राजस्थान के बाड़मेर ज़िले की एक अदालत ने एक बुज़ुर्ग पिता की अनदेखी और उन्हें अकेला छोड़ देने के जुर्म में उनके तीन पुत्रों को दो-दो महीने क़ैद की सज़ा सुनाई है.
बाड़मेर के गुधमलानी एसडीएम अदालत ने फ़ैसला सुनाते हुए पुलिस को तीनों पुत्रों को फ़ौरन गिरफ़्तार करके जेल भेजने के आदेश दिए.70 साल के सोनाराम बिश्नोई ने अदालत से गुहार लगाई थी कि उनके पुत्रों ने उन्हें अकेला छोड़ दिया है और वे उनका ख़्याल नहीं रखते हैं.
सोनाराम बिश्नोई के छह पुत्र हैं और उनमें से तीन ने अदालत के निर्देश के बावजूद उनकी कोई मदद नहीं कर रहे थे.
उनके अनुसार उनके तीन पुत्रों ने अदालत के सामने वादा किया था कि वे अपने पिता का पूरा ख़्याल रखेंगे जबकि तीन पुत्रों ने किसी तरह की मदद से इनकार कर दिया था.
अदालत ने दोनों पक्षों की बात सुनी. पुत्रों का कहना था कि उनके पिता खुद ग़ैर-ज़िम्मेदार व्यक्ति हैं और उन्होंने कभी भी अपने पुत्रों का ख़्याल नहीं रखा था.
अदालत ने पहले पुत्रों को समझाने की कोशिश की कि वे अपने पिता का ख़्याल रखें, लेकिन उन्होंने अदालत की बात नहीं मानी.
तब जाकर एसडीएम शंकर लाल ने वरिष्ठ नागरिकों की देख-रेख के लिए बने क़ानून के तहत अपने अधिकारों का इस्तेमाल करके पुत्रों को सज़ा सुना दी.
राज्य में लगभग दो साल पहले बने क़ानून के अनुसार अगर कोई पुत्र अपने माता-पिता की अनदेखी का दोषी पाया जाता है तो उसे तीन महीने की सज़ा और पांच हज़ार रूपए तक का जुर्माना हो सकता है.
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