त्वरित टिपणी। … वसुंधरा राजे की मनरेगा को योजना में बदलने की सार्थक पहल ,स्वागत होना चाहिए
चन्दन सिंह भाटी
राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने केंद्रीय ग्रामीण मंत्री नितिन गडकरी को पत्र लिख कर मनरेगा को गारंटी कानून से योजना में बदलने को लिख सार्थक और दूरदर्शी प्रयास किया हैं जिसका स्वागत होना चाहिए ,वसुंधरा मनरेगा की धरातलीय स्थति लिखी हैं की इस कानून से कोई फायदा जनता को नहीं हो रहा ,यही हकीकत हैं ,इस समय मनरेगा में सर्वाधिक भरष्टाचार ,हैं इस स्कीम से जुड़ा हर अधिकारी और कर्मचारी योजना का आनंद लेकर अपने घर भर रहे हैं ,जबकि जिन लोगो कानून को लाया गया उन्हें एक ढेले का फायदा नहीं हो रहा ,इस योजना से जुड़े अंतिम सरकारी व्यक्ति मेट से लेकर उच्च स्तरीय अधिकारी प्रति माह लाखो रुपयो से खेलते हैं जिन आवाम को रोजगार और मज़दूरी उपलब्ध करनी थी नहीं करा पाये ,कानून तो बना दिया मगर इसे व्यवस्थित रूप से लागु करने की सरकार नाकाम ,रही आज ग्राम पंचायत का सरपंच ,और ग्राम सेवक करोड़पति हो गए मेट लाखो में खेलता हैं ,मगर मज़दूर को उसकी मज़दूरी नहीं मिल रही। वसुंधरा की यह सोच की इसे योजना के रूप में चलाया सकारात्मक रूख हैं ,बाड़मेर हे ग्राम पंचायतो में आबादी से अधिक जॉब कार्ड जारी हो रखे हैं ,प्रत्येक में पचास से साठ फीसदी जॉब कार्ड फर्जी बने हे जिसका भुगतान सहायक से लेकर सरपंच तक मिलजुल कर बांटते हैं ,मनरेगा में एक भी काम सार्थक रूप से पुरे राजस्थान में नज़र नहीं आ रहा ,कहने को इस योजना में को दो लाख टांके बाड़मेर जिले हे मगर ऐसी से नब्बे फीसदी टांको का निर्माण हुए बिना भुगतान उठा लिया ,इस योजना में स्वीकृत कार्यो की उच्च स्तरीय जाँच हो जाये तो साड़ी पोल पट्टी सामने आ जाएगी ,बाड़मेर जिले में गत तीन सालो में कोई अठारह मगर धरातल पर पंचायत में कोई काम होता आपको दिखाई नहीं देगा ,मनरेगा कागजी गयी हे जिसका फायदा चंद प्रभावी लोग उठा रहे हैं ,इसे कानून से योजना में बदलने से शायद आम जान को रोजगार उपलब्ध हो जाये ,
प्रेमियों का मिलन करवाने वाले मंदिरयूं तो हर मुहल्ले और शहर में मंदिर मिल जाएंगे। लेकिन कुछ मंदिर ऐसे हैं जो किसी खास बात को लेकर बहुत प्रसिद्घ हो जाते हैं।ऐसे ही कुछ मंदिर हैं जो प्रेमियों का मिलन करवाने के लिए बहुत प्रसिद्घ हो चुके हैं। इन मंदिरों के विषय में माना जाता है कि यहां आकर जो प्रेमी मिलन की मन्नत मांगते हैं उनकी मुराद पूरी होती है।गणेश जी करवाते हैं प्रेमियों का मिलनराजस्थान का जोधपुर शहर, यहां गणेश जी का एक प्रसिद्घ मंदिर है। यहां हर बुधवार भक्तों की लंबी कतार लगती है।इनमें अधिकतर ऐसे लोग होते हैं जो गणेश जी से यह मन्नत मांगने आते हैं कि जिसे चाहते हैं उससे शादी हो जाए। इस कारण गणेश जी इश्किया गजानन के नाम से भी प्रसिद्घ हैं।गणेश जी की ख्याति इसलिए भी ही है कि यहां मांगी गई प्रेम की मिन्नतें गणेश जी पूरी करते हैं। किसी समय गणेश जी का यह मंदिर गुरु गणपति के नाम से जाना जाता था।2 of 5प्रेमियों की शादी करवाते हैं हनुमानमध्यप्रदेश के जबलपुर शहर से महज 20 किलोमीटर की दूरी पर है आगासौद कस्बा। यहीं पर है हनुमान जी का एक प्राचीन मंदिर जो पूरे इलाके में शादी वाले हनुमान जी के नाम से प्रसिद्घ है।माना जाता है कि शादी वाले हनुमान जी को लाल गुलाब का फूल बहुत पसंद है। जो भक्त हनुमान जी को लाल गुलाब का फूल भेंट करते हैं हनुमान जी उसकी मनोकामना पूरी करते हैं।मंदिर के पुजारी पंडित राजकुमार का कहना है कि शादी वाले हनुमान जी यूं तो सभी तरह की मुरादें पूरी करते हैं। लेकिन यहां ऐसे युवक युवतियां अधिक आते हैं जिनकी शादी में बाधा आ रही होती है। हनुमान जी की कृपा से विवाह में आने वाली बाधाएं दूर हो जाती हैं।3 of 5प्रेम के देवता विनायकउत्तर भारत की तरह दक्षिण भारत में भी गणेश और हनुमान जी का एक मंदिर प्रेमियों के बीच काफी प्रसिद्घि है। तमिलनाडु में गणेश जी का एक मंदिर है जो कधाल विनयागार यानी प्रेम के देवता विनायक के नाम से प्रसिद्घ है।यहां प्रेमी प्रेमिका विवाह की प्रार्थना लेकर गणेश जी के पास आते हैं। इस मंदिर में कई प्रेमी युगलों की शादी हो चुकी है।खम्मम में प्रेम का प्रसिद्घ मंदिरआंध्रप्रदेश के खम्मम जिले में हनुमान जी का एक प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर में हनुमान जी के साथ उनकी पत्नी के भी दर्शन प्राप्त होते हैं। यह मंदिर इकलौता गवाह है हनुमान जी के विवाह का।मान्यता है कि हनुमान जी के इस मंदिर में आकर जो दंपत्ति हनुमान और उनकी पत्नी के दर्शन करते हैं उनके वैवाहिक जीवन में प्रेम और आपसी तालमेल बना रहता है। वैवाहिक जीवन में चल रही परेशानियों से मुक्ति दिलाते हैं विवाहित हनुमान जी।
देखा जाए तो हर धर्म में कोई न कोई प्रतीक चिह्न हुआ ही करता है। हिंदुओं में ऊँ को पवित्र अक्षर माना जाता है। हर धार्मिक अनुष्ठान की शुरुआत ऊँ के उच्चारण से किया जाता है।
ऊँ शब्द तीन अक्षरों अ, उ और म से मिलकर बना है। पर इसमें ऐसा क्या खास है कि इसे हिन्दुओं ने अपना पवित्र धार्मिक प्रतीक मान लिया है। असंख्य शब्दों और चिह्नों में से ऊँ और स्वास्तिक को ही क्यों चुना गया। ये सवाल महत्त है। जरा देखें ओम के उच्चारण से क्या घटित और परिवर्तित होता है।
ऊँ की ध्वनि मानव शरीर के लिए प्रतिकूल डेसीबल की सभी ध्वनियों को वातावरण से निष्प्रभावी बना देती है।
विभिन्न ग्रहों से आनेवाली अत्यंत घातक अल्ट्रावायलेट किरणें ओम उच्चारित वातावरण में निष्प्रभावी हो जाती हैं।
इसके उच्चारण से इंसान को वाक्य सिद्धि की प्राप्त होती है।
चित्त एवं मन शांत एवं नियंत्रित हो जाते हैं।
सनातन धर्म ही नहीं, भारत के अन्य धर्म-दर्शनों में भी ऊँ को महत्व प्राप्त है।
बौद्ध दर्शन में ऊँ का प्रयोग जप एवं उपासना के लिए प्रचुरता से होता है। इस मंत्र के अनुसार, ऊँ को मणिपुर चक्र में अवस्थितमाना जाता है। यह चक्र दस दल वाले कमल के समान है। जैन दर्शन में भी ऊँ के महत्व को दर्शाया गया है। कबीर निर्गुण संत एवं कवि थे। उन्होंने भी ऊँ के महत्व को स्वीकारा और इस पर साखियां भी लिखीं।
गुरुनानक ने ऊँ के महत्व को प्रतिपादित करते हुए लिखा- ओम सतनाम कर्ता पुरुष निर्भोनिर्बेरअकालमूर्त। ऊँ सत्य नाम जपने वाला पुरुष निर्भय, बैर-रहित एवं अकाल-पुरुष के सदृश हो जाता है।
इस तरह ऊँ के महत्व को सभी संप्रदाय के धर्म-गुरुओं, उपासकों, चिंतकों ने प्रतिपादित किया है, क्योंकि यह एकाक्षरी मंत्र साधना में सरल है और फल प्रदान करने में सर्वश्रेष्ठ।
यह ब्रह्मांड का नाद है एवं मनुष्य के अंतर में स्थित ईश्वर का प्रतीक। किसी भी मंत्र के पहले ऊँ जाेडने से वह शक्ति संपन्न हो जाता है। एक बार ऊँ का जाप हजार बार किसी मंत्र के जाप से अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।
किसी भी समुदाय की परंपराएं उसके लोग, मौसम, जीवन-शैली, आर्थिक स्थिति और लोगों की मानसिकता को आधार मानकर विकसित की जाती है।
हम इन परंपराओं के पीछे की मान्यता और दर्शन से चाहे अनभिज्ञ हों, लेकिन हम उनका पालन इसलिए करते हैं कि वे हमें विरासत में मिली होती है, लेकिन यदि हम उन परंपराओं के पीछे के दर्शन को भी समझेंगे तो शायद अपनी विरासत के प्रति हममें और सम्मान भी जागेगा।
आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को हमारी मान्यता में देवताओं की रात शुरू हो जाती है। ये माना जाता है कि विष्णु इस दिन से शयन में चले जाते हैं। हमारे यहां हर शुभ कार्य में विष्णु की उपस्थिति अनिवार्य मानी जाती है और चूंकि विष्णु शयन में होते हैं, इसलिए इस पूरे अंतराल में सारे शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं।
पौराणिक मान्यता के अनुसार आषाढ़ शुक्ल एकादशी से लेकर कार्तिक शुक्ल एकादशी के बीच के समय में विष्णु क्षीरसागर चले जाते हैं। इस बीच गृह-प्रवेश, विवाह, देवताओं की प्राण-प्रतिष्ठा, यज्ञ-हवन, संस्कार आदि कार्य नहीं किए जाते हैं। पौराणिक मान्यता ये भी है कि एक-के-बाद-एक देवता शयन की अवस्था में आते हैं। विष्णु के लौटने के बाद शिव इस अवस्था में जाते हैं।
भारतीय संस्कृति में व्रत नियमों एवं पूजा का विधान मौसम एवं प्रकृति को ध्यान में रखकर भी किया गया है। देवशयनी एकादशी का दर्शन भी यही है। इस दिन से चातुर्मास का समय शुरु होता है। चातुर्मास का समय वर्षा ऋतु का होता है। प्राचीन काल से ही भारत कृषि प्रधान देश है।
इसलिए वर्षा ऋतु के चार माह खेती के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इस समय में किसान अपने सामाजिक जिम्मेदारियों से दूर रहकर चार महीने अपना खेती का काम निश्चिंत होकर कर सके इसलिए भी यह व्यवस्था की गई है।
साथ ही नदी-नालों के कारण कहीं आवागमन भी संभव नहीं हो पाता था। इसलिए लगातार कृषि कार्य में लगे किसान को चार माह तक खेती के साथ ही अध्यात्म ज्ञान प्राप्ति के लिए समय दिया गया है एवं इस समय में कथा, पुराण, वेद पाठ व धर्म-ग्रंथों पर विचार द्वारा धर्मावलंबियों को प्रेरित करने की परंपरा प्रारंभ की गई।
सभी हिन्दू धर्म स्थानों पर धार्मिक गतिविधियां दिखाई देती है। त्रिदेव ब्रह्मा-विष्णु-शिव में भगवान विष्णु को पालनहार माना गया है। व्यवहार दृष्टि से विचार करें तो किसान को विष्णु के समान सम्मान प्रदान किया गया है, क्योंकि हमारा जीवन अन्ना पर निर्भर होता है और अन्ना किसान ही पैदा करता है।
अत: किसान ही अन्नादाता है। चातुर्मास के समय में धर्म ज्ञान का लाभ ही नहीं वरन शरीर तथा मन को सबल बनाने की क्रियाएं भी शामिल की गई हैं।
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रमजान का महीना रोजेदारों को अपने आचरण की पवित्रता से आत्मिक शुद्धि का अवसर देता है। इस्लाम में रमजान के महीने को अत्यंत पवित्र माना जाता है। माह-ए-रमजान या रमजानुल मुबारक हमें अपने भीतर के गुणों और अच्छाइयों को परखने व उन्हें निखारने का अवसर देता है।
जब हम रोजा (उपवास) रखकर अच्छाइयों की राह पर चल देते हैं, तो अल्लाह हमसे प्रसन्न हो जाते हैं। जाहिर है, ऐसे में रहमत के दरवाजे खुल जाते हैं और शैतान (बुरी प्रवृत्तियां) बांध दिए जाते हैं।
रोजे रखने का मतलब भूखा-प्यासा रहना ही नहीं है। यह मनुष्य के अंतस में अच्छाइयों और सद्भावनाओं को जगाने की प्रक्रिया है। रोजे के दौरान अपनी इंद्रियों को वश में रखना बहुत जरूरी है। इस दौरान वर्जित और बुरी बातों की तरफ जाना तो दूर, उनके बारे में सोचना भी गुनाह माना जाता है।
रोजे के दौरान बुरा कहने, बुरा देखने और बुरा करने की ही मनाही नहीं, बुरा सोचने, झूठ बोलने, किसी को तकलीफ पहुंचाने, पीठ पीछे बुराई करने की भी मनाही है। रोजेदार को मन, वचन और कर्म से खुद को सात्विक और अनुशासित रखना होता है। आचरण की शुचिता का खयाल रखना होता है। इस दृष्टि से यह आत्मिक शुद्धि का महीना है।
शुरुआत फर्ज की नमाज से होती है, जो सुबह चार-पांच बजे के बीच होती है। रोजेदार सहरी के वक्त कुछ खा लेते हैं और पूरे दिन के उपवास (रोजे) के लिए तैयार हो जाते हैं। वे मस्जिद में फर्ज की नमाज अदा करते हैं और रोजाना के कामों में व्यस्त हो जाते हैं, लेकिन उनके अंतस में रोजे की कैफियत बनी रहती है। पांचों वक्त की नमाज, रात में तरावीह की नमाज में कुरआन का चिंतन व श्रवण आदि। इस्लाम में रोजे को फर्ज माना गया है। रोजे बीमारी, लाचारी या दुख-तकलीफ में ही छोड़े जा सकते हैं।
इस माह में नफ्ल का सवाब फर्ज के बराबर मिलता है और प्रत्येक फर्ज का सवाब 70 गुना बढ़ जाता है। अल्लाह तआला रोजेदारों के पिछले सारे गुनाह माफ कर देता है। जो लोग किसी रोजेदार को इफ्तार करवा देते हैं तो इस कारण उस व्यक्ति के तमाम गुनाह माफ हो जाते हैं।
अल्लाह तआला फरमाते है कि मोमिन की रोजी बढ़ा दी जाती है। रमजानुल मुबारक एक दूसरे के हमदर्दी का भी महीना है। सब्र करने का महीना है रमजानुल मुबारक रमजान त्याग का महीना है। अल्लाह ने अपने बंदों को बुराइयों को त्याग कर अच्छे मार्ग पर चलने का यह सुनहरा मौका प्रदान किया है।
इंसान गलतियों का पुतला है और अक्सर वह गलतियां करता है। इसलिए इस मौके को हाथ से जाने न दें और ईमानदारी से अल्लाह की इबादत करें। बुराइयों को त्यागने वाला ही सही मायनों में अल्लाह की इबादत करने का सच्चा हकदार है। रोजा आत्मा की शुद्धता का सबसे उत्तम साधन है।
रोजेदार के मन में किसी तरह का गलत ख्याल तक नहीं होना चाहिए। रोजे का मतलब भूखे पेट रहकर अल्लाह की इबादत करना नहीं है, बल्कि सही मायनों में जीवन से बुराइयों को मिटाकर अच्छाइयों को अपनाना है, जिससे समाज में शांति और अमन कायम रहे।
रोजा इफ्तार में हिंदू धर्म के साथ-साथ अन्य धर्मो के लोग भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। यह समाज में भाईचारा बढ़ाने का एक जरिया है। अल्लाह भी अपने बंदों से यही उम्मीद करता है कि सब मिल-जुलकर रहें। सही मायनों में रमजान प्रेम का महीना है।
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बाड़मेर सहित राजस्थान दस रेलवे स्टेसन उड़ाने की धमकी ,हाई अलर्ट पर राजस्थान बाड़मेर आंतकवादी संगठन ने राजस्थान के सरहदी जिले बाड़मेर सहित दस रेलवे स्टेसनो को उड़ने का धमकी भरा पत्र भेजा ,इस पात्र के बाद राजस्थान में हड़कम्प मच गया ,सरकार ने राजस्थान के समस्त जिलो की सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद कर हाई अलर्ट पर रखा हैं ,बाड़मेर के रेलवे स्टेसन की सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गयी हैं। लश्कर-ए तोयबा के एरिया कमांडर करीम अंसारी ने पंजाब को खून से रंग देने की धमकी देकर सुरक्षा एजेंसियों की एक बार फिर नींद उड़ा दी है। फिरोजपुर डिवीजन के रेलवे मैनेजर एनसी गोयल को 30 जून को भेजे पत्र में उसने पंजाब और राजस्थान के प्रमुख स्टेशनों और जालंधर के देवी तालाब मंदिर समेत प्रमुख धार्मिक स्थानों को एक सप्ताह के भीतर उड़ा देने की धमकी दी है। अंतर्देशीय पत्र के माध्यम से फिरोजपुर कार्यालय को भेजे अपने पत्र में करीम अंसारी ने पंजाब के दो दर्जन प्रमुख स्थानों का नाम लिया है। उसने लिखा है कि आगामी 10 जुलाई को फिरोजपुर छावनी समेत दर्जन भर प्रमुख स्टेशनों को विस्फोट कर उड़ा दिया जाएगा और 12 जुलाई को जालंधर के प्रमुख मंदिर देवी तालाब समेत दर्जन भर प्रमुख मंदिरों को उड़ा दिया जाएगा। अंत में उसने लिखा है कि पंजाब को खून से रंग देने पर ही उसे सुकून मिलेगा। फिरोजपुर कार्यालय में पहुंचने के बाद से ही रेलवे ने जीआरपी और आरपीएफ को अलर्ट करते हुए फिरोजपुर, फरीदकोट, भटिंडा, पटियाला, नवांशहर और गुरुदासपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों से कानून व्यवस्था बनाए रखने में मदद मांगी है। पत्र में पंजाब, राजस्थान और मध्य प्रदेश का भी जिक्र है। पत्र भेजने वाले ने अपना नाम करीम अंसारी, एरिया कमांडर, आतंकवादी संगठन लश्करे तैयबा, करांची पाकिस्तान लिखा है।- पंजाब में फिरोजपुर छावनी, बठिंडा, फरीदकोट, धूली, जोखल, हिसार, पटियाला और राजस्थान में जयपुर, बीकानेर, गंगानगर, बाड़मेर, कोटा, जोधपुर, अलवर और नामची स्टेशनों को 10 जुलाई को उड़ाने की धमकी। इसके साथ ही बठिंडा, फरीदकोट, पटियाला के प्रमुख मंदिर, जालंधर के श्री देवी तालाब मंदिर, लुधियाना का वेद मंदिर, दुर्गा माता मंदिर, फगवाड़ा का हनुमान गढ़ी, पा रावण, अमृतसर का काली मंदिर, रामतीर्थ, बटाला और गुरुदासपुर के प्रमुख मंदिरों को 12 जुलाई को उड़ाने की धमकी दी।- विभागीय सूत्र बताते हैं कि करीम अंसारी की पिछले दस सालों में यह पांचवीं धमकी है। हर बार वह तरह-तरह से धमकी देकर सुरक्षा एजेंसियों की नींद उड़ा देता है, लेकिन दूसरी ओर पिछले दस सालों से भारत की खुफिया ब्यूरो उसका पता नहीं लगा पा रही है।- जीआरपी के एसपी आरएस घुम्मण ने कहा कि सभी संबंधित सुरक्षा एजेंसियों को सतर्कता बरतने के कड़े निर्देश दे दिए गए हैं। प्लेटफार्म पर और गाड़ियों में रैंडम चेकिंग करने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं।- उन्होंने आम जनता से अपील की है कि किसी भी प्रकार के संदिग्ध वस्तु या व्यक्ति के दिखाई देने पर उसकी सूचना तत्काल नजदीकी जीआरपी, आरपीएफ जवान या रेलवे कर्मचारी या फिर 100 नंबर पर दें। जालंधर सिटी स्टेशन समेत आसपास के स्टेशनों पर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है।
बुखारेस्ट। सेल्फी यानी मोबाइल फोन के जरिए खुद की खींची तसवीर का क्रेज दुनियाभर में कुछ इस कदर छाया है कि इंसान तो क्या, भूत भी खुद को रोक नहीं पा रहे हैं। सुनने में यह भले ही अजीब लगे, लेकिन रोमानिया की एक महिला ने यही दावा किया है कि उनकी दादी के भूत ने उनके मोबाइल पर सेल्फी खींची है। इस सेल्फी के जरिए भूत दादी ने चेताया है कि उन्हें मौत के बाद दंड दिया जा रहा है।
इस खबर के बाद दक्षिण पूर्वी रोमानिया के स्कर्टेस्टी चर्च में डरे-सहमे स्थानीय लोगों का जमावड़ा लग गया है। 34 वर्षीय जिना मिहाई नाम की इस महिला का कहना है कि एक भविष्यवक्ता के मुताबिक दादी ने उन्हें सेल्फी के जरिए संदेश देने की कोशिश की है। संदेश यह कि दादी के लिए प्रार्थना किए जाने की जरूरत है।
मिल रही पाप की सजा
मिहाई ने कहा कि जब मैंने अपना मोबाइल फोन ऑन किया तो मरी दादी का चेहरा मोबाइल स्क्रीन पर देखकर दंग रह गई। ऎसा लग रहा था कि उनकी गर्दन में सांप लपेटा गया है। मैं इस तसवीर को एक भविष्यवक्ता के पास ले गई। उसने मुझे बताया कि गले में सांप लपेटे होने का मतलब यह है कि उन्हें इस धरती पर किए गए किसी पाप की सजा दी जा रही है। उन्होंने यह संदेश दिया है कि अगर हम उनके लिए प्रार्थना करें, तो शायद उनकी आत्मा को अभी भी मुक्ति मिल सकती है। जब से यह वाकया सामने आया है, तब से मिहाई समेत दर्जनों स्थानीय लोग चर्च में घंटों प्रार्थना में अपना वक्त निकाल रहे हैं।
परंपरा न तोड़ने की चेतावनी
असल में रोमानिया में गुजर गई पीढ़ी के लिए वष्ाü मे एक बार गरीबों को खिलाने की परंपरा रही है। मिहाई का कहना है कि उनकी दादी को मरे तीन वर्ष हुए हैं और इन बीते तीन वर्षो में उन्हें अपनी मरी दादी के नाम पर किसी गरीब को खाना खिलाने का मौका नहीं मिल पाया है। फ्लोरिका मिहाई नाम की एक अन्य परिजन ने बताया कि पुजारी के मुताबिक हमे बीते दिनों गरीबों को खाना नहीं खिलाने के एवज में अब लगातार 40 दिनों तक ऎसा करना होगा और हम यही कर रहे हैं। हम दादी की आत्मा की मुक्ति चाहते हैं।
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रियाद। सऊदी अरब की 23 महिलाओं ने पिछले साल अपने माता-पिता पर इसलिए मुकदमा कर दिया, क्योंकि उन्होंने उनकी शादी नहीं कराई। नेशनल सोसायटी फॉर ±यूमन राइट्स (एनएसएचआर) ने यह जानकारी दी। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक रियाद में 11, मदीना में 4, दम्माम में 2 मक्का में 2, जेद्दाह में 2 और जजान में ऎसे 2 मामले सामने आए हैं। इन मामलों को अरबी में "अदहल" कहा जाता है।
एनएसएचआर की सदस्य और सामाजिक अधिकार कार्यकर्ता सुहेला जेन अल-अबिदीन हम्माद ने सरकार से अपील की है कि वह "अदहल" से महिलाओं के बचाव के लिए एक कानून बनाए। साथ ही कहा कि एक ऎसा कानून बनाना जरूरी है, जिसमें एक निश्चित आयु होने पर लड़कियां खुद शादी कर सकें। इसके लिए मां-बाप की अनुमति की कोई जरूरत न हो। महिलाएं अपने माता-पिता के दया की पात्र बन गई है।
एनएसएचआर ने हाल ही में ऎसे कई मामलों को निपटाया, जिसमें लड़कियों के माता-पिता ने उनकी शादी करवाने से इंकार कर दिया। क्योंकि उन्होंने या तो लड़के को नापसंद कर दिया या फिर वह अपनी बेटियों की तनख्वाह पर ही जीना चाहते थे। हम्माद ने कहा कि "अदहल" के कारण लड़कियां अवसाद, आत्महत्या की प्रवृत्ति और नशीली दवाओं की लत समेत कई मानसिक समस्याओं की शिकार हो जाती हैं।
महंगाई की मार झेल रही आम जनता पर मोदी सरकार जल्द ही एक और बोझा डाल सकती है। सब्सिडी के बोझ को कम करने के लिए पेट्रोलियम मंत्रालय रसोई गैस और केरोसिन के दाम में बढ़ोतरी की सिफारिश कर सकता है।
समाचार चैनलों के मुताबिक पेट्रोलियम मंत्रालय विशेषज्ञ पैनल की रसोई गैस के दाम में 250 रूपए और केरोसिन की कीमत में 4 रूपए की बढ़ोतरी की सिफारिश को राजनीतिक मामलों की समिति के समक्ष रख सकती है। आधिकरक सूत्रों के मुताबिक पेट्रोलियम मंत्रालय इस संबंध में ड्राफ्ट नोट तैयार कर रहा है।
सूत्रों के मुताबिक पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के डीजल की कीमतों में प्रति माह 40 से 50 पैसे की बढ़ोतरी का समर्थन करते हुए पेट्रोलियम मंत्रालय यह प्रस्ताव रख सकता है कि जब तक डीजल(प्रति लीटर)पर 3.40 रूपए का घाटा पूरा नहीं हो जाता तब तक मासिक संशोधन जारी रहे। पेट्रोलियम मंत्रालय चाहता है कि सीसीपीए पेट्रोल की तरह डीजल के दाम को भी बाजार के हवाले करने पर मुहर लगा दे।
जून 2010 में पेट्रोल की कीमतों को बाजार के हवाले कर दिया गया था। पेट्रोल की कीमतें हर महीने की पहली तारीख और 16 तारीख को संशोधित होती है। सूत्रों के मुताबिक पेट्रोलियम मंत्रालय चाहता है कि सीसीपीए योजना आयोग के पूर्व सदस्य किरीट एस पारिख की अध्यक्षता वाले विशेषज्ञ पैनल की सिफारिशों पर विचार करे।
अक्टूबर 2013 में किरीट पारेख की अध्यक्षता में समिति गठित की गई थी। यूपीए सरकार ने पेट्रोलियम पदार्थो की कीमतों के उचित तंत्र को विकसित करने के लिए पारिख की अध्यक्षता में समिति गठित की थी। समिति ने अपनी रिपोर्ट में गैस सिलेण्डर के दाम में 250 रूपए,डीजल के दाम में 5 रूपए और केरोसिन के दाम में 4 रूपए की बढ़ोतरी की सिफारिश की थी। ये सिफारिश 72,000 करोड़ की ईंधन सब्सिडी के बिल में कटौती के लिए की गई थी।
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बाड़मेर जी आर पी की हिरासत से भाग बांग्लादेशी फिर पकड़ा गया बाड़मेर सरहदी जिले बाड़मेर में जी आर पी पुलिस की कस्टडी से चार रोज भाग निकला बांग्लादेशी को पुनः गिरफ्तार कर लिया ,,आज उसे जयपुर पूछताछ के लिए ले जाया गया हैं। सूत्रानुसार चार रोज पहले जी आर पी पुलिस ने सरहद के निकट एक बांलादेशी युवक को पाकिस्तान जाने की फिराक में गिरफ्तार किया था। प्रारंभिक पूछताछ में इसने शहर स्थित एक मदरसे में ठहराव करने को सीकर था ,इस युवक ने गिरफ़्तारी के बाद अपना सिम कार्ड नष्ट कर दिया था ,जी आर पी पुलिस को चकमा देकर यह फरार हो , इस बात को जी आर पी पुलिस ने छुपाये रखा मगर आज विशेष टीम ने उसे पुनः पकड़ लिया ,बताया जा रहा हैं यह युवक पाकिस्तान जाने की फिराक में सरहदी क्षेत्र में था ,पूछताछ में उसने खुद को पहले भारतीय नागरिक बताया उसके पास भारतीय नागरिकता का सबूत भी मिला ,बाद में इसने स्वीकार किया की वह ढाका बांलादेश का निवासी हैं ,इस युवक ने अपना नाम शम्शुद्दीन पुत्र सल्लाउद्दीन बताया ,बाड़मेर आने के बाद इसने एक मदरसे में नौकरी लग गया था ,काफी दिनों तक क्षेत्र की जानकारी लेने के बाद पाकिस्तान जाने के लिए निकल गया मगर सरहद पर पकड़ा गया। गुरूवार को उसे विशेष टीम के साथ जयपुर भेजा हैं जहां उससे सयुंक्त रूप से एजेंसिया पूछताछ करेगी ,उसने उत्तर प्रदेश में कई मदरसो में मौलवी के रूप में काम करना भी स्वीकार किया
लंदन। आपने कभी दस साल के बच्चों के जन्म लेने की खबर इस से पहले नहीं सुनी होगी। और तो और पैदा हुए दोनों बच्चे जुड़वां भी निकल।
जिंबाब्वे की राजधानी हरारे में घटी एक रहस्यमयी घटना में एक महिला ने दो जुड़वां बच्चों को जन्म दिया।
सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि इन बच्चों की उम्र दस साल है। इसका कारण यह बताया जा रहा है कि यह महिला पिछले दस सालों से अपने पेट में यह गर्भ लिए थी।
महिला को अपने ऊपर कोई शैतानी साया होने का अंदेशा था। पिछले दस सालों में उसका पेट काफी फूल गया था व उसे हमेशा पेट में कुछ हिलता सा प्रतीत होता था।
इस असामान्य गर्भ के इलाज के लिए उसने काफी दरवाजे खटखटाए लेकिन उसे हर जगह से निराशा ही हाथ लगी।
फिर उसके एक रिशतेदार ने उसे एक चर्च के पादरी को दिखाने को कहा। सब तरफ से घोर निराशा को झेलने के बाद इस महिला को बिलकुल भी विश्वास नहीं था कि उसकी इस समस्या को कोई दूर कर सकता है।
लेकिन मन को मारते हुए उसने इस पादरी के पास जाकर अपना इलाज करवाने का निर्णया लिया।
चर्च के पादरी ने उसकी हालत देखने के बाद उसे भरोसा दिलाया कि उसे प्रार्थनाओं की शक्ति के द्वारा शैतानी ताकतों से मुक्त करवा लिया जाएगा।
इलाज शुरू किया गया और दो हफ्ते बाद ही नतीजे दिखाई देने लगे। धीरे-धीरे उसके पेट पर एक घाव उभरा जिसमें काफी दर्द होता था। वह घाव जब फूटा तो उसके पेट से दो मरे बच्चे निकले।
इसके बाद महिला का पेट वापस पहले जैसा सामान्य नजर आने लगा। -
मानवेन्द्र सिंह रामसर और गडरारोड़ में करेंगे जन सुनवाई
बाड़मेर, 03 जुलाई।शिव विधायक मानवेन्द्रसिंह 8 जुलाई को विधानसभा क्षैत्र शिव के उपखण्ड रामसर व तहसील मुख्यालय गडरारोड़ मंे जिला व ब्लाॅक स्तर के अधिकारियों के साथ ग्रामीणों से रूबरू होकर जन सुनवाई करेगे।
विधायक मानवेन्द्रसिह के निजी सचिव रामसिह ने बताया कि शिव विधायक 8 जुलाई को प्रातः 11 बजे रामसर उपखण्ड पर तहसील के बैठक हाॅल में रामसर तहसील के समस्त गांवो के ग्रामीणों की जन सुनवाई कर मौके पर उपस्थित अधिकारियों से समस्या निस्तारण करने के लिए निर्देशित करेगे। इसी तरह विधायक दोपहर 2.30 बजे गडरारोड़ तहसील में सीमावर्ती क्षैत्र के गांवो के ग्रामीणों की जन सुनवाई कर समस्याओं के निस्तारण के लिए संबंधित अधिकारियो को पाबंद करेगे।
विधायक की जन सुनवाई के उपखण्ड अधिकारी, तहसीलदार, विकास अधिकारी, अधीक्षण अभियंता जन स्वास्थ्य विभाग, बिजली विभाग, सार्वजनिक निर्माण विभाग चिकित्सा एवं शिक्षा विभाग के जिला स्तर के अधिकारियों एवं नर्मदा परियोजना से संबंधित अधिशाषी अभियंता के साथ जन सुनवाई करेगे। इसमे सीमावर्ती क्षैत्र की पेयजल बिजली सडक, चिकित्सा, चारा, विद्यालयो मे अध्यापकों की कमी आदि समस्या की सुनवाई कि जावेगी। इस जन सुनवाई मे तहसील स्तर के ग्रामीण अपनी समस्याओं के साथ बैठक स्तर पर उपस्थित होवे। इसके साथ ही नर्मदा परियोजना की समीक्षा कर निर्धारित समय में कार्य पूर्ण करने के लिए संबंधित अधिकारियो को निर्देशित करेगे।
मुंबई। हिन्दी सिनेमा जगत में यूं तो अपने दमदार अभिनय से कई सितारों ने दर्शकों के दिलो पर राज किया लेकिन एक ऎसा भी सितारा हुआ जिसने न सिर्फ दर्शकों के दिल पर राज किया बल्कि फिल्म इंडस्ट्री ने भी उन्हें "राजकुमार" माना। वह थे संवाद अदायगी के बेताज बादशाह कुलभूषण पंडित उर्फ "राजकुमार"।
पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में 8 अक्टूबर 1926 को जन्मे राजकुमार स्नातक करने के बाद वह मुंबई के माहिम पुलिस स्टेशन में सब इंस्पेकटर के रूप में काम करने लगे। यहीं उनकी मुलाकात फिल्म निर्माता बलदेव दुबे से हुई।
वह राजकुमार के बातचीत करने के अंदाज से काफी प्रभावित हुए और उन्होंने राजकुमार से अपनी फिल्म "शाही बाजार" में अभिनेता के रूप में काम करने की पेशकश की। वर्ष 1952 मे प्रदर्शित फिल्म "रंगीली" में एक छोटी सी भूमिका कर ली। यह फिल्म सिनेमा घरो में कब लगी और कब चली गयी। इसके बाद फिल्म शाही बाजार भी प्रदर्शित हुई। इसके बाद वह कई फिल्मों में दिखाई दिए।
महबूब खान की वर्ष 1957 मे प्रदर्शित फिल्म "मदर इंडिया" में राजकुमार गांव के एक किसान की छोटी सी भूमिका में दिखाई दिए। फिर भी वह अपने अभिनय की छाप छोड़ने में कामयाब रहे। इस फिल्म में उनके दमदार अभिनय के लिए उन्हें अंतर्राष्ट्रीय ख्याति भी मिली और फिल्म की सफलता के बाद वह अभिनेता के रूप में फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित हो गए।
वर्ष 1959 मे प्रदर्शित फिल्म "पैगाम" में उनके सामने हिन्दी फिल्म जगत के अभिनय सम्राट दिलीप कुमार थे लेकिन राज कुमार ने यहां भी अपनी सशक्त भूमिका के जरिए दर्शकों की वाहवाही लूटने में सफल रहे। इसके बाद दिल अपना और प्रीत पराई, घराना, गोदान, दिल एक मंदिर और दूज का चांद जैसी फिल्मों में मिली कामयाबी के जरिए उन्होंने दर्शकों के बीच अपने अभिनय की धाक जमा दी।
बी. आर. चोपड़ा की फिल्म वक्त में राजकुमार का बोला गया एक संवाद "चिनाय सेठ" जिनके घर शीशे के बने होते है वो दूसरों पे पत्थर नहीं फेंका करते, दर्शकों के बीच क ाफी लोकप्रिय हुए। इसी तरह पाकीजा में उनका बोला गया एक संवाद "आपके पांव देखे बहुत हसीन हैं इन्हें जमीन पर मत उतारिएगा मैले हो जायेगें" इस कदर लोक प्रिय हुआ कि लोग गाहे बगाहे उनकी आवाज की नकल करने लगे।
उन्होंने हमराज, नीलकमल, मेरे हुजूर, हीर रांझा और पाकीजा जैसी फिल्मों में रूमानी भूमिकाएं भी स्वीकार कीं और दर्शकों की वाहवाही लूटी। वर्ष 1978 मे प्रदर्शित फिल्म "कर्मयोगी" में राज कुमार के अभिनय और विविधता के नए आयाम दर्शकों को देखने को मिले। इस फिल्म मे उन्होंने दो अलग-अलग भूमिकाओं मे अपने अभिनय की छाप छोड़ी।
वर्ष 1991 में सुभाष घई की फिल्म सौदागर में राज कुमार वर्ष 1959 मे प्रदर्शित फिल्म "पैगाम" के बाद दूसरी बार दिलीप कुमार के सामने थे और अभिनय की दुनिया के इन दोनों महारथियों का टकराव देखने लायक था। नब्बे के दशक में राजकुमार ने फिल्मों मे काम करना काफी कमकर दिया। इस दौरान उनकी तिरंगा, पुलिस और मुजिरम, इ ंसानियत के देवता, बेताज बादशाह, जवाब, गाड और गन जैसी फिल्में प्रदर्शित हुई।
नितांत अकेले रहने वाले राजकुमार ने शायद यह महसूस कर लिया था कि मौत उनके काफी करीब है, इसीलिए अपने पुत्र पुरू राजकुमार को उन्होंने अपने पास बुला लिया और कहा कि देखो मौत और जिंदगी इंसान का निजी मामला होता है। मेरी मौत के बारे में मेरे मित्र चेतन आनंद के अलावा और किसी को नहीं बताना।
मेरा अंतिम संस्कार करने के बाद ही फिल्म उद्योग को सूचित करना। अपने संजीदा अभिनय से लगभग चार दशक तक दर्शकों के दिलपर राज करने वाले महान अभिनेता राजकुमार आज ही के दिन 3 जुलाई 1996 को इस दुनिया को अलविदा कह गए।
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जयपुर। राजधानी जयपुर के श्याम नगर में एक आयकर अधिकारी के मकान में छह महीने से किराए से रह रही युवतियां यहां वेश्यावृत्ति का धंधा कर रही थी। एसीपी सोढाला की टीम ने बुधवार शाम इसका भंडाफोड़ कर तीनों युवतियों और एक ग्राहक को गिरफ्तार कर लिया।
सोढ़ाला एसीपी प्रेमदान रत्नू ने बताया कि मुखबिर से सूचना मिली थी कि श्याम नगर स्थित मकान नंबर के 74 में बाहर से लड़कियां बुलाकर देह व्यापार किया जा रहा है। तस्दीक के लिए श्याम नगर एसएचओ चंद्रप्रकाश चौधरी को निर्देश दिए गए।
पुलिस की ओर से भेजे गए बोगस ग्राहक के इशारे पर पुलिस टीम ने उक्त मकान पर छापा मारा तो दो अलग-अलग कमरों से फालना पाली निवासी प्रिया सेठ (22), मुंबई निवासी पूनम (21), दिल्ली निवासी अरविना खातून (22) तथा नागौर हाल रजत पथ मानसरोवर निवासी ग्राहक गजानंद शर्मा (33) को गिरफ्तार किया गया।
तलाशी में महिला दलाल प्रिया के पास 50 हजार, पूनम के पास 12 हजार तथा अरविना के पास 18 हजार रूपए व अन्य अनैतिक कार्ये का सामान मिला।
तीनों ने ये रकम देह व्यापार से कमाना बताया। प्रिया सेठ लड़कियों को लेकर आती थी और उसी ने मकान किराए पर ले रखा था।
बेंगलूरू। महाराष्ट्र में 21 हत्याएं करने के बाद चंद्रकांत एस.शर्मा बेंगलूरू शिफ्ट हो गया। यहां उसने 22 वीं हत्या की। पत्नी और अपने दो बेटों के साथ मिलकर शर्मा ने हत्या को अंजाम दिया। तीन दिन के अंदर ही पूरा परिवार जेल चला गया।
शर्मा को पहले की गई हत्याओं में शायद ही दोषी करार दिया जाए क्योंकि महाराष्ट्र पुलिस ने हत्या के सभी 21 मामले बंद कर दिए हैं। 54 साल के शर्मा,उसकी पत्नी हर्षा (49) और बेटे मोंटू शर्मा (27)को पिछले महीने एसवी राघवन की हत्या में दोषी करार दिया गया। 10 जनवरी 2008 को राघवन की हत्या हुई थी। पेशे से इंजीनियर राघवन चामराजपेट के नानजांबा अग्रहारा इलाके में रहते थे।
शर्मा और उसका परिवार सेंट्रल जेल में उम्र कैद की सजा काट रहा है। पहले की गई 21 हत्याओं का राज पूछताछ के दौरान खुला। शर्मा ने स्वीकार किया कि उसने अकेले महाराष्ट्र के विभिन्न इलाकों में 21 हत्याएं की थी। ये हत्याएं 1978 से 1981 के दौरान की थी। 1985 में वह बेंगलूरू शिफ्ट हो गया।
शर्मा ने इंस्पेक्टर केपी गोपाल रेड्डी की अध्यक्षता वाली पुलिस टीम के समक्ष 21 हत्याओं की बात कबूली। केपी गोपाल रेड्डी केजी नगर पुलिस थाने के इंस्पेक्टर थे,जो अब मल्लेश्वरम के एसीपी हैं। रेड्डी उन स्थानों पर गए जहां शर्मा ने हत्याएं की थी लेकिन कुछ फायदा नहीं हुआ। आईजी(जनशिकायत)आलोक कुमार ने बताया कि शर्मा ने पूछताछ के दौरान 21 लोगों की हत्या की बात कबूल की।
हमने उसके दावों की पुष्टि के लिए महाराष्ट्र में टीमें भेजी लेकिन पुलिस ने सभी मामले बंद कर दिए हैं। कई फाइलें उपलब्ध नहीं है क्योंकि उन्हें नष्ट कर दिया गया है। शर्मा ने पुणे की होटल आम्रपाली में चार हत्याएं की थी। आलोक कुमार ने बताया कि शर्मा ने क्लोरोफॉर्म सूंघाकर पीडितों को बेहोश करने की कला सीख ली थी। उसने कुछ लोगों को चाकू से गोदकर मार डाला जबकि अन्य को गला दबाकर मारा। शर्मा ने दावा किया कि उसने दुबई स्थित इब्राहिम की हत्या की थी। इब्राहिम सोने का तस्कर था। इब्राहिम और शर्मा के बीच बिजनेस को लेकर विवाद हुआ था।
एसवी राघवन ने शर्मा को अपना मकान किराए पर दिया था। शर्मा ने नौ महीने का किराया नहीं दिया था। शर्मा ने 10 जनवरी 2008 को राघवन को किराए लेने के लिए अपने घर बुलाया। राघवन किराया लेने शर्मा के घर पहुंचा। शर्मा ने अपनी पत्नी और बेटों के साथ मिलकर राघवन का तकिए से मुंह दबाकर हत्या कर दी। उन्होंने राघवन पर चाकू से वार किए। शर्मा राघवन के शव को तमिलनाडु के सूलीगेरे ले गया। वहां शव को जला दिया।
एसीपी गोपाल रेड्डी ने बताया कि शर्मा ने फर्जी कागजात तैयार किए और दावा किया कि राघवन ने एचबीआर लेआउट प्रोपर्टी उसे बेच दी थी। जब राघवन के बेटे ने अपने पिता की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई तो शर्मा ने हमें बताया कि राघवन एक महिला के साथ आए थे। वह बकाया किराया और 50 लाख रूपए सेल्क एडवांस के रूप में लेकर चले गए। एसीपी ने बताया कि शर्मा से हत्या की बात उगलवाना आसान नहीं था लेकिन जब हमने उसे बताया कि राघवन का शव मिल गया है तो वह हमारी चाल में फंस गया।
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