भाजपा की हार पर राजवी ने कहा राजपूतो की नाराजगी की वजह से हारी, राठौड़ ने कहा राजपूत भाजपा के साथ अब भी
राजेंद्र राठौड़ जहां निवर्तमान मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खेमे से आते हैं तो वहीं, नरपत सिंह राजवी राजे विरोधी खेमे के विधायक हैं. मौजूदा विधानसभा चुनाव में मिली भाजपा के हार को लेकर नरपत सिंह का कहना है कि भाजपा का राजपूत समाज से जुड़ा हुआ वोटर इस बार भाजपा से दूर हो गया. जिसके चलते भाजपा की ये स्थिति हुई. राजपूत समाज की नाराजगी को लेकर सरकार ने आंख, नाक और कान होने के बावजूद पार्टी को अंधेरे में रखा. वहीं मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खेमे से आने वाले पूर्व संसदीय कार्य मंत्री राजेंद्र राठौड़ की राय इससे अलग है. राठौड़ के अनुसार राजपूत समाज पहले भी भाजपा का था और आज भी भाजपा का ही है. उनके अनुसार कुछ एक विधानसभा सीटों पर समाज की व्यक्तिगत नाराजगी के चलते जरूर इसका असर हुआ होगा लेकिन समाज भाजपा के साथ ही खड़ा है.
पायलट के चलते गुर्जर भाजपा से दूर, लेकिन राजवी और राठौड़ की राय जुदा
विधानसभा चुनाव 2018 में भाजपा का एक भी गुर्जर समाज का प्रत्याशी नहीं जीता लेकिन, भाजपा विधायक राजेंद्र राठौड़ और नरपत सिंह राजवी की राय इस मामले में भी जुदा है. नरपत सिंह राजवी जहां इस बात को स्वीकार करते हैं कि कांग्रेस में सचिन पायलट के कारण गुर्जर समाज के मतदाता पूरी तरीके से कांग्रेस से जुड़ गए. उसका नुकसान भाजपा को हुआ तो वहीं, राजेन्द्र राठौड़ इससे इनकार करते हैं. राजेंद्र राठौड़ का इस मामले में तर्क है कि अब कोई समाज विशेष किसी नेता के पीछे नहीं है और ना ही अब की राजनीति में भैरों सिंह शेखावत जैसे दिग्गज नेता रहे हैं. जिनके रहते राजपूत हमेशा भाजपा के साथ रहा.
राजेंद्र राठौड़ ने सचिन पायलट को हवा हवाई नेता करार दिया. वहीं इस मामले में नरपत सिंह राजवी का कहना है कि जिस तरह स्वर्गीय भैरोंसिंह शेखावत के रहते राजपूत समाज और सतीश चंद्र अग्रवाल के रहते वैश्य समाज के वोटर भाजपा से जुड़े रहे. उसी तरह सचिन पायलट के कांग्रेस में रहने के कारण गुर्जर समाज के वोटर इस चुनाव में कांग्रेस के साथ रहे, जो स्वाभाविक बात है. मतलब इस मामले में भी भाजपा के इन दोनों विधायकों के तर्क अलग अलग हैं.
राजवी की राठौड़ से इसलिए है अदावत
भाजपा के राजपूत समाज से आने वाले इन दोनों ही विधायकों के बीच अदावत आज की नहीं बल्कि, बरसों पुरानी है. वसुंधरा सरकार में भैरों सिंह शेखावत परिवार से ताल्लुक रखने वाले उनके दामाद नरपत सिंह राजवी को ठंडे बस्ते में रखा गया. राजवी को ना सरकार में और ना ही संगठन में जगह मिली. वहीं राजे के करीबी माने जाने वाले राजेंद्र राठौड़ को ना केवल सरकार में कैबीनेट मंत्री बनाया गया बल्कि, हर काम में संगठन ने भी उन्हें पूरी तवज्जो दी.
प्रदेश में जब आनंदपाल मामले में राजपूत समाज भाजपा से दूर हुआ तब भी सरकार ने राजपूत समाज को खुश करने के लिए राजपाल सिंह शेखावत, राजेंद्र सिंह राठौड़ और पुष्पेंद्र सिंह को आगे किया. जबकि राजपूत समाज के दिग्गज स्वर्गीय भैरों सिंह शेखावत के दामाद को तब भी दूर ही रखा गया. उस दौरान भी राजवी ने आगाह किया था कि राजपूत समाज भाजपा सरकार से बेहद नाराज है लेकिन, उनके बयान को तत्कालिक मंत्रियों ने हंसी में उड़ा दी, जिसके चलते राजेंद्र राठौड़ और नरपत सिंह राजवी के बीच लंबे समय से अदावत चल रहीं है.
राजेंद्र राठौड़ जहां निवर्तमान मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खेमे से आते हैं तो वहीं, नरपत सिंह राजवी राजे विरोधी खेमे के विधायक हैं. मौजूदा विधानसभा चुनाव में मिली भाजपा के हार को लेकर नरपत सिंह का कहना है कि भाजपा का राजपूत समाज से जुड़ा हुआ वोटर इस बार भाजपा से दूर हो गया. जिसके चलते भाजपा की ये स्थिति हुई. राजपूत समाज की नाराजगी को लेकर सरकार ने आंख, नाक और कान होने के बावजूद पार्टी को अंधेरे में रखा. वहीं मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खेमे से आने वाले पूर्व संसदीय कार्य मंत्री राजेंद्र राठौड़ की राय इससे अलग है. राठौड़ के अनुसार राजपूत समाज पहले भी भाजपा का था और आज भी भाजपा का ही है. उनके अनुसार कुछ एक विधानसभा सीटों पर समाज की व्यक्तिगत नाराजगी के चलते जरूर इसका असर हुआ होगा लेकिन समाज भाजपा के साथ ही खड़ा है.
पायलट के चलते गुर्जर भाजपा से दूर, लेकिन राजवी और राठौड़ की राय जुदा
विधानसभा चुनाव 2018 में भाजपा का एक भी गुर्जर समाज का प्रत्याशी नहीं जीता लेकिन, भाजपा विधायक राजेंद्र राठौड़ और नरपत सिंह राजवी की राय इस मामले में भी जुदा है. नरपत सिंह राजवी जहां इस बात को स्वीकार करते हैं कि कांग्रेस में सचिन पायलट के कारण गुर्जर समाज के मतदाता पूरी तरीके से कांग्रेस से जुड़ गए. उसका नुकसान भाजपा को हुआ तो वहीं, राजेन्द्र राठौड़ इससे इनकार करते हैं. राजेंद्र राठौड़ का इस मामले में तर्क है कि अब कोई समाज विशेष किसी नेता के पीछे नहीं है और ना ही अब की राजनीति में भैरों सिंह शेखावत जैसे दिग्गज नेता रहे हैं. जिनके रहते राजपूत हमेशा भाजपा के साथ रहा.
राजेंद्र राठौड़ ने सचिन पायलट को हवा हवाई नेता करार दिया. वहीं इस मामले में नरपत सिंह राजवी का कहना है कि जिस तरह स्वर्गीय भैरोंसिंह शेखावत के रहते राजपूत समाज और सतीश चंद्र अग्रवाल के रहते वैश्य समाज के वोटर भाजपा से जुड़े रहे. उसी तरह सचिन पायलट के कांग्रेस में रहने के कारण गुर्जर समाज के वोटर इस चुनाव में कांग्रेस के साथ रहे, जो स्वाभाविक बात है. मतलब इस मामले में भी भाजपा के इन दोनों विधायकों के तर्क अलग अलग हैं.
राजवी की राठौड़ से इसलिए है अदावत
भाजपा के राजपूत समाज से आने वाले इन दोनों ही विधायकों के बीच अदावत आज की नहीं बल्कि, बरसों पुरानी है. वसुंधरा सरकार में भैरों सिंह शेखावत परिवार से ताल्लुक रखने वाले उनके दामाद नरपत सिंह राजवी को ठंडे बस्ते में रखा गया. राजवी को ना सरकार में और ना ही संगठन में जगह मिली. वहीं राजे के करीबी माने जाने वाले राजेंद्र राठौड़ को ना केवल सरकार में कैबीनेट मंत्री बनाया गया बल्कि, हर काम में संगठन ने भी उन्हें पूरी तवज्जो दी.
प्रदेश में जब आनंदपाल मामले में राजपूत समाज भाजपा से दूर हुआ तब भी सरकार ने राजपूत समाज को खुश करने के लिए राजपाल सिंह शेखावत, राजेंद्र सिंह राठौड़ और पुष्पेंद्र सिंह को आगे किया. जबकि राजपूत समाज के दिग्गज स्वर्गीय भैरों सिंह शेखावत के दामाद को तब भी दूर ही रखा गया. उस दौरान भी राजवी ने आगाह किया था कि राजपूत समाज भाजपा सरकार से बेहद नाराज है लेकिन, उनके बयान को तत्कालिक मंत्रियों ने हंसी में उड़ा दी, जिसके चलते राजेंद्र राठौड़ और नरपत सिंह राजवी के बीच लंबे समय से अदावत चल रहीं है.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें