जयपुर। अशोक गहलोत-सचिन पायलट के शपथग्रहण में पहुंची वसुंधरा राजे
जयपुर। राजस्थान में अगले मुख्यमंत्री के रूप में अशोक गहलोत शपथ लेने जा रहे हैं। इसी के साथ वह राज्य के तीसरी बार मुख्यमंत्री बनेंगे। उनके साथ उपमुख्यमंत्री के रूप में सचिन पायलट भी शपथ लेंगे। इस दौरान पूर्व सीएम वसुंधरा राजे भी कार्यक्रम स्थल में पहुंची। समारोह में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह, नवजोत सिंह सिद्धू, जितिन प्रसाद समेत यूपीए के कई दिग्गज मौजूद हैं। जयपुर के ऐतिहासिक अल्बर्ट हॉल में शपथग्रहण का समारोह हो रहा है।
लंबे समय से राजनीति में सक्रिय अशोक गहलोत राजस्थान में काफी लोकप्रिय रहे हैं और उन्हें 'राजनीति का जादूगर' और 'मारवाड़ का गांधी' जैसे उपनामों से भी बुलाया जाता है। साल 2013 के राजस्थान विधानसभा चुनाव और फिर 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद भी अशोक गहलोत ने राज्य में अपनी पार्टी को प्रासंगिक बनाए रखा। राजस्थान में ‘राजनीति का जादूगर’ माने जाने वाले गहलोत ने 2018 के राज्य विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बहुमत के जादुई आंकड़े के करीब लाने में अहम भूमिका निभाई है।
राज्य में तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने वाले अशोक गहलोत चौथे नेता हैं। गहलोत से पहले भैंरोसिंह शेखावत और हरिदेव जोशी ही तीन-तीन बार मुख्यमंत्री बने। हालांकि मोहन लाल सुखाड़िया सबसे अधिक 4 बार इस पद पर रहे। राज्य के नए मुख्यमंत्री के रूप कार्यभार संभालने जा रहे गहलोत 1998 में पहली बार मुख्यमंत्री बने थे।
इंदिरा की मदद से राजनीति में आए अशोक गहलोत
जानकारों का कहना है कि ‘मारवाड़ का गांधी’ माने जाने वाले गहलोत को राजनीति में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी लेकर आई थीं। ऐसा कहा जाता है कि वह पूर्वोत्तर क्षेत्र में शरणार्थियों के बीच अच्छा काम कर रहे थे और इंदिरा उनके काम से काफी प्रभावित थीं। कुछ महीने पहले गुजरात में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के दमदार प्रदर्शन का श्रेय गहलोत को ही दिया जाता है।
पिछले कुछ समय से कांग्रेस के महासचिव (संगठन) का पदभार संभाल रहे गहलोत को जमीनी नेता और अच्छा संगठनकर्ता माना जाता है। मूल रूप से जोधपुर के रहने वाले गहलोत (67 वर्ष) 1998 से 2003 और 2008 से 2013 तक राजस्थान के दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। तीन मई 1951 को जन्मे गहलोत ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1974 में एनएसयूआई के अध्यक्ष के रूप में की थी। वह 1979 तक इस पद पर रहे। गहलोत 1979 से 1982 तक कांग्रेस पार्टी के जोधपुर जिला अध्यक्ष रहे और 1982 में प्रदेश कांग्रेस कमिटी के महासचिव बने। उसी दौरान 1980 में गहलोत सांसद बने।
पांच बार लोकसभा सांसद और कई बार मंत्री भी रहे
गहलोत 1980 से 1999 तक पांच बार 7वीं, 8वीं, 10वीं, 11वीं और 12वीं लोकसभा के लिए भी चुने गए। गहलोत 1999 से जोधपुर के सरदारपुरा विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। वह 11वीं, 12वीं,13वीं और 14वीं राजस्थान विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं।
रादस्थान के युवा चेहरे सचिन पायलट
सचिन राजनीति में ज्यादा पुराने तो नहीं हैं लेकिन युवाओं में काफी पसंद किए जाते हैं। सचिन इस बार टोंक विधानसभा से विधायक चुने गए हैं। इससे पहले वह दो बार सांसद रह चुके हैं। हालांकि, 2014 की 'मोदी लहर' में सचिन लोकसभा चुनाव हार गए थे। सचिन पायलट ने पहली बार 14वीं लोकसभा में दौसा से जीत हासिल की थी। तब वह सबसे कम उम्र के सांसद थे, उस वक्त सचिन की उम्र मात्र 26 वर्ष थी, इसके बाद वह 2009 में अजमेर से लोकसभा सांसद चुने गए और इस बार टोंक से विधायक चुने गए हैं।
इस बार उन्होंने बीजेपी के एकमात्र मुस्लिम कैंडिडेट युनूस खान को 54,179 वोटों के भारी अंतर से हराया है। सचिन पायलट पिछले 5 साल से राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष पद पर काबिज हैं।
राजस्थान में वसुंधरा सरकार के खिलाफ माहौल बनाने और जमीनी स्तर पर पार्टी को मजबूत करने का श्रेय उन्हें ही जाता है। उनके नेतृत्व में ही पार्टी को पिछले चुनाव में 21 से इस बार 99 सीटें मिली है। सचिन पायलट पार्टी के युवा चेहरे हैं और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबी भी हैं। सचिन पायलट के नेतृत्व में पांच साल में जितने भी चुनाव और उपचुनाव हुए सभी कांग्रेस ने जीते।
जयपुर। राजस्थान में अगले मुख्यमंत्री के रूप में अशोक गहलोत शपथ लेने जा रहे हैं। इसी के साथ वह राज्य के तीसरी बार मुख्यमंत्री बनेंगे। उनके साथ उपमुख्यमंत्री के रूप में सचिन पायलट भी शपथ लेंगे। इस दौरान पूर्व सीएम वसुंधरा राजे भी कार्यक्रम स्थल में पहुंची। समारोह में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह, नवजोत सिंह सिद्धू, जितिन प्रसाद समेत यूपीए के कई दिग्गज मौजूद हैं। जयपुर के ऐतिहासिक अल्बर्ट हॉल में शपथग्रहण का समारोह हो रहा है।
लंबे समय से राजनीति में सक्रिय अशोक गहलोत राजस्थान में काफी लोकप्रिय रहे हैं और उन्हें 'राजनीति का जादूगर' और 'मारवाड़ का गांधी' जैसे उपनामों से भी बुलाया जाता है। साल 2013 के राजस्थान विधानसभा चुनाव और फिर 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद भी अशोक गहलोत ने राज्य में अपनी पार्टी को प्रासंगिक बनाए रखा। राजस्थान में ‘राजनीति का जादूगर’ माने जाने वाले गहलोत ने 2018 के राज्य विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बहुमत के जादुई आंकड़े के करीब लाने में अहम भूमिका निभाई है।
राज्य में तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने वाले अशोक गहलोत चौथे नेता हैं। गहलोत से पहले भैंरोसिंह शेखावत और हरिदेव जोशी ही तीन-तीन बार मुख्यमंत्री बने। हालांकि मोहन लाल सुखाड़िया सबसे अधिक 4 बार इस पद पर रहे। राज्य के नए मुख्यमंत्री के रूप कार्यभार संभालने जा रहे गहलोत 1998 में पहली बार मुख्यमंत्री बने थे।
इंदिरा की मदद से राजनीति में आए अशोक गहलोत
जानकारों का कहना है कि ‘मारवाड़ का गांधी’ माने जाने वाले गहलोत को राजनीति में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी लेकर आई थीं। ऐसा कहा जाता है कि वह पूर्वोत्तर क्षेत्र में शरणार्थियों के बीच अच्छा काम कर रहे थे और इंदिरा उनके काम से काफी प्रभावित थीं। कुछ महीने पहले गुजरात में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के दमदार प्रदर्शन का श्रेय गहलोत को ही दिया जाता है।
पिछले कुछ समय से कांग्रेस के महासचिव (संगठन) का पदभार संभाल रहे गहलोत को जमीनी नेता और अच्छा संगठनकर्ता माना जाता है। मूल रूप से जोधपुर के रहने वाले गहलोत (67 वर्ष) 1998 से 2003 और 2008 से 2013 तक राजस्थान के दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। तीन मई 1951 को जन्मे गहलोत ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1974 में एनएसयूआई के अध्यक्ष के रूप में की थी। वह 1979 तक इस पद पर रहे। गहलोत 1979 से 1982 तक कांग्रेस पार्टी के जोधपुर जिला अध्यक्ष रहे और 1982 में प्रदेश कांग्रेस कमिटी के महासचिव बने। उसी दौरान 1980 में गहलोत सांसद बने।
पांच बार लोकसभा सांसद और कई बार मंत्री भी रहे
गहलोत 1980 से 1999 तक पांच बार 7वीं, 8वीं, 10वीं, 11वीं और 12वीं लोकसभा के लिए भी चुने गए। गहलोत 1999 से जोधपुर के सरदारपुरा विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। वह 11वीं, 12वीं,13वीं और 14वीं राजस्थान विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं।
रादस्थान के युवा चेहरे सचिन पायलट
सचिन राजनीति में ज्यादा पुराने तो नहीं हैं लेकिन युवाओं में काफी पसंद किए जाते हैं। सचिन इस बार टोंक विधानसभा से विधायक चुने गए हैं। इससे पहले वह दो बार सांसद रह चुके हैं। हालांकि, 2014 की 'मोदी लहर' में सचिन लोकसभा चुनाव हार गए थे। सचिन पायलट ने पहली बार 14वीं लोकसभा में दौसा से जीत हासिल की थी। तब वह सबसे कम उम्र के सांसद थे, उस वक्त सचिन की उम्र मात्र 26 वर्ष थी, इसके बाद वह 2009 में अजमेर से लोकसभा सांसद चुने गए और इस बार टोंक से विधायक चुने गए हैं।
इस बार उन्होंने बीजेपी के एकमात्र मुस्लिम कैंडिडेट युनूस खान को 54,179 वोटों के भारी अंतर से हराया है। सचिन पायलट पिछले 5 साल से राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष पद पर काबिज हैं।
राजस्थान में वसुंधरा सरकार के खिलाफ माहौल बनाने और जमीनी स्तर पर पार्टी को मजबूत करने का श्रेय उन्हें ही जाता है। उनके नेतृत्व में ही पार्टी को पिछले चुनाव में 21 से इस बार 99 सीटें मिली है। सचिन पायलट पार्टी के युवा चेहरे हैं और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबी भी हैं। सचिन पायलट के नेतृत्व में पांच साल में जितने भी चुनाव और उपचुनाव हुए सभी कांग्रेस ने जीते।
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