शुक्रवार, 27 जनवरी 2012

जैसलमेर......स्कूल में हुआ दलित छात्रों पर हमला





स्कूल में हुआ दलित छात्रों पर हमला 


जैसलमेर/ 27 जनवरी/


कल पूरा देश जहाँ 63 वां गणतंत्र दिवस मन रहा था वही जिले के मोहनगढ़ कसबे में जवाहिर नवोदय विद्यालय के दलित छात्रों पर वही के 40 से 50 छात्रों ने हमला कर दिया जिससे 20 के करीब दलित छात्रों को छोटे आई, गंभीर छात्रो को यहाँ अल सुबह जवाहिर चिकित्सालय जैसलमेर लाया गया जहाँ उनका उपचार चल रहा है और पोलिस महकमा मोहनगढ़ में डेरा दाल बैठा है 40 से 50 लोगों पर मुक़दमा दर्ज किया गया है


देश जहाँ सामंत वाद से उबरने की बात कर रहा है वहीँ जैसलमेर जिले में आज भी इसकी परमपराएं देखने को मिल रही है ..जिला आज भी इन दकियानूसी खयालात से बहार नहीं आ रहा ई . लेकिन बात विद्या के मंदिर की हो तो थोड़ी अटपटी लगती है, जैसलमेर जिले के मोहनगढ़ कसबे में स्थित जवाहिर नवोदय विद्यालय में पिछले काफी समय से दलित छात्रों के साथ हो रहे भेदभाव की खबरे आ रही थी, वह के दलित छात्रों ने पहले भी जिला कलेक्टर से मिल उनके साथ हो रहे भेदभाव की शकायत की थी साथ ही वहां के स्कूल स्टाफ को भी इसमें ज़िम्मेदार ठहराया था, मगर जिला कलेक्टर द्वारा इस बाबत ध्यान नहीं दिए जाने से आज एक गंभीर हादसा हो गया.
वहा पढने वाले दलित छात्रों को वही के स्कूल के चंद सामंत वादी 40 से 50 छात्रों ने कल रात मिलकर साइकिल की चेनों , लाठियों और हथियारों से इतना मारा की उनकी पीठ इस बात की गवाही देती है की आज भी दलितों को सामंत मारते पीटते हैं.
इसका ज़िम्मेदार ये दलित स्कूल के समस्त स्टाफ और पूर्व प्रिसिपल को ठहराते हैं.
स्कूल के दलित छात्र सोनाराम बताते हैं की" पूर्व प्रिसिपल वि एस गोसाई उनके साथ भेदभाव करते थे जिसकी शिकायत हमने जिला कलेर्क्टर से भी की थी मगर उन्होंने कोई कार्यवाही नहीं की थी, अभी कुछ दिन अहले ही जब गोसाई का ट्रान्सफर यहाँ से हुआ तो वो इन दलित छात्रों को देख लेने की धमकी देकर गया था, जिसका परिणाम उन पर हुई मारपीट से हुआ.."
इसके अलावा एक और दलित छात्र सुरेन्द्र कुमार कहते है की"पूर्व प्रिंसिपल ने यहाँ के छात्रों को फ़ोन कर कहा की वो इन दलित छात्रों को मारे पीटे जिससे उनके साथ ये घटना हुई समय पर पोइल्स को बुलाने से उनकी जान बच गयी वरना बहुत जान जा भी सकती थी"

सेंसरशिप लागू करेगा टि्वटर

सेंसरशिप लागू करेगा टि्वटर

वाशिंगटन। सोशल नेटवर्किग साइट पर पोस्ट होने वाले आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर मचे हो- हल्ला के बाद टि्वटर ने घोषणा किया है कि वह टि्वटर पर आने वाले टि्वट्स पर सेंसर लागू करेगा। ज्ञात है कि भारत में सोशल नेटवर्किग साइट में किए जा रहे आपत्तिजनक पोस्ट को को लेकर कोर्ट में मामला चल रहा हैं।

साइट पर पोस्ट के जरिए जानकारी देते हुए टि्वटर ने कहा कि हम दुनिया भर में आगे बढ़ रहे है। लेकिन टि्वटर पर किए जा रहे कमेंट्स पर लगाम लगाने की आवश्यकता हैं। सैन फ्रांसिस्कों की माइक्रो ब्लागिंग कंपनी ने जानकारी देते हुए कहा कि हम सभी देशों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के तौर पर अलग विचार लेकर प्रवेश कर रहे है। जिसके लिए सेंसर लगाना भी जरूरी हैं।

बताया जा रहा है कि टि्वटर ने सिर्फ कुछ देशों के कुछ कंटेट पर पांबदी लगाने की बात कही। उसने कहा कि जैसे जर्मनी में नाजी समर्थकों के कंटेट पर पांबदी लगाई जाएगी। हालांकि माइक्रो ब्लालिंग कंपनी ने यह साफ किया है कि हर देश में कंटेट पर पांबदी नहीं लगाई जा सकती। इसलिए वहां पर टि्वटर को बंद करने का फैसला किया गया हैं।

उल्लेखनीय है कि टि्वटर का यह बयान तब आया है जब एक दिन पहले ही दावोस में गूगल कंपनी के चीफ ने कहा कि वेब को सेंसर करना मुश्किल हैं। इसके लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता हैं।

800 पेटी शराब जब्त

800 पेटी शराब जब्त

पाली। राजस्थान में पाली जिले के सोजतसिटी में पुलिस ने एक ट्रक से अवैध शराब की करीब 800 पेटियां जब्त की हैं। बरामद शराब की कीमत 25 लाख रूपए से अधिक आंकी गई है।

पुलिस के अनुसार सुराग के आधार पर बीती देर रात सांडिया गांव के पास ब्यावर की ओर से आ रहे ट्रक की तलाशी ली गई। ट्रक में दाल के छिलकों की बोरियों के नीचे छुपा कर रखी गई विभिन्न ब्राण्ड की 800 पेटी शराब पाई गई जिसे जब्त कर लिया गया। उन्होंने बताया कि ट्रक चालक पुलिस को चकमा देकर फरार हो गया। पुलिस ने मामला दर्ज कर चालक की तलाश शुरू कर दी है।

कॉल गर्ल को पत्नी बता होटल लाया, वियाग्रा खाने से हुई मौत!

जालंधर. यहां के एक होटल से 21 साल के युवक की लाश बरामद होने से सनसनी मची हुई है। युवक की पहचान मनिंदर मेहरा के तौर पर की गई है जो किशनपुरा के निवासी तरसेम लाल का पुत्र बताया जा रहा है। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के बाद परिजनों के हवाले कर दिया है।
 
पुलिस के मुताबिक मनिंदर मदन फ्लोर मिल चौक के निकट स्थित होटल सिटी कैस्टल में एक कॉल गर्ल को पत्नी बताकर होटल में लाया और सेक्स करने के लिए गोलियां खा ली जिससे उसकी मौत हो गई। कॉल गर्ल ने सोचा कि युवक सो गया है तो वो कमरा छोड़कर चली गई। सुबह पता चला कि युवक मर गया हैं। युवक की लाश होटल के कमरे में नग्नावस्था में बरामद हुई।

एसीपी (सेंट्रल) नरेश डोगरा का कहना है कि ऐसी संभावना है कि युवक ने वियाग्रा लिया होगा। विसरा के सैंपल जांच के लिए भेज दिए गए हैं। एसीपी के मुताबिक पुलिस ने उस लड़की को जांच के लिए तलब किया है जिसे युवक होटल में लेकर आ गया था। इस सिलसिले में मामला दर्ज कर लिया गया है।

होटलवालों ने किया फोन
होटल के कमरा नंबर-108 में ठहरे मनिंदर की बिस्तर पर नंगी हालत में पड़ी लाश देख कर कर्मचारियों ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर जांच शुरू की। इस बीच मनिंदर के मोबाइल फोन पर फोन भी आया, लेकिन फोन पुलिस वाले ने उठाया। यहां से मनिंदर के दोस्त अमित को पता चला कि उसकी मौत हो गई थी।

दोस्‍त ने खोला राज
अमित ने पुलिस को बताया कि उसका दोस्त एक लड़की से मौज मस्ती करना चाहता था। इस लिए दोनों बुधवार रात बस्ती शेख की घास मंडी से एक लड़की को पांच हजार रुपए देकर लेकर आए थे। इस होटल में मनिंदर ने लड़की को पत्नी बता कर कमरा किराए पर लिया। अमित ने माना कि वह इस लड़की के साथ संबंध बनाकर चला गया था और उसके पास मनिंदर की मोटर साइकिल थी। उसे सुबह मनिंदर को होटल से लेने आना था।

पुलिस ने लड़की का पता लगाया और जब उससे पूछताछ कि तो उसने कबूल किया कि वह अमृतसर की रहने वाली है, लेकिन घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण इस धंधे में है। लड़की ने पुलिस को बताया कि मनिंदर उसके साथ संबंध बनाने की इच्‍छा रखता था लेकिन उससे पहले उसने गोलियों का सेवन किया जिसके बाद मनिंदर बिस्तर पर एक तरफ कंबल लेकर सो गया। लड़की का कहना है कि तड़के उसकी आंख खुली तो वह होटल से निकल गई थी। उसने समझा था कि मनिंदर गहरी नींद में सो रहा है।

चुनाव खर्च के एवज में उम्‍मीदवारों ने की स्‍पीकर पर अंडे फेंकने की 'डील'

 

नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले निजी खबरिया चैनल इंडिया टीवी ने स्टिंग ऑपरेशन करके सियासी गलियारों में सनसनी फैला दी है। इंडिया टीवी ने यूपी में चुनाव लड़ रहे 11 उम्मीदवारों को कैमरे पर धड़ल्ले से चुनावी खर्च मांगते हुए दिखाया है। वह भी करोड़ों में।

बेनकाब होने वालों में तमाम पार्टियों- कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, बीजेपी, राष्ट्रीय लोकदल, पीस पार्टी के उम्‍मीदवार हैं। चुनाव आचार संहिता को किस तरह ठेंगा दिखाया जा रहा है, स्टिंग ऑपरेशन में उम्मीदवार खुद बता रहे हैं। इन उम्मीदवारों में शाहनवाज राणा, अंसारी, हरपाल सिंह, नरेंद्र सिसोदिया शामिल हैं।


स्टिंग ऑपरेशन में थाना भवन सीट से सपा के उम्मीदवार किरणपाल कश्यप ने 4 करोड़ रुपये की मांग करते हुए दिखाया गया है। वहीं, गंगोह से बीएसपी के उम्मीदवार ने अपने प्रतिनिधि के जरिए 2.5 करोड़ की मांग रखी है। नरेंद्र सिसोदिया ने अपने लेटरहेड पर 1.5 करोड़ रुपये की मांग की। शामली से सपा के उम्मीदवार वीरेंद्र सिंह ने 1 करोड़ रुपये की मांग की


निजी समाचार चैनल के रिपोर्टर एक कॉरपोरेट घराने के प्रतिनिधि के तौर पर इन नेताओं से मिले और उनसे अपने लिए लॉबिंग करने की बात कही। इन सभी नेताओं ने चुनावी खर्च के लिए फंड की मांग करते हुए कॉरपोरेट घराने के पक्ष में नीतियां बनवाने, विधानसभा में हंगामा करने, विधानसभा अध्यक्ष पर चप्पल, अंडे, आलू फेंकने तक पर हामी भरी। कुछ नेताओं ने तो औद्योगिक घराने के की राह में रोड़ा बनने वाले लोगों को मारने तक का आश्वासन दे दिया। ज़्यादातर नेताओं ने कैमरे पर स्वीकार कर लिया है कि उन्होंने चुनाव में अब तक 16 लाख रुपये से खर्च कर चुके हैं। गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने पूरे चुनाव में कुल खर्च 16 लाख रुपये तय की है।

इस सनसनीखेज वीडियो के सामने आने के बाद चुनाव आयोग हरकत में आ गया है। उत्तर प्रदेश चुनाव आयुक्त उमेश सिन्हा ने कहा है कि वे मामले की जांच करेंगे। वहीं, सहारनपुर, प्रबुद्ध नगर, मुजफ्फरनगर के जिलाधिकारियों ने स्टिंग ऑपरेशन की सीडी की कॉपी मांगी है। कांग्रेस की प्रदेश ईकाई की अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी ने कहा है कि जांच में अगर कांग्रेसी दोषी पाए गए तो उन पर कार्रवाई होगी।

बाड़मेर जन्हा बहूओ के सपने साकार कर रही हें सासू माए

बाड़मेर जन्हा बहूओ के सपने साकार कर रही हें सासू माए

बाड़मेर (राजस्थान)। भारतीय समाज में अक्सर सास की छवि बहुत नकारात्मक ढंग से पेश की जाती है। लेकिन राजस्थान के बाड़मेर जिले में बहुओं के सपने सास के कारण ही साकार हो रहे हैं। सामाजिक बदलाव के इस नए उदाहरण में गांवों में सरकारी नौकरियों के अवसरों ने योगदान दिया है।क्षेत्र की अनेक बहूओ ने ससुराल में रहते हुए सरकारी नौकरिया पाने में सफलता हासिल की हें ,

चैनी देवी (19) के माता-पिता ने कक्षा आठवीं के बाद उनका स्कूल छुड़ा दिया था और शादी कर दी थी। लेकिन आज वह अपनी सासू मां के प्रोत्साहन और गांव में सरकारी नौकरी की उम्मीद से स्नातक कक्षा की पढ़ाई कर रही हैं।

चैनी अकेली नहीं हैं। राजस्थान के बाड़मेर जिले में ग्रामीण इलाकों में रोजगार के अवसरों के आकर्षण में कई शादीशुदा अनुसूचित जाती जनजातीय महिलाओं ने स्कूल जाना शुरू कर दिया है।

अधिकांश मामलों में रोचक बात यह है कि इन महिलाओं के समर्थन में सबसे पहले उनकी सासू मां आई हैं, जिनकी भारतीय समाज में अक्सर एक नकारात्मक छवि बनी हुई है।

शिक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी डॉ लक्ष्मी नारायण जोशी ने बताया, "2,000 से अधिक शादीशुदा महिलाएं ग्रामीण इलाकों में स्कूलों में आ रही हैं। इनमें से कुछ ऐसी हैं, जिनकी शादी बहुत ही कम उम्र में हो गई थी और वे किताब का मुह तक नहीं देख पाई थीं।

वे अपने पास-पड़ोस की उन महिलाओं का अनुसरण कर रही हैं, जिन्हें पढ़ाई करने के बाद सरकारी नौकरी मिल गई है।"

अधिकारी ने कहा, "ढेरों महिलाएं आंगनवाड़ी केंद्रों से जुड़ रही हैं। इन महिलाओं को ग्रामीण इलाकों के लिए शुरू की गई विभिन्न सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में सहायकों के रूप में नियुक्त किया जा रहा है।"कई बहूए ग्राम सेवक ,पटवारी ,अध्यापिका ,आंगनवाडी कार्यकर्ता ,रोजगार सहायिका,सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में अपनी सेवाए दे रही हें ,यह बाड़मेर वो जिला हें जन्हा किसी समय पढ़ी लिखी महिला तो दूर पुरुष भी गिने चुने मिलते थे ,मगर आज इस सरहदी क्षेत्र में शिक्षा के क्षेत्र में आई क्रांति ने कहानी बदल कर रख दी ,


इन नौकरियों के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता आठवीं पास है। चैनी देवी बाड़मेर की महिला महाविद्यालय से बीए कक्षा की पढ़ाई कर रही हैं। चैनी देवी ने कहा, "मुझे लगा था कि मैं अब दोबारा कभी स्कूल नहीं जा पाऊंगी।

मैंने आंगनवाड़ी कर्मी की नौकरी के लिए आवेदन किया था और मेरी मामूली शैक्षिक योग्यता के कारण मुझे नौकरी मिल गई। इससे मेरी सासू मां का उत्साह बढ़ा और उन्होंने मुझे फिर से स्कूल जाने के लिए विवश कर दिया।"

चैनी कहती हैं कि जब गांव की अन्य महिलाओं ने उन्हें नौकरी करते देखा तो उनका भी उत्साह बढ़ा।

चैनी देवी ने कहा, "यहां की महिलाएं आमतौर पर घूंघट में रहती हैं, लेकिन कई महिलाओं ने घूंघट हटा दिया है और अब वे स्कूल जाने लगी हैं।"

चैनी देवी ने कहा कि उनके कॉलेज में पढ़ाई करने वाली कम से कम दो दर्जन महिलाओं की शादी बचपन में ही हो गई थी।

इस नई प्रक्रिया ने पाकिस्तान के साथ लगे इस पश्चिमी जिले में सामाजिक बदलाव का सूत्रपात कर दिया है। अधिकांश महिलाएं 15 से 16 वर्ष उम्र की हैं।


रुखमा नामक एक अन्य महिला ने कहा कि इस इलाके में बदलाव पिछले तीन-चार साल से शुरू हुआ है। पार्वती ने कहा, "पहले शादीशुदा महिलाएं अपने घर का चौखट लांघने की कल्पना नहीं कर पाती थीं। बहुओं की तो बात दूर, बेटियों को पांचवीं कक्षा के बाद पढ़ाई की अनुमति नहीं होती थी।"
उसने उन दिनों को याद किया जब उसका शिक्षिका बनने का सपना चूर-चूर हो गया था और उसके माता-पिता ने बहुत कम उम्र में उसकी शादी कर दी थी।

रुखमा ने कहा, "मेरे ससुराल के लोगों ने मुझे स्कूल जाने के लिए प्रोत्साहित किया। मैं 22 की उम्र में कक्षा 12वीं में हूं, लेकिन मैं हतोत्साहित नहीं हूं। मैं अपने सपने को साकार करने के लिए कम से कम बीएड करना चाहती हूं।"रुखमा आज बी एड कर सरकारी स्कूल में अध्यापिका लगी हें

प्रतिबंधित क्षेत्र में ....सरकार को नहीं मिली विशेष अपील की अनुमति

बाड़मेर में पाकिस्तान के सीमावर्ती प्रतिबंधित क्षेत्र में बड़े पैमाने पर जमीन की खरीद-फरोख्त व नामांतरण के मामले में राज्य सरकार की अर्जियां राजस्व मंडल की एकलपीठ ने खारिज कर दी है। राज्य सरकार की ओर से इन अर्जियों के जरिए एकलपीठ से खंडपीठ में विशेष अपीलों पर सुनवाई के लिए अनुमति मांगी गई थी।

एकलपीठ के सदस्य बीएल नवल ने राज्य सरकार की विशेष अपीलों को देरी से पेश हुआ मानते हुए सुनवाई योग्य नहीं माना व अनुमति देने से इंकार कर दिया है।

एकलपीठ ने राज्य सरकार के 331 प्रकरण में विशेष अपील की सुनवाई के लिए भू राजस्व अधिनियम के तहत अनुमति की अर्जियों को खारिज कर दिया।

भू राजस्व अधिनियम की धारा 10 के तहत खंडपीठ के समक्ष विशेष अपील के लिए उसी एकलपीठ से अनुमति लिया जाना जरूरी है, जिसके फैसले को चुनौती दी जा रही है। एकलपीठ ने इस मामले में सरकार की ओर से प्रस्तुत इस तर्क को नामंजूर कर दिया कि सीमावर्ती प्रतिबंधित क्षेत्र में पीएसीएल कंपनी ने अपने एजेंटों के जरिए जमीन खरीदी थी।
 
एकलपीठ ने कहा कि इस स्तर पर सरकार को यह नया आधार प्रस्तुत करने की इजाजत नहीं दी जा सकती है। एकलपीठ ने कहा कि 14 अक्टूबर को हुए फैसले के खिलाफ अपील 30 दिवस में पेश होनी चाहिए थी, लेकिन सरकार ने देरी से 30 नवंबर को अपील पेश की है।

एकलपीठ के इस फैसले से सरकार का राजस्व मंडल में प्रकरण को चुनौती देने का रास्ता बंद हो गया है। खंडपीठ में अब सरकार की विशेष अपील पर सुनवाई नहीं हो पाएगी।

अब हाईकोर्ट का सहारा :

एकलपीठ के इस फैसले से सरकार का राजस्व मंडल में प्रकरण को विशेष अपील के जरिए चुनौती देने का रास्ता बंद हो गया है। अब राज्य सरकार को इस मामले में राजस्थान उच्च न्यायालय में रिट दायर करने का विकल्प बाकी है। राजकीय अभिभाषक रविकांत गुप्ता ने बताया कि एकलपीठ के आदेश की प्रति मिलने के बाद उस पर विचार विमर्श कर आगामी निर्णय किया जाएगा।


यह थी दोनों पक्षों की दलील :

इससे पहले सरकार की ओर से एकलपीठ के समक्ष पेश अर्जी में पीएसीएल कंपनी द्वारा जमीन खरीद का मुद्दा प्रमुखता से उठाया गया था।

सरकार की ओर से पीएसीएल कंपनी द्वारा जमीन खरीद को लेकर पुलिस की जांच रिपोर्ट भी एकलपीठ के समक्ष पेश की गई। इन रिपोर्ट में जिला पुलिस अधीक्षक बाड़मेर की सीआईडी को सौंपी गई 14 नवंबर 2007 और जिला कलेक्टर बाड़मेर को दी गई 17 फरवरी 2010 की रिपोर्ट शामिल है।

राज्य सरकार की दलील है कि पीएसीएल कंपनी ने एजेंटों के जरिए बड़े पैमाने पर सीमावर्ती प्रतिबंधित क्षेत्र में जमीन खरीद की है। ऐसे में ना तो खरीदारों को जमीन का कब्जा मिला ना ही उनका जमीन में सीधा हित है। इसलिए सेल डीड के आधार पर जो नामांतरण खोले गए वे निरस्त होने लायक हैं।

वहीं दूसरी ओर खरीदारों ने नामांतरण को वैध ठहराने संबंधी एकलपीठ के फैसले को सही बताते हुए कहा था कि सेल डीड में जमीन पर कब्जा सौंपने का साफ उल्लेख है इसलिए और किसी जांच की जरूरत नहीं है।


सरकार के पक्ष पर हुई देरी ! :

14 अक्टूबर को एकलपीठ के सदस्य बीएल नवल ने कुछ प्रकरणों में सरकार के खिलाफ निर्णय पारित करते हुए नामांतरण को वैध ठहराया था। इन निर्णयों की नकल के लिए सरकार की ओर से कार्रवाई कर विशेष अपील व उसके साथ अनुमति प्रदान करने की अर्जी प्रस्तुत कर दी गई।

सरकारी पक्ष की माने तो एकलपीठ के निर्णय की नकल लेने में जो समय लगा उसे छोड़ दिया जाए तो निर्धारित तीस दिवस के भीतर अपील प्रस्तुत कर दी गई थी। लेकिन एकलपीठ ने बुधवार को सरकार की अर्जी को खारिज करने का महत्वपूर्ण आधार अपीलों को पेश करने में हुई देरी को माना है।

कानूनविदों के अनुसार देरी हुई तो यह अत्यंत गंभीर है, क्योंकि सरकार के पास पर्याप्त समय था। देरी के तकनीकी बिंदु पर सरकार की अर्जी नामंजूर होना भी गंभीर मुद्दा है।


फ्लैश बैक.. :

राज्य के सीमावर्ती जिले बाड़मेर में वर्ष 2005-06 में प्रतिबंधित क्षेत्र में बड़े पैमाने पर जमीनों की खरीद फरोख्त हुई थी। इसमें वास्तविक खरीदारों के बजाय एक कंपनी द्वारा भुगतान के तथ्य उजागर हुए थे। प्रतिबंधित क्षेत्र में हुई खरीद-फरोख्त को तब विपक्ष में बैठी कांग्रेस ने बड़ा मुद्दा बनाकर देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ बताते हुए कार्रवाई की मांग की थी।

इसके बाद तत्कालीन कई उप पंजीयकों को चार्जशीट भी दी गई थी। कई फौजदारी मुकदमे भी दर्ज हुए थे। सरकार की ओर से विवादित बेचाननामों को निरस्त कराने के लिए सिविल कोर्ट में दायर किए गए वाद अब भी लंबित हैं।

सांसद का नाम देख बिफरे विधायक

सांसद का नाम देख बिफरे विधायक

बालोतरा। बायतु विधायक सोनाराम चौधरी और क्षेत्रीय सांसद हरीश चौधरी के बीच छत्तीस का आंकड़ा बुधवार को कलह की वजह बन गया। एक उद्घाटन समारोह में शरीक होने आए बायतु विधायक सोनाराम को शिलापिका पर सांसद का नाम इतना नागवार गुजरा कि उन्होंने भरे मजमे में हंगामा खड़ा कर दिया। अधिकारियों को इस गुस्ताखी के लिए सरे समारोह आड़े हाथों लिया।

ग्राम पंचायत संाभरा में बुधवार को राजीव गांधी सेवा केन्द्र भवन का उद्घाटन था। समारोह आयोजक ग्राम पंचायत ने शिला पिका पर बतौर मुख्य अतिथि क्षेत्रीय सांसद हरीश चौधरी का नाम लिखवाया था। हालांकि वे यहां शरीक नहीं हुए। समारोह के अन्य अतिथि जिला प्रमुख श्रीमती मदन कौर,पचपदरा विधायक मदन प्रजापत, प्रधान श्रीमती जमनादेवी गोदारा आदि भी यहां नहीं पहुंचे।

ग्राम पंचायत सांभरा पंचायत समिति बालोतरा के क्षेत्रान्तगर्त है,लेकिन विधानसभा क्षेत्र बायतु है। समारोह अध्यक्ष बायतु विधायक सोनाराम चौधरी तय समय पर यहां पहुंच गए। कुछ समय तक सारा कुछ ठीक चलता रहा,लेकिन शिलापिका के अनावरण का समय आया,माहौल बदल गया।शिलापिका पर क्षेत्रीय संासद हरीश चौधरी का नाम देखते ही विधायक का गुस्सा सातवे आसमान पर पहुंच गया। उन्होंने वहां खड़े अधिकारियों को काफी खरी खोटी सुनाई।

नदारद के नाम क्यों
मुख्यमंत्री का निर्देश है कि राजीव गांधी सेवा केन्द्रों का उद्घाटन जिला प्रभारी या क्षेत्रीय विधायक करें। समारोह मे जो व्यक्ति मौजूद नहीं है,उसके नाम लिखा जाना गलत है।
सोनाराम चौधरी विधायक, बायतु

केरल के राज्यपाल के निधन पर शोक में डूबा झारखंड

एमओएच फारूक 

रांची। झारखंड के मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने गुरुवार को केरल के राज्यपाल एमओएच फारूक के निधन पर शोक व्यक्त किया।

झारखंड के पूर्व राज्यपाल को श्रद्धांजलि देते हुए मुंडा ने कहा कि बतौर राज्यपाल अपने कार्यकाल में उन्होंने हमेशा राज्य के विकास के बारे में ही सोचा।

फारूक वर्ष 2010 में झारखंड के राज्यपाल थे। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक राज्य सरकार ने शुक्रवार को राजकीय शोक की घोषणा कर दी है। ध्वज को आधा झुका दिया जाएगा।

भंवरीदेवी प्रकरण के कारण अटका बालोतरा का पानी!



 भंवरीदेवी प्रकरण के कारण अटका बालोतरा का पानी!

बालोतरा  दिग्गजों को सलाखें दिखाने वाले बहुचर्चित भंवरीदेवी प्रकरण की मार से बालोतरा क्षेत्र भी अछूता नहीं रहा। वर्षों से मीठे पानी के इंतजार में बेचैन बालोतरा के वाशिंदों को उम्मेदसागर-धवा योजना से मीठे पानी की लाइन स्वीकृत होने से आस जगी थी। मगर नागाणा से बालोतरा तक पाइप लाइन बिछाने वाले ठेकेदार के भंवरी मामले में उलझने से कार्य कुछ समय से एकदम ढीला पड़ गया था। जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग अब इस कार्य को फिर से गति देने की कवायद में जुटा है। पर इसका असर यह जरूर हुआ कि जनवरी तक बालोतरा पहुंचने वाला पानी अब मार्च-अप्रेल तक पहुंच पाएगा। 

कहां व कैसे अटका कार्य: पोकरण-फलौदी-फलसूंड-बालोतरा नहरी पेयजल योजना में अभी काफी समय लगेगा यह तय हो जाने के बाद बालोतरा के वाशिंदों के लिए उम्मेदसागर-धवा-समदड़ी योजना से सीधी पाइप लाइन बिछाकर पानी पहुंचाने की योजना बनी। योजना के लिए 12.45 करोड़ रुपए स्वीकृत हुए और अगस्त 2011 में कार्य भी शुरू हो गया। सब कुछ समय पर चल रहा था, कि भंवरी मामले की आंच पाइप लाइन बिछाने वाली फर्म डारा कंस्ट्रक्शन कंपनी के प्रोपराइटर पप्पूराम डारा पर भी गिरी। सूत्रों के अनुसार सीबीआई उसे पूछताछ के लिए ले गई तो वह घबरा कर कुछ समय के लिए भूमिगत हो गया । उसका अकाउंट सीज हो जाने के चलते समय पर पाइप भी नहीं पहुंचे और काम बालोतरा से महज साढ़े दस किलोमीटर दूरी पर पचपदरा तक पहुंचकर अटक गया।

निर्धारित समय से करीब ढाई महीने देरी से बालोतरा पहुंचेगा उम्मेदसागर-धवा नहरी परियोजना का पानी,भंवरी मामले में उलझा ठेकेदार लंबे समय तक रहा भूमिगत, अब पाइप की कमी बनी रोड़ा


॥पचपदरा तक पाइप बिछ गए हैं, जिसकी टेस्टिंग शीघ्र हो जाएगी। पाइप पहुंच जाए तो बालोतरा तक लाइन बिछा दी जाएगी। रेलवे से बात हो गई है, शीघ्र ही स्वीकृति मिल जाएगी तो लाइन को पटरी पार कराने में कोई परेशानी नहीं होगी।ञ्जञ्ज

धर्मेंद्रसिंह परिहार, एक्सईएन, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग।

पचपदरा. पाइप लाइन पचपदरा तक पहुंची।



आइये जाने की आपकी बिटिया का विवाह कब और कहाँ होगा..

आइये जाने की आपकी बिटिया का विवाह कब और कहाँ होगा..

Pt. DAYANANDA SHASTRI;
पंडित दयानन्द शास्त्री-
M--09024390067 & 09711060179


हमारे यहाँ कहावत है कि जोड़े स्वर्ग से तय होकर आते हैं और उनका मिलन पृथ्वी पर निर्धारित समय में विवाह-संस्कार से होता है| अर्थात सब कुछ विधि के विधान के अनुसार तय होने के बावजूद जब बेटी की उम्र 20-21 के पार हो जाती है तो मां-बाप की चिंताएं बढ़ने लगती है| दिन-रात उन्हें यही सवाल सालने लगता है कि हमारी लाडली के हाथ पीले कब होंगे?
उसे पति (वर) कैसा मिलेगा? ससुराल कैसी और कहां होंगी आदि| चिंता मत करिए ज्योतिष शास्त्र में आपके इन सवालों का जवाब है और आप खुद थोड़ी मेहनत करके इन बातों का जवाब जान सकते हैं|
ज्योतिष में लग्न कुंडली का प्रथम भाव जातक का स्वयं का होता है और इसके ठीक सामने वाला सातवां भाव जीवनसाथी का होता है| इस भाव से प्रमुख रूप से विवाह का विचार किया जाता है| इसके अलावा यह भी पता कर सकते हैं कि जीवनसाथी का स्वभाव कैसा होगा? उसका चरित्र कैसा होगा, ससुराल कैसी मिलेगी और वर-वधू में आपसी मित्रता कैसी रहेगी|

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केसा होगा जीवनसाथी का स्वभाव..????
सप्तम भावस्थ राश्यानुसार जीवनसाथी के सामान्य स्वभाव के बारे में जानें---
मेष: जिस कन्या के सप्तम भाव में मेष राशि होती है| उसका जीवनसाथी जमीन-जायदाद वाला होता है| इनका दांपत्य जीवन सुखी रहता है|
वृष: इनका जीवनसाथी सुन्दर और गुणवान होता है| मधुर-भाषी, काम-कला में प्रविण और पत्नी भक्त होता है|
मिथुन: सामान्य रंग रूप वाला, समझदार और उच्च विचारों वाला जीवनसाथी मिलता है| जीवनसाथी बातों में चतुर और व्यवसाय करने वाला होता है|
कर्क: सुन्दर, तीखे नाक-नक़्शे वाला जीवनसाथी मिलता है|
सिंह: अपनी बात मनवाने वाला और ईमानदार जीवनसाथी मिलता है|
कन्या: जिस कन्या के सप्तम भाव में कन्या राशि होती है, उसे सुन्दर और सुशील जीवनसाथी मिलता है| विवाह के बाद कन्या का भाग्योदय होता है|
तुला: सुशिक्षित, सुन्दर और मर्यादापूर्ण बात करने वाला, मुसीबत के समय पत्नी के साथ कदम मिलाकर चलने वाला जीवनसाथी मिलता है|
वृश्चिक: जिस कन्या के सप्तम भाव में वृश्चिक राशि होती है| उसका जीवनसाथी सामान्य शिक्षा, कठिन परिश्रमी, हर मुसीबत में हंसने वाला होता है|
धनु: अपने सम्मान को सर्वोपरि समझना, अपने आप पर गर्व करने वाला और साधारण परिवार का जीवनसाथी मिलता है|
मकर: पूजा-पाठ और पराशक्तियों में आस्था रखने वाला, अपने वायदे का पक्का, शौकीन प्रवृत्ति का जीवनसाथी मिलता है|
कुम्भ: भगवान में श्रद्धा रखने वाला, मर्यादित व्यवहार वाला जीवनसाथी मिलता है|
मीन: चंचल, गुणवान, धर्म के प्रति आस्थावान, सुन्दर, बातचीत में होशियार और कन्या के सौभाग्य में वृद्धि करने वाला जीवनसाथी मिलता है|
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कब होगा विवाह..???
प्रायः: माता-पिता की इच्छा यही होती है कि कन्या का विवाह कब होगा? इसका पता लगाने के लिए सप्तम भाव स्थित राशि, सप्तम भाव स्थित गृह व उस पर पड़ने वाली दृष्टियाँ, सप्तमेश की स्थिति व प्रकृति, सप्तमेश पर अन्य ग्रहों की दृष्टि व प्रभाव एवं महादशा आदि का विश्लेषण करते हुए निम्न बातों को ध्यान में रखते हुए विवाह के समय की गणना करें-
सप्तमेश शुभ ग्रह की राशी में बैठा हो, शुक्र अपनी स्वराशी या उच्च राशि में बैठा हो| शुक्र लग्न या केंद्र स्थान में बैठकर शुभ ग्रहों से युति कर रहा हो तो कन्या का विवाह शीघ्र होता है| इसके विपरीत होने पर विवाह में विलम्ब होता है|
सप्तमेश यदि सुभ ग्रह से युति नहीं कर रहा हो या 6 , 8 , 12 वें स्थान में हो, शुक्र व चन्द्रमा पर मंगल या शनि कि दृष्टि हो, 7 या 12 वें स्थान में पाप ग्रहों की युति हो या पंचम भाव में चन्द्रमा हो, सप्तम भाव में केतु हो व शुक्र की दृष्टि हो तो शादी देरी से होती है|
लग्नेश व सप्तमेश के स्पष्ट राशि व अंश जोड़ने पर जो राशि व अंश आते हैं, गोचर का बृहस्पति जब वहां आता है तो शादी का समय समझें|
राशीश (जन्म राशि) व अष्टमेश के योग तुल्य राशी व अंश पर जब गोचर का बृहस्पति आता है तो विवाह का समय समझें|
शुक्र व चन्द्रमा दोनों में से जो बलवान हो उसकी महादशा में गुरु, चन्द्र या शुक्र के प्रत्यंतर में विवाह होता है|
यदि सप्तमेश शुक्र के साथ हो तो सप्तमेश कि अन्तर्दशा में विवाह का योग बनता है| इसके अलावा सप्तम भाव स्थित ग्रह, भाग्येश व कर्मेश की अन्तर्दशा भी विवाह कारक होती है|
गोचर का गुरु लग्न कुंडली में 2 , 5 , 7 , 9 , 11 वें स्थान में आता है तो भी विवाह का समय शास्त्रों में माना गया है|
लग्न सप्तम व द्वितीय भाव में शुभ ग्रह हों एवं इन पर किसी पाप ग्रह की दृष्टि नहीं हो तो शीघ्र विवाह होता है|
लग्नेश व सप्तमेश कुंडली में नजदीक हों तो विवाह शीघ्र होता है एवं दूर हो तो विवाह देरी से होता है| साथ ही शुक्र जिस राशि में बैठा हो, उस राशि के स्वामी की महादशा में, गुरु की अन्तर्दशा में विवाह योग बनते हैं|
कुंडली में सप्तमेश या शुक्र के साथ केंद्र स्थान में गोचरवश जब चन्द्रमा, बृहस्पति आते हैं तो विवाह होता है|
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जानिए की ससुराल कहां होगी ...????


ससुराल कि दिशा व स्थान का निर्धारण कुंडली में शुक्र कि स्थिति से किया जाता है| शुक्र यदि शुभ स्थान, राशि में हो व कोई भी पाप ग्रह उसे नहीं देख रहा हो तो ससुराल स्थानीय या आसपास होती है| यदि चतुर्थ भाव, चतुर्थेश व शुक्र किसी पाप ग्रह से देखे जा रहे हों या शुक्र 6 , 8 , 12 वें भाव में हो तो जन्म स्थान से दूर कन्या का ससुराल होता है| विवाह जन्म स्थान से किस दिशा में होगा इसका निर्धारण भी शुक्र से ही किया जाता है| कुंडली में जहां शुक्र स्थित है उस से सातवें स्थान पर जो राशि स्थित है उस राशि के स्वामी की दिशा में ही विवाह होता है| ग्रहों के स्वामी व उनकी दिशा निम्न प्रकार है:-
राशि स्वामी दिशा
मेष, वृश्चिक मंगल दक्षिण
वरिश, तुला शुक्र अग्नि कोण (दक्षिण-पूर्व)
मिथुन, कन्या बुध उत्तर
कर्क चंद्रमा वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम)
सिंह सूर्य पूर्व
धनु, मीन गुरु ईशान (उत्तर-पूर्व)
मकर, कुम्भ शनि पश्चिम


मतान्तर से मिथुन के स्वामी राहु व धनु के स्वामी केतु माने गए हैं तथा इनकी दिशा नैऋत्य (दक्षिण-पश्चिम) कोण मानी गयी है|
उदाहरण के लिए किसी कन्या का जन्म लग्न मेष है व शुक्र उसके पंचम भाव में बैठे हैं तो शुक्र से 7 गिनने पर 11 वां भाव आता है, जहां कुम्भ राशि है| इसके स्वामी शनि हैं| राशि कि दिशा पश्चिम है| इसलिए इस कन्या का ससुराल जन्म स्थान से पश्चिम दिशा में होगा| कन्या के पिता को चाहिए कि वह इस दिशा से प्राप्त विवाह प्रस्तावों पर प्रयास करें ताकि समय व धन की बचत हो|

वसंत पंचमी: विश्वविजय सरस्वती कवच से करें सरस्वती की उपासना

देवी सरस्वती ज्ञान, बुद्धि, कला व संगीत की देवी हैं। इनकी उपासना करने से मुर्ख व्यक्ति भी विद्वान बन सकता है। विश्वविजय सरस्वती कवच का नित्य पाठ करने से साधक में अद्भुत शक्तियों का संचार होता है। विद्यार्थियों के लिए यह विशेष फलदाई है। 
धर्मशास्त्रों के अनुसार भगवती सरस्वती के इन अदुभुत विश्वविजय सरस्वती कवच को धारण करके ही महर्षि वेदव्यास, ऋष्यश्रृंग, भरद्वाज, देवल तथा जैगीषव्य आदि ऋषियों ने सिद्धि पाई थी।



विश्वविजय सरस्वती कवच



श्रीं ह्रीं सरस्वत्यै स्वाहा शिरो मे पातु सर्वत:।

श्रीं वाग्देवतायै स्वाहा भालं मे सर्वदावतु।।

ऊँ सरस्वत्यै स्वाहेति श्रोत्र पातु निरन्तरम्।

ऊँ श्रीं ह्रीं भारत्यै स्वाहा नेत्रयुग्मं सदावतु।।

ऐं ह्रीं वाग्वादिन्यै स्वाहा नासां मे सर्वतोवतु।

ह्रीं विद्याधिष्ठातृदेव्यै स्वाहा ओष्ठं सदावतु।।

ऊँ श्रीं ह्रीं ब्राह्मयै स्वाहेति दन्तपंक्ती: सदावतु।

ऐमित्येकाक्षरो मन्त्रो मम कण्ठं सदावतु।।

ऊँ श्रीं ह्रीं पातु मे ग्रीवां स्कन्धं मे श्रीं सदावतु।

श्रीं विद्याधिष्ठातृदेव्यै स्वाहा वक्ष: सदावतु।।

ऊँ ह्रीं विद्यास्वरुपायै स्वाहा मे पातु नाभिकाम्।

ऊँ ह्रीं ह्रीं वाण्यै स्वाहेति मम पृष्ठं सदावतु।।

ऊँ सर्ववर्णात्मिकायै पादयुग्मं सदावतु।

ऊँ रागधिष्ठातृदेव्यै सर्वांगं मे सदावतु।।

ऊँ सर्वकण्ठवासिन्यै स्वाहा प्राच्यां सदावतु।

ऊँ ह्रीं जिह्वाग्रवासिन्यै स्वाहाग्निदिशि रक्षतु।।

ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं सरस्वत्यै बुधजनन्यै स्वाहा।

सततं मन्त्रराजोऽयं दक्षिणे मां सदावतु।।

ऊँ ह्रीं श्रीं त्र्यक्षरो मन्त्रो नैर्ऋत्यां मे सदावतु।

कविजिह्वाग्रवासिन्यै स्वाहा मां वारुणेऽवतु।।

ऊँ सदाम्बिकायै स्वाहा वायव्ये मां सदावतु।

ऊँ गद्यपद्यवासिन्यै स्वाहा मामुत्तरेवतु।।

ऊँ सर्वशास्त्रवासिन्यै स्वाहैशान्यां सदावतु।

ऊँ ह्रीं सर्वपूजितायै स्वाहा चोध्र्वं सदावतु।।

ऐं ह्रीं पुस्तकवासिन्यै स्वाहाधो मां सदावतु।

ऊँ ग्रन्थबीजरुपायै स्वाहा मां सर्वतोवतु।।

गुरुवार, 26 जनवरी 2012

नहीं आई शर्म, बाबा साहेब की मूर्ति को फिर किया अपवित्र

हैदराबाद| आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी जिले में गुरुवार को बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर की एक मूर्ति को अज्ञात लोगों ने एक बार फिर अपवित्र कर दिया। एक सप्ताह से भी कम समय में इस तरह की यह दूसरी घटना है।
 
कई दलित संगठन इसके विरोध में प्रदर्शन कर करहे हैं। ज्ञात हो कि पूर्वी गोदावरी जिले के ही अमलापुरम कस्बे में सोमवार को अम्बेडकर की तीन मूर्तियों को अपवित्र कर दिया गया था। इससे उत्पन्न तनावपूर्ण स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो ही रही थी कि एक और घटना सामने आ गई।


ताजा घटना के बाद दलित संगठनों ने चेन्नई-भुवनेश्वर राष्ट्रीय राजमार्ग को अवरुद्ध करना शुरू कर दिया। इस कारण देर तक यातायात ठप्प रहा। उन्होंने गणतंत्र दिवस समारोह स्थल के निकट प्रदर्शन किया और काला दिवस मनाया।


दलित संगठनों के नेताओं ने इस घटना को अंजाम देने में शामिल लोगों को कड़ी सजा दिए जाने की मांग की। निकटवर्ती राजामुंद्री कस्बे में भी प्रदर्शन किए गए।


किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल कस्बे के लिए रवाना हो गया है। इस बीच, मूर्तियों को अपवित्र किए जाने के बाद गत सोमवार को दो गुटों के बीच हुई झड़प के मद्देनजर आलमपुरम कस्बे में लागू निषेधाज्ञा जारी है।


राज्य सरकार ने गुरुवार को आलमपुरा में स्थिति का जायजा लेने के लिए मंत्रियों की एक टीम भेजने का फैसला लिया। मंत्रियों की चार सदस्यीय टीम मूर्तियों को अपवित्र किए जाने के बारे में तथ्यों का पता लगाने का प्रयास करेंगे।

राजस्थान की स्नेहा शेखावत ने रचा इतिहास

राजस्थान की स्नेहा शेखावत   ने रचा इतिहास

नई दिल्ली। राजस्थान के सीकर जिले की बेटी फ्लाइट लेफ्टिनेंट स्नेहा शेखावत ने गुरूवार को दिल्ली में राजपथ पर 63वें गणतंत्र दिवस समारोह में वायुसेना की परेड का नेतृत्व कर एक नया इतिहास रच दिया। गणतंत्र दिवस पर वायु सेना दल का स्नेहा ने नेतृत्व कर पहली महिला पायलट बन गई हैं। फ्लाइल लेफ्टिनेंट शेखावत के साथ तीन फ्लाइंग अधिकारी हीना पोर, अनुपम चौधरी और पूजा नेगी ने भी एयर फोर्स के मार्चं धुन पर कदम से कदम मिला कर नया इतिहास कायम किया।

63वें गणतंत्र दिवस पर वायु सेना का नेतृत्व महिला कमांडर के द्वारा किए जाने पर दर्शकों ने भी खुशी व्यक्त की। उल्लेखनीय है कि एयरो विमान की पायलट स्नेहा फिलहाल हिंडन एयरफोर्स स्टेशन पर तैनात हैं।

महावीर सिंह व जड़ाव कंवर की बेटी स्नेहा के पति भी फ्लाइट लेफ्टिनेंट हैं। महावीर सिंह गुुजरात के राज्यपाल कार्यालय में सचिव हैं।
स्नेहा के दादा सायर सिंह व बहन मुकेश ने बताया कि जैसे ही स्नेहा के परेड की अगुवाई करने की सूचना मिली, पूरे गांव में खुशी की लहर दौड़ गई।

अग्निपथ ....संजय के फैन है तो अपने चहेते स्टार की इस फिल्म को मिस ना करें


करीब दो दशक पहले यश जौहर ने अमिताभ बच्चन को लीड रोल में लेकर अग्निपथ बनाई थी। उस वक्त इस फिल्म कोबॉक्स ऑफिस पर औसत कामयाबी मिली थी। दरअसल , इस फिल्म में अमिताभ ने अपनी आवाज के साथ अलगएक्सपेरिमेंट किया और फिल्म में अलग अंदाज से डॉयलाग बोले। उस वक्त अमिताभ के फैंस को अपने चहेते स्टार का यहअंदाज जमा नहीं और फिल्म बी व सी क्लास सेंटरों के बॉक्स ऑफिस पर औसत से भी कमजोर रही। करीब 22 साल बादकरन जौहर ने अपने स्वर्गीय पापा की इस फिल्म को नए सिरे से बनाने का फैसला किया तो उस वक्त कई लोगों को यहफैसला इसलिए खटका कि जब अमिताभ बच्चन जैसे नामी स्टार की अग्निपथ बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास नहीं कर पाईथी तो अब करण ऐसा क्या करिश्मा करेंगे कि फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपर हिट साबित हो जाएगी।

करन ने इन अटकलों पर ध्यान नहीं दिया और करीब 8 महीने में इस मेगा बजट मल्टि - स्टारर फिल्म को पूरा करदिखाया। यकीनन , जब भी किसी फिल्म का रीमेक बनाया जाता है तो पिछली फिल्म की तुलना नई फिल्म के साथ जरूरहोती है। यहीं वजह है , यंग डायरेक्टर करण मल्होत्रा की बतौर डायरेक्टर पहली फिल्म की तुलना नब्बे के दशक केदिग्गज डायरेक्टर मुकुल एस आंनद द्वारा निर्देशित फिल्म के साथ हो रही है। करन जौहर के पापा यश जौहर को अग्निपथइस कदर पसंद थी कि बीमारी के दिनों में भी यश जब भी रिलेक्स फील करते तो इसी फिल्म को अस्पताल के बेड पर लेटेहुए देखा करते थे। यहीं वजह रही करन ने पापा की पसंदीदा फिल्म का रीमेक बनाने में दिल खोलकर पैसा खर्च किया।बेशक , करन ने फिल्म में कुछ बदलाव भी किए है लेकिन पिछली फिल्म की मूल कहानी को टच नहीं किया। फिल्म मेंसैकड़ों लोगों की मौजदूगी में फिल्माए स्टंट ऐक्शन सीन्स का जवाब नहीं। फिल्म के कैमरामैन की तारीफ करनी होगी किजिन्होंने फिल्म के हर फ्रेम पर खूब मेहनत की है।

कहानी : कहानी मुंबई - गोवा सीमा से सटे मांडवा गांव से शुरू होती है। इस छोटे से गांव में रहने वाले विजय दीनानाथचौहान ( रितिक रोशन ) को उसके आदर्शवादी और ईमानदार स्कूल प्रिंसिपल पिता ( चेतन पंडित ) ने बचपन में हीईमानदारी और आर्दशों का ऐसा पाठ पठाया , जिसने नन्हें विजय की सोच के नजरिया ही बदल दिया। विजय की जिंदगीमें उस वक्त अचानक भूचाल सा आता है जब ड्रग डीलर कांचा ( संजय दत्त ) बरसों बाद एकबार फिर गांव लौटता है।कांचा को जितनी नफरत अपनी डरावनी शक्ल से है उससे कहीं ज्यादा नफरत ऐसे लोगों से है जो उसकी बात नहीं मानते।मांडवा आकर कांचा को लगता है गांव में अपना दबदबा बनाने के लिए स्कूल प्रिसिंपल को अपने रास्ते से हटाना होगा।कांचा एक षड्यंत्र में विजय के पिता को फंसाकर गांव वालों के सामने फांसी पर लटकाकर मार डालता है। विजय अपनीमां के साथ गांव छोड मुंबई पहुंचता है , अब उसकी जिंदगी का मकसद अपने पिता के नाम पर कांचा द्वारा लगाए गए दागको साफ करना और कांचा को उसके गुनाह की सजा देना है।

मुंबई पहुंचे 12 साल के विजय का सामना जब रऊफ लाला ( ऋषि कपूर ) से होता है तो उसे लगता है गुनाह की दुनियामें अपना अलग मुकाम रखने वाला और कांचा से बेपनाह नफरत करने वाला रऊफ उसे उसकी मंजिल तक पहुंचा सकताहै। कांचा तक पहुंचने के रास्ते में विजय को ना जाने क्या कुछ नहीं करना पड़ता है। कानून तोड़ना और लाला के हरगैरकानूनी काम में उसका सबसे करीबी साथी बना विजय अब गुनाह की दुनिया में पहचान बना चुका है। विजय को हरमोड़ पर उसकी बचपन की दोस्त काली गावड़े ( प्रियंका चोपड़ा ) का साथ मिलता है , लेकिन अपनों का नहीं। करीब 15साल बाद विजय एक बार फिर मांडवा पहुंचता है जहां उसका सामना कांचा से होता है।

ऐक्टिंग : खलनायक , वास्तव , और मुन्ना भाई सीरीज की दो फिल्मों के बाद संजय दत के लिए यह फिल्म उनके करियरके लिए एक बडा टर्निंग पॉइंट्स है। कांचा के रोल में संजय दत्त ने खुद को ऐसा ढाला है कि दर्शकों को फिल्म में स्टार्ट टुलास्ट संजय कांचा दिखाई देता है। सदाबहार फिल्म शोले के विलेन गब्बर सिंह के साथ कांचा की तुलना की जा सकती हैजिन्हें हॉल में बैठे दर्शकों की नफरत के अलावा कुछ और नहीं मिलता। वहीं , अमिताभ बच्चन और रितिक रोशन कीतुलना करे तो विजय दीनानाथ के रोल के मामले में अमिताभ का पलड़ा कहीं ज्यादा भारी है। फिल्म की शुरुआत मेंरितिक की डायलॉग डिलीवरी और उनके चेहरे के एक्सप्रेशन कमजोर हैं , वहीं आखिरी 50 मिनट की फिल्म में रितिक नेसंजय को टक्कर देने की अच्छी कोशिश की है। काली गावड़े के रोल में प्रियंका चोपड़ा पूरी तरह परफेक्ट है। एक आइटमसॉन्ग में नजर आई कटरीना कैफ ने जब स्क्रीन पर अपने लटके झटके दिखाए तब हॉल में खूब सीटियां बजीं।

डायरेक्शन : करण मल्होत्रा अपने काम में पूरी तरह से कामयाब रहे। करण ने कांचा के कैरक्टर को जिस दमदार ढंग सेपेश किया और स्टार्ट टु लास्ट फिल्म के दो लीड किरदारों विजय दीनानाथ और कांचा को जिस अंदाज में पेश कियाकाबिले तारीफ है। वहीं , अगर करण चाहते तो तीन घंटे लंबी इस फिल्म को आसानी से तीस मिनट कम किया जा सकताथा।

संगीतः कटरीना पर फिल्माए आइटम सॉन्ग चिकनी चमेली को छोड़ दिया जाए तो बाकी गानों में दमखम नहीं। हां ,अजय - अतुल की जोड़ी ने स्टोरी और कहानी की पृष्ठभूमि के अनुकूल संगीत दिया है।

क्यों देखें : अगर आप संजय के फैन है तो अपने चहेते स्टार की इस फिल्म को मिस ना करें। कांचा के रोल में संजय काजीवंत अभिनय और उनकी पावरफुल डायलॉग डिलीवरी का जवाब नहीं। रितिक का मासूम चेहरा और आखिरी पचासमिनट की फिल्म में रितिक की गजब ऐक्टिंग और बिना डुप्लिकेट यूज किए रितिक के गजब स्टंट और ऐक्शन सीन्स। दबंग, बॉडीगार्ड के बाद ऐसी फिल्म जो ऐक्शन फिल्मों के शौकीनों को अपसेट नहीं करेगी।