मंगलवार, 31 जुलाई 2012

“अरै घास री रोटी ही जद बन बिलावड़ो ले भाग्यो।



“अरै घास री रोटी ही जद बन बिलावड़ो ले भाग्यो।
नान्हो सो अमर्यो चीख पड्यो राणा रो सोयो दुख जाग्यो।”
kl sethia


बचपन से ही अपने बड़ों से ये गीत हमेशा सुनता आया था जो सुनते ही जाने क्यूँ एक सिहरन सी दौड़ जाती पूरे बदन में और आँखों के सामने इतिहास के महान पात्र महाराणा प्रताप की छवि सदृश्य हो आती. शरीर में ओज भाव संचरित होने लगता. उस वक्त तक नहीं पता था कि ये कालजयी रचना किस महापुरुष की कलम से निकली है. जब स्वयं स्कूल में आया तो मुझे अच्छी तरह याद है वो कक्षा सात थी और यहीं से अपने कोर्स में इन महान शख्शियत के बार में पढ़ा, तभी से जहन से ये नाम कभी मिटा ही नहीं और वो नाम था राजस्थानी भाषा के भीष पितामह श्री कन्हैया लाल सेठिया का.

महाकवि श्री कन्हैयालाल सेठिया जी की राजस्थानी कविताएँ ना केवल राजस्थान बल्कि सम्पूर्ण देश में पढ़ी और सराही गईं. श्री सेठिया ही थे जिनकी इन कालजयी रचनाओं से राजस्थानी भाषा की गूँज देश के कोने-कोने तक पहुंची और उनकी कालजयी रचनाओं ने राजस्थानी भाषा को और अधिक पुष्ट करने के साथ-साथ हिंदी सहित अन्य क्षेत्रीय भाषाईयों का ध्यान राजस्थानी की और आकर्षित किया. इस महाकवि की कविताओं और गीतों ने राजस्थानी भाषा की मिठास और ओजपूर्ण अभिव्यक्ति से समूचे साहित्य जगत को आश्चर्यचकित कर दिया. इस सम्बन्ध में बालकवि बैरागी को भी कहना पड़ा “मैं महामनीषी श्री कन्हैयालालजी सेठिया की बात कर रहा हूँ। अमर होने या रहने के लिए बहुत अधिक लिखना आवश्यक नहीं है। मैं कहा करता हूँ कि बंकिमबाबू और अधिक कुछ भी नहीं लिखते तो भी मात्र और केवल ‘वन्दे मातरम्’ ने उनको अमर कर दिया होता। तुलसी – ‘हनुमान चालिसा’ , इकबाल को ‘सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा’ जैसे अकेला एक गीत ही काफी था। रहीम ने मात्र सात सौ दोहे यानि कि चौदह सौ पंक्तियां लिखकर अपने आप को अमर कर लिया। ऎसा ही कुछ सेठियाजी के साथ भी हो चुका है, वे अपनी अकेली एक रचना के दम पर शाश्वत और सनातन है, चाहे वह रचना राजस्थानी भाषा की ही क्यों न हो।”



इतिहास कुछ भी कहे मगर ये शाश्वत सत्य है कि श्री सेठिया जी की राजस्थानी रचनाओं ने ही राजस्थानी भाषा को गंभीरतापूर्वक पढ़ने को उद्धृत करने के साथ-साथ अपनी कविता के माध्यम से राजस्थान के उस प्राचीन और गौरवशाली अतीत को भी इन पंक्तियों से जगाने का प्रयास भी किया -



किस निद्रा में मग्न हुए हो, सदियों से तुम राजस्थान् !

कहाँ गया वह शौर्य्य तुम्हारा,कहाँ गया वह अतुलित मान !

राजस्थानी भाषा के इस महान संत, भीष्म पितामह और महाकवि ने राजस्थानी के जो किया उसे आने वाली संकड़ों पीढियां कभी भुला नहीं पायेगी और युगों-युगों तक इस महान विभूति की कालजयी रचनाएँ ना केवल राजस्थानी बल्कि समूचे हिंदी साहित्य जगत को भी आलोकित करती रहेगी. ये बात और है कि पद्मश्री, साहित्य अकादमी पुरस्कार तथा ज्ञानपीठ के मूर्तिदेवी साहित्य पुरास्कार से सम्मानित इस महाकवि ने राजस्थानी के लिये कभी ना भुलाए जाने वाला योगदान किया मगर अफ़सोस, स्वयं राजस्थान सरकार ने इस दिशा में कोई ठोस और प्रगतिशील प्रयास अब तक नहीं किया.

उन्ही द्वारा रचित गीत, जो राजस्थान की वंदना का पर्याय बन चुका है. जिसको सुनते ही पाँव नाचने को उद्धृत हो जाते हैं, नस-नस में उन्माद सा भर जाता है, हर आयु वर्ग को जो मदमस्त कर देने की क्षमता रखता है, जिसके बोल होठों से कभी लुप्त नहीं हो पाते, ऐसी कालजयी रचना अभी तक किसी और भाषा के कवियों में शायद ही कहीं देखने को मिली है जिसमे राजस्थान की मीठी बोली और रंग-रगीली संस्कृति की झलक तप्त रेगिस्तान में भी सावन की भीनी-भीनी बयारों सी गुदगुदाहट से भर देती है.

-नरेन्‍द्र व्‍यास
राजस्थानी भाषा समिति की समीक्षा बैठक संपन
अगला अभियान पेल्ली भाषा पछे वोट .....ओम पुरोहित कागद


बाड़मेर अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति बाड़मेर के तत्वाधान में मंगलवार शाम को वरिष्ठ राजस्थानी साहित्यकार और राजस्थानी भाषा समिति के राष्ट्रीय प्रचारक ओम पुरोहित कागद की अध्यक्षता में स्थानीय डाक बंगलो में राजस्थानी भाषा अभियान की समीक्षा बैठक आयोजित की गयी .इससे पूर्व राजस्थानी भाषा बाड़मेर समिति द्वारा ओम पुरोहित का सम्मान किया गया .बैठक को संबोधित करते हुए ओम पुरोहित कागद ने कहा की राजस्थानी भाषा को संवेधानिक मान्यता नहीं मिलाने का खामियाजा युवा वर्ग को भुगतना पद रहा हें उन्होंने कहा की राजस्थानी भाषा को राजनीति कारणों तथा बाहरी प्रान्तों के प्रभावशाली लोगो द्वारा सोची समझी रणनीति के तहत वंचित रखा जा रहा हें ,उन्होंने कहा की राजस्थानी भाषा का सम्रध इतिहास हें ,राजस्थानी महज भाषा नहीं हमारी संस्कृति और पहचान हें ,उन्होंने कहा की अपनी भाषा के आभाव में हम अपनी पहचान खोते जा रहे हें ,राजस्थानी के बिना राजस्थान की कल्पना बेमानी हें ,उन्होंने कहा की राजनेता वोट की भाषा समझते हें इस बार हम उन्हें उनकी भाषा में राजस्थानी का महत्त्व समझेंगे .उन्होंने कहा की अगला अभियान सुन ले नेता सगला डंके की चौत ,पेली भाषा पछे वोट की तर्ज पर चलेगा जिसमे जो नेता राजस्थानी भाषा के लिए आगे आएगा उन्हें ही समर्थन देंगे .इस अवसर पर समिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सांग सिंह लुणु ने कहा की भाषा के आभाव में हमारा समाज कई विक्रतियो के दौर से गुजर रहा हें ,उन्होंने कहा की एक मत से राजस्थानी भाषा को संवेधानिक मान्यता के लिए आवाज़ बुलंद करने की जरूरत हें ,बैठक को संबोधित करते हुए इन्द्र प्रकाश पुरोहित ने कहा की बाड़मेर से राजस्थानी भाषा को मान्यता के उठी आवाज़ संसद तक पहुंची हें ,इस अवसर पर डॉ लक्ष्मी नारायण जोशी ने कहा की राजस्थानी भाषा को आर टेट में शामिल करने के लिए अभियान चलाया जा रहा हें अगले चरण में पोस्ट कार्ड अभियान और धरने की योजना को मूर्तरूप दिया जा रहा हें .इस अवसर पर जोधपुर संभाग के उप पाटवी चन्दन सिंह बहती ने कहा की राजस्थानी भाषा की अलख जगाने की मशाल जो ओमजी ने बाड़मेर को पकड़ी उसे जन जन तक पहुँचाने का पूरा प्रयास किया गया जैसलमेर में भी अभियान शुरू किया गया .उन्होंने अब तक राजस्थानी भाषा को लेकर चलाये अभियान की जानकारी दी .इस अब्वासर पर जिला पाटवी रीडमल सिंह दांता ने राजस्थानी भाषा से युवा वर्ग के सक्रीय रूप से जुड़ने को उपलब्धि बताया .इस अवसर पर लोक गायक और समिति के सचिव फकीरा खान ने भी अपने संस्मरण सुनाये ,बैठक में मोटियार परिषद् के पाटवी रघुवीर सिंह तामलोर ,एडवोकेट विजय कुमार ,अशोक सिंह राजपुरोहित ,हिन्दू सिंह तामलोर ,भोम सिंह बलाई .सुलतान सिंह रेडाना ,दुर्जन सिंह गुडीसर,प्रकाश जोशी ,अनिल सुखानी ,अशोक सारला ,,तरुण मुखी ,रमेश इन्दा ,सहित कई कार्यकर्ता शमिलित हुए .कार्यक्रम का सञ्चालन दीप सिंह रणधा ने किया .इससे पूर्व स्थानीय लोक कलाकार फकीरा खान और उनके दल ने राजस्थानी लोक गीत प्रस्तुत कर सबका दिल जीत लिया ,

: फिर ग्रिड ठप, 14 राज्‍यों में बिजली गुल

LIVE : फिर ग्रिड ठप, 14 राज्‍यों में बिजली गुल


नई दिल्‍ली। केंद्रीय बिजली मंत्री सुशील कुमार शिंदे के लाख दावों के बावजूद 24 घंटे के अंदर ही नॉर्दर्न ग्रिड एक बार फिर से फेल हो गया है। इसके अलावा ईस्‍टर्न ग्रिड भी फेल हो गया है। जिसके कारण 14 राज्‍यों की बिजली एक बार फिर से गुल हो गई है। लखनऊ के कई इलाकों में बिजली गुल है तो चंडीगढ़ में बिजली गायब हो चुकी है। रेल सेवा पर खासा असर पड़ा है। उत्‍तर रेलवे में 78 ट्रेनें रुकी हैं। वहीं, दिल्ली में मेट्रो सेवा पूरी तरह ठप हो चुकी है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली समेत उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और जम्मू एवं कश्मीर में बिजली गुल हो गई है। देश आठ राज्यों में बिजली की आपूर्ति बुरी तरह से प्रभावित है। प्रावर ग्रिड के प्रवक्‍ता का कहना है कि दो घंटों के भीतर जरूरी सेवाओं के लिए बिजली बहाल कर दी जाएगी।
 इससे पहले, नॉर्दर्न ग्रिड की फ्रिक्वेंसी फेल होने से उत्तर भारत के 9 राज्यों में रविवार-सोमवार की रात बिजली गुल हो गई थी। राजस्थान सहित दिल्ली,पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, जम्मू कश्मीर, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में बिजली व्यवस्था चरमरा गई थी, सोमवार दोपहर तक पटरी पर लौटी।

जर्मनी की होली

हमारे देश की होली अब सरहदें पार कर पश्चिम में भी पहुंच चुकी है। जर्मनी में रविवार को होली उत्सव का आयोजन किया गया। लगभग ३,००० लोगों ने रंगों से एक-दूसरे को सराबोर कर दिया। रंगों की व्यवस्था आयोजकों की ओर से मैदान पर ही की गई थी, हिस्सा लेने वालों के लिए टिकट की दर दो यूरो थी।

तीन बहनों ने मुख्यमंत्री के लिए बनाई 21 फीट लंबी राखी


तीन बहनों ने मुख्यमंत्री के लिए बनाई 21 फीट लंबी राखी


मुख्यमंत्री गहलोत के लिए आज जयपुर भेजेंगी राखी

जोधपुर हर साल दृष्टिहीन भाइयों की कलाई पर राखी बांधने वाली शहर की तीन बहनों ने इस बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए 21 फीट लंबी राखी बनाई है। इन बहनों का कोई सगा भाई नहीं है। यह राखी मंगलवार को जयपुर रवाना की जाएगी।

प्रतापनगर गली नंबर एक निवासी सूरजमल पंवार की तीन पुत्रियों सरोज (24) सुमन (21) और संजना (12) ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अपना आइडियल मानते हुए अपने हाथों से 28 दिन में 21 फीट लंबी राखी बनाई है। इस राखी को बनाने में उनके पिता सूरज और माता मुन्नीदेवी ने भी सहयोग किया। सरोज, सुमन और संजना का कहना है कि अशोक गहलोत सरकार ने महिलाओं के उत्थान में कई कल्याणकारी योजनाएं चलाकर उनका आत्मबल बढ़ाया है। इसी को ध्यान में रखते हुए इस बार उन्होंने अपने हाथों से इतनी बड़ी राखी बनाई है।




राखी का वजन 25 किलो
स्पंज, मखमल, सूती कपड़ा, जरी-गोटा, सलमा सितारे,आर्टिफिशियल हरे पत्तों व फूल से बनी इस राखी का वजन करीब 25 किलो है। राखी के बीच में भगवान श्रीकृष्ण की तस्वीर लगी है। राखी को कलाई पर बांधने के लिए तीन-तीन फीट के धागे बांधे गए हैं। पिता सूरज पंवार का कहना है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नजदीकी लोगों से बात हो चुकी है। वह मंगलवार को राखी लेकर जयपुर जाएंगे।

हत्या के दो षडयंत्रकर्ता गिरफ्तार ,भीनमाल बंद

हत्या के विरोध में भीनमाल बंद

भीनमाल। टैक्सी चालक शंकर माली हत्याकांड के विरोध में व्यापारिक संगठनों व सामाजिक संगठनों के आह्वान पर सोमवार को शहर बंद रहा। बंद के दौरान शहर के बाजार में सन्नाटा पसरा रहा। इसके बाद शहर के गणमान्य नागरिक व व्यापारियों ने शहर के शिवराज स्टेडियम में धरना-प्रदर्शन किया। करीब 12 बजे प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों से वार्ता के बाद धरना उठाया व शव का दाह संस्कार किया।

धरने को सम्बोधित करते हुए सांसद देवजी पटेल ने कहा कि ऎसे वारदातों का शिकार होने वाले परिवार को उचित न्याय मिलना चाहिए। वारदात को अंजाम देने वाले आरोपियों का पुलिस शीघ्र खुलासा करें। उन्होंने परिवार के प्रति संवेदना जताते हुए उसके परिवार को 51 हजार रूपए की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की। इसके अलावा उन्होंने ऎसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए टैक्सी चालकों से टैक्सी यूनियन भवन बनाने व किराए पर ले जाने वाले लोगों के नाम पत्ते दर्ज करने की बात की।

उन्होंने टैक्सी यूनियन भवन के लिए सांसद कोष से तीन लाख रूपए देने की बात कही। शिवसेना प्रदेश प्रमुख शेखर व्यास ने कहा कि हत्याकांड पर पुलिस पर्दा डाल रही है। उन्होंने घटना की निष्पक्ष जांच कर आरोपियों को गिरफ्तार करने की बात कही। केके सेठ ने कहा कि शहर में दिनों-दिन अपराध बढ़ रहे हैं, लेकिन पुलिस महकमा अपराध पर नकेल नहीं कस पा रहा है।

रंजनीकांत वैष्णव ने ऎसी घटनाओं की पुनरावृत्ति पर नकेल कसने के लिए पर्याप्त व्यवस्था करने का आह्वान किया। धरने को पूर्व पालिकाध्यक्ष जीएम परमार, पालिका उपाध्यक्ष जयरूपाराम माली, ओमप्रकाश खेतावत, किसान नेता भगवानाराम माली, रूपाराम माली व भभूताराम सोलंकी ने भी सम्बोधित किया। धरने पर खाद्य व्यापार संघ के भाजपा मीडिया प्रवक्ता पृथ्वीराज गोयल, अध्यक्ष नरेश अग्रवाल, भारताराम माली, भरतसिंह भोजाणी, गुमानसिंह राव, भंवरलाल सोलंकी, पारस चौहान, नाथू सोलंकी व मोहनलाल सेठ सहित सैकड़ों की संख्या में लोग मौजूद थे। 


हत्या के दो षडयंत्रकर्ता गिरफ्तार

भीनमाल। शहर के एलएमबी चौराहा से गत 20 जुलाई को लापता टैक्सी चालक की हत्या के षडयंत्र में शामिल दो जनों को सोमवार को पुलिस ने कुशलापुरा गांव से गिरफ्तार किया, जबकि हत्या के दो आरोपी व एक षड्यंत्रकर्ता अभी भी पुलिस गिरफ्त से दूर हैं। मृतक टैक्सी चालक का शव रविवार रात्रि को राजकीय अस्पताल की मोचर्री में रखवाया था। सोमवार को गणमान्य लोगों की मौजूदगी में परिजनों को शव सुपुर्द किया।

डीएसपी जयपालसिंह यादव ने बताया कि 20 जुलाई को शहर के एलएमबी चौराहा से शहर निवासी शंकरलाल माली को कुशलापुरा निवासी दीपाराम मेघवाल, बाड़मेर जिले के सांवलड़ा निवासी वक्ताराम चौधरी व श्रवण साटिया ने टैक्सी समदड़ी के लिए किराया पर ले गए। गाड़ी को लूट कर बेचने के इरादे से उन्होंने टैक्सी चालक की 21 जुलाई को गला दबाकर हत्या कर दी और गाड़ी को उदयपुर जाक र बेच दिया।

हत्या व लूट के षडयंत्रकर्ता कुशलापुरा निवासी नरपतसिंह पुत्र अजबसिंह व सत्यवीरसिंह उर्फ जग्गू को कुशलापुरा से गिरफ्तार किया। हत्या के षडयंत्र का आरोपी छगनलाल वैष्णव अभी भी पुलिस की गिरफ्त से दूर है। हत्या को अंजाम देने के आरोपी बाड़मेर जिले के सावलड़ा गांव निवासी वक्ताराम चौधरी व श्रवण कुमार साटिया भी फरार हैं। दूसरे आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस टीमें विभिन्न स्थानों पर भेजी गई हैं।

जैसलमेर बिखरे लोक संस्कृति के रंग



बिखरे लोक संस्कृति के रंग
जैसलमेर। जैसलमेर के सोनार दुर्ग का नजारा सोमवार को अलग ही नजर आया। यहां आध्यमिकता का माहौल था तो लोक संस्कृति के रंग भी बिखरे नजर आए। मौका था जैसलमेर के 857वें स्थापना दिवस का। सोमवार को जैसलमेर का स्थापना दिवस परंपरागत रूप से मनाया गया।

कार्यक्रमो का आगाज सोमवार सुबह भाटियों की कुल देवी मां स्वांगिया का पूजन कर किया गया। उसके बाद सोनार दुर्ग स्थित महारावल महल के स्वांगियां चौक में जैसलमेर की खुशहाली के लिए गायत्री यज्ञ हुआ, जिसमे मंत्रोच्चार के बीच आहुतियां दी गई। इस दौरान रानी महल मे दुर्ग स्थित राजमहल की छत पर ध्वज का पूजन किया गया। इस दौरान पूर्व महारावल बृजराजसिंह के मुख्य आतिथ्य मे आयोजित कार्यक्रमो मे शक्तिसिंह, रघुवीरसिंह, चंद्रप्रकाश श्रीपत, नवनीत व्यास, पृथ्वीपालसिंह, बालकृष्ण जोशी, दाऊलाल सेवक, विजय बल्लाणी, रेखा बल्लाणी, ललित गोपा, कैलाश जोशी, लक्ष्मीनारायण खत्री सहित कई गणमान्य लोग मौजूद थे।

प्रतियोगिता मे उत्साह
जैसलमेर शहर के विद्यार्थियो के लिए जैसलमेर के वन्य पशु-पक्षी शीर्षक से चित्रकला प्रतियोगिता व आपकी सोच में कल का जैसलमेर पत्र वाचन प्रतियोगिता हुई। चित्रकला प्रतियोगिता मे जहां विद्यार्थियो ने अपनी कल्पनाओ को साकार रूप प्रदान किया, वहीं पत्रवाचन प्रतियोगिता मे प्रतिभागियो ने जैसलमेर के वर्तमान स्वरूप को लेकर अपने विचार बयां किए। शाम को सोनार दुर्ग की अखे प्रोल चौक में मुख्य समारोह हुआ।

विशिष्टजनो का सम्मान
जैसलमेर के सोनार किले की तलहटी मे बने अखे प्रोल मे समारोह मे विशिष्ट जनो का सम्मान किया गया। इस दौरान जैसलमेर के संस्थापक महारावल जैसलदेव के पूजन से कार्यक्रम का श्रीगणेश किया गया। समारोह मे गत 32 वर्षो से मनाए जा रहे समारोहों का प्रतिवेदन पढ़ा गया। समारोह मे जिले के प्रतिभाशाली छात्रों को प्रतिभा पुरस्कार से नवाजा जाएगा, वहीं 24 व्यक्तियो का विशिष्ट सेवाओ के लिए सम्मान किया गया। सांयकालीन समारोह मे पुस्तक का विमोचन भी किया गया।

ये हुए सम्मानित
जैसलमेर के 8 57 वें स्थापना दिवस पर विनित खत्री, जीनू जॉन, भावना भाटी, अभिलाषा झा, कामिनी जंगा, स्वरूप पालीवाल, प्रवीण रतनु, प्रेमकुमार, रसीद खां, गुलाबसिंह, लीला, ममता गर्ग, प्रियंका पुरोहित, भानु कुमारी, साक्षी भाटिया, चन्द्रशेखर, ंअमितसिंह भाटी, भावना, पुरूषोत्तम गर्ग, कुलदीप चौहान, दीनाराम, भगवानदास, श्रवण कुमार, गौरव बिज्ज्छावत, पूर्णिमा जैन, देवेद्रसिंह को सम्मानित किया गया। इसके अलावा विशेष प्रतिभाओं मे जीनू जॉन, भीम पणिया, आनंद श्रीपत, दुष्यंत श्रीपत, ओमशिखा तंवर, हर्षुल बोहरा, कीर्ति जगाणी, पारस राजपूत, सुनैना राजपूत व जयश्री भाटी को सम्मान प्रदान किया गया।

इनके अलावा डॉ. ज्याçेत कंवर को महारावल जैसल पुरस्कार, प्रधानाध्यापिक रेणू व्यास को राजकुमारी रत्नावली पुरस्कार, कैप्टन आमसिंह भाटी को महारावल घड़सी वीरता पुरस्कार, आनंद जगाणी को महारावल हरिराज साहित्य पुरस्कार, देवीलाल सोनी को महारावल अमरसिंह कला पुरस्कार, महिपालसिंह भाटी को महारावल शालिवानसिंह पुरस्कार, मानव व्यास को महारावल जवाहिरसिंह पुरस्कार, हरीश सुथार को महारावल गिरधरसिंह पुरस्कार, किशनसिंह भाटी को महारावल रघुनाथसिंह पुरस्कार, बालकिशन जोशी को महारावल विशेष पुरस्कार, भगवानदास सोनी व वीरेन्द्रसिंह जोधा को महारावल विशेष पुरस्कार, पृथ्वीपालसिंह रावलोत को जैसलमेर पर्यटन पुरस्कार, मनोहरलाल पुरोहित को कवि तेज रम्मत कला पुरस्कार दिया गया। इसके अलावा मीरे खां, डॉ. रघुनाथ प्रसाद गर्ग, डॉ. दामोदर खत्री, अशोक दैया, रेंवतसिंह भाटी, ज्ञानचंद सोनी, अब्दुल खां , भवानी प्रताप चारण व डॉ. परेश जोशी को भी सम्मानित किया गया।

नागपुर मे भी मनाया स्थापना दिवस
जैसलमेर स्थापना दिवस को लेकर नागपुर मे रहने वाले जैसलमेर मूल के बाशिंदो मे भी उत्साह देखने को मिला। यहां महारावल जैसलदेव का पूजन किया गया और स्वर्णनगरी के ऎतिहासिक सोनार दुर्ग की तस्वीर का भी पूजन किया गया। इस दौरान नागपुर मे रहने वाले जैसलमेर जिले के बाशिंदो ने एक-दूसरे को जैसलमेर के स्थापना दिवस की बधाई भी दी।

जयपुर में स्कूली छात्रा से रेप

जयपुर में स्कूली छात्रा से रेप
जयपुर। महेश नगर नगर थाना इलाके में 12 वष्ाीüय छात्रा को बहला-फुसलाकर भगा ले जाने और बलात्कार करने का मामला सामने आया है। सोमवार को पीडिता के पिता ने इस संबंध में महेश नगर थाने में रिपोर्ट दर्ज करायी है।

आरोपी युवक मूलत: भरतपुर का रहने वाला है और यहां करतारपुरा में किराए के मकान में रह रहा था। बताया जाता है कि किशोरी ने खुद फोन कर घरवालों के अलवर में होने की जानकारी दी। नौवीं कक्षा में पढ़ने वाली छात्रा को उसी के घर की टवेरा गाड़ी चलाने वाला चालक संजय शर्मा भगा कर ले गया। आरोपी किशोरी को लेकर यूपी के नेपाल बॉर्डर और एमपी भी गया। जहां उसे कई होटलों मेे रखा।

वीर शिरोमणि दुर्गादास माई अहेड़ा पूत जण जेहड़ा दुर्गादास




वीर शिरोमणि दुर्गादास जयंती पर विशेष 

वीर शिरोमणि दुर्गादास माई अहेड़ा पूत जण जेहड़ा दुर्गादास

ख्यातो में दुर्गादास मारवाड़ के रक्षक की उपाधि से विभूशित राश्ट्रीय वीर दुर्गादास राठौड़ का व्यक्ति्व कृतित्व ना केवल ऐतिहासिक दृश्टि से उल्लेखनीय है बल्कि सामाजिक दृश्टि से भी अभिनन्दनीय है। वीर दुर्गादास इस जिले के गौरव पुरुश है। जिन्होने इतिहास रचा। मुगलो के दमन चक्र को कुचल कर मारवाड़ राजघराने का अस्तित्व बनाए रखा।
वीर दुर्गादास की कर्मभूमि के रुप में कोरना में (कनाना) का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। सौभाग्य से कनाना बाड़मेर जिले का हिस्सा है। बाड़मेर जिले में जन्म लेकर वीर दुर्गादास ने बाड़मेर की धरा पर उपकार किया।
13 अगस्त 1638 को सालवा कला में द्वितीय सावन सुदी 14 वि.स. 1695 में उनका जन्म आसकारण जी के परिवार में हुआ। जोधपुर नरो जसंवतसिंह के सामान्त एवं सेना नायक का पुत्र होने को गौरव उनके साथ था।
सादगी पसन्द दुर्गादास बचपन से निडर थे। बहुप्रचलित कथानुसार जोधपुर महाराज जसवन्तसिंह के ऊट कनाना में उनके खेतो में घुस गए तथा फसले बरबाद करने लगे। विनम्रता से ऊट पालको को ऐसा करने से रोकने का आग्रह किया। पालकों न जवाब दिया कि महाराज जसवन्तसिंह जी के ऊट है। जहां चाहेंगे मुंह मारेंगे उन्हे कौन रोकेगा। कमर बन्द में लटकी तलवार की मूठ पर हाथ गया। तलवार म्यान से बाहर। एक ही झटके में ऊट का सिर धड़ से अलग होकर खेत की जमीन पर गिर पड़ा। ऊट पालक महाराज जसवन्तसिंह के दरबार में िकायत लेकर पहुंचे। महाराजसा ने उस बालक को बुलाया। बालक की स्पश्ट वादिता और निडरता देख अपनी सेवा में रख लिया स्पश्ट वादिता के चलते ही बालक दुर्गादास को उनके पिता आसकरण ने परित्याग किया था। दुर्गा घर से उपेक्षित था। 1665 में महाराज जसवन्तसिंह की सेना में आने के बाद मुगल साम्राज्य की खिदमत में उक्सर आते जाते रहे। इसी बीच मुगल सम्राट भाहजहां रुग्णता का िकार हुआ। उसके पुत्रो में उतराधिकार को लेकर संघशर प्रारम्भ हो गया। 16 अप्रेल 1658 को धरमत (उज्जैन) के युद्व में औरगंजेब और मुरा की संयुक्त सेना तथा महाराज जसवन्तसिंह के सेनापतित्व में बादाही सेना के बीच घमासान युद्व हुआ इस युद्व में वीर दुर्गादास ने अदम्य साहस, अद्वितीय रण कौाल भाौर्य का प्रदार्न कर अपनी धाक जमा ली।
रतन रासो में समकालीन कवि कुम्भकर्ण सान्दू ने लिख है कि वीर दुर्गादास ने एक के बाद एक चार घोड़ो की सवारी की जो मारे गए। अन्त में पांचवे घोड़े पर सवार हुए। उसके मर जाने पर घायल दुर्गादास रणभूमि में गिर पड़े मानो एक और भीश्म भार भौया पर लेटा हो वीर दुर्गादास का जीवन गाथाओं से भरा पड़ा है। महाराज जसवन्तसिंह को औरगंजैब से जमरुद पोावर अफगानिस्तान सैन्य चौकी पर थानेदार नियुक्त किया। महाराज की पोावर में 28 नवम्बर 1678 को मृत्यु हो गई। उनके मरणोपरांत लाहौैर में 19 फरवरी में 1679 में उसके पुत्रो का जन्म हुआ। इनमे दलथम्मा की यात्रा की दोरान मृत्यु हो गई मगर अजीतसिंह जीवित रहे। महाराज जसवन्तसिंह की मृत्यु के बाद जोधपुर पर आधिपत्य स्थापित करने की नीति औरगंजेब ने अपनाई। कट्टर साम्प्रदायिकता में विवास रखने वाले औरगंजेब ने अजीतसिंह को ाडयंत्र पूर्वक अपने पास बुला लिया मगर वापस जोधपुर नही भेजा। अजीतसिंह को बचाकर जसवन्तसिंह का वां जिन्दा रखने की जिम्मेदारी वीर दुर्गादास को सौपी।
वीर दुर्गादास ने अपने प्राणो को अजीतसिंह की रक्षा में झोंक दिया। औरगंजेब के विभिन्न ाड्यंत्रो व आक्रमणों का विफल कर अजीतसिंह को जीवित बचा कर जोधपुर राजसिंहासन सौंप दिया। अजीतसिंह स्वंय वीर दुर्गादास के सामने नतमस्तक हुए। वीर दुर्गादास जिसने जोधपुर रियासत के अस्तित्व को जिन्दा रखा। अदम्य साहस, भाौर्य व वीरता के प्रतिक दुर्गादास इतिहास में महाराणा प्रताप, छत्रपति िवाजी, नेपोलियन बोनापार्ट के समक्ष एक इतिहास पुरुश के रुप में अपनी गाथा आप बन गए। जिले का गौरव है कि वीर दुर्गादास ने बाड़मेर जिले के कनाना जो अपनी कर्म भूमि बनया। आज भी वीर दुर्गादास की गाथाये घरघर में गाई जाती है। यहा कहावत आज भी प्रचलित है। ॔॔ माई अहेड़ा पूत जण जेहड़ा दुर्गादास॔॔ दुर्गादास ने औरगंजेब के पौत्र पोत्री का अपहरण कर सिवाना की छप्पन पहाड़ियों में कैद कर रखा था। छप्पन पहाड़ियों के सिवानाहल्देवर मार्ग पर स्थित पीपलू गांव की पहाड़ी पर दुर्गादास ने औरगंजेब के पोते पोति का अपहरण कर कैद रखा मगर दुर्गादास ने औरगंजेब के पोते पोती को जो वात्सल्य दिया वह इतिहास में स्वर्णिम अक्षरो में दर्ज है।
पीपलू की पहाड़ी पर स्वंय दुर्गादास द्वारा बनाए ऐतिहासिक भवन खण्डहरो के रुप में तब्दील हो चुका है। सार सम्भाल के अभाव में ऐतिहासिक कमरे जिनमे दुर्गादास ने औरगंजेब के पोते एवं पोती काो िक्षा दी यहां एक बड़ा कमरा बनाया गया था। जिसके मध्य दीवार कर एक कमरे में औरगजेब के पोते तथा दूसरे कमरे में पोती को कैद रखां कमरे के बाहर बैठकर दुर्गादास ने दोनो को िक्षा दी। दुर्गादास ने उन दो की भाक्ल तक नही देखी। िक्षा देने बाद दुर्गादास ने दोनो को ससम्मान औरगंजेब को सौप दिया।--

न्यूड शो देखने के लिए मां ने बच्चों को छोड़ा

न्यूड शो देखने के लिए मां ने बच्चों को छोड़ा
फ्लोरिडा। फ्लोरिडा के टम्पा में नशे में धुत एक महिला अपने तीन साल की बेटी और पांच साल के बेटे को कार में ही छोड़ कर चली गई। नशे में होने के कारण उसे यह भी खयाल नहीं रहा कि कार का दरवाजा खुला है। यह महिला स्ट्रिपर शो देखने के लिए बच्चों को अकेला छोड़ कर चली गई। 28 साल की ब्रांडी जो रोमन कार में बीयर की चार बोतलें भी छोड़ आई थी। रास्ते से गुजर रहे लोगों ने यह देखा तो उन्होंने पुलिस को बुला लिया।

टम्पा पुलिस विभाग के अधिकारियों ने ब्रांडी को स्टेज के पास बैठे हुए देखा। उसके हाथ में कुछ कैश था। वह लड़खड़ाते हुए बोल रही थी। न्यूयॉर्क डेली न्यूज ने थम्पा पुलिस विभाग के प्रवक्ता जेनली मैक ग्रेगर के हवाले से बताया कि जब महिला को खड़ा होने को कहा तब वह पूरी तरह नशे में धुत्त थी। उसके मुंह से शराब की बदबू आ रही थी। पूछताछ के दौरान रोमन ने बताया कि वह बच्चों को इसलिए कार में छोड़ आई थी ताकि वे मूवी देख सकें। थम्पा बे टाइम्स के मुताबिक बच्चों को खरोंचे लगी हुई थी। फ्लोरिडा के बाल एवं परिवार कल्याण विभाग ने बच्चों को अपनी कस्टडी में ले लिया। रोमन को हिल्सबॉरो जेल भेज दिया गया। बाद में उसे 4 हजार डॉलर के मुचलके पर जमानत मिली।

रेप किया फिर मरने के लिए कुएं में डाल दिया, अब ताउम्र रहेगा सलाखों के पीछे



श्रीमाधोपुर.स्थानीय अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश फास्ट ट्रैक नं. 2 श्रीमाधोपुर राजेन्द्र कुमार ने सोमवार को एक निर्णय में नाबालिग लड़की से ज्यादती करने के आरोपी को उम्र कैद की सजा सुनाई है। साथ ही आरोपी पर 21 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। अपर लोक अभियोजक एडवोकेट गोविंदनारायण तंवर एवं परिवादी के वकील एड. दिनेश सिंह शेखावत के अनुसार पीड़िता के पिता निवासी ढाणी मानावाली तन ढाणी गुमानसिंह ने जरिए इस्तगासा पुलिस थाना खंडेला में मामला दर्ज कराया था कि 15 अगस्त 2008 को उसकी नाबालिग पुत्री कुएं के पास घास खोद रही थी।

 

तभी वहीं के रहने वाले आरोपी जीतिया उर्फ जितेन्द्र पुत्र हेमाराम जाट ने उसकी पुत्री के साथ ज्यादती की। इसके बाद आरोपी ने जान से मारने की नीयत से पीड़िता को कुएं में डाल दिया। परिजनों ने बाद में पीड़िता को बेहोशी की हालत में कुएं से निकालकर जयपुर इलाज कराया। कोमा में होने के कारण पीड़िता को साढ़े पांच माह बाद होश आया।



होश में आने के बाद पीड़िता ने घटना अपने परिजनों को बताई जिसके बाद आरोपी के खिलाफ पुलिस थाने में मामला दर्ज हुआ। रिपोर्ट पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच के बाद आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद न्यायाल ने यह फैसला दिया।

बुलंदियों को छू रहा है हमारा जैसलमेर










बुलंदियों को छू रहा है हमारा जैसलमेर


मैं आज (30 जुलाई 2012 ) 857 साल का हो गया हूं..। इन वर्षो में मैंने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। कदम-कदम पर चुनौतियां मिली, मगर मेरे अपने साथ थे जिसके चलते मेरी हमेशा जीत हुई। मेरी प्राचीनता, ऐतिहासिकता व सुंदरता को देखने सात समंदर पार से लाखों सैलानी आ चुके हैं। जैसे आपके पूर्वज मेरा ख्याल रखते थे वैसा आज की पीढ़ी नहीं रख रही है। जहां एक तरफ मैंने पर्यटन मानचित्र पर अपना स्थान बनाया है वहीं दूसरी ओर विकास की राह पर भी दौड़ रहा हूं। मुझे आप लोगों का सहयोग हमेशा ही मिले, इसी उम्मीद के साथ आगे बढ़ता रहूंगा। कब-कब जैसलमेर में क्या आया. पोस्ट ऑफिस 1888 बिजली 1939 अस्पताल 1939 हाईस्कूल 1939 टेलीफोन 1939 नल 1942 रेल 1968 कॉलेज 1970 नहर 1984 विंड मील 1998


पत्थरों ने दिलाई पहचान. जैसलमेर ने 80 के दशक में अपनी धाक जमानी शुरू की। इस दौरान जैसलमेर की कलात्मकता ने सैलानियों को आकर्षित किया और पत्थर खनन में निकले पीले पत्थरों ने जैसलमेर को नई बुलंदियों पर पहुंचा दिया। जैसलमेर में निकलने वाला पीला पत्थर विदेशों तक पहुंच गया। विश्व पर्यटन मानचित्र पर भी जैसलमेर इस दशक में छाने लगा था। तत्कालीन कलेक्टर ललित के. पंवार ने भी जैसलमेर के पर्यटन को बढ़ावा देने में काफी सहयोग दिया था। उनके कार्यकाल के दौरान मरू महोत्सव शुरू किया गया और जैसलमेर की जमीनों को नोटिफाइड भी किया गया।


नहर के साथ आई समृद्धि. जैसलमेर जिले की समृद्धि में इंदिरा गांधी नहर परियोजना का अहम योगदान है। इस परियोजना का तत्कालीन प्रधानमंत्री वी.पी.सिंह ने उद्घाटन किया था। 1984 में जैसलमेर की नहरों में पानी आना शुरू हो गया और यहां की जमीन नहर से सिंचित होने लगी। वर्तमान में जैसलमेर में एक लाख मुरबे हैं। नाचना, मोहनगढ़ व रामगढ़ बेल्ट नहरी बेल्ट कहलाता है। पूर्व में जहां बारिश पर खेती निर्भर थी और जैसलमेर में लगभग हर साल सूखा पड़ता था। ऐसे में यहां पैदावार के नाम पर कुछ भी नहीं होता था। लेकिन नहर आने के साथ ही जिले के किसानों में समृद्धि आनी शुरू हो गई। आज भी नहरी पानी पर 50 हजार परिवार अपनी रोजी रोटी चला रहे हैं। जैसलमेर का आधुनिक विकास. आज जैसलमेर 857 वर्षो का हो गया है लेकिन इसका विकास महाराजा जवाहिर सिंह के कार्यकाल के दौरान ही हुआ। महाराज जवाहिर सिंह 1914 से 1948 तक जैसलमेर के राजा रहे। इस दौरान जैसलमेर का विकास तेजी से हुआ। उन्होंने जैसलमेर को विकास के पथ पर अग्रसर किया।यहां बदनामी भी.. >लिंगानुपात केवल 849 है। बेटियों को मारने के मामले में जैसलमेर बदनाम है। >बाहरी कंपनियों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं। कंपनियां रुख मोड़ सकती है। आए दिन होते हैं विवाद। >पर्यटकों के साथ होने वाली छेड़छाड़ जैसलमेर की छवि बिगाड़ रही है। इन्होंने किया गौरवान्वित. साकर खां: विख्यात कमायचा वादक साकर खां को हाल ही में पद्मश्री से नवाजा गया है। गीतिका भाटिया: सीएस में देश में पहले स्थान पर और सीए में भी देश में छठा और 14वां स्थान हासिल कर चुकी है। एसएस बिस्सा: वर्तमान में सूचना एवं जनसंपर्क आयुक्त, राजस्थान सरकार। स्वरूप खां: इंडियन आइडल में जैसलमेरी लोक संगीत की धूम मचाई और टॉप 4 तक का सफर तय किया। स्व. लक्ष्मीनारायण बिस्सा: लगातार तीन बार मि. डेजर्ट बने और विदेशों में अपनी धाक जमाई। अहसन जमाल व जसवंतसिंह: नेशनल क्रिकेट एकेडमी में चयन। महिपालसिंह: राष्ट्रीय बास्केटबॉल अंडर 16 टीम में खेल चुके हैं। शहीद पूनमसिंह व फतेहखान: देश के लिए लड़ते हुए शहीद हुएअब ये हासिल करना है. पर्यटन जैसलमेर के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसे बचाने व बढ़ाने के लिए जैसलमेरवासियों को सर्वाधिक प्रयास करने की जरूरत है। जानकार मानते हैं कि 1980 से लेकर 2010 तक जैसलमेर पर्यटन के क्षेत्र में लगातार आगे बढ़ा है लेकिन 2010 के बाद से इसमें गिरावट आ रही है। इसके कई कारण है। एक तो नए क्षेत्र नहीं तलाशे गए और दूसरा प्रतिस्पर्धा के चलते सैलानियों के साथ र्दुव्‍यवहार। कहीं न कहीं जैसलमेर की बिगड़ी हालत भी इसके लिए जिम्मेदार है। जानकारों के अनुसार जैसलमेर शहर की अधिकांश अर्थव्यवस्था पर्यटन पर ही निर्भर है इसलिए यदि पर्यटन कम हो गया तो खासा नुकसान झेलना पड़ सकता है। >दुर्ग के संरक्षण के लिए सभी को आगे आना होगा। >पर्यटकों के साथ होने वाले र्दुव्‍यवहार पर सख्ती से लगाम कसनी होगी। >पर्यटन के नए क्षेत्र तलाशने होंगे।मेडिकल क्षेत्र में आगे बढ़ना है सीमेंट फैक्ट्रियों की स्थापना सौर ऊर्जा क्षेत्र में छूने होंगे आयाम >युवाओं को लेना होगा संकल्प कि वे डॉक्टर बनकर करेंगे जैसलमेरवासियों की सेवा >मेडिकल संस्थानों की स्थापना। >जनप्रतिनिधियों को सकारात्मक सोच के साथ आगे आना होगा। >राज्य सरकार को जैसलमेर के विकास में यह कदम उठाना होगा। >स्थानीय जनप्रतिनिधि भी अहम रोल निभा सकते हैं। >जैसलमेरवासियों को बाहरी कंपनियों को यहां अच्छा माहौल उपलब्ध करवाना होगा। >यहां के जनप्रतिनिधी राज्य सरकार के साथ मिलकर जैसलमेर को पॉवर हब बनाने के लिए सक्रिय भूमिका निभाएं।

सनी लियोनी की अपील- अधिक सेक्स बुरी चीज, जानवरों की कराएं नसबंदी

मुंबई. पोर्न स्टार सनी लियोन का कहना है कि बहुत अधिक सेक्स करना बुरी चीज हो सकती है। सनी ने जानवरों की नसबंदी का समर्थन भी किया है। सनी लियोनी की अपील- अधिक सेक्स बुरी चीज, जानवरों की कराएं नसबंदी 

पशुओं के अधिकारों के लिए लड़ने वाली संस्था पेटा के नए विज्ञापन में सनी कुत्तों और बिल्लियों की नसबंदी के लिए अपील करती नज़र आने वाली हैं। सनी का कहना है, 'आवारा कुत्ते और बिल्लियों की समस्या से निपटने के लिए उनकी नसबंदी करना बहुत जरूरी है। यदि हम अपने पालतू जानवरों, खासकर कुत्तों, को 'ज्यादा सेक्‍स' करने की इजाजत देते हैं और उनकी नसबंदी नहीं होती है तो सड़कों पर, गलियों में उनकी तादाद बहुत बढ़ जाएगी।'
सनी कहती हैं, 'मेरा मानना है कि पशुओं को खरीदना नहीं बल्कि उनको गोद लेना। क्यों कि ऐसे बहुत से जानवर हैं जिन्हें घर और प्यारर की जरूरत है। पशुओं को खरीदने की प्रवृत्ति के कारण आज कई कुत्ते सड़कों पर घूम रहे हैं।'
सनी का कहना है कि बेसहारा जानवरों को भी घर और खाना मिलना चाहिए। पेटा की यह मुहिम पशु प्रेमियों को जागरूक करने के लिए वो अपने कुत्तोंक और बिल्लियों की नसबंदी करवाएं। इसके साथ जानवरों को किसी शेल्ट र या वेंडर ने ना खरीद कर बेसहारा जानवरों को अपने घर में शरण दें।

राहुल को फंसाना चाहती थी सपा!

राहुल को फंसाना चाहती थी सपा!
नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। पूर्व विधायक किशोर समरिते ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि समाजवादी पार्टी का नेतृत्व कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी को रेप के केस में फंसाना चाहता था। सपा के नेतृत्व ने 2010 में उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट में राहुल गांधी के खिलाफ जनहित याचिका दायर करने के लिए उकसाया था।


किशोर ने यह बात उस वक्त कही जब अखिलेश यादव की सरकार ने अपने हलफनामे में कहा कि किशोर अपना मानसिक संतुलन खो चुके हैं। किशोर ने कहा कि इस वक्त यूपी में शासन कर रही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें याचिका दाखिल करने को कहा था। राज्य में बदले राजनीतिक समीकरणों के चलते वे अब पीछे हट रहे हैं और मुझे बलि का बकरा बना रहे हैं।

7 मार्च 2011 को हाईकोर्ट ने किशोर समरीते की जनहित याचिका खारिज करते हुए उन पर 50 हजार रूपए का जुर्माना लगाया था। किशोर ने याचिका में मामले की सीबीआई से जांच कराने की मांग की थी। समरित ने याचिका में राहुल गांधी पर अमेठी की लड़की को बंधक बनाकर रेप करने का आरोप लगाया था। 6 अप्रेल 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी और यूपी सरकार को नोटिस जारी किया था। राहुल गांधी ने गत शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि उनु पर लगाए गए आरोप झूठे,आधारहीन और गलत इरादे से लगाए गए हैं।

चिटफंड कंपनियों के ठिकानों पर छापे

चिटफंड कंपनियों के ठिकानों पर छापे
जयपुर। चिटफंड कंपनियों के बढ़ते काले कारोबार पर नजर गड़ाए बैठे आयकर विभाग की अन्वेष्ाण शाखा ने मंगलवार को जयपुर में चिटफंड कंपनी के संचालक और उसके रिश्तेदारों के दर्जन भर ठिकानों पर छापे की कार्रवाई शुरू की। आयकर विभाग की अन्वेष्ाण शाखा के निदेशक वीएस कोठारी के निर्देशन चल रही इस कार्रवाई के लिए करीब 150 आयकर कर्मियों की टीम गठित की गई। छापे नेहरू नगर, गांधीनगर, दुर्गापुरा और बापूनगर समेत 12 ठिकानों पर मारे गए।

जसवंतसिंह की जीत के लिए यज्ञ

जसवंतसिं  ह की जीत के लिए यज्ञ

बाड़मेरएनडीए की ओर से उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जसवंत सिंह जसोल की जीत की कामना को लेकर सोमवार को ऑफिसर्स कॉलोनी स्थित मनोकामना पूर्ण महादेव मंदिर में भाजयुमो की ओर से यज्ञ किया गया। इसमें सिंह के जीत के लिए कामना की गई। इस अवसर पर दिलीप पालीवाल, आदूराम मेघवाल, अभयसिंह राठौड़, राजेंद्रसिंह भिंयाड़, भगवानदास ठारवानी, बसंत खत्री, भाजयुमो जिलाध्यक्ष देवेंद्र लेघा, डूंगरसिंह महेचा, अजीतसिंह राठौड़, जगदीश राजपुरोहित, खेतेश कोचरा, रमेशसिंह इंदा सहित कई भाजयुमो कार्यकर्ता उपस्थित थे।

बिजली को लेकर सरकार गंभीर : डॉ. सिंह


बिजली को लेकर सरकार गंभीर : डॉ. सिंह

बाड़मेर'राजस्थान के हर गांव-ढाणी में रहने वाली जनता को बिजली उपलब्ध करवाने के लिए राज्य सरकार कोई कसर नहीं छोड़ेगी। राज्य बिजली क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के साथ ही वर्ष 2017 तक 25 हजार मेगावाट बिजली का उत्पादन होने लगेगा।' यह बात सोमवार को राज्य के ऊर्जा, पीएचईडी व सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री डॉ. जितेंद्रसिंह ने इंटक के जिला अधिवेशन व प्रतिनिधि सम्मेलन में कही। उन्होंने उत्तर भारत में राजस्थान के गांवों में 90 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली मुहैया करने को सबसे सस्ता बताते हुए कहा बिजली उत्पादन के क्षेत्र में राज्य में शुरू किए गए कार्य का 90 फीसदी काम पूरा हो चुका है।

राष्ट्रीय बिजली कर्मचारी संघ इंटक का वृत्त स्तरीय सम्मेलन सिणधरी रोड स्थित 132 केवी जीएसएस परिसर में सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन के साथ शुरू हुआ। कार्यक्रम में अतिथियों को इंटक के पदाधिकारियों ने माला व साफा पहना कर स्मृति चिह्न दिए। इस मौके ऊर्जा मंत्री ने प्रदेश में 6500 नई भर्तियों की घोषणा करते हुए कहा सरकार ने 32 वर्षों के बाद राज्य में 15 हजार टेक्निकल हेल्पर पदों पर भर्ती की है। डॉ. सिंह ने प्रदेश में मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा वितरण योजना, जननी शिशु सुरक्षा योजना, अन्न सुरक्षा योजना, लोक सेवा गारंटी अधिनियम जैसी योजनाओं को सीएम अशोक गहलोत की जनता को राहत देने वाली बताया।

कर्मचारियों में उत्साह:अधिवेशन में भाग लेने आए बाड़मेर-जैसलमेर वृत्त के बिजली कर्मचारियों में सुबह से ही उत्साह का माहौल रहा। अधिवेशन में इंटक के वृत्त महामंत्री जेठाराम शर्मा ने स्वागत भाषण दिया। वहीं फेडरेशन के अध्यक्ष रमेश व्यास, कार्यकारी अध्यक्ष विद्यासागर, महामंत्री मोहन सिंह भाटी, महामंत्री मंडलदत्त जोशी, इंजीनियरिंग यूनियन के प्रतिनिधि उम्मेदाराम चौधरी ने श्रमिकों की विभिन्न समस्याओं से अवगत कराया। डिस्कॉम के एमडी एके गुप्ता ने श्रमिकों की समस्याओं के निराकरण का भरोसा दिलाया। संचालन जसवंत सिंह मायला ने किया।

चौधरी अध्यक्ष, शर्मा महामंत्री: सम्मेलन के दूसरे सत्र में वृत्त स्तर के चुनाव आयोजित हुए। चुनाव अधिकारी विजय सागर शर्मा व रामावतार स्वामी के निर्देशन में निर्विरोध चुनाव संपन्न करवाए गए। इसमें पेमाराम चौधरी को अध्यक्ष, जेठाराम शर्मा को महामंत्री व प्रेम सेठिया को कोषाध्यक्ष मनोनीत किया गया।

ये थे उपस्थित

कार्यक्रम में जिला प्रमुख मदन कौर, विधायक मेवाराम जैन, पदमाराम मेघवाल, मदन प्रजापत, गिरल के एमडी उत्पादन जेसी देतवाल, जलदाय विभाग के मुख्य अभियंता भुवनेश माथुर, पूर्व एमडी बी डी मालू सहित प्रदेश भर से आये पदाधिकारी एवं बड़ी संख्या में सदस्य उपस्थित थे।

रेलवे स्टेशन पर हुआ स्वागत

इससे पूर्व सुबह मालाणी एक्सप्रेस से आए डॉ. सिंह का रेलवे स्टेशन पर विधायक मेवाराम जैन के नेतृत्व में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने फूल मालाओं से स्वागत किया। इस मौके नजीर मोहम्मद, गोरधन सिंह राठौड़, दमाराम माली, चैनसिंह भाटी, मूलाराम मेघवाल, आलोक सिंहल, भूरा राम भील सहित कई कार्यकर्ता मौजूद थे।

कई संगठनों ने सौंपे ज्ञापन

जोधपुर विद्युत वितरण निगम श्रमिक संघ के प्रतिनिधि मंडल ने जिलाध्यक्ष निंबाराम पंवार के नेतृत्व में विभिन्न श्रमिक समस्याओं को लेकर ज्ञापन सौंपा। भारतीय मजदूर संघ के कार्यालय मंत्री जितेन्द्र छंगाणी ने बताया कि बिजली भत्ता बढ़ाने, कर्मचारियों का स्थाई सेवा शुल्क समाप्त करने सहित कई मांगों को लेकर ज्ञापन सौंप समाधान की मांग की। इस दौरान कार्यकारी अध्यक्ष उम्मेदाराम गौड़, कुशलाराम डऊकिया, हिंदुसिंह राजपुरोहित, रतनसिंह, हिंदुसिंह गोयल, बंशीधर पंवार, जनक गहलोत सहित कई कार्मिक उपस्थित थे। इसी तरह रणवीरसिंह भादू ने बारिश नहीं होने के चलते किसानों को दस घंटा बिजली आपूर्ति देने की मांग की। अस्थाई विद्युत कर्मचारी संघ, सिवाना के सदस्यों ने अस्थाई कर्मचारियों को स्थाई करने की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा। वहीं पावर इंजीनियर्स एसोसिएशन ऑफ राजस्थान से जुड़े अभियंताओं ने भी अपनी समस्याओं को लेकर ज्ञापन सौंपा। जिला भील विकास समिति के अध्यक्ष भूरा राम भील ने एससी की तरह एसटी के किसानों को भी बिजली कनेक्शन की मांग की।

राजस्थानी भाषा को मान्यता के लिए प्रयास

इसी तरह, राजस्थानी भाषा मान्यता को लेकर संघर्ष समिति की ओर से ी जितेंद्रसिंह को ज्ञापन सौंपा गया। संभाग उप पाटवी चंदनसिंह भाटी के नेतृत्व में जिला पाटवी रिड़मलसिंह दांता, अशोक सारला सहित कई कार्यकर्ताओं ने भाषा को संवैधानिक मान्यता व आरटेट में शामिल करने को लेकर सरकारी प्रयास करने की मांग की।

इंटक के जिला अधिवेशन में ऊर्जा मंत्री ने श्रमिकों की समस्याओं के समाधान का दिलाया भरोसा, 6500 नई भर्तियों की घोषणा

सोमवार, 30 जुलाई 2012

एक पाती प्रण भरी अभियान का हुआ आगाज

एक पाती प्रण भरी अभियान का हुआ आगाज
- जलदाय मंत्री ऩे किया पोस्टर विमोचन
 भेजे जाइंगे हजारो प्रण के पोस्टकार्ड जल ही जीवन है। वाकई पानी के बिना जिंदगी की कल्पना भी नहीं की जा सकती, लेकिन अफसोस की बात यह है कि जहां एक तरफ करोड़ों लोग बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं, वहीं इतने ही लोग जरूरत से ज्यादा पानी का इस्तेमाल करके इसे बर्बाद करने पर आमादा हैं। जब हम पानी पैदा नहीं कर सकते तो फिर हमें इसे बर्बाद करने का क्या हक है? पानी की बर्बादी के हजारों बहाने हैं, लेकिन कड़वी सच्चाई यह है कि आज दुनिया पीने के पानी के लिए तरस रही है। ऐसे में आज जरूरत हें हर किसी को पानी के बचाव और पानी के लिए आवाज बुलंद करने की . इसी बात को आधार बना कर सोमवार की रोज जिले में सी सी डी यू और जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग की तरफ से एक पाती प्रण भरी अभियान का आगाज राज्य के जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के मंत्री जितेन्द्र सिंह ऩे किया .
सोमवार को सी सी डी यू , राजस्थान राज्य जल एवं स्वच्छता मिशन, राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल गुणवत्ता जांच एवं निगरानी कार्यक्रम और जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग की तरफ से एक पाती प्रण भरी अभियान की शुरुआत राज्य के जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के मंत्री जितेन्द्र सिंह ऩे किया उन्होंने इस अभियान के लिए बने प्रेणा पोस्टरों का उन्होंने विमोचन कर इस अभियान की सफलता की शुभकामनाये भी दी. सीसीडीयू के आईईसी कंसलटेंट अशोक सिंह ऩे बताया कि सरकार द्वारा जहा पानी की गुणवता और आम अवाम में शुद्ध पानी पहुचने के लिए आतिशी प्रयास किये जा रहे हे वही सदूर अंतिम गाव से लेकर शहर की हर गली तक पानी की शुद्धता के लिए सजग रहने के लिए हर किसी को कदम बढ़ने की जरूरत है .इसी सजगता को बढ़ाने के लिए बाड़मेर जिले में अब तक कई जन जागरण के कार्यक्रमों का आयोजन किया जा चुका है इसी क्रम में सोमवार से एक पाती प्रण भरी अभियान की शुरुआत की गई . इस अभियान में जहा हर तबके को शामिल किया जायेगा वही इस अभियान में ख़ास तोर से स्कूली बच्चों को जोड़ा जायेगा . इस अभियान के तहत देश के प्रधानमंत्री और राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नाम जल बचत करने और पानी के अपव्यय को रोकने की शपथ वाले पोस्टकार्ड प्रेषित किये जाइंगे .जिले भर से इस अभियान के तहत हजारो लोगो के शपथ और प्रण वाले पोस्टकार्ड उन्हें भेजे जाइंगे . इस अभियान के तहत जिले के उन इलाको का चयन किया जायेगा जहा पर रोजमर्रा की जिन्दगी में जिले वासियों का आना जाना अधिक हो इसे जगहों पर राजस्थान राज्य जल एवं स्वच्छता मिशन, राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल गुणवत्ता जांच एवं निगरानी कार्यक्रम व सी सी डी यू के कारिंदों द्वारा आम जनता से पानी के बचाव और उसके सही उपयोग का प्रण लिखित में एक पोस्टकार्ड पर लिख्या जायेगा . जिसे आगे प्रेषित किये जाइंगे .. सी सी डी यू के भूजल वैज्ञानिक डाक्टर शंकर लाल नामा के मुताबित पानी की एक एक बूंद की कीमत को समझना आज की सबसे बड़ी आवश्यकता हें .इस अभियान की ख़ास बात यह रहेगी कि अभियान से जुड़ने वाले हर व्यक्ति को पानी बचाने का प्रण दिलाया जाएगा . जिले में राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल गुणवता जांच एवं गिनरानी कार्यक्रम के तहत आगामी दिनो में जिला स्तर पर वाद विवाद प्रतियोगिता, चित्रकला प्रतियोगिता, नारा लेखन प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी। निजी जनसहभागिता से आयोजित होने वाले इन आयोजनो के साथ साथ नगरपालिका क्षैत्र के वार्डो में जल स्वच्छता वाल पेन्टिग और सीसीडीयू के आईईसी बैनर और पोस्टर लगाये जायेगे। राजस्थान राज्य जल एवं स्वच्छता मिशन, राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल गुणवत्ता जांच एवं निगरानी कार्यक्रम और जिला प्रशासन द्वारा इन आयोजनो को लेकर जहां विस्तृत कार्ययोजना को तैयार किया जा रहा है. सोमवार की रोज इस अभियान के आगाज के समय बाड़मेर सांसद हरीश चोधरी , बाड़मेर विधायक मेवाराम जैन , पचपदरा विधायक मदन प्रजापत , चोहटन विधायक पद्माराम मेघवाल समेत कई गणमान्य लोग मोजूद रहे .

पत्रकारों को सरकारी योजनाओ का पूरा लाभ दिलाया जायेगा ...जीतेन्द्र सिंह

थार प्रेस क्लब बाड़मेर ने किया सूचना एवम जनसंपर्क मंत्री का स्वागत

पत्रकारों को सरकारी योजनाओ का पूरा लाभ दिलाया जायेगा ...जीतेन्द्र सिंह

बाड़मेर राजस्थान सरकार में सूचना एवम जन संपर्क मंत्री जीतेन्द्र सिंह के पहली बार थार नगरी बाड़मेर पहुँचाने पर थार प्रेस क्लब बाड़मेर द्वारा शानदार स्वागत किया .गिरल डाक बंगलो में आयोजित स्वागत समारोह में थार प्रेस क्लब के अध्यक्ष धरम सिंह भाटी के नेतृत्व में समस्त पत्रकारों ने जीतेन्द्र सिंह की अगवानी की .थार प्रेस क्लब बाड़मेर द्वारा आयोजित समारोह में अध्यक्ष धरम सिंह भाटी ने जीतेन्द्र सिंह को साफा पहना कर स्वागत किया वंही वरिष्ठ पत्रकार चन्दन सिंह भाटी ,कन्हयालाल डलोरा दिनेश बोहरा ,मुकेश मथरानी ,दुर्ग सिंह राजपुरोहित ,प्रेमदान देथा ,भूपेश आचार्य ,ओम माली ,दिलीप दवे ,सवाई माली .सहित कई पत्रकारों ने माला पहना कर स्वागत किया ,.इस अवसर पर मंत्री जीतेन्द्र सिंह ने कहा की सरहदी इलाको में रहकर पत्रकारिता करना महत्वपूर्ण हें ,जोखिमभरे इस काम के माध्यम से समाज को नै दिशा देने वाले पत्रकारों के लिए राज्य सरकार ने कई योजनाए चला राखी हें ,उन्होंने कहा की बाड़मेर के पत्रकारों के लिए आवासीय योजना के तहत कोलोनी का नहीं कटना दुर्भाग्य पूर्ण हें .उन्होंने कहा की बाड़मेर के पत्रकारों के लिए आवासीय योजना पर प्राथमिकता से काम होगा .उन्होंने विश्वाश दिलाया की राज्य सरकार द्वारा संचालित योजनाओ का पूरा लाभ दिया जाएगा ,उन्होंने कहा की अधीस्वीकरण के लिए नियमो में भी सरलीकरण किया जाएगा जिसका फायदा यंहा के पत्रकारों को मिले .उन्होंने पत्रकारिता क्षेत्र में फेल्लोशिप योजना बाड़मेर के लिए लागू करने का प्रयास किया .उन्होंने पत्रकारों की मांग पर सूचना एवम जन समपर्क अधिकारी के पद पर शीघ्र नई नियुक्ति की जायेगी ,उन्होंने पत्रकारों को विश्वाश दिलाया की सूचना एवम जन संपर्क कर्यलास्य को आवंटित भूमि किसी और को नहीं लेने दी जायेगी इस सम्बन्ध में जिला कलेक्टर से बात करेंगे इस अवसर पर क्षेत्रीय सांसद हरीश चौधरी ,क्षेत्रीय विधायक मेवाराम जैन भी उपस्थित थे .

राजस्थानी को मान्यता के लिए हरसंभव प्रयास किये जा रहे हें ...जीतेन्द्र सिंह

राजस्थानी भाषा को मान्यता की मांग की उर्जा मंत्री से

राजस्थानी को मान्यता के लिए हरसंभव प्रयास किये जा रहे हें ...जीतेन्द्र सिंह

बाड़मेर अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति बाड़मेर के तत्वाधान में राजस्थानी मोटियार परिषद् और राजस्थानी छात्र परिषद् ने राजस्थानी भाषा को मान्यता देने और आर टेट में राजस्थानी भाषा को सम्मिलित करने की मांग को लेकर राजस्थान सरकार में ऊर्जा और सूचना एवम जन संपर्क मंत्री जीतेन्द्र सिंह को संभाग उप पाटवी चन्दन सिंह भाटी के नेतृत्व में जिला पाटवी रिदमल सिंह दांता ,मोतियर परिषद् के पाटवी रघुवीर सिंह तामलोर ,नगर अध्यक्ष रमेश सिंह इन्दा ,राजस्थानी छात्र परिषद् के अध्यक्ष अशोक सारला सहित कई कार्यकर्ताओ ने ज्ञापन सौंपा ,ऊर्जा मंत्री जीतेन्द्र सिंह ने क्ष की राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने के हर संभव प्रयास राज्य सरकार द्वारा किये जा रहे हें ,केंद्र सरकार द्वारा इसके लिए एक कम्मेती का भी गठन कर लिया गया हें ,उन्होंने कहा की राजस्थानी हमारी मायद भाषा हें इसके मान सम्मान को बरकरार रखने के लिए इसे संवेधानिक मस्न्यता जरूरी हें ,उन्होंने कहा की आर टेट में राजस्थानी भाषा को शामिल करने के लिए राजस्थान सरकार से बात करेंगे .इस अवसर पर क्षेत्रीय सांसद हरीश चौधरी ,विधायक मेवाराम जैन सहित कई वरिष्ठ जनप्रतिनिधि उपास्थित थे ..

हादसों में 84 मौतें, जिंदा जले तमिलनाडु एक्‍सप्रेक्‍स के 35 मुसाफिर!

LIVE PHOTOS: हादसों में 84 मौतें, जिंदा जले तमिलनाडु एक्‍सप्रेक्‍स के 35 मुसाफिर! 

चेन्‍नई. दिल्ली से चेन्‍नई जा रही तमिलनाडु एक्सप्रेस की एस-11 बोगी में आग लगने से 47 लोगों के जिंदा जल जाने की खबर है। हालांकि, रेलवे ने 15 लोगों के मरने की ही पुष्टि की है। ज्‍यादातर यात्रियों के शव पहचानने लायक भी नहीं रह गए हैं।
उधर, अमृतसर (पंजाब) और भिवानी (हरियाणा) में दो सड़क हादसों में 37 जानें चली गई हैं। अमृतसर में स्‍कूल वैन हादसे का शिकार हो गई, जिसमें पांच बच्‍चों की मौत हो गई। भिवानी में ट्रक की टैंकर से हुई टक्‍कर में 32 जानें चली गईं।

आंध्र प्रदेश के नेल्लोर रेलवे स्टेशन के पास एस-11 बोगी में सुबह करीब 5 बजे आग लगीकहा जा रहा है कि आग शॉर्ट सर्किट की वजह से लगी।
घायलों को नेल्लोर के अस्पतालों में भर्ती करवाया गया है। फिलहाल, हादसे की शिकार बोगी को अलग कर ट्रेन को रवाना कर दिया गया है। रेलवे ने घटना के बारे में कोई विस्‍तृत जानकारी नहीं दी है। हालांकि परिजनों के लिए हेल्‍पलाइन नंबर जरूर चालू किए गए हैं।

भिवानी में सड़क हादसा, 27 श्रद्धालुओं की मौत

truck collide with container, 27 dead 

भिवानी। हरियाणा के भिवानी में सोमवार सुबह हुए सड़क हादसे में 27 श्रद्धालुओं की मौत हो गई, जबकि 18 अन्य घायल हो गए। हिसार-राजगढ़ रोड पर सुबह राजस्थान के अमरपुरा धाम से श्रद्धालुओं से भरा कैंटर एक ट्रक से टकरा गया। हादसे में 23 लोगों की मौत मौके पर ही हो गई, जबकि चार लोगों की मौत अस्पताल में हुई। इनमें के कई यात्रियों की हालत गंभीर है, जिन्हें हिसार के सरकारी अस्पताल में भर्ती किया गया है। बताया जा रहा है कि कैंटर में 40 लोग सवार थे। सभी श्रद्धालु हरियाणा के कैथल जिले के बताए गए हैं।

जानकारी के मुताबिक राजस्थान के अमरपुरा धाम से लौट रहे श्रद्धालुओं से भरा कैंटर को सिवानी के पास सेनिवास गाव के नजदीक ट्रक ने जोरदार टक्कर मारी। कैंटर में तकरीबन 40 लोग सवार थे। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि कैंटर के परखच्चे उड़ गए।

रविवार, 29 जुलाई 2012

'निर्वस्त्र कर पीटी गई महिला को उसके प्रेमी के साथ बसाया जाए'



उदयपुर.सराड़ा थाना क्षेत्र के कोलर गांव में पिछले दिनों विवाहिता को निर्वस्त्र कर प्रताड़ित करने के मामले में शुक्रवार को संभागीय आयुक्त ने महिला उत्पीड़न पर कार्य करने वाली स्वयं सेवी संस्थाओं की बैठक ली। इसमें पीड़िता को मानसिक रोग विशेषज्ञ से परामर्श दिलाने व प्रेमी युवक के साथ व्यवस्थित करने की मांग रखी गई।

 

संभागीय आयुक्त कार्यालय के सभागार में शुक्रवार को महिला उत्पीड़न की रोकथाम पर चर्चा के लिए बैठक रखी गई थी, लेकिन पूरी बैठक में कोलर गांव की घटना चर्चा में रही। इसमें महिला को निर्वस्त्र करने की घटना को सभी कार्यकर्ताओं ने शर्मनाक बताया। सभी ने पीड़िता के पक्ष में उसकी मानसिक स्थिति को लेकर चर्चा की और मानसिक रोग विशेषज्ञ से परामर्श दिलाने की मांग की।



इसके अलावा इस पूरी घटना में सामूहिक रूप से हुए घटनाक्रम के बावजूद 120-बी धारा नहीं जोड़ने पर भी विरोध जताया गया। बैठक में नाता प्रथा को लेकर भी चर्चा की गई, जिसमें इस प्रथा को एक ओर सामाजिक दृष्टि से अच्छा भी बताया गया। यह प्रथा परित्यक्तता व एकल जीवन निर्वाह करने वाली महिला को पुन: विस्थापित करने के लिहाज से महत्वपूर्ण बताई गई।



स्वयं सेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने कानून व नाता प्रथा को लेकर सामाजिक व जातिगत फैसलों में अंतर को आयुक्त के सामने रखा गया। इस पर आयुक्त ने राज्यपाल के अधिकार में स्थानीय कानून को लागू करने का अधिकार होने की जानकारी दी और इसका प्रस्ताव बनाकर राज्यपाल को भेजने पर भी चर्चा की।

बैठक में महिला अध्ययन केंद्र की विशेषज्ञ प्रो. विजय लक्ष्मी चौहान, पीयूसीएल की सदस्य प्रज्ञा जोशी, एआईपीडब्ल्यूए की राज्य सचिव डॉ.सुधा चौधरी, आसरा संस्थान से भोजराज सिंह, कार्यक्रम निदेशक ऊषा चौधरी, मनोवैज्ञानिक डॉ. ममता धूपिया, आईसी डीएस की उपनिदेशक श्वेता फगेड़िया, महिला थानाधिकारी निशा भटनागर, आदिवासी विकास मंच से मेघराज तावड़, आस्था संस्थान से वर्षा झंवर आदि मौजूद थे।

इंडिया गेट से जंतर मंतर तक कैंडल मार्च, अन्ना समर्थकों ने ली कसम

नई दिल्ली. अन्ना हजारे ने एक बार फिर हुंकार भरी है। वे मजबूत लोकपाल की मांग लेकर दिल्ली के जंतर मंतर पर अनशन पर बैठे हुए हैं। उन्होंने कहा है कि पहले लोकपाल पास होगा, तभी सरकार से बात होगी। अन्ना हजारे ने जंतर मंतर पर लोगों को संबोधित करते हुए कहा, 'आज किसके सामने यह लक्ष्य है कि इस देश का भविष्य बदलना है। सत्ता से पैसा, पैसे से सत्ता के चक्कर में सभी पार्टियां लगी हुई हैं। सत्ता दिल्ली-मुंबई में है, जनता के हाथों में नहीं। सत्ता का विकेंद्रीकरण करना होगा। ग्राम सभा को सबसे ज़्यादा ताकत देनी होगी। सिर्फ लोकपाल नहीं, समग्र परिवर्तन लाना है। लोकपाल तो लाना ही है। लोकपाल आ गया तो भ्रष्टाचार में 60-65 फीसदी की कमी आएगी।'
इंडिया गेट से जंतर मंतर तक कैंडल मार्च, अन्ना समर्थकों ने ली कसम
अन्ना हजारे के समर्थक बड़ी तादाद में इंडिया गेट पर रविवार शाम को जुट गए। उन्होंने वंदे मातरम के नारे लगाते हुए लोकपाल की मांग की।
प्रशांत भूषण के नेतृत्व में अन्ना समर्थक इंडिया गेट पहुंचे। इंडिया गेट पर अन्ना समर्थकों ने सांकेतिक रूप में भ्रष्टाचार में शामिल न होने की प्रतिज्ञा भी ली। इंडिया गेट पर थोड़ी देर रुकने के बाद अन्ना समर्थकों ने जंतर मंतर तक कैंडल मार्च किया। दूसरी तरफ, सरकार भी अन्ना के अनशन से परेशान होने लगी है। अन्ना के अनशन पर प्रतिक्रिया देते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा है, 'जब टीम अन्ना अनशन नहीं कर पा रही है तो अन्ना को तो उतरना ही पड़ेगा।'

अन्नाद्रमुक, बीजद मुझे समर्थन दे सकती हैं: जसवंत सिंह

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उपराष्ट्रपति पद के राजग के प्रत्यासी जसवंत सिंह ने विश्वास व्यक्त किया कि अन्नाद्रमुक सुप्रीमो जे जयललिता और बीजद प्रमुख नवीन पटनायक उनकी उम्मीदवारी का समर्थन करेंगे।सिंह ने एक निजी टेलीविजल चैनल को साक्षात्कार में कहा कि मुझे ऐसा विश्वास है। मुझे इसके बारे में आश्वस्त किया गया है़।

उनसे पूछा गया था क्या उन्हें उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में अन्नाद्रमुक और बीजद के समर्थन की उम्मीद है। इस मुद्दे पर चुप्पी साधने के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा कि मुझे चुप रहने में कोई परेशानी नहीं है।

वरिष्ट राजस्थानी साहित्यकार ओम पुरोहित कागद आज बाड़मेर में


वरिष्ट राजस्थानी साहित्यकार ओम पुरोहित कागद  आज बाड़मेर में 

बाड़मेर राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने के जिले राष्ट्रव्यापी आन्दोलन के प्रेरणा स्त्रोत एवं वरिष्ट साहित्यकार ओम पुरोहित कागा दो दिवसीय यात्रा पर सोमवार को बाड़मेर आयेगें।अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति के जोधपुर संभाग उप पाटवी चन्दसिंह भाटी ने बताया कि राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने की मांग को लेकर चलाएं जा रहे आन्दोलन के अग्रणी प्रेरणा स्त्रोत वरिष्ट राजस्थानी साहित्यकार ओम पुरोहित कागा सोमवार को बाड़मेर आयेगें तथा बाड़मेर में राजस्थानी भाषा को मान्यता व आरटेट में राजस्थानी भाषा को शामिल कराने के लिये चलाएं जा रहे अभियान की समीक्षा करेगें मंगलवार को ओम पुरोहित कागा की अध्यक्षता में अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति,राजस्थानी मोटियार परिषद,राजस्थानी महिला परिषद,राजस्थानी चिंतन परिषद तथा राजस्थानी छात्र परिषद की सयुक्त बैठक का आयोजन रखा गया है जिसमें राजस्थानी अभियान की समीक्षा तथा आगामी कार्यक्रमों पर चर्चा की जाएगीं। बैंठक में संगठन के समस्त पदाधिकारी व कार्यकर्ता सम्मिलित होंगें।

मोटियार परिषद के सहसंयोजक पद पर तेजाराम हुडा को मनोनीत


अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति बाड़मेर 

मोटियार परिषद के सहसंयोजक पद पर  तेजाराम हुडा को मनोनीत 

अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति बाड़मेर के जिला पाटवी रिड़मलसिंह दांता ने राजस्थानी भाषा मोटियार परिषद के सहसंयोजक पद पद तेजाराम हुडा को मनोनीत किया है दांता ने बताया कि राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता दिलाने तथा आर टेट में राजस्थानी भाषा को शामिल करने की मांग को चलाएं जा रहे अभियान को गति देने के उदेश्य से छात्र तथा युवाओं को जिम्मेदारिया सौपनें के क्रम में खुडासा निवासी तेजाराम हुडा को संहसंयोजक मनोनीत किया है। 

बाड़मेर नाकोडा मंदिर का दान पात्र चोरी

नाकोडा मंदिर का दान पात्र  चोरी

बाड़मेर जिले के बालोतरा थाना अंतर्गत जैन तीर्थ नाकोडा मंदिर से अज्ञात चोरो ने शनिवार रात को दान पत्र पर हाथ साफ़ कर लिया .पुलिस अधीक्षक राहुल बारहट ने बताया कि करमसिंह पुत्र कासीराम सिंख हाल सुरक्षा अधिकारी नाकोड़ा मंदिर ने मुलजिम अज्ञात के विरूद्व मुकदमा दर्ज करवाया कि अज्ञात मुलजिम द्वारा नाकौड़ा मंदिर से दान पात्र चुराना वगेरा पर मुलजिम के विरूद्व पुलिस थाना बालोतरा पर मुकदमा दर्ज किया जाकर अग्रीम अनुसंधान किया जा रहा है।

बाड़मेर दहेज़ की खातिर ज़िंदा जलाया वहसियो ने बहु को

दहेज़ की खातिर ज़िंदा जलाया वहसियो ने बहु को
बाड़मेर बाड़मेर जिले के सदर थाना क्षेत्र के चादी गाँव निवासी एक विवाहित्या को दहेज़ के लिएर प्रताड़ित कर केरोसिन दाल कर जलने का मामला दर्ज किया गया हें .पुलिस अधीक्षक राहुल बारहट ने बताया कि बीरबलराम पुत्र भारमलराम विश्नोई नि. जम्भेश्वर पुरा(बीछावाड़ी) ने मुलजिम सुजानाराम पुत्र गोरधनराम, राजूराम पुत्र गोरधनराम, वरजूदेवी पत्नि गोरधनराम विश्नोई निवासीयान चाड़ी हाल विष्णु कॉलोनी बाड़मेर के विरूद्व मुकदमा दर्ज करवाया कि मुलजिमान द्वारा मुस्तगीस की बहिन परमेश्वरी को दहेज के लिए प्रताड़ित कर केरोसीन डालकर जलाना जिससे दौराने ईलाज मृत्यु होना वगेरा पर मुलजिमान के विरूद्व पुलिस थाना सदर पर मुकदमा दर्ज किया जाकर अग्रीम अनुसंधान किया जा रहा है।

किराएदार और उसके दोस्तों ने किया रेप, की मकान मालिक की बेटी की ह्त्या!



जोधपुर.बासनी स्थित डीडीपी नगर में एक युवती की मौत के मामले में शनिवार को किराएदार छात्र व उसके दोस्तों के खिलाफ ज्यादती व हत्या का मामला दर्ज कराया गया है। इधर आरोपियों की तलाश में पुलिस ने कई स्थानों पर छापे मारे, लेकिन कोई हाथ नहीं लगा।
 


पुलिस ने बताया कि डीडीपी नगर निवासी पुखराज की बेटी गायत्री (22) का शव किराएदार भणियाणा (जैसलमेर) निवासी मोतीराम जाट के कमरे में मिला था। मोतीराम यहां एक इंजीनियरिंग कॉलेज का छात्र है। बासनी थाने में मृतका के भाई अशोक ने दर्ज कराई रिपोर्ट में बताया कि शुक्रवार दोपहर उसकी बहन कपड़े सुखाने गई थीं।



दोपहर दो बजे उसे ढूंढ़ा तो वह नहीं मिली। बाद में पता चला कि वह किराएदार मोतीराम के कमरे में फंदे पर उसका शव लटकता मिला। उसके दोनों हाथों की कलाइयां कटी हुई थीं। मोतीराम व उसके दोस्तों ने ज्यादती के बाद हत्या कर दी। इसे आत्महत्या का रूप देने के लिए शव फंदे पर लटका दिया। कमरे में काफी खून बिखरा हुआ था। वारदात के बाद आरोपी वहां से भाग गए। इधर पुलिस ने शनिवार को मेडिकल बोर्ड से शव का पोस्टमार्टम कराया। इसके बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया।



सुसाइड नोट की पड़ताल :



कमरे में मिले सुसाइड नोट की पुलिस पड़ताल कर रही है। परिजनों का कहना है कि आरोपियों ने आत्महत्या का रूप देने के लिए यह सुसाइड नोट तैयार कर वहां रख दिया। पुलिस सुसाइड नोट की लिखावट की भी जांच कर रही है।

खुल गया रहस्यमयी लड़की का राज!

खुल गया रहस्यमयी लड़की का राज!
लंदन। ओलंपिक के उदघाटन समारोह में भारतीय दल के ध्वजवाहक सुशील कुमार के साथ चल रही एक अज्ञात लड़की का रहस्य खुल गया है। एक वैबसाइट ने दावा किया है कि उस लड़की का नाम मदुरा है तथा वह बेंगलूरू में पोस्टग्रेजूएट तक पढ़ी है। उसका परिवार लंदन में ही रहता है तथा वह पढ़ाई पूरी कर लंदन में ही रह रही है। लड़की का फेसबुक पर भी अकाउंट था जिस पर उसने ओलंपिक पास अपलोड किया था। भारतीय दल के साथ उसके शामिल होने की खबर उजागर होते ही उसने अपना फेसबुक अकाउंट बंद कर दिया है।

मालूम हो कि ओलंपिक के मार्चपास्ट में भारतीय दल के साथ लाल कमीज और नीली पतलून पहने एक लड़की भी नजर आई, जो बीजिंग ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता सुशील कुमार के साथ चल रही थी। उसकी अवांछित मौजूदगी भारतीयाें को रास नहीं आई, क्योंकि किसी को पता नहीं था कि वह कौन है।

भारतीय दल के कार्यवाहक मिशन प्रमुख ब्रिगेडियर पीके मुरलीधरन राजा इससे काफी नाखुश दिखे कि भारतीय दल का हिस्सा नहीं होने के बावजूद वह महिला टीम के साथ कैसे चल रही थी। राजा ने कहा कि भारतीय दल के साथ उसके चलने का कोई मतलब नहीं था। हम आयोजकों के सामने यह मसला रखेंगे। हमें नहीं पता कि वह कौन थी और उसे किसने अनुमति दी। यह शर्मनाक है कि वह खिलाडियों के साथ मार्चपास्ट में चल रही थी। हमें शुरू में बताया गया था कि वह टै्रक तक हमारे साथ चलेगी, लेकिन वह पूरे चक्कर में साथ रही।

एक व्यक्ति और था, लेकिन वह बीच में रूक गया। राजा ने कहा कि हमें इस पर सख्त ऎतराज है। मार्चपास्ट खिलाडियों और अधिकारियों के लिए था। हम हैरान हंै कि कोई और ट्रैक पर कैसे घुस गया। उस महिला की मौजूदगी ने कल रात भारतीय मीडिया को भी हैरान कर दिया, जिसने टीम प्रबंधन से स्पष्टीकरण मांगा था। राजा ने कहा कि भारतीय दल को टीवी कवरेज में बमुश्किल 10 सैकंड दिखाया गया, जबकि पूरा फोकस उस महिला पर था। भारत के 81 खिलाड़ी ओलंपिक में भाग ले रहे हैं, लेकिन उद्घाटन समारोह में 40 खिलाड़ी और 11 अधिकारी ही मौजूद थे।

टीचर ने की छेड़छाड़,छात्रा हुई बीमार

टीचर ने की छेड़छाड़,छात्रा हुई बीमार
बीकानेर। बीकानेर के नयाशहर थाना क्षेत्र में एक स्कूली छात्रा से एक अध्यापक द्वारा छेड़छाड़ का मामला प्रकाश में आया है।

पुलिस से प्राप्त जानकारी के अनुसार सुमेरसिंह ने शनिवार रात दर्ज कराई प्राथमिकी में बताया कि उसकी 13 वर्षीय पुत्री क्षेत्र के बंगलानगर में स्थित साईनाथ स्कूल में पढ़ती है। करीब 20 दिन पूर्व गणित पढ़ाने वाले अध्यापक ने छुट्टी के बाद उसकी पुत्री का हाथ पकड़ लिया और छेड़छाड़ की।

इससे उसकी पुत्री सदमे से बीमार पड़ गई। जिससे उसे अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। बाद में पूछताछ करने पर उसकी बेटी ने उक्त अध्यापक की करतूत बताई। वह उसका नाम नहीं जानती। पुलिस ने आरोपी अध्यापक के खिलाफ मामला दर्ज करके जांच शुरू कर दी है।

आइये जाने एवं समझे विभिन्न रोग और उपायों को-------

आइये जाने एवं समझे विभिन्न रोग और उपायों को-------

गुप्त रोग एवं ज्योतिष ----वागा राम परिहार
पंडित दयानन्द शास्त्री

शुभ कर्मों के कारण ही मानव जीवन मिलता है। जीव योनियों में मानव जीवन ही सर्वश्रेष्ठ है। लेकिन क्या मानव जीवन को प्राप्त करना ही पर्याप्त है या जीवन में पूर्ण स्वास्थ्य प्राप्त कर अंतिम अवस्था को प्राप्त करना? निःसंदेह पहला सुख निरोगी काया ही है। यदि स्वास्थ्य अच्छा नहीं हो तो मानव जीवन पिंजरे मंे बंद पक्षी की तरह ही कहा जाएगा। गुप्त रोग अर्थात् ऐसे रोग जो दिखते नहीं हांे लेकिन वर्तमान में इसका तात्पर्य यौन रोगों से लिया जाता है। यदि समय रहते इनका चिकित्सकीय एवं ज्योतिषीय उपचार दोनों कर लिए जाएं तो इन्हें घातक होने से रोका जा सकता है।
ज्योतिष के अनुसार किसी रोग विशेष की उत्पत्ति जातक के जन्म समय में किसी राशि एवं नक्षत्र विशेष में पाप ग्रहों की उपस्थिति, उन पर पाप प्रभाव, पाप ग्रहों के नक्षत्र में उपस्थिति एवं पाप ग्रह अधिष्ठित राशि के स्वामी द्वारा युति या दृष्टि रोग की संभावना को बताती है।
इन रोग कारक ग्रहों की दशा एवं दशाकाल में प्रतिकूल गोचर रहने पर रोग की उत्पत्ति होती है। ग्रह, नक्षत्र, राशि एवं भाव मानव शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
वृश्चिक राशि व शुक्र को यौन अंगों का, पंचम भाव को गर्भाशय, आंत व शुक्राणु का षष्ठ भाव को गर्भ मूत्र की बीमारियांे, गुर्दे, आंत रोग, गठिया और मूत्रकृच्छ का सप्तम भाव को शुक्राशय, अंडाशय, गर्भाशय, वस्ति, मूत्र व मूत्राशय, प्रोस्टेट ग्रंथि, मूत्रद्वार, शुक्र एवं अष्टम भाव को गुदा, लिंग, योनि और मासिक चक्र का तथा नक्षत्रों में पूर्वाफाल्गुनी को गुप्तांग एवं कब्जियत, उत्तरा फाल्गुनी को गुदा लिंग व गर्भाशय और हस्त को प्रमेह कारक माना गया है।
राशियों में कन्या राशि संक्रामक गुप्त रोगों वसामेह व शोथ विकार और तुला राशि दाम्पत्य कालीन रोगों की कारक कही गई है। ग्रहों में मंगल को गर्भपात, ऋतुस्राव व मूत्रकृच्छ, बृहस्पति को वसा की अधिकता से उत्पन्न रोग व पेट रोग और शुक्र को प्रमेह, वीर्य की कमी, प्रजनन तंत्र के रोग, मूत्र रोग गुप्तांग शोथ, शीघ्र पतन व धातु रोग का कारक माना गया है।
इन कारकों पर अशुभ प्रभाव का आना या कारक ग्रहों का रोग स्थान या षष्ठेश से संबंधित होना या नीच नवांश अथवा नीच राशि में उपस्थित होना यौन रोगों का कारण बनता है।
इसके अतिरिक्त निम्नलिखित ज्योतिषीय ग्रह योगों के कारण भी यौन रोग हो सकते हैं।
शनि, मंगल व चंद्र यदि अष्टम, षष्ठ द्वितीय या द्वादश में हों तो काम संबंधी रोग होता है। इनका किसी भी प्रकार से संबंध स्थापित करना भी यौन रोगों को जन्म देता है।
कर्क या वृश्चिक नवांश में यदि चंद्र किसी पाप ग्रह से युत हो तो गुप्त रोग होता है।
यदि अष्टम भाव में कई पाप ग्रह हांे या बृहस्पति द्वादश स्थान में हो या षष्ठेश व बुध यदि मंगल के साथ हांे तो जननेंद्रिय रोग होता है।
शनि, सूर्य व शुक्र यदि पंचम स्थान में हो, या दशम स्थान में स्थित मंगल से शनि का युति, दृष्टि संबंध हो या लगन में सूर्य व सप्तम में मंगल हो तो प्रमेह, मधुमेह या वसामेह होता है। चतुर्थ में चंद्र व शनि हों या विषम राशि लग्न में शुक्र हो या शुक्र सप्तम में लग्नेश से दृष्ट हो या शुक्र की राशि में चंद्र स्थित हो तो जातक अल्प वीर्य वाला होता है।
शनि व शुक्र दशम या अष्टम में शुभ दृष्टि से रहित हों, षष्ठ या द्वादश भाव में जल राशिगत शनि पर शुभ ग्रहों का प्रभाव न हो या विषम राशिगत लग्न को समराशिगत मंगल देखे या शुक्र, चंद्र व लग्न पुरुष राशि नवांश में हों या शनि व शुक्र दशम स्थान में हों या शनि शुक्र से षष्ठ या अष्टम स्थान में हो तो जातक नपुंसक होता है।
चंद्र सम राशि या बुध विषम राशि में मंगल से दृष्ट हो या षष्ठ या द्वादश भाव में नीचगत शनि हो या शनि व शुक्र पर किसी शुभ ग्रह की दृष्टि न हो तो जातक नपुंसक होता है।
राहु, शुक्र व शनि में से कोई एक या सब उच्च राशि में हों, कर्क में सूर्य तथा मेष में चंद्र हो तो वीर्यस्राव या धातु रोग होता है। लग्न में चंद्र व पंचम स्थान में बृहस्पति व शनि हों तो धातु रोग होता है।
कन्या लग्न में शुक्र मकर या कुंभ राशि में स्थित हो व लग्न को बुध और शनि देखते हांे तो धातु रोग होता है।
यदि अष्टम स्थान में मंगल व शुक्र हांे तो वायु प्रकोप व शुक्र मंगल की राशि में मंगल से युत हो तो भूमि संसर्ग से अंडवृद्धि होती है।
लग्नेश छठे भाव में हो तो षष्ठेश जिस भाव में होगा उस भाव से संबंधित अंग रोगग्रस्त होता है।
यदि यह संबंध शुक्र/पंचम/सप्तम/अष्टम से हो जाए तो निश्चित रूप से यौन रोग होगा।
यदि जन्मांग में शुक्र किसी वक्री ग्रह की राशि में हो या लग्न में लग्नेश व सप्तम में शुक्र हो तो यौन सुख अपूर्ण रहता है।
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अर्श रोग ( बवासीर ) का ज्योतिष से संबंध और उपचार

मनुष्य की कुण्डली मे १२ भाव होते हैं जिसमें प्रथम, षष्ठ, और अष्टम भाव बहुत ही महत्वपूर्ण है । प्रथम भाव से स्वास्थ्य, शरीर का वर्ण आदि और छठे भाव से रोग का मालूम होना आदि और आठवें भाव मे मृत्यु आयु का पता लगाते हैं । छठे भाव को रोग का भाव भी कहा है । यहाँ पर कुण्डली के अनुसार केवल बवासीर का उदारहण दिया जा रहा है ।
कुण्डली मे कौन कौन से ग्रह अर्श रोग को उत्पन्न करते हैं यह बताया जा रहा है --

"मन्देन्त्ये पाप दृष्टेर्शस:"-- बारहवें भाव मे शनि पाप ग्रह से दृष्ट हो तो अर्श रोग होवे ।
मन्दे लग्ने कुस्ते॓Sर्श:स: -- शनि लग्न मे और मंगल सातवें भाव मे हो तो अर्श रोगी होवे ।
द्यूनेरंध्रेशे क्रूरे शुक्रादृष्ते: अर्श: स: -- अष्टमेश क्रूर ग्रह होकर सातवें भाव मे गया हो और शुक्र ग्रह से दृष्ट न हो तो अर्श रोगी होवे ।
मंदेस्तेलौ भौमेंक: अर्शर्स: -- शनि सप्तम भाव मे और वृशिचक राशी का मंगल नवे भाव मे गया हो तो अर्श रोगी होवे ।
मंदेन्त्ये ड्नूनगौ लग्नपोरौ अर्शर्स: -- शनि बारहवें भाव और लग्नेश व मंगल ये दोनों सप्तम भाव मे गये हो तो अर्श रोग होवे ।
व्ययेर्कजे भौमांगेश्दृश्टे: अर्श: स: -- १२ वे भाव मे गया हुआ शनि, मंगल से और लग्नेश से दृष्ट हो तो अर्श रोग होगा ।यदि शनि देव जन्म से कुण्डली मे लग्न मे होवे और सातवें भाव मे मंगल देव विराजमान है तो अर्श का रोग होगा । ज्योतिष मे यह स्पष्ट लिखा है ।
यदि शनिदेव सप्तम भाव मे है और नवें भाव मे वृशिचक राशि मे उसी मे मंगल देव विराजमान है तो अर्श का रोग होगा ।
ज्योतिष मे ऎसा स्पष्ट निर्देश है । ज्योतिष आयुर्वेद की पैथोलोजी की तरह है जैसे आधुनिक डाक्टर विभिन्न लैब टैस्ट करवाते है और रोग का निदान करते है ,उसी तरह आयुर्वेद वैद्य ज्योतिष का साहरा लेकर रोग का निदान करते हैं ।


ज्योतिष के अनुसार अर्श रोग की चिकित्सा --
अष्ट धातु की बनी हुई अंगुठी को बनवाकर जिस हाथ से शौच धोवें उसी हाथ की अंगुली मे पहन लेवें और शौच को धोते समय वह अंगूठी गुदा के छूते रहना चाहिये ।
लाल अपामार्ग के बीज को तवे पर धीमी आंच से जला लेवें और उस जली हुई भस्म को ठण्डी करके उसमें गाय का शुद्ध घृत मिला लेवें तथा काजल बना ले ।इस काजल को प्रात: काल शौच आदि से निवृत होकर आंखों मे आंजे और रात्रि काल मे भी आंजे । एसा करने से अर्श रोग से छुटकारा मिल जाएगा ।
साथ मे शनिदेव और मंगल देव का जाप भी करें ।
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हृदय रोग और ज्योतिष-




"ह्रदय "के बिना जीवन सम्भव नही है "ह्रदय "हमारे शरीर में रक्त का संचार वाहक ही नही अपितु "प्राण "का केन्द्र बिन्दु है २४ घंटे में १०००००लाख बार धड़कने वाला ये दिल क्या कभी थकता है ?हमारा ह्रदय १ मिनिट में ५ लीटर रक्त पम्प करता है मोटोनरी नामक मुख्य धमनिया १८ उपशाखाओ के साथ पुरे शरीर में रक्त की गति विधि को नियंत्रित करती है इन्ही किसी धमनियों में रक्त प्रवाह में रूकावट आने पर इन्जाइना एवं हार्टअटैक होता है एंजियोग्राफी अर्थात धमनी नलियो की तस्वीर ली जाती है ह्रदय को रक्त पहुचने वाली कोरोनरी नली का तस्वीर लिया जाता है एंजाइना से सीने का दर्द होता है ह्रदय रोग का भान होने पर तत्काल चिकित्सा परम आवश्यक है परिक्षण के उपरांत टीएम् टी करना चाहिए वर्तमान में चिकित्सा प्रणाली में काफी सुधार हुआ है "हार्ट ट्रांसप्लांट ,एंजियोप्लास्टिक ,इसमे नली बदलने के स्थान पर बैलून क्रिया द्वारा रक्त के जमाव को साफ़ कर नली में स्प्रिंग लगा दिया जाता है इसी को एंजियोप्लास्टिक कहते है
आयुर्वेद में ह्रदय रोग को तीन प्रकार में विभक्त किया गया है
१.शैलेश्मिक ह्रदय रोग २.वातिक ह्रदय रोग ३.पैत्तिका ह्रदय रोग इनमे त्रिदोशो को कारक माना गया है
ज्योतिष शास्त्र में इस का विश्लेषण शीघ्र और मंद गति से उत्पन्न होने वाले ह्रदय रोगों से किया जाता है जन्मांग चक्र में चतुर्थ स्थान ह्रदय का है इसका कारक ग्रह चंद्रमा है सूर्य से ह्रदय रोगों के कारणों का पता चलता है सिंह राशिः इसकी प्रतिनिधि राशि हैप्राचीन विधाओ में कहा गया है "स्वाजातिजाया गमने जायते हृदयावार्निया "अर्थात अपनी गोत्र एवं जाती की स्त्री से गमन करने से यह रोग होता है इसलिए व्यसन एवं स्त्रीगमन से बचाव आवश्यक है
सबसे बड़ी बात तो यह है की इंसान जितना अधिक तनावग्रस्त रहेगा रोग उतनी जल्दी उस पर संक्रमित होगे हमारे ह्रदय का सम्बन्ध "अनाहत "चक्र से है जिसका स्वामी ग्रह "शुक्र "है शुक्र चंचलता ,उग्रता ,समग्रता का प्रतिनिधि है साथ ही यह करुना दया ,प्रेम ,राग -अनुराग ,द्वेष का भी कारक है इसी ग्रह की शुभ -अशुभ स्थिति हमारे जन्मांग चक्र में होने से फलीभूत होती है लेकिन इस ग्रह के गुणावगुण को धारण करने से पहले हम अपने विवेक का प्रयोग करे तो इस तरह के रोग से बचा जा सकता है वर्तमान समय में भागती दौडती जिन्दगी में सहज रहना सम्भव नही है पर जान है तो जहान है अपने जीवन में जितनी शान्ति रहेगी उतना ही हम रोग मुक्त होगे मेरे कहने का मतलब ये नही की अपना काम छोड़ कर पूजापाठ में लग जाए बल्कि भौतिकता के साथ कुछ अध्यात्मिक पुट का होना जीवन के संतुलन के लिए आवश्यक है
ज्योतिष दृष्टिकोण से सूर्य ,चन्द्रमा ,मंगल ,चतुर्थ भावः .चतुर्थ स्थान का स्वामी ,षष्ठं भावः ,षष्ठेश भी इस रोग से सम्बन्ध रखते है सूर्य +मंगल की युति ,केतु और मंगल का एक ही भावः में होना ,आदि ह्रदय रोग के कारण है
उपाय :-सर्वप्रथम उचित चिकित्सा ,ज्योतिष परामर्श में ध्यान और शान्ति के साथ दैनिकचर्या का निर्धारण करना उचित आहार विहार ,अत्यधिक वजन से बचाव ,गरिष्ठ एवं नशीली वस्तुओ के सेवन में प्रतिबन्ध होना चाहिए हरी एवं अंकुरित सब्जियों का सेवन करे प्रतिदिन योग को प्राथमिकता देवे
सूर्य ह्रदय कारक है अतः इस ग्रह का उन्नत होना आवश्यक है अतः सूर्य के नियमित जाप से भी इस रोग से मुक्ति मिलती है कारण सूर्य बीज मंत्र के जाप से अनाहत चक्र में उर्जा शक्ति का संचार तीव्रता से होने लगता है ओरह्रदय में रक्त का जमाव नही होता "हं "बीज मंत्र के जाप से इडा ,पिंगला और सुषुम्ना नाडी में त्रियामी शक्ति संचारित होती है ,जो स्वयं प्राण कारक है
रत्न धारण करने से पहले ज्योतिष परामर्श अवश्य लेवे



हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार कालावधि पर आधारित कर्म के तीन भेद हैं- प्रारब्ध, संचित तथा क्रियमाण। पाप कर्मों का प्रारब्ध मानव को दु:ख रोग तथा कष्ट प्रदान करता है। किसी व्यक्ति के प्रारब्ध को ज्योतिषशास्त्र तथा योगसमाधि द्वारा जाना जा सकता है। उसमें योगसमाधि जो कि अष्टांग योग का उत्कृष्टतम अंग है, करोड़ों मनुष्यों में किसी बिरले साधक को ही सिद्ध हो पाती है। इस समाधि के सिद्ध होने से वह साधक संसार की घटनाओं के भूत, भविष्य, वर्तमान को प्रत्यक्ष देखता है। इसीलिए ऐसे महापुरुष त्रिकालदर्शी महात्मा कहलाते हैं। प्रारब्ध को जानने का जो दूसरा साधन है वह है फलित ज्योतिष। ज्योतिषशास्त्र में जन्म कुंडली, वर्ष कुंडली, प्रश्न कुंडली, गोचर तथा सामूहिक शास्त्र की विधाएँ व्यक्ति के प्रारब्ध का विचार करती हैं, उसके आधार पर उसके भविष्य के सुख-दु:ख का आंकलन किया जा सकता है। चिकित्सा ज्योतिष में इन्हीं विधाओं के सहारे रोग निर्णय करते हैं तथा उसके आधार पर उसके ज्योतिषीय कारण को दूर करने के उपाय भी किये जाते हैं। इसलिए चिकित्सा ज्योतिष को ज्योतिष द्वारा रोग निदान की विद्या भी कहा जाता है। अंग्रेजी में इसे मेडिकल ऐस्ट्रॉलॉजी कहते हैं। इसे नैदानिक ज्योतिषशास्त्र तथा ज्योतिषीय विकृतिविज्ञान भी कहा जा सकता है। यद्यपि ‘‘चिकित्सा ज्योतिष’’ नया शब्द है तथा इसका नाम भी नवीन है, परन्तु इस विषय पर आयुर्वेद तंत्र, सामुद्रिक ज्योतिषशास्त्र तथा पुराणों में पुष्कल सामग्री उपलब्ध है। प्राचीनकाल में ग्रन्थ सूत्ररूप में तथा तथा श्लोकबद्ध लिखे जाते थे। प्रस्तुत विषय से सम्बद्ध बहुत सा साहित्य मुगल काल में मतान्ध शासकों तथा सैनिकों ने नष्ट कर दिया है, जो कुछ बचा है वह भी प्रकृति प्रकोप तथा जीव-जन्तुओं के आघात से नष्ट हो गया।

प्राचीन समय में सभी पीयूषपाणि आयुर्वेदीय चिकित्सक ज्योतिषशास्त्र के ज्ञाता होते थे और वे किसी भी गम्भीर रोग की चिकित्सा से पूर्व ज्योतिष के आधार पर रोगी के आयुष्य तथा साध्यासाध्यता का विचार किया करते थे। जिसका आयुष्य ही नष्ट हो चुका है उसकी चिकित्सा से कोई लाभ नहीं होता। ‘‘श्रीमददेवीभागवत’’ महापुराण में एक कथा आई है जिसके अनुसार महर्षि कश्यप को जब यह ज्ञात हुआ कि राजा परीक्षित की मृत्यु सर्पदंश से होगी तब महर्षि ने सोचा कि मुझे अपनी सर्पविद्या से राजा परीक्षित के प्राणों की रक्षा करनी चाहिए। महर्षि कश्यप उस काल के ख्याति प्राप्त ‘‘विष वैज्ञानिक’’ थे। महर्षि ने राजमहल की ओर प्रस्थान किया, मार्ग में उन्हें तक्षक नाग मिला जो राजा परीक्षित को डसने जा रहा था। तक्षक ने ब्राह्मण का वेष बनाकर कश्यप से पूछा, ‘‘भगवान् आप कहाँ जा रहे हैं ?’’ कश्यप ने उत्तर दिया ‘‘मुझे ज्ञात हुआ है कि राजा परीक्षित की मृत्यु तक्षक के दंश से होगी, मैं अपने अगद प्रयोग द्वारा राजा के शरीर को विष रहित कर दूँगा जिससे धन और यश की प्राप्ति होगी।’’ तक्षक अपनी छदम् वेष त्यागकर वास्तविक रूप में प्रकट हो गया और कहा, ‘‘मैं इस हरे-भरे वृक्ष पर दंश का प्रयोग कर रहा हूँ। हे महर्षि। आप अपनी विद्या का प्रयोग दिखाएँ।’’ और तक्षक के विष प्रयोग से उस वृक्ष को कृष्ण वर्ण और शुष्क प्राय: कर दिया। महर्षि कश्यप ने अपने अगद प्रयोग से उस वृक्ष को पूर्ववत हरा-भरा कर दिया। यह देखकर तक्षक के मन में निराशा हुई। तब तक्षक ने महर्षि कश्यप से निवेदन किया कि, ‘‘आपका उपचार फलदायी तभी होगा जब राजा का आयुष्य शेष होगा। यदि वह गतायुष हो गया है तो आपको अपने कार्य में यश प्राप्त नहीं होगा।’’ कश्यप ने तत्काल ज्योतिष गणना करके पता लगाया कि राजा की आयु में कुछ घड़ी शेष हैं। ऐसा जानकर वे अपने स्थान को लौट गए। तक्षक के उससे विष को संस्कृत में तक्षकिन् कहते हैं। आजकल का अंग्रेजी में प्रयुक्त शब्द ‘Toxin’ उससे व्युत्पन्न हुआ। इस घटना की तरह पुराणों में अनेक घटनाओं का वर्णन है। जिनसे यह ज्ञात होता है कि प्राचीन वैद्य रोग निदान एवं साध्यासाध्यता के लिए पदे-पदे ज्योतिषशास्त्र की सहायता लेते थे।

योग-रत्नाकर में कहा है कि- औषधं मंगलं मंत्रो, हयन्याश्च विविधा: क्रिया। यस्यायुस्तस्य सिध्यन्ति न सिध्यन्ति गतायुषि।।

अर्थात औषध, अनुष्ठान, मंत्र यंत्र तंत्रादि उसी रोगी के लिये सिद्ध होते हैं जिसकी आयु शेष होती है। जिसकी आयु शेष नहीं है; उसके लिए इन क्रियाओं से कोई सफलता की आशा नहीं की जा सकती। यद्यपि रोगी तथा रोग को देख-परखकर रोग की साध्या-साध्यता तथा आसन्न मृत्यु आदि के ज्ञान हेतु चरस संहिता, सुश्रुत संहिता, भेल संहिता, अष्टांग संग्रह, अष्टांग हृदय, चक्रदत्त, शारंगधर, भाव प्रकाश, माधव निदान, योगरत्नाकर तथा कश्यपसंहिता आदि आयुर्वेदीय ग्रन्थों में अनेक सूत्र दिये गए हैं परन्तु रोगी या किसी भी व्यक्ति की आयु का निर्णय यथार्थ रूप में बिना ज्योतिष की सहायता के संभव नहीं है।


यह जान लें कि कुण्डली का छठा भाव रोग का होता है तथा छठे भाव का कारक ग्रह मंगल होता है। द्वितीय (मारकेश), तृतीय भाव, सप्तम भाव एवं अष्टम भाव(मृत्यु) का है। हृदय स्थान की राशि कर्क है और उसका स्वामी ग्रह चन्द्रमा जलीय है। हृदय का प्रतिनिधित्व सूर्य के पास है जिसका सीधा सम्बन्ध आत्मा से है। यह अग्नि तत्त्च है। जब अग्नि तत्त्व का संबंध जल से होता है तभी विकार उत्पन्न होता है। अग्नि जल का शोषक है। जल ही अग्नि का मारक है।

मंगल जब चन्द्र राशि में चतुर्थ भाव में नीच राशि में बैठता है तब वह अपने सत्त्व को खो देता है। सूर्य, चन्द्र, मंगल, राहु, शनि जब एक दूसरे से विरोधात्मक सम्बन्ध बनाते हैं तो विकार उत्पन्न होता है।

हृदय रोग में सूर्य(आत्मा व आत्मबल) अशुद्ध रक्त को फेफड़ों द्वारा शुद्ध करके शरीर को पहुंचाता है, चन्द्रमा रक्त, मन व मानवीय भावना, मंगल रक्त की शक्ति, बुध श्वसन संस्थान, मज्जा, रज एवं प्राण वायु, गुरु फेफड़े व शुद्ध रक्त, शुक्र मूत्र, चैतन्य, शनि अशुद्ध रक्त, आकुंचन का कारक है।

हृदय रोग के अनेक ज्योतिष योग हैं जोकि इस प्रकार हैं-

पंचमेश द्वादश भाव में हो या पंचमेश-द्वादशेश दोनों ६,८,१२वें बैठे हों, पंचमेश का नवांशेश पापग्रह युत या दृष्ट हो।

पंचमेश या पंचम भाव सिंह राशि पापयुत या दृष्ट हो।

पंचमेश व षष्ठेश की छठे भाव में युति हो तथा पंचम या सप्तम भाव में पापग्रह हों।

चतुर्थ भाव में गुरु-सूर्य-शनि की युति हो या मंगल, गुरु, शनि चतुर्थ भाव में हों या चतुर्थ या पंचम भाव में पापग्रह हों।

पंचमेश पापग्रह से युत या दृष्ट हो या षष्ठेश सूर्य पापग्रह से युत होकर चतुर्थ भाव में हो।

वृष, कर्क राशि का चन्द्र पापग्रह से युत या पापग्रहों के मध्य में हो।

षष्ठेश सूर्य के नवांश में हो।

चतुर्थेश द्वादश भाव में व्ययेश के साथ हो या नीच, शत्राुक्षेत्राी या अस्त हो या जन्म राशि में शनि, मंगल, राहु या केतु हो तो जातक को हृदय रोग होता है।

शुक्र नीच राशि में हो तो उसकी महादशा में हृदय में शूल होता है। द्वितीयस्थ शुक्र हो तो भी उसकी दशा में हृदय शूल होता है।

पंचम भाव, पंचमेश, सूर्यग्रह एवं सिंह राशि पापग्रहों के प्रभाव में हों तो जातक को दो बार दिल का दौरा पड़ता है।

पंचम भाव में नीच का बुध राहु के साथ अष्टमेश होकर बैठा हो, चतुर्थ भाव में शत्राुक्षेत्राीय सूर्य शनि के साथ पीड़ित हो, षष्ठेश मंगल भाग्येश चन्द्र के साथ बैठकर चन्द्रमा को पीड़ित कर रहा हो, व्ययेश छठे भाव में बैठा हो तो जातक को हृदय रोग अवश्य होता है।

राहु चौथे भाव में हो और लग्नेश पापग्रह से दृष्ट हो तो हृदय रोग जातक को अवश्य होता है।

चतुर्थ भाव में राहु हो तथा लग्नेश निर्बल और पापग्रहों से युत या दृष्ट हो।

चतुर्थेश का नवांश स्वामी पापग्रहों से दृष्ट या युत हो तो हृदय रोग होता है।

लग्नेश शत्राुक्षेत्राी या नीच राशि में हो, मंगल चौथे भाव में हो तथा शनि पर पापग्रहों की दृष्टि हो या सूर्य-चन्द्र-मंगल शत्राुक्षेत्राी हों या चन्द्र व मंगल अस्त हों यापापयुत या चन्द्र व मंगल की सप्तम भाव में युति हो तो जातक को हृदय रोग होता है।

शनि तथा गुरु पापगहों से पीड़ित या दृष्ट हों तो जातक को हृदय रोग एवं शरीर में कम्पन होता है।

शनि या गुरु षष्ठेश होकर चतुर्थ भाव में पापग्रह से युत या दृष्ट हो तो जातक को हृदय व कम्पन रोग होता है।

तृतीयेश राहु या केतु के साथ हो तो जातक को हृदय रोग के कारण मूर्च्छा रोग होता है।

चतुर्थ भाव में मंगल, शनि और गुरु पापग्रहों से दृष्ट हों तो जातक को हृदय रोग के कारण कष्ट होता है।

स्थिर राशियों में सूर्य पीड़ित हो तो भी हृदय रोग होता है।

अधिकांश सिंह लग्न वालों को हृदय रोग होता है।

षष्ठेश की की बुध के साथ लग्न या अष्टम भाव में युति हो तो जातक को हृदय रोग का कैंसर तक हो सकता है।

षष्ठ भाव में सिंह राशि में मंगल या बुध या गुरु हो तो हृदय रोग होता है।

छठे भाव में कुम्भ राशि में मंगल हो तो हृदय रोग होता है। छठे भाव में सिंह राशि हो तो भी हृदय रोग होता है।

चतुर्थेश किसी शत्राु राशि में स्थित हो और चौथे भाव में शनि व राहु या मंगल व शनि या राहु व मंगल या मंगल हो एवं शनि या पापग्रह से दृष्ट हो तो हृदय रोग होता है।

सूर्य पापप्रभाव से पीड़ित हो तभी हृदय रोग होता है।

हार्टअटैक के लिए राहु-केतु क पाप प्रभाव होना आवश्यक है। हार्ट अटैक आकसिम्क होता है।

हृदय रोग होगा या नहीं यह जानने के लिए कुछ ज्योतिष योगों की चर्चा करेंगे। इन योगों के आधार पर आप किसी की कुण्डली देखकर यह जान सकेंगे कि जातक को यह रोग होगा या नहीं। प्रमुख हृदय रोग संबंधी ज्योतिष योग इस प्रकार हैं-

१. सूर्य-शनि की युति त्रिाक भाव में हो या बारहवें भाव में हो तो यह रोग होता है।

२. अशुभ चन्द्र चौथे भाव में हो एवं एक से अधिक पापग्रहों की युति एक भाव में हो।

३. केतु-मंगल की युति चौथे भाव में हो।

४. अशुभ चन्द्रमा शत्रु राशि में या दो पापग्रहों के साथ चतुर्थ भाव में स्थित हो तो हृदय रोग होता है।

५. सिंह लग्न में सूर्य पापग्रह से पीड़ित हो।

६. मंगल-शनि-गुरु की युति चौथे भाव में हो।

७. सूर्य की राहु या केतु के साथ युति हो या उस पर इनकी दृष्टि पड़ती हो।

८. शनि व गुरु त्रिक भाव अर्थात्‌ ६, ८, १२ के स्वामी होकर चौथे भाव में स्थित हों।

९. राहु-मंगल की युति १, ४, ७ या दसवें भाव में हो।

१०. निर्बल गुरु षष्ठेश या मंगल से दृष्ट हो।

११. बुध पहले भाव में एवं सूर्य व शनि षष्ठेश या पापग्रहों से दृष्ट हों।

१२. यदि सूर्य, चन्द्र व मंगल शत्रुक्षेत्री हों तो हृदय रोग होता है।

१३. चौथे भाव में राहु या केतु स्थित हो तथा लग्नेश पापग्रहों से युत या दृष्ट हो तो हृदय पीड़ा होती है।

१४. शनि या गुरु छठे भाव के स्वामी होकर चौथे भाव में स्थित हों व पापग्रहों से युत या दृष्ट हो तो हृदय कम्पन का रोग होता है।

१५. लग्नेश चौथे हो या नीच राशि में हो या मंगल चौथे भाव में पापग्रह से दृष्ट हो या शनि चौथे भाव में पापग्रहों से दृष्ट हो तो हृदय रोग होता है।

१६. चतुर्थ भाव में मंगल हो और उस पर पापग्रहों की दृष्टि पड़ती हो तो रक्त के थक्कों के कारण हृदय की गति प्रभावित होती है जिस कारण हृदय रोग होता है।

१७. पंचमेश षष्ठेश, अष्टमेश या द्वादशेश से युत हो अथवा पंचमेश छठे, आठवें या बारहवें में स्थित हो तो हृदय रोग होता है।

१८. पंचमेश नीच का होकर शत्रुक्षेत्री हो या अस्त हो तो हृदय रोग होता है।

१९. पंचमेश छठे भाव में, आठवें भाव में या बारहवें भाव में हो और पापग्रहों से दृष्ट हो तो हृदय रोग होता है।

२०. सूर्य पाप प्रभाव में हो तथा कर्क व सिंह राशि, चौथा भाव, पंचम भाव एवं उसका स्वामी पाप प्रभाव में हो अथवा एकादश, नवम एवं दशम भाव व इनके स्वामी पाप प्रभाव में हों तो हृदय रोग होता है।

२१. मेष या वृष राशि का लग्न हो, दशम भाव में शनि स्थित हो या दशम व लग्न भाव पर शनि की दृष्टि हो तो जातक हृदय रोग से पीड़ित होता है।

२२. लग्न में शनि स्थित हो एवं दशम भाव का कारक सूर्य शनि से दृष्ट हो तो जातक हृदय रोग से पीड़ित होता है।

२३. नीच बुध के साथ निर्बल सूर्य चतुर्थ भाव में युति करे, धनेश शनि लग्न में हो और सातवें भाव में मंगल स्थित हो, अष्टमेश तीसरे भाव में हो तथा लग्नेश गुरु-शुक्र के साथ होकर राहु से पीड़ित हो एवं षष्ठेश राहु के साथ युत हो तो जातक को हृदय रोग होता है।

२४. चतुर्थेश एकादश भाव में शत्राुक्षेत्राी हो, अष्टमेश तृतीय भाव में शत्रुक्षेत्री हो, नवमेश शत्रुक्षेत्री हो, षष्ठेश नवम में हो, चतुर्थ में मंगल एवं सप्तम में शनि हो तो जातक को हृदय रोग होता है।

२५. लग्नेश निर्बल और पाप ग्रहों से दृष्ट हो तथा चतुर्थ भाव में राहु स्थित हो तो जातक को हृदय पीड़ा होती है।

२६. लग्नेश शत्रुक्षेत्री या नीच का हो, मंगल चौथे भाव में शनि से दृष्ट हो तो हृदय शूल होता है।

२७. सूर्य-मंगल-चन्द्र की युति छठे भाव में हो और पापग्रहों से पीड़ित हो तो हृदय शूल होता है।

२८. मंगल सातवें भाव में निर्बल एवं पापग्रहों से पीड़ित हो तो रक्तचाप का विकार होता है।

२९. सूर्य चौथे भाव में शयनावस्था में हो तो हृदय में तीव्र पीड़ा होती है।

३०. लग्नेश चौथे भाव में निर्बल हो, भाग्येश, पंचमेश निर्बल हो, षष्ठेश तृतीय भाव में हो, चतुर्थ भाव पर केतु का प्रभाव हो तो जातक हृदय रोग से पीड़ित होता है।

अगले अंक में हृदय रोग संबंधी अन्य योगों की चर्चा करेंगे और यह बताएंगे कि इस रोग से बचने के निदान क्या हैं अथवा उपाय क्या है?

सूर्य हृदय का प्रतिनिधित्व करता है, जिसका भाव पंचम है। जब पंचम भाव, पंचमेश तथा सिंह राशि पाप प्रभाव में हो तो हार्ट अटैक की सम्भावना बढ़ जाती है। सूर्य पर राहु या केतु में से किसी एक ग्रह का पाप प्रभाव होना भी आवश्यक है। जीवन में घटने वाली घटनाएं अचानक ही घटती हैं जोकि राहु या केतु के प्रभाव से ही घटती हैं। हार्ट अटैक भी अचानक बिना किसी पूर्व सूचना के आता है, इसीलिए राहु या केतु का प्रभाव आवश्यक है।

यदि षष्ठेश केतु के साथ हो तथा गुरु, सूर्य, बुध, शुक्र अष्टम भाव में हों, चतुर्थ भाव में केतु हो तो हृदय रोग होता है।

चतुर्थेश लग्नेश, दशमेश व व्ययेश के साथ आठवें हो और अष्टमेश वक्री होकर तृतीयेश बनकर तृतीय भाव में हो व एकादश भाव का स्वामी लग्न में हो तो जातक को हृदय रोग होता है।

षष्ठेश की अष्टम भाव में स्थित गुरु, सूर्य, बुध, शुक्र पर दृष्टि हो तो जातक हृदय रोग से पीड़ित होता है।

शनि दसवीं दृष्टि से मंगल को पीड़ित करे, बारहवें भाव में राहु तथा छठे भाव में केतु हो, चतुर्थेश व लग्नेश अष्टम भाव में व्ययेश के साथ युत हो तो भी हृदय रोग होता है।

सर्वविदित है की चौथा भाव और दसवां भाव हृदय कारक अंगों के प्रतीक हैं। चतुर्थ भाव का कारक चन्द्र भी आरोग्यकारक है। दशम भाव के कारक ग्रह सूर्य, बुध, गुरु व शनि हैं। पाचंवा भाव छाती, पेट, लीवर, किडनी व आंतों का है, ये अंग दूषित हों तो भी हृदय हो हानि होती है। यह भाव बुद्धि अर्थात्‌ विचार का भी है। गलत विचारों से भी रोग वृद्धि होती है।

रोग के प्रकार के लिए पहले, छठे और बारहवें भाव को भी अच्छी तरह देखना चाहिए।

छठे भाव का कारक मंगल व शनि हैं। मंगल रक्त का कारक और शनि वायु का कारक है। ये भी रोग कारक हैं। आठवां भाव रोग और रोगी की आयु का सूचक है। आठवें का कारक शनि है। विचार करते समय भाव व उनके कारकों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

सूर्य, चन्द्र, मंगल, शनि, राहु व केतु ग्रह का विशेष ध्यान रखना चाहिए क्योंकि ये सभी रोग हो प्रभावित करते हैं या बढ़ाते हैं।

जन्म नक्षत्रा मघा, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी हों तो हृदय रोग अत्यन्त पीड़ादायक होता है।

मेष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, कुम्भ, मीन राशियां जिन जातकों की हैं, उनका यदि मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, कुम्भ या मीन लग्न हो तो उनको हृदय रोग अधिक होता है।

भरणी, कृत्तिका, ज्येष्ठा, विशाखा, आर्द्रा, उत्तराफाल्गुनी नक्षत्रा हृदय रोग कारक हैं।

एकादशी, द्वादशी, चतुर्दशी, पूर्णिमा एवं अमावस्या दोनों पक्षों की हृदय रोग कारक हैं। जिन जातकों का जन्म शुक्ल में हो तो उन्हें कृष्ण पक्ष की उक्त तिथियां एवं जिनका जन्म कृष्ण में हो तो उन्हें शुक्ल पक्ष की उक्त तिथियों में यह रोग होता है।

आंग्ल तिथियों में १,१०,१९,२८,१३,२२,४,९,१८ व २७ में ये रोग होता है।

रोग का निदान कैसे करें?

हृदय रोग संबंधी समस्त योगों को समझ लें और उसका सार तत्त्व ग्रहण कर किसी भी कुण्डली में विचार कर विश्लेषण कर यह निर्णय कर लें कि हृदय रोग होगा या नहीं।

तदोपरान्त रोग कारक ग्रहों के कुप्रभाव को दूर करने के उपाय करें। कुण्डली के बली व शुभ ग्रहों को स्थापित करें।

रोग जटिल अवस्था में है तो अधोलिखित उपाय कराए-

१. पका हुआ पीला काशीफल लेकर उसके बीच निकाल करके किसी भी मन्दिर के प्रांगण में रखकर ईश्वर से स्वस्थ होने की कामना करते हुए रख दें। उपाय सूर्योदय के उपरान्त एवं सूर्यास्त से पूर्व करें। किसी के लिए वही कर सकता है जिसका रोगी से रक्त का संबंध हो। यह अनुसार अल्पतम तीन दिन करें और अधिक कष्ट है तो अधिक दिन भी कर सकते हैं। यहां आस्था एवं निरन्तरता महत्वपूर्ण है।

२. गुड़ की चासनी में आटा गूंथकर अधपकी रोटी तन्दूर में लगवा लें। रोटी की संख्या निर्धारित करने के लिए जिस दिन उपाय करना हो उस दिन रोगी के आसपास जितने लोग हों उन्हें गिनकर चार की संख्या अतिरिक्त जोड़ लें तदोपरान्त उतनी रोटी बनवा लें। इन रोटियों को बराबर मात्राा में दो भाग में करके एक भाग कुत्तों को और दूसरा भाग गायों को खिला दें यह सोचकर कि रोगी स्वस्थ हो जाए।

३. रोगी के सिरहाने एक सिक्का रखकर या श्रद्धानुसार रखकर उसे अगले दिन सूर्योदय के उपरान्त भंगी को दें। यह नित्य करें और ४३ दिन तक बिना नागा करें। मन में भाव रोगी के ठीक होने का रखें।

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रोग एवं उपाय -----

यदि पूर्व ज्ञान हो तो चिकित्सा शास्त्र में आशातीत सफलता प्राप्त होते देर नही लगता कई बार अध्यात्मवाद ,ज्योतिष तथा इष्ट साधन बहुत सहायक होते है इस तथ्य को हम माने या न माने चिकित्सा शास्त्र हो या ज्योतिस्शास्त्र यह हमारे पूर्वजो की ही देन है चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब का उपग्रह है समीप होने के कारन यह मानव जीवन को सर्वाधिक प्रभावित करता है प्रत्येक जीव सूर्य ,चंद्रमा एवं अन्य ग्रहों ,१२ राशियो से प्रभावित होते है पृथ्वी सौरमंडल का महत्वपूर्ण हिस्सा है पृथ्वी में पाए जाने वाले प्रत्येक तत्व का सम्बन्ध ग्रहों से है मानव एवं संपूर्ण ब्रम्हांड एक दुसरे पर अन्योनाश्रित है १२ रशिया कालपुरुष के विभिन्न अंगो का प्रतिनिधित्व करतीहैजो निम्न है :- १.मेष :-सर मस्तिष्क ,मुख ,सम्बंधित हड्डिया २.वृषभ :-गर्दन ,गाल .दाया नेत्र ३.मिथुन: -कन्धा ,हाथ ,श्वासनली .दोनों बाहू ४कर्क :-ह्रदय ,छाती ,स्तन ,फेफड़ा .पाचनतंत्र ,उदर ५.सिंह :-ह्रदय ,उदर ,नाडी ,स्पाईनल ,पीठ की हड्डिया ६.कन्या :-कमर ,आंत ,लिवर ,पित्ताशय ,गुर्दे और अंडकोष ७तुला :-वस्ति नितम्ब ,मूत्राशय ,गुर्दा ८.वृश्चिक :-गुप्तेंद्रिया ,अंडकोष ,गुप्तस्थान ९.धनु :-दोनों जंघे ,नितम्ब १०.मकर :-दोनों घुटने ,हड्डियों का जोड़ ११.कुम्भ :-दोनों पिंडालिया ,टाँगे १२.मीन :-दोनों पैर .तलुए राशियों के भांति ग्रह नक्षत्र में भी स्थायी गुन दोष है जिनके आधार पर रोगों के परिक्षण में सरलता आ जाता है

जेसा की सभी जानते हें की मानव शरीर पंच तत्वों से मिलकर बना है- अग्नि, पृथ्वी, वायु, आकाश एवं जल। इन तत्वों का जब मानव शरीर में संतुलन बना रहता है, मनुष्य प्रसन्नचित्त एवं उत्तम व्यक्तित्व वाला निरोग व स्वस्थ रहता है। मानव शरीर में इन्हीं तत्वों के असंतुलित होने पर मनुष्य रोगग्रस्त, चिड़चिड़ा, दुखों से पीड़ित एवं कांतिहीन हो जाता है। मानव शरीर में तत्वों का असंतुलन साधारण भाषा में रोग कहलाता है। इसी रोग का उपाय करने के लिए व्यक्ति अलग-अलग तरीके अपनाता है। जैसे आयुर्वेद चिकित्सा, एलोपैथी चिकित्सा, होम्योपैथी चिकित्सा, स्पर्श चिकित्सा, रेकी, एक्यूपंक्चर एवं एक्यूप्रेशर आदि या ज्योतिषीय उपाय जैसे रत्न, यंत्र, दान, विसर्जन आदि तथा इन सभी पद्धतियों द्वारा जब असफलता ही हाथ लगती है तो आध्यात्मिक शक्ति की खोज में व्यक्ति साधुओं व ऋषि- मुनियों के पास उनका आशीर्वाद लेने हेतु जाता है। आयुर्वेद चिकित्सा की खोज भारत के ऋषि-मुनियों के द्वारा की गयी। उन्होंने अपने अनुभव और ज्ञान के आधार पर कुछ ऐसी जड़ी-बूटियों की खोज की जिससे शरीर में जिस तत्व की कमी हो उसे पूरा किया जा सके। जैसे ही तत्व की आपूर्ति हो जाती है, शरीर के अंग पुनः क्रियाशील हो जाते हैं और रोग दूर हो जाता है। ऐलोपेथी में भी रासायनिक क्रिया द्वारा तत्वों की कमी को पूरा करने की कोशिश की जाती है या रसायन-क्रिया द्वारा विषाणुओं को कमजोर कर दिया जाता है जिससे शरीर पुनः क्रियाशील हो जाता है। होम्योपेथी में माना जाता है कि जिस पदार्थ के कारण रोग है यदि उस पदार्थ को उससे अधिक शक्ति के रूप में शरीर में प्रेषित करें तो पहले वाला पदार्थ निष्क्रिय हो जाता है और मनुष्य स्वस्थ हो जाता है। इसी सूत्र के आधार पर होम्योपेथी की दवाएं तैयार की जाती है। मनुष्य रोगी क्यों होता है। मुख्यतया रोग का मस्तिष्क से सीधा संबंध पाया गया है। अचानक किसी बड़े संताप के कारण हृदयाघात की आशंका 30 गुना तक बढ़ जाती है। अक्सर देखा जाता है कि बुजुर्ग दंपति में यदि एक की मौत हो जाय तो दूसरे की भी मौत कुछ ही अंतराल में हो जाती है। कारण है कि मस्तिष्क व्यक्ति की सोच के अनुरूप शरीर में विभिन्न रसों का स्राव करता है व कुछ का उत्पादन बंद कर देता है जो कि रोग का मुख्य कारण बनते हैं। इस क्रिया को संतुलित और सुव्यवस्थित करने के लिए हम चिकित्सा-पद्धति का सहारा लेते हैं। एक्यूप्रेशर या एक्यूपंक्चर में हम किसी नर्व के ऊपर प्रेशर डालकर जाग्रत करने की कोशिश करते हैं जिससे वह मस्तिष्क को सही संदेश भेजे और मस्तिष्क सही रसायन क्रिया करने का आदेश दे। स्पर्श पद्धति में या रेकी में हम मनुष्य के मस्तिष्क को ब्रह्माण्डीय ऊर्जा से परिपूर्ण करने की कोशिश करते हैं जिससे वह स्वयं सही कार्य करना शुरू कर दे और शरीर की रसायन क्रियाएं सही हो जाएं। ज्योतिष में भी अनेक उपचार प्रचलित है जैसे कोई रोग हो जाता है तो हम उसे किसी ग्रह का लाॅकेट आदि धारण करने के लिए बतलाते हैं अन्यथा उसे किसी मंत्र जाप या अनुष्ठान के लिए कहते हैं। रोगों से छुटकारे के लिए महामृत्युंजय मंत्र जप के बारे में तो सभी जानते हैं। कभी किसी वस्तु-विशेष का दान या विसर्जन भी बताया जाता है। रत्न-धारण तो मुख्य उपाय है ही। ये उपाय कैसे काम करते हैं? रत्न धारण करने से व्यक्ति के शरीर में वांछित सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश सूर्य की किरणों के माध्यम से होता है। सूर्य से सभी प्रकार के रंगों से ऊर्जा प्राप्त होती है। उसमें से जिस ऊर्जा का अभाव होता है, वह रत्न के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर जाती है, जिससे हमारे शरीर और मस्तिष्क का नियंत्रण व संतुलन बना रहता है और हम स्वस्थ महसूस करते हैं। इन रत्नों को अंगूठी, लाॅकेट, माला, ब्रेसलेट आदि किसी भी रूप में धारण किया जा सकता है। मंत्रों के द्वारा हम एक विशिष्ट प्रकार की ध्वनि पैदा करते हैं तथा मंत्र हमारे वातावरण में सकारात्मक तरंगों को उत्पन्न करते हैं जिससे वांछित ऊर्जा की प्राप्ति से हम रोगमुक्त हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त हम उस ग्रह को भी अपने अनुकूल बना पाते हैं जो हमारे लिये प्रतिकूल होते हैं। कौन सा ग्रह किस व्यक्ति के लिए अनुकूल अथवा प्रतिकूल है यह हम उस जातक की जन्मकुंडली या हस्तरेखा द्वारा जान सकते हैं। दान स्नान, व्रत आदि से जातक को मानसिक शांति का अनुभव होता है, जिससे उसके शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है तथा नकारात्मक ऊर्जा का निराकरण हो जाता है जिससे शरीर में अनुकूल रासायनिक क्रियाऐं होने से जातक अपने को रोगामुक्त और स्वस्थ महसूस करता है। रेकी से स्पर्श द्वारा या बिना स्पर्श किये रोगों का उपचार किया जाता...