बरेली।। दिल्ली में चलती बस में हुई 23 साल की युवती के साथ हुई दरिंदगी के बाद सारा देश जाग चुका है। जहां सारा देश इस समय बलात्कारियों को फांसी की सजा देने की मांग कर रहा है, वहीं बरेली की अदालत ने 10 साल की बच्ची के साथ रेप के बाद हत्या करने के मामले में अभियुक्त को फांसी की सजा का फैसला सुनाया है। जज ने फैसला सुनाने के दौरान दिल्ली के गैंग रेप का जिक्र करते हुए कहा है कि देश को एक बार फिर बलात्कारियों को मृत्युदंड की बहस से आगे जाकर कानूनों की सीमा के संबंध में सोचने की जरूरत है।
भुता थाने के बुधौली गांव में 27 मई 2000 को अशोक कश्यप नाम ने 10 साल की लड़की मीरा को अपनी हवस का शिकार बनाया और फिर उसकी हत्या कर दी थी। इस मामले में पुलिस की ओर से दाखिल चार्जशीट पर सुनवाई के बाद स्पेशल जज यू. सी. पाण्डेय ने अशोक को दोषी करार दिया और उसे सजा-ए-मौत दी। मीरा के पिता हीरालाल की 2010 में बीमारी के कारण मौत हो गई, उसके आठ महीने बाद ही मां गनेशा देवी की भी मौत हो गई थी।बुधौली के पूर्व प्रधान हीरालाल की बेटी मीरा अपने चचेरे भाई के साथ गांव में जानवर चरा रही थी। इसी दौरान वह पानी पीने टयूबवेल पर गई। टयूबवेल चलाने वाले अशोक कश्यप ने मीरा को दबोच कर रेप किया और टयूबवेल की कोठरी में ही उसकी हत्या कर दी। घटना का किसी को पता न चले, इसलिए लाश को भूसे के नीचे दबा दिया। बाद में टयूबवेल की कोठरी में भूसे में दबा हुआ उसका नग्न शव बरामद हुआ। 29 मई 2009 को पुलिस ने अशोक को भी गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। तब से ही अशोक जेल में बंद है।
पुलिस ने भूसे में दबी लड़की की लाश को मौका-ए-वारदात से बरामद किया था। अशोक को पकड़ने के बाद उसकी निशानदेही से टयूबवेल की कोठरी में लड़की के कपड़े बरामद किए। इन कपड़ों में लड़की की फ्रॉक और दूसरे कपड़ों पर खून के धब्बे थे। अशोक की पैंट और कच्छे पर भी खून के धब्बे मिले। मृत बच्ची और आरोपी के अंगवस्त्रों पर शुक्राणु भी पाए गए थे। पुलिस ने इन कपड़ों को फॉरेन्सिक लैब में भेजा और रिपोर्ट से साबित हो गया कि बच्ची से रेप व उसकी हत्या करने वाला कोई दूसरा नहीं अशोक था।
तमाम सबूतों और गवाहों को सुनने के बाद जज यू.सी. पाण्डेय ने अपने फैसले में कहा कि अभियुक्त अपने पाशविक कृत्य से पूर्णतया भिज्ञ था। उसने एक अबोध बालिका की निर्मम हत्या की है। इस तरह का कामांध और बर्बर व्यक्ति समाज के लिए कभी भी गंभीर खतरा बन सकता है। अभियुक्त को धारा 376 के तहत आजीवन कारावास और 302 के तहत मृत्युदंड से दंडित किया जाता है।