शुक्रवार, 24 अगस्त 2018

जैसलमेर स्थापना दिवस पर राजपरिवार ने भाटी को किया सम्मानित


जैसलमेर स्थापना दिवस पर राजपरिवार ने भाटी को किया सम्मानित

रिपोर्ट :- छगनसिंह चौहान / बाड़मेर 

बाड़मेर वरिष्ठ पत्रकार चन्दन सिंह भाटी को जैसलमेर के 863 वें स्थापना दिवस पर आयोजित राजपरिवार के भव्य कार्यक्रम हज़ारो लोगो की उपस्थिति में सम्मानित किया गया। जैसलमेर के मूल निवासी चन्दन सिंह भाटी को उनके द्वारा पत्रकारिता क्षेत्र में दिए जा रहे योगदान को ध्यान में रख विशेष रूप से राजपरिवार द्वारा जेसलमेर स्थापना दिवस पर अखेप्रोल में आयोजित मुख्य कार्यक्रम में महारावल बृजराज सिंह एमहारानी सा राशेश्वरी राज लक्ष्मीएयुवराज चैतन्यराज सिंह की उपस्थिति में मुख्य अतिथि मेजर जनरल ओ पी गुलिया द्वारा सम्मान किया । भाटी को 1986 से लगातार पत्रकारिता के क्षेत्र में दे रहे योगदान के लिए जेसलमेर मूल निवासी होने पर शॉल ओढ़ाकर प्रस्सति पत्र देकर सम्मानित किया।




ये सम्मान बहुत खास है- भाटी
भाटी ने हिंदी साप्ताहिक ब्लिट्ज से पत्रकारिता की शुरुआत करने वाले भाटी ब्लिट्जएदैनिक हिंदुस्तानएदैनिक नवज्योतिएसहित दर्जनों समाचार पत्रों के लिए काम किया। अभी यूनीवार्ता के संवाददाता के रूप में कार्य कर रहे है। भाटी ने बताया कि 28 साल की पत्रकारिता में कई मर्तबा सम्मानित होने का सौभाग्य मिला। मगर जो सम्मान अपने घर मे हमारी आस्था और निष्ठा के प्रतीक राजपरिवार जैसलमेर की और से मिला यह सम्मान उनके लिए उनके लिए बहुत खास है।

बाड़मेर। पत्रकार दुर्गसिंह को मिली जमानत, पत्रकारों में ख़ुशी की लहर

बाड़मेर। पत्रकार दुर्गसिंह को मिली जमानत, पत्रकारों में ख़ुशी की लहर

रिपोर्ट :- छगनसिंह चौहान / बाड़मेर
बाड़मेर। बाड़मेर के वरिष्ठ पत्रकार दुर्गसिंह पुरोहित को जमानत मिल गई है। शुक्रवार को पटना के एससी-एसटी कोर्ट वकीलों ने अपनी दलीलें रखीं, जिसके बाद 3 बजे कोर्ट के प्रभारी न्यायधीश मनोज कुमार सिन्हा ने पांच पांच हजार के दो मुचलके पर उन्हें जमानत दे दी। ये खबर मिलते ही पत्रकारों में खुशी की लहर दौड़ गई। यही नहीं पत्रकार दुर्गसिंह राजपुरोहित की जमानत बाड़मेर के पत्रकारों ने शहर के ह्दय स्थल अहिंसा सर्किल पर खुशी में पटाखे फोड़कर ओर मिठाई खिलाकर एक दूसरे को को बधाई दी।



इस दौरान पत्रकार कन्हैयालाल डलोरा, लाखाराम जाखड़, मुकेश मथरानी, प्रह्लाद प्रजापत, सुशीला दईया, प्रवीण बोथरा, जसवंतसिंह चौहान, अक्षयदान भादरेश, आनंद आचार्य, सुरेश जाटोल, हरीश चंडक, चंदनसिंह चंदन, प्रेम परिहार भैराराम जाट जसराज दईया, बाबू शेख, शाहिद हुसैन,छगनसिंह चौहान , राजेन्द्र लहुआ, मनमोहन सेजू, रितेश लखारा, कालू माली , अशोक दईया,ठाकराराम मेघवाल सहित कई पत्रकार के साथ अन्य लोगो भी सेकड़ो की संख्या में मौजूद रहे।




गौरतलब है की दुर्गसिंह राजपुरोहित के खिलाफ पटना के एससी-एसटी कोर्ट में 31 मई को पटना कोर्ट में मामला दर्ज हुआ था। चूंकि मामला एससी-एसटी एक्ट के तहत कराया गया है, इसलिए इसमें छानबीन की कोई जरूरत महसूस नहीं की गई और पुलिस को अरेस्ट वारंट मिलते ही सीधे पत्रकार दुर्गसिह को पुलिस ने 19 अगस्त को गिरफ्तार कर पटना भेजा गया. आज पटना के एससी-एसटी कोर्ट के प्रभारी न्यायधीश मनोज कुमार सिन्हा ने पांच पांच हजार के दो मुचलके पर उन्हें जमानत दे दी.




पटना जोन के आईजी करेंगे मामले की जाँच
पत्रकार दुर्ग सिंह राजपुरोहित के खिलाफ पटना में एससी-एसटी एक्ट के तहत मुकदमा और गिरफ्तारी के मामले को लेकर कई तरह के सवाल उठने के बाद सीएम नीतीश कुमार ने उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं. नीतीश कुमार ने पटना जोन के आईजी नैय्यर हसनैन खान को पूरे मामले की तह तक जाकर रिपोर्ट देने को कहा है.

गुरुवार, 23 अगस्त 2018

आदिशक्ति फाउंडेशन की अध्यक्षा एवं वरिष्ठ पत्रकार को किया गया सम्मानित

आदिशक्ति फाउंडेशन की अध्यक्षा एवं वरिष्ठ पत्रकार को किया गया सम्मानित


लखनऊ में संम्पन हुए लोकगीत,शास्त्रीय नृत्य एवं सम्मान समारोह में आदिशक्ति फाउंडेशन की अध्यक्षा, वरिष्ठ पत्रकार व समाजसेवी श्रीमती सुषमा सिंह पंवार को जीवन जाग्रति जन कल्याण समिति द्वारा स्मृति चिन्ह व पुष्प गुच्छ देकर सम्मानित किया गया। आदिशक्ति फाउंडेशन द्वारा महिला सशक्तिकरण व जनकल्याण जैसे कार्य किये जा रहें हैं। तकरीबन छः हज़ार महिलाओं को अपने साथ लेकर चलने वाले इस फाउंडेशन के कार्य सराहनीय हैं। सम्मान समारोह के चयनित नामों में आदिशक्ति फाउंडेशन की राष्ट्रीय महा-सचिव श्रीमती रागिनी पांडेय जी और फाउंडर श्री हरि प्रकाश पांडेय जी के नाम भी शामिल रहे जिन्हें मंच पर स्मृति चिन्ह व पुष्प गुच्छ से सम्मनित किया गया।

बुधवार, 22 अगस्त 2018

जैसलमेर स्थापना दिवस पर भाटी होंगे सम्मानित

जैसलमेर स्थापना दिवस पर भाटी होंगे सम्मानित


रिपोर्ट :- छगनसिंह चौहान /बाड़मेर 


बाड़मेर वरिष्ठ पत्रकार चन्दन सिंह भाटी को जैसलमेर स्थापना दिवस पर आयोजित होने वाले राजपरिवार के भव्य कार्यक्रम में राजमाता द्वारा सम्मानित किया जाएगा। जैसलमेर के मूल निवासी चन्दन सिंह भाटी को उनके द्वारा पत्रकारिता क्षेत्र में दिए जा रहे योगदान को ध्यान में रख विशेष रूप से राजपरिवार द्वारा जॉसलमेर स्थापना दिवस पर आयोजित होने वाले मुख्य कार्यक्रम में महारावल बृजराज सिंह ,युवराज चैतन्यराज सिंह की उपस्थिति में सम्मान किया जाएगा। भाटी विगत 1986 से लगातार पत्रकारिता के क्षेत्र में अपना योगदान दे रहे है हिंदी साप्ताहिक ब्लिट्ज से पत्रकारिता की शुरुआत करने वाले भाटी ब्लिट्ज,दैनिक हिंदुस्तान,दैनिक नवज्योति,सहित दर्जनों समाचार पत्रों के लिए काम किया। अभी यूनीवार्ता के संवाददाता के रूप में कार्य कर रहे है। भाटी ने बताया कि जेसलमेर राजपरिवार द्वारा दिया जा रहा यह सम्मान उनके लिए खास मायने रखता हैं।


विशेष आलेख बाड़मेर न्यूज़ ट्रैक । । जैसलमेर के रियासत कालीन सिक्के, अखेशाही सर्वाधिके लोकप्रिय रहा

विशेष आलेख बाड़मेर न्यूज़ ट्रैक । । जैसलमेर के रियासत कालीन सिक्के, अखेशाही सर्वाधिके लोकप्रिय रहा


@ चंदनसिंह भाटी 
जैसलमेर प्राचीन काल में जब मुद्राऐं प्रचलन में नहीं थी तब वस्तु विनिमय बारटर सिस्टम द्घारा व्यापार किया जाता था।इस तरह के व्यापार में कई प्रकार की समस्याऐं आती थी जैसे पाुओं का बंटवारा नही हो सकता था,जमीन को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना सम्भन नहीं था आदि।व्यापार में आने वाली इन समस्याओं से निजात पाने के लिऐ मुद्रा का प्रचलन भाुरू हुआ।ये मुद्राऐं रियासत कालीन भारत में अलग अलग राज्यों की अलग अलग होती थी।रियासतकालीन भारत में कागजी मुद्रा का चलन नहीं कें बराबर था,मुख्यत मुद्राऐं सोने चान्दी व ताम्बे की बनाई जाती थी यहां तक की एक राज में तो चमडे की मुद्रा अर्थात
चमडे के सिक्के भी चलायें गय जो कि वर्तमान में दुर्लभ हैं।जैसलमेर के गोपा चौक स्थित स्वर्ण व्यवसायी मदन लायचा के पास जैसलमेर के रियासतकालीन सिक्को का बेजोड़ संग्रह हें ,इस बेजोड़ संग्रह के चलते उन्हें छबीस जनवरी को जिला द्वारा भी किया .







इसी प्रकार रियासत काल में जैसलमेर रियासत की भी अपनी स्वतंत्र मुद्रा प्रचलन में थी जिसे महारावल सबलसिंह द्घारा सन 1659 में जारी किया गया यह मुद्रा डोडिया पैसा के नाम से जानी जाती थी।इस पर किसी भी प्रकार का राजचिन्ह या लेख नहीं होता था,यह ताम्बे की पतली चदर को छोटे छोटे असमान टुकडों में काट कर बनी होती थी तथा इस पर आडी टेडी समान्तर रेखाऐं व कहीं कहींये रेखाऐं आयात का रूप लेती हुई व उनके मध्य बिन्दु होता था।इनकी इकाई एक तथा आाधा डोडिया होती थी,एक डोडिये का वजन सवा दौ सौ ग्राम होंता था व आधे डोडीऐ का वजन सवा ग्राम होता था। उस काल में डोीऐ का प्रचलन बहुत थाक्योंकि वस्तुऐं बहुत कम ही मुल्य में उपलब्ध हो जाती थी।उस काल में कुछ वस्तुऐं डोयिें की डो सेर भी आती थी।इसिलिऐ इसका सामान्यजन में बहुतायात में प्रचलन होता था।डोडिऐ का प्रचलन जैसलमेर रियासत में के स्वतंत्र भारत में विलय तीस मार्च 1949 कें पचात भी काफी समय तक निर्बाध रूप से चलता रहा।सन 1947 में एक पैसा में दस डोडिया आते थे।डोडिऐ पैसे के बाद इससें बडी ताम्बे की मुद्रा ब्बू पैया होती थी।एक ब्बू पैसा में बीस डोऐिं पैसे होते थे। तथा इनका नाम ब्बू इनके भारी वनज के कारण पडा।इनका वजन 15 से 18 ग्राम के लगभग होता था।तथा इसें जैसलमेर टकसाल में नहीं छापा जाकर इसे जोधपुर टकसाल में छपवाया जाता था।जोधपुर के अलावा भी बीकानेर और भावलपुर रियासत में ब्बू पैसे प्रचलन में थे। आज भी कई घरों में काफी मात्रा में मिल जाऐंगें।





जैसलमेर रियासत का चान्दी का रूपया सर्वप्रथम महारावल अखैसिंह (1722..61)द्घारा सन 1756 में मुद्रित कराना आरम्भ किया था इसिलिऐ जैसलमेर की रजत मुद्रा को अखौाही नाम दिया गया।महारावल अखेसिह ने सिक्के छापने का कार्य करने वाले विोशज्ञ बाडमेर के जसोल (लोछिवाल) से नाथानी लायचा गोत्र के सोनी परिवार को जैसलमेर रियासत में ससम्मान निमन्ति्रत किया ताकि सिक्कों में निखार आ सके।महारावल नें उन्हे वांनुगत टकसाल का दरोगा भी बनाया गया तथा उन्हें रियासत की तमाम सुविधाऐं भी उपलब्ध कराई।यह परिवार आज भी जैसलमेर के परम्परागत आभूशण बनानें में जुटें हैं। 


अखौाही सिक्के उस समय की मोहम्मद शाही सिक्कों का ही प्रतिरूप थें मगर उस पर जैसलमेरी रियासत की पहचान के लिऐ चिन्ह (22)बाईस फारसी में () इस रियासत की पहचान रूप था ।क्योंकि महारावल अखैसिह ने राजगद्धी 1722 में सम्भाली थी ,ये मोहम्मद भाही सिक्के बादाशाह की बिना आज्ञा के छापे गये थे। महारावल अखैसिह की मृत्यु के पचात उनके उत्तराधिकारी महारावल मूलराज (1761..1819)द्घारा बादाह से नियमित टकसाल स्थापित करने की आज्ञा लेकर जैसलमेर रियासत की टकसाल में स्वतंत्र रूप से सिक्के छापने आरम्भ किये गयें।

चान्दी के अखौाही में एक रूपया,आठ आनी,चार आनी,दो आनी,मुल्य के सिक्के चलन में थे।इनका वनज क्रमा 10,50 से 1160 ग्राम ,5,35 से 5,80 ग्राम 2,68 से 2,90 ग्राम,1,34 से 1,45 ग्राम होता था व भाुद्धता 95 से 96 प्रतित तक होती थी। उसी दौरान सोने की मुहर भी छपी गई एक मुहर ,आधी मुहर ,चौथाई मुहर और 1/8 मुहर उस समय 1 मुहर 15 चांदी के अखेशाही आते थे तथा 1 अखेशाही में दो तोला चांदी आती थी .उस समय अखेशाही मुग़ल बादशाह के नाम से ही छपे गए उनमे विद्यमान आलेख ,राज्यारोहन सन आदी का यथावाचत ही रखा तथा लिपि फारसी ही रखी गई जो निम्न प्रकार से थी ...एक और


*----सिक्का मुबारक साहिब*


किसन सानी मोहम्मद शाह गाजी 1153




दूसरी और सनह 22 जुलुस मेम्नात मानूस जरब सियासत जैसलमेर इसी पटल पर टकसाल दरोगा का निशाँ होता था .इसके बाद विभिन समय समय जिन जिन महारावालों ने जैसलमेर रियासत के सिक्के छपवाए उन्होंने अपने समय की पहचान के लिए चिन्ह डाले जिससे पता चल सके की यह सिक्का किस महारावल के काल का हें ,जैसे मूलराज ,गज सिंह ,रणजीत सिंह ,बेरिशाल सिंह ने अपने अपने पहचान चिन्ह सिक्को में डाले .




इसके बाद सन 1860 में महारावल रणजीत सिंह के समय चंडी के सिक्को पर से मुग़ल बादशाह के नाम हटा कर महारानी विक्टोरिया का नाम छपा जाने लगा तथा इसी समय सिक्कों पर जैसलमेर के राज् चिन्ह के रूप में छत्र और चिड़िया को भी एक और अंकित किया गया .इस नई मुद्रा में भी रुपया ,आठ आना ,चार आणि ,दो आणि और सोने की मोहर जारी की गई थी ,जो की वजन व् आकर में पूर्ववर्ती सिक्कों की भांति ही थी ,स्वतंत्र भारत की मुद्रा आने तक इनका प्रचालन जारी रहा




*नज़राना सिक्कें* ------जैसलमेर रियासत के महारावालो ने समय समय पर नज़राना सिक्कें भी चलाये जो की वजन से सामान्य सिक्कों से अधिक वजन में थे व् साईज में भी बड़े थे ,नज़रानी सिक्कें गोल ,चौरस व् अष्ट पहलू में चलाये गए तथा इनका वज़न सवा रुपया ,14-15 ग्राम ,डेड रुपया पौने दो रुपया व् दो रूपया यह सोने व् चांदी दोनों धातुओ में निकाले गए थे .


*पुष्ठा मुद्रा*------द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 1939 में तोपों में व् युद्ध सामग्री के लिए काफी मात्र में चंडी और ताम्बे के सिक्कों को गलाया गया था .उन्हें ब्रिटेन ले जाने की वजह से छोटी मुद्राओ का संकट आ गया .इससे निजात पाने के लिए महारावल जवाहर सिंह 1914-48 के समय पुट्ठा मुद्रा का चलन जनता में किया गया ,जिसे जनता ने भी स्वीकार .यह मुद्रा स्वतंत्र भारत की नई मुद्रा आने तक प्रचाल;अन में रही .इस प्रकार भी संग्रहकर्ताओं का आकर्षण रियासत कालीन मोहम्मद शाही ,अखेशाही की तरफ अधिक रहता हें .इस प्रकार स्थानीय शासको द्वारा समय समय पर अपनी जनता की आवश्यकताओ की पूर्ति के लिए कई प्रतिबंधो के बावजूद भी अपनी रियासत की जनता के हित को सर्वोपरि मानते हुए स्वतंत्र मुद्रा अखेशाही के प्रकार से स्थानीय प्रजा को अपने शासको को पूर्ण अधिकार एवं स्वयं भू होने का तो विश्वास प्राप्त हुआ ही प्रतिदिन लें दें एवं व्यापर में भी आसानी हो गई .जैसलमेर के निवासी ब्रिटिश चांदी के कलदार या अन्य पडौसी राज्यों की चांदी की मुद्रा की अपेक्षा स्थानीय अखेशाही में ही लेनदेन को प्राथमिकता देते थे ,स्थानीय जनता की यह भावना अपने राज्य की स्वतंत्र मुद्रा में विशवास का प्रतिक थी ,स्वतंत्र भारत में जैसलमेर रियासत के विलय दिनांक तीस मार्च 1949 के पश्चात भी लोगों की पहली पसंद रही तथा आज भी जारी हें ,धन तेरस और दीवाली को आज भी जैसलमेर के लोग अखेशाही सिक्के या मुद्रा लेना प्राथमिकता से पसंद करते हें

बालोतरा। मालाणी प्रेस क्लब ने वरिष्ठ पत्रकार दुर्गसिंह राजपुरोहित की गिरफ्तारी की निंदा, जल्द रिहा करने की मांग

बालोतरा। मालाणी प्रेस क्लब ने वरिष्ठ पत्रकार दुर्गसिंह राजपुरोहित की गिरफ्तारी की निंदा, जल्द रिहा करने की मांग

रिपोर्ट :- ओमप्रकाश सोनी / बालोतरा 

बालोतरा। मालाणी प्रेस क्लब सेवा संस्थान ने पत्रकार दुर्गसिंह राजपुरोहित की गिरफ्तारी को लेकर पेंशनर समाज कार्यालय में बैठक आयोजित कर निंदा की गई। अध्यक्ष जैसलसिंह खारवाल ने बताया की जो व्यक्ति कभी बिहार गया हीं नहीं और न परिवादी कभी बाड़मेर आया, यह सब कुछ जाहिर होते हुए भी बेवजह बिना सबूतों के लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हमला करने की साजिश रची गई है। निर्दोश पत्रकार दुर्गसिंह राजपुरोहित पर झूठा मुकदमा कर फंसाने की साजिश एक राजनीतिक षंडयंत्र है जिसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। सर्व समाज की समस्याओं को उजागर करने वाले मीडिया के लोगों को फंसाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। इस मौके पर कई समाजसेवी व बुद्धिजीवी संगठनों ने भी मीडिया के लोगों पर लगातार हो रहे झूठे मुकदमों की कठोर शब्दों में घोर निंदा की है। उन्होंने राजस्थान व बिहार सरकार से हस्तक्षेप कर राजपुरोहित को जल्द रिहा करने की भी मांग की है। 




इस अवसर पर शंकरलाल सलुंदिया, गुलाराम चंदाणी, शिक्षाविद् मोहनलाल गहलोत, मोतीलाल सैनी, इश्वरसिंह इंदा, अनिल वैष्णव, जितेंद्र खारवाल, सदाशिव सलुंदिया, ओमप्रकाश सोनी, सवाई सैन, जितेंद्र दवे, कैलाशपुरी गोस्वामी, भगाराम पंवार, शंकरलाल कच्छवाह, प्रवीण माली, मोहित दवे सहित कई प्रबुद्धजनों ने ऐसी घटनाओं पर विरोध जताया।



बाड़मेर। जीते जी बाप को किया चुप, मरने के बाद करते है धूप : साध्वी सुरंजना

बाड़मेर। जीते जी बाप को किया चुप, मरने के बाद करते है धूप : साध्वी सुरंजना


रिपोर्ट :- चन्द्रप्रकाश बी. छाजेड़ / बाड़मेर 


बाड़मेर। पहले के लोग संयुक्त कर्म नही बांधते थे लेकिन संयुक्त रहते थे लेकिन अब लोग संयुक्त कर्म बांधते है और रहते एकाकी है। सुख जाते देरी नही लगती है तो दुःख जाते भी समय नही लगेगा। जों बेटे जीते जी बाप को चुप कराते है वो मरने के बाद उसी बाप को धूप करते है। यह उद्बोधन साध्वी सुरंजनाश्री महाराज ने चातुर्मासिक प्रवचनमाला के दौरान स्थानीय जैन न्याति नोहरा में उपस्थित जनसमुदाय को दिया। 



साध्वीश्री कहा कि वंदितु सूत्र की आधारशीला से ये हमारे जीवन की दूरबीन है। वंदितुसूत्र के द्वारा हम अपने जीवन को पापों का तापमान मानने के लिए एक थर्मामीटर है। वंदितु सूत्र के द्वारा आत्मशुद्धि के लिए विशेष शुद्धि का वॉशिंग पाउडर या वॉशिंग मशीन भी कह सकते है। ये वंदितु सूत्र कही आगमों का खजाना है। यह वंदितु सूत्र कही महापुरूषों की घटित घटनाओं से संबंधित है। इस वंदितु सूत्र की एक-एक गाथे का एक-एक उदाहरण दस-बीस पेज से यह व्याप्त है। इस वंदितु सूत्र का एक भी उदाहरण हमारे जीवन को स्पर्श करे तो हमारा जीवन सार्थक हो जाता है। कहीं महापुरूषों ने इस वंदितु सूत्र के जरिए अपना जीवन बदला लेकिन हम अपने जीवन में परिवर्तन क्यों नही कर पाये। पापों से भयभीत क्यों नही हो पाये। हम दीर्घ दृष्टि बनकर सोचे की लुटेरा लूटकर भी क्या लूटेगा, हमारा धन, सम्पति, शरीर लेकिन अठारह पापस्थानक रूपी लूटेरे हमारे भवोभव की पुण्याई की सम्पति लूट लेगें। पाप करते समय अफसोस नही होता है, अफसोस तब होता है जब वो पाप प्लवित होकर होकर हमारे समक्ष आकर खड़ा होगा तब हमारे रोंगटे खड़े जायेगें। राग का त्याग करे त्याग का राग न करे। दुनिया में ऐसा कोई व्यक्ति नही है जो कर्मों का मारा न हो।



खरतरगच्छ चातुर्मास समिति, बाड़मेर के मिडिया प्रभारी चन्द्रप्रकाश छाजेड़ ने जानकारी देते हुए बताया कि बुधवार को प्रातः 11.30 बजे सौभाग्य तप की महिलाओं द्वारा तप की पूर्णाहूति निमित प.पू. गुरूमैया श्री सुरंजनाश्री महाराज की निश्रा में स्थानीय जैन न्याति नोहरा में पाश्र्व-पदमावती महापूजन का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम में आचार्य कविन्द्रसागरसूरि महाराज के शिष्य कल्पतरूसागर महाराज ने उपस्थिति प्रदान की। महापूजन पार्श्वनाथ भगवान व पदमावती माता की प्रतिमा के समक्ष का विभिन्न मंत्रोच्चार के माध्यम से आह्वान किया गया तथा जल, चंदन, पुष्प, धूप, दीप, अक्षत, नैवेद्य, फल आदि के माध्यम से पूजन किया गया। पूजन में विधिकारक उदय गुरूजी व संगीतकार गौरव मालू एण्ड द्वारा भजनों की प्रस्तुतियां दी गई।




बाड़मेर। जातरूओं को सुकुन मिले इससे बडी कोई सेवा नही-मानवेन्द्रसिंह

बाड़मेर। जातरूओं को सुकुन मिले इससे बडी कोई सेवा नही-मानवेन्द्रसिंह


रामदेवरा पैदल जातरूओं के लिए राम रसोड़े का श्रीगणेश 


बाड़मेर । रामदेवरा पैदल जाने वाले यात्रियो के लिए खाने,स्वास्थ्य,विश्राम आदि सेवार्थ राम रसोडा का षुभारम्भ बुधवार को प्रातः11 बजे महन्त नारायणपुरी महाराज,राज्यमंत्री असरफ अली,शिव विधायक मानवेन्द्रसिंह जसोल ने फीता काटकर व बाबा रामदेव के तस्वीर के आगे दीप प्रज्वलित कर किया गया। शिव विधायक मानवेन्द्रसिंह ने चौहटन रोड स्थित होटल न्यूज क्लब के पास बुधवार को बाबा रामदेव राम रसोडा के शुभारम्भ के दौरान कहा कि पैदल जाने वाले यात्रियों को हम कुछ पल को सुकुन दे सकें,इससे बेहतर कोई मानव सेवा नही हो सकती।उन्होंने 
ने कहा कि बाबा रामदेव जन-जन की आस्था का केन्द्र है प्रतिवर्श लाखो श्रद्धालु पैदल बाबा के दरबार में हाजरी लगाते है। उन्होने कहा कि थके हारे पैदल यात्री की सेवा में जो सुकुन मिलता है वो कही ओर नही मिल सकता। 








राज्यमंत्री असरफ अली ने कहा कि थके व्यक्ति को सुकुन के कुछ पल देने से बेहतर कोई सेवा नही है। उन्होने ने कहा कि खुदा ओर राम का मकसद एक ही है मानव मात्र की सेवा। समाजसेवी बाबूसिंह उण्डखा ने बताया कि राम रसोडा मुख्य मार्ग पर होने से जातरूओं को ठहरने में सुविधा हो,इसलिए राम रसोडा खोला गया है। उन्होने कहा कि रसोड़े में खाने के साथ रात को ठहरने,स्वास्थ्य सम्बन्धित प्राथमिक उपचार की व्यवस्था की गई है। 

झाला ने बताया कि मेले तक रसोडे का संचालन किया जायेगा। उन्होने कहा कि बाबा रामदेवरा जाने के लिए गुजरात से हजारो पैदल यात्री इस मार्ग से गुजरते है,उन्हे यहां सारी सुविधाएं उपलब्ध कराने का प्रयास किया जायेगा। कार्यक्रम के अन्त में राम रसोड़े के संयोजक लूणसिंह झाला ने सभी का आभार जताते हुए कहा कि राम रसोडे को लेकर सारी व्यवस्थाएं की गई। पैदल जातरूओं को किसी तरह की परेषानी नही हो इसके लिए सारी बातो का ख्याल रखा गया है। 

इस अवसर पर विरात्रा माता धमार्थ ट्रस्ट अध्यक्ष सगतसिंह परो,वरिश्ठ भाजपा नेता अम्बालाल अलबेला, समाजसेवी,गोपसिंह मारूडी,मोहनसिंह राजपुरोहित,लूणसिंह झाला,द्वारकादास डोसी,तनसिंह महाबार, अयूबखान,देरावरसिंह, स्वरूपसिंह मारूडी,रामसिंह भंवरिया,अषोक बोहरा,भगसिंह सोलंकी, भैरूलाल श्रीश्रीमाल तेजमालता,माधोसिंह राजपुरोहित,सहित सैकडो लोग उपस्थित थे।

बाड़मेर। पत्रकार दुर्गसिंह को न्याय मिलने तक काली पट्टी बांधकर बाड़मेर के पत्रकार करेंगे विरोध-प्रदर्शन

बाड़मेर। पत्रकार दुर्गसिंह को न्याय मिलने तक काली पट्टी बांधकर बाड़मेर के पत्रकार करेंगे विरोध-प्रदर्शन



राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व सीएम के नाम सौंपा ज्ञापन


बाड़मेर- बिहार के कोर्ट द्वारा जारी वारंट पर बाड़मेर के वरिष्ठ पत्रकार दुर्गसिंह राजपुरोहित की गिरफ्तारी के बाद बाड़मेर सहित प्रदेश भर के पत्रकारों में रोष व्याप्त है। वहीं मामले को लेकर आज बुधवार को बाड़मेर की प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के समस्त पत्रकारों ने डाक बंगले स्थित बैठक बुलाकर पत्रकार के साथ हुए अन्याय की निंदा की व मामले को लेकर आगे के विरोध प्रदर्शन के बारे में चर्चा की। जिसके बाद पत्रकारों ने काली पट्टी बांधकर अपना विरोध व्यक्त किया। वहीं पत्रकारों ने कहा कि जब तक दुर्गसिंह को न्याय नहीं मिल जाता तब तक पत्रकारों का काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा। वहीं मामले को लेकर बाड़मेर जिले के पत्रकारों ने डाक बंगले से शांतिपूर्वक तरीके से रैली निकालकर बाड़मेर एडीएम राकेश कुमार को राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व सूबे की मुखिया वसुंधरा राजे के नाम ज्ञापन सौंपकर पटना में दुर्गसिंह व उसके परिजनों को सुरक्षा दिलवाने, मामले की सीबीआई जांच करवाने, मामले को षडयंत्र पूर्वक बनाने वालों कब पर्दाफ़ाश करने व दुर्गसिंह को ससम्मान रिहा करने की मांग की।




पत्रकारों ने ज्ञापन में बताया कि परिवादी राकेश पासवान ने पटना के कोर्ट में अपने परिवाद में जिन तारीखों का उल्लेख किया है। उन दिनों दुर्गसिंह राजपुरोहित बाड़मेर में ही मौजूद थे, जिसके कई प्रमाण भी मौजूद है। वहीं पत्रकार पर झूठे मुकदमे का पटना की मीडिया ने पर्दाफाश भी किया है। उन्होंने जल्द से जल्द दुर्गसिंह की रिहाई के साथ मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।




इस दौरान वरिष्ठ पत्रकार शंकरलाल गोली, पवन जोशी, शिवप्रकाश सोनी, कन्हैयालाल डलोरा, राजू चारण, लाखाराम जाखड़, मुकेश मथरानी, प्रेमदान देथा, भूपेश आचार्य, प्रेम परिहार, दिनेश बोहरा, सुरेश जाटोल, प्रह्लाद प्रजापत, सुशीला दईया, प्रवीण बोथरा, जसवंतसिंह चौहान, अक्षयदान भादरेश, आनंद आचार्य, हरीश चंडक, तरुण मुखी, पप्पू बृजवाल, लव जांगिड, चंदनसिंह चंदन, इंद्र बारूपाल, भैराराम जाट, नरपत रामावत, जसराज दईया, बाबू शेख, शाहिद हुसैन, राजेन्द्र लहुआ, मनमोहन सेजू, रितेश लखारा, छगनसिंह, अश्वनी रामावत, प्रकाश खत्री, अशोक दईया, कपिल मालू, विपिन भंसाली, संजय जैन सहित कई पत्रकार मौजूद रहे।

मंगलवार, 21 अगस्त 2018

बाड़मेर। प्रजातंत्र में स्वतंत्र पत्रकारिता अनिवार्य - कर्नल मानवेन्द्र सिंह


बाड़मेर। प्रजातंत्र में स्वतंत्र पत्रकारिता अनिवार्य - कर्नल मानवेन्द्र सिंह 


बाड़मेर। पूर्व सांसद ,शिव विधायक कर्नल मानवेन्द्र सिंह ने पत्रकार दुर्गसिंह राजपुरोहित की गिरफ्तारी के मामले में बड़ा बयान देते हुए कहा कि पत्रकार दुर्गसिंह की गिरफ्तारी बड़ी साजिश का हिस्सा है और यह सविंधान के चौथे स्तम्भ पर हमला है। राजनैतिक दबाव और संवैधानिक पद का दुरुपयोग करके दुर्गसिंह को फँसाया जा रहा हे। प्रजातंत्र के लिए ये शर्मनाक घटना है। कर्नल मानवेन्द्र सिंह ने कहा कि उनकी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बिहार सरकार के आला अधिकारियों से बात हुई है। इस मामले पत्रकार दुर्गसिंह को न्याय जरूर मिलेगा।




उन्होंने कहा कि पत्रकार दुर्गसिंह की लेखनी की वजह से मुझे भी दुःख हुआ है लेकिन इसका मतलब नही होता कि इस तरह किसी की गिरफ्तारी की जाए। पत्रकार दुर्गसिंह ने अपनी लेखनी से मेरे बारे अनेकों में भी टिप्पणियां लिखी हैं और आगे भी लिखेगा क्योंकि उसका अधिकार है। में उसकी स्वतंत्रता के पक्ष में उसके साथ खड़ा हूँ। प्रजातंत्र में स्वतंत्र पत्रकारिता अनिवार्य है। जब तक पत्रकारों को लिखने की आजादी प्राप्त नहीं होगी तब तक हम सशक्त प्रजातंत्र का निर्माण नहीं कर सकते है। 



गौरतलब है कि बिहार के पटना के राकेश ने 31 मई को कोर्ट में दुर्गेश के खिलाफ परिवाद 261/18 दायर किया था। इसमें आरोप लगाया कि दुर्गेश उसे 6 माह पहले मजदूरी कराने बाड़मेर ले गया। पत्थर खनन करवाया पर पैसे नहीं दिए। अप्रैल के पहले हफ्ते में पिता की तबीयत खराब हुई तो घर लौट आया। 15 अप्रैल को दुर्गेश पटना आया और बाड़मेर जाने को कहा। मनाही पर धमकाने लगा। 7 मई को फिर चार लोगाें के साथ दीघा पहुंचा। सड़क पर जूता से पीटने लगा और गाली बकने लगा। इसी बीच संजय और के अलावा 8-10 लोग आ गए। दुर्गेश और अन्य बोलेरो से भाग गए। 2 जून को कोर्ट में राकेश का बयान हुआ। इसी बात पर कोर्ट ने 9 जुलाई को दुर्गेश की गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया और पटना पुलिस को सौंप दिया।

शनिवार, 18 अगस्त 2018

केरल में ‘मौत’ की बाढ़: पीएम मोदी ने किया बाढ़ प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वे, किया 500 करोड़ मदद का ऐलान


केरल में ‘मौत’ की बाढ़: पीएम मोदी ने किया बाढ़ प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वे, किया 500 करोड़ मदद का ऐलान




तिरुवनंतपुरम/नई दिल्‍ली: केरल में आई बाढ़ ने सारे रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए हैं। भयंकर बारिश और बाढ़ ने अबतक 324 लोगों की जान ले ली है। अकेले गुरुवार को 106 लोगों की मौत हो गई। राज्य के कई हिस्से जलमग्न हैं जबकि लाखों लोग राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं। इन सबके बीच शुक्रवार देर रात केरल पहुंचे, आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया. इससे पहले उन्होंने मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन से मुलाकात की. बैठक के बाद पीएम मोदी ने तत्काल मदद के रूप में 500 करोड़ रुपये देने का ऐलान किया है।

पीएम मोदी ने बाढ़ और बारिश के कारण केरल में मारे गए लोगों के परिजनों को दो-दो लाख रुपये और गंभीर घायलों को 50-50 हजार रुपये के मुआवजे की घोषणा की है. यह मुआवजा प्रधानमंत्री राष्‍ट्रीय आपदा राहत कोष से दिया जाएगा. बाढ़ के कारण शुक्रवार को एक ही दिन में 106 लोगों की मौत के बीच राज्य में ऑक्सीजन की कमी और ईंधन स्टेशनों में ईंधन नहीं होने की वजह से हालात और मुश्किल हो गए हैं।

बीते आठ अगस्त से अभी तक केरल में आए इस जल प्रलय में 173 लोगों की मौत हो चुकी है और बड़े पैमाने पर जानमाल का नुकसान हुआ है। यहीं नहीं इस कारण राज्य की आय का प्रमुख स्त्रोत माने जाने वाले पर्यटन उद्योग को भी झटका लगा है। हजारों एकड़ खेत में खड़ी फसलें बर्बाद हो गई हैं जबकि करोड़ों रुपये की संपत्तियां पानी में डूबी हुईं हैं।केरल की बदहाल स्थिति को देखकर कहा जा सकता है कि राज्य सदी की सबसे भीषण बारिश और बाढ़ का सामना कर रहा है। बता दें कि केंद्र सरकार पहले ही बाढ़ प्रभावित केरल की मदद के लिए 100 करोड़ की मदद का ऐलान कर चुकी है।

2 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता देगा SBI
केरल के बाढ़ प्रभावितों की मदद के लिए SBI ने 2 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता देने का एलान किया है. भारी बारिश की वजह से कई इलाकों में भूस्खलन की भी खबरें हैं. कट्टाप्पना में लैंड स्लाइड की वजह से स्टेट हाईवे ब्लॉक हो गया है. अब जेसीबी की मदद से इसे साफ कराया जा रहा है.ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और ब्रिटेन से प्रवासी टीवी चैनलों के माध्यम से अपने प्रियजनों की मदद की गुहार लगा रहे हैं। एक महिला ने अपने छह साल के बच्चे के साथ वाट्सएप संदेश से मदद की गुहार लगाई है।राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के साथ ही सैनिकों ने फंसे लोगों को बचाने के लिए शुक्रवार सुबह से बचाव अभियान तेज कर दिया। पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन के कारण सड़क जाम हो रहे हैं। कई गांव टापू में तब्दील हो गए हैं। महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को सेना के हेलिकॉप्टरों से निकाला जा रहा है। अलुवा, कालाडी, पेरुंबवूर, मुवाट्टुपुझा एवं चालाकुडी में फंसे लोगों को निकालने में स्थानीय मछुआरे भी अपनी-अपनी नौकाओं के साथ शामिल हुए !

संयम के बिना जीवन में मुक्ति नही: साध्वी सुरंजनाश्री

संयम के बिना जीवन में मुक्ति नही: साध्वी सुरंजनाश्री

रिपोर्ट :- चन्द्रप्रकाश बी. छाजेड़ / बाड़मेर

बाड़मेर। व्यक्ति अगर विलासिता में डूब जाये तो व्यक्ति वैभव कहां से आया है, कैसे आया है वो सब भूल जाता है। जैन कुल में जन्म लेने वाली प्रत्येक आत्मा का अंतिम समय संयममय होना चाहिए अन्यथा यह जीवन ही अधुरा है। 

साध्वी सुरंजनाश्री महाराज ने स्थानीय जैन न्याति नोहरा में चातुर्मासिक प्रवचनमाला के अन्तर्गत शनिवार को उपस्थित जनसमुदाय को सम्बोधित करते हुए कहा कि मदालसा विश्वावसु गन्धर्वराज की पुत्री तथा ऋतुध्वज की पटरानी थी। इनका ब्रह्मज्ञान जगद्विख्यात है। पुत्रों को पालने में झुलाते-झुलाते इन्होंने ब्रह्मज्ञान का उपदेश दिया था।वे अनासक्त होकर अपने कर्तव्य का पालन करती जिसके फल स्वरुप उनके पुत्र बचपन से ही ब्रह्मज्ञानी हुए। आज भी वे एक आदर्श माँ हैं क्योंकि शास्त्रों में वर्णन आता हैं की पुत्र जनना उसीका सफल हुआ जिसने अपने पुत्र की मुक्ति के लिय उसे भक्ति और ज्ञान दिया।

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‘क्या करोगे तब, जब प्राण तन से निकले’ भव्य कार्यक्रम की प्रस्तुति रविवार को
खरतरगच्छ संघ चातुर्मास समिति के मिडिया प्रभारी चन्द्रप्रकाश बी. छाजेड़ ने बताया कि कुन्दनमल संखलेचा ने बताया कि गुरूमैया सुरंजनाश्रीजी म.सा. की निश्रा में 19 अगस्त को चैन्नई से पधार रहे बंधु-बेलड़ी मोहन-मनोज गोलछा द्वारा स्थानीय जैन न्याति नोहरा में प्रातः 8.30 बजे ‘क्या करोगे तब, जब प्राण तन से निकले’ भव्य संवेदना के कार्यक्रम की संगीतमय प्रस्तुति दी जायेगी। भगवान पाश्र्वनाथ के मोक्ष कल्याणक निमित आज से अट्ठम तप प्रारम्भ हुआ जिसके आराधको ने भाग लिया। जिसमें अधिक संख्या में जुड़ने का आह्वान किया गया। संघपूजन का लाभ मुकेशकुमार बाबूलाल धारीवाल चैहटन वालों ने लिया। गुरूवर्या श्रीजी द्वारा आज खाना खिलाकर खाना खाने का नियम दिया गया जिस पर सभा में उपस्थिति सभी ने गुरूवर्या श्रीजी से नियम ग्रहण किया।

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संस्‍मरण : बाड़मेर। दो दिन गडरारोड रूके थे अटलजी- वरिष्‍ठ पत्रकार गोली

संस्‍मरण : बाड़मेर। दो दिन गडरारोड रूके थे अटलजी-  वरिष्‍ठ पत्रकार गोली


लम्‍बी बीमारी के बाद गुरूवार देर शाम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी शुन्‍य में विलीन हो गए। अपने इस महान नेता के शोक में पूरा देश गमगीन है। देश की राजधानी दिल्‍ली से सरहद के इस कोने तक हर शख्‍स अपने इस महान नेता को श्रद्धासुमन अर्पित कर रहा है।

प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी गडरा रोड के लिए इमेज परिणाम

बाड़मेर निवासी और वरिष्‍ठ पत्रकार शंकरलाल गोली बताते है कि साल 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद शिमला समझौते के विरोध में अटलजी गडरारोड आए थे। उस दौरान वाजपेयी पूरे दो दिन गडरारोड रूके थे और इस दौरान वें भी पूरे समय उनके साथ रहे थे। वाजपेयी ने गडरारोड में रात भी बिताई थी।

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(फोटू - वरिष्‍ठ पत्रकार शंकरलाल गोली )

गोली बताते है कि भारतीय जनसंघ साल 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद हुए शिमला समझौते का विरोध कर रहा था। विरोध स्‍वरूप हर प्रांत के जनसंघ के बड़े नेता अपने जत्‍थे के साथ सरहद पर जाकर शिमला समझौते के खिलाफ अपना विरोध दर्ज करवा रहे थे। इसी क्रम में जनसंघ के बड़े नेता पाकिस्‍तान से लगती सीमा पर विरोध दर्ज करवाने गडरारोड आये थे।


गोली के मुताबिक पूर्व उपराष्‍ट्रपति भैरोसिंह शेखावत भी उस समय जनसंघ के बड़े नेता थे और बाड़मेर में उस आंदोलन का नेतृत्‍व कर रहे थे। जनसंघ के युवा नेता के रूप में गोली को गडरारोड का प्रभार सौंपा गया था। वाजपेयी जी उस समय जनसंघ के वरिष्‍ठ बड़े नेता थे और शिमला समझौते का विरोध करने सीमावर्ती गांव गडरारोड आए थे। गोली ने बताया कि तब अटलजी अपने पूरे जत्‍थे के साथ गडरारोड पहुंचे थे। वहां से अपने जत्‍थे के साथ दो-ढाई किलोमीटर पैदल चलकर अंर्तराष्‍ट्रीय सीमा रेखा पर भारत के अंतिम स्‍तंभ तक जाकर उन्‍होनें अपना विरोध दर्ज करवाया था।



गोली ने बताया कि अटलजी ने वहां की मिट़टी को अपने मस्‍तक पर लगाया और भारत माता की जय हो के नारों का उद़घोष किया। इतना ही नहीं अंर्तराष्‍ट्रीय सीमा रेखा पर अटलजी अपने जत्‍थे के कार्यकर्ताओं के साथ बैठ गए और कविता पाठ किया।

इस आंदोलन में भारतीय जनसंघ के बाड़मेर के नेता वैघ श्री वल्‍लभ शास्‍त्री, चर्तुभुज गुप्‍ता, झामनदास राठी, उदवदास सिंधी, टीकमदास सिंधी, रामस्‍वरूप अग्रवाल एवं गडरारोड के कोजराज राठी, कल्‍याणसिंह तामलोर, हिंगलाजदान देथा, इन्‍द्रदान बारहट, बालचंद माहेश्‍वरी, भोमजीमल जोशी ने सक्रिय भुमिका निभाई।



प्रधानमंत्री रहते कोजराज राठी से मिले थे वाजपेयी
गोली बताते है कि वाजपेयी के प्रधानमंत्री बनने के बाद गडरारोड के कोजराज राठी उनसे मिलने दिल्‍ली गए थे। जब कोजराज प्रधानमंत्री निवास पर पहुंचे, उस समय अटलजी किसी व्‍यस्‍त कार्यक्रम होने के बावजूद जैसे ही उन्‍हें कोजराज राठी के आने का संदेश मिला, वे तुरंत उनसे मिलने पहुंचे। अटलजी बड़ी ही आत्‍मीयता से उनसे मिले और उनकी आवभगत भी की।

बाड़मेर। भाजपा कार्यकर्ता ने मुंडन कराकर दी अटलजी को श्रद्धांजलि

बाड़मेर। भाजपा कार्यकर्ता ने मुंडन कराकर दी अटलजी को श्रद्धांजलि




Image may contain: 2 peopleबाड़मेर। दिल्ली में जब पूर्व प्रधानमंत्री, भारत रत्न और बीजेपी के दिग्गज नेता अटल बिहारी वाजपेयी के अंतिम यात्रा की तैयारी चल रही थी ठीक उसी समय राजस्थान के बाड़मेर जिले के भाजपा कार्यकर्ता ने अपना मुंडन करवा कर श्रद्धांजलि दी। बाड़मेर भाजपा कार्यकर्ता व पार्षद जगदीश खत्री ने पूर्व प्रधानमंत्री एवम भाजपा के वरिष्ठ नेता श्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन हो जाने पर उनकी याद में व उनको श्रद्धांजलि स्वरूप अपने बालो का मुंडन करवा उनको दिल से श्रधांजलि अर्पित की। अटल जी निधन पर पुरे देश भर में  शौक की लहर है। 



जैसलमेर। दर्दनाक हादसे में तीन महिलाओं की मौत,पांच ने पेड़ पर चढ़ जान बचाई

जैसलमेर। दर्दनाक हादसे में तीन महिलाओं की मौत,पांच ने पेड़ पर चढ़ जान बचाई


          विधायक छोटूसिंह भाटी ने बचाव के सराहनीय प्रयास किये 




जैसलमेर देवा गांव में किसी की मौत पर बैठने गए एक ही परिवार की आठ महिलाएं वाहन चालक सहित अचानक ब्रहमसर नदी में आये पानी की चपेट में आ गए।जिसमे तीन महिलाओं की मौत हो गई।
जानकारी के अनुसार जैसलमेर शहर है माली जाति की आठ महिलाए अपने किसी रिश्तेदार की मौत पर बैठने गए थे। इन्होंने वाहन किराये पे ले रखा था। शाम को वापसी के समय ब्रहमसर के पास नदी की रपट में वाहन फंस गया। चालक ने महिलाओं को नीचे उतारा,बारिश चल रही थी। पीछे से नदी का बहाव आया जिसमे सभी महिलाए चालक बाह गए। चूंकि वाहन के गेट खुले थे पानी वाहन के अंदर घुस गया जिससे वाहन पलटी खा गया। तीन महिलाए वाहन के नीचे दब गई। बाकी महिलाए बह गई।भाग्यवस महिलाओ को खेजड़ी का पेड़ नजर आ गया जिस पर जैसे तैसे चढ़ गए। इसी बीच चालक गायब हो गया। उसी रुट पर दौरे से लौट रहे विधायक छोटू सिंह भाटी ने घटना को देख प्रशासन और ग्रामीणों को सूचित किया। ब्रहमसर सरपंच हजारी सिंह ने ग्रामीणों की मदद से महिलाओ को तलाशना शुरू किया इसी बीच प्रशासनिक अधिकारी मौके पे पहुंचे।सीमा सुरक्षा बल की रेस्क्यू टीम को बुलाया।।कांग्रेस युवा अध्यक्ष विकास व्यास बादशाह और उनकी फेक्ट्री की लेबर भी रेस्क्यू में साथ लग गए। रेस्क्यू टीम के मेम्बर्स ने पेड़ पर चढ़ी महिलाओ तो नीचे उतारा। साथ ही वाहन के नीचे दबी महिलाओ को भी निकाला जिसमे दो महिलाओं की मौके पे मौत हो चुकी थी शेष महिलाओ को बिधायक की गाड़ी से जवाहर अस्पताल भेजा।एक महिला ने उपचार ले दौरान दम तोड़ दिया। बाकी पांच महिलाओ कॉ उपचार चल रहा है। अस्पताल में लोगो की भारी भीड़ जमा हो गई। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जयनारायण मीना, तहसीलदार वीरेंद्र सिंह , सदर थानाधिकारी कांता सिंह सहित कई अधिकारी अस्पताल में घायलों के उपचार की व्यवस्था देख रहे थे। सभी मृतक महिलाए एक ही परिवार से है।