्ड की घोषणा नहीं हुई है।

कप्तान सिंह, प्रदेश प्रभारी भाजपा


हां, कभी-कभी ऐसा भी होता है : चतुर्वेदी


स्टेट पार्लियामेंटरी बोर्ड का अध्यक्ष वैसे तो प्रदेशाध्यक्ष ही होता है, लेकिन कुछ प्रदेशों में कभी-कभी (कभी-कभी पर विशेष जोर) कहीं-कहीं किसी अन्य नेता को भी बना दिया जाता है।


ललितकिशोर चतुर्वेदी, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष

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