रविवार, 13 मार्च 2011

रेगिस्तान से निकला अजूबा अनपढ़ कमेन्टर रब्बु खान





रेगिस्तान से निकला अजूबा अनपढ़ कमेन्टर रब्बु खान 


बाड़मेर भारत में लोग क्रिकेट के प्रति कितने दीवाने होते है ये तो सब जानते है लेकिन रेगिस्तान के एक सक्ष ने तो क्रिकेट को अपना धर्म है बना लिया है और ये वो सक्ष है जो अपनी जन्दगी में कभी भी स्कूल की चोकठ तक नहीं देखि फिर भी यह सक्ष अग्रेजी सहित चार भाशाओं हिन्दी,,उद,अंग्रेजी और सिन्धि में फर्राटेदार कोमेटरी करता है जिसे सुन कर आप यक़ीनन चोक जाओगे


रेगिस्तान के इस अजूबे का नाम है राबू खान और इसकी उम्र 27 साल और यह रहने वाला है राजस्थान के बाड़मेर जिले सावा गाव का यह सक्ष अपनी 27 साल की जिन्दगी में कभी भी स्कूल नहीं गया है और यह अपने परिवार का गुजरा चलने के लिए ऊठ गाडा चलता है राबू खान को सन 1991 से क्रिकेट का शोक चढ़ा तो फिर कबी उतरा है नहीं जब राबू खान 10 साल की उम्र में बकरिया चराने जाता था तो अपने साथ रेडियो ले जाता था और रेडियो पर आकाशवाणी पर राबू खान पहले तो हिंदी में कोमेटरी सुनता था फिर अग्रेजी कोमेटरी सुनता था और एसे है यह सक्ष अग्रेजी में कोमेटरी करना सीख गया अब रवि शास्त्री और संजय मंजलेगर की तरह अग्रेजी में फटाफट कोमेटरी करता है राबू खान शरू में अपने गाव में कोमेटरी करता था लेकिन फिर उसने बाड़मेर में होने वाले मैच की कोमेटरी की फिर वो रेगिस्तान में माहूर हो गया अब बाड़मेर कोई भी टूनामेंट होता है तो राबू खान को कोमेटरी के लिए बुलाया जाता है राबू खान के मुताबिक अब क्रिकेट उसका धर्म बना दिया है और राबू चाहता है कि एक बार मुझे भारत के मैच की लाइव कोमेटरी करने का मोका मिले है


राबू खान के साथियों की माने तो बोर्डर के गावो में क्रिकेट के बारे में लोग समझते भी नहीं थे और राबू खान ने इन गावो क्रिकेट के प्रति लोगो का उत्साह पैदा किया दलपत के अनुसार रबू जब बकरिया चराने जाता था तब रेडियो पर कोमेटरी हिंदी और अग्रेजी में सुनता रहता था और वही से रबू अग्रेजी में फटाफट कोमेटरी करना सीख गया


रेगिस्तान के इस अजूबे रबू और बाड़मेर के लोगो की अब है तमना है कि रबू को भारत के मैच का लाइव कोमेटरी करने का मोका मिले















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