बुधवार, 1 मई 2013

देर रात तक सजती है शराब की महफिलें

देर रात तक सजती है शराब की महफिलें
जैसलमेर। एक तरफ जहां पुलिस शराबियों के विरूद्ध अभियान चला रही है, वहीं दूसरी तरफ जैसलमेर शहर के पर्यटन व सार्वजनिक स्थलों पर शराबी शाम ढलने के साथ ही मौज मना रहे है। शहर में रात नौ बजे के बाद पटवा हवेली, गीता आश्रम के पास, गडीसर तालाब के किनारे शराबियों की महफिलें सजने लगती है, जो देर रात तक चलती हंै। ये महफिलें शांति से चले तब तक तो कोई नहीं, लेकिन नशा चढ़ने पर ये आसपास के लोगों के लिए आफत बन जाती है। शहर के भीतरी भाग के सार्वजनिक स्थल हो या फिर पर्यटन स्थलों पर बैठने की जगह हो, हर जगह सवेरे शराब की बोतलें पड़ी नजर आती हंै।

अंधेरे का सहारा
शराबियों को शराब की महफिल सजाने के लिए केवल अंधेरे की तलाश और साफ सुथरी जगह की आवश्यकता होती है। ये जगह चाहे गली मोहल्ले में हो या फिर किसी पर्यटन स्थल और सरकारी विभागों के सूने भवन व खेल मैदान ही क्यों न हो। शराबी यहां अंधेरा होते ही शराब की बोतलों के साथ धमक जाते हैं और फिर पैग पर पैग लगा कर शराब की पार्टियां करते है।

आठ बजे बाद भी मिलती है शराब
राज्य सरकार ने भले ही शराब की दुकानों पर रात आठ बजे शराब बेचने पर पाबंदी लगाई हो, लेकिन जैसलमेर में शराब की दुकानों पर देर रात तक खुलेआम शराब की बोतलें बेची जाती है। शराब की दुकानें कहने को तो बंद रहती हैं, लेकिन ग्राहक के आने पर दुकान का शटर ऊपर होता है और शराब की बोतलें पकड़ाने के बाद वापस बंद हो जाता है। कई दुकानदार शटर के पास बनी खिड़की खुली रखते हैं और वहां से शराब बेचते हैं। ये सब होता है पुलिस व आबकारी विभाग की अनदेखी के चलते।

दस से बीस रूपए की अधिक वसूली
शराब की दुकान बंद होने के बाद शराब धड़ल्ले से मिलती है, लेकिन इसकी कीमत बोतल की प्रिंट रेट से दस से बीस रूपए बढ़ जाती है।

फायदे का सौदा
सरकार द्वारा रात आठ बजे के बाद शराब की बिक्री पर पाबंदी लगाने का निर्णय शराब विक्रेताओं के लिए फायदे का सौदा साबित हो रहा है। शराब की काफी बिक्री रात आठ बजे के बाद ही शुरू होती है, ऎसे में दुकानदार उपभोक्ता से अतिरिक्त राशि वसूली कर काली कमाई बटोरने में जुटा रहता है।

यहां होती है शराब पार्टी
पटवा हवेली के पास।
गड़ीसर सरोवर के किनारे।
डेडानसर स्टेडियम खेल मैदान।
पूनम स्टेडियम मैदान।
रेलवे स्टेशन के पास।
नई कटी कॉलोनियां।
महाराणा प्रताप मैदान।
सार्वजनिक उद्यान, बगीचे।
ग्रामीण हाट आदि एकांत स्थान।
इनके अलावा भी अन्य कई क्षेत्र हैं जहां रात के समय आवागमन कम रहता है और अंधेरा पसरा रहता है, वहां शराब की महफिलें जमना अब आम बात बनती जा रही है।

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