गुरुवार, 17 मार्च 2011

सवाईमाधोपुर में एसएचओ को जिंदा जलाया

सवाईमाधोपुर में एसएचओ को जिंदा जलाया

सवाईमाधोपुर। दाखादेवी हत्याकाण्ड में आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए ग्रामीणों की ओर से दी गई चेतावनी की समय सीमा समाप्त होने के बाद गुरूवार को शाम 5 बजे राजस्थान ग्रामीण युवा शक्ति मोर्चा के प्रदेश संयोजक राजेश बाडोलास ने शरीर पर पेट्रोल छिड़कर आग लगाने के बाद कस्बा स्थित पानी की टंकी से छलांग लगाकर जान दे दी।

इससे गुस्साए ग्रामीणों ने दो पुलिस जीपों व बाइक को आग के हवाले कर दिया। इससे एक जीप में सवार मानटाउन थानाप्रभारी फूल मोहम्मद की जिन्दा जलने से मृत्यु हो गई। ग्रामीणों ने पथराव के आगे पुलिस बल को भागना पड़ा।

शाम करीब साढ़े छह बजे भारी संख्या में सवाईमाधोपुर से आए पुलिस बल ने हवाई फायर कर कस्बे में घुसने के बाद जीप से जला हुआ शव बरामद किया। इससे पहले बाड़ोलास व राजस्थान ग्रामीण युवा शक्ति मोर्चा के प्रदेश महासचिव बनवारी मीणा दाखादेवी हत्याकाण्ड में आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर गुरूवार सुबह 8 बजे ही कस्बे की करीब 22 मीटर ऊंची पानी की टंकी पर चढ़ गए।

वे दिनभर पुलिस प्रशासन को शाम 5 बजे तक हत्यारों को गिरफ्तार करने की बात कहते रहे। उनका कहना था कि शाम तक गिरफ्तारी नहीं हुई तो वे अपनी जान दे देंगे। ये समय सीमा समाप्त होने पर बाडोलास ने बनवारी से बनियान उतरवारकर उसे पेट्रोल में भिगोने के बाद स्वयं पर उंडेल आग लगा ली। गम्भीर घायल बाडोलास
सवाईमाधोपुर अस्पताल लेकर आए, लेकिन बाडोलास ने दम तोड़ दिया।

थार महोत्सव 2011 अक्षुण्ण सांस्कृतिक परम्परा होगी उजागरथार थार की




थार महोत्सव 2011
अक्षुण्ण सांस्कृतिक परम्परा होगी उजागरथार थार  की

बाडमेर, 17 मार्च। होली के बाद आयोजित होने वाले तीन दिवसीय थार महोत्सव के दौरान बाडमेर की अक्षुण्ण सांस्कृतिक परम्परा को साक्षात उजागर किया जाएगा। महोत्सव के समापन पर सीतला सप्तमी को कनाना में आयोजित विख्यात परम्परागत गैर थार की अनमोल कला की कहानी कहेगी। गुरूवार को कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित बैठक में जिला कलेक्टर गौरव गोयल ने महोत्सव के दौरान कार्यक्रमों में सांस्कृतिक परम्परा की झलक के साथ साथ भरपूर रोचकता एवं मनोरंजन को भी समाहित करने के निर्दो दिए है।
इस मौके पर जिला कलेक्टर गोयल ने कहा कि थार महोत्सव में रोचक एवं मनोरंजक कार्यक्रमों के जरिये अधिकाधिक लोगों को भामिल किया जाए। उन्होने 23 से 25 मार्च तक आयोजित किए जाने वाले तीन दिवसीय थार महोत्सव के संबंध में आयोजित विभिन्न व्यवस्थाओें से जुडे अधिकारियों से अब तक की तैयारियों की समीक्षा की।
इस अवसर पर जिला कलेक्टर गोयल ने कहा कि बाडमेर जिले की कला, संस्कृति, हस्तिल्प को जग जाहिर करने तथा पर्यटन विकास के मकसद से आयोजित किए जाने वाले थार महोत्सव में सभी की भागीदारी जरूरी है। उन्होने कहा कि कार्यक्रमों को रोचक एवं मनोरंजन रूप प्रदान किया जाए तथा अधिकाधिक दोी विदोी पर्यटकों को महोत्सव में आमन्ति्रत करने के प्रयास किए जाए। इस सबंध में उन्होने व्यापक प्रचार प्रसार करने के संबंधित अधिकारियों को निर्दो दिए।
उन्होने बताया कि तीन दिवसीय थार महोत्सव का आगाज 23 मार्च को प्रातः 830 बजे निकाली जाने वाली भव्य भाोभा यात्रा के साथ होगा। भाोभा यात्रा गांधी चौक से प्रारम्भ होकर भाहर के प्रमुख मार्गो से गुजरती हुई आदार स्टेडियम पहुचेगी जहां पर विभिन्न प्रकार की विचित्र एवं रोचक प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा। इसी दिन सायं को महाबार में पतंग प्रतियोगिता, कैमल सफारी, सांस्कृतिक संध्या एवं आतिबाजी के कार्यक्रम आयोजित किए जाएगे। वहीं 24 मार्च को प्रातः 9 से 12.00 बजे तक किराडू में सांस्कृतिक यात्रा आयोजित होगी। इसी दिन साय काल में आदार स्टेडियम में ख्यातनाम कलाकार राजा हसन द्वारा आकशर्क कार्यक्रम प्रस्तुत किया जाएगा। थार महोत्सव के आखिरी दिन 25 मार्च को बालोतरा में भाोभा यात्रा एवं विभिन्न प्रतियोगिताओं के अलावा भगत सिंह स्टेडियम में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। इसी दिन कनाना में गैर नृत्य का भी आयोजन किया जाएगा।
थार श्री तथा थार सुन्दरी के प्रतियोगिताओं के पंजीयन के लिए आवेदन उपखण्ड अधिकारी गुडामालानी मुख्यालय बाडमेर में प्रस्तुत करने होंगे। इससे पूर्व जिला कलेक्टर ने थार महोत्सव के पोस्टर का विमोचन किया। 

Holi Khele Raghuvira Baghban

मंगलवार, 15 मार्च 2011

फाग की मस्ती ,थार मरुस्थल में चंग बजने लगे



बाड़मेर[चन्दन भाटी] बाड़मेर जिले में मदोत्सव एवं रंगोत्सव की मस्ती छाई हुई हैं।आधुनिकता की दौड़के बावजूद थार मरुस्थल में लोक कला और संस्कृति से जुड़ी परम्पराओं का निर्वाह किया जा रहा हैं।ग्रामीण अंचलों में होली की धूम मची हैं।ग्रामीण अंचलों में रंगोत्सव की मदमस्ती बरकरार हैं।ग्रामीण चौपालों पर सूरज लते ही ग्रामीण चंग की थाप पर फाग गाते नजर आते हैं।वहीं फागुनी लूर गाती महिलाओं के दल फागोत्सव के प्रति दीवानगी का एहसास कराती हैं।



सीमावर्ती बाड़मेर जिले की लोक परम्पराओं का निर्वहन ग्रामीण क्षैत्रों में आज भी हो रहा हैं।रंग और मद के इस त्यौहार के प्रति ग्रामीण अंचलों में दीवानगी बरकरार हैं।ग्रामीण चौपालों परगा्रमीणों के दल सामुहिक रुप से चंग की थाप पर फाग गीत गाते नजर आते हैं।जिले में लगातार

पड़ रहे अकाल का प्रभाव अधिक नजर नहीं आ रहा ।अलबता होली के धमाल के लिए प्रसिद्धसनावड़ा गांव के बुर्जुग रुपाराम ने बताया कि अकाल के कारण गांव के युवा रोजगार के लिए गुजरात गए हुए हैंअकाल के कारण हमारे गॉव में होली का रंग फीका नही। पडता।होली से

तीन चार रोज पूर्व रोजगार के लिए बाहर गए युवा पर्व मनाने पहफॅच जाएगे।गांव की परम्परा हैंजो हम अपने बुजुर्गों के समय से देखते आ रहे हैं।इसकी पालना होती हैं।



होली से 15 दिन पूर्व गांव में होली का आलम शुरु होता हैं।चोपाल पर शाम होते होते गांव के बडे बुड़े जवान बच्चे सभी एकत्रित हो जाते हैं।चंग बजाने वालो की थाप पर गा्रमिण सामुहिक रुप से फाग गाते हैं।वहीं गांव की महिलाए रात्री में एक जगह एकत्रित हो कर बारी बारी से घरों के आगे फाग गाती हैं।जो महिलाऐं इस दल में नहीं आती उस महिला के घर के आगे जाकर महिला दल अश्लील फाग गाती हैं,जिसे सुनकर अन्दर बैठी महिला शर्माकर दल मे शामिल हो जाती हैं।



महिलाओं द्घारा दो दल बनाकर लूर फाग गाती हैं।लूर में दोनों महिला दल आपस में गीतों के माध्यम से सवालजवाब करती हैं।लूर थार की परम्परा हैं।लुप्त हो रही लूर परम्परा सनावडा तथा सिवाना क्षैत्र के ग्रामीण अंचलों तक सिमट कर रह गई हे ।फाग गीतों के साथ साथ डाण्डिया गेर नृत्य का भी आयोजन होता हैं।भारी भरकम घुंघरु पांवों में बांध कर हाथें में आठ आठ मीटर लम्बे डाण्डियेंल करोल की थाप और थाली टंकार पर जब गेरिऐं नृत्य करते हैं तों लोक संगीत की छटा माटी की सौंधी में घुल जाती हैं। सनावडा में होली के दूसरे दिन बडे स्तर पर गेर नृत्यो का आयोजन होता हैं।जिसमें आसपास के गांवों के कई दल हिस्सा लेते हैं।ग्रामीण क्षैत्रों में होली का रंग जमने लगा हैं।शहरी क्षैत्र में भी गेरियों के दल इस बार नजर आ रहे हैं।जो शहर की गलियों में चंग की थाप पर फाग गाते नजर आते हैं।

सोमवार, 14 मार्च 2011

खूबसूरत ,लाजवाब नचनिया काजल


खूबसूरत ,लाजवाब नचनिया काजल

बाडमेर जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर लुणु कला गांव में मैं अपने साथी पूर्व सरपंच खमीसा खान के बच्चों की भादी में उपस्थित होने अपने मित्रों रिउमल सिंह दांता,सुरतान सिंह देवडा पाशर्द,युसुफ खान के साथ गया।वहां बेहद खूबसूरत घोडी काजल को देखा।वाकई ऐसी धोडी मैंने कभी नही देखी।क्या नाचती हैं।आधा घण्टा लगातार नाची।सादी में भामिल होने गया था,इसलिऐं वीडियों कैमरा साथ नही ले गया,मगर कैमरा किसी का उधार ले कर फोटो खींचे। देखिऐ आपने ऐसी खूबसूरत धोडी कभी देखी हेैं।सलीम भाई की इस काजल को नजर से बचाने के लिऐ काला टीका भी लगाया।

सोनिया के सलाहकारों पर बरसे कर्नल सोना राम

कांग्रेस में उपेक्षा से नाराज पार्टी के बायतु विधायक कर्नल सोना राम ने रविवार को पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के सलाहकारों पर जमकर प्रहार किया। कर्नल ने कहा कि एआईसीसी में प्रदेश से एक भी जाट नेता को शामिल नहीं किया गया। जाटों की खिलाफत कर सोनिया गांधी के सलाहकार पार्टी को ही नुकसान पहुंचा रहे हैं।

सोना राम ने बोरानाडा स्थित वीर तेजा मंदिर परिसर में रविवार को आयोजित सम्मान समारोह में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम लिए बगैर कहा कि उन्होंने छुट भैय्या नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल कर रखा है जबकि कई सीनियर व काबिल विधायक मौजूद हैं। कर्नल ने कहा, ‘राज्य सरकार के मंत्रियों का कच्चा-चिट्ठा मेरे पास है। मौका आने पर मैं इसका खुलासा कर दूंगा। किसी जमाने में पार्टी में दबदबा रखने वाले विश्नोई समाज के विधायक मलखानसिंह को पार्टी ने कोने में बैठा दिया। समाजों की उपेक्षा पार्टी को आगे भारी पड़ सकती है।

वर्ष 1999 में 156 सीटें जीतने वाली पार्टी वर्ष 2004 में 56 पर सिमट गई थी। यही हाल रहा तो अगले चुनाव में यह आंकड़ा चार पर आ टिकेगा।’ कर्नल ने कहा कि कोई सोनिया गांधी से कितनी ही शिकायत कर ले, हम किसी के भरोसे राजनीति नहीं करते। उनके सुर में सुर मिलाते हुए पूर्व मंत्री राजेन्द्र चौधरी ने कहा कि सत्ता लोलुपता में कुछ लोग समाज में फूट डाल रहे हैं।

रामेश्वरम् में शिवलिंग


रामेश्वरम् में शिवलिंग 

रामेश्वरम् का मंदिर भारतीय निर्माण-कला और शिल्पकला का एक सुंदर नमूना है। इसके प्रवेश-द्वार चालीस फीट ऊंचा है। प्राकार में और मंदिर के अंदर सैकड़ौ विशाल खंभें है, जो देखने में एक-जैसे लगते है ; परंतु पास जाकर जरा बारीकी से देखा जाय तो मालूम होगा कि हर खंभे पर बेल-बूटे की अलग-अलग कारीगरी है।
रामनाथ की मूर्ति के चारों और परिक्रमा करने के लिए तीन प्राकार बने हुए है। इनमें तीसरा प्राकार सौ साल पहले पूरा हुआ। इस प्राकार की लंबाई चार सौ फुट से अधिक है। दोनों और पांच फुट ऊंचा और करीब आठ फुट चौड़ा चबूतरा बना हुआ है। चबूतरों के एक ओर पत्थर के बड़े-बड़े खंभो की लम्बी कतारे खड़ी है। प्राकार के एक सिरे पर खडे होकर देखने पर ऐसा लगता है मारो सैकड़ों तोरण-द्वार का स्वागत करने के लिए बनाए गये है। इन खंभों की अद्भुत कारीगरी देखकर विदेशी भी दंग रह जाते है। यहां का गलियारा विश्व का सबसे लंबा गलियारा है।
रामनाथ के मंदिर के चारों और दूर तक कोई पहाड़ नहीं है, जहां से पत्थर आसानी से लाये जा सकें। गंधमादन पर्वत तो नाममात्र का है। यह वास्तव में एक टीला है और उसमें से एक विशाल मंदिर के लिए जरूरी पत्थर नहीं निकल सकते। रामेश्वरम् के मंदिर में जो कई लाख टन के पत्थर लगे है, वे सब बहुत दूर-दूर से नावों में लादकर लाये गये है। रामनाथ जी के मंदिर के भीतरी भाग में एक तरह का चिकना काला पत्थर लगा है। कहते है, ये सब पत्थर लंका से लाये गये थे।
रामेश्वरम् के विशाल मंदिर को बनवाने और उसकी रक्षा करने में रामनाथपुरम् नामक छोटी रियासत के राजाओं का बड़ा हाथ रहा। अब तो यह रियासत तमिल नाडु राज्य में मिल गई हैं। रामनाथपुरम् के राजभवन में एक पुराना काला पत्थर रखा हुआ है। कहा जाता है, यह पत्थर राम ने केवटराज को राजतिलक के समय उसके चिह्न के रूप में दिया था। रामेश्वरम् की यात्रा करने वाले लोग इस काले पत्थर को देखने के लिए रामनाथपुरम् जाते है। रामनाथपुरम् रामेश्वरम् से लगभग तैंतीस मील दूर है।

कथा



राम ने पहले सागर से प्रार्थना की, कार्य सिद्ध ना होने पर धनुष चढ़ाया, तो सागर प्रकट हुआ
रामेश्वरम् के विख्यात मंदिर की स्थापना के बारें में यह रोचक कहानी कही जाती है। सीताजी को छुड़ाने के लिए राम ने लंका पर चढ़ाई की थी। उन्होने लड़ाई के बिना सीताजी को छुड़वाने का बहुत प्रयत्न किया, पर जब राम सफलता न मिली तो विवश होकर उन्होने युद्ध किया। इस युद्ध में रावण और उसके सब साथी राक्षस मारे गये। रावण भी मारा गया; और अन्ततः सीताजी को मुक्त कराकर श्रीराम वापस लौटे। इस युद्ध हेतु राम को वानर सेना सहित सागर पार करना था, जो अत्यधिक कठिन कार्य था। 
रावण भी साधारण राक्षस नहीं था। वह पुलस्त्य महर्षि का नाती था। चारों वेदों का जाननेवाला था और था शिवजी का बड़ा भक्त। इस कारण राम को उसे मारने के बाद बड़ा खेद हुआ । ब्रह्मा-हत्या का पाप उन्हें लग गया। इस पाप को धोने के लिए उन्होने रामेश्वरम् में शिवलिंग की स्थापना करने का निश्चय किया। यह निश्चय करने के बाद श्रीराम ने हनुमान को आज्ञा दी कि काशी जाकर वहां से एक शिवलिंग ले आओ। हनुमान पवन-सुत थे। बड़े वेग से आकाश मार्ग से चल पड़े। लेकिन शिवलिंग की स्थापना की नियत घड़ी पास आ गई। हनुमान का कहीं पता न था। जब सीताजी ने देखा कि हनुमान के लौटने मे देर हो रही है, तो उन्होने समुद्र के किनारे के रेत को मुट्ठी में बांधकर एक शिवलिंग बना दिया। यह देखकर राम बहुत प्रसन्न हुए और नियम समय पर इसी शिवलिंग की स्थापना कर दी। छोटे आकार का सही शिवलिंग रामनाथ कहलाता है।


सेतु का हवाई दृश्य, सामने की ओर श्रीलंका को जाता है
बाद में हनुमान के आने पर पहले छोटे प्रतिष्ठित छोटे शिवलिंग के पास ही राम ने काले पत्थर के उस बड़े शिवलिंग को स्थापित कर दिया। ये दोनों शिवलिंग इस तीर्थ के मुख्य मंदिर में आज भी पूजित हैं। यही मुख्य शिवलिंग ज्योतिर्लिंगहै।
सेतु का पौराणिक संदर्भ
पूरे भारत, दक्षिण पूर्व एशिया और पूर्व एशिया के कई देशों में हर साल दशहरे पर और राम के जीवन पर आधारित सभी तरह के नृत्य-नाटकों में सेतु बंधन का वर्णान किया जाता है। राम के बनाए इस पुल का वर्णन रामायण में तो है ही,महाभारत में भी श्री राम के नल सेतु का जिक्र आया है। कालीदास की रघुवंश में सेतु का वर्णन है। अनेक पुराणों में भी श्रीरामसेतु का विवरण आता है।]एन्साइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका में इसे एडम्स ब्रिज के साथ-साथ राम सेतु कहा गया है। नासा और भारतीय सेटेलाइट से लिए गए चित्रों में धनुषकोडि से जाफना तक जो एक पतली सी द्वीपों की रेखा दिखती है, उसे ही आज रामसेतु के नाम से जाना जाता है। इसी पुल को बाद में एडम्स ब्रिज का नाम मिला।  यह सेतु तब पांच दिनों में ही बन गया था। इसकी लंबाई १०० योजन व चौड़ाई १० योजन थी। इसे बनाने में उच्च तकनीक का प्रयोग किया गया था।मेश्वरम् शहर और रामनाथजी का प्रसिद्ध मंदिर इस टापू के उत्तर के छोर पर है। टापू के दक्षिणी कोने में धनुषकोटि नामक तीर्थ है, जहां हिंद महासागर से बंगाल की खाड़ी मिलती है। इसी स्थान को सेतुबंध कहते है। लोगों का विश्वास है कि श्रीराम ने लंका पर चढाई करने के लिए समुद्र पर जो सेतु बांधा था, वह इसी स्थान से आरंभ हुआ। इस कारण धनुष-कोटि का धार्मिक महत्व बहुत है। यही से कोलम्बो को जहाज जाते थे। अब यह स्थान चक्रवाती तूफान में बहकर समाप्त हो गया है। 

रविवार, 13 मार्च 2011

desert area commentatore rabbu khan

बाल विवाह के खिलाफ आवाज उठाई परमेश्वरी ने मुझे ससुराल मत भेजो में तो पढुगी


बाल विवाह के खिलाफ आवाज उठाई परमेश्वरी ने

मुझे ससुराल मत भेजो में तो पढुगी

बाड़मेर साहब ,मेरे बाबा व समाज के पच मुझे ससुराल भेजना चाहते है ,लेकिन तो अभी 14 साल की नाबालिग हु और आठवी में पढ़ रही हु मेरी शादी आठ साल पहले हो गई थी साहब आप उनसे कहो की मुझे  ससुराल नहीं भजे में तो पढुगी यह कहानी है राजस्थाने बाड़मेर जिले के धनाऊ गाव में रहने वाली चौदह वर्षीय छात्रा परमेश्वरी  की जिसने पुलिस अधीक्षक  से गुहार की है कि में पढना चाहती हु लेकिन घर वाले मुझे ससुराल भेजना चाहते है .राजस्थान  कुछ इलाको में में छोटे से बच्चे के पैदा होते शादी करवा दी जाता है फिर जब वो 14 या 15  साल कि होती है तो उसका गोणा या मोकलावा कर दिया जाता है लड़की को ससुराल भेज दिया जाता है  और यह परम्परा कई दशको राजस्थान के कुछ गावो में चली आ रही है लेकिन राजस्थाने के बाड़मेर में पहली बार एक लड़की ने अपने घर वालो और शादी के खिलाफ आवाज उठाई है कि मुझे ससुराल मत भेजो  ... दरसल बाड़मेर के चोह्टन इलाके के घोनिया गाँव की परमेश्वरी नामक इस चोदह वर्षीय लड़की की पुरानी परम्पराओं के अनुसार बचपन में ही पास है गाव के रहने वाले चिमनाराम से  विवाह कर दिया था उस वक्त  परमेश्वरी  की उम्र  मात्र पाच साल थी अब परमेश्वरी सीकर के स्कूल आठवी  में पढाई कर रही हैं परमेश्वरी  पढाई में बहुत हुसियार है और आगे पढना चाहती  है  लेकिन कुछ दिनों से उसके पिता और पंच उसे पढाई छोड़ कर  उसका गोणा कर ससुराल जाने पर दबाव डाल रहे हैं परमेश्वरी के अनुसार  मेरी शादी बचपन में हो गई थी  अब घर वाले मेरा मोकलावा करना चाहते है  लेकिन में  ससुराल नहीं जाना चाहती हु में तो  आगे पढना चाहती हु  इसी लिए मैंने  अपने परिजनों और पंचो के खिलाफ आवाज उठाई है में चाहती कि    पुलिस मेरे घर वालो और पचो को समझावे की मुझ पढने दे 
परमेश्वरी छात्रा निवासी बाड़मेर के अनुसार मेरी शादी बचपन में हो गई थी
  अब घर वाले मेरा मोकलावा करना चाहते है  लेकिन में  ससुराल नहीं जाना चाहती हु में तो  आगे पढना चाहती हु  इसी लिए मैंने  अपने परिजनों और पंचो के खिलाफ आवाज उठाई है में चाहती कि    पुलिस मेरे घर वालो और पचो को समझावे की मुझ पढने दे )

राजस्थाने के बाड़मेर के ग्रमीण इलाको की स्कूल में पढने वाले ज्यादातर बच्चे शादी शुदा होते है इन बच्चो की शादी छोटी सी उम्र  में ही कर दी जाती है पशे से वकील और समाजिक कार्यकर्ता सुनीता चोधरी के अनुसार हमारे  इन इलाको में घर में किसी के मरने  पर छोटे से बच्चो की शादी कर जाती है फिर उनका गोणा किया जाता है जब लड़की 14 या 15 की  होती तब........... हमारे इलाको में आज भी बाल विवाह होते है  बाल विवाह को रोकने के लिए हम सब को  आगे आना होगा 

इस पुर  को गंभीरता से लेते हुए  बाड़मेर के जिला पुलिस अधीक्षक संतोष चालके  ने तुरत  परमेश्वरी के  पिता भेराराम  और पचो को पाबद कर दिया है  ........चालके   के अनुसार परमेश्वरी कि उम्र अभी तक 14 साल है इस लिए उसके घर वालो उसे ससुराल नहीं भेज सकते है हमने परमेश्वरी को होसला दिया है कि वो आगे


परमेश्वरी ने जो हिमत दिखाई है  वो यकिन काबिले तारीफ है क्योकि आम तोर पर राजस्थान के ग्रमीण इलको  लडकिया पढना भी चाहती है लेकिन घर वाले उनका गोणा या शादी 18 साल से पहले  कर देते है तो वो अपनी पढाई चुप चाप छोड़ कर ससुराल चली जाती है और शिक्षा से वंचित रह जाती  है

fakira khan...traditional folk manganiyar singer

crime news barmer.........


अवैध शराब से भरा टर्बो जब्त, दो गिरफ्तार
सिरसा (हरियाणा) से सांचौर की ओर जा रहा था शराब से लदा ट्रक, आबकारी दल बालोतरा की अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई

बाड़मेर.आबकारी पुलिस दल बालोतरा ने मेगा स्टेट हाई-वे पर नेवाई सरहद में हनुमान मंदिर के पास नाकाबंदी के दौरान अवैध शराब से भरा टर्बो ट्रक जब्त कर उसमें भरे 905 कार्टन बरामद किए। ट्रक के चालक व खलासी को गिरफ्तार कर रिमांड के लिए मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया। हरियाणा निर्मित जब्त अवैध शराब की बाजार कीमत करीब 25 से 30 लाख रुपए आंकी जा रही है।

जोन जोधपुर के आबकारी अधिकारी नरेंद्रसिंह महेचा ने बताया कि आबकारी पुलिस को मुखबिर से इत्तला मिली थी कि अवैध शराब से भरा ट्रक सांचौर की ओर जा रहा है। इस सूचना पर सहायक आबकारी अधिकारी बाड़मेर नरेंद्रसिंह शेखावत, सहायक निदेशक आबकारी बालोतरा किशनसिंह चौहान, भोमाराम, किरताराम, वीरसिंह, रंगनाथ तिवारी सहित जाब्ते ने मेगा स्टेट हाई-वे पर नेवाई सरहद में हनुमान मंदिर के पास नाकाबंदी की। दल ने शुक्रवार देर शाम शेरगढ़ की ओर से आ रहे टर्बो ट्रक नं. जीजे-12 एटी 8013 को घेराबंदी कर रुकवाकर चालक-खलासी से पूछताछ की तो वे हड़बड़ा गए। ट्रक में जांच की तो अंदर 905 कार्टन अवैध अंगेे्रजी शराब के भरे मिले। इस पर ट्रक चालक किशनलाल पुत्र जेताराम विश्नोई निवासी डेडवा (सांचौर) व खलासी समर्थसिंह पुत्र अजीत सिंह निवासी मुड़तरा थाना आहोर (जालोर) को गिरफ्तार किया गया।


विवाहिता ने घर में फं दा लगा आत्महत्या की
 बाड़मेर.
रामसर थाना क्षेत्र के सुरा गांव में एक विवाहिता ने फांसी लगा आत्म हत्या कर ली।

पुलिस के अनुसार आशा देवी (24) पत्नी पेमाराम सुथार निवासी सुरा ने सुबह 10 बजे अपने रहवासी मकान की छत पर लगे पंखे के हुक से फंदा लगा आत्महत्या कर ली। सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंच शव का पोस्टमार्टम करवाया। इधर, मृतका के पीहर पक्ष वालों की ओर से आपत्ति दर्ज करवाने पर एसडीएम की मौजूदगी में मौत के कारणों का पता लगाया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि मृतका की चार साल पहले ही शादी हुई थी।






मालाणी एक्सप्रेस से कटने पर युवक की मौत
बाड़मेर जिले के ढूंढा कवास में शनिवार शाम सात बजे एक युवक की मालाणी एक्सप्रेस के आगे कटने से मौत हो गई। इस हादसे से मालाणी एक्सप्रेस करीब एक घंटा देरी से रवाना हुई। एएसआई शंकर लाल ने बताया कि बीस वर्षीय भाडखा निवासी मुलाराम जाट की मालाणी एक्सप्रेस गाड़ी नंबर 2404 के आगे कट जाने से घटनास्थल पर ही मौत हो गई। मृतक की जेब से 560 रुपए मिले। हादसे की सूचना जीआरपी कंट्रोल नागाणा एवं सदर थाना बाड़मेर को दी। मौके पर अधिकारी के नहीं पहुंचने से शव को रेल कर्मचारियों ने मालाणी एक्सप्रेस के यार्ड में डाल शव को स्टेशन मास्टर कवास के सुपुर्द कर ट्रेन को रवाना किया।



रेगिस्तान से निकला अजूबा अनपढ़ कमेन्टर रब्बु खान





रेगिस्तान से निकला अजूबा अनपढ़ कमेन्टर रब्बु खान 


बाड़मेर भारत में लोग क्रिकेट के प्रति कितने दीवाने होते है ये तो सब जानते है लेकिन रेगिस्तान के एक सक्ष ने तो क्रिकेट को अपना धर्म है बना लिया है और ये वो सक्ष है जो अपनी जन्दगी में कभी भी स्कूल की चोकठ तक नहीं देखि फिर भी यह सक्ष अग्रेजी सहित चार भाशाओं हिन्दी,,उद,अंग्रेजी और सिन्धि में फर्राटेदार कोमेटरी करता है जिसे सुन कर आप यक़ीनन चोक जाओगे


रेगिस्तान के इस अजूबे का नाम है राबू खान और इसकी उम्र 27 साल और यह रहने वाला है राजस्थान के बाड़मेर जिले सावा गाव का यह सक्ष अपनी 27 साल की जिन्दगी में कभी भी स्कूल नहीं गया है और यह अपने परिवार का गुजरा चलने के लिए ऊठ गाडा चलता है राबू खान को सन 1991 से क्रिकेट का शोक चढ़ा तो फिर कबी उतरा है नहीं जब राबू खान 10 साल की उम्र में बकरिया चराने जाता था तो अपने साथ रेडियो ले जाता था और रेडियो पर आकाशवाणी पर राबू खान पहले तो हिंदी में कोमेटरी सुनता था फिर अग्रेजी कोमेटरी सुनता था और एसे है यह सक्ष अग्रेजी में कोमेटरी करना सीख गया अब रवि शास्त्री और संजय मंजलेगर की तरह अग्रेजी में फटाफट कोमेटरी करता है राबू खान शरू में अपने गाव में कोमेटरी करता था लेकिन फिर उसने बाड़मेर में होने वाले मैच की कोमेटरी की फिर वो रेगिस्तान में माहूर हो गया अब बाड़मेर कोई भी टूनामेंट होता है तो राबू खान को कोमेटरी के लिए बुलाया जाता है राबू खान के मुताबिक अब क्रिकेट उसका धर्म बना दिया है और राबू चाहता है कि एक बार मुझे भारत के मैच की लाइव कोमेटरी करने का मोका मिले है


राबू खान के साथियों की माने तो बोर्डर के गावो में क्रिकेट के बारे में लोग समझते भी नहीं थे और राबू खान ने इन गावो क्रिकेट के प्रति लोगो का उत्साह पैदा किया दलपत के अनुसार रबू जब बकरिया चराने जाता था तब रेडियो पर कोमेटरी हिंदी और अग्रेजी में सुनता रहता था और वही से रबू अग्रेजी में फटाफट कोमेटरी करना सीख गया


रेगिस्तान के इस अजूबे रबू और बाड़मेर के लोगो की अब है तमना है कि रबू को भारत के मैच का लाइव कोमेटरी करने का मोका मिले















शनिवार, 12 मार्च 2011

भव्य समारोह के साथ अर्जुन टैंक शामिल हुआ 75 आर्म्ड रेजिमेंट में,


भव्य समारोह के साथ अर्जुन टैंक शामिल हुआ 75 आर्म्ड रेजिमेंट में,
रेजिमेंट का 39 वाँ स्थापना दिवस धूमधाम से मना
ईमानदारी, वफादारी और ईज्जत जीवन की बुनियाद ले.जनरल श्री एके सिंह
जैसलमेर, 12 मार्च/75 आर्मर्ड रेजिमेंट के लिए शनिवार का दिन किसी गौरवशाली उत्सव से कम नहीं रहा जब धूमधाम से मनाए जा रहे रेजिमेंट के 39 वें स्थापना दिवस समारोह में स्वदेश में ही निर्मित अर्जुन टैंक रेजिमेंट में शामिल हुआ।
इस अवसर पर आयोजित शानदार समारोह में एम.बी.टी. अर्जुन रेजिमेंट के खेमे में सम्मिलित किया गया। इसमें साहस और शौर्य के प्रतीक रहे पुराने टैंक टी55 को विदाई दी गई। इस गरिमामय समारोह में सैन्य अधिकारियों, प्रशासनिक अधिकारियों, सैन्य परिवारों, रेजिमेंट के पुराने सैनिकों और मीडियाकर्मियों आदि ने हिस्सा लिया।
रोमांच और आकर्षण बिखेरा टैंकों की परेड़ ने
समारोह का मुख्य आकर्षण एमबीटी अर्जुन तथा टी55 टैंकों द्वारा प्रस्तुत की गई परेड़ रही। परेड़ के आरंभ में इन टैंकों ने शुरू होते ही गुलाबी, हरे, पीले रंगों की जबर्दस्त बौछार करते हुए पूरे परेड़ मैदान में रंगीन बादल छितराते हुए फागुन और रंगों के त्योहार होली की याद ताजा करा दी।
टैंकों की परेड़, सलामी के तौरतरीकों आदि ने खूब आकर्षक बिखेरते हुए तालियों की गड़गड़ाहट से सम्मान और आदर पाया। सैन्य बैण्ड की ओजभरी सुमधुर स्वर लहरियों के बीच विभिन्न आयोजनों ने मनभावन माहौल का अहसास कराया।
परेड़ का निरीक्षण दक्षिण कमान के जनरल आफिसर कमाण्डिंगइन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल श्री ए.के. सिंह ने किया और टैंकों की सलामी ली।
जनरल श्री ए.के. सिंह ने 75 कवचित(आर्म्ड) रेजिमेंट के गठन, गौरवशाली इतिहास और अब तक के गौरवशाली सफर का जिक्र किया और टी55 टैंक द्वारा देश के लिए की गई सेवाओं के गर्वीले पृष्ठों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अर्जुन टैंक इससे भी कहीं अधिक मजबूती और क्षमता से देश को गौरव प्रदान करेगा।
स्थापना दिवस पर दी शुभकामनाएँ
श्री सिंह ने कवचित रेजिमेंट के 39 वें स्थापना दिवस तथा अर्जुन टैंक के रेजिमेंट परिवार में शामिल होने पर रेजिमेंट के सभी सैनिकों तथा उनके परिजनों को शुभकामनाएँ दीं।
उन्होंने कहा कि देश की यह दूसरी रेजिमेंट है जिसे अर्जुन टैंक पाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। जरूरत के वक्त इसका अधिकतम उपयोग होगा और युद्ध की स्थिति में बेहतर साबित होगा।
श्री सिंह ने कहा कि भारतीय फौज ने देश का नाम सदैव ऊँचा रखा है और आर्मी पर पूरे देश को नाज है जो हमेशा तैयार रहते हुए कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी कभी पीछे नहीं रही।
फौजी हमेशा रहता है अलर्ट
जनरल श्री ए.के. सिंह ने फौज के प्रत्येक व्यक्ति के लिए जरूरी आदर्शों की याद दिलायी और कहा कि सदैव तैयार रहने के साथ ही ईमानदारी, वफादारी और ईज्जत इन तीन बुनियादी सिद्घांतों का परिपालन जरूरी है और इन्हें फौजी जीवन में सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखा जाना चाहिए। श्री सिंह ने रेजिमेंट के लिए सभी साधनसुविधाओं से सम्पन्न बनाने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की।
यह है रेजिमेंट की स्थापना का इतिहास
भारतीय सेना की 75 कवचित (आर्मर्ड) रेजिमेंट अपनी तरह की बेहतरीन कवचित रेजिमेंट है जिसकी नींव 12 मार्च 1972 को तीन स्क्वाड्रनों को मिलाकर रखी गई। इन तीनों स्क्वाड्रनों ने सन 1971 के युद्ध में भाग लिया और अद्वितीय साहस का परिचय दिया। इसके लिए रेजिमेंट को राष्ट्रपति द्वारा ॔सिंध’ युद्ध सम्मान से नवाज़ा गया। रेजिमेंट ने अपनी शुरूआत से लेकर अब तक कई सैन्य अभ्यासों एवं सैन्य कार्यवाहियों में शानदार प्रदर्शन किया और जरूरत पड़ने पर देश की आंतरिक सुरक्षा और सिविल प्रशासन की ब़चढ़ कर मदद की।
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शशशश....इस थाने मे कोई हें



शशशश....इस थाने मे कोई हें

बाड़मेर.. . कोई अपराध और जुल्म का शिकार बन जाये तो उसे राहत की उम्मीद होती हें पुलिस से लेकिन अगर कही पुलिस ही आहत हो तो क्या किया जाये . राजस्थान के बाड़मेर मे एक ऐसा थाना हें जिसका नाम है मंडली


 थाना जहा किसी भी अधिकारी का जाना अभिशप्त माना जाता हें . इस बात को गलत साबित करने के लिए जो भी वहा गया खुद का अनिष्ट करवा बेठा . आज आलम यह हें की अब अधिकारियो में इतना खोफ है कि  कोई अधिकारी इस थाने के रासते तक पर कदम नही रखता . 
. बरसों से इलाके के हर पुलिस वाले के लिए खोफ का पर्याय बन चुके मण्डली थाने के पीछे की कहानी कम चोकने वाली नही हें . अंधविश्वास को दरकिनार करने वाले अब तक 3 दर्जन के करीब अधिकारी इस थाने मे कदम रखकर खुद का बुरा कर चुके हें . अब आलम यह हें की यहा के कप्तान तक इस थाने मे आने की हिम्मत नही रखते
 
अभिशप्त थाने का दर्जा अपने सर ले चुके इस थाने की कहानी भी
  बड़ी  चोकने वाली है दरसल 100  साल पहले इस थाने में परिसर में एक बाबा रहते थे जिसकी   सेवा पुलिस के सिपाही करते थे और उस बाबा का इस गाव पर विशेष  आशीर्वाद  रहता था उसी समय इस थाने में तेनात शो बाबा की सेवा करते थे उन्ही दिनों में   तेनात थानेदार की माता  का देहांत हो गया था और उसे  तत्कालीन पुलिस अधिशक ने   छुट्टी नही दी गई . इस पर उस थाना अधिकारी ऩे बाबा से गुहार की और गुस्से मे  भोले बाबा  ने इस थाने  को  ही  श्राप दे दिया था  कि  इस थाने में कोई बड़ा  अधिकारी नहीं आएगा अगर आया तो उसके साथ कुछ भी बुरा  हो जाएगा  और यही श्राप सेकड़ो बरसों बाद आज भी इस थाने के साथ लगा हें . बाड़मेर के पुलिस अधिशक संतोष चालके   के अनुसार जेसा की लोग बताते है की बाबा ने थानेदार को पुलिस अधिशक .ने छुटी नहीं दी तो बाबा ने इस  को थाने को श्राप दे दिया था कि इस थाने में कोई भी पुलिस अधिकारी नहीं आ सकता है अगर ऐसा कोई आने कि हिमत करेगा तो अधिकारी  खुद का बुरा करेगा 
फिर बाबा ने इसी थाने में है जिन्दा समाधी ले ली तब से गाव वाले और पुलिस मानती है की इस थाने की खुर्शी पर और
  के कमरे में बाबा के श्राप का है असर आज भी लागु है मंडली थाना अधिकारी रेवत सिंह भाटी के अनुसार पिछले एक साल में तीन अधिकारी ने इस जाने की हिमम्त तो उनमे से एक अधिकारी तो थाने से निकलते बाड़मेर मुख्लाय  पहचने से पहले ही सस्पेंड कर दिये गया  जिनका प्रदीप मोहन दस ADD SP और पिछले साल दिसबर में ही दो  C .O  रामावतार मीणा और बालोतरा के SDM राजेश चोहान ने इस थाने में जाने की हिमत की थी जिनका तबादला 24 घंटो में ही हो गया थाने दर के अनुसार अब तक श्राप को गलत साबित करने के लिए दर्जनों पुलिस के अधिकारियो ने हिमत की तो उनका या तबादल हो गया या फिर सस्पेंड हो गए 
रेवत सिंह भाटी,थाना अधिकारी   मंडली थाना C .O  रामावतार मीणा और बालोतरा के SDM राजेश चोहान ने इस थाने में जाने की हिमत की थी जिनका तबादला 24 घंटो में ही हो गया थाने दर के अनुसार अब तक श्राप को गलत साबित करने के लिए दर्जनों पुलिस के अधिकारियो ने हिमत की तो उनका या तबादल हो गया या फिर सस्पेंड हो गए )
आप इस बात से अंदाजा लगा सकते हो कि साल में बार पुलिस के कप्तान को थाने का निरक्षण करना जरुरी होता है लेकिन बाड़मेर के पुलिस कप्तान संतोष चालके की पोस्टिंग को एक साल हो गया चालके ने मण्डली थाने को छोड़ सभी थानों का निरक्षण कर दिया है संतोष चालके के मन में भी वाही खोफ है की अगर वो इस थाने गए तो उनके साथ भी कुछ बुरा हो सकता है