ममता बढ़ाएंगी कांग्रेस की मुश्किलें ?
कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और केंद्र में यूपीए सरकार की सहयोगी पार्टी तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने कहा है कि वे पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री बनने जा रहे अखिलेश यादव के शपथ ग्रहण समारोह में जाने पर विचार कर रही हैं।
तृणमूल अध्यक्ष की 14 मार्च को लखनऊ और 15 मार्च को चंडीगढ़ में उपस्थिति सहयोगी दल कांग्रेस को मुंह चिढ़ाने जैसी होगी। पंजाब में कांग्रेस के धुर विरोधी अकाली दल की सहयोगी पार्टी बीजेपी है। इसका उदाहरण शनिवार को देखने को मिला जब पंजाब के उप मुख्यमंत्री बनने जा रहे सुखबीर सिंह बादल ने विधानसभा चुनावों में विफल रहने के लिए राहुल गांधी का मजाक उड़ाया। सुखबीर ने जल्द चुनाव की मांग की तथा कहा कि दिल्ली के लिए अगली लड़ाई में एनडीए को जीत हासिल होगी।
कहा जा रहा है कि ममता ने कार्यकर्ताओं से कहा है कि उनके इन समारोह में शामिल होने को नकारात्मक नजरिए से न देखा जाए। ममता दोनों निमंत्रणों पर विचार कर रही हैं। वे बादल और अखिलेश को काफी लंबे समय से जानती हैं।
वहीं तृणमूल के वरिष्ष्ठ नेता दिनेश त्रिवेदी ने हाल ही यह कह कर सनसनी फैला दी थी कि देश में कांग्रेस विरोधी लहर है और मध्यावधि चुनाव की संभावना है। बाद में उन्होंने कहा कि यह उनका व्यक्तिगत आकलन है।
ममता के इन दोनों शपथ ग्रहण समारोह में शमिल होने को मात्र राजनीतिक शिष्टाचार के तौर पर ही नहीं देखे जाने के पीछे कई कारण हैं। ममता केंद्र द्वारा लाए गए एनसीटीसी, लोकायुक्त व रिटेल में एफडीआई विधेयकों का राज्यों द्वारा किए गए विरोध की धुरी रही हैं। इसके अलावा ममता बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के साथ पूर्वी क्षेत्र के विकास के लिए क्षेत्रीय दलों के साथ मिलकर मुख्यमंत्रियों के एक क्लब के गठन का भी प्रयास कर चुकी हैं।
कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और केंद्र में यूपीए सरकार की सहयोगी पार्टी तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने कहा है कि वे पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री बनने जा रहे अखिलेश यादव के शपथ ग्रहण समारोह में जाने पर विचार कर रही हैं।
तृणमूल अध्यक्ष की 14 मार्च को लखनऊ और 15 मार्च को चंडीगढ़ में उपस्थिति सहयोगी दल कांग्रेस को मुंह चिढ़ाने जैसी होगी। पंजाब में कांग्रेस के धुर विरोधी अकाली दल की सहयोगी पार्टी बीजेपी है। इसका उदाहरण शनिवार को देखने को मिला जब पंजाब के उप मुख्यमंत्री बनने जा रहे सुखबीर सिंह बादल ने विधानसभा चुनावों में विफल रहने के लिए राहुल गांधी का मजाक उड़ाया। सुखबीर ने जल्द चुनाव की मांग की तथा कहा कि दिल्ली के लिए अगली लड़ाई में एनडीए को जीत हासिल होगी।
कहा जा रहा है कि ममता ने कार्यकर्ताओं से कहा है कि उनके इन समारोह में शामिल होने को नकारात्मक नजरिए से न देखा जाए। ममता दोनों निमंत्रणों पर विचार कर रही हैं। वे बादल और अखिलेश को काफी लंबे समय से जानती हैं।
वहीं तृणमूल के वरिष्ष्ठ नेता दिनेश त्रिवेदी ने हाल ही यह कह कर सनसनी फैला दी थी कि देश में कांग्रेस विरोधी लहर है और मध्यावधि चुनाव की संभावना है। बाद में उन्होंने कहा कि यह उनका व्यक्तिगत आकलन है।
ममता के इन दोनों शपथ ग्रहण समारोह में शमिल होने को मात्र राजनीतिक शिष्टाचार के तौर पर ही नहीं देखे जाने के पीछे कई कारण हैं। ममता केंद्र द्वारा लाए गए एनसीटीसी, लोकायुक्त व रिटेल में एफडीआई विधेयकों का राज्यों द्वारा किए गए विरोध की धुरी रही हैं। इसके अलावा ममता बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के साथ पूर्वी क्षेत्र के विकास के लिए क्षेत्रीय दलों के साथ मिलकर मुख्यमंत्रियों के एक क्लब के गठन का भी प्रयास कर चुकी हैं।
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