रविवार, 11 मार्च 2012

अब रोड़वेज बनेगी चेतना का आधार जल संरक्षण की खास पहल



अब रोड़वेज बनेगी चेतना का आधार 
जल संरक्षण की खास पहल 
राज्यभर में एक हजार से ज्यादा का चयन 
बाड़मेर 
अपनी मंजील की तरफ कदम बाने वाले मुसाफिरों की हमसफर बनने वाली रोड़वेंज अब जल्द ही चेतना का आधार बनने जा रही हैं। एक तरफ जहां जल संरक्षण के लिए इस खास पहल को राज्य भर में धरातल पर उतारा जाएगा वही इस प्रकि्रया में राजस्थान सरकार राजस्थान पथ परिवहन निगम की सहायता से उन विशोष मार्गो का चयन करेगी जिनमे यात्रा करने वालें मुसाफिरों की संख्या आम रुट से ज्यादा अवाम में फैलाने वाले रो़ड़वेज की संख्या एक हजार से अधिक होगी। 
राजस्थान राज्य जल एवं स्वच्छता मिशन और राष्टिय ग्रामीण पेयजल गुणवता कार्यक्रम के तहत धरातल पर तरने वाली इस खास पहल के लिए आगामी वित वर्ष में बाड़मेर में30 के करीब रोड़वेज रुट का चयन किया जाएगा । सी.सी.डी. यू. के आईर ई. सी. कन्सलटेंर अशोक सिह ने बताया कि सरकार जहां कम वर्षा वालें ईलाकों में समूचित पेयजल प्रबंधन को रोकने के लिए आम जन मानस में जन चेतना फैलाने के कार्य को बखूबी अंजाम तक पहूचा रही है। इसी आधार के मद्वेनजर आगामी वित वर्ष में राजस्थान राज्य जल एवं स्वच्छता मिशन और राष्टिय ग्रामीण पेयजल गुणवता कार्यक्रम के तहत हर जिले में मुसाफिरों को उनकी मंजील तक पहूचाने में अहम किरदार अदा करने वाली रोड़वेज की बसों का चयन चेतना दूत के रुप में किया जायेगा । राज्य भर में सबसें व्यस्ततम रुट का चयन कर वहां चलने वाली बसों पर जल संरक्षण जल अपव्यय रोकने, वर्षा जल की गुणवत्ता की बात, स्कूलों और भवनों से वर्षा जल एकत्रित करने, सार्वजनिक जलाशयों की सफाई रखनें, और पानी की एक एक बूंद की कीमत पहचानने वालें संदेशों कों विभिन्न रंगों और चित्रों के माध्यम से उकेरा जायेगा । सिंह के मुताबिक रोड़वेज की बसों से राज्य भर में हर रोज लाखों यात्री सफर करते हैं ऐसे में पानी को लेकर लोंगों में चेतना फैलाने के लिए इन बसों का उपयोग लेना ना केवल एक सार्थक पहल होगी वरन इससे संदेंश लेने वाले लोगो की तादाद हर रोज नई ओर अलग होगी जो कि सुखद परिणाम देने वाली रहेंगी। 

जिला प्रशासन राजस्थान की लोक कला और संस्कृति की बैंड बजाने पर तूला है


थार महोत्सव ...तीस साल बाद भी पहचान नहीं मिली ...


प्रशासनिक लापरवाही बनी बाधा


बाड़मेर पश्चिमी राजस्थान की लोक कला ,संस्कृति ,परम्परा लोक गीत संगीत लोक जीवन ,थार की जीवन शैली ,इतिहास से दुनिया को रूबरू करने के उद्देश्य से तीस साल पहले जिला प्रशासन ने थार महोत्सव नामक लोक मेले की शुरुआत इस उद्देश्य से की थी की विदेशी पर्यटक थार की संस्कृति से जुड़े ,मगर अफ़सोस तीस साल बाद भी बाड़मेर का थार महोत्सव विदेशो की बात छोड़े आसपास के जिलो में भी अपनी पहचान नहीं बना पाया ,थार महोत्सव से देशी विदेशी पर्यटकों को जोड़ने की बजाय स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों के मनोरंजन का साधन बन गया सबसे बड़ी बात की थार महोत्सव की कलेंडर तारीख आज भी तय नहीं हें जो नया कलेक्टर आया अपनी मर्जी व् सुविधा के अनुसार तारीखे तय करते हें ,थार महोत्सव के आयोजन की कमेटी में आज भी नब्बे फ़ीसदी लोग बाहरी प्रान्तों के हे जो थार की लोक कला और संस्कृति के बारे में कुछ नहीं जानते इन सदस्यों की सलाह पर थर महोत्सब्व में थार की लोक कला संस्कृति लोक गीत संगीत को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रमों को स्थान देने की बजाय उलुल जुलूल कार्यक्रमों को इसमे शामिल कर महोत्सव के उद्देश्य को ही ख़तम कर दिया प्रशासनिक अधिकारी अपना अपना टाइम पास करने के उद्देश्य से कभी राजा हसन तो कभी कैलाश खेर को मोटी रकम देकर कार्यक्रम आयोजित करने के लिए बुलाते हे जिनका थार की संस्कृति से कोई लेना देना नहीं बाड़मेर जैसलमेर लोक गीत संगीत का खजाना हें यंहा लोक गायकी और संगीत से जुड़े नायब हीरे जड़े हें जिन्होंने राजस्थान की लोक कला और संस्कृति को सातवे आसमान तक और सात समुन्दर पार तक पंहुचाया यंहा के लोक कलाकारों को अपने ही महोतासवो में मौका नहीं मिलता उन्हें हमेशा ऐसे  कार्यक्रमों में नज़र अंदाज़ किया जाता रहा हें ,थार महोत्सव का आयोजन का जिम्मा उन लोगो के पास हें जिनका थार से कोई जुड़ाव नहीं एक तरफ जैसलमेर का मरू महोत्सव हें जिसने कम समय में पुरे विश्व में अपनी अलग पहचान बनाई जिसका मूल कारण स्थानीय लोक कलाकार हें जिन्होंने अपने कला से मरू महोत्सव को नई ऊँचाइया प्रदान की वन्ही दूसरी तरफ थार महोत्सव हे जो तीस साल में अपनी कोई पहचान नहीं बना पाया जिसके जिम्मेदार प्रशासन की नासमझी हें .आखिर थार महोत्सव का  आयोजन क्यों और किसके  लिए किया जा रहा हें यह समझ से परे हें.इधर सोमवार को थार महोत्सव का आयोजन शुरू हो रहा हें मगर पुरे बाड़मेर शहर में मात्र  चार बेनर लगाए गए हें प्रचार के लिए सबसे दुखद पहलु हें की इन बेनारो में राजस्थान और थार की लोक संस्कृति को स्थान देने की बजाय कैलाश खेर को प्रमुखता दी हें थार महोत्सव के आयोजन का उद्देश्य ही ख़तम होता जा रहा हें .बाड़मेर और थार की थली की लोक संस्कृति ,और परम्पराव का नाश किया जा रहा हें एक तरफ विद्यालयों में छात्रो के परिक्षाए चल रही हें ऐसे में सेलिब्रेटी के कार्यक्रम के आयोजन का कोई तुक  समझ से परे हें ऐसे में जब कार्यक्रम थार महोत्सव का हो उसमे गैर राजस्थानी संस्कृति के कलाकारों के कार्यक्रमों के आयोजनों पर उंगलिया उठना  स्वाभाविक हें .बहरहाल जिला प्रशासन राजस्थान की लोक कला और संस्कृति की बैंड बजाने पर तूला है .

दलित बालिका से होटल में दुष्कर्म

बिजयनगर। कस्बे के एक बाइक मैकेनिक ने बरल रोड स्थित एक होटल में दलित बालिका को ले जाकर उससे बलात्कार किया। शनिवार सुबह मामले का पता लगते ही लोगों में रोष फैल गया। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। उसके खिलाफ बलात्कार और एससी-एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है। मामले की जांच सहायक पुलिस अधीक्षक राहुल जैन कर रहे हैं।

पीडिता के पिता ने दर्ज रिपोर्ट में बताया कि उसकी 13 वर्षीया पुत्री शुक्रवार को बाजार जाने की कह कर निकली। उसके बाद वह घर नहीं लौटी तो परिजन ने रातभर उसकी तलाश की। शनिवार सुबह वह बरल रोड स्थित एक होटल के बाहर रोते हुए मिली। उसकी आपबीती सुनकर परिजन का दिल बैठ गया। वे उसे लेकर थाने पहुंचे और रिपोर्ट दर्ज कराई। पीडिता ने पुलिस को बताया कि नाड़ी मोहल्ला निवासी बाइक मैकेनिक विक्की नामक युवक उसे पिछले कुछ दिन से डरा-धमका कर अकेले मिलने के लिए मजबूर कर रहा था। शुक्रवार शाम वह उसे डरा-धमका कर होटल में ले गया। उसे रातभर कमरे में रखा और उससे बलात्कार किया।

लोगों में रोष्ा, कार्रवाई की मांग
बालिका से बलात्कार की सूचना मिलने पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यकर्ताओं में रोष उत्पन्न हो गया। पूर्व विधायक किशनगोपाल कोगटा, संघ पदाघिकारी पदम मुणोत, विनोद नागौरी, एडवोकेट महावीर शर्मा, संजीव कोठारी आदि ने थाने में जाकर जानकारी ली तथा थानाप्रभारी से आरोपी को तुरन्त गिरफ्तार करने की मांग की।

किराएदार की पत्नी का कत्ल


state news 
अजमेर। भगवानगंज क्षेत्र में शनिवार सुबह पुरानी रंजिश के चलते मकान मालिक ने किराएदार के परिवार पर चाकू से हमला कर दिया। वारदात में किराएदार, उसकी पत्नी और पुत्री गंभीर रूप से घायल हो गए। किराएदार की पत्नी ने अस्पताल में दम तोड़ दिया। रामगंज थाना पुलिस ने आरोपी मकान मालिक को मौके से गिरफ्तार कर लिया।

खत्री मोहल्ला निवासी त्रिलोकचंद जाटव (43) के मकान में गत चार साल से नरेश कुमार वासवानी (42) पुत्र टहलराम किराएदार हैं। शनिवार सुबह साढ़े छह बजे त्रिलोक अचानक नरेश की पत्नी जया (35) को भला-बुरा करने लगा। इससे दोनों में कहासुनी हो गई। आवेश में आकर त्रिलोक रसोईघर से चाकू ले आया और जया पर ताबड़तोड़ वार कर दिए।

जया के हाथ, पेट और चेहरे पर गंभीर घाव हो गए। उसकी चीख सुनकर नरेश और उसकी पुत्री ऊषा (13) भी वहां आ गए। उन्होंने बीच बचाव किया तो त्रिलोक ने चाकू से उन पर भी हमला कर दिया। अन्य किराएदारों ने बीच बचाव किया और त्रिलोक को पकड़कर एक कमरे में बंद कर दिया।

घायल नरेश, जया और ऊषा को जेएलएन अस्पताल पहुंचाया गया। यहां चिकित्सकों ने जया को मृत घोषित कर दिया। नरेश व ऊषा की हालत गंभीर बनी हुई है। इत्तला मिलने पर पहुंची पुलिस ने त्रिलोक को गिरफ्तार कर चाकू बरामद कर लिया। एफएसएल टीम ने घटनास्थल का मुआयना कर तथ्य जुटाए। पोस्टमार्टम के बाद पुलिस ने जया का शव परिजन के सुपुर्द कर दिया।

थप्पड़ का बदला

प्रारम्भिक अनुसंधान में पुलिस को पता लगा कि हत्या की वजह चार माह पूर्व हुई एक घटना है। किराएदार नरेश ने चार माह पहले त्रिलोक तथा उसकी मां को थप्पड़ मार दिया था। नरेश के परिजन ने यह कह कर माफी मांग ली थी कि नरेश पर 'ऊपरी हवा' का असर है। त्रिलोक मन ही मन नरेश से रंजिश पाले हुए था।



इनका कहना है

आरोपी त्रिलोक को गिरफ्तार कर लिया गया है। हत्या की वजह आए दिन की छींटाकशी और ताने कसना है। अनुसंधान जारी है।

सुरेन्द्र कुमार भाटी, पुलिस उप अधीक्षक (दक्षिण)

सरहद का एक गांव, जहां खड़ी है कुंआरों की फौज

सरहद का एक गांव, जहां खड़ी है कुंआरों की फौज




बाडमेर, राजस्थान। भारत-पाकिस्तान की सरहद पर बसा बाड़मेर जिला, जिसके रेगिस्तानी गांव ऐसे दुरूह स्थानों पर बसे हैं कि इन गांवों तक पहुचना ही मुश्किल होता है। बाडमेर जिले की जैसलमेर से लगती सीमा पर बसा सरहदी नोडियाला गांव। खबडाला ग्राम पंचायत का राजस्व गॉव है नोडियाला। यह गांव राजपूत बाहुल्य है जहां सोा जाति कें राजपूत रहते हैं। लगभग साठ परिवार इस जाति के हैं वही कुछ परिवार राणा राजपूत तथा मेगवाल जाति के हैं। इस गॉव में पहुचना टेढ़ी खीर के समान हैं।

विकास से इस गॉव का कोई लेना देना नही। गॉव के लोग गॉव से बाहर नहीं जाते, गॉव में ही मस्त रहते हैं। इस गांव म कुंवारों की फौज खडी हैं। हर परिवार में कुंआरें हैं। कहीं के भी कोई भी परिवार अपनी लाडली बेटियों को इस गांव कें किसी परिवार में ब्याहना ही नही चाहते। इस संबंध में ग्रामीणों से बाततीच करने पर पता चला कि नोडियाला गांव में ऐसा कुछ भी नही है कि कोई अपनी बच्ची को इस गांव में ब्याह दे। गॉव में पानी की किल्लत सबसे बडी समस्या है।पानी के लिए ग्रामीणों को ग्राम पंचायत मुख्यालय खबडाला तक प्रतिदिन पानी भरने जाना पडता हें। गांव में पानी की एक होज बनी हैं जिसमें अंतिम बार पानी कब आया किसी को याद नही हैं। इस गांव में कुछ अच्छा है तो वो है पशुधन की बाहुल्यता। इस गांव में आने वाले मेहमान को दूध तो आसानी से मिल जाएगा मगर पानी की एक बूंद भी मिलना मुश्किल है।

गांव के खंगारसिह सोढ़ बताते हैं कि गॉव बाडमेर जिले में है मगर जैसलमेर जिला नजदीक लगता है जिसके कारण गॉव का सारा लेन-देन-व्यापार जैसलमेर से है। सबसे बड़ी बात कि इस गांव में न तो सरकारी कारिन्दे आते हैं न ही नेता लोग आते जिसके कारण गांव में विकास नहीं हो रहा । गांव अभी तक सड़क मार्ग से नहीं जुड़ा। कहने को सरकारी प्राथमिक स्कूल हैं मगर अध्यापक नही हैं। इस कारण बन्द पड़ा है। गॉव के बच्चे अनपढ़ हैं। युवा वर्ग पहले से ही अनपढ़ हैं। गॉव में किसी प्रकार का रोजगार नही हैं।

इस गॉव में कोई परिवार अपनी बालिका को ब्याहना नहीं चाहते। जिसकें कारण गॉव कें अधिकतर लोग कुंआरे हैं। सतर फीसदी घरों में बहुएं नही हैं। कुंआरे लोग अपने घर का काम खुद ही करतें हैं।सत्तर साल तक के लोग कुंवारे बैठे हैं। इस गांव के सोढ़ परिवार भारत पाकिस्तान विभाजन कें समय तथा कुछ परिवार 1971 व 1965 कें युद्ध कें दौरान पाकिस्तान से पलायन कर यहां आकर बसे हैं। गांव के गुलाबसिह नें बताया कि बहुत पहले गॉव में भोखावटी के परिवारों के साथ रिश्ते हुए थे। चार-पांच परिवारों में बहुएं भी आई थीं मगर जब गांव की स्थिति तथा वास्तविकता का पता चला गांव में रिश्तेदारिया होना बन्द हो गया। एक तरह सें शादियों पर ग्रहण सा लग गया। परिवार नही बस पा रहें हैं। मेरे पॉच भाई हैं जो आज भी कंवारें हैं उनकें रिश्ते के हर सम्भव प्रयास किए कोई फायदा नहीं हुआ।

हालाकि दूसरी जाति कें परिवारों में भी शादियां नहीं हो रही हैं। आसपास कें गांवों में लोग अपनी बेटियां देते हैं, पर इस गांव पर कोई मेहरबान होने को तैयार नहीं। जिसके कारण कुंवारों की फौज खडी हो रही है। बाडमेर जिले का अंतिम गॉव होनें कें कारण इसके विकास पर कोई सरकार ध्यान नहीं देती। इस गॉव में पहुचने के लिऐ जेसलमेर जिले कें कई गॉवो से होकर गुजरना पडता हैं।

बाड़मेर का विश्व प्रसिद्धगैर डांडिया नृत्य





बाड़मेर का विश्व प्रसिद्धगैर डांडिया नृत्य


बाड़मेर पश्चिमी राजस्थान का सीमान्त जिला बाड़मेर अपनी लोक संस्कृति, सभ्यता व परम्पराओं का लोक खजाना हैं।जिले में धार्मिक सहिष्णुता का सागर लहराता हें। इस समुद्र में भाईचारे की लहरें ही नहीं उठती अपितु निष्ठा, आनन्द, मानवता, करूणा, लोकगीतसंगीत, संस्कृति व परम्परोओं के रत्न भी मिलते हैं। बाड़मेर की जनता अपनी समृद्ध कला चेतना निभा रही हैं। यह प्रसन्नता की बात हैं। जिले को गौरव प्रदान करने में गैर नृतकों ने अहम भूमिका निभाई हैं।
मालाणी पट्टी में गैर नृत्यों की होली के दिन से धूम रहती हैं। यह धूम कनाना, लाखेटा, सिलोर, सनावड़ा सहित अने क्षेत्रों में समान रूप से रहती हैं। यही गैर नृत्य बाड़मेर की समृद्ध परम्परा व लोक संस्कृति का प्रतीक हैं। प्रतिवर्ष चैत्र मास में अनेक गैर नृत्य मेले लगते हैं। इन मेलों का धार्मिक, सामाजिक व सांस्कृति महत्व समान हैं। लाखेटा में किसानों का यह रंगीला मेला प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता हैं। पिछले चार सौ वर्षो से लोगो का प्रमुख धार्मिक आस्था स्थल लाखेटा हैं। जहां बाबा संतोष भारती की समाधि हैं। गैर नर्तको के सतर से अधिक दल इस मेले में भाग लेते हैं। सूय की पहली किरण के साथ गैर नृत्यों का दौर आरम्भ होता हैं। माटी की सोंधी महक, घुंघरूओं की झनक से मदमस्त कर देती हैं। किसानों का प्रमुख गैर नृत्य मेला जिसमें बाड़मेर, जोधपुर, पाली, जालोर जिलो से भी गैर नृतक शरीक होकर इस गैर नृत्य मेले को नई ऊंचाईयां प्रदान करते हैं।
गांवो से युवाबुजुर्गो के जत्थे हर्षोल्लास के साथ रंग बिरंगी वेशभूषा और लोक वाद्य यंत्रों के साथ भाग लेते हैं। मेले में युवा ग्रामीण गोलाकरअर्द्ध गोलाकार घेरे में विभिन्न मुद्राओं में ोल की ंकार, थाल टंकार पर नृत्य करते और हाथों में रखी एक मीटर की डण्डी आजू बाजू के गैरियों की डण्डियों से टकराते हैं और घेरे में घूमते हुए नृत्य करते हैं। गैरिये चालीस मीटर के घाघरे पहन हाथों में डाण्डियें, पांवो में आठआठ किलो वजनी घुंघरू पहन जब नृत्य करते हैं तो पूरा वातावरण कानो में रस घोलने लगता हैं। ोल की ंकार और थाली की टंकार पर आंगीबांगी नांगी जत्था गैर, डाण्डिया गौरों की नृत्य शैली निहारने के लिये मजबूर कर देती हैं। शौर्य तथा लोकगीतों के साथ बारीबारी से गैर दलों द्वारा नृत्य का सिलसिला सूर्यास्त तक जारी रहता हैं। 1520 समूह गैरियों के रूप में भाग लेते हैं गैर दलों की वेशभूषा के अनुरूप ही विभिन्न नृत्य शैलियां होती हैं। सफेद आंगी जो 4040 मीटर कपडे की बनी होती हैं। उस पर लाल कपडा कलंगी लगाकर जब नृत्य करते हैं तो मेले की रंगीनियां तथा मांटी की सोंधी महक श्रद्घालुओं को झूमने पर मजबूर कर देती हैं। सम्पूर्ण मेला स्थल गीतों, फागो और लोकवाद्य-यंत्रों की झंकारों, टंकारो व ंकारो से गुंजायमान हो उठता हैं। लोक संस्कृति को संरक्षण देने वाले लाखेटा, कनाना, कोटडी, सरवडी, कम्मो का वाडा, भलरों का बाडा, मिया का बाडा, खुराणी सहित आप पास के क्षेत्रों में गैर दल चंग की थाप पर गातेनाचते हैं। वहीं इसी क्षेत्र की आंगी बांगी की रंगीन वेशभूषा वाली डाण्डिया गैर नृत्य दल समां बांधने में सफल ही नहीं रहते अपितु मेले को नई ऊंचाईयां प्रदान करते हैं। वीर दुर्गादास की कर्मस्थली कनाना का मेला जो शीतलासप्तमी को लगता हैं, अपने अपन में अनूठा गैर नृत्यमेला होता हैं जो सिर्फ देखने से ताल्लुक रखता हैं। हजारों श्रद्घालु मेले में भाग लेते हैं। सनावड़ा में भी होली के दूसरे दिन का गैरियों का गैर नृत्य वातावरण को रंगीन बना देता हैं। पूरा आयोजनस्थल दिल को शुकून प्रदान करता हैं

पाक को मिलेगा मुंहतोड़ जवाब, राजस्‍थान बॉर्डर पर ब्रह्मोस तैनात

भारतीय सेना की जमीन से जमीन पर मार करने वाली सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस की दूसरी रेजिमेंट ऑपरेशनल हो गई है। इसे पाकिस्तान से सटे राजस्थान बॉर्डर पर पाकिस्तान के सिंध फ्रंटियर के सामने तैनात की गई है।  

‘कोल्ड स्टार्ट’ युद्ध सिद्धांत के अनुसार सेना में बदली जा रही रणनीति के तहत पाक बॉर्डर पर पहली मिसाइल रेजिमेंट की तैनातगी की जा रही है। इसकी मारक क्षमता 290 किलोमीटर है। पाक बॉर्डर पर इंडो-यूएस आर्मी के संयुक्त अभ्यास के बीच मिसाइल रेजिमेंट की तैनातगी को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
भारतीय सेना और रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) के विशेषज्ञों ने पिछले छह महीने में ब्रह्मोस मिसाइल का पोकरण स्थित चांधन फायरिंग रेंज में दो बार परीक्षण कर उसकी मारक क्षमता को परखा था।







गत 4 मार्च को मिसाइल के परीक्षण के बाद सेना में ब्रह्मोसमिसाइल की दूसरी रेजिमेंट की तैनातगी शुरू कर दी गई है। पहली मिसाइल रेजिमेंट की तैनातगी चीन बॉर्डर पर की गई थी। राजस्थान बॉर्डर पर पहली बार यह मिसाइल रेजिमेंट बाड़मेर से बीकानेर सेक्टर के बीच तैनात की जाएगी।
जंग की नई रणनीति के तहत मिसाइल की तैनातगी :
सेना की दक्षिण कमान (पूना) व दक्षिण पश्चिमी कमान के अधिकारियों के 25 से 28 फरवरी के बीच हुए वार गेम में युद्ध की नई रणनीति पर विचार विमर्श किया गया। साथ ही सेना में किए जा रहे नए बदलाव की रणनीति को अंतिम रूप दिया गया। साथ ही चीन के अरुणाचल में मोर्चा खोलने पर पाकिस्तान के राजस्थान बॉर्डर पर हमला बोलने की आशंका के दृष्टिगत जंग की तैयारी पर विचार विमर्श किया गया था। उस वार गेम में तय रणनीति के तहत ही ब्रह्मोस मिसाइल की दूसरी रेजिमेंट को राजस्थान बॉर्डर पर तैनात करने का फैसला लिया गया।
पाक ने भनक लगने पर किया हत्फ का परीक्षण :
ब्रह्मोस मिसाइल रेजिमेंट की राजस्थान बॉर्डर पर तैनातगी की भनक लगते ही पाकिस्तान ने 700 किमी दूरी तक मार करने वाली हत्फ मिसाइल का 5 मार्च को परीक्षण किया था। इससे पूर्व पाकिस्तान द्वारा भारत के दस शहरों को निशाने पर रख 24 परमाणु हथियार युक्त मिसाइल की तैनातगी करने की खबरें पाक मीडिया में प्रकाशित हो चुकी हैं।
ऐसे में ब्रह्मोस मिसाइल की तैनातगी को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इधर पाक बॉर्डर पर यूएस-इंडो आर्मी का संयुक्त अभ्यास चल रहा है। वहीं सेना की मथुरा स्थित 1 स्ट्राइक कोर के नेतृत्व में साठ हजार सैनिकों के थार में तीन महीने के युद्धाभ्यास ‘शूरवीर’ की तैयारी भी चल रही है।

डूब रहा रेगिस्तान का जहाज

डूब रहा रेगिस्तान का जहाज

बीकानेर। संख्यात्मक रूप में एक दशक में भारत के ऊंट विश्व के ऊंटों के मुकाबले सात पायदान नीचे चले गए हैं। यानि 2001 की विश्व पशु गणना में देश का तीसरा स्थान था, अब दसवें स्थान पर पहुंच गया है। ऊंटों की देखभाल समेत उनके पोषण पर सालाना करोड़ों रूपए खर्च करने के बावजूद इनकी घटती संख्या ने व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। रेगिस्तान के जहाज ऊंट की संख्या में निरंतर गिरावट ने पशु वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ा दी है। विश्व पशु जनगणना के अनुसार वर्ष 2001 में ऊंटों की संख्या के लिहाज से भारत का सूडान व सोमालिया के बाद तीसरा स्थान आता था।

दस साल बाद हुई विश्व पशु गणना में ऊंटों के लिहाज से भारत का स्थान दसवें नम्बर पर आ टिका है। हजारों किलोमीटर क्षेत्र में फैले रेत के समंदर में आवागमन का सुगम साधन माना जाने वाले ऊंट की दो प्रजातियों की संख्या में काफी कमी आ गई है। देश में ऊंटों की कुल चार प्रजातियां हैं, जिनमें से तीन तो अकेले राजस्थान में विचरण करती हैं। एक दशक पूर्व राजस्थान में जहां मेवाड़ी, जैसलमेरी व बीकानेरी नस्ल के ऊंटों की संख्या दस लाख से अधिक थी, वह आंकड़ा अब पांच लाख के नीचे आ चुका है। चौथी प्रजाति गुजरात के कच्छी नस्ल के ऊंटों की है। एक सर्वे के मुताबिक वर्तमान में कच्छी व मेवाड़ी नस्ल के ऊंटों की संख्या कम होती जा रही है।

वर्तमान में ऊंटों की संख्या
प्रजाति संख्या
बीकानेरी 4.20 लाख
जैसलमेरी 80 हजार
मेवाड़ी 30 हजार
कच्छी 30 हजार

क्यों कम हो रही संख्या
पशु वैज्ञानिक डॉ. टीके गहलोत के मुताबिक ऊंटों की संख्या में निरंतर कमी आने का कारण उनका पालन कम होना, चारागाह व आवास स्थलों का घटना है। इसके साथ-साथ कृषि में यांत्रिकीकरण भी ऊंटों की संख्या कम होने का कारण है। इनमें बढ़ रही नित नई बीमारियों का बड़ा कारण भरपूर मात्रा में पोषक तत्व नहीं मिलना है। पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन, पूर्ण पाच्य पोषक तत्वों और कैल्शियम की कमी के कारण ऊंट कमजोर तो ही जाता है साथ ही पेट सम्बन्धी बीमारियां भी हो जाती हैं। शरीर में फास्फोरस की कमी के कारण ऊंट को पायरा नामक रोग हो जाता है।

चार नस्लों पर अनुसंधान
बीकानेर स्थित राष्ट्रीय ऊष्ट्र अनुसंधान केन्द्र में राजस्थान व गुजरात की चार नस्लों के ऊंटों पर अनुसंधान चल रहा है। केन्द्र में मेवाड़ी, जैसलमेरी, बीकानेरी के अलावा कच्छी ( गुजरात) नस्ल के तीन सौ से अधिक ऊंट हैं। मानव में होने वाली बीमारियों का इलाज ऊंटों के शरीर में पाए जाने वाले एंटीजन से किए जाने को लेकर भी केन्द्र में अनुसंधान शुरू किए हैं। (कार्यालय संवाददाता)

योजना बन गई हैं...
रेगिस्तान के जहाज" के संरक्षण के लिए अब इनके पालकों को सरकारी स्तर पर संगठित किया जाएगा। राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र, बीकानेर ने इसकी योजना बनाई है। जिसके तहत ऊंटों की नस्ल संवर्द्धन के लिए उनके विचरण स्थल पर ही काम होगा। ऊंटों कीनस्ल संवर्धन को लेकर रेंज स्तर पर ब्रीडिंग प्लान तैयार कर लिया गया है, इसे जल्द ही क्रियान्वित किया जाएगा।
डॉ. एन. वी. पाटील, निदेशक, उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र

नीदरलैंड्स : स्कूलों और अनाथालयों में बच्चों के साथ गंदा काम

कैथोलिक संस्थानों के संबंध में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक़ 1945 से अब तक नीदरलैंड्स में हज़ारों की संख्या में बच्चों के साथ यौन शोषण हुए हैं। एक स्वतंत्र आयोग की ओर से जारी की गई इस रिपोर्ट के मुताबिक़ कैथोलिक अधिकारी स्कूलों, संस्थानों और अनाथालयों में बच्चों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार को रोकने में असफल रहे।
 

ये रिपोर्ट एक सर्वे पर आधारित है जिसमें 34,000 से ज़्यादा लोगों को शामिल किया गया। इस रिपोर्ट के मुताबिक़ कैथोलिक संस्थानों में हर पांच में से एक बच्चा दुर्व्यवहार का शिकार हुआ।



1800 मामलों का अध्ययन



नीदरलैंड्स के पूर्वी इलाक़े में एक स्कूल में यौन शोषण के मामले के तूल पकड़ने के बाद यह रिपोर्ट सामने आई है। इस आयोग ने साल 2010 के अगस्त महीने में जांच शुरु की और अलग-अलग कैथोलिक संस्थानों में सामने आए ऐसे 1800 मामलों का अध्ययन किया। इन मामलों में 800 से ज़्यादा अपराधकर्ताओं के नाम सामने आए जिनमें से केवल 100 ही अब जीवित हैं।



बीबीसी संवाददाता एना होलिगन के मुताबिक़ इस अध्ययन का मक़सद इस नतीजे तक पहुंचना है कि यौन शोषण के शिकार लोगों के साथ किस तरह का न्याय किया जाए। नीदरलैंड्स में इस रिपोर्ट का लंबे समय से इंतज़ार किया जा रहा था क्योंकि देश की 29 फ़ीसदी जनता कैथोलिक है।

रेत माफिया: हिस्ट्रीशीटर गिरफ्तार, ठेके रद्द

छतरपुर। मुरैना में आईपीएस अधिकारी नरेंद्र कुमार की हत्या के बाद शनिवार को पन्ना में रेत माफिया की गोलीबारी के बाद आखिरकार मध्य प्रदेश सरकार हरकत में आई। सरकार ने रविवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए आरोपी हिस्ट्रीशीटर कुबेर को गिरफ्तार करते हुए प्रदेश में रेत खनन के सभी ठेके निरस्त कर दिए।  
उल्लेखनीय है कि मुरैना में आईपीएस की हत्या के बाद शनिवार को एक बार फिर शासन-प्रशासन को खुली चुनौती दी थी। पन्ना में रेत माफिया ने अजयगढ़ एसडीएम नाथूराम गौंड़, एसडीओपी जगन्नाथ मरकाम व थाना प्रभारी मो. असलम खान पर अंधाधुंध फायरिंग कर दी। हमले में तीनों बाल-बाल बचे थे।

खनन माफिया ने छतरपुर के बंशिया व पन्ना के अजयगढ़ थाना क्षेत्र के बीच से निकल रही केन नदी से रेत के अवैध कारोबार के लिए अवैध पुल बना रखा है। चांदी पाटी रेत खदान के पास बने इस पुल को ढहाने के लिए पुलिस-प्रशासन का अमला वहां पहुंचा था। इसी दौरान हमला हुआ।

डेढ़ घंटे तक गोलीबारी
जवाब में पुलिस ने भी फायरिंग की। इससे हमलावर भाग खड़े हुए। दोनों ओर से करीब डेढ़ घंटे तक 25-30 राउंड फायरिंग हुई। घटना के बाद पन्ना एसपी अनिल माहेश्वरी बड़ी संख्या में पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे।

तीन नाम सामने आए
प्रारंभिक जांच में हमले में छतरपुर के हिस्ट्रीशीटर कुबेर, रामसिंह और कल्लू द्विवेदी का नाम सामने आया है। तीनों शातिर बदमाश हैं। इनमें कुबेर पूर्व डकैत बताया जाता है। उस पर हत्या जैसे गंभीर प्रकरण दर्ज हैं। वह हाल ही में जमानत पर छूटा है।

अवैध करोबार का गढ़
पुलिस के मुताबिक केन नदी से बड़ी मात्रा में अवैध रूप से रेत का कारोबार होता है। वाहनों को नदी पार कराने के लिए यहां खनन माफिया ने अवैध रूप से पुल (रपटा) बनवा रखा है। माफिया वाहन चालकों से अवैध वसूली भी करते है।

-हम लोग पुलिया तुड़वाने पहुंचे थे, इसी दौरान हमला हुआ। लगभग एक-डेढ़ घंटे तक फायरिंग चली।
-नाथूराम गौड़, एसडीएम पन्ना

अब तक आगे नहीं बढ़ी न्यायिक जांच की गाड़ी
भोपाल. आईपीएस नरेंद्र कुमार की हत्या की न्यायिक जांच की मुख्यमंत्री की घोषणा के चौबीस घंटे के बाद भी इस दिशा में कोई कागजी कार्रवाई शुरू नहीं हो पाई। सीएम ने शुक्रवार की सुबह न्यायिक जांच कराने का एलान किया था। मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद शुक्रवार को इस दिशा में कोई कागजी कार्यवाही नहीं की गई और न ही गृह विभाग और सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से जांच के बिंदु तय किए गए। इसके साथ ही उच्च न्यायालय को अधिकृत तौर पर न्यायाधीश की नियुक्ति के लिए अनुरोध भी नहीं किया गया है।

एक जिम्मेदार अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि शनिवार, रविवार और सोमवार को छुट्टी की वजह से कार्यवाही मंगलवार को ही होगी। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार और उसके नुमाइंदे नरेंद्र कुमार की हत्या की न्यायिक जांच को लेकर कितने गंभीर हैं। शनिवार को अवकाश होने के बावजूद दो आईएएस अफसरों का तबादला कर दिया गया, जबकि इतने अहम मामले में कागजी कार्यवाही नहीं किया जाना अफसोसजनक है।

छुटि्टयों बाद शुरू करेंगे

जांच के लिए हाईकोर्ट से जज की नियुक्ति होगी। यह काम छुियों के बाद किया जाएगा। मामले में गृह विभाग समन्वय कर रहा है।
-अवनि वैश्य, मुख्य सचिव

न्यायिक जांच के मामले में प्रशासकीय अनुमोदन के बाद हाईकोर्ट से जजों का पैनल मांगा जाएगा। पैनल में से ही जज की नियुक्ति होगी। इसके बाद जांच शुरू होगी।
-अशोक दास, अपर मुख्य सचिव गृह


सीएम के परिजन भी अवैध खनन में शामिल: अजय

नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने आरोप लगाया है कि अवैध खनन में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के भाई, परिजन और सत्ता व भाजपा से जुड़े प्रभावी लोग भी शामिल हैं। उन्होंने प्रदेशभर में अवैध उत्खनन की सीबीआई जांच की मांग दोहराई। सिंह शनिवार को बामनौर पहुंचे, जहां आईपीएस अफसर नरेंद्र की हत्या हुई थी।


सिंह ने इससे पूर्व ग्वालियर में नरेंद्र कुमार की श्रद्धांजलि सभा में भी शिरकत की। नेता प्रतिपक्ष ने इस अवसर पर कहा कि प्रदेश में खनिज माफिया को खुला संरक्षण मिला हुआ है। उन्होंने कहा कि विधानसभा के शीतकालीन सत्र में अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से अवैध उत्खनन के प्रकरण प्रमाण सहित नामजद उठाए गए थे। इसमें मुख्यमंत्री और मंत्रियों से जुड़े मामले थे। लेकिन मुख्यमंत्री ने जवाब में अवैध उत्खनन सहित भ्रष्टाचार के सभी मुद्दों से कन्नी काटी। सिंह ने कहा कि उसी समय सरकार ने कांग्र्रेस की सीबीआई की जांच मान ली होती तो एक होनहार पुलिस अफसर को जान न गंवानी पड़ती।

हैंडीक्राफ्ट फैक्ट्री में भीषण आग


हैंडीक्राफ्ट फैक्ट्री में भीषण आग


जोधपुर बोरानाडा औद्योगिक क्षेत्र में स्थित एक हैंडीक्राफ्ट फैक्ट्री में शनिवार शाम भीषण आग लग गई। आग की भयावहता को देखते हुए नगर निगम की सभी दमकलों के साथ सेना की करीब आधा दर्जन दमकलें भी मौके पर पहुंचीं। तकरीबन पांच घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया जा सका। निगम सूत्रों के अनुसार आग से करोड़ों रुपए का नुकसान होने की आशंका है।

सीएफओ सुरेश थानवी ने बताया कि निर्मल सेठिया की बोरानाडा क्षेत्र में सेठिया हैंडिक्राफ्ट नाम से फैक्ट्री है। शनिवार शाम करीब सवा सात बजे फैक्ट्री में आग लगने की सूचना मिली। कुछ ही देर में बोरानाडा अग्निशमन केंद्र की गाड़ी मौके पर पहुंची। शास्त्री नगर, बासनी, नागौरी गेट व मंडोर दमकल केंद्र से भी गाडिय़ां बोरानाडा भेजी गई। आग की सूचना मिलने पर पुलिस कमिश्नर भूपेंद्र कुमार दक, एडीसीपी ज्योतिस्वरूप शर्मा सहित अन्य पुलिस अधिकारी और जोधपुर हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के सचिव डॉ. भरत दिनेश व अन्य उद्यमी मौके पर पहुंचे। तब तक विशाल क्षेत्र में फैली फैक्ट्री के पिछले हिस्से में धधक रही आग बड़े हॉल के भूतल तक जा पहुंची। इससे यहां लकड़ी का तैयार फर्नीचर व बड़ी मात्रा में अन्य सामान धधकने लगा। फायर ऑफिसर सुरेश थानवी के नेतृत्व में आग बुझाने में जुटे दमकलकर्मी हेमराज शर्मा, भगवतीलाल, प्रशांतसिंह व मनीष सहित अन्य को काफी मशक्कत करनी पड़ी। आग लगने वाले स्थान पर पानी की बौछारें नहीं पहुंच पा रही थीं। आखिरकार, एक जेसीबी की सहायता से शटर को खोला गया।

इसके बाद आग कुछ कम हो पाई। आग से हॉल के भूतल में लगी करोड़ों रुपए कीमत की मशीनों के साथ बड़ी मात्रा में तैयार फर्नीचर खाक होने की आशंका है। दूसरी ओर, हॉल के निकट के हिस्सों में भरे सामान को फैक्ट्री स्टाफ के साथ मिलकर सुरक्षित रखवाया गया।


बाड़ में आग, दो घंटों बाद पाया काबू  

कृषि कुएं पर लगी आग को किसानों व श्रमिकों ने काफी मशक्कत के बाद बुझाया
शिवगंज नगरपालिका की फायर ब्रिगेड खराब, सुमेरपुर से पहुंची फायर ब्रिगेड

शिवगंज समीपवर्ती केसरपुरा गांव के निकट स्थित कृषि कुएं पर शनिवार को लगी आग पर दो घंटे मशक्कत के बाद लोगों ने काबू पाया। अज्ञात कारणों से लगी आग से खेत की बाड़ में भेंट चढ़ गई, जबकि खेत में खड़ी रायड़े व अरंडी की फसलों को किसानों व श्रमिकों ने सूझ-बुझ से बचा लिया है। आग की सूचना पर सुमेरपुर नगरपालिका की फायर ब्रिगेड मौके पर पहुंची, लेकिन तब तक आग पर काबू पा लिया गया।

घटना के अनुसार दोपहर 12.15 बजे बडग़ांव निवासी हमीरसिंह राजपूत के कुएं की बाड़ में अचानक आग लग गई, जिसकी सूचना शिवगंज नगरपालिका फायर स्टेशन व पुलिस को दी गई, लेकिन फायर ब्रिगेड खराब होने से वह घटना पर ही नहीं पहुंची। उधर, आग की लपटें तेजी से फैल रही थी। इस दौरान आसपास के किसानों, खेतों पर कार्य करने वाले श्रमिकों ने कुओं से पानी लाकर आग पर बुझाना शुरू किया। करीब दो घंटे के अथक प्रयास के बाद आग पर पूरी तरह से काबू पाया जा सका।

यूं दिखाई सूझ-बूझ

किसानों व श्रमिकों ने अपनी सूझ-बूझ दिखाते हुए रायडा व अरंडी की ओर लगी कांटों की बाड़ को हटा दिया, जिससे फसलों की तरफ फैल रही आग उसके आगे नहीं बढ़ सकी। यदि ऐसा नहीं किया जाता तो, खेतों में तैयार हो चुकी रायडा व अरंडी की फसल आग की भेंट चढ़ जाती।


एक ऐसी मां, जो जानवरों के बच्चों को जन्म देती थी !

अठारहवीं सदी की इस घटना से पूरे ब्रिटेन को आश्चर्य में डाल दिया था। मेरी टॉफ्ट नामक महिला जानवरों के मरे हुए बच्चों को जन्म देती थी। सरे के गोडलमिंग की रहने वाली मेरी का जन्म 1701 में हुआ था। 1720 में उसकी जोशुआ टॉफ्ट से शादी हुई थी। गरीब मेरी खेतों में काम किया करती थी। 1726 की बात है वह गर्भवती थी, फिर भी काम पर जाया करती थी। ऐसे में कुछ गड़बड़ी हो गई और गर्भपात हो गया। उसने इसकी जानकारी किसी को नहीं दी।
 

सितंबर में प्रसव पीड़ा के समय बच्चे का जन्म नहीं हुआ। बच्चे की जगह मांस के टुकड़े देखने को मिले थे। उसने कहा कि ये जानवरों के अंग हैं। स्थानीय सर्जन जॉन हॉवर्ड के पास इन्हें जांच के लिए भेजा गया, लेकिन उन्होंने ऐसी राय जाहिर नहीं की। उन्होंने मेरी की भी जांच की, लेकिन कुछ पता नहीं चला।



इसके बाद भी कई बार उसने खरगोश और बिल्लियों के हाथ-पैरों को जन्म देने का दावा किया। यह खबर पूरे देश में फैल गई थी। आम आदमी ही नहीं ब्रिटेन के किंग जॉर्ज प्रथम भी सच्चई जानने के इच्छुक थे। उन्होंने राज परिवार का इलाज करने वाले सर्जन नैथानील सेंट एंड्रे को तहकीकात के लिए भेजा। एंड्रे ने कहा कि मामला सच्च है। इसके बाद भी राजा ने एक और सर्जन साएरिआकस एहलर को भेजा। मेरी को गहन अध्ययन के लिए लंदन लाया गया।



इस बार गर्भवती होने पर उसे सख्त निगरानी में रखा गया। इस बार मेरी ने किसी खरगोश के बच्चे को जन्म नहीं दिया। इतना ही नहीं उसने स्वीकार भी कर लिया कि ये सब झूठ था और उसे धोखाधड़ी के आरोप में जेल भेज दिया गया था। बाद में उसे मुकदमा चलाए बिना छोड़ दिया गया। सच्चई भले ही पता चल गई, लेकिन काफी समय तक ये राज बनी रही।

सिरोही....न्यूज इन बॉक्स....11 मार्च 2012


फुंगणी गांव में हिंगलाज माता मंदिर लूट का पुलिस ने किया पर्दाफाश

 पुजारी ने ही चुराए थे चांदी-सोने के जेवरात, लूट का किया ड्रामा
 1996 में जैला गांव के जैन मंदिर में भी इसी पुजारी ने की थी चोरी



पुजारी ही निकला लूट का आरोपी



सिरोही कालंद्री थाना क्षेत्र के फुंगणी गांव स्थित हिंगलाज माता मंदिर में हुई जेवरात लूट की वारदात का पुलिस ने शनिवार को पर्दाफाश कर दिया। मंदिर के पुजारी ने ही डेढ़ किलो सोने-चांदी के जेवरात चुराए थे और खुद के बचाव के लिए लूट का ड्रामा किया था। पुजारी जैला गांव के जैन मंदिर में चोरी के आरोप में पहले भी जेल जा चुका है।

एसपी कैलाश चंद्र बिश्नोई के निर्देश पर रेवदर डिप्टी भंवरसिंह भाटी के नेतृत्व में गठित टीम ने लूट की वारदात के बाद फुंगणी गांव में लोगों से पूछताछ की। थानाधिकारी बहादुर सिंह ने पुजारी प्रकाश चंद पुत्र चमनाजी रावल के पिछले रिकार्ड खंगाले तथा उसकी कार्यशैली पर लगातार नजर रखी। पिछला रिकार्ड खंगालने से यह ज्ञात हुआ कि पुजारी प्रकाश चंद ने 1996 में जैला गांव के जैन मंदिर व धर्मशाला में चोरी की वारदात को अंजाम दिया था तथा इस मामले में वह जेल भी चुका है। इसी के आधार पर शक के छुई सीधे पुजारी पर गई। पुलिस ने इस मामले की गहनता से जांच की तो पता चला कि यह मामला लूट नहीं, बल्कि चोरी का था। पुलिस ने पुजारी को थाने बुलाकर सख्ती से पूछताछ की, जिसमें उसने चोरी करना कबूल किया और जेवरात तंवरी निवासी तिलोकचंद उकार मल सोनी को बेचना बताया। पुलिस ने सोनी को थाने बुलाकर दोनों को आमने-सामने किया तो उसने चोरी का माल खरीदना स्वीकार किया। पुलिस ने चोरी गया माल बरामद कर आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। 

यह था मामला

उल्लेखनीय है कि फुंगणी गांव में गुरुवार सुबह 4.45 बजे तीन लुटेरों ने पुजारी को चाकू दिखाकर सोने व चांदी के डेढ़ किलो जेवरात लूटे थे। पुजारी प्रकाश चंद पुत्र चमनाराम रावल ने इस मामले में की थाने सूचना दी थी। पुलिस ने तत्परता से इस मामले का खुलासा कर आरोपी पुजारी व जेवरात खरीदने वाले सोनी को गिरफ्तार कर लिया है। दोनों आरोपियों को न्यायालय में पेश करने के बाद रिमांड पर लेकर जिले के अन्य स्थानों पर हुई चोरी व लूट की वारदातों के बारे में भी पूछताछ करेगी।



हादसे में एक की मौत, दो गंभीर घायल

सुरक्षा दीवार के अभाव में बढ़ रहे हैं हादसे, मूकदर्शक बना प्रशासन

सिरोही   जिला मुख्यालय से 9 किलोमीटर दूर राजमार्ग स्थित शनि मंदिर के पास उड़ा नाला इन दिनों हादसों का पर्याय बन गया है। शनिवार को हुए हादसे ने प्रत्यक्षदर्शियों का दिल दहला दिया। उड़ा नाला में सुबह 7.45 बजे सिरोही से पिंडवाड़ा जा रही कार ट्रक की टक्कर के बाद बेकाबू होकर उड़ा नाला में जा गिरी। हादसे में एक युवक की मौत हो गई, जबकि दो युवक गंभीर रूप से घायल हो गए। पुलिस के अनुसार अणगौर निवासी भरत सोनी पुत्र शिवलाल सोनी उनके भाई भावेश को साथ लेकर पुत्र विशाल को बिनानी में छोडऩे जा रहे थे। उड़ा नाला के पास पिंडवाड़ा की तरफ से आ रहे ट्रक से भिड़ंत हो गई। टक्कर के बाद कार उड़ा नाला में जा गिरी। समीप के ही खेत में फसलों को पानी पिला रहे तेजा राम माली ने एम्बुलेंस 108 को सूचना दी। तीनों घायलों को इलाज के लिए सिरोही अस्पताल लाया गया। इलाज के दौरान भरत सोनी ने दम तोड़ दिया, जबकि भावेश के कंधों में गंभीर चोट आने से उन्हें रैफर कर दिया गया। हादसे की सूचना मिलते ही प्रशिक्षु डीएसपी नीरज पाठक और एएसआई रघुनाथ मौके पर पहुंचे। पुलिस ने मामला दर्ज कर शव का पोस्टमार्टम करवा परिजनों को सौंप दिया तथा दोनों वाहन जब्त कर लिए।

गेरियों ने मन मोहा



गेरियों ने मन मोहा

जालोर  भक्त प्रहलाद सेवा समिति की ओर से शुरू हुए सात दिवसीय भक्त प्रहलाद गेर महोत्सव के दूसरे दिन शनिवार को बाबा रामदेव गेर मंडल आंवलोंज, भारती आदर्श विद्या मंदिर संस्थान कनाना और वरदाजी पोल जी गेर मंडल जालोर के गेरियों ने ढोल-थाली की धुन पर गेर नृत्य की प्रस्तुति दी। जिसे देख कर दर्शकों ने खूब सराहा।

गेर कार्यक्रम की शुरुआत बाबा रामदेव गेर मंडल आंवलोंज के गेरियों ने निराले अंदाज में की। गेरियों ने ढोल थाली की धुन के साथ पांडाल में प्रवेश किया। इसके बाद गेरियों ने ढोल की थाप पर लय और ताल के साथ शानदार नृत्य पेश किया। इसके बाद जालोर की पोल जी वरदाजी गेर मंडल के कलाकारों ने गेर नृत्य की प्रस्तुति दी। संस्थान के संरक्षक मधुसूदन व्यास ने बताया कि वरदाजी पोल जी गेर मंडल में एक ही परिवार की चार पीढिय़ों ने नृत्य की प्रस्तुति दी। इस गेर मंडल में जहां वयोवृद्ध सदस्य वरदाजी की उम्र 80 साल है। वहीं उन्हीं के परिवार का सबसे छोटे विश्वजीत 5 साल का है। जब चार पीढिय़ों ने एक साथ गेर नृत्य की प्रस्तुति दी तो पांडाल में मौजूद सभी लोगों ने तालियां बजाकर उनका जोरदार स्वागत किया। गौरतलब है कि पूर्व में इसी मंडल के सदस्यों के गेर नृत्य से मोहित होकर जोधपुर महाराजा ने 200 बीघा जमीन इनाम में दी थी। इसके बाद इन्हें पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा गणतंत्र दिवस पर सम्मानित भी किया जा चुका है।



कार्यक्रम में मंच का संचालन समिति के अध्यक्ष बंशीलाल सोनी ने किया। इस मौके समिति के मीठालाल वैष्णव, मकसा मेवाड़ा, तुलछाराम, खसाराम माली, सार्दूलराम घांची, लाल राम घांची, मोहन व नैना राम समेत कई जने मौजूद थे।

गुड़ा बालोतान. निकटवर्ती गंगावा गांव स्थित शक्ति पीठ बायोसा मंदिर में गेर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। करीब चार घंटे तक चले गेर कार्यक्रम में गेरियों ने नृत्य की रोचक प्रस्तुति दी। इस दौरान ग्रामीणों ने माता के जयकारों और गुलाल उड़ाते हुए फागोत्सव मनाया। कस्बे समेत आस पास के गांवों में चल रहे फागोत्सव के तहत गेर कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। फागोत्सव शीतला सप्तमी तक चलेगा।

खरल. ओटवाला गांव में चल रहे गेर महोत्सव के दूसरे दिन बाणमाता मंदिर प्रांगण में गेर नृत्य का आयोजन किया गया। ढोल थाली की धुन पर गेरियों ने जमकर नृत्य किया। आयोजकों ने बताया कि गेर महोत्सव के तीसरे दिन रविवार को रामदेवरा (बाड़मेर) के गेरिए नृत्य की प्रस्तुति देंगे। इस मौके खरल, उम्मेदाबाद, धोरा व केशवना समेत आस पास के गांवों के ग्रामीण मौजूद थे।

गेर महोत्सव के दूसरे दिन आंवलोंज व पोल जी वरदाजी गेर मंडल के गेरियों ने दी रोचक प्रस्तुति, कनाना गांव के नन्हे गेरियों ने जमाया रंग

ममता बढ़ाएंगी कांग्रेस की मुश्किलें ?

ममता बढ़ाएंगी कांग्रेस की मुश्किलें ?

कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और केंद्र में यूपीए सरकार की सहयोगी पार्टी तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने कहा है कि वे पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री बनने जा रहे अखिलेश यादव के शपथ ग्रहण समारोह में जाने पर विचार कर रही हैं।

तृणमूल अध्यक्ष की 14 मार्च को लखनऊ और 15 मार्च को चंडीगढ़ में उपस्थिति सहयोगी दल कांग्रेस को मुंह चिढ़ाने जैसी होगी। पंजाब में कांग्रेस के धुर विरोधी अकाली दल की सहयोगी पार्टी बीजेपी है। इसका उदाहरण शनिवार को देखने को मिला जब पंजाब के उप मुख्यमंत्री बनने जा रहे सुखबीर सिंह बादल ने विधानसभा चुनावों में विफल रहने के लिए राहुल गांधी का मजाक उड़ाया। सुखबीर ने जल्द चुनाव की मांग की तथा कहा कि दिल्ली के लिए अगली लड़ाई में एनडीए को जीत हासिल होगी।

कहा जा रहा है कि ममता ने कार्यकर्ताओं से कहा है कि उनके इन समारोह में शामिल होने को नकारात्मक नजरिए से न देखा जाए। ममता दोनों निमंत्रणों पर विचार कर रही हैं। वे बादल और अखिलेश को काफी लंबे समय से जानती हैं।

वहीं तृणमूल के वरिष्ष्ठ नेता दिनेश त्रिवेदी ने हाल ही यह कह कर सनसनी फैला दी थी कि देश में कांग्रेस विरोधी लहर है और मध्यावधि चुनाव की संभावना है। बाद में उन्होंने कहा कि यह उनका व्यक्तिगत आकलन है।

ममता के इन दोनों शपथ ग्रहण समारोह में शमिल होने को मात्र राजनीतिक शिष्टाचार के तौर पर ही नहीं देखे जाने के पीछे कई कारण हैं। ममता केंद्र द्वारा लाए गए एनसीटीसी, लोकायुक्त व रिटेल में एफडीआई विधेयकों का राज्यों द्वारा किए गए विरोध की धुरी रही हैं। इसके अलावा ममता बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के साथ पूर्वी क्षेत्र के विकास के लिए क्षेत्रीय दलों के साथ मिलकर मुख्यमंत्रियों के एक क्लब के गठन का भी प्रयास कर चुकी हैं।