बुधवार, 13 जून 2012

राजस्थान का खजुराहो-किराडू




राजस्थान के जिला बाड़मेर में स्थित ‘किराडू के मंदिर’अपनी स्थापत्य कला के लिए देशभर में प्रसिद्ध हैं। दक्षिण भारतीय शैली में बने ये मंदिर न सिर्फ धर्मप्रेमी लोगों अपितु साधारण पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र हैं।
राजस्थान के शहर बाड़मेर से 43 कि.मी. दूर स्थित है गांव हात्मा। अनजान से इस गांव हात्मा में ही स्थित हैं ‘किराडू के ऐतिहासिक मंदिर। पांच मंदिरों की इस खूबसूरत शृंखला में हालांकि अधिकांश मंदिर वक्त के थपेड़ों से जर्जर हो चुके हैं लेकिन स्थापत्य की दृष्टिï से धनी ये मंदिर आज भी देखने वालों को बरबस ही मोह लेते हैं। इतिहास के मुताबिक 1161 ई.पू. इस स्थान का नाम ‘किराट कूप’था। करीब 1000 ई. में यहां पर पांच मंदिरों का निर्माण किया गया। इन मंदिरों का निर्माण किसने किया, इसके कोई पुख्ता प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं। लेकिन इन मंदिरों की बनावट शैली देखकर ये माना जाता है कि इनका निर्माण दक्षिण के गुर्जर-प्रतिहार वंश, संगम वंश या फिर गुप्त वंश ने किया होगा। पांच मंदिरों की इस शृंखला में केवल विष्णु मंदिर और शिव मंदिर (सोमेश्वर मंदिर) ही ठीक हालत में हैं, शेष 3 मंदिर खंडहर में तब्दील हो चुके हैं। बताया जाता है कि 19वीं शताब्दी के आरंभ में आए भूकम्प के कारण उत्कृष्टï स्थापत्य शैली के ये मंदिर धूल-धुसरित हो गए। इन मंदिरों में सबसे बड़ा मंदिर है- सोमेश्वर मंदिर। भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर की बनावट दर्शनीय है। अनेक खम्भों पर टिका यह मंदिर भीतर से दक्षिण के मीनाक्षी मंदिर की याद दिलाता है, तो इसका बाहरी आवरण खजुराहो के मंदिर का अहसास कराता है। काले व नीले पत्थर पर हाथी- घोड़े व अन्य आकृतियों की नक्काशी मंदिर की सुन्दरता में चार चांद लगाती है। मंदिर के भीतरी भाग में बना भगवान शिव का मंडप भी बेहतरीन है।
किराडू शृंखला का दूसरा मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। यह मंदिर सोमेश्वर मंदिर से छोटा है किन्तु स्थापत्य व कलात्मक दृष्टिï से काफी समृद्ध है। इसके अतिरिक्त किराडू के अन्य 3 मंदिर हालांकि खंडहर में तब्दील हो चुके हैं, लेकिन इनके दर्शन करना भी एक सुखद अनुभव है।

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