अरबपति डिजाइनर है रूश्दी की लेडी लव
लंदन। विवादित लेखक सलमान रूश्दी की जिंदगी में नया चैप्टर शुरू हो गया है। खबर है कि रूश्दी इन दिनों न्यूयॉर्क की अरबपति फैशन डिजाइनर व सोशलाइट मिसी ब्रॉडी के साथ रोमांस कर रहे हैं। पिछले कुछ दिनों में रूश्दी को मिसी के साथ कई पॉश आयोजनों में देखा गया है।
हाल ही उन्हें पिछले सप्ताह वैनिटी फेयर के ट्रिबेका फिल्म फेटिस्वल बैश में भी मिसी के साथ देखा गया था। दोनों की करीबियों को देखते ही उनकी कैमिस्ट्री समझ आ रही थी। वैसे मिसी की शक्ल रूशदी की पूर्व पत्नी पद्मा लक्ष्मी में काफी मेल खाती है।
उम्र में मिसी रूश्दी से 20 साल छोटी हैं और पति व बिजनेसमैन ब्रेन क्रॉस को तलाक दे चुकी हैं। रूशदी के वक्ता ने खबर की पुष्टि करते हुए कहा कि दोनों डेटिंग कर रहे हैं। मीडिया रिपोट्र्स के मुताबिक सलमान और मिसी एक म्यूचुअल फ्रेंड के जरिए मिले थे और एक दूसरे को लम्बे अरसे से जानते हैं।
उन्होंने गुरूवार को आयोजित हुए न्यूयॉर्क सिटी ओपेरा स्प्रिंग गाला की तस्वीरें भी शेयर की हैं,इस गाला में वे एक साथ हाथ पकड़ कर एंटर हुए थे। गौरतलब है कि मिसी मशहूर फैंशन मर्चेट और मारक्राफ्ट एपेरल ग्रुप के अध्यक्ष शेल्डन ब्रॉडी की बेटी हैं।
पिछले वर्ष सलमान ने पांचवी शादी रचाने को कोशिश की थी, लेकिन उनकी पूर्व लेडी लव ने उनका प्रपोजल ठुकरा दिया था। "मिडनाइट चिल्ड्रन" के लेखक रूशदी को मिशेल बेरिश ने ठुकरा दिया था और सात कैरेट एम्रल्ड-कट हीरे की अंगूठी भी लौटा दी थी।
बुधवार, 1 मई 2013
भूकंप के झटकों से हिला पूरा उत्तर भारत
नई दिल्ली।। पूरा उत्तर भारत एक बार फिर भूकंप के झटकों से हिल उठा। दिल्ली और नोएडा में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप के झटकों से कई जगहों पर दहशत फैल गई। लोग अपने घरों से बाहर निकल आए। जम्मू-कश्मीर से नुकसान की खबरें भी आ रही हैं। भूकंप का केंद्र कश्मीर के डोडा में जमीन से 10 किलोमीटर नीचे था। रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 5.7 मापी गई।
बुधवार की दोपहर करीब 12.30 बजे पूरा उत्तर भारत भूकंप के झटकों से हिल उठा। भूकंप के झटके काफी देर तक महसूस किए गए और लोग अपने दफ्तरों से बाहर निकल आए। भूकंप को पूरे उत्तर भारत में महसूस किया गया। पाकिस्तान के भी बड़े इलाके में झटकों को महसूस किया गया है।
भूकंप का केंद्र हिमालय के इलाके में था। केंद्र कश्मीर के डोडा जिले के भदरवाह में बताया जा रहा है। कश्मीर के कई इलाकों में मकानों के ढहने की खबरें आ रही हैं। हालांकि, अब तक किसी के हताहत होने की कोई खबर नहीं मिली है।
गौरतलब है कि पिछले हफ्ते अफगानिस्तान, पाकिस्तान सहित उत्तर भारत के बड़े हिस्से भूकंप के झटकों से हिल गए उठे थे। पिछले एक महीने में यह तीसरी बार है जब उत्तर भारत में भूकंप के झटके महसूस किए हैं।
इलाहाबाद में छात्रा से गैंग रेप, मुरादाबाद में युवक की हत्या
मुरादाबाद/इलाहाबाद।। उत्तर प्रदेश की अखिलेश यादव सरकार में कानून व्यवस्था की स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है। विशेषकर महिलाओं के प्रति हिंसा के मामले में। इलाहाबाद में एक कॉलेज स्टूडेंट को कुछ छात्रों ने जबरन चलती गाड़ी से उठा लिया और उसके साथ गैंग रेप किया। सदमे के कारण छात्रा बेहोश हो गई। फिलहाल छात्रा की हालत नाजुक बनी हुई है। वहीं, मुरादाबाद के छजलैट के किशनपुर गांव में मंगलवार रात बहन से छेड़छाड़ का विरोध करने पर बीएससी के छात्र की गोली मारकर हत्या कर दी गई। पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। आरोपी फरार बताए जा रहे हैं।
इलाहाबाद में सरेराह एक एक छात्रा का अपरहण कर लिया गया। उससे चलती गाड़ी में गैंग रेप किया गया। सदमे के कारण लड़की बेहोश हो गई। बाद में उसे गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया है। होश आने पर उसने बताया है कि 4 लड़कों ने उसके साथ गैंग रेप किया है। यही नहीं छात्रा ने आरोप लगाए हैं कि पुलिस आरोपियों के दबाव में है। फिलहाल छात्रा की हालत नाजुक बनी हुई है। कहा जा रहा है कि सदमे के कारण छात्रा 2 बार कोमा में जा चुकी है।
जांच में जुटे एसपी क्राइम अरुण पांडेय का कहना है कि छात्रा के बयान पर रेप की धाराएं जोड़कर आरोपियों की तलाश की जा रही है। मामले में मंगलवार को पीड़ित परिवार ने आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर जमकर हंगामा भी किया।
वहीं मुरादाबाद में एक दूसरी घटना में छजलैट के किशनपुर गांव में मंगलवार रात बहन से छेड़छाड़ का विरोध करने पर बीएससी के छात्र की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस सनसनीखेज वारदात की रिपोर्ट पड़ोसी युवकों के विरुद्ध दर्ज कराई गई। आरोपी फरार बताए जा रहे हैं।
किशनपुर में ओमेंद्र उर्फ मल्लू (22) बीएससी के छात्र थे। मंगलवार की रात करीब 8 बजे वह घर के पीछे पशुओं को चारा डालने गए थे। वहां पहले से घात लगाए बैठे पड़ोस के विनोद और रणजीत से गोली मार दी। गोली की उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। हत्या की पृष्ठभूमि में बताया जाता है कि दोनों आरोपी ओमेंद्र के घर के बाहर बैठकर उनकी बहन पर फब्तियां कसते थे। कुछ दिन पहले इसकी शिकायत पीड़ित परिवार ने छजलैट थाने में की थी। पुलिस ने दोनों से पूछताछ की, मगर कार्रवाई करने के बजाय दोनों को थाने से ही छोड़ दिया गया। छात्र के पिता जयपाल ने बताया कि इससे आरोपियों के हौसले बढ़ गए। मंगलवार रात उन्होंने मौका पाकर ओमेंद्र की हत्या कर दी।
लीबिया की जेल से भागे 170 कैदी
लीबिया की जेल से भागे 170 कैदी
त्रिपोली। लीबिया की राजधानी त्रिपोली से लगभग 800 किलोमीटर दूर सेभा में 170 कैदी कारावास तोड़कर भाग गए।
सेभा के स्थानीय परिषद के प्रवक्ता अबोबकर हम्जा ने कहा कि यह घटना उस वक्त हुई जब कैदियों के बीच शुरू हुए विवाद ने बड़े झगड़े का रूप ले लिया। इस झगड़े के दौरान कुछ को चोटें भी आई हैं।
उन्होंने कहा कि स्थानीय परिषद के सदस्यों ने इस स्थिति से निबटने के लिए दक्षिण लीबिया के सैन्य गवर्नर रामादान बरासी से मुलाकात की है। सेभा कारावास की सुरक्षा की बदतर होती स्थिति के बीच पिछले दो महीने में इस तरह की चार घटनाएं सामने आ चुकी हैं।
त्रिपोली। लीबिया की राजधानी त्रिपोली से लगभग 800 किलोमीटर दूर सेभा में 170 कैदी कारावास तोड़कर भाग गए।
सेभा के स्थानीय परिषद के प्रवक्ता अबोबकर हम्जा ने कहा कि यह घटना उस वक्त हुई जब कैदियों के बीच शुरू हुए विवाद ने बड़े झगड़े का रूप ले लिया। इस झगड़े के दौरान कुछ को चोटें भी आई हैं।
उन्होंने कहा कि स्थानीय परिषद के सदस्यों ने इस स्थिति से निबटने के लिए दक्षिण लीबिया के सैन्य गवर्नर रामादान बरासी से मुलाकात की है। सेभा कारावास की सुरक्षा की बदतर होती स्थिति के बीच पिछले दो महीने में इस तरह की चार घटनाएं सामने आ चुकी हैं।
भारत के गुजरात प्रान्त जूनागढ एक नगर ,
जूनागढ एक नगर , भारत के गुजरात प्रान्त में एक नगर पालिका एवं जनपद मुख्यालय है। यह शहर गिरनार पहाड़ियों के निचले हिस्से पर स्थित है।मंदिरों की भूमि जूनागढ़ गिरनार हिल की गोद में बसा हुआ है। यह मुस्लिम शासक बाबी नवाब के राज्य जूनागढ़ की राजधानी था। गुजराती भाषा में जूनागढ़ का अर्थ होता है प्राचीन किला। इस पर कई वंशों ने शासन किया। यहां समय-समय पर हिंदू, बौद्ध, जैन और मुस्लिम, इन चार प्रमुख धर्मों का प्रभाव रहा है। विभिन्न राजनीतिक और धार्मिक शाक्तियों के समन्वय के कारण जूनागढ़ बहुमूल्य संस्कृति का धनी रहा है। इसका उदाहरण है जूनागढ़ की अनोखी स्थापत्य कला, जिसकी झलक जूनागढ़ में आज भी देखी जा सकती है।
जूनागढ़ दो भागों में विभक्त है। एक मुख्य शहर है जिसके चारो ओर दीवारों से किलेबन्दी की गई है। दूसरा पश्िचम में है जिसे अपरकोट कहा जाता है। अपरकोट एक प्राचीन दुर्ग है जो शहर से बहुत ऊपर स्थित है। यह किला मौर्य और गुप्त शासकों के लिए बहुत मजबूत साबित हुआ क्योंकि इस किले ने विशिष्ट स्थान पर स्थित होने और दुर्गम राह के कारण पिछले 1000 वर्षो से लगभग 16 आक्रमणों का सफलतापूर्वक सामना किया। अपरकोट का प्रवेशद्वार हिंदू तोरण स्थापत्य कला का अच्छा नमूना है। बौद्ध गुफा और बाबा प्यारा की गुफा (दूसरी शताब्दी), अड़ी-काड़ी वाव, नवघन कुआं और जामी मस्जिद यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थल है।
जूनागढ़ के प्राचीन शहर का नामकरण एक पुराने दुर्ग के नाम पर हुआ है। यह गिरनार पर्वत के समीप स्थित है। यहाँ पूर्व-हड़प्पा काल के स्थलों की खुदाई हुई है। इस शहर का निर्माण नौवीं शताब्दी में हुआ था। यह चूड़ासमi राजपूतों की राजधानी थी। यह एक रियासत थी। गिरनार के रास्ते में एक गहरे रंग की बेसाल्ट चट्टान है, जिस पर तीन राजवंशों का प्रतिनिधित्व करने वाला शिलालेख अंकित है। मौर्य शासक अशोक (लगभग 260-238 ई.पू.) रुद्रदामन (150 ई.) और स्कंदगुप्त (लगभग 455-467)। यहाँ 100-700 ई. के दौरान बौद्धों द्वारा बनाई गई गुफ़ाओं के साथ एक स्तूप भी है। शहर के निकट स्थित कई मंदिर और मस्जिदें इसके लंबे और जटिल इतिहास को उद्घाटित करते हैं। यहाँ तीसरी शताब्दी ई.पू. की बौद्ध गुफ़ाएँ, पत्थर पर उत्कीर्णित सम्राट अशोक का आदेशपत्र और गिरनार पहाड़ की चोटियों पर कहीं-कहीं जैन मंदिर स्थित हैं। 15वीं शताब्दी तक राजपूतों का गढ़ रहे जूनागढ़ पर 1472 में गुजरात के महमूद बेगढ़ा ने क़ब्ज़ा कर लिया, जिन्होंने इसे मुस्तफ़ाबाद नाम दिया और यहाँ एक मस्जिद बनवाई, जो अब खंडहर हो चुकी है।
कृषि और खनिज
जूनागढ़ के प्रमुख कृषि उत्पादों में कपास, ज्वार-बाजरा, दलहन, तिलहन और गन्ना शामिल हैं। वेरावल तथा पोरबंदर यहाँ के प्रमुख बंदरगाह हैं और यहाँ मछली पकड़ने का काम भी होता है। इस नगर में वाणिज्यिक एवं निर्माण केंद्र हैं।
जूनागढ़ के प्रमुख कृषि उत्पादों में कपास, ज्वार-बाजरा, दलहन, तिलहन और गन्ना शामिल हैं। वेरावल तथा पोरबंदर यहाँ के प्रमुख बंदरगाह हैं और यहाँ मछली पकड़ने का काम भी होता है। इस नगर में वाणिज्यिक एवं निर्माण केंद्र हैं।
शिक्षा
यहाँ गुजरात कृषि विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालय हैं। यहाँ के शैक्षणिक संस्थानों में कॉलेज ऑफ़ एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग ऐंड टेक्नोलॉजी और द जे.सी ई. टी. एस. कामर्स कॉलेज शामिल हैं।
यहाँ गुजरात कृषि विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालय हैं। यहाँ के शैक्षणिक संस्थानों में कॉलेज ऑफ़ एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग ऐंड टेक्नोलॉजी और द जे.सी ई. टी. एस. कामर्स कॉलेज शामिल हैं।
प्रमुख आकर्षण
अशोक के शिलालेख (आदेशपत्र)
गिरनार जाने के रास्ते पर सम्राट अशोक द्वारा लगवाए गए शिलालेखों को देखा जा सकता है। ये शिलालेख विशाल पत्थरों पर उत्कीर्ण हैं। अशोक ने कुल चौदह शिलालेख लगवाए थे। इन शिलालेखों में राजकीय आदेश खुदे हुए हैं। इसके अतिरिक्त इसमें नैतिक नियम भी लिखे हुए हैं। ये आदेशपत्र राजा के परोपकारी व्यवहार और कार्यो का प्रमाणपत्र है। अशोक के शिलालेखों पर ही शक राजा रुद्रदाम तथा स्कंदगुप्त के खुदवाये अभिलेखों को देखा जा सकता है। रुद्रदाम ने 150 ई. में तथा स्कंदगुप्त ने 450 ई. में ये अभिलेख खुदवाये थे। इस अभिलेख की एक विशेषता यह भी है कि रुद्रदाम के अभिलेख को ही संस्कृत भाषा का प्रथम शिलालेख माना जाता है।
गिरनार जाने के रास्ते पर सम्राट अशोक द्वारा लगवाए गए शिलालेखों को देखा जा सकता है। ये शिलालेख विशाल पत्थरों पर उत्कीर्ण हैं। अशोक ने कुल चौदह शिलालेख लगवाए थे। इन शिलालेखों में राजकीय आदेश खुदे हुए हैं। इसके अतिरिक्त इसमें नैतिक नियम भी लिखे हुए हैं। ये आदेशपत्र राजा के परोपकारी व्यवहार और कार्यो का प्रमाणपत्र है। अशोक के शिलालेखों पर ही शक राजा रुद्रदाम तथा स्कंदगुप्त के खुदवाये अभिलेखों को देखा जा सकता है। रुद्रदाम ने 150 ई. में तथा स्कंदगुप्त ने 450 ई. में ये अभिलेख खुदवाये थे। इस अभिलेख की एक विशेषता यह भी है कि रुद्रदाम के अभिलेख को ही संस्कृत भाषा का प्रथम शिलालेख माना जाता है।
अपरकोट किला
माना जाता है कि इस किले का निर्माण यादवों ने द्वारिका आने पर करवाया था (जो कृष्ण भगवान से संबंधित थे)। अपरकोट की दीवारें किसी-किसी स्थान पर 20 मीटर तक ऊंची है। किले पर की गई नक्काशी अभी भी सुरक्षित अवस्था में है। इस किले में बहुत सी रूचिजनक और दर्शनीय वस्तुओं में पश्चिमी दीवार पर लगी दो तोपे हैं। इन तोपों का नाम नीलम और कांडल है। इन तोपों का निर्माण मिस्र में हुआ था। इस किले के चारों ओर 200 ईस्वी पूर्व से 200 ईस्वी तक की बौद्ध गुफाएं है।
माना जाता है कि इस किले का निर्माण यादवों ने द्वारिका आने पर करवाया था (जो कृष्ण भगवान से संबंधित थे)। अपरकोट की दीवारें किसी-किसी स्थान पर 20 मीटर तक ऊंची है। किले पर की गई नक्काशी अभी भी सुरक्षित अवस्था में है। इस किले में बहुत सी रूचिजनक और दर्शनीय वस्तुओं में पश्चिमी दीवार पर लगी दो तोपे हैं। इन तोपों का नाम नीलम और कांडल है। इन तोपों का निर्माण मिस्र में हुआ था। इस किले के चारों ओर 200 ईस्वी पूर्व से 200 ईस्वी तक की बौद्ध गुफाएं है।
सक्करबाग प्राणीउद्यान
जूनागढ़ का यह प्राणीउद्यान गुजरात का सबसे पुराना प्राणीउद्यान है। यह प्राणीउद्यान गिर के विख्यात शेर के अलावा चीते और तेंदुआ के लिए प्रसिद्ध है। गिर के शेरों को लुप्तप्राय होने से बचाने के लिए जूनागढ़ के नवाब ने 1863 ईस्वी में इस प्राणीउद्यान का निर्माण करवाया था। यहां शेर के अलावा बाघ, तेंदुआ, भालू, गीदड़, जंगली गधे, सांप और चिड़िया भी देखने को मिलती है। यह प्राणीउद्यान लगभग 500 एकड़ में फैला हुआ है।
जूनागढ़ का यह प्राणीउद्यान गुजरात का सबसे पुराना प्राणीउद्यान है। यह प्राणीउद्यान गिर के विख्यात शेर के अलावा चीते और तेंदुआ के लिए प्रसिद्ध है। गिर के शेरों को लुप्तप्राय होने से बचाने के लिए जूनागढ़ के नवाब ने 1863 ईस्वी में इस प्राणीउद्यान का निर्माण करवाया था। यहां शेर के अलावा बाघ, तेंदुआ, भालू, गीदड़, जंगली गधे, सांप और चिड़िया भी देखने को मिलती है। यह प्राणीउद्यान लगभग 500 एकड़ में फैला हुआ है।
गिर वन्यजीव अभ्यारण्य
वन्य प्राणियों से समृद्ध गिर अभ्यारण्य लगभग 1424 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। इस वन्य अभ्यारण्य में अधिसंख्य मात्रा में पुष्प और जीव-जन्तुओं की प्रजातियां मिलती है। यहां स्तनधारियों की 30 प्रजातियां, सरीसृप वर्ग की 20 प्रजातियां और कीडों- मकोडों तथा पक्षियों की भी बहुत सी प्रजातियां पाई जाती है। दक्षिणी अफ्रीका के अलावा विश्व का यही ऐसा एकलौता स्थान है जहां शेरों को अपने प्राकृतिक आवास में रहते हुए देखा जा सकता है। जंगल के शेर के लिए अंतिम आश्रय के रूप में गिर का जंगल, भारत के महत्वपूर्ण वन्य अभ्यारण्यों में से एक है। गिर के जंगल को सन् 1969 में वन्य जीव अभ्यारण्य बनाया गया और 6 वर्षों बाद इसका 140.4 वर्ग किलोमीटर में विस्तार करके इसे राष्ट्रीय उद्यान के रूप में स्थापित कर दिया गया। यह अभ्यारण्य अब लगभग 258.71 वर्ग किलोमीटर तक विस्तृत हो चुका है। वन्य जीवों को सरक्षंण प्रदान करने के प्रयास से अब शेरों की संख्या बढकर 312 हो गई है।
सूखें पताड़ वाले वृक्षों, कांटेदार झाड़ियों के अलावा हरे-भरे पेड़ों से समृद्ध गिर का जंगल नदी के किनारे बसा हुआ है। यहां के मुख्य वृक्षों में सागवान, शीशम, बबूल, बेर, जामुन, बील आदि है।
भारत के सबसे बड़े कद का हिरण, सांभर, चीतल, नीलगाय, चिंकारा और बारहसिंगा भी यहां देखा जा सकता है साथ ही यहां भालू और बड़ी पूंछ वाले लंगूर भी भारी मात्रा में पाए जाते है। कुछ ही लोग जानते होंगे कि गिर भारत का एक अच्छा पक्षी अभ्यारण्य भी है। यहां फलगी वाला बाज, कठफोडवा, एरीओल, जंगली मैना और पैराडाइज फलाईकेचर भी देखा जा सकता है। साथ ही यह अधोलिया, वालडेरा, रतनघुना और पीपलिया आदि पक्षियों को भी देखने के लिए उपयुक्त स्थान है। इस जंगल में मगरमच्छों के लिए फॉर्म का विकास किया जा रहा है जो यहां के आकर्षण को ओर भी बढा देगा।
दर्शकों के लिए गिर वन्य अभ्यारण्य मध्य अक्टूबर महीने से लेकर मध्य जून तक खोला जाता है लेकिन मानसून के मौसम में इसे बन्द कर दिया जाता है।
वन्य प्राणियों से समृद्ध गिर अभ्यारण्य लगभग 1424 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। इस वन्य अभ्यारण्य में अधिसंख्य मात्रा में पुष्प और जीव-जन्तुओं की प्रजातियां मिलती है। यहां स्तनधारियों की 30 प्रजातियां, सरीसृप वर्ग की 20 प्रजातियां और कीडों- मकोडों तथा पक्षियों की भी बहुत सी प्रजातियां पाई जाती है। दक्षिणी अफ्रीका के अलावा विश्व का यही ऐसा एकलौता स्थान है जहां शेरों को अपने प्राकृतिक आवास में रहते हुए देखा जा सकता है। जंगल के शेर के लिए अंतिम आश्रय के रूप में गिर का जंगल, भारत के महत्वपूर्ण वन्य अभ्यारण्यों में से एक है। गिर के जंगल को सन् 1969 में वन्य जीव अभ्यारण्य बनाया गया और 6 वर्षों बाद इसका 140.4 वर्ग किलोमीटर में विस्तार करके इसे राष्ट्रीय उद्यान के रूप में स्थापित कर दिया गया। यह अभ्यारण्य अब लगभग 258.71 वर्ग किलोमीटर तक विस्तृत हो चुका है। वन्य जीवों को सरक्षंण प्रदान करने के प्रयास से अब शेरों की संख्या बढकर 312 हो गई है।
सूखें पताड़ वाले वृक्षों, कांटेदार झाड़ियों के अलावा हरे-भरे पेड़ों से समृद्ध गिर का जंगल नदी के किनारे बसा हुआ है। यहां के मुख्य वृक्षों में सागवान, शीशम, बबूल, बेर, जामुन, बील आदि है।
भारत के सबसे बड़े कद का हिरण, सांभर, चीतल, नीलगाय, चिंकारा और बारहसिंगा भी यहां देखा जा सकता है साथ ही यहां भालू और बड़ी पूंछ वाले लंगूर भी भारी मात्रा में पाए जाते है। कुछ ही लोग जानते होंगे कि गिर भारत का एक अच्छा पक्षी अभ्यारण्य भी है। यहां फलगी वाला बाज, कठफोडवा, एरीओल, जंगली मैना और पैराडाइज फलाईकेचर भी देखा जा सकता है। साथ ही यह अधोलिया, वालडेरा, रतनघुना और पीपलिया आदि पक्षियों को भी देखने के लिए उपयुक्त स्थान है। इस जंगल में मगरमच्छों के लिए फॉर्म का विकास किया जा रहा है जो यहां के आकर्षण को ओर भी बढा देगा।
दर्शकों के लिए गिर वन्य अभ्यारण्य मध्य अक्टूबर महीने से लेकर मध्य जून तक खोला जाता है लेकिन मानसून के मौसम में इसे बन्द कर दिया जाता है।
बौद्ध गुफा
बौद्ध गुफा चट्टानों को काट कर बनायी गई है। इस गुफा में सुसज्जित खंभे, गुफा का अलंकृत प्रवेशद्वार, पानी के संग्रह के लिए बनाए गए जल कुंड, चैत्य हॉल, वैरागियों का प्रार्थना कक्ष, चैत्य खिडकियां स्थापत्य कला का अद्भुत उदाहरण पेश करती हैं। शहर में स्थित खापरा-कोडिया की गुफाएं भी देखने लायक है।
बौद्ध गुफा चट्टानों को काट कर बनायी गई है। इस गुफा में सुसज्जित खंभे, गुफा का अलंकृत प्रवेशद्वार, पानी के संग्रह के लिए बनाए गए जल कुंड, चैत्य हॉल, वैरागियों का प्रार्थना कक्ष, चैत्य खिडकियां स्थापत्य कला का अद्भुत उदाहरण पेश करती हैं। शहर में स्थित खापरा-कोडिया की गुफाएं भी देखने लायक है।
अड़ी-काड़ी वेव और नवघन कुआं
अड़ी-काड़ी वेव और नवघन कुआं का निर्माण चूडासमा राजपूतों ने कराया था। इन कुओं की संरचना आम कुओं से बिल्कुल अलग तरह की है। पानी के संग्रह के लिए इसकी अलग तरह की संरचना की गई थी। ये दोनों कुएं युद्ध के समय दो सालों तक पानी की कमी को पूरा कर सकते थे। अड़ी-कड़ी वाव तक पहुंचने के लिए 120 पायदान नीचे उतरना होता है जबकि नवघन कुंआ 52 मीटर की गहराई में है। इन कुओं तक पहुंचने के लिए गोलाकार सीढियां बनी हुई है।
अड़ी-काड़ी वेव और नवघन कुआं का निर्माण चूडासमा राजपूतों ने कराया था। इन कुओं की संरचना आम कुओं से बिल्कुल अलग तरह की है। पानी के संग्रह के लिए इसकी अलग तरह की संरचना की गई थी। ये दोनों कुएं युद्ध के समय दो सालों तक पानी की कमी को पूरा कर सकते थे। अड़ी-कड़ी वाव तक पहुंचने के लिए 120 पायदान नीचे उतरना होता है जबकि नवघन कुंआ 52 मीटर की गहराई में है। इन कुओं तक पहुंचने के लिए गोलाकार सीढियां बनी हुई है।
जामी मस्जिद
जामी मस्जिद मूलत: रानकीदेवी का निवास स्थान था। मोहम्मद बेगड़ा ने जूनागढ़ फतह के दौरान (1470 ईस्वी) अपनी विजय की याद में इसे मस्जिद में तब्दील कर दिया था । यहां अन्य आकर्षणों में नीलम तोप है जिसे तुर्की के राजा सुलेमान के आदेश पर पुर्तगालियों से लड़ने के लिए बनवाया गया था। यह तोप मिस्र से दीव के रास्ते आई थी।
जामी मस्जिद मूलत: रानकीदेवी का निवास स्थान था। मोहम्मद बेगड़ा ने जूनागढ़ फतह के दौरान (1470 ईस्वी) अपनी विजय की याद में इसे मस्जिद में तब्दील कर दिया था । यहां अन्य आकर्षणों में नीलम तोप है जिसे तुर्की के राजा सुलेमान के आदेश पर पुर्तगालियों से लड़ने के लिए बनवाया गया था। यह तोप मिस्र से दीव के रास्ते आई थी।
अन्य दर्शनीय स्थल
अम्बे माता का मंदिर
अम्बे माता का मंदिर पहाड़ की चोटी पर स्थित है। यहां पर नवविवाहित जोड़े शादी के बाद अपने वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाने के लिए माता का आशीर्वाद लेने आते है।
अम्बे माता का मंदिर पहाड़ की चोटी पर स्थित है। यहां पर नवविवाहित जोड़े शादी के बाद अपने वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाने के लिए माता का आशीर्वाद लेने आते है।
मल्लिनाथ का मंदिर
9वें जैन तीर्थंकर मल्लिनाथ की याद में 1177 ईस्वी पूर्व में दो भाईयों ने इस त्रिमंदिर का निर्माण करवाया था। उत्सवों के समय यह मंदिर साधुओं के रहने का पंसदीदा स्थान होता है। नवंबर-दिसम्बर महीने की कार्तिक पूर्णिमा पर यहां बहुत बड़े मेले का आयोजन किया जाता है।
9वें जैन तीर्थंकर मल्लिनाथ की याद में 1177 ईस्वी पूर्व में दो भाईयों ने इस त्रिमंदिर का निर्माण करवाया था। उत्सवों के समय यह मंदिर साधुओं के रहने का पंसदीदा स्थान होता है। नवंबर-दिसम्बर महीने की कार्तिक पूर्णिमा पर यहां बहुत बड़े मेले का आयोजन किया जाता है।
जूनागढ संग्रहालय
जू में स्थित इस संग्रहालय में हस्तलिपि, प्राचीन सिक्के, चित्रकला और पुरातत्वीय साहित्य के साथ-साथ प्राकृतिक इतिहास का एक विभाग है।
जू में स्थित इस संग्रहालय में हस्तलिपि, प्राचीन सिक्के, चित्रकला और पुरातत्वीय साहित्य के साथ-साथ प्राकृतिक इतिहास का एक विभाग है।
आयुर्वेदिक कॉलेज
जूनागढ़ के पूर्व नवाब के राजमहल सदरबाग में स्थित यह महाविद्यालय आयुर्वेदिक दवाईयों का एक छोटा संग्रहालय है।
जूनागढ़ के पूर्व नवाब के राजमहल सदरबाग में स्थित यह महाविद्यालय आयुर्वेदिक दवाईयों का एक छोटा संग्रहालय है।
दरबार हॉल संग्रहालय
यह वह हॉल है जहां जूनागढ़ के नवाब अपने दरबार का आयोजन करते थे। यहां पर चित्रों, पालकियों और शस्त्रों के प्रर्दशन के बहुत से विभाग बने हुए है।
यह वह हॉल है जहां जूनागढ़ के नवाब अपने दरबार का आयोजन करते थे। यहां पर चित्रों, पालकियों और शस्त्रों के प्रर्दशन के बहुत से विभाग बने हुए है।
नरसिंह मेहता चोरो
यह एक विशाल स्थान है। यह सादगीपूर्ण तरीके से बना हुआ है। इसी जगह पर 15वीं शताब्दी में महान संत कवि नरसिंह मेहता के प्रवचनों और सभाओं का आयोजन होता था। यहां पर गोपनाथ का एक छोटा मंदिर तथा श्री दामोदर राय जी और नरसिंह मेहता की प्रतिमाएं भी है।
यह एक विशाल स्थान है। यह सादगीपूर्ण तरीके से बना हुआ है। इसी जगह पर 15वीं शताब्दी में महान संत कवि नरसिंह मेहता के प्रवचनों और सभाओं का आयोजन होता था। यहां पर गोपनाथ का एक छोटा मंदिर तथा श्री दामोदर राय जी और नरसिंह मेहता की प्रतिमाएं भी है।
दामोदर कुंड
इस पवित्र कुंड के चारों ओर घाट (नहाने के लिए) का निर्माण किया गया है। ऐसा विश्वास किया जाता है कि इस घाट पर भगवान श्री कृष्ण ने महान संत कवि नरसिंह मेहता को फूलों का हार पहनाया था।
इस पवित्र कुंड के चारों ओर घाट (नहाने के लिए) का निर्माण किया गया है। ऐसा विश्वास किया जाता है कि इस घाट पर भगवान श्री कृष्ण ने महान संत कवि नरसिंह मेहता को फूलों का हार पहनाया था।
आवागमनहवाई मार्ग
जूनागढ़ से तकरीबन 40 किलोमीटर की दूरी पर केशोढ और 113 किलोमीटर की दूरी पर पोरबन्दर एयरपोर्ट है। राजकोट भी हवाई मार्ग से इससे जुड़ा हुआ है।रेल मार्ग
जूनागढ़ रेलवे स्टेशन अहमदाबाद और राजकोट रेलवे लाईन पर पड़ता हैसड़क मार्ग
जूनागढ़ राजकोट से (102 किलोमीटर), पोरबंदर से (113 किलोमीटर) और अहमदाबाद से (327 किलोमीटर) की दूरी पर स्थित है। साथ ही यह वरावल से भी जुड़ा हुआ है। स्थानीय परिवहन: ऑटो रिक्शा और स्थानीय बसों से आसानी से जूनागढ़ पहुंचा जा सकता है। प्राइवेट और राज्य परिवहन की लक्जरी बसें आसानी से उपलब्ध हो जाती है और विभिन्न प्रकार की कार भी किराये पर मिलती
जूनागढ़ से तकरीबन 40 किलोमीटर की दूरी पर केशोढ और 113 किलोमीटर की दूरी पर पोरबन्दर एयरपोर्ट है। राजकोट भी हवाई मार्ग से इससे जुड़ा हुआ है।रेल मार्ग
जूनागढ़ रेलवे स्टेशन अहमदाबाद और राजकोट रेलवे लाईन पर पड़ता हैसड़क मार्ग
जूनागढ़ राजकोट से (102 किलोमीटर), पोरबंदर से (113 किलोमीटर) और अहमदाबाद से (327 किलोमीटर) की दूरी पर स्थित है। साथ ही यह वरावल से भी जुड़ा हुआ है। स्थानीय परिवहन: ऑटो रिक्शा और स्थानीय बसों से आसानी से जूनागढ़ पहुंचा जा सकता है। प्राइवेट और राज्य परिवहन की लक्जरी बसें आसानी से उपलब्ध हो जाती है और विभिन्न प्रकार की कार भी किराये पर मिलती
कच्छ में मनाया जाता है 38 दिनों तक रण उत्सव
कच्छ में मनाया जाता है 38 दिनों तक रण उत्सव
चांद के रोशनी में ऊंट की सवारी का आनंद लेना हो तो चले आइए ऊंटों के देश गुजरात में. हजारों की संख्या में प्रतिदिन यहां विदेशी सैलानी रण उत्सव में हिस्सा लेने पहुंचते हैं. इस उत्सव का आयोजन कच्छ के रेगिस्तान में किया जाता है. नमक की बहुलता वाले इस क्षेत्र में रात में रेगिस्तान सफेद रेगिस्तान में बदल जाता है. यहां आकर आप खुली हवा में कल्चरल प्रोग्राम का आनंद उठा सकते हैं. सैलानियों के मनोरंजन के लिए यहां थियेटर की सुविधाएं भी हैं.
इस दौरान चांदनी रात में गुजरात के स्वादिष्ट रेसिपी का आनंद लेने का अपना मज़ा है, जिसे यहां आकर ही लिया जा सकता है. यहां से पाकिस्तान के सिंध क्षेत्र का नजारा भी देखने को मिलता है जो कच्छ से थोड़ी दूर पर ही स्थित है. हां, एक बात और बता दूं कि यह क्षेत्र स्वामी विवेकानंद के कारण भी काफी मशहूर है. बताते हैं कि अट्ठारह सौ तिरानवे में शिकागो सम्मेलन के लिए रवाना होने से पहले उन्होंने कच्छ की यात्रा की थी.
ऊंट की सवारी और रेत की कलाकारी
उत्तरी गुजरात के कच्छ जिले में दिसंबर में कच्छ कार्निवल मनाया जाता है, जिसे रण उत्सव के रूप में भी जाना जाता है. भारत-पाकिस्तान सीमा पर आयोजित रण उत्सव के दौरान ऊंट की सवारी का लुत्फ लिया जा सकता है. हर साल होने वाले रण उत्सव में हजारों लोग शामिल होते हैं. रण उत्सव की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि तीन दिनों तक चलने वाला यह उत्सव अब पूरे महीने आयोजित किया जाता है. इस दौरान कलाकार रेत पर अपनी कला के माध्यम से भारत के इतिहास की झलक पेश करते हैं. पिछले सालों तक कलाकारों ने इस रण उत्सव के दौरान रामायण के पात्रों से लेकर स्वामी विवेकानंद की कच्छ यात्रा तक को चित्रित कर दिखाया है.
हस्तशिल्प के लिए प्रसिद्ध है रण उत्सव
अरब सागर से घिरे रण ऑफ कच्छ का नाम सुनते ही गुजरात राज्य के उस क्षेत्र का चित्र जहन में उभरता है, जहां के निवासी अपनी क्राफ्ट्समैनशिप के अलावा ब्लॉक प्रिंटिंग, पॉटरी, वुड कार्विग तथा मैटल क्राफ्ट के लिए सारी दुनिया में प्रसिद्ध हैं. वैसे तो सैलानियों का तांता तो साल भर लगा रहता है, परन्तु यह क्षेत्र तब और भी जीवंत हो उठता है, जब गुजरात पर्यटन निगम द्वारा आयोजित होने वाला तीन दिवसीय रण उत्सव शुरू होता है. इसका मुख्य उद्देश्य सैलानियों को यहां के लोगों के रहन-सहन और संस्कृति से परिचित कराने के अलावा, आसपास की हस्त शिल्प कला के लिए प्रसिद्ध गांवों में काम करते लोगों से रूबरू कराना है. चांदनी रात में रण के विशाल मैदान में चांदनी रात में चमकती रेत का सौंदर्य देखने का आनंद तो पर्यटकों को अलग सा अनुभव कराता है.
रण उत्सव में आयोजित होने वाले कार्यक्रम
‘रण उत्सव’ में हजारों सैलानियों के पहुंचने से पूरा क्षेत्र जीवंत हो उठता है. भुज से पांच किलोमीटर दूर रण के विशाल मैदान के बीच धोरडो गांव के पास एक विशाल टूरिस्ट कैंप बस जाता है, जहां पर्यटकों को सभी सुविधाओं से युक्त टैंटों में ठहराया जाता है. यहां के मिट्टी के बने कलात्मक घर इतने सुंदर होते हैं कि सैलानी इन घरों को देखकर खुद को इनकी प्रशंसा करने से नहीं रोक पाता.
इस उत्सव में भाग लेने वाले पर्यटकों को पहले दिन ‘भुज’ के पास हमीरसर लेक के किनारे आयोजित कार्निवाल की सैर कराई जाती है, जो यहां की संस्कृति को समझने एवं जानने का बेहतरीन अवसर प्रदान करता है. दूसरे दिन ‘रण सफारी’ का रोमांच तथा चांदनी रात में चमकते दूधिया रण में आयोजित होने वाले लोक संगीत एवं लोक नृत्यों का आनंद उठाते हैं. इन कार्यक्रमों के अलावा हस्तशिल्प के कलाकारों को अपने घरों में काम करते देखना हर सैलानी को बरबस ही अपनी ओर खींच लेता है.
यहां के दर्शनीय स्थलों में ‘ढोलावीरा’ जहां हड़प्पन सभ्यता को दर्शाता है, वहीं धार्मिक स्थलों में भगवान शिव को समर्पित नारायण सरोवर, कोटेश्वर मंदिर, माता नो मांध, थान मोनेस्ट्री तथा लखपत किला प्रसिद्ध हैं. काला डूंगर से रण का दृश्य देखते ही बनता है तथा पहाड़ी स्थित दत्तात्रेय मंदिर से सायंकाल की आरती के बाद पुजारी की आवाज पर सैकड़ों की संख्या में सियारों का दौड़ कर आना पर्यटकों को अचंभित करता है.
कैसे पहुंचे
यहां हवाई सेवा, रेल और सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है. भुज हवाई सेवा से जुड़ा है तथा देश के प्रमुख शहरों से एयर लाइंस सेवा द्वारा पहुंचा जा सकता है. इसके अलावा भुज देश के प्रमुख रेल नेटवर्क से भी जुडा़ है. जहां तक बात रही सड़क मार्ग से यहां पहुंचने की तो राज्य के प्रमुख शहरों से यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है. इस उत्सव का रोमांच इतना है कि सैलानी यहां पैकेज टूर के साथ आते हैं.
एडवांस लेकर शादी में घोड़ा नहीं भेजने पर 10 हजार का जुर्माना
एडवांस लेकर शादी में घोड़ा नहीं भेजने पर 10 हजार का जुर्माना
उपभोक्ता मंच का फैसला अपनी पुत्री के विवाह के दौरान दूल्हे की स्वागत रस्म के लिए बुक करवाया था घोड़ा , एडवांस में दिए थे सात हजार रुपए फिर भी नहीं पहुंचाया घोड़ा, उपभोक्ता मंच ने लगाया जुर्माना
जालोर विवाह में घोड़ा बुक करने के बाद नहीं ले जाने पर जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच ने घोड़े मालिक को 17 हजार रुपए देने के आदेश दिए हैं।
फैसले के अनुसार आहोर तहसील के मोरू गांव निवासी खंगाराराम पुत्र लच्छाजी जाति मेघवाल ने अपनी पुत्री के विवाह में दूल्हे के स्वागत की रस्म के लिए आहोर तहसील के अगवरी गांव निवासी चूनिया (चूनाराम) पुत्र छोगाजी सरगरा के पास घोड़ा बुक करवाया था। इसके लिए खंगाराराम ने घोड़ा मालिक की ओर से मांगी गई पूरी रकम 7 हजार रुपए एडवांस दे दिए तथा 29 जून 2012 को सुबह 5 बजे घोड़ा लेकर पहुंचने पर सहमति हुई। लेकिन चूनिया (चूनाराम) 7 बजे तक भी घोड़ा लेकर नहीं गया। मोबाइल पर संपर्क करने पर कहा घोड़ा लेकर नहीं आऊंगा तथा फोन बंद कर दिया। उसके बाद खंगाराराम उसके पास गया तो चूनिया ने कहा कि कुछ लोगों ने उसे मना किया है इसलिए वह घोड़ा लेकर नहीं आएगा। एडवांस में दिए पैसे मांगे तो वह भी नहीं दिए। बाद में खंगाराराम को 11 हजार रुपए देकर दूसरे स्थान से घोड़ा मंगवाना पड़ा। इससे परिवादी को मानसिक व आर्थिक क्षति का सामना करना पड़ा।
परिवादी खंगाराम ने चूनिया (चूनाराम)के खिलाफ उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत वाद पेश किया। मंच ने इस मामले को सेवा में त्रुटि मानते हुए घोड़े वाले को आदेश दिए कि वह 18 अप्रैल 2013 से एक माह में एडवांस में लिए 7 हजार रुपए तथा मानसिक क्षति के रूप में प्रार्थी को 10 हजार रुपए अदा करें। यह निर्णय मंच के अध्यक्ष एसआर मेघवंशी, सदस्य अंजू चारण व केशरसिंह राठौड़ के निर्देशन में खुले मंच में सुनाया गया।
चुनावी फायदे के लिए हटाए नियमों के बैरियर
चुनावी फायदे के लिए हटाए नियमों के बैरियर
जयपुर राज्य सरकार ने चुनावी साल में विभिन्न योजनाओं के माध्यम से 50 लाख से ज्यादा लोगों को सीधे फायदा पहुंचाने की तैयारी कर ली है। पेंशन योजना में सभी प्रमुख राइडर हटाते हुए 20 लाख से ज्यादा लोगों को वृद्धावस्था और विधवा पेंशन देने जा रही है। यह संख्या पांच लाख तक बढ़ सकती है। तीन लाख से ज्यादा छात्रों को आठवीं में टॉप टेन रहने पर 6-6 हजार के चेक और करीब 60 हजार को 8वीं प्रथम रहने पर लैपटॉप दिए जाएंगे। ये लैपटॉप 20 हजार रुपए से ज्यादा कीमत का होगा। एक लाख 17 हजार शहरी बीपीएल को मकान के लिए अब 50 हजार रुपए की जगह 70 हजार रुपए दिए जा रहे हैं। नरेगा में सौ दिन पूरे करने वाले परिवारों, जननी सुरक्षा योजना और शुभ लक्ष्मी में आने वाली महिलाओं और बेटियों को भी इसमें लाभान्वित किया जा रहा है। राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में इन योजनाओं को लेकर भारी चर्चा है।
ये बैरियर हटाए
> पहले आय का निर्धारण करने के लिए जमीन का बैरियर था। जो हर जिले में अलग- अलग था। उसे हटा दिया है।
> परिवार में 25 वर्ष से अधिक आयु के पुत्र की शर्त को हटाया।
> एसडीएम और तहसीलदार से प्रमाणित आय प्रमाणपत्र की शर्त।
सामाजिक न्याय विभाग के अनुसार 20 लाख नए लोगों को पेंशन देने जा रही हैं। सरकार ने इसके लिए 1500 करोड़ रुपए का बजट रखा है और ऐसे प्रावधान हटा दिए हैं, जो लोगों को सीधे फायदा पहुंचाने में बाधा बने हुए थे। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के निदेशक अजिताभ शर्माने बताया कि विभाग ने एक जुलाई तक 20 लाख नए लोगों को पेंशन राशि मिलना सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। विभाग ने 20 अप्रैल से शुरू पेंशन महाभियान के तहत 29 अप्रैल तक 3 लाख 11 हजार व्यक्तियों को पेंशन स्वीकृत की है। यह विशेष अभियान 31 मई तक चलेगा। इसमें वृद्धावस्था, विधवा, परित्यक्ता, तलाकशुदा और विशेष योग्यजन पेंशन मौके पर ही स्वीकृत की जा रही है। अजिताभ शर्मा के मुताबिक इन आठ दिनों में 2 हजार 121 शिविर लगे। जिनमें 3 लाख 34 हजार व्यक्तियों के आवेदन मिले। इस दौरान मुख्यमंत्री असहाय पुनर्वास योजना के तहत 325 व्यक्तियों का चयन किया।
पेंशन के लिए यह शर्त
अधिकारियों के मुताबिक वृद्धावस्था, विधवा, परित्यक्ता, तलाकशुदा के लिए आय सीमा 48 हजार रु. वार्षिक और विशेष योग्यजन के लिए आय सीमा को 60 हजार रु. वार्षिक रखा है। आय सीमा के लिए आवेदक का खुद और नोटेरी पब्लिक से सत्यापित प्रमाण पत्र मान्य होगा और तहसीलदार के पास जाने वाली पुरानी प्रक्रिया खत्म कर दी गई है। सरकार ने 55 वर्ष से अधिक उम्र की महिला और 58 साल से अधिक के पुरुष को पेंशन के लिए पात्र माना है। इन्हें अब 400 रु. प्रतिमाह की जगह 500 रु. प्रतिमाह पेंशन मिलेगी। इसके साथ ही 75 वर्ष से अधिक व्यक्ति को 750 रु. और दंपत्तियों के लिए 1500 रु. प्रतिमाह पेंशन की व्यवस्था।
इनके लिए कोई शर्त नहीं
बीपीएल, स्टेट बीपीएल, आस्था कार्डधारी, अंत्योदय परिवार, सहरिया, कथौड़ी, खैरवा जाति के व्यक्ति बिना किसी शर्त के पेंशन पाने के पात्र हैं। ऐसे बौने जिनकी ऊंचाई साढ़े तीन फीट से कम है वे भी अब विशेष योग्यजन पेंशन पाने के पात्र होंगे।
इनके लिए कोई शर्त नहीं
बीपीएल, स्टेट बीपीएल, आस्था कार्डधारी, अंत्योदय परिवार, सहरिया, कथौड़ी, खैरवा जाति के व्यक्ति बिना किसी शर्त के पेंशन पाने के पात्र हैं। ऐसे बौने जिनकी ऊंचाई साढ़े तीन फीट से कम है वे भी अब विशेष योग्यजन पेंशन पाने के पात्र होंगे।
मनरेगा में 2100 रुपए की प्रोत्साहन राशि
राज्य सरकार मनरेगा में 100 दिन का रोजगार पूरा कर चुके व्यक्ति को 21 सौ रुपए नकद प्रोत्साहन राशि दे रही है।
आठवीं के 3.22 लाख टॉपर्स को मिलेंगे 6-6 हजार के चैक
राज्य के सरकारी स्कूलों में आठवीं कक्षा के 3.22 लाख टॉपर्स को टेबलेट-पीसी के लिए 6-6 हजार रुपए के चैक मिलेंगे। कक्षा में दूसरे से 11वें स्थान पर आने वाले ये विद्यार्थी राजीव गांधी डिजिटल विद्यार्थी योजना के तहत यह राशि मिलेगी। स्कूल स्तर पर 14 मई को स्कूल प्रबंध समिति और अभिभावकों के समक्ष समारोह आयोजित कर ये चैक वितरित किए जाएंगे। इसके अलावा आठवीं में पहले स्थान पर रहने वाले करीब 58 हजार विद्यार्थियों को पिछले साल की तरह टेबलेट मिलेंगे।
राजीव गांधी डिजिटल विद्यार्थी योजना के तहत मिलने वाली राशि से छात्र को अपने स्तर पर 30 सितंबर तक टैबलेट-पीसी खरीदना होगा। स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से जारी निर्देशों के अनुसार संबंधित विद्यार्थी को 31 अक्टूबर तक खरीद का स्वघोषणा-पत्र देना होगा। सभी जिला शिक्षा अधिकारी ब्लॉक और संभागवार विद्यार्ियों की सूची बनाकर बजट आबंटन सुनिश्चित करेंगे। विभाग की ओर से जिला शिक्षाधिकारियों को चैक वितरण कार्यक्रम आयोजित करने के निर्देश दिए गए हैं। इनकी मॉनीटरिंग कलेक्टर स्तर पर होगी।
इन योजनाओं से भी मिल रहा है
शुभलक्ष्मी योजना
-बालिका के जीवित जन्म होने पर प्रसूता को 2100 रुपए की राशि। यह राशि जननी सुरक्षा योजना के अलावा मिलेगी। बालिका की उम्र एक साल पूरी होने तथा सभी टीके लगवाने पर 2100 रुपए की अतिरिक्त राशि मिलेगी। बालिका की उम्र 5 साल होने तथा स्कूल में प्रवेश लेने पर तीसरे लाभ के तहत महिला को 3100 रुपए की राशि मिलेगी।
जननी सुरक्षा योजना
संस्थागत प्रसव पर शहरी क्षेत्र की महिलाओं को एक हजार रुपए। ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को 1400 रुपए। घर से आने-जाने का किराया।
15 लाख पेंशनधारकों के घर पहुंचेगा मुख्यमंत्री का आत्मिक संदेश
- पेंशन के आर्डर के साथ ही मुख्यमंत्री का हस्ताक्षरित पत्र भी हर व्यक्तिको मिलेगा।
- पहले चरण में सरकार ने छपवाए 4 लाख आत्मिक संदेश के पत्र।
प्रदेश में 15 लाख लोग से अधिक लोगों को पेंशन आर्डर के साथ ही लोगों को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का आत्मिक संदेश भी मिलेगा। इसमें वृद्ध, विधवा और विशेष योग्यजन को मुख्यमंत्री बीपीएल जीवन रक्षा कोष के अंतर्गत गंभीर बीमारियों को मुफ्त इलाज, मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना, मुख्यमंत्री निशुल्क जांच योजना और मुख्यमंत्री असहाय पुनर्वास योजना के बारे में सरकार के प्रयास से अवगत कराया जा रहा है। साथ ही गहलोत ने सामाजिक उत्थान और कल्याण की सभी योजनाओं को लागू करना सरकार का कत्र्तव्य बताया है।
यह पत्र मुख्यमंत्री कार्यालय की तरफ से भेजे जा रहे हैं। पहले चरण में 4 लाख आत्मिक संदेश प्रिंट करवाएं हैं। यह आत्मिक संदेश पेंशन स्वीकृत होने के बाद भुगतान आदेश के साथ मिलेगा।
लुभावनी योजनाएं
राज्य सरकार कई योजनाओं में नियम आसान कर देगी 50 लाख लोगों को सीधा फायदा
राज्य सरकार मनरेगा में 100 दिन का रोजगार पूरा कर चुके व्यक्ति को 21 सौ रुपए नकद प्रोत्साहन राशि दे रही है।
आठवीं के 3.22 लाख टॉपर्स को मिलेंगे 6-6 हजार के चैक
राज्य के सरकारी स्कूलों में आठवीं कक्षा के 3.22 लाख टॉपर्स को टेबलेट-पीसी के लिए 6-6 हजार रुपए के चैक मिलेंगे। कक्षा में दूसरे से 11वें स्थान पर आने वाले ये विद्यार्थी राजीव गांधी डिजिटल विद्यार्थी योजना के तहत यह राशि मिलेगी। स्कूल स्तर पर 14 मई को स्कूल प्रबंध समिति और अभिभावकों के समक्ष समारोह आयोजित कर ये चैक वितरित किए जाएंगे। इसके अलावा आठवीं में पहले स्थान पर रहने वाले करीब 58 हजार विद्यार्थियों को पिछले साल की तरह टेबलेट मिलेंगे।
राजीव गांधी डिजिटल विद्यार्थी योजना के तहत मिलने वाली राशि से छात्र को अपने स्तर पर 30 सितंबर तक टैबलेट-पीसी खरीदना होगा। स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से जारी निर्देशों के अनुसार संबंधित विद्यार्थी को 31 अक्टूबर तक खरीद का स्वघोषणा-पत्र देना होगा। सभी जिला शिक्षा अधिकारी ब्लॉक और संभागवार विद्यार्ियों की सूची बनाकर बजट आबंटन सुनिश्चित करेंगे। विभाग की ओर से जिला शिक्षाधिकारियों को चैक वितरण कार्यक्रम आयोजित करने के निर्देश दिए गए हैं। इनकी मॉनीटरिंग कलेक्टर स्तर पर होगी।
इन योजनाओं से भी मिल रहा है
शुभलक्ष्मी योजना
-बालिका के जीवित जन्म होने पर प्रसूता को 2100 रुपए की राशि। यह राशि जननी सुरक्षा योजना के अलावा मिलेगी। बालिका की उम्र एक साल पूरी होने तथा सभी टीके लगवाने पर 2100 रुपए की अतिरिक्त राशि मिलेगी। बालिका की उम्र 5 साल होने तथा स्कूल में प्रवेश लेने पर तीसरे लाभ के तहत महिला को 3100 रुपए की राशि मिलेगी।
जननी सुरक्षा योजना
संस्थागत प्रसव पर शहरी क्षेत्र की महिलाओं को एक हजार रुपए। ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को 1400 रुपए। घर से आने-जाने का किराया।
15 लाख पेंशनधारकों के घर पहुंचेगा मुख्यमंत्री का आत्मिक संदेश
- पेंशन के आर्डर के साथ ही मुख्यमंत्री का हस्ताक्षरित पत्र भी हर व्यक्तिको मिलेगा।
- पहले चरण में सरकार ने छपवाए 4 लाख आत्मिक संदेश के पत्र।
प्रदेश में 15 लाख लोग से अधिक लोगों को पेंशन आर्डर के साथ ही लोगों को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का आत्मिक संदेश भी मिलेगा। इसमें वृद्ध, विधवा और विशेष योग्यजन को मुख्यमंत्री बीपीएल जीवन रक्षा कोष के अंतर्गत गंभीर बीमारियों को मुफ्त इलाज, मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना, मुख्यमंत्री निशुल्क जांच योजना और मुख्यमंत्री असहाय पुनर्वास योजना के बारे में सरकार के प्रयास से अवगत कराया जा रहा है। साथ ही गहलोत ने सामाजिक उत्थान और कल्याण की सभी योजनाओं को लागू करना सरकार का कत्र्तव्य बताया है।
यह पत्र मुख्यमंत्री कार्यालय की तरफ से भेजे जा रहे हैं। पहले चरण में 4 लाख आत्मिक संदेश प्रिंट करवाएं हैं। यह आत्मिक संदेश पेंशन स्वीकृत होने के बाद भुगतान आदेश के साथ मिलेगा।
लुभावनी योजनाएं
राज्य सरकार कई योजनाओं में नियम आसान कर देगी 50 लाख लोगों को सीधा फायदा
28 साल से पाक जेल में बंद भगू के परिजन भी चिंतित
28 साल से पाक जेल में बंद भगू के परिजन भी चिंतित
कलेक्टर से पति की खैर खबर जानने लक्ष्मी बेटे व बेटी के साथ पहुंची
बाड़मेर पाक के लाहौर की कोट लखपतराय जेल में सरबजीत पर हुए जानलेवा हमले के बाद बाड़मेर के धनाऊ गांव के लोग भी मायूस हैं और चिंता में डूबे हैं। इस गांव का एक लाड़ला भगूसिंह भी पिछले 28 सालों से पाक की लखपत जेल में बंद है। सरबजीत की खबरें सुनकर ही भगूसिंह की पत्नी लक्षमी का बुरा हाल हो रहा है। वह हर दिन अपने पिया मिलन की आस में गुजारती है। लक्ष्मी कहतीं हैं कि अब हर दिन ईश्वर से प्रार्थना करती हूं कि मेरे पति की रक्षा करें। लंबे अर्से से रिहाई की उम्मीद कर रहे भगूसिंह के परिजनों की भी बैचनी बढ़ गई है कि परिवार का मुखिया पाक जेल में किस हाल में है। पति की खैर खबर जानने के लिए लक्ष्मी अपनी बेटी व बेटे के साथ मंगलवार को कलेक्टर के पास पहुंच गई। बिछोह की दास्तां सुनाते हुए लक्षमी की आंखें नम हो गई। मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन कलेक्टर को सौंपकर पाक जेल में बंद पति की रिहाई की मांग रखी। धनाऊ गांव निवासी भगूसिंह वर्ष 1985 में भारत-पाक सीमा के पास भेड़ बकरियां चराने गया था। भूलवश पाक सीमा में घुसने पर पाक रेंजर्स ने भगूसिंह को शक के आधार पर पकड़ कर जेल में डाल दिया। पति को खोने के बाद लक्ष्मी अकेली रह गई। दो बेटे व एक बेटी के पालन पोषण के साथ घर की पूरी जिम्मेदारी अकेली अबला पर आ गई। विकट हालात में उसने हिम्मत नहीं हारी। पति की रिहाई की उम्मीद के साथ जिंदगी का संघर्ष जारी रखा। बीते दिनों पाक की लाहौर की कोट लखपत जेल में सरबजीत पर हुए हमले के समाचार मिलने के बाद परिवार के सदस्यों की चिंताएं बढ़ गई। लक्ष्मी कंवर बताती है कि पाक की जेल में ही उसका पति भगूसिंह कैद है। वे किस हाल में है इस बारे में कोई खैर खबर नहीं है। इस बारे में पता लगाने के लिए कलेक्टर से मिलकर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया है। कहीं से उसके पति की खैर खबर मिल जाए तो मन को सुकून मिल जाए। अर्जुन सोढ़ा ने बताया कि जब पिता पाक चले गए थे, तब वे छोटे थे। पिता का चेहरा तक उन्हें याद नहीं है। पुराने फोटो देखकर ही पिता की याद सलामत होती है।
कलेक्टर से पति की खैर खबर जानने लक्ष्मी बेटे व बेटी के साथ पहुंची
बाड़मेर पाक के लाहौर की कोट लखपतराय जेल में सरबजीत पर हुए जानलेवा हमले के बाद बाड़मेर के धनाऊ गांव के लोग भी मायूस हैं और चिंता में डूबे हैं। इस गांव का एक लाड़ला भगूसिंह भी पिछले 28 सालों से पाक की लखपत जेल में बंद है। सरबजीत की खबरें सुनकर ही भगूसिंह की पत्नी लक्षमी का बुरा हाल हो रहा है। वह हर दिन अपने पिया मिलन की आस में गुजारती है। लक्ष्मी कहतीं हैं कि अब हर दिन ईश्वर से प्रार्थना करती हूं कि मेरे पति की रक्षा करें। लंबे अर्से से रिहाई की उम्मीद कर रहे भगूसिंह के परिजनों की भी बैचनी बढ़ गई है कि परिवार का मुखिया पाक जेल में किस हाल में है। पति की खैर खबर जानने के लिए लक्ष्मी अपनी बेटी व बेटे के साथ मंगलवार को कलेक्टर के पास पहुंच गई। बिछोह की दास्तां सुनाते हुए लक्षमी की आंखें नम हो गई। मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन कलेक्टर को सौंपकर पाक जेल में बंद पति की रिहाई की मांग रखी। धनाऊ गांव निवासी भगूसिंह वर्ष 1985 में भारत-पाक सीमा के पास भेड़ बकरियां चराने गया था। भूलवश पाक सीमा में घुसने पर पाक रेंजर्स ने भगूसिंह को शक के आधार पर पकड़ कर जेल में डाल दिया। पति को खोने के बाद लक्ष्मी अकेली रह गई। दो बेटे व एक बेटी के पालन पोषण के साथ घर की पूरी जिम्मेदारी अकेली अबला पर आ गई। विकट हालात में उसने हिम्मत नहीं हारी। पति की रिहाई की उम्मीद के साथ जिंदगी का संघर्ष जारी रखा। बीते दिनों पाक की लाहौर की कोट लखपत जेल में सरबजीत पर हुए हमले के समाचार मिलने के बाद परिवार के सदस्यों की चिंताएं बढ़ गई। लक्ष्मी कंवर बताती है कि पाक की जेल में ही उसका पति भगूसिंह कैद है। वे किस हाल में है इस बारे में कोई खैर खबर नहीं है। इस बारे में पता लगाने के लिए कलेक्टर से मिलकर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया है। कहीं से उसके पति की खैर खबर मिल जाए तो मन को सुकून मिल जाए। अर्जुन सोढ़ा ने बताया कि जब पिता पाक चले गए थे, तब वे छोटे थे। पिता का चेहरा तक उन्हें याद नहीं है। पुराने फोटो देखकर ही पिता की याद सलामत होती है।
रिफाइनरी पर अब तय होगा मुआवजा
रिफाइनरी पर अब तय होगा मुआवजा
बाड़मेर। बाड़मेर जिला प्रशासन ने रिफाइनरी के लिए 9976 बीघा जमीन अवाप्ति के तीनों फेज की सुनवाई का अंतिम काम मंगलवार को पूरा कर लिया। प्रशासन अब अवार्ड जारी करने के लिए संभवत: बुधवार को रिपोर्ट राज्य सरकार को भेज देगा। सरकार को किसानों से बात कर मुआवजा तय करना होगा। इसके बाद अवार्ड जारी होंगे।
बाड़मेर प्रशासन के अफसरों के मुताबिक जमीन के दो फेज की आपत्तियों की सुनवाई का काम पहले ही पूरा किया जा चुका था। मंगलवार को तीसरे फेज की अंतिम सुनवाई थी, लेकिन सुनवाई के दौरान प्रभावित किसानों ने कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराई। ऎसे में जमीन अवाप्ति की धारा 9 के तहत सुनवाई का काम पूरा कर मंगलवार शाम सरकार को सूचना दे दी गई। यह काम पूरा होने से प्रशासन व राज्य सरकार ने राहत की सांस ली है।
एक बीघा के मांगे एक करोड़ रूपए
रिफाइनरी के लिए जमीन देने के एवज में किसानों ने एक करोड़ रूपए बीघा का मुआवजा मांगा है। इसके अलावा रॉयल्टी सहित अन्य कई मांगें सरकार के सामने रखी हैं। किसानों से वार्ता के लिए संभागीय आयुक्त जोधपुर की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई है। लेकिन कमेटी की अभी बैठक नहीं हुई है। संभागीय आयुक्त स्तर पर मुआवजा को लेकर समझौता न हुआ तो राज्य की उच्चाधिकार प्राप्त कमेटी फैसला लेगी।
अगला कदम
जमीन अवाप्ति को लेकर जिला प्रशासन की कार्रवाई पूरी हो चुकी है। जानकारों की मानें तो किसानों को मुआवजे के लिए रिकॉर्ड दर्ज करने का काम अंतिम चरण में है। अब सरकार व किसानों के बीच मुआवजा दरें तय होनी हैं। इसके साथ अवार्ड जारी कर जमीन का कब्जा लेने का काम शुरू होगा।
खाली है जमीन
मौके पर पूरी जमीन लगभग खाली पड़ी है। ऎसे में कब्जा लेने की सिर्फ कागजी कार्रवाई ही करनी होगी। इसके तत्काल बाद रिफाइनरी निर्माण का काम किसी भी वक्त शुरू किया जा सकेगा। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार जून में रिफाइनरी के शिलान्यास की तैयारी में है।
बाड़मेर। बाड़मेर जिला प्रशासन ने रिफाइनरी के लिए 9976 बीघा जमीन अवाप्ति के तीनों फेज की सुनवाई का अंतिम काम मंगलवार को पूरा कर लिया। प्रशासन अब अवार्ड जारी करने के लिए संभवत: बुधवार को रिपोर्ट राज्य सरकार को भेज देगा। सरकार को किसानों से बात कर मुआवजा तय करना होगा। इसके बाद अवार्ड जारी होंगे।
बाड़मेर प्रशासन के अफसरों के मुताबिक जमीन के दो फेज की आपत्तियों की सुनवाई का काम पहले ही पूरा किया जा चुका था। मंगलवार को तीसरे फेज की अंतिम सुनवाई थी, लेकिन सुनवाई के दौरान प्रभावित किसानों ने कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराई। ऎसे में जमीन अवाप्ति की धारा 9 के तहत सुनवाई का काम पूरा कर मंगलवार शाम सरकार को सूचना दे दी गई। यह काम पूरा होने से प्रशासन व राज्य सरकार ने राहत की सांस ली है।
एक बीघा के मांगे एक करोड़ रूपए
रिफाइनरी के लिए जमीन देने के एवज में किसानों ने एक करोड़ रूपए बीघा का मुआवजा मांगा है। इसके अलावा रॉयल्टी सहित अन्य कई मांगें सरकार के सामने रखी हैं। किसानों से वार्ता के लिए संभागीय आयुक्त जोधपुर की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई है। लेकिन कमेटी की अभी बैठक नहीं हुई है। संभागीय आयुक्त स्तर पर मुआवजा को लेकर समझौता न हुआ तो राज्य की उच्चाधिकार प्राप्त कमेटी फैसला लेगी।
अगला कदम
जमीन अवाप्ति को लेकर जिला प्रशासन की कार्रवाई पूरी हो चुकी है। जानकारों की मानें तो किसानों को मुआवजे के लिए रिकॉर्ड दर्ज करने का काम अंतिम चरण में है। अब सरकार व किसानों के बीच मुआवजा दरें तय होनी हैं। इसके साथ अवार्ड जारी कर जमीन का कब्जा लेने का काम शुरू होगा।
खाली है जमीन
मौके पर पूरी जमीन लगभग खाली पड़ी है। ऎसे में कब्जा लेने की सिर्फ कागजी कार्रवाई ही करनी होगी। इसके तत्काल बाद रिफाइनरी निर्माण का काम किसी भी वक्त शुरू किया जा सकेगा। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार जून में रिफाइनरी के शिलान्यास की तैयारी में है।
पत्नी व उसका प्रेमी गिरफ्तार
पत्नी व उसका प्रेमी गिरफ्तार
कुचेरा। कुचेरा पुलिस ने प्रेमी संग मिलकर पति को मारने की नीयत से हौद में धकेलने की आरोपी महिला और उसके प्रेमी को आकेली गांव की ढाणियों से दबोच लिया। थानाधिकारी रामेश्वर भाटी ने बताया कि कॉल डिटेल मिलने के बाद मंगलवार दोपहर किशोर सिंह की ढाणी पर दबिश दी गई। जहां रेखा व उसका प्रेमी सुखराम छिपे हुए थे। पुलिस को देखकर सुखराम भाग गया। रेखा को पुलिस ने ढाणी से ही गिरफ्तार कर लिया। सुखराम का पीछा किया, जिसे करीब दो घण्टे की मशक्कत के बाद सात किलोमीटर दूर से पकड़ लिया। मंगलवार शाम को दोनों को थाने लाया गया। आरोपियों से पूछताछ जारी है। कार्रवाई में एएसआई अल्लानूर खां, सहदेव राम, बेणीराम, कैलाश साथ थे।
यह था मामला
आरोपी रेखा व उसके प्रेमी कुचेरा निवासी सुखराम माली ने 25 अप्रेल को दिन दहाड़े गागूड़ा निवासी रामदयाल पुत्र श्रवणराम नाई (रेखा के पति) के साथ मारपीट की। गले में फंदा लगाकर कस्बे के आकेली बी रोड स्थित गोचर के पास बने पानी के हौद में मारने की नीयत से धकेल दिया। हौद में पानी कम होने के कारण रामदयाल 24 घण्टे तक उसमें तड़फता रहा। चरवाह ने उसे देखकर बाहर निकाला और अस्पताल पहंुचाया। पुलिस ने शुक्रवार को घायल रामदयाल का पर्चा बयान लेकर रिपोर्ट दर्ज कर जांच शुरू की।
कुचेरा। कुचेरा पुलिस ने प्रेमी संग मिलकर पति को मारने की नीयत से हौद में धकेलने की आरोपी महिला और उसके प्रेमी को आकेली गांव की ढाणियों से दबोच लिया। थानाधिकारी रामेश्वर भाटी ने बताया कि कॉल डिटेल मिलने के बाद मंगलवार दोपहर किशोर सिंह की ढाणी पर दबिश दी गई। जहां रेखा व उसका प्रेमी सुखराम छिपे हुए थे। पुलिस को देखकर सुखराम भाग गया। रेखा को पुलिस ने ढाणी से ही गिरफ्तार कर लिया। सुखराम का पीछा किया, जिसे करीब दो घण्टे की मशक्कत के बाद सात किलोमीटर दूर से पकड़ लिया। मंगलवार शाम को दोनों को थाने लाया गया। आरोपियों से पूछताछ जारी है। कार्रवाई में एएसआई अल्लानूर खां, सहदेव राम, बेणीराम, कैलाश साथ थे।
यह था मामला
आरोपी रेखा व उसके प्रेमी कुचेरा निवासी सुखराम माली ने 25 अप्रेल को दिन दहाड़े गागूड़ा निवासी रामदयाल पुत्र श्रवणराम नाई (रेखा के पति) के साथ मारपीट की। गले में फंदा लगाकर कस्बे के आकेली बी रोड स्थित गोचर के पास बने पानी के हौद में मारने की नीयत से धकेल दिया। हौद में पानी कम होने के कारण रामदयाल 24 घण्टे तक उसमें तड़फता रहा। चरवाह ने उसे देखकर बाहर निकाला और अस्पताल पहंुचाया। पुलिस ने शुक्रवार को घायल रामदयाल का पर्चा बयान लेकर रिपोर्ट दर्ज कर जांच शुरू की।
देर रात तक सजती है शराब की महफिलें
देर रात तक सजती है शराब की महफिलें
जैसलमेर। एक तरफ जहां पुलिस शराबियों के विरूद्ध अभियान चला रही है, वहीं दूसरी तरफ जैसलमेर शहर के पर्यटन व सार्वजनिक स्थलों पर शराबी शाम ढलने के साथ ही मौज मना रहे है। शहर में रात नौ बजे के बाद पटवा हवेली, गीता आश्रम के पास, गडीसर तालाब के किनारे शराबियों की महफिलें सजने लगती है, जो देर रात तक चलती हंै। ये महफिलें शांति से चले तब तक तो कोई नहीं, लेकिन नशा चढ़ने पर ये आसपास के लोगों के लिए आफत बन जाती है। शहर के भीतरी भाग के सार्वजनिक स्थल हो या फिर पर्यटन स्थलों पर बैठने की जगह हो, हर जगह सवेरे शराब की बोतलें पड़ी नजर आती हंै।
अंधेरे का सहारा
शराबियों को शराब की महफिल सजाने के लिए केवल अंधेरे की तलाश और साफ सुथरी जगह की आवश्यकता होती है। ये जगह चाहे गली मोहल्ले में हो या फिर किसी पर्यटन स्थल और सरकारी विभागों के सूने भवन व खेल मैदान ही क्यों न हो। शराबी यहां अंधेरा होते ही शराब की बोतलों के साथ धमक जाते हैं और फिर पैग पर पैग लगा कर शराब की पार्टियां करते है।
आठ बजे बाद भी मिलती है शराब
राज्य सरकार ने भले ही शराब की दुकानों पर रात आठ बजे शराब बेचने पर पाबंदी लगाई हो, लेकिन जैसलमेर में शराब की दुकानों पर देर रात तक खुलेआम शराब की बोतलें बेची जाती है। शराब की दुकानें कहने को तो बंद रहती हैं, लेकिन ग्राहक के आने पर दुकान का शटर ऊपर होता है और शराब की बोतलें पकड़ाने के बाद वापस बंद हो जाता है। कई दुकानदार शटर के पास बनी खिड़की खुली रखते हैं और वहां से शराब बेचते हैं। ये सब होता है पुलिस व आबकारी विभाग की अनदेखी के चलते।
दस से बीस रूपए की अधिक वसूली
शराब की दुकान बंद होने के बाद शराब धड़ल्ले से मिलती है, लेकिन इसकी कीमत बोतल की प्रिंट रेट से दस से बीस रूपए बढ़ जाती है।
फायदे का सौदा
सरकार द्वारा रात आठ बजे के बाद शराब की बिक्री पर पाबंदी लगाने का निर्णय शराब विक्रेताओं के लिए फायदे का सौदा साबित हो रहा है। शराब की काफी बिक्री रात आठ बजे के बाद ही शुरू होती है, ऎसे में दुकानदार उपभोक्ता से अतिरिक्त राशि वसूली कर काली कमाई बटोरने में जुटा रहता है।
यहां होती है शराब पार्टी
पटवा हवेली के पास।
गड़ीसर सरोवर के किनारे।
डेडानसर स्टेडियम खेल मैदान।
पूनम स्टेडियम मैदान।
रेलवे स्टेशन के पास।
नई कटी कॉलोनियां।
महाराणा प्रताप मैदान।
सार्वजनिक उद्यान, बगीचे।
ग्रामीण हाट आदि एकांत स्थान।
इनके अलावा भी अन्य कई क्षेत्र हैं जहां रात के समय आवागमन कम रहता है और अंधेरा पसरा रहता है, वहां शराब की महफिलें जमना अब आम बात बनती जा रही है।
जैसलमेर। एक तरफ जहां पुलिस शराबियों के विरूद्ध अभियान चला रही है, वहीं दूसरी तरफ जैसलमेर शहर के पर्यटन व सार्वजनिक स्थलों पर शराबी शाम ढलने के साथ ही मौज मना रहे है। शहर में रात नौ बजे के बाद पटवा हवेली, गीता आश्रम के पास, गडीसर तालाब के किनारे शराबियों की महफिलें सजने लगती है, जो देर रात तक चलती हंै। ये महफिलें शांति से चले तब तक तो कोई नहीं, लेकिन नशा चढ़ने पर ये आसपास के लोगों के लिए आफत बन जाती है। शहर के भीतरी भाग के सार्वजनिक स्थल हो या फिर पर्यटन स्थलों पर बैठने की जगह हो, हर जगह सवेरे शराब की बोतलें पड़ी नजर आती हंै।
अंधेरे का सहारा
शराबियों को शराब की महफिल सजाने के लिए केवल अंधेरे की तलाश और साफ सुथरी जगह की आवश्यकता होती है। ये जगह चाहे गली मोहल्ले में हो या फिर किसी पर्यटन स्थल और सरकारी विभागों के सूने भवन व खेल मैदान ही क्यों न हो। शराबी यहां अंधेरा होते ही शराब की बोतलों के साथ धमक जाते हैं और फिर पैग पर पैग लगा कर शराब की पार्टियां करते है।
आठ बजे बाद भी मिलती है शराब
राज्य सरकार ने भले ही शराब की दुकानों पर रात आठ बजे शराब बेचने पर पाबंदी लगाई हो, लेकिन जैसलमेर में शराब की दुकानों पर देर रात तक खुलेआम शराब की बोतलें बेची जाती है। शराब की दुकानें कहने को तो बंद रहती हैं, लेकिन ग्राहक के आने पर दुकान का शटर ऊपर होता है और शराब की बोतलें पकड़ाने के बाद वापस बंद हो जाता है। कई दुकानदार शटर के पास बनी खिड़की खुली रखते हैं और वहां से शराब बेचते हैं। ये सब होता है पुलिस व आबकारी विभाग की अनदेखी के चलते।
दस से बीस रूपए की अधिक वसूली
शराब की दुकान बंद होने के बाद शराब धड़ल्ले से मिलती है, लेकिन इसकी कीमत बोतल की प्रिंट रेट से दस से बीस रूपए बढ़ जाती है।
फायदे का सौदा
सरकार द्वारा रात आठ बजे के बाद शराब की बिक्री पर पाबंदी लगाने का निर्णय शराब विक्रेताओं के लिए फायदे का सौदा साबित हो रहा है। शराब की काफी बिक्री रात आठ बजे के बाद ही शुरू होती है, ऎसे में दुकानदार उपभोक्ता से अतिरिक्त राशि वसूली कर काली कमाई बटोरने में जुटा रहता है।
यहां होती है शराब पार्टी
पटवा हवेली के पास।
गड़ीसर सरोवर के किनारे।
डेडानसर स्टेडियम खेल मैदान।
पूनम स्टेडियम मैदान।
रेलवे स्टेशन के पास।
नई कटी कॉलोनियां।
महाराणा प्रताप मैदान।
सार्वजनिक उद्यान, बगीचे।
ग्रामीण हाट आदि एकांत स्थान।
इनके अलावा भी अन्य कई क्षेत्र हैं जहां रात के समय आवागमन कम रहता है और अंधेरा पसरा रहता है, वहां शराब की महफिलें जमना अब आम बात बनती जा रही है।
घर में रहेगी कैमरे की नजर
घर में रहेगी कैमरे की नजर
जोधपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने एक वृद्धा की याचिका पर उसके पुत्र व पुत्रवधु द्वारा की जा रही घरेलू हिंसा रोकने के लिए उसके घर में सीसीटीवी कैमरे लगाने के आदेश दिए हैं।
हाईकोर्ट ने महामंदिर थानाधिकारी को कैमरों की निगरानी करने और अदालत में रिपोर्ट पेश करने को भी कहा है। महामंदिर निवासी 72 वर्षीया वृद्धा विमला धारीवाल की ओर से अधिवक्ता नदीश सिंघवी के जरिए पेश फौजदारी निगरानी याचिका पर न्यायाधीश संदीप मेहता ने यह आदेश पारित किया।
अधिवक्ता सिंघवी ने हाईकोर्ट में दलील दी कि विमला के पति शांतिलाल धारीवाल ने अपना व्यावसायिक प्रतिषान व रहवासीय मकान की वसीयत विमला के हक में कर रखी है। उसके बावजूद उसके पुत्र अरूण धारीवाल जबरन कब्जा कर उसमें व्यवसाय कर रहा है।
विमला धारीवाल को बेदखल करने के आशय से उसके साथ मारपीट कर घरेलू हिंसा की जा रही है। न्यायालय ने इसे गंभीरता से लेते हुए अरूण धारीवाल व उसके परिवार को विमला को भरण पोषण के लिए आठ हजार रूपए मासिक भत्ता देने और उसके घर में पुत्र के खर्चे पर चार सप्ताह में सीसीटीवी कैमरे लगाने का आदेश दिया। कोर्ट ने महामंदिर थानाधिकारी को कैमरों की निगरानी करने और अतिरिक्त न्यायिक मजिस्ट्रेट (आर्थिक अपराध) को रिपोर्ट पेश करने के भी आदेश दिए हैं।
जोधपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने एक वृद्धा की याचिका पर उसके पुत्र व पुत्रवधु द्वारा की जा रही घरेलू हिंसा रोकने के लिए उसके घर में सीसीटीवी कैमरे लगाने के आदेश दिए हैं।
हाईकोर्ट ने महामंदिर थानाधिकारी को कैमरों की निगरानी करने और अदालत में रिपोर्ट पेश करने को भी कहा है। महामंदिर निवासी 72 वर्षीया वृद्धा विमला धारीवाल की ओर से अधिवक्ता नदीश सिंघवी के जरिए पेश फौजदारी निगरानी याचिका पर न्यायाधीश संदीप मेहता ने यह आदेश पारित किया।
अधिवक्ता सिंघवी ने हाईकोर्ट में दलील दी कि विमला के पति शांतिलाल धारीवाल ने अपना व्यावसायिक प्रतिषान व रहवासीय मकान की वसीयत विमला के हक में कर रखी है। उसके बावजूद उसके पुत्र अरूण धारीवाल जबरन कब्जा कर उसमें व्यवसाय कर रहा है।
विमला धारीवाल को बेदखल करने के आशय से उसके साथ मारपीट कर घरेलू हिंसा की जा रही है। न्यायालय ने इसे गंभीरता से लेते हुए अरूण धारीवाल व उसके परिवार को विमला को भरण पोषण के लिए आठ हजार रूपए मासिक भत्ता देने और उसके घर में पुत्र के खर्चे पर चार सप्ताह में सीसीटीवी कैमरे लगाने का आदेश दिया। कोर्ट ने महामंदिर थानाधिकारी को कैमरों की निगरानी करने और अतिरिक्त न्यायिक मजिस्ट्रेट (आर्थिक अपराध) को रिपोर्ट पेश करने के भी आदेश दिए हैं।
ट्रोलर ने अधेड़ को कुचला
ट्रोलर ने अधेड़ को कुचला
बालोतरा। फलोदी-पचपदरा-रामजी का गोल मेगा स्टेट हाइवे पर कालुड़ी गांव में मंगलवार दोपहर बाद तेज रफ्तार ट्रोलर की टक्कर से एक जने की मौत हो गई। ट्रोलर उसे सड़क पर करीब पैंतीस फीट तक घसीट कर साथ ले गया। मौके पर ही उसकी मौत हो गई। हादसे के बाद गुस्साए ग्रामीणों ने शव सड़क पर रखकर विरोध प्रदर्शन किया और हाइवे पर जाम लगा दिया। तकरीबन डेढ़ घंटे तक जाम के दौरान सड़क के दोनो तरफ वाहनों की लम्बी कतारें लग गई। बाद में समझाइश कर पुलिस ने जाम खुलवाया तब जाकर मामला शांत हुआ।
मेगा स्टेट हाइवे पर कालुड़ी गांव में मंगलवार दोपहर बाद शंकरसिंह (55) पुत्र रामसिंह निवासी कालुड़ी सड़क पार कर रहा था। इसी दौरान सिणधरी से बालोतरा की तरफ जा रहे तेज रफ्तार ट्रोलर के चालक ने लापरवाहीपूर्वक वाहन चलाकर शंकरसिंह को टक्कर मारी। पहियों में फंसा शंकरसिंह तकरीबन पैंतीस फीट तक ट्रोलर के साथ सड़क पर घिसटता रहा।
मौके पर ही उसकी मौत हो गई। हादसे के बाद गुस्साए कालुड़ी गांव के ग्रामीणों ने मेगा हाइवे पर जमा लगा दिया। पत्थर, कंटीली झाडियां आदि डालकर व मानव श्रृंखला बनाकर रास्ते को अवरूद्ध कर दिया। सड़क के दोनो तरफ वाहनो की लम्बी कतारें लग गई। तकरीबन डेढ़ घंटे तक जाम रहा। शव को सड़क पर रखकर प्रदर्शनकारियों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए नारेबाजी की।
सूचना मिलने पर सीओ रामेश्वरलाल मेघवाल, थानाधिकारी कैलाशचंद्र मीणा मय जाप्ता मौके पर पहुंचे और प्रदर्शनकारियों से वार्ता कर समझाइश की। बाद में प्रदर्शनकारियों ने शव उठाकर जाम हटाया। तब जाकर यातायात सामान्य हो पाया।
बालोतरा। फलोदी-पचपदरा-रामजी का गोल मेगा स्टेट हाइवे पर कालुड़ी गांव में मंगलवार दोपहर बाद तेज रफ्तार ट्रोलर की टक्कर से एक जने की मौत हो गई। ट्रोलर उसे सड़क पर करीब पैंतीस फीट तक घसीट कर साथ ले गया। मौके पर ही उसकी मौत हो गई। हादसे के बाद गुस्साए ग्रामीणों ने शव सड़क पर रखकर विरोध प्रदर्शन किया और हाइवे पर जाम लगा दिया। तकरीबन डेढ़ घंटे तक जाम के दौरान सड़क के दोनो तरफ वाहनों की लम्बी कतारें लग गई। बाद में समझाइश कर पुलिस ने जाम खुलवाया तब जाकर मामला शांत हुआ।
मेगा स्टेट हाइवे पर कालुड़ी गांव में मंगलवार दोपहर बाद शंकरसिंह (55) पुत्र रामसिंह निवासी कालुड़ी सड़क पार कर रहा था। इसी दौरान सिणधरी से बालोतरा की तरफ जा रहे तेज रफ्तार ट्रोलर के चालक ने लापरवाहीपूर्वक वाहन चलाकर शंकरसिंह को टक्कर मारी। पहियों में फंसा शंकरसिंह तकरीबन पैंतीस फीट तक ट्रोलर के साथ सड़क पर घिसटता रहा।
मौके पर ही उसकी मौत हो गई। हादसे के बाद गुस्साए कालुड़ी गांव के ग्रामीणों ने मेगा हाइवे पर जमा लगा दिया। पत्थर, कंटीली झाडियां आदि डालकर व मानव श्रृंखला बनाकर रास्ते को अवरूद्ध कर दिया। सड़क के दोनो तरफ वाहनो की लम्बी कतारें लग गई। तकरीबन डेढ़ घंटे तक जाम रहा। शव को सड़क पर रखकर प्रदर्शनकारियों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए नारेबाजी की।
सूचना मिलने पर सीओ रामेश्वरलाल मेघवाल, थानाधिकारी कैलाशचंद्र मीणा मय जाप्ता मौके पर पहुंचे और प्रदर्शनकारियों से वार्ता कर समझाइश की। बाद में प्रदर्शनकारियों ने शव उठाकर जाम हटाया। तब जाकर यातायात सामान्य हो पाया।
विकास की उल्टी गंगा? 24 गांव हटा देने से यूआईटी को लेकर संशय की स्थिति
विकास की उल्टी गंगा?
बाड़मेर। रिफाइनरी की हकीकत व इससे जुड़े सपनों के बीच नगरीय विकास विभाग बाड़मेर में विकास की उल्टी गंगा बहा रहा है। शहर के भावी विस्तार व भावी विकास योजनाओं को लेकर बनाया गया मास्टर प्लान छियालीस गांवों से सिकुड़कर केवल बाइस गांवों तक सिमट गया है। नगरीय विकास विभाग के एक आदेश के तहत बाड़मेर के नगरीय क्षेत्र (मास्टर प्लान) में सम्मिलित किए गए चौबीस गांव हटा दिए गए हैं।
एक दशक से विकास की पटरी पर तेज गति से दौड़ रहे जिला मुख्यालय के सुनियोजित विकास की भावी योजना के तहत नगरीय विकास विभाग ने 23 नवम्बर 2011 को बाड़मेर शहर के इर्द-गिर्द स्थित छियालीस राजस्व गांवों को मास्टर प्लान में अधिसूचित किया। करीब आठ माह पहले अधिसूचित गांवों को मास्टर प्लान में शामिल कर इस पर अंतिम मुहर लगाई गई। इससे ये सभी गांव नगरपरिषद के मास्टर प्लान में आ गए। नए मास्टर प्लान के अनुरूप आवासीय क्षेत्र, संस्थानिक क्षेत्र, औद्योगिक क्षेत्र, ग्रीन बेल्ट इत्यादि को लेकर कार्ययोजना बनाने का कार्य अंतिम चरण में चल रहा है। चौबीस गांवों को मास्टर प्लान से बाहर करने के बाद अब नए सिरे से कार्ययोजना बनानी होगी।
ये गांव मास्टर प्लान से बाहर
राजस्व गांव बांदरा, अलाणियों की ढाणी, जालीपा आगोर, वीरमनगर, चक धोलका, सांसियों की बस्ती, उण्डखा, धांधुपुरा, मुरटाला गाला, पीथलपुरा, उदे का तला, जादाणियों का वास, महाबार पीथल, कुर्जा, महाबार, वांकलपुरा, विशनपुरा, करणपुरा, मगने की ढाणी, नैनवा, पिण्डियों का तला, मारूड़ी, गोरधनपुरा, पाबूपुरा मास्टर प्लान से बाहर कर दिए गए हैं।
यू आई टी पर होगा असर
मास्टर प्लान का दायरा सिकुड़ने का सर्वाधिक असर नगर विकास न्यास (यूआईटी) पर पड़ेगा। हालिया बजट में राज्य सरकार ने बाड़मेर में यूआईटी की घोषणा की है। बाड़मेर शहर के इर्द-गिर्द स्थित छियालीस राजस्व गांवों को मास्टर प्लान में शामिल करने के बाद ही यूआईटी घोषित करने का आधार बना, लेकिन अब 24 गांव हटा देने से यूआईटी को लेकर संशय की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
विकास पर विपरीत असर नहीं
मास्टर प्लान में ज्यादा गांव हो गए थे। इसलिए कुछ कम कर दिए। अभी भी 22 गांव मास्टर प्लान में है, जो पर्याप्त हैं। गांवों की संख्या कम करने से विकास पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा।
मेवाराम जैन, विधायक, बाड़मेर
बाड़मेर। रिफाइनरी की हकीकत व इससे जुड़े सपनों के बीच नगरीय विकास विभाग बाड़मेर में विकास की उल्टी गंगा बहा रहा है। शहर के भावी विस्तार व भावी विकास योजनाओं को लेकर बनाया गया मास्टर प्लान छियालीस गांवों से सिकुड़कर केवल बाइस गांवों तक सिमट गया है। नगरीय विकास विभाग के एक आदेश के तहत बाड़मेर के नगरीय क्षेत्र (मास्टर प्लान) में सम्मिलित किए गए चौबीस गांव हटा दिए गए हैं।
एक दशक से विकास की पटरी पर तेज गति से दौड़ रहे जिला मुख्यालय के सुनियोजित विकास की भावी योजना के तहत नगरीय विकास विभाग ने 23 नवम्बर 2011 को बाड़मेर शहर के इर्द-गिर्द स्थित छियालीस राजस्व गांवों को मास्टर प्लान में अधिसूचित किया। करीब आठ माह पहले अधिसूचित गांवों को मास्टर प्लान में शामिल कर इस पर अंतिम मुहर लगाई गई। इससे ये सभी गांव नगरपरिषद के मास्टर प्लान में आ गए। नए मास्टर प्लान के अनुरूप आवासीय क्षेत्र, संस्थानिक क्षेत्र, औद्योगिक क्षेत्र, ग्रीन बेल्ट इत्यादि को लेकर कार्ययोजना बनाने का कार्य अंतिम चरण में चल रहा है। चौबीस गांवों को मास्टर प्लान से बाहर करने के बाद अब नए सिरे से कार्ययोजना बनानी होगी।
ये गांव मास्टर प्लान से बाहर
राजस्व गांव बांदरा, अलाणियों की ढाणी, जालीपा आगोर, वीरमनगर, चक धोलका, सांसियों की बस्ती, उण्डखा, धांधुपुरा, मुरटाला गाला, पीथलपुरा, उदे का तला, जादाणियों का वास, महाबार पीथल, कुर्जा, महाबार, वांकलपुरा, विशनपुरा, करणपुरा, मगने की ढाणी, नैनवा, पिण्डियों का तला, मारूड़ी, गोरधनपुरा, पाबूपुरा मास्टर प्लान से बाहर कर दिए गए हैं।
यू आई टी पर होगा असर
मास्टर प्लान का दायरा सिकुड़ने का सर्वाधिक असर नगर विकास न्यास (यूआईटी) पर पड़ेगा। हालिया बजट में राज्य सरकार ने बाड़मेर में यूआईटी की घोषणा की है। बाड़मेर शहर के इर्द-गिर्द स्थित छियालीस राजस्व गांवों को मास्टर प्लान में शामिल करने के बाद ही यूआईटी घोषित करने का आधार बना, लेकिन अब 24 गांव हटा देने से यूआईटी को लेकर संशय की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
विकास पर विपरीत असर नहीं
मास्टर प्लान में ज्यादा गांव हो गए थे। इसलिए कुछ कम कर दिए। अभी भी 22 गांव मास्टर प्लान में है, जो पर्याप्त हैं। गांवों की संख्या कम करने से विकास पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा।
मेवाराम जैन, विधायक, बाड़मेर
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