विकास की उल्टी गंगा?
बाड़मेर। रिफाइनरी की हकीकत व इससे जुड़े सपनों के बीच नगरीय विकास विभाग बाड़मेर में विकास की उल्टी गंगा बहा रहा है। शहर के भावी विस्तार व भावी विकास योजनाओं को लेकर बनाया गया मास्टर प्लान छियालीस गांवों से सिकुड़कर केवल बाइस गांवों तक सिमट गया है। नगरीय विकास विभाग के एक आदेश के तहत बाड़मेर के नगरीय क्षेत्र (मास्टर प्लान) में सम्मिलित किए गए चौबीस गांव हटा दिए गए हैं।
एक दशक से विकास की पटरी पर तेज गति से दौड़ रहे जिला मुख्यालय के सुनियोजित विकास की भावी योजना के तहत नगरीय विकास विभाग ने 23 नवम्बर 2011 को बाड़मेर शहर के इर्द-गिर्द स्थित छियालीस राजस्व गांवों को मास्टर प्लान में अधिसूचित किया। करीब आठ माह पहले अधिसूचित गांवों को मास्टर प्लान में शामिल कर इस पर अंतिम मुहर लगाई गई। इससे ये सभी गांव नगरपरिषद के मास्टर प्लान में आ गए। नए मास्टर प्लान के अनुरूप आवासीय क्षेत्र, संस्थानिक क्षेत्र, औद्योगिक क्षेत्र, ग्रीन बेल्ट इत्यादि को लेकर कार्ययोजना बनाने का कार्य अंतिम चरण में चल रहा है। चौबीस गांवों को मास्टर प्लान से बाहर करने के बाद अब नए सिरे से कार्ययोजना बनानी होगी।
ये गांव मास्टर प्लान से बाहर
राजस्व गांव बांदरा, अलाणियों की ढाणी, जालीपा आगोर, वीरमनगर, चक धोलका, सांसियों की बस्ती, उण्डखा, धांधुपुरा, मुरटाला गाला, पीथलपुरा, उदे का तला, जादाणियों का वास, महाबार पीथल, कुर्जा, महाबार, वांकलपुरा, विशनपुरा, करणपुरा, मगने की ढाणी, नैनवा, पिण्डियों का तला, मारूड़ी, गोरधनपुरा, पाबूपुरा मास्टर प्लान से बाहर कर दिए गए हैं।
यू आई टी पर होगा असर
मास्टर प्लान का दायरा सिकुड़ने का सर्वाधिक असर नगर विकास न्यास (यूआईटी) पर पड़ेगा। हालिया बजट में राज्य सरकार ने बाड़मेर में यूआईटी की घोषणा की है। बाड़मेर शहर के इर्द-गिर्द स्थित छियालीस राजस्व गांवों को मास्टर प्लान में शामिल करने के बाद ही यूआईटी घोषित करने का आधार बना, लेकिन अब 24 गांव हटा देने से यूआईटी को लेकर संशय की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
विकास पर विपरीत असर नहीं
मास्टर प्लान में ज्यादा गांव हो गए थे। इसलिए कुछ कम कर दिए। अभी भी 22 गांव मास्टर प्लान में है, जो पर्याप्त हैं। गांवों की संख्या कम करने से विकास पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा।
मेवाराम जैन, विधायक, बाड़मेर
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