सोमवार, 17 दिसंबर 2018

सिवाना। गढ़ सिवाणा 2018 के तीन दिवसीय उत्सव को लेकर बैठक हुई आयोजित

सिवाना। गढ़ सिवाणा 2018  के तीन दिवसीय उत्सव को लेकर बैठक हुई आयोजित


रिपोर्ट :- सुनील दवे / जीत जांगिड़ - सिवाना 

सिवाना। कस्बे के डाक बंगले में सिवाणा के स्थापना दिवस को सिवाणा उत्सव के रूप में मनाने को लेकर चर्चा हुई । सर्व प्रथम कार्यक्रम के संयोजक जीवराज वर्मा के सानिध्य में एक कमेटी का गठन किया गया । बैठक में सिवाणा उत्सव के दौरान 25 दिसंबर से 27 दिसंबर तक विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होंगे । कमेटी के गणपत चोधरी ने बताया कि 25 दिसंबर को राबाउमावि सिवाना में निबंध,सामान्य ज्ञान व प्रशन मंच प्रतियोगिता होगी । 26 दिसंबर को राबाउमावि सिवाना में चित्र कला प्रतियोगिता एवं राउप्रावि सोलंकियों का वास सिवाणा में बॉलीबाल प्रतियोगिता होगी जिसमें क्षेत्र की टीमें भाग लेंगी । वही 27 दिसंबर को सुबह 7 बजे किले पर ध्वजारोहण होगा उसके बाद 8 बजे अम्बेडकर सर्किल बालोतरा रोड से मैराथन दौड़ शुरू होगा । उसके बाद सुबह 10 बजे राउमावि सिवाना के खेल मैदान में सदभावना किर्केट मैच का आयोजन होगा । उत्सव का समापन राबाउमावि सिवाणा में 2 बजे आयोजित होगा जिसमें विभिन विद्यालय के छात्र छात्राओं द्वारा सांस्क्रतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे । 


इस अवसर पर क्षेत्र की प्रतिभाओं को सिवाना गौरव के पुरस्कार के रूप में समानीत किया जाएगा । सिवाना उत्सव के दौरान विभिन्न चौराहों को रंगोली व रोशनी से सजाया जाएगा ओर किले पर भी लाइटिंग की विशेष सजावट की जाएगी । इस अवसर पर हनुमान प्रसाद दवे,जसराज सेन,हुकम सिंह गुड़ानाल,देव शर्मा,राजेश जोशी,कमरूदीन मेली, यासीन खा, हिन्दू सिंह सिणेर,हितेश अग्रवाल,अम्बालाल माली,प्रकाश शर्मा,जगदीश प्रजापत,महेन्द चोधरी,डायाराम माली,तारा राम घांची,गणपत चोधरी,सवाई सिंह पादरली,दीप सिंह राजपुरोहित,नरपत सिंह मवडी,महेश नाहटा,जितेंद्र सिंह गुड़ानाल, जालम सिंह पिपलून, ईश्वर सिंह सोढा,गजेंद्र शर्मा,अजय सिंह कुसीप,थान सिंह,मेलाराम भील,सेला,हरीश जेन,सुरेन्द्र सिंह पादरली,नरेंद्र सिंह सिवाना मोजूद थे ।

जयपुर। अशोक गहलोत ने ली मुख्यमंत्री पद की शपथ, सचिन पायलट बने डिप्टी सीएम

जयपुर। अशोक गहलोत ने ली मुख्यमंत्री पद की शपथ, सचिन पायलट बने डिप्टी सीएम


जयपुर। अशोक गहलोत ने तीसरी बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बने हैं. गहलोत ने सोमवार को जयपुर के अल्बर्ट हॉल में सीएम पद की शपथ ली. इनके साथ ही सचिन पायलट राज्य के डिप्टी सीएम बने. राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह ने गहलोत और पायलट को शपथ दिलायी. इस दौरान मंच पर कई विपक्षी दलों के नेता मौजूद थे. बता दें कि अशोक गहलोत 1998 में पहली बार मुख्यमंत्री बने और 2008 में दूसरी बार मुख्यमंत्री का पदभार संभाला. वहीं, उप-मुख्यमंत्री बने पायलट फिलहाल राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हैं. वह लोकसभा सदस्य और मनमोहन सिंह सरकार में मंत्री रह चुके हैं. वह अपने जमाने में कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत राजेश पायलट के पुत्र हैं. राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत मिलने के बाद मुख्यमंत्री पद के चयन को लेकर लंबी खींचतान हुई. गहलोत और पायलट दोनों इस पद की दौड़ में शामिल थे. मैराथन बैठकों और गहन मंथन के बाद गत 14 दिसंबर को कांग्रेस अध्यक्ष ने गहलोत को मुख्यमंत्री और पायलट को उप मुख्यमंत्री नामित करने का फैसला किया. गहलोत और पायलट के शपथ के बाद अब भोपाल में कमलनाथ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. वहीं शाम करीब चार बजे भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ सीएम की शपथ लेंगे. इन तीनों राज्यों में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस सरकार बना रही है. राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ तीनों ही राज्यों में कांग्रेस ने जीत हासिल की है. इन तीनों राज्यों में भाजपा की सरकार थी.

LIVE UPDATES: अशोक गहलोत ने ली मुख्यमंत्री पद की शपथ, सचिन पायलट बने डिप्टी सीएम

*1984 के सिख दंगे में 34 साल बाद सज्जन कुमार दोषी करार, अमरनाथ पर भी संकट*

*1984 के सिख दंगे में 34 साल बाद सज्जन कुमार दोषी करार, अमरनाथ पर भी संकट*

नई दिल्ली/  तकरीबन 34 साल के बाद 1984 सिख दंगे से जुड़े एक मामले में दिल्ली हाई कोर्ट की डबल बेंच ने सोमवार को निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए सज्जन कुमार को दंगे के लिए दोषी माना है. सज्जन को हिंसा कराने और दंगा भड़काने का दोषी पाया गया है।
यह मामला एक हत्याकांड से जुड़ा है जिसमें नवंबर 1984 को दिल्ली छावनी के राजनगर क्षेत्र में एक ही परिवार के पांच सदस्यों को मार दिया गया था. इस हत्याकांड में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार भी आरोपी हैं।
इसी मामले पर हाई कोर्ट की डबल बेंच के जस्टिस एस मुरलीधर और जस्टिस विनोद गोयल की बेंच ने बीते 29 अक्टूबर को सीबीआई, पीड़ितों और दोषियों की ओर से दायर अपीलों पर दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. दिल्ली हाई कोर्ट में कुल 7 अपील हैं जिन पर आज दिल्ली हाई कोर्ट को अपना फैसला सुनाया ।

सज्जन कुमार को निचली अदालत ने बरी कर दिया था

इससे पहले 1984 सिख दंगा मामले में 2013 में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को निचली अदालत ने बरी कर दिया था, जबकि सज्जन कुमार के अलावा बाकी और आरोपियों को कोर्ट ने दोषी करार दिया था. इसमें पूर्व कांग्रेस पार्षद बलवान खोखर, कैप्टन भागमल, गिरधारी लाल और दो अन्य लोग शामिल थे। कोर्ट ने अपने आदेश में इनको दंगा भड़काने में दोषी माना था और पूर्व कांग्रेस पार्षद बलवान खोखर, भागमल और गिरधारी लाल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, जबकि पूर्व विधायक महेंद्र यादव और किशन खोखर को तीन तीन साल के कारावास की सजा सुनाई गई थी।
दिलचस्प यह भी है कि आज ही कमलनाथ मध्य-प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले रहे हैं और उनको मुख्यमंत्री बनाए जाने को लेकर भी सिख समुदाय को आपत्ति है. इसमें मुख्य वजह वह आरोप है जिसमें कमलनाथ के 1984 के सिख दंगे में शामिल होने के आरोप हैं।

जयपुर। अशोक गहलोत-सचिन पायलट के शपथग्रहण में पहुंची वसुंधरा राजे

जयपुर। अशोक गहलोत-सचिन पायलट के शपथग्रहण में पहुंची वसुंधरा राजे



जयपुर। राजस्थान में अगले मुख्यमंत्री के रूप में अशोक गहलोत शपथ लेने जा रहे हैं। इसी के साथ वह राज्य के तीसरी बार मुख्यमंत्री बनेंगे। उनके साथ उपमुख्यमंत्री के रूप में सचिन पायलट भी शपथ लेंगे। इस दौरान पूर्व सीएम वसुंधरा राजे भी कार्यक्रम स्थल में पहुंची। समारोह में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह, नवजोत सिंह सिद्धू, जितिन प्रसाद समेत यूपीए के कई दिग्गज मौजूद हैं। जयपुर के ऐतिहासिक अल्बर्ट हॉल में शपथग्रहण का समारोह हो रहा है।



अशोक गहलोत-सचिन पायलट के शपथग्रहण में पहुंची वसुंधरा राजे के लिए इमेज परिणाम



लंबे समय से राजनीति में सक्रिय अशोक गहलोत राजस्थान में काफी लोकप्रिय रहे हैं और उन्हें 'राजनीति का जादूगर' और 'मारवाड़ का गांधी' जैसे उपनामों से भी बुलाया जाता है। साल 2013 के राजस्थान विधानसभा चुनाव और फिर 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद भी अशोक गहलोत ने राज्य में अपनी पार्टी को प्रासंगिक बनाए रखा। राजस्थान में ‘राजनीति का जादूगर’ माने जाने वाले गहलोत ने 2018 के राज्य विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बहुमत के जादुई आंकड़े के करीब लाने में अहम भूमिका निभाई है।




राज्य में तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने वाले अशोक गहलोत चौथे नेता हैं। गहलोत से पहले भैंरोसिंह शेखावत और हरिदेव जोशी ही तीन-तीन बार मुख्यमंत्री बने। हालांकि मोहन लाल सुखाड़िया सबसे अधिक 4 बार इस पद पर रहे। राज्य के नए मुख्यमंत्री के रूप कार्यभार संभालने जा रहे गहलोत 1998 में पहली बार मुख्यमंत्री बने थे।




इंदिरा की मदद से राजनीति में आए अशोक गहलोत
जानकारों का कहना है कि ‘मारवाड़ का गांधी’ माने जाने वाले गहलोत को राजनीति में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी लेकर आई थीं। ऐसा कहा जाता है कि वह पूर्वोत्तर क्षेत्र में शरणार्थियों के बीच अच्छा काम कर रहे थे और इंदिरा उनके काम से काफी प्रभावित थीं। कुछ महीने पहले गुजरात में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के दमदार प्रदर्शन का श्रेय गहलोत को ही दिया जाता है।

पिछले कुछ समय से कांग्रेस के महासचिव (संगठन) का पदभार संभाल रहे गहलोत को जमीनी नेता और अच्छा संगठनकर्ता माना जाता है। मूल रूप से जोधपुर के रहने वाले गहलोत (67 वर्ष) 1998 से 2003 और 2008 से 2013 तक राजस्थान के दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। तीन मई 1951 को जन्मे गहलोत ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1974 में एनएसयूआई के अध्यक्ष के रूप में की थी। वह 1979 तक इस पद पर रहे। गहलोत 1979 से 1982 तक कांग्रेस पार्टी के जोधपुर जिला अध्यक्ष रहे और 1982 में प्रदेश कांग्रेस कमिटी के महासचिव बने। उसी दौरान 1980 में गहलोत सांसद बने।

पांच बार लोकसभा सांसद और कई बार मंत्री भी रहे
गहलोत 1980 से 1999 तक पांच बार 7वीं, 8वीं, 10वीं, 11वीं और 12वीं लोकसभा के लिए भी चुने गए। गहलोत 1999 से जोधपुर के सरदारपुरा विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। वह 11वीं, 12वीं,13वीं और 14वीं राजस्थान विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं।

रादस्थान के युवा चेहरे सचिन पायलट
सचिन राजनीति में ज्यादा पुराने तो नहीं हैं लेकिन युवाओं में काफी पसंद किए जाते हैं। सचिन इस बार टोंक विधानसभा से विधायक चुने गए हैं। इससे पहले वह दो बार सांसद रह चुके हैं। हालांकि, 2014 की 'मोदी लहर' में सचिन लोकसभा चुनाव हार गए थे। सचिन पायलट ने पहली बार 14वीं लोकसभा में दौसा से जीत हासिल की थी। तब वह सबसे कम उम्र के सांसद थे, उस वक्त सचिन की उम्र मात्र 26 वर्ष थी, इसके बाद वह 2009 में अजमेर से लोकसभा सांसद चुने गए और इस बार टोंक से विधायक चुने गए हैं।

इस बार उन्होंने बीजेपी के एकमात्र मुस्लिम कैंडिडेट युनूस खान को 54,179 वोटों के भारी अंतर से हराया है। सचिन पायलट पिछले 5 साल से राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष पद पर काबिज हैं।

राजस्थान में वसुंधरा सरकार के खिलाफ माहौल बनाने और जमीनी स्तर पर पार्टी को मजबूत करने का श्रेय उन्हें ही जाता है। उनके नेतृत्व में ही पार्टी को पिछले चुनाव में 21 से इस बार 99 सीटें मिली है। सचिन पायलट पार्टी के युवा चेहरे हैं और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबी भी हैं। सचिन पायलट के नेतृत्व में पांच साल में जितने भी चुनाव और उपचुनाव हुए सभी कांग्रेस ने जीते।

गौरवमयी इतिहास का प्रतिक गागरोन फोर्ट ,दुर्ग शौर्य ही नहीं, भक्ति और त्याग की गाथाओं का साक्षी

गौरवमयी इतिहास का प्रतिक गागरोन फोर्ट ,दुर्ग शौर्य ही नहीं, भक्ति और त्याग की गाथाओं का साक्षी






गागरोन दुर्ग राजस्थान के झालावाड़ में स्थित है। यह प्रसिद्ध दुर्ग 'जल-दुर्ग' का बेहतरीन उदाहरण है। गागरोन दुर्ग हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है। यहाँ सूफ़ी संत मीठे शाह की दरगाह भी है। मधुसूदन और हनुमान जी का मंदिर भी देखने लायक है। विश्व धरोहर में शामिल किए गए इस अभेद्य दुर्ग की नींव सातवीं सदी में रखी गई थी और चौदहवीं सदी तक इसका निर्माण पूर्ण हुआ। यहाँ मोहर्रम के महीने में हर साल बड़ा आयोजन होता है, जिसमें सूफ़ी संत मीठे शाह की दरगाह में दुआ करने सैंकड़ों की संख्या में मुस्लिम एकत्र होते हैं। वहीं मधुसूदन और हनुमान मंदिर में भी बड़ी संख्या में हिन्दू माथा टेकते हैं।

स्थिति तथा निर्माण
झालावाड़ से 10 कि.मी. की दूरी पर अरावली पर्वतमाला की एक सुदृढ़ चट्टान पर काली सिन्ध और आहू नदियों के संगम पर बना यह क़िला जल-दुर्ग की श्रेणी में आता है। इस क़िले का निर्माण कार्य डोड राजा बीजलदेव ने बारहवीं सदी में करवाया था। दुर्गम पथ, चौतरफ़ा विशाल खाई तथा मजबूत दीवारों के कारण यह दुर्ग अपने आप में अनूठा और अद्भुत है। यह दुर्ग शौर्य ही नहीं, भक्ति और त्याग की गाथाओं का साक्षी है।

विस्तार
गागरोन दुर्ग झालावाड़ तक फैली विंध्यालच की श्रेणियों में एक मध्यम ऊंचाई की पठारनुमा पहाड़ी पर निर्मित है। दुर्ग 722 हेक्टेयर भूमि पर फैला हुआ है। गागरोन का क़िला जल-दुर्ग होने के साथ-साथ पहाड़ी दुर्ग भी है। इस क़िले के एक ओर पहाड़ी तो तीन ओर जल घिरा हुआ है। क़िले के दो मुख्य प्रवेश द्वार हैं। एक द्वार नदी की ओर निकलता है तो दूसरा पहाड़ी रास्ते की ओर। क़िला चारों ओर से ऊंची प्राचीरों से घिरा हुआ है। दुर्ग की ऊंचाई धरातल से 10-15 से 25 मीटर तक है। क़िले के पृष्ठ भाग में स्थित ऊंची और खड़ी पहाड़ी ’गिद्ध कराई’ इस दुर्ग की रक्षा किया करती थी। पहाड़ी दुर्ग के रास्ते को दुर्गम बना देती है।

गौरवमयी इतिहास
गागरोन दुर्ग अपने गौरवमयी इतिहास के कारण भी जाना जाता है और उल्लेखनीय स्थान रखता है। यह दुर्ग खींची राजपूत क्षत्रियों की वीरता और क्षत्राणियों की महानता का गुणगान करता है। कहा जाता है एक बार यहां के वीर शासक अचलदास खींची ने शौर्य के साथ मालवा के शासक हुशंगशाह से युद्ध किया। दुश्मन ने धर्म की आड़ में धोखा किया और कपट से अचलदास को हरा दिया। तारागढ़ के दुर्ग में राजा अचलदास के बंदी बनाए जाने से खलबली मच गई। राजपूत महिलाओं को प्राप्त करने के लिए क़िले को चारों ओर से घेर लिया गया; लेकिन क्षत्राणियों ने संयुक्त रूप से 'जौहर' कर शत्रुओं को उनके नापाक इरादों में कामयाब नहीं होने दिया। इस तरह यह दुर्ग राजस्थान के गौरवमयी इतिहास का जीता जागता उदाहरण है।

एकता का प्रतीक
इस अभेद्य दुर्ग की नींव सातवीं सदी में रखी गई और चौदहवीं सदी तक इसका निर्माण पूर्ण हुआ। यह दुर्ग हिन्दू-मुस्लिम एकता का ख़ास प्रतीक है। यहां मोहर्रम के महीने में हर साल बड़ा आयोजन होता है, जिसमें सूफ़ी संत मीठेशाह की दरगाह में दुआ करने सैकड़ों की संख्या में मुस्लिम एकत्र होते हैं। वहीं मधुसूदन और हनुमान मंदिर में भी बड़ी संख्या में हिन्दू माथा टेकते हैं। इसके अलावा यहां गुरू रामानंद के आठ शिष्यों में से एक संत पीपा का मठ भी है।

शिल्पकला
दुर्ग में अठारवीं और उन्नीसवीं सदी में झाला राजपूतों के शासन के समय के बेलबूटेदार अलंकरण और धनुषाकार द्वार, शीश महल, जनाना महल, मर्दाना महल आदि आकर्षित करते हैं। यहां उन्नीसवीं सदी के शासक जालिम सिंह झाला द्वारा निर्मित अनेक स्थल राजपूती स्थापत्य का बेजोड़ नमूना हैं। इसके अलावा सोलवहीं सदी की दरगाह व अठारहवीं सदी के मदनमोहन मंदिर व हनुमान मंदिर भी अपनी बनावट से पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। राजस्थान के अन्य क़िलों की भांति गागरोन क़िले में भी अनेक स्मारक, जलाशय, कुएं, भंडारण के लिए कई इमारतें और बस्तियों के रहने लायक स्थल मौजूद हैं।

मौत का क़िला
गागरोन दुर्ग की ख़ात विशेषता यह भी है कि इस दुर्ग का इस्तेमाल अधिकांशत: शत्रुओं को मृत्युदंड देने के लिए किया जाता था। गागरोन के क़िले का स्थापत्य बारहवीं सदी के खींची राजपूतों की डोडिया और सैन्य कलाओं की ओर इंगित करता है। प्राचीरों के भीतर स्थित महल में राजसभाएं लगती थीं और किनारे पर स्थित मंदिर में राजा-महाराजा पूजा, उपासना किया करते थे।

आकर्षण
गागरोन का क़िला अपने प्राकृतिक वातावरण के साथ-साथ रणनीतिक कौशल के आधार पर निर्मित होने के कारण भी विशेष स्थान रखता है। यहां बड़े पैमान पर हुए ऐतिहासिक निर्माण और गौरवशाली इतिहास पर्यटकों का विशेष रूप से ध्यान आकर्षित करते हैं। दुर्ग में 'गणेश पोल', 'नक्कारखाना', 'भैरवी पोल', 'किशन पोल', 'सिलेहखाना का दरवाज़ा' आदि क़िले में प्रवेश के लिए महत्पवूर्ण दरवाज़े हैं। इसके अलावा 'दीवान-ए-आम', 'दीवान-ए-ख़ास', 'जनाना महल', 'मधुसूदन मंदिर', 'रंग महल' आदि दुर्ग परिसर में बने अन्य महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल हैं। क़िले की पश्चिमी दीवार से सटा 'सिलेहखाना' उस दौर में हथियार और गोला-बारूद जमा करने का गोदाम था। एक तरफ़ गिद्ध कराई की खाई से सुरक्षित और तीन तरफ़ से काली सिंध और अहू नदियों के पानी से घिरे इस दुर्ग की ख़ास विशेषता यह है कि यह दुर्ग जल की रक्षा भी करता रहा है और जल से रक्षित भी होता रहा है। यह एक ऐसा दुर्लभ दुर्ग है, जो एक साथ जल, वन और पहाड़ी दुर्ग है। दुर्ग के चारों ओर मुकुंदगढ़ क्षेत्र स्थित है।

रविवार, 16 दिसंबर 2018

राजस्थान की खराब आर्थिक हालत से परेशान गहलोत, बोले- पीएम को कहना चाहिए 'Don't Worry'

राजस्थान की खराब आर्थिक हालत से परेशान गहलोत, बोले- पीएम को कहना चाहिए 'Don't Worry'



जयपुर. मुख्यमंत्री पद की शपथ भी लेने से पहले ही अशोक गहलोत ने प्रदेश की आर्थिक स्थिति पर चिंता प्रकट कर दी है. इसके लिए उन्होंने वसुंधरा राजे को जिम्मेदार भी ठहराया है. अब सवाल उठता है कि चुनावी घोषणा के मुताबिक 10 दिन के भीतर किसानों के 99 हजार करोड़ रुपए के कर्जे कैसे माफ होंगे.

रविवार को शपथ ग्रहण स्थल अल्बर्ट हॉल का जायजा लेने पहुंचे अशोक गहलोत ने कहा कि वे उम्मीद करते हैं कि भारत सरकार को आगे बढ़कर यह संदेश पूरे देशभर में देना चाहिए कि 'डॉन्ट वरी..चाहे सरकार हमारी नहीं बनी लेकिन हमारी तरफ से सहयोग में कोई कमी नहीं रहेगी.


गहलोत ने कहा कि जब वे पिछली बार मुख्यमंत्री थे तब केन्द्र में कांग्रेस की सरकार थी. तब राजस्थान में कोई कमी नहीं थी. जब एक पत्रकार ने पूछा कि पीएम मोदी का आधिकारिक बयान आया है उस पर आप क्या कहेंगे. तब गहलोत ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि प्राइम मिनिस्टर का पहला ट्वीट यह आना चाहिए कि हमारी तरफ से सहयोग में कोई कमी नहीं होगी. राजस्थान की जनता भले ही 10 दिनों के भीतर कर्ज माफी की उम्मीद में है और विपक्ष कांग्रेस के इस वादे को पूरा नहीं किए जाने पर आरोप लगाने के लिए तैयार बैठा है. लेकिन मुख्यमंत्री की शपथ लेने से पहले ही अशोक गहलोत ने गेंद केंद्र सरकार के पाले में डाल दी है. चुनाव प्रचार में राहुल गांधी 10 दिनों में कर्ज माफी का लगातार वादा करते रहे. लेकिन अब जबकि कांग्रेस की सरकार बन गई है तब कर्ज माफी पर गहलोत ने कोई संतोषजक जबाव नहीं दिया.

अशोक गहलोत ने कहा कि राजस्थान सरकार तो अपना काम करेगी ही लेकिन पीएम मोदी को भी आगे बढ़कर राजस्थान सरकार को यह भरोसा देना चाहिए कि डोंट वरी... चुनौती भरे इस काम को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार उनके साथ है. उन्होंने उम्मीद जताई कि केन्द्र में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार राजस्थान में कांग्रेस सरकार को पूर्ण सहयोग करेगी और कांग्रेस सरकार के साथ कोई राजनीतिक भेदभाव नहीं होगा.


राजस्थान के हालातों के लिए वसुंधरा राजे जिम्मेदार
गहलोत ने वसुंधरा राजे पर एक बार फिर से गंभीर आरोप लगाए और कहा कि पिछले कार्यकाल में जो योजनाएं शुरू की गई थी उन्हें वसुंधरा राजे ने बंद कर दिया. रिफाइनरी के मामले में तो हमें बेवजह बदनाम किया गया. उन्होंने कहा कि वसुंधरा राजे को 162 विधायकों का समर्थन मिला था, लेकिन उन्होंने सरकार चलाने में लापरवाही बरती.

इस लापरवाही को ही कांग्रेस ने उजागर किया. आज हम सत्ता में हैं और वसुंधरा राजे विपक्ष में. यदि हम भी जनता की अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतरेंगे तो हमें भी बदल दिया जाएगा... मैं 24 घंटे 365 दिन जनता के बीच रहता हूं... मुझे कोई पद प्रभावित नहीं करता.

अशोक गहलोत चाहते हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी खुद आगे बढ़कर यह मैसेज राजस्थान सरकार को दें कि 'डोंट वरी' केंद्र सरकार उनके साथ है. राजस्थान में भले ही भाजपा की सरकार नहीं बनी हो लेकिन उन्हें यह संदेश देना चाहिए कि वो राजस्थान की मदद वैसे ही करेंगे जैसे वो खुद की सरकार होने पर करते थे. 

गहलोत का शपथ ग्रहण समारोह इस बार जश्न के साथ होगा ताकि जीत की गूंज पूरे देश में सुनाई दे

गहलोत का शपथ ग्रहण समारोह इस बार जश्न के साथ होगा ताकि जीत की गूंज पूरे देश में सुनाई दे

जयपुर. प्रदेश में चुनावों के नतीजे आने के बाद अब अशोक गहलोत का मुख्यमंत्री बनना तय हो चुका है. इसी के चलते पहली बार अशोक गहलोत एक बड़े जश्न और समारोह के साथ अल्बर्ट हॉल पर शपथ लेने जा रहे हैं. ऐसा पहली बार होगा जब अशोक गहलोत राजभवन में सादगी से शपथ लेने की जगह जयपुर के अल्बर्ट हॉल पर शपथ लेंगे.

राजस्थान में हर बार शपथ ग्रहण समारोह राजभवन या विधानसभा के बाहर जनपथ पर होता आया है. यह पहली बार है जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अल्बर्ट हॉल में हजारों लोगों के सामने शपथ लेंगे. गहलोत ने अपने पिछले दो कार्यकाल में राजभवन में ही शपथ ली है.


दरअसल अब तक केवल भाजपा ही ऐसे बड़े समारोह करती आई है. इसी के चलते कांग्रेस अपनी जीत का बड़ा संदेश पूरे प्रदेश और देश की जनता तक पहुंचाना चाहती है. इससे पहले भाजपा सरकार के शपथ ग्रहण समारोह विधानसभा के बाहर जनपथ पर हुए हैं.

गहलोत सरकार का भी शपथ ग्रहण समारोह पहले जनपथ पर होना तय हुआ था. कुछ दिन पहले हाईकोर्ट की ओर से जनपथ स्थित अम्बेडकर सर्किल के आसपास आयोजनों पर रोक लगाई गई थी. इसी की चलते हाईकोर्ट से अनुमति मांगी गई थी. कोर्ट ने इस मसले पर शनिवार को लंबी सुनवाई के बाद सशर्त आयोजन की अनुमति दे दी थी. कोर्ट ने ट्रैफिक बाधित नहीं करने की शर्त लगाई थी. उसके बाद सरकार ने समारोह की जगह ही बदल डाली.

भारत-रूस के वायुसैनिकों ने मिलकर दिखाई ताकत, दुश्मन देश रह गए दंग

भारत-रूस के वायुसैनिकों ने मिलकर दिखाई ताकत, दुश्मन देश रह गए दंग

जैसलमेर. भारत- रूस की एयरफोर्स का जोधपुर एयर बेस पर संयुक्त युद्धाभ्यास 'अविंद्रा 2018' अब पूरी तरह चरम पर हैं. संयुक्त युद्धाभ्यास ने वायुसैनिक युद्धकौशल का अद्भुत परिचय दे रहे हैं.

दोनों देशों के वायुसैनिकों ने लड़ाकू विमानों और हेलीकॉप्टर में एक साथ उड़ान भरते हुए. साथ ही जैसलमेर की पोकरण फील्ड फायरिंग रेन्ज में अचूक निशाने साधे और भारतीय वायुसेना के गरूड कमाण्डों ने भी अपने ऑपरेशन क्रियाकलापों का जबरदस्त प्रदर्शन किया. दक्षिणी पश्चिमी कमान के कमांडिंग इन चीफ एयर मार्शल एच.एस.अरोड़ा ने जैसलमेर और जोधपुर एयरबेस का दौरा कर इस संयुक्त एक्सरसाईज का जायजा लिया.


वहीं दोनो देशों के वायुसैनिक और अधिकारियों से मिलकर उनकी हौसला अफजाई की. अधिकारिक सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार पश्चिमी सीमा के निकट भारत व रूस की वायुसैनिकों का चल रही संयुक्त एक्सरसाइज अविन्द्रा के तहत 30 लड़ाकू विमान में व्यापक रूप से दोनों एयरफोर्स के जांबाज अपने-अपने हुनर से एक-दूसरे को अवगत करवा रहे है.


जैसलमेर में इस एक्सरसाइज के तहत लड़ाकू विमानों और लड़ाकू हेलिकॉप्टरों के साथ माल वाहक जहाजों की गतिविधियों में भारी उछाल देखा जा रहा है. इस एक्सरसाइज के तहत भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान सुखोई-30 विमानों में भारतीय वायुसेना के पायलट और को-पायलट के रूप में रूसी वायुसेना के पायलटों ने जोधपुर व जैसलमेर एयरबेस से उड़ान भरकर अपने बोम्बिंग मिशन पर है. इसके तहत जैसलमेर की पोकरण फील्ड फायरिंग रेन्ज के चांधण क्षेत्र में काल्पनिक ठिकानों पर अचूक निशाने साधे. पिछले दो दिनों से पोकरण रेन्ज इन लड़ाकू विमानों की ओर से बम बरसाए जा रहे, रॉकेट और छोटी मिसाइलों से थर्रा रही है.

अलवर में बदमाशों का आतंक, घर के शीशे तोड़े, दी जान से मारने की धमकी

अलवर में बदमाशों का आतंक, घर के शीशे तोड़े, दी जान से मारने की धमकी



अलवर. अलवर में बदमाशों का आतंक खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. चोरी व लूट की घटनाओं के बाद बीती रात बदमाशों ने एक घर में लूटपाट करने का प्रयास किया. लेकिन सफल नहीं होने पर बदमाशों ने घर व कार में तोड़फोड़ कर दी.


शनिवार रात 9 बजे कुछ बदमाशों ने स्कीम नंबर 2, जुबली बास के पास घर के बाहर खड़ी कार को पूरी तरीके से क्षतिग्रस्त कर दिया. और घर में लगे खिड़कियों के शीशे को भी डंडे और पत्थरों से तोड़ दिया. पुलिस जब तक घटना स्थल पर पहुंची, बदमाश वहां से फरार हो गए.

महेंद्र गुप्ता ने बताया कि पहले भी राजू सैनी और मनोज सैनी नाम के युवकों ने अपने साथियों के साथ मिलकर तोड़फोड़ की. इन लोगों पर पहले से केस लगे हुए हैं. यह लोग आए दिन ऐसी घटनाओं को अंजाम देते हैं. पीड़ित महेंद्र कुमार गुप्ता का कहना है जाते वक्त हमको यह धमकी देकर गए हैं यदि तुम ने पुलिस को रिपोर्ट की तो अंजाम बहुत बुरा होगा.

वसुंधरा निभाएंगी वो परम्परा जो गहलोत ने 2013 में निभाई थी...शपथ ग्रहण समारोह में जाएंगी

वसुंधरा निभाएंगी वो परम्परा जो गहलोत ने 2013 में निभाई थी...शपथ ग्रहण समारोह में जाएंगी

जयपुर. जयपुर के अल्बर्ट हॉल में सोमवार को नए मुख्ययमंत्री का शपथ ग्रहण समारोह होने जा रहा है. इस समारोह में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी शिरकत करेंगी. ऐसा कर वे वही परम्परा निभाएंगी जो अशोक गहलोत ने 2013 में वसुंधरा राजे के मुख्यमंत्री बनने पर निभाई थी.

2013 के चुनावों में भाजपा सत्ता पर काबिज हुई थी. 13 दिसंबर 2013 को वसुंधरा राजे ने बतौर मुख्यमंत्री दूसरी बार शपथ ली थी. जनपथ पर भाजपा नेताओं का मेला लगा था. नरेन्द्र मोदी समेत कई नेताओं ने इस कार्यक्रम में शिरकत की थी.


लेकिन इस मौके पर सत्ता से बाहर हुए पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने लोकतंत्री की एक परम्परा का बखूबी निर्वहन किया था. वे वसुंधरा राजे के शपथ समारोह में पहुंचे थे और उन्हें बधाई ज्ञापित की थी. एक सादगी भरी तस्वीर भी शपथ समारोह में चर्चा का विषय रही थी.


विरोधी खेमे के सत्ता में आने पर गहलोत बिल्कुल भी असहज नहीं थे. उस दौरान गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी मंच पर विराजमान थे और उन्होंने खड़े होकर गहलोत को गले लगाया था. अब 2018 के चुनाव में भाजपा सत्ता से बाहर है. गहलोत तीसरी बार मुख्यमंत्री की शपथ लेने जा रहे हैं. ऐसे में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी उसी परम्परा का निर्वहन करने के लिए शपथ समारोह में शिरकत करेंगी.


इस शपथ समारोह में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह समेत गठबंधन के कई नेता मंच पर विराजेंगे. वसुंधरा राजे के अलावा प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष मदन लाल सैनी भी गहलोत के शपथ ग्रहण में शिरकत करेंगे. 

विजय दिवस 93 हज़ार पाक सैनिकों का आत्मसमर्पण,बांग्लादेश का उदय

विजय दिवस 93 हज़ार पाक सैनिकों का आत्मसमर्पण,बांग्लादेश का उदय


साल 1971 के बाद से हर साल 16 दिसंबर को हिन्दुस्तान विजय दिवस मनाता है. बता दें कि आज ही के दिन साल 1971 में हिंदुस्तान ने पाकिस्तान को शर्मनाक पराजय देकर विजय प्राप्त की थी. इसी कारण विजय दिवस 16 दिसम्बर को मनाया जाता है. भारतीय सेना का सीना गर्व से उस समय और भी चौड़ा हो गया था, जब युद्ध में भारत के सामने पाकिस्तान की पूरी सेना बेबस हो गई थी. युद्ध के अंत के बाद 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों ने हिंदुस्तान के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था. 
ख़ास बात यह है कि साल 1971 के युद्ध में भारत ने पाकिस्‍तान को करारी शिकस्‍त दी थी और इसक बाद पूर्वी पाकिस्तान आजाद हो गया. जिसे आज दुनिया बांग्लादेश के नाम से जानती है. बता दें कि इस युद्ध की शुरुआत 25 मार्च 1971 को शुरू हुई थी और इसका समापन 16 दिसंबर 1971 को हुआ था. बांग्लादेश का स्वतंत्रता संग्राम 1971 में हुआ था, इसे 'मुक्ति संग्राम' भी कहते हैं. इससे पहले बांग्लादेश पाकिस्तान का ही हिस्सा था.
भारत के लिए पाकिस्तान पर यह विशाल जीत कई मायनों में ऐतिहासिक थी. आज भी उन जीत की यादों के साथ पूरा देश गर्व से रोमांचित हो उठता है. बता दें कि बांग्लादेश अपने उदय से पहले पूर्वी पाकिस्तान के नाम से जाना जाता था. जबकि आज के पाकिस्तान को पश्चिमी पाकिस्तान कहा जाता था. पाकिस्तान की सेना लगातार बांग्लाभाषियों पर अत्याचार करती थी और धीरे-धीरे इसने एक विकराल रुप धारण किया. इसके बाद पूर्वी पाकिस्तान के लोग वर्तमान पाकिस्तान के खिलाफ सड़कों पर उतर गए. यहां आपस में खूब खूनी संहार हुआ. लाखों लोगों की जान गई और महिलों की इज्जत लूटी गई. इसके बाद भारत ने पड़ोसी होने के नाते अपना बड़ा दिल दिखाते हुए क्रांतिकारियों की मदद की. इसके बाद भारत और पाक में प्रत्यक्ष रूप से मुकाबला हुआ. जहां अंततः पाकिस्तान की हार, हिंदुस्तान की जीत और बांग्लादेश का उदय हुआ. 

शनिवार, 15 दिसंबर 2018

नौकरी का झांसा देकर विदेशी महिला से रेप, फेसबुक से दोस्ती कर भारत बुलाकर दिया वारदात को अंजाम

नौकरी का झांसा देकर विदेशी महिला से रेप, फेसबुक से दोस्ती कर भारत बुलाकर दिया वारदात को अंजाम

फरीदाबाद: जिले में नौकरी का झांसा देकर विदेशी महिला के साथ बलात्कार करने का मामला सामने आया है. पीड़िता ने भागकर गुरुग्राम के थाने में जीरो एफआइआर दर्ज कराई. रेप का आरोप नाइजीरियन युवक पर लगाया गया है।

फेसबुक पर हुई दोस्ती के बाद केन्या से नौकरी के नाम पर भारत बुलाकर महिला के साथ बलात्कार करने की शिकायत थाने में दर्ज कराई गई है. पीड़ित लड़की ने अपनी शिकायत में कहा कि वो केन्या की ही रहने वाली है और फिलहाल वह फरीदाबाद में रहती है. उस महिला से फेसबुक पर पीड़िता की दोस्ती हो गई.

पीड़िता का आरोप है कि फरीदाबाद में रहने वाली महिला ने उसे नौकरी का झांसा देकर फरीदाबाद बुला लिया और उसके बाद वीजा और पासपोर्ट अपने कब्जे में ले लिया. आरोप है कि इस दौरान उसके साथ एक नाइजीरियन युवक ने बलात्कार किया.

पीड़िता का आरोप है कि वो 12 दिसंबर को वहां से भागकर गुरुग्राम अपनी सहेली के पास पहुंची. जहां उसने गुरुग्राम सेक्टर-51 के महिला थाने में शिकायत दी. जिसपर गुरुग्राम पुलिस ने जीरो एफआइआर दर्ज कर फरीदाबाद पुलिस को केस ट्रांसफर कर दिया.


भाजपा की हार पर राजवी ने कहा राजपूतो की नाराजगी की वजह से हारी, राठौड़ ने कहा राजपूत भाजपा के साथ अब भी

भाजपा की हार पर राजवी ने कहा राजपूतो की नाराजगी की वजह से हारी, राठौड़ ने कहा राजपूत भाजपा के साथ अब भी




राजेंद्र राठौड़ जहां निवर्तमान मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खेमे से आते हैं तो वहीं, नरपत सिंह राजवी राजे विरोधी खेमे के विधायक हैं. मौजूदा विधानसभा चुनाव में मिली भाजपा के हार को लेकर नरपत सिंह का कहना है कि भाजपा का राजपूत समाज से जुड़ा हुआ वोटर इस बार भाजपा से दूर हो गया. जिसके चलते भाजपा की ये स्थिति हुई. राजपूत समाज की नाराजगी को लेकर सरकार ने आंख, नाक और कान होने के बावजूद पार्टी को अंधेरे में रखा. वहीं मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खेमे से आने वाले पूर्व संसदीय कार्य मंत्री राजेंद्र राठौड़ की राय इससे अलग है. राठौड़ के अनुसार राजपूत समाज पहले भी भाजपा का था और आज भी भाजपा का ही है. उनके अनुसार कुछ एक विधानसभा सीटों पर समाज की व्यक्तिगत नाराजगी के चलते जरूर इसका असर हुआ होगा लेकिन समाज भाजपा के साथ ही खड़ा है.


पायलट के चलते गुर्जर भाजपा से दूर, लेकिन राजवी और राठौड़ की राय जुदा
विधानसभा चुनाव 2018 में भाजपा का एक भी गुर्जर समाज का प्रत्याशी नहीं जीता लेकिन, भाजपा विधायक राजेंद्र राठौड़ और नरपत सिंह राजवी की राय इस मामले में भी जुदा है. नरपत सिंह राजवी जहां इस बात को स्वीकार करते हैं कि कांग्रेस में सचिन पायलट के कारण गुर्जर समाज के मतदाता पूरी तरीके से कांग्रेस से जुड़ गए. उसका नुकसान भाजपा को हुआ तो वहीं, राजेन्द्र राठौड़ इससे इनकार करते हैं. राजेंद्र राठौड़ का इस मामले में तर्क है कि अब कोई समाज विशेष किसी नेता के पीछे नहीं है और ना ही अब की राजनीति में भैरों सिंह शेखावत जैसे दिग्गज नेता रहे हैं. जिनके रहते राजपूत हमेशा भाजपा के साथ रहा.

राजेंद्र राठौड़ ने सचिन पायलट को हवा हवाई नेता करार दिया. वहीं इस मामले में नरपत सिंह राजवी का कहना है कि जिस तरह स्वर्गीय भैरोंसिंह शेखावत के रहते राजपूत समाज और सतीश चंद्र अग्रवाल के रहते वैश्य समाज के वोटर भाजपा से जुड़े रहे. उसी तरह सचिन पायलट के कांग्रेस में रहने के कारण गुर्जर समाज के वोटर इस चुनाव में कांग्रेस के साथ रहे, जो स्वाभाविक बात है. मतलब इस मामले में भी भाजपा के इन दोनों विधायकों के तर्क अलग अलग हैं.

राजवी की राठौड़ से इसलिए है अदावत
भाजपा के राजपूत समाज से आने वाले इन दोनों ही विधायकों के बीच अदावत आज की नहीं बल्कि, बरसों पुरानी है. वसुंधरा सरकार में भैरों सिंह शेखावत परिवार से ताल्लुक रखने वाले उनके दामाद नरपत सिंह राजवी को ठंडे बस्ते में रखा गया. राजवी को ना सरकार में और ना ही संगठन में जगह मिली. वहीं राजे के करीबी माने जाने वाले राजेंद्र राठौड़ को ना केवल सरकार में कैबीनेट मंत्री बनाया गया बल्कि, हर काम में संगठन ने भी उन्हें पूरी तवज्जो दी.
प्रदेश में जब आनंदपाल मामले में राजपूत समाज भाजपा से दूर हुआ तब भी सरकार ने राजपूत समाज को खुश करने के लिए राजपाल सिंह शेखावत, राजेंद्र सिंह राठौड़ और पुष्पेंद्र सिंह को आगे किया. जबकि राजपूत समाज के दिग्गज स्वर्गीय भैरों सिंह शेखावत के दामाद को तब भी दूर ही रखा गया. उस दौरान भी राजवी ने आगाह किया था कि राजपूत समाज भाजपा सरकार से बेहद नाराज है लेकिन, उनके बयान को तत्कालिक मंत्रियों ने हंसी में उड़ा दी, जिसके चलते राजेंद्र राठौड़ और नरपत सिंह राजवी के बीच लंबे समय से अदावत चल रहीं है.

जयपुर । तीन जगह बम मिलने की सूचना, पुलिस बल हुआ अलर्ट

जयपुर । तीन जगह बम मिलने की सूचना, पुलिस बल हुआ अलर्ट



जयपुर। गुलाबी नगर में आज एक फोन कॉल ने पुलिस की नींद उड़ाकर रख दी. राजधानी के परकोटे के भीतर सांगानेरी गेट, चांदपोल के हनुमान मंदिर और एयरपोर्ट पर बम की सूचना के बाद इलाकों को खाली करवा लिया गया।

दरअसल आज पुलिस कंट्रोल रूम में एक फोन के मुताबिक सांगानेरी गेट, चांदपोल के हनुमान मंदिर और एयरपोर्ट पर बम की सूचना मिली. जिसके बाद पुलिस ने मामले को गंभीरता से लिया. और तुरंत मौके पर जाकर मामले की तह तक जाना चाहा,


बताया जा रहा है कि पुलिस एहतियात के तौर पर इलाके को खाली करा लिया है. पुलिस के तमाम आला अधिकारी मौके पर पहुंच गए है. आपकों बता दे कि 2008 में भी इसी चांदपोल के इसी हनुमान मंदिर के पास बम बिस्फोट की वारदात हो चुकी है।

राजस्थान में मंत्रियों का चयन आसान नहीं होगा अशोक गहलोत और सचिन पायलट के लिए। ये हो सकते हैं संभावित मंत्री। 5 हजार लोगों से एक-एक कर मिले अशोक गहलोत


राजस्थान में मंत्रियों का चयन आसान नहीं होगा अशोक गहलोत और सचिन पायलट के लिए।  ये हो सकते हैं संभावित मंत्री। 5 हजार लोगों से एक-एक कर मिले अशोक गहलोत



===========
अशोक गहलोत मुख्यमंत्री और सचिन पायलट उपमुख्यमंत्री तो बन गए, लेकिन इन दोनों के लिए मंत्रियों का चयन करना आसान नहीं होगा। सीपी जोशी जैसे नेता भी राजस्थान में विधायक बन गए हैं तो केन्द्र सरकार में केबिनेट मंत्री रह चुके हैं। हालांकि संविधान में उपमुख्यमंत्री का कोई पद सृजित नहीं है, लेकिन अब राजस्थान में माना तो यही जाएगा कि सचिन पायलट दूसरे नम्बर के मंत्री होंगे। यानि सीपी जोशी मंत्री बनते हैं तो उनकी गिनती तीसरे नम्बर पर होगी। गहलोत के लिए पायलट के साथ तालमेल बैठाना भी आसान नहीं होगा। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री के बाद सबसे महत्वपूर्ण माने जाने वाले गृह विभाग के प्रमुख पायलट ही होंगे। छह माह बाद मई में होने वाले लोकसभा चुनाव को देखते कांग्रेस को कितनी सफलता मिलती है, यह आने वाला समय बताएगा। जानकारों की माने तो गहलोत भले ही सीएम की कुर्सी पर बैठे हों, लेकिन सरकार में दखल पायलट का ही रहेगा। जो विभाग पायलट के समर्थकों को मिलेंगे उनमें पायलट ही सीएम माने जाएंगे। देखना होगा कि इन सब परिस्थितियों से गहलोत कैसे मुकाबला करते हैं। पायलट के समर्थकों को हमेशा यही पीड़ा रहेगी कि राजनीति में जाजम हमने बिछाई थी उस पर गहलोत आकर बैठ गए।
संभावित मंत्री:
सीएम और डिप्टी सीएम तय होने के बाद अब मंत्रियों की बारी है। माना जा रहा है कि सीएम को लेकर दिल्ली में दो दिन तक जो घमासान हुआ, उसमें मोटे तौर पर मंत्री भी तय हो गए हैं। ये मंत्री गहलोत और पायलट खेमे में बंटे हैं। जानकार सूत्रों के अनुसार सीपी जोशी, बीडी कल्ला, रघु शर्मा, शांति धारीवाल, दीपेन्द्र सिंह शेखावत, प्रताप सिंह खाचरियावास, महेश जोशी, हरीश मीणा, जीआर खटाणा, रमेशचंद मीणा, प्रमोद जैन भाया, अशोक चांदना, भरत सिंह, राजेन्द्र पारीक, गोविंद सिंह डोटासर, बृजेन्द्र ओला, डाॅ. जीतेन्द्र सिंह, कृष्णा पूनिया, मास्टर भंवरलाल शर्मा, विजयपाल मिर्धा, शकंुतला रावत, सालेह मोहम्मद, हरीश च ौधरी, हेमाराम च ौधरी, उमीन खान, जाहिदा, विश्वेन्द्र सिंह, उदयलाल आंजना, राजेन्द्र विधूड़ी  व रामलाल जाट मंत्री बनाए जा सकते हैं। जातीय समीकरण और जिलावर प्रतिनिधित्व देने के लिए सूची में बदलाव भी हो सकता है। बसपा प्रमुख मायावती ने बिना शर्त 6 विधायकों का समर्थन दिया था, इसलिए बसपा के एक या दो विधायक भी मंत्री बन सकते हैं। इसी प्रकार आरएलडी के एक मात्र विधायक डाॅ. सुभाष गर्ग की लाॅटरी भी खुल सकती हैं। डाॅ. गर्ग गहलोत के पिछले कार्यकाल में राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष रहे थे।
5 हजार लोगों से एक-एक कर मिले अशोक गहलोतः
15 दिसम्बर को जयपुर में अपने सरकारी आवास और प्रदेश कांग्रेस के कार्यालय में मनोनीत मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कोई पांच हजार लोगों से एक एक कर मुलाकात की। असल में गहलोत को मुख्यमंत्री बनाए जाने की घोषणा के बाद से हजारों समर्थक गहलोत के घर के बाहर जमा थे। 15 दिसम्बर को सुबह भी बड़ी संख्या में लोग जमा हो गए। लोगों की भीड़ को देखते हुए पायलट स्वयं मुख्य दरवाजे पर आए और एक-एक कर लोगों से मुलाकात की। गहलोत ने अपने समर्थकों के हाथों माला पहनी तथा मोबाइल पर सेल्फी भी खींचवाई। गहलोत ने अपने किसी भी समर्थक को निराशा नहीं किया। गहलोत तब तक लोगों से हाथ मिलाते रहे, जब तक भीड़ खत्म नहीं हुई। बिना सुरक्षा के लोगों से मिलना गहलोत की लोकप्रियता को दर्शाता है। राजनीति में ऐसा कम ही होता है, जब इतने बड़े कद का नेता इतनी बड़ी भीड़ से एक-एक कर मिले। लेकिन लगता है कि गहलोत ने लोगों की भावनाओं के अनुरूप मुलाकात की। हालांकि गहलोत 17 दिसम्बर को तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे, लेकिन 15 दिसम्बर को ही गहलोत ने अपनी जनसेवक की भूमिका का प्रदर्शन कर दिया।
एस.पी.मित्तल) (15-12-18)
नोट: फोटो मेरी वेबसाइट www.spmittal.in
https://play.google.com/store/apps/details? id=com.spmittal
www.facebook.com/SPMittalblog
Blog:- spmittalblogspot.in
M-09829071511 (सिर्फ संवाद के लिए)
===========