बुधवार, 13 जून 2012

नहीं रहे ग़ज़ल सम्राट मेहदी हसन,

इस्लामाबाद। भारत में जन्मे गजल बादशाह मेहदी हसन का आज कराची के एक अस्पताल में निधन हो गया। वह 84 साल के थे। जियो न्यूज के मुताबिक उनके बेटे आरिफ ने बताया कि उनके पिता का एक निजी अस्पताल में सांस लेने में तकलीफ के बाद निधन हो गया। हसन को पिछले महीने ही अस्पताल से छुट्टी दी गई थी। वह एक दिन बाद ही दोबारा अस्पताल पहुंच गए थे लेकिन उन्हें वेंटीलेटर पर नहीं रखा गया था।PHOTOS:नहीं रहे ग़ज़ल सम्राट मेहदी हसन, देखिए कुछ ख़ास तस्वीरें 

आरिफ ने बताया, "मेरे पिता बीते 12 साल से बीमार थे लेकिन इस साल पिछले महीने उनकी हालत ज्यादा बिगड़ गई थी।" हसन के दुनियाभर में लाखों प्रशंसक हैं। उन्हें कई साल से फेंफड़ों, सीने सम्बंधी व कई अन्य बीमारियां थीं। हसन के घर में उनके नौ बेटे व पांच बेटियां हैं। उन्होंने दो विवाह किए थे। उनकी दोनों पत्नियों का निधन हो चुका है।

मंडी में पकड़े गए आठ चीनी जासूस !

 

मंडी. हिमाचल पुलिस ने आज एक आपरेशन में चीन के 8 जासूसों को मंडी जिले से रंगों हाथ गिरफ्तार किया है। तिब्बती धर्मगुरू के खास माने जाने वाले एक शख्स के घर से ये जासूस पुलिस की गिरफ्त में आए। पुलिस ने इनके पास से विदेशी बैंको के एटीम कार्ड, 15 से अधिक मोबाइल सिम कार्ड्स सहित रुपयों से भरी हुई 4 तिजोरी भी बरामद की है।3 तिजोरियों से 40 लाख नगद मिलने के बाद चौथी के खुलने से रुपए की सीमा को 50 लाख पार करने की संभावना जताई जा रही है। हिमाचल के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक एस.आर. मरढ़ी ने इस गिरफ्तारी की पुष्टि की है।प्राप्त जानकारी के अनुसार जिस गोम्पानुमा घर पर छापा मारा गया है वह काफी आलीशान है। यह एक प्रभावशाली तिब्बती कंकड़ रिम्पोछे की जमीन पर बना है जो तिब्बतियों के धर्मगुरु उग्येन त्रिनले दोरजे ‘करमापा’ का भी काफी करीबी है। बताया जाता है कि इस घर के रहस्यमयी तौर तरीकों के कारण स्थानीय लोगों के लिए भी यह शुरू से जिज्ञासा का कारण रहा है।धर्मगुरु उग्येन त्रिनले के खास माने जाने वाले तिब्बती कंकड़ रिम्पोछे का गोम्पानुमा घर काफी आलीशान है। इसकी दिवारें किले की तरफ 13 फुट से भी उंची हैं। इसके अलावा खूंखार कुत्तों को पालने के कारण आम आदमी इधर झांकता तक नहीं था, इन्हीं कारणों से इस घर पर संदेह भी जताया जा रहा था।

बाड़मेर-जैसलमेर के सारे कॉलेज जुड़ेंगे जेएनवीयू से


बाड़मेर-जैसलमेर के सारे कॉलेज जुड़ेंगे जेएनवीयू से

जोधपुर संभाग के महाविद्यालयों के छात्रों को अब नहीं लगाने पड़ेंगे अजमेर के चक्कर


आखिरकार जुलाई से शुरू होने वाले नए शिक्षा सत्र में संभाग स्तरीय विश्वविद्यालय का सपना पूरा हो जाएगा। बाड़मेर, जैसलमेर, जालोर, पाली व जोधपुर के कॉलेजों में पढऩे वाले स्टूडेंट्स को विश्वविद्यालयी कार्य के लिए अजमेर के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। उच्च शिक्षा के संयुक्त सचिव डॉ. वेंकट रमणी ने इस बाबत आदेश जारी कर दिए हैं।संभाग के महाविद्यालय महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय से संबद्ध रहे हैं। ऐसे में अंकतालिका में संशोधन, माइग्रेशन प्रमाण-पत्र प्राप्त करने सहित विभिन्न कार्यों के लिए छात्र-छात्राओं को अजमेर जाना पड़ता था। दैनिक भास्कर ने विद्यार्थियों की इस पीड़ा को ठंडे बस्ते में संभाग स्तरीय यूनिवर्सिटी शीर्षक से खबर प्रकाशित कर जनप्रतिनिधियों को इसमें पहल करने का आगाज किया था। सांसद हरीश चौधरी के प्रयासों के बाद आखिरकार संभाग के सभी कॉलेजों की संबद्धता जोधपुर विश्व विद्यालय से जोड़ दी। सूत्रों के अनुसार कुछ माह पूर्व जयपुर में हायर एजूकेशन मंत्री, प्रिंसिपल सेक्रेटरी, एमडीएस व जेएनवीयू के कुलपति की मौजूदगी में आयोजित बैठक में इस मुद्दे पर सैद्धांतिक सहमति बनी थी कि जोधपुर ग्रामीण, बाड़मेर, जैसलमेर, जालोर व पाली जिलों के सभी राजकीय व निजी कॉलेजों को जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय से जोड़ा जाएगा। साथ ही इस प्रक्रिया को शुरू करने का निर्णय लिया गया था।

कितने कॉलेज होंगे शामिल: संभाग में बाड़मेर में 12, जैसलमेर में 6, जालोर में 11, पाली में 29 व जोधपुर ग्रामीण में 19 कॉलेज महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय, अजमेर से संबद्ध है। इनमें सरकारी समेत निजी व बीएड कॉलेज भी शामिल हैं।






शिव में तेज बारिश, बालोतरा-सिवाना में बूंदाबांदी

शिव में तेज बारिश, बालोतरा-सिवाना में बूंदाबांदी
शिव। दिन भर तेज उमस व गर्मी के बाद मंगलवार को आखिर इन्द्र देवता शिव पर मेहरबान हो गए। दोपहर तीन बजे पहले आंधी एवं बाद में आंधी के बाद हुई मानसून की पहली तेज बारिश से जहां मौसम खुशनुमा हो गया। मानसून पूर्व की बारिश से किसानों के चेहरे खिल उठे। शिव में आधे घण्टे हुई तेज बारिश से माहौल खुशगवार हो गया। बारिश इतनी तेज थी कि हाइवे पर धुंध सी छा गई एवं एक बार यातायात रूक गया।

मंगलवार को शिव, गूंगा, नागड़दा, आगोरिया, निम्बासर, जोरानाडा, झाफली, भैसका, नेगरड़ा एवं स्वामी का गांव सहित आसपास के कई गांवों में तेज बारिश हुई। दोपहर आधे घंटे हुई तेज बारिश से मुख्यालय पर ग्राम पंचायत की व्यवस्थाओं को पोल खोल दी। वर्षो से हाइवे पर अतिक्रमण से अवरूद्ध हुए नालों से पानी की निकासी नहीं होने से घरों व दुकानों के आगे पानी भर गया।

मानसरोवर तालाब एवं हाइवे के बीच की बस्तियों में पानी जमा होने से ग्रामीणों को काफी परेशानी उठानी पड़ी। खत्री मार्केट में एक एक फीट पानी का जमा होने से व्यवसाय प्रभावित हुआ। राहगीरों के लिए मुश्किले खड़ी हो गई। तेज अंधड़ व बारीश से कस्बे में कई जगह पर दुकानों के आगे बने छप्पर बिखर गए।

हुई पानी की आवक- मानसून की पहली ही बारिश में मुख्यालय पर स्थित मानसरोवर तालाब में पानी की आवक होने से पशुपालकों ने राहत की सांस ली है।

बालोतरा.क्षेत्र में तेज पड़ रही गर्मी व उमस के जारी प्रकोप पर मंगलवार दोपहर में क्षेत्र के कई गांवों में हल्की बूंदाबांदी हुई। मंगलवार दोपहर में आसमान में हल्के बादलों के छाने के साथ नगर सहित क्षेत्र के कई गांवों में करीब दस मिनट तक हल्की बूंदाबांदी हुई। यकायक हुई इस वर्षा से हर कोई हतप्रभ रह गया। बरसात बाद मौसम में कुछ ठण्डक बढ़ने पर गर्मी से परेशान लोगों ने राहत की सांस ली। शाम को आसमान से बादलों के गायब होने से मौसम खुशगवार हो गया।

सिवाना. तेज गर्मी व उमस प्रकोप के बाद मंगलवार को मौसम के पलटी खाने पर कस्बे सहित आस पास के इलाकों में दोपहर में धूल भरी आंधियां चली।इसके बाद दस मिनट तक कस्बे सहित क्षेत्र के कई गांवों में हल्की वर्षा होने पर घरों में परनाले चले। सड़कें वर्षा से भीग गई।

ट्रेन रोकने का प्रयास


ट्रेन रोकने का प्रयास

जैसलमेर। पिछले तेरह दिन से स्थानान्तरण आदेश के बाद यहां से कार्यमुक्त होने के इंतजार में बैठे चिकित्साकर्मियों ने मंगलवार शाम को जिला मुख्यालय के रेलवे स्टेशन पर रेलगाड़ी रोकने की कोशिश की, लेकिन पुलिस के जाब्ते के चलते उन्हें सफलता नहीं मिली। इस दौरान उनमें और पुलिस में जोरआजमाइश हुई। रेलवे पुलिस, राजस्थान पुलिस के जवानों ने रेलवे प्लेटफार्म पर डण्डे लगाकर उन्हें रोकना चाहा, इसके चलते वे पुलिस से उलझ गए।

पुलिस ने पुरूष चिकित्सा कर्मियों को जबदस्ती खदेड़ कर पुलिस वैन में बिठा दिया जिन्हें कुछसमय बाद छोड़ दिया। आधे-पौन घण्टे की जद्दोजहद के बीच अतिरिक्त जिला कलक्टर परशुराम धानका, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक गणपत लाल व मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डा. आनंद गोपाल पुरोहित की समझाइश के बाद वे रेलवे स्टेशन से हटे। उनकी मांग थी कि जब चिकित्सा मंत्रालय ने उन्हें जैसलमेर से अन्यत्र स्थानांतरण करने के आदेश जारी कर दिए हैं तो फिर उन्हें यहां से कार्यमुक्त क्यों नहीं किया जा रहा है।

पिछले कईदिनों से अपने स्थानांतरण आदेश लेकर घूम रहे चिकित्सा विभाग की एएनएम, मेल नर्स और चिकित्सकों ने जिले से कार्यमुक्त नहीं करने पर नाराजगी जताते हुए रेलवे स्टेशन पर प्रदर्शन किया। शाम चार बजे ये लोग रेलवे स्टेशन पहुंचे और दिल्ली जाने वाली रेल गाड़ी रोकनी चाही। इस दौरान पुलिस का पुख्ता प्रबंध होने से वे रेलवे टै्रक नहीं पहुंच पाए। पुलिस ने इन्हेें प्लेटफार्म पर ही रोक दिया।

उन्होंने पुलिस के घेरे को तोड़ने की कोशिश की। इसको लेकर वे पुलिस से उलझे भी। पुलिस ने भी मुश्तेदी दिखाते हुए इन्हें रोके रखा। पुलिस ने डण्डो से बेरिक बना कर इन्हें रोका तो उन्होंने दो-तीन बार इसको तोड़ आगे बढ़ने का प्रयास किया। इस दौरान पुलिस ने पुरूष चिकित्सा कर्मियों को पकड़ कर पुलिस वैन में çब्ाठा लिया। इसके बाद एएनएम पुलिस से रेलवे टै्रक तक जाने को लेकर उलझती रही। समझाइश के बाद वे वे रेलवे स्टेशन से हटे।

आंखों से बहने लगे आसूं
बड़ी मुश्किल के बाद जाकर तबादले के आदेश हुए। अब जबकि उन्हें घर पहुंचने की उम्मीद थी, यहां से कार्यमुक्त नहीं किया जा रहा है। यह पीड़ा कार्यमुक्त होने के इंतजार में खड़ी हर एएनएम की थी। वे अपनी पीड़ा छुपा नहीं पा रही थीं और आंखों से आसूं बह रहे थे। एक-दो के साथ उनके छोटे बच्चे भी थे, वे भी कड़ी धूप में मां के साथ परेशान हो रहे थे।

हम परेशान हो गए हैं
रेलवे स्टेशन पर एएनएम ने कहा कि उनका तबादला 31 मई को सरकार ने कर दिया है, लेकिन उन्हें यहां से कार्यमुक्त नहीं किया जा रहा है। वे कई सालों से यहां है और अब घर जाना चाहती हैं। उनके छोटे-छोटे बज्ो हैं, वे भी परेशान है। एएनएम कविता चौधरी ,कल्पना आदि ने बताया कि प्रशासन उनकी परेशानी को समझे और उन्हें अतिशीघ्र कार्यमुक्त करें।

कई दिनों से जैसलमेर में जमाया डेरा
जब से उनका जैसलमेर से स्थानांतरण होने के आदेश आए हैं तब से ये लोग गांवों से आकर जैसलमेर में जमे हुए हैं। वे कई दिनों से कभी कलक्टर कार्यालय, कभी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार के आदेशों की पालना की जाए । दूसरी ओर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी का कहना है कि उन्हें ऊपर से इनको कार्यमुक्त नहीं करने के आदेश मिले हैं। ऎसे में वे कैसे कार्यमुक्त करें।

ये चले गए तो क्या होगा चिकित्सा महकमे का
जिले में चिकित्सा महकमें में पहले से ही पद रिक्तता की मार है। ऎसे वक्त में सरकार ने चिकित्सा महकमें में स्थानांतरण कर जिले की उलझन और बढ़ा दी है। जिले में चिकित्सा अधिकारियों के 46 पद स्वीकृत है जिसमें से 29 कार्यरत व 17 पद रिक्त हैं। नए आदेश में इनमें से चार का स्थानांतरण किया गया है जबकि एवज में केवल एक चिकित्सक को यहां लगाया गया है।

नर्स श्रेणी द्वितीय व स्टाफ नर्स के 90 पद स्वीकृत हैं जिसमें से 58 कार्यरत हैं एवं 32 पद रिक्त हैं जबकि स्थानांतरण आदेश में 9 का और तबादला कर दिया गया है ंऔर चार को यहां लगाया गया। एएनएम व अतिरिक्त एएनएम, अतिरिक्त एएनएम आरसीएच के 325 पद स्वीकृत हैं जिनमें 249 कार्यरत हैं एवं 76 पद रिक्त हैं। स्थानांतरण आदेश में 29 का यहां से तबादला किया गया है जबकि चार को यहां लगाया गया हैं। एमपीडब्ल्यू के 19 पद स्वीकृत, 12 कार्यरत व 7 पद रिक्त हैं जबकि एक का तबादला आदेश जारी हुआ है। लेब तकनीशियन के 26 पद स्वीकृत, 19 कार्यरत, 7 पद रिक्त है जबकि चार जनों का तबादला जिले से अन्यत्र किया गया है।

पुलिस का जाब्ता रहा कौतूहल का विषय
रेलवे स्टेशन पर महिला व पुरूष पुलिस का जाब्ता रेलवे स्टेशन पर आने वालों के लिए कौतुहल बन गया। हर कोई यह जानना चाहता था कि ऎसा क्या हो गया है जो इतनी बड़ी तादाद में पुलिस बल तैनात है। इस दौरान जब पुलिस और चिकित्साकर्मियों में जोरआजमाइश हो रही थी तो काफी लोग इकटे हो गए। पुलिस ने इन्हे वहां से हटाया। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डा. आनंद गोपाल पुरोहित ने कहा कि जब उन्हें कार्यमुक्त करने के आदेश आ जाएंगें तो वेे दो घण्टे में उनको कार्यमुक्त कर देंगे तब सभी प्रदर्शनकारी संतुष्ट हुए।

मण्डाई में नवजात बच्ची की मौत पर हड़कम्प

मण्डाई में नवजात बच्ची की मौत पर हड़कम्प

फतेहगढ़ (जैसलमेर)। फतेहगढ़ तहसील के मण्डाई गांव में मंगलवार को नवजात बचची  की मौत के बाद शव दफनाने की सूचना ने प्रशासन में हड़कम्प मचा दिया। सूचना मिलते ही प्रशासन, पुलिस और चिकित्सा विभाग हरकत में आया। एक संयुक्त टीम मंगलवार शाम को मण्डाई गांव पहुंची और शिकायत के आधार पर महिला व उनके परिजनों से पूछताछ की। शाम होने के कारण शव को जमीन से नहीं निकाला गया। बुधवार को मेडिकल टीम शव को जमीन से निकाल कर पोस्टमार्टम करेगी तब खुलासा हो पाएगा कि बच्ची की मौत कैसे हुई। मण्डाई गांव से प्रशासन को सूचना मिली कि गुड्डी कंवर पत्नी दिलीपसिंह के बच्ची पैदा हुई थी, जिसकी मौत हो गई। सूचना के बाद उपखण्ड अधिकारी फतेहगढ, ओमप्रकाश मेहरा, पुलिस उप अधीक्षक सुनील के पंवार व ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी सम डा. नेनाराम नायक, फतेहगढ़ तहसीलदार नाथूसिंह राठौड़, सांगड़ थानाधिकारी ओमप्रकाश गोदारा मय चिकित्सा टीम मंगलवार शाम को गांव पहुंचे। यहां पहुंच उन्होंने गुड्डी कंवर व उसके परिजनों से पूछताछ की। पूछताछ में सभी ने बच्ची का जन्म होने व उसी वक्त मरने की बात कही, लेकिन बच्ची किस दिन पैदा हुई थी इसको लेकर सभी के बयान अलग-अलग थे। दाई ने बताया कि बच्ची का जन्म पांच दिन पहले हुआ था जबकि परिजनों ने बताया कि बच्ची 4 जून को जन्मी थी, लेकिन आठवे माह में जन्म हो गया, जिससे उसकी मृत्यु हुई है। उनकी बातों से टीम को शक हुआ और शव का पोस्टमार्टम करने का निर्णय किया गया, लेकिन शाम होने से पोस्टमार्टम नहीं हो पाया। बुधवार को पोस्टमार्टम होने के बाद ही बच्ची की मौत कैसे हुई, इसकी जानकारी पुख्ता हो पाएगी।

गरीबों के लिए सड़ा गेहूं

गरीबों के लिए सड़ा गेहूं
जालोर। बीपीएल परिवारों, अन्तयोदय योजना और अन्नपूर्णा योजना के तहत गरीबों को सड़ा हुआ गेहूं सप्लाई हो रहा है। गेहूं काला पड़ा हुआ और भीगा होने से बदबू मार रहा है। एफसीआई गोदामों में गेहूं की सार-संभाल नहीं होती है। गेहूं बरसात में भीगता है और निगम के कर्मचारी वहीं भीगा गेहूं गोदामों में भर देते हंै। इसके बाद गेहूं की कोई सार-संभाल नहीं होती। निगम बिना देखे ही यह गेहूं ट्रकों में भरवाकर डीलरों के यहां भिजवा देता है। जो आगे उपभोक्ताओं को दिया जाता है। इस बारे में एफसीआईके अधिकारी स्टॉफ कम होने और आगे से गेहूं खराब होने का कहकर पल्ला झाड़ते है।

जांच करना संभव नहीं
एफसीआई के अधिकारियों की माने तो एक ट्रेन में करीब 52 हजार गेहूं कट्टे आते है। इतने कट्टों की जांच करना संभव नहीं है। ऎसे में कुछ कट्टे खराब जाते है। जबकि हकीकत इससे परे है। एफसीआईके गेहूं की रैक रेलवे स्टेशन पर खाली होने पर ख्याल नहीं रखा जाता। बरसात आने पर चंद रोज पहले गेहूं के कट्टे भीग गए थे, लेकिन एफसीआईके कार्मिकों ने उसे ढकने का प्रबंध तक नहीं किया था। इसके बाद उस गीले गेहूं को ही गोदामों में भर दिया गया। यह गेहूं छह माह तक पुराना है।इन्होंने कहाखराब गेहूं डीलर्सवापस ला सकते है। हमारे पास स्टॉफकी कमी है। कई बार खराब कट्टे आते है। यह नईबात नहीं है।
शाकीर अली, यूनिटइंचार्ज, एफसीआई

एफसीआईकी ओर से खराब गेहूं देने की समस्या हर महीने होती है। वे फ्रेश गेहूं देने के बजाय नियमों का हवाला देकर पुराना गेहूं देते है। जो खराब होता है।
रोहिताश्वर कुमार, एकाउंटेंट, जिला रसद विभाग, जालोर

सड़ा हुआ गेहूं मिलने पर कईबार मजबूरी में डीलर्सको यह फेंकना पड़ता है। कईडीलर उसे साफकरवाकर देते है।
मांगीलाल, होलसेल डीलर

एसडीएम से की शिकायत
जालोर. भारतीय खाद्य निगम की ओर से मंगलवार को बदबूदार व सड़े हुए गेहूं की सप्लाईदी गई। इस बारे में डीलर्स ने उपखण्ड अधिकारी से शिकायत की। एफसीआई से सुबह मेड़ा ऊपरला के डीलर ने गेहूं की ट्रक लोड करवाई। इस ट्रक में बड़ी संख्या में कट्टों में काला व गांठे बंधा हुआ गेहूं था। इस पर डीलर ने गाड़ी कलक्ट्री के बाहर रूकवा दी और गेहूं लेकर उपखण्ड अधिकारी के पास पहुंचे। उन्होंने गेहूं देखा और इसके बाद एफसीआई के गोदाम में जाकर गेहूं की जांच की। एफसीआई के कार्मिकों को खराब गेहूं नहीं देने और डीलर्सको खराब गेहूं नहीं लेने को कहा।

बदलेंगे खराब गेहूं
उपखण्ड अधिकारी के जांच करने के बाद एफसीआई के कार्मिकों ने खराब डीलर्सको खराब गेहूं बदलकर देने को कहा। आगे भी ऎसा होने पर गेहूं को बदलने को कहा।

भीगा हुआ था गेहूं
उपखण्ड अधिकारी के पास ले जाया गया गेहूं भीगा हुआ था। गेहूं काला पड़ा था। गेहूं में गांठे बंधी हुई थी। गेहूं को हाथ से मसलने पर उसका आटा हो रहा था।

इन्होंने कहा
एफसीआई वालों को सड़ा गेहूं नहीं देने के लिए कहा है। डीलर्स को भी खराब गेहूं नहीं लेने को कहा है।
प्रदीप बालाच, उपखण्ड अधिकारी, जालोर

राजस्थान का खजुराहो-किराडू




राजस्थान के जिला बाड़मेर में स्थित ‘किराडू के मंदिर’अपनी स्थापत्य कला के लिए देशभर में प्रसिद्ध हैं। दक्षिण भारतीय शैली में बने ये मंदिर न सिर्फ धर्मप्रेमी लोगों अपितु साधारण पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र हैं।
राजस्थान के शहर बाड़मेर से 43 कि.मी. दूर स्थित है गांव हात्मा। अनजान से इस गांव हात्मा में ही स्थित हैं ‘किराडू के ऐतिहासिक मंदिर। पांच मंदिरों की इस खूबसूरत शृंखला में हालांकि अधिकांश मंदिर वक्त के थपेड़ों से जर्जर हो चुके हैं लेकिन स्थापत्य की दृष्टिï से धनी ये मंदिर आज भी देखने वालों को बरबस ही मोह लेते हैं। इतिहास के मुताबिक 1161 ई.पू. इस स्थान का नाम ‘किराट कूप’था। करीब 1000 ई. में यहां पर पांच मंदिरों का निर्माण किया गया। इन मंदिरों का निर्माण किसने किया, इसके कोई पुख्ता प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं। लेकिन इन मंदिरों की बनावट शैली देखकर ये माना जाता है कि इनका निर्माण दक्षिण के गुर्जर-प्रतिहार वंश, संगम वंश या फिर गुप्त वंश ने किया होगा। पांच मंदिरों की इस शृंखला में केवल विष्णु मंदिर और शिव मंदिर (सोमेश्वर मंदिर) ही ठीक हालत में हैं, शेष 3 मंदिर खंडहर में तब्दील हो चुके हैं। बताया जाता है कि 19वीं शताब्दी के आरंभ में आए भूकम्प के कारण उत्कृष्टï स्थापत्य शैली के ये मंदिर धूल-धुसरित हो गए। इन मंदिरों में सबसे बड़ा मंदिर है- सोमेश्वर मंदिर। भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर की बनावट दर्शनीय है। अनेक खम्भों पर टिका यह मंदिर भीतर से दक्षिण के मीनाक्षी मंदिर की याद दिलाता है, तो इसका बाहरी आवरण खजुराहो के मंदिर का अहसास कराता है। काले व नीले पत्थर पर हाथी- घोड़े व अन्य आकृतियों की नक्काशी मंदिर की सुन्दरता में चार चांद लगाती है। मंदिर के भीतरी भाग में बना भगवान शिव का मंडप भी बेहतरीन है।
किराडू शृंखला का दूसरा मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। यह मंदिर सोमेश्वर मंदिर से छोटा है किन्तु स्थापत्य व कलात्मक दृष्टिï से काफी समृद्ध है। इसके अतिरिक्त किराडू के अन्य 3 मंदिर हालांकि खंडहर में तब्दील हो चुके हैं, लेकिन इनके दर्शन करना भी एक सुखद अनुभव है।

मंगलवार, 12 जून 2012

: गिद्धों को देख, जगी 3000 साल पुरानी प्रथा को बचाने की आस

हरियाणा के पिंजौर के जंगलों में एक खास चीज पर काम चल रहा है। जंगल के बीच एक छोटी सी इमारत में सीसीटीवी छवियों के ज़रिए उनकी प्रत्येक हरकत पर नजर रखी जा रही है. जिसकी सभ्यता में कई राज छुपे हैं। यह ऐसा काम है, जो एक प्राचीन दाह संस्कार के भविष्य की सुरक्षा में मददगार साबित हो सकता है।
PHOTOS: गिद्धों को देख, जगी 3000 साल पुरानी प्रथा को बचाने की आस 

ये काम है गिद्धों को संख्या को बढ़ाना और उनकी प्रजनन में सहायता करना। हरियाणा फोरेस्ट विभाग और मुंबई नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी के साझा प्रयास से गिद्धों का वल्चर कंजरवेशन ब्रीडिंग सेंटर 2001 में खोला गया है। डॉक्टरों की टीम पूरी मेहनत से गिद्धों की जनसंख्या में बढ़ाने में लगी हुई है।
वल्चर कंजरवेशन ब्रीडिंग सेंटर में नवजात 
उनके इस काम से न केवल प्रकृति में संतुलन आएगा, बल्कि जीवों के सड़े हुए शवों के तुरंत निबटान के लिए भी मददगार साबित होगा और विश्व के एक सबसे पुराने धर्म के लोगों को भी उम्मीद बंधेगी। 80 के दशक तक गिद्धों के संख्या 40 मिलियन थी। 2007 तक इनकी संख्या में 99 फीसदी कमी आने से इनकी संख्या 100000 रह गई।इस परियोजना को शुरू होने में और आगे बढ़ने में अभी वक्त लगेगा। गिद्ध धीमे प्रजनन करते हैं और लंबा जीवन जीते हैं। यहां 30 गिद्धों ने 2007 से 60 जोड़ी बच्चों को जन्म दिया। शिशु गिद्धों में से 16 को कृत्रिम ऊष्मायन से पैदा किया गया है। गौरतलब है कि गिद्ध 60 वर्ष तक जी सकते हैं।

वल्चर कंजरवेशन ब्रीडिंग सेंटर में गिद्ध 

वो जब पांच और छह वर्ष के हो जाते हैं, तो प्रजनन शुरू करते हैं और साल में केवल एक बार अंडा देते हैं. हालांकि, अगर उनके घोंसले से अंडा निकाल दिया जाए, तो गिद्ध एक हफ्ते के अंदर फिर से अंडा देती है. प्रत्येक अंडे की सफलता दर 50 फीसदी है, लिहाज़ा कृत्रिम ऊष्मायन के लिए घोंसले से अंडा हटाकर (और पक्षी को पुन: अंडा देने के लिए प्रोत्साहित करना) ये सुनिश्चित करते हैं कि प्रत्येक वर्ष एक पक्षी दो अंडे दे सके।



प्रजनन केंद्र में 127 गिद्ध (55 व्हाइट बैक्ड, 55 लांग बिल्ड और स्लेंडर बिल्ड 15 और दो हिमालयन ग्रिफोन) मौजूद हैं। ध्यान रहे कि गंभीर खतरे वाली इन प्रजाति के गिद्धों की बड़ी संख्या पूरी दुनिया में सिर्फ यहीं पर मौजूद हैं। क्यों गायब होने लगे गिद्धएक खास डिक्लोफेनाक दवा के इस्तेमाल से गिद्धों की संख्या में भारी कमी आई। डिक्लोफेनाक का इस्तेमाल पशुओं के स्तन में सूजन और इंसानों में सूजन को कम करने के लिए किया जाता है। एशियाई गिद्धों के लिए उन शवों को खाना प्राणघातक होता है। 2008 में डिक्लोफेनाक दवा पर सरकार ने प्रतिबंध लगाया।

3000 हजार साल पुरानी प्राचीन प्रथा पर गहराया संकट
1990 के दशकों में दूषित मांस खाने की वजह से गिद्धों की जनसंख्या में काफी गिरावट आई है। करीब तीन हजार सालों से पारसी या भारत के बाहर जोरास्ट्रियंस समाज के लोग अंतिम संस्कार जिसे 'दोखमेनाशिनी' कहा जाता है, इसके लिए पूरी तरह से गिद्धों पर निर्भर हैं। जिसमें मृतक के शरीर को पक्षी खाते हैं। ऐसे में शवों के पक्षी भक्षण के लिए 'टॉवर्स ऑफ साइलेंस' के सुपुर्द करने की पारसी परंपरा खतरे में है। शवों को सुखाने के लिए सौर सकेन्द्रक के उपयोग और उनके मांस को अन्य पक्षियों जैसे चील और कौव्वे के लिए छोड़ने वाली तमाम प्रक्रियाएं, गिद्धों के बगैर अधूरी हैं। ज्यादातर पारसी लोग अपनों के शव को टॉवर ऑफ साइलेंस में रखे जाने का चयन किया, क्योंकि उनका धर्म उन्हें सिखाता है कि दाह संस्कार और ज़मीन में दफनाए जाने से तत्व दूषित होते हैं. लेकिन कुछ सुधारवादी लोग दाह संस्कार या कब्रिस्तान में दफनाए जाने की दलील देते हैं, लेकिन ये बात कई परंपरावादी पारसियों के गले नहीं उतरती। उनका कहना है कि हम ये नहीं कह सकते, क्योंकि यहां गिद्ध नहीं हैं, इसलिए इस व्यवस्था को खत्म किए देते हैं। यह एक मुस्लिम को कुछ ऐसा कहना होगा कि आप दफनाने को भूलकर दाह संस्कार क्यों नहीं करते।

2001 में, भारत में 69,601 पारसी थे, लेकिन एक दशक पश्चात हुई ताज़ा जनगणना में यह माना जा रहा है कि यह आंकड़ा 60,000 तक पहुंच गया है. इससे एक ही सवाल उठता है कि ये प्राचीन दोखमेनाशीनी व्यवस्था, समुदाय और गिद्ध तीनों ही लुप्त हो जाएगें

इकबाल मर्डर केस में तीन आरोपी गिरफ्तार

जोधपुर. आखलिया चौराहा से प्रताप नगर जाने वाले मार्ग पर सोमवार रात एक ब्लाइंड मर्डर केस का खुलासा करते हुए पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। इन्हीं आरोपियों की दोपहर के समय पिक्चर हॉल में पीडि़त युवक से हाथापाई हुई थी। रात को आरोपियों ने उसे रास्ते में रोका और चाकू से उसकी हत्या कर दी।डीसीपी (पश्चिम) अजय पाल लांबा ने बताया कि सूरसागर थानांतर्गत कबीर नगर निवासी इकबाल (28) पुत्र जमाल खां न्यू कोहिनूर सिनेमा में टिकिट जांचने का काम करता था। सोमवार दोपहर के शो के दौरान कुछ युवकों से उसकी टिकिट जांचने की बात को लेकर हाथापाई हुई थी।रात करीब साढ़े दस बजे इकबाल को घर लौटते समय कुछ लोगों ने प्रताप नगर रोड पर स्थित टाक सर्विस स्टेशन के सामने रोका और उस पर चाकू से हमला कर दिया। गंभीर हालत में उसे अस्पताल ले जाया गया। वहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।घटना के संबंध में इकबाल खां के भाई सुभान खां की रिपोर्ट पर प्रताप नगर थाने में अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया। इस ब्लाइंड मर्डर केस का खुलासा करने के लिए एडीसीपी (कानून-व्यवस्था) ज्योति स्वरूप शर्मा के निर्देशन में एसीपी (प्रताप नगर) कुंवर राष्ट्र दीप के साथ विशेष टीम गठित की गई। इसमें प्रताप नगर थानाधिकारी देरावरसिंह, चौहाबो थानाधिकारी अमित सिहाग, रातानाडा एसएचओ सुगन सिंह व अन्य की टीमें रात को ही संदिग्ध आरोपियों की तलाश में जुट गई।आखिरकार, पुलिस ने इस ब्लाइंड मर्डर केस का खुलासा करते हुए मंगलवार को मंडोर रोड स्थित जगजीवनराम कॉलोनी निवासी इरशाद अली पुत्र सैय्यद अली, सुभाषनगर निवासी कपिल शर्मा पुत्र सागरमल शर्मा और सुभाष नगर निवासी दीपक सांजू को गिरफ्तार कर लिया। उधर, मंगलवार सुबह पुलिस ने एमडीएम अस्पताल में शव का मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करवाया।

जोधपुर कलेक्टर सिद्धार्थ महाजन सड़क हादसे में बाल-बाल बचे

अनियंत्रित ट्रक ने कायलाना तिराहे पर मारी टक्कर, कलेक्टर के चालक की सूझ बूझ से बची जान



जोधपुर. कलेक्टर सिद्धार्थ महाजन एक सड़क दुर्घटना में बाल-बाल बचे। उनकी सरकारी गाड़ी क्षतिग्रस्त हो गई है। यह सड़क दुर्घटना ग्रामीण दौरे पर जाते हुए कायलाना के पास मंगलवार को हुई।कलेक्टर सिद्धार्थ महाजन मंगलवार को जोधपुर जिले के शेरगढ़ तहसील में निरीक्षण एवं ग्रामीणों से रूबरू होने जा रहे थे कि कायलाना रोड़ पर माचिया सफारी पार्क के आगे एरिड जोन कार्यालय तिराहे पर तेजगति से आए एक ट्रक ने टक्कर मार दी। कलेक्टर की स्कार्पियों कार चला रहे चालक जसवंत ने गाड़ी की स्पीड बढा कर अपनी व कलेक्टर की जान तो बचा ली। लेकिन चालक साइड से सरकारी स्कार्पियों कार के साइड गेट के पीछे टक्कर लग गई। इससे स्कार्पियों क्षतिग्रस्त हो गई और कलेक्टर महाजन व उनका चालक जसवंत बाल-बाल बच गया।कलेक्टर के अंगरक्षक सिपाही ने तत्काल वायरलेस सेट पर पुलिस कंट्रोल रूम को सूचित किया। इधर कलेक्टर ने पुलिस अधिकारियों को इसकी सूचना दी। सूरसागर पुलिस मौके पर पहुंची और ट्रक चालक को गिरफ्तार कर ट्रक जब्त कर सूरसागर थाने ले आई। कलेक्टर को स्कार्पियों क्षतिग्रस्त होने के बाद शेरगढ़ दौरा रद्द करना पड़ा।उन्होंने अपने घर से स्विफ्ट कार मंगवाई और सीधे घर गए। यहां दस मिनट ठहरने के बाद घर से कलेक्ट्रेट पहुंचे और रोजाना की तरह काम काज शुरू कर दिया। इधर, दुर्घटना की सूचना मिलते ही एडीएम विवेक कुमार, एडीएम सिटी राजेंद्रसिंह राठौड़, चुनाव आयोग के प्रशिक्षण के लिए दिल्ली एडीएम द्वितीय डॉ. भागचंद बधाल, तृतीय बृजेश चंदौलिया, एसडीएम कैलाश यादव, डीएसओ वीपी सिंह सहित कई अधिकारी कुशलक्षेम पूछने पहुंचे।भगवान का शुक्र है, बच गए: कलेक्टर सिद्धार्थ महाजन ने बताया कि भगवान का शुक्र है कि बच गए। वर्ना ट्रक वाले ने तो कोई कसर नहीं छोड़ी थी। उन्होंने बताया कि उनके चालक जसवंत की सूझबूझ काम आई। चालक ने अगर ट्रक से बचने के लिए स्कार्पियों की स्पीड नहीं बढ़ाई होती तो बड़ा हादसा हो जाता। कलेक्टर ने बताया कि सूरसागर पुलिस को कह दिया है कि ट्रक चालक को पेनाल्टी लगाने के साथ ही हिदायत देकर छोड़े कि आइंदा ट्रक तेज व लापरवाही से चला कर किसी की जान से नहीं खेलेगा।

शहंशाह-ए-गज़ल मेहदी हसन कराची अस्पताल में भर्ती

कराची। पाकिस्तान के गजल सम्राट मेहदी हसन को कराची के आगा खान अस्पताल में आईसीयू में भर्ती कराया गया है। दरअसल मेहंदी हसन के बेटे आरिफ हसन के मुताबिक उनके पिता 12 साल से बीमार हैं, लेकिन इस बार उनकी तबीयत ज्यादा खराब हो गई है। उन्हें फेफड़े, छाती और यूरिन करने में समस्या है।शहंशाह-ए-गज़ल मेहदी हसन कराची अस्पताल में भर्ती   


मेहंदी हसन का जन्म 1927 में राजस्थान के लूना गांव में हुआ था। 1947 में बंटवारे के समय उनका परिवार पाकिस्तान चला गया। गजल की दुनिया में योगदान के लिए उन्हें शहंशाहे गजल की उपाधि से नवाजा गया था।

97 की उम्र में पाया हाई-स्कूल डिप्लोमा

 

बचपन में देखा गया हाई-स्कूल से डिप्लोमा पाने का सपना जिंदगी के अंतिम सालों में आ कर पूरा हुआ।1930 में पढ़ाई छोड़ चुकी ऎन कोलागियोवानी का ग्रेजुएट होने का सपना अब जाकर पूरा हुआ। शेकर हाइट्स हाई स्कूल के 2012 की बैच में डिप्लोमा प्राप्त करने वाली ऎन सबसे उम्रदराज स्टूडेंट रही। 17 वर्ष की उम्र में एन ने पढ़ाई छोड़ कर अपने पिता के स्टोर में काम करना शुरू कर दिया था। वे बताती है कि अमरीका में वह मंदी का दौर था और उस वक्त कमाई का पढ़ाई से ज्यादा महत्व था, इसलिए उन्हें पढ़ाई छोडनी पड़ी थी।

राष्ट्रपति चुनाव:19 को वोट,22 को काउंटिंग

 

नई दिल्ली। निर्वाचन आयोग ने राष्ट्रपति चुनाव की तारीख और इसकी प्रक्रिया का मंगलवार को ऎलान कर दिया है। नवनियुक्त मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) वी.एस. सम्पत ने चुनाव तारीख की घोषणा करते हुए कहा कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए 16 जून को अधिसूचना जारी होगी। 30 जून तक प्रत्याशी नामांकन दाखिल कर सकेंगे। 2 जुलाई को नामांकन पत्रों की जांच होगी तथा नाम वापसी की अंतिम तिथि 4 जुलाई रखी गई है। इसके बाद 19 जुलाई को मतदान होगा तथा 22 जुलाई को मतों की गिनती की जाएगी। मतगणना के बाद निर्वाचित राष्ट्रपति का नाम सामने आ जाएगा। ज्ञात हो कि राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है।सम्पत ने बताया कि चुनाव में सभी सांसद एवं विधायक मतदान में हिस्सा लेंगे। इन चुनावों में इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन का इस्तेमाल नहीं होगा और यही कारण है कि नतीजा तत्काल सामने नहीं आएगा। राज्यसभा के महासचिव वी के अग्निहोत्री इस चुनाव के लिए निर्वाचन अधिकारी होंगे और राज्यों में उप निर्वाचन अधिकारी नियुक्त किए जाएंगे।राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी की दौड़ में फिलहाल प्रणब मुखर्जी सबसे आगे चल रहे हैं। हालांकि कांग्रेस अभी आधिकरिक तौर पर चुप्पी साधे हुए है और उसने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। इस बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता पी. ए. संगमा भी मैदान में कूद गए हैं। उन्हें तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक का समर्थन मिल चुका है। उधर भाजपा की राय को दोहराते हुए पार्टी की नेता हेमा मालिनी ने एक बार फिर दोहराया है कि राष्ट्रपति पद पर कोई गैर राजनीतिक व्यक्ति ही होना चाहिए।

नाथद्वारा में मंदिर से 35 लाख की चोरी

नाथद्वारा में मंदिर से 35 लाख की चोरी
जयपुर। बीती रात नाथद्वारा मंदिर के पास बिट्ठलजी के मंदिर से करीब 35 लाख रूपए की चोरी हो गई। चोरों ने मंदिर से बिहारीजी की एक सोने की मूर्ति व सेवा भोग के बर्तन व अन्य सामान चुरा लिए। मंदिर के सेवादारों को मंगलवार सुबह इसका पता चला।

नाथद्वारा मंदिर के समीपतर्वी बिट्ठलजी मंदिर में रात छत की जालियों को तोड़कर चोर रस्सा बांधकर अंदर प्रवेश कर गए और मंदिर में रखी सोने की बिहारी जी की मूर्ति व सोने-चांदी के सेवाभोग के बर्तन व अन्य सामान पार कर ले गए। सुबह करीब साढ़े चार बजे जब मंदिर के सेवादार उठे तो उन्होंने बिहारी की मूर्ति व अन्य सामान को गायब पाया। इसके बाद सेवादारों ने सूचना पुलिस को दी। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।