सोमवार, 25 फ़रवरी 2013

न्यायलय ने मुस्लिम महिला का दहेज़ का मामला खारिज किया .

न्यायलय ने मुस्लिम महिला का दहेज़ का मामला खारिज किया .

बाड़मेर सरहदी जिले बाड़मेर की एक अदालत ने एक मुस्लिम महिला द्वारा अपने पति और ससुराल पक्ष पर दहेज़ और प्रताड़ना के मामले को इस दलील के साथ खारिज किया की मुस्लिम समुदाय में मेहर देने की रीत हें दाहें की रीत नहीं हें ,परिवादिनी नेमत द्वारा अपने पति अली अहम और ससुराल पक्ष के लोगो के विरुद्ध दहेज़ कम लेन ,मारपीट करने तथा पचास हज़ार नकद और दस भेदे लाने के लिए प्रताड़ित करने का आरोप लगा एक परिवाद मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया था .जिसे न्यायाधीश पियूष चौधरी ने ख़ारिज कर दिया ,उलेखनीय हें की परिवादी नेमत ने न्यायलय में परिवाद पेश किया था की उसका विवाह अली अहमद के साथ पांच साल पहले मुस्लिम रीती रिवाज से हुआ था .उसके पिता और सगे संबंधियों ने हैसियत से बढ़कर दहेज़ का सामन और आभूषण दिए थे ,जो न्परिवादीनी ने विवाह के तुरंत बाद अपने पति को संभाला दिए थे .कम दहेज़ लाने के लिए उसे तंग व् परेशान करना शुरू किया तथा मारपीट करते थे ,साथ ही अपने पिता से पचास हज़ार रुपये और दस भेडे लाने के लिए दबाव बनाते थे इसके आभाव में दूसरी शादी करने की धमकी देते थे .दहेज़ की मांग पूरी नहीं करने पर उसे तीन माह पूर्व घर से बदर कर दिया था .परिवादीनी ने अपने पति से पांच हज़ार रुपये मासिक भरण पोषण दिलवाए जाने का भी न्यायलय से निवेदन किया था तथा मानसिक प्रताड़ना और भावनात्मक कष्ट के प्रतिकार के बतौर पचास हज़ार रुपये दिलाने का भी निवेदन किया था .इस परिवाद पर न्यायलय द्वारा मुक़दमा दर्ज कर परिवादीनी के पति और ससुराल वालो को नोटिस जारी किये गए तथा उसके पति और ससुराल वालो ने जवाब पेश किया की मुस्लिम रीती में दहेज़ का चलन नहीं हें बल्कि मेहर की राशि विवाह के समय परिवादीनी को दी गई थी .परिवादीनी विवाह के बाद आज दिन तक अली के घर नहीं आई और ना ही उनके मध्य पति पत्नी के रिश्ते बने .न्यायलय द्वारा बाद सुनवाई के आदेश पारित कर परिवाद को खारिज कर दिया परिवादीनी पति और ससुराल पक्ष पर लगाये आरोप सिद्ध करने में असफल रही ,जिस पर उसकी और से प्रस्तुत घरेलु हिंसा बाबत परिवाद खारिज कर दिया .परिवादीय की और से वकील हाकम सिंह भाटी और प्रत्यर्थी की और से कैलाश सिंह तथा भगवान् सिंह राठोड ने पेरवी की

दलितो ने भरी हुंकार, लालू के हत्यारो की गिरफ्तारी की मांग










दलितो ने भरी हुंकार,

लालू के हत्यारो की गिरफ्तारी की मांग

विशाल रैली निकालकर किया उग्र विरोध प्रदशर्न

 बाड़मेर 25 फरवरी।

जटिया समाज बाड़मेर के नेतृत्व में दलित समुदाय द्वारा लालचंद के हत्यारों की गिरफ्तारी को लेकर उग्र विरोध प्रदशर्न एवं विशाल रैली व आमसभा का आयोजन किया गया। समाज के महामंत्री भेरूसिंह फुलवारिया ने बताया कि जटिया समाज द्वारा पूर्व में पुलिस प्रशासन को दी गई चेतावनी के अनुसार सोमवार को जटिया समाज के हनुमान मंदिर से जटिया समाज के नेतृत्व में दलित समुदाय द्वारा विशाल रैली निकाली गई।

विशाल रैली के कारण जगहजगह पर प्रदशर्नकारियों की भारी भीड़ के कारण जाम की स्थिति बन गई। प्रदशर्नकारियों ने लालू के हत्यारों को गिरफ्तार करने की पुरजोर मांग की। प्रदशर्न में हजारो की संख्या में उपस्थित महिलाऐं, पुरूष व युवा शक्ति ने इस विरोध प्रदशर्न में अपना आक्रोश व्यक्त करतें हुए गंगनचूभी विरोध प्रदशर्न नारो का उद्घोष किया। रैली सुभाष चौक, अहिंसा सर्किल, विवेकानंद से होते हुए कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचकर विशाल आमसभा में तब्दील हो गई। युवा शक्ति ने कलेक्ट्रेट कार्यालय के बाहर टायर जलाकर जोरदार विरोध प्रदशर्न किया। आमसभा को सम्बोधित करतें हुए दलित अत्याचार निवारण समिति अध्यक्ष उदाराम मेघवाल ने कहा कि जिस शासन में दलितो पर अत्याचार होते हैं, वह शासन कभी दुबारा नही आता हैं। न्याय की इस लड़ाई में हम सभी को एकजुट होकर संघर्ष करना होगा। इस दौरान सभा को सम्बोधित करतें हुए कमठा मजदूर युनियन के जिलाध्यक्ष लक्ष्मण वडेरा ने लालू हत्याकाण्ड प्रकरण के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि पोस्टमार्टम रिर्पोट अनुसार लालू को भूखा प्यासा व बंधक बनाकर बेहरमी से मारकर फेंका गया। इसमें आरोपियों को पुलिस प्रशासन एवं राजनैतिक संरक्षण प्राप्त होने के कारण उनको बचाया जा रहा हैं। यह हम कतही बर्दास्त नही करेगें। उन्होंने आह्वान किया कि हमें अनुशासन में रहकर अहिंसात्मक तरीके से आन्दोलन करना होगा। वहीं भील महासभा के जिलाध्यक्ष भूराराम भील ने कहा कि दलितो पर अत्याचार की घटनाऐं दिनोदिन ब रही हैं, लेकिन पुलिस गुनहेगारो को पनहा देकर हमारे हको के साथ कुठाराघात कर रही हैं। समय रहते सरकार को चेताया जा रहा हैं। दलित नेता श्रवण चंदेल ने अपने उद्बोधन में कहा कि हम सभी दलित जातियां संगठित होकर इस न्याय की लड़ाई में अपना पूरा सहयोग देगें। जटिया समाज के अध्यक्ष मोहनलाल गोसाई ने कहा कि जटिया समाज लालू हत्याकाण्ड में दोषियो को कठोर से कठोर सजा दिलाकर रहेगी। हमारा आन्दोलन न्याय प्राप्त होने तक अविलम्ब जारी रहेगा। महामंत्री भेरूसिह फुलवारिया ने कहा कि इस न्याय की लड़ाई में जो हमारे समाज का सहयोग करेगा, उन्ही का समाज सहयोग करेगा। वरन वोट की चोट का नारा बुलंद रहेगा। आमसभा को खेराज राम तुन्गरिया जालौर, कार्यक्रम प्रभारी श्यामलाल सुवांसिया, चंदन जाटोल, जयराम कुलदीप धोरीमन्ना, जवानाराम गोंसाई अध्यक्ष जटिया समाज धोरीमन्ना, बंशीलाल खोरवाल सांचौर, चेनाराम जाटोल लीलसर, अम्बालाल फुलवारिया अध्यक्ष जटिया समाज सांचौर, नैनाराम बांशीवाल, भगवानदास फुलवारिया, हुकमाराम गोसांई, पार्षद रमेश मोसलपुरिया, मुकेश कुमार मथुरा सहित कई वक्ताओं ने इस हत्याकाण्ड में लिप्त आरोपियों को गिरफ्तार करने की मांग करतें हुए हत्या की निंदा की। इस अवसर पर अखिल भारतीय रैंगर महासभा के जिलाध्यक्ष मोहनलाल कुर्डिया, पार्षद मिश्रीमल सुवांसिया, पार्षद कपिल धारू, पूर्व पार्षद शंकरलाल गर्ग, बस्तीराम बांकोलिया, छगनलाल जाटोल, खटिक समाज युवा अध्यक्ष मदन नागौरा, एडवोकेट नवल किशोर लीलावत, जगदीश मोसलपुरिया, जगदीश गोसाई, बलदेव फुलवारिया, मिश्रीमल जैलिया, बाबुलाल मोसलपुरिया, नीम्बाराम बांकोलिया, प्रेम फुलवारिया, ओम गोंसाई, ओम सिघाड़िया, प्रताप जैलिया, मुलाराम खन्ना, विशनाराम फुलवारिया, लक्ष्मण कुर्डिया सहित हजारो की तादाद में लोग उपस्थित थें।

दस सूत्री मांगो का सौंपा ज्ञापन लालचंद के हत्यारों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर आयोजित विरोध प्रदशर्न में जटिया समाज के अध्यक्ष मोहलाल गोसाईवाल दलित अत्याचार निर्वाण समिति अध्यक्ष उदाराम मेघवाल, कमठा मजदूर युनियन के जिलाध्यक्ष लक्ष्मण वडेरा, जटिया समाज के महामंत्री भेरूसिह फुलवारिया, कोषाध्यक्ष ईश्वरचंद नवल, पूर्व पार्षद छगनलाल जाटव, बस्तीराम बांकोलिया के नेतृत्व में दस सूत्री मांगो का ज्ञापन जिला कलेक्टर भानूप्रकाश एटॅूरू को मुख्यमंत्री के नाम सौंपा गया। इस दौरान कार्यक्रम का संचालन कोषाध्यक्ष ईश्वरचंद नवल ने किया।

हाथो में रही तख्तियां हनुमान मंदिर से निकाली गई विशाल रैली में महिलाओं व युवाओं के हाथ में लालू के हत्यारों को गिरफ्तार करो, पुलिस प्रशासन मुर्दाबाद, एफआईआर में नामजद आरोपियों को तुरन्त गिरफ्तार करो, सरकार हमारी मांगे पूरी करे, दोषियो के खिलाफ तुरन्त कार्यवाही करे, लालचंद हत्या प्रकरण में पुलिस नाकाम, जांच सीबीआई को सौंपी जावें सहित विभिन्न प्रकार के नारे लिखे हुऐं थें।

लग गये जाम जटिया समाज द्वारा लालू के हत्यारों को गिरफ्तार करने की मांग को लेकर निकाली गई विशाल रैली के दौरान शहर के मुख्य मार्गो जाम लग गयें।

उतरे सड़को पर लालू के हत्यारों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर जटिया समाज के नेतृत्व में हजारों दलित समुदाय के लोग सड़को पर उतर आयें। वहीं पुलिस प्रशासन के खिलाफ राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर भारी आक्रोश व्यक्त किया।

रहेगा आन्दोलन जारी जटिया समाज के अध्यक्ष मोहन गोसाई व महामंत्री भेरूसिंह फुलवारिया ने बताया कि आमसभा के दौरान निर्णय लिया गया कि पुलिस प्रशासन व राज्य सरकार द्वारा लालू की हत्या के आरोपियों को अभी तक गिरफ्तार नही किया गया, जब तक उन्हें गिरफ्तार नही किया जाता, तब तक जटिया समाज के नेतृत्व में दलित समुदाय द्वारा अनिश्चितकालीन आन्दोलन जारी रखा जायेगा।

बालोतरा उप खंड के पास सडक हादसों में चार की मौत

बालोतरा उप खंड के पास सडक हादसों में चार की मौत

बाड़मेर सीमावर्ती बाड़मेर जिले के बालोतरा उप खंड के पास आज दो अलग अलग सड़क हादसों में चार लोगो की मौत हो गई और पांच लोग घायल हो गए !पुलिस सूत्रों के अनुसार पहला हादसा आज सुबह जोधपुर रोड पर भांडीयावास के पास हुआ जिसमे दो ट्रको की आपस में भिडंत होने से एक युवक की मौत व् एक घायल हुआ जिसको 108 एम्बुलेंस द्वारा बालोतरा के नाहटा अस्पताल लाया गया !व्ही दोपहर को असाडा गाँव के पास मेगा हाईवे पर एक आल्टो कार व् इनोवा में टक्कर में कर सवार तीन लोगो की मौके पर ही मौत हो गई इनोवा में सवार लोगो को भी चोटे आई जिनका इलाज बालोतरा के एक निजी अस्पताल में चल रहा है !पुलिस के अनुसार कार चालक की लापरवाही से हादसा हुआ कार में सवार तीनो लोग गुजरात ,अहमदाबाद के रहने वाले थे
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नर्मदा और इंदिरा गांधी नहर का संगम होगा बाड़मेर में ..मानवेन्द्र सिंह

नर्मदा और इंदिरा गांधी नहर का संगम होगा बाड़मेर में ..मानवेन्द्र सिंह

बाड़मेर पूर्व सांसद मानवेन्द्र सिंह ने कहा की राज्य की कांग्रेस सरकार जन समस्याओ को निपटने में पूरी तर विफल रही हें ,उन्होंने मौसम आधारित फसल बीमा को किसानो के साथ सरकारी धोखा करार दिया .मानवेन्द्र सिंह ने सोमवार को धोरीमन्ना विधान सभा क्षेत्र के करीब एक दर्जन गाँवो में आम सभाओ को संबोधित करते हुए यह बात कही ,मानवेन्द्र सिंह ने सोमवार को धोरीमन्ना मुख्यालय ,बूल ,कोजा ,खारी ,सोनडी ,सेडवा ,चिचडासर ,कारतिया ,आकल ,ओगाल ,गोडा ,पनोरिया सहित कई गाँवो में जन सभाओ को संबोधित किया .उन्होंने कहा की मौसम आधारित फसल बीमा पर सरकार किसानो के साथ धोखा कर रही हें ,उन्होंने कहा की किसानो की फासले ओलावृष्टि का शिकार हो गई इसके बावजूद सरकार में कोई राहत किसानो को नहीं दी ,उन्होंने कहा की क्षेत्र की मूलभूत समस्याए जस की तस हें ,उन्होंने कहा की गुडा धोरीमन्ना के लोगो को अभी तक नर्मदा का पानी सरकार उपलब्ध नहीं करा पाई ,राज्य और केंद्र में कांग्रेस की सरकार होने के बावजूद आम जनता को समस्याओ से राहत नहीं मिली .मानवेन्द्र ने कहा की आगामी विधानसभा चुनावों में वसुंधरा राजे के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनाना तय हें ,उन्होंने कहा की राज्य में भाजपा की सरकार आई तो नर्मदा और इंदिरा गांधी नहर का संगम बाड़मेर में होगा ,इस अवसर पर लाधुराम विश्नोई ने कहा की अशोक गहलोत की सरकार ने जनता की समस्याओ पर ध्यान देने की बजे आपसी गुटबाजी में उलझे हें ,धोरीमन्ना और गुडा क्षेत्र की लगातार सरकार अनदेखी कर रही हें ,इस अवसर पर तरुण कागा ,बाबू सिंह बामदला .,सुखराम विश्नोई ,बसीर खान आकाल .मौलवी ताज मोहम्मद और मालाराम सहित भाजपा के कई कार्यकर्ता और पदाधिकारी उपस्थित थे

पाक के लिए जासूसी करता एक गिरफतार

पाक के लिए जासूसी करता एक गिरफतार
ईमेल के जरिये भेजता था सुचनाए ..आयरन फिस्ट युद्धाभ्यास के लिए भी की जासूसी 


जैसलमेर सीमावर्ती जैसलमेर जिले के चांधन में सी आई दी और पुलिस की संयुक्त कार्यवाही में आई एस आई के एक एजेंट को गिरफ्तार कर उससे दस्तावेज बरामद किये हें ,पुलिस अधीक्षक पंकज चौधरी ने बताया की रविवार को सीआईडी जोन जोधपुर से पुलिस थाना पोकरण के थानाधिकारी रमेश शर्मा निपु को एक व्यक्ति द्वारा जासूसी करने की सुचना मिलने पर थानाधिकारी द्वारा उच्चाधिकारियों को सुचित करने पर पुलिस अधीक्षक जिला जैसलमेर पंकज चौधरी द्वारा उक्त सुचना को गम्भीरता से लेते हुए तुरंत कार्यवाही करने के निर्देश दिये। जिस पर रमेश शर्मा निपु थानाधिकारी पुलिस थाना पोकरण मय श्रवण कुमार सउनि, सुरेश कुमार हैड कानि, कानि0 ओमप्रकाश, तेजूदान एवं सुभाष मय सरकारी वाहन चालक मूलाराम के करमो की ाणी चांधन पहॅूचे। जहॉ सुमारखॉ को दस्तयाब कर पुलिस थाना पोकरण लाया गया तथा सीआईडी जोन जोधपुर एवं पुलिस की सयुक्त जॉच करने पर सुमार ने 23 वार पाक जाना एवं वहॉ अपने मामा के घर रहना बताया तथा पाक में मामा द्वारा पाक गुप्तचर ऐजेंसी के अधिकारियों से मिलना एवं उनके द्वारा सुमारखॉ भारतीय सेना की गुप्त सुचनाऐं देने हेतु प्रलोभन दिया। जिस पर सुमार ने पैसे के लालच में आकर जरिये ईमेल पाक गुप्तचर ऐजेसियों को भारतीय सेना की जानकारी देना स्वीकार किया । जिस पर सुमारखॉ को पुलिस थाना पोकरण में ओ.एस. एक्ट के तहत गिरफतार कर सीआईडी जोन जोधपुर को वास्ते अग्रिम कार्यवाही हेतु सुपूर्द किया गया।

आईएस आई एजेंट पकड़ा चंधन फायरिंग रेंज के पास

आईएस आई एजेंट पकड़ा चंधन फायरिंग रेंज के पास

जैसलमेर सीमावर्ती जैसलमेर में हाल ही में संपन आयरन फिस्ट युद्धाभ्यास की जासूसी के आरोप में जैसलमेर पुलिस और खुफिया एजेंसियों ने संयुक अभियान के तहत एक संधिग्ध को पकड़ा हें ,सूत्रानुसार पकड़ा गया व्यक्ति पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आई एस आई का एजेंट बताया जा रहा हें ,उसे आज पोकरण ले जाया गया हें जहां उससे पूछताछ की जा रही हें

परम्परा … खांडा विवाह परम्परा ...तलवार के साथ होता था विवाह

 परम्परा … खांडा विवाह परम्परा ...तलवार के साथ होता था विवाह 

राजस्थान के राजपूत शासन काल में राजपूत हमेशा युद्धरत रहते थे कभी बाहरी आक्रमण तो कभी अपना अपना राज्य बढ़ाने के लिए राजाओं की आपसी लड़ाईयां|इन लड़ाइयों के चलते राजपूत योद्धाओं को कभी कभी अपनी शादी तक के लिए समय तक नहीं मिल पाता था|कई बार ऐसे भी अवसर आते थे कि शादी की रस्म को बीच में ही छोड़कर राजपूत योद्धाओं को युद्ध में जाना पड़ता था|
राजस्थान के प्रसिद्ध लोक देवता पाबूजी राठौड अपनी शादी में फेरों की रस्म पूरी ही नहीं कर पाए थे कि एक वृद्धा के पशुधन को लुटेरों से बचाने के लिए फेरों की रस्म बीच में ही छोड़ उन्हें रण में जाना पड़ा और वे उस वृद्धा के पशुधन की रक्षा करते हुए युद्धभूमि में शहीद हो गए|

इसी तरह मेवाड़ के सलूम्बर ठिकाने के रावत रत्नसिंह चुंडावत भी अपनी शादी के बाद ठीक से अपनी पत्नी रानी हाड़ी से मिल भी नहीं पाए कि उन्हें औरंगजेब के खिलाफ युद्ध में जाना पड़ गया और रानी ने ये सोच कर कि कहीं उसके पति पत्नीमोह में युद्ध से विमुख न हो जाए या वीरता प्रदर्शित नही कर पाए इसी आशंका के चलते उस वीर रानी ने अपना शीश काट कर ही निशानी के तौर पर भेज दिया ताकि उसका पति अब उसका मोह त्याग निर्भय होकर अपनी मातृभूमि के लिए युद्ध कर सके | और रावत रतन सिंह चुण्डावत ने अपनी पत्नी का कटा शीश गले में लटका औरंगजेब की सेना के साथ भयंकर युद्ध किया और वीरता पूर्वक लड़ते हुए अपनी मातृभूमि के लिए शहीद हो गए|

इस तरह राजपूत योद्धाओं को अक्सर अनवरत चलने वाले युद्धों के कारण अपनी शादी के लिए जाने तक का समय नहीं मिल पाता था ऐसे कई अवसर आते थे कि किसी योद्धा की शादी तय हो जाती थी और ठीक शादी से पहले उसे किसी युद्ध में चले जाना पड़ता था ऐसी परिस्थितियों में उस काल में राजपूत समुदाय में खांडा विवाह परम्परा की शुरुआत हुई इस परम्परा के अनुसार दुल्हे के शादी के समय उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में उसकी तलवार (खांडा) दुल्हे की जगह बारात के साथ भेज दी जाती थी और उसी तलवार को दुल्हे की जगह रखकर शादी के सभी रस्मों रिवाज पुरे कर दिए जाते थे|

पर अब राजपूत समुदाय में खांडा विवाह परम्परा बिल्कुल समाप्त हो चुकी है हाँ बचपन में मैंने खांडा विवाह तो नहीं पर कुछ सगाई समारोह जरुर देखें है जहाँ लड़का उस समय उपलब्ध नहीं था तो सगाई की रस्म तलवार रखकर पूरी कर दी गयी थी| मेरे एक चचेरे भाई की सगाई भी उसकी अनुपस्थिति में इसी तरह तलवार रखकर कर दी गयी थी अब भी हमारी भाभी और हमारे चचेरे भाई के बीच इस बात पर कई बार मजाक हो जाया करती है|

पर इस प्रथा को लेकर इतिहास में एक बार एक ऐसी दुखद घटना भी घट चुकी है जिसके चलते बाड़मेर की जनता को बहुत उत्पीडन सहना पड़ा| राजस्थान के प्रसिद्ध प्रथम इतिहासकार और तत्कालीन जोधपुर रियासत के प्रधान मुंहनोत नैंणसीं को तीसरे विवाह के लिए बाड़मेर राज्य के कामदार कमा ने अपनी पुत्री के विवाह का नारियल भेजा था (उस जमाने में सगाई के लिए नारियल भेजा जाता था जिसे स्वीकार कर लेते ही सगाई की रस्म पूरी हो जाया करती थी) पर जोधपुर राज्य के प्रशासनिक कार्यों में अत्यधिक व्यस्त होने के कारण नैंणसीं खुद विवाह के लिए नहीं जा पाए और प्रचलित परम्परा के अनुसार उन्होंने बारात के साथ अपनी तलवार भेजकर खांडा विवाह करने का निश्चय किया| पर दुल्हन के पिता कमा ने इसे अपमान समझा और अपनी कन्या को नहीं भेजा बल्कि कन्या के बदले मूसल भेज दिया जिससे जोधपुर का वह शक्तिशाली प्रशासक व सेनापति नैंणसीं अत्यधिक क्रोधित हुआ और उसने इसे अपना अपमान समझ उसका बदला लेने के लिए बाड़मेर पर ससैन्य चढाई कर आक्रमण कर दिया उसने पुरे बाड़मेर नगर को तहस नहस कर खूब लूटपाट की और नगर के मुख्य द्वार के दरवाजे वहां से हटाकर जालौर दुर्ग में लगवा दिए|इस प्रकार इस खांडा विवाह परम्परा के चलते बाड़मेर की तत्कालीन प्रजा को बहुत उत्पीडन सहना पड़ा|

चूँकि नैंणसीं राजपूत नहीं ओसवाल महाजन (जैन)था अत:उसके द्वारा खांडा विवाह के लिए तलवार भेजने की इस घटना से साफ जाहिर है कि ये परम्परा सिर्फ राजपूत जाति तक ही सिमित नहीं थी बल्कि राजस्थान में उस समय की अन्य जातियों में भी इस प्रथा का चलन था|


साभार ....

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रविवार, 24 फ़रवरी 2013

राज्यपाल ने जैसलमेर शहर के पर्यटन स्थलों का भ्रमण किया








राज्यपाल ने जैसलमेर शहर के पर्यटन स्थलों का भ्रमण किया
लोक संस्कृतिपरंपराओं और नैसर्गिक सौन्दर्य ने किया मंत्रमुग्ध
       जैसलमेर,24 फरवरी/राज्यपाल श्रीमती मार्गे्रट आल्वा जैसलमेर की लोक संस्कृतिशिल्प और स्थापत्य कला तथा परंपराओं का दिग्दर्शन कर मुग्ध हो उठी।
       राज्यपाल ने अपनी चार दिवसीय जैसलमेर यात्रा के तीसरे दिन रविवार को जैसलमेर शहर का भ्रमण करते हुए विभिन्न ऎतिहासिक एवं दर्शनीय स्थलों का अवलोकन किया और इन्हें अविस्मरणीय यादगार बताया। राज्यपाल ने पटवा हवेलीसालमसिंह हवेलीगड़ीसर सरोवर आदि स्थलों को देखा तथा इन्हें अनुपम निरूपित किया।
      अद्भुत है पटवा हवेली की नक्काशी
       राज्यपाल ने पटवा हवेली का अवलोकन करते हुए इसकी सूक्ष्म नक्काशी और सुन्दरतम कारीगरी पर मुग्ध होते हुए पाषाण पर कला के इस सूक्ष्म रूप को अवर्णनीय तथा प्राचीन धरोहरों को अप्रतिम बताया।
       राज्यपाल का पटवा हवेली पहुुंचने पर वहां के निवासी राजेन्द्र बाफना एवं उनकी पत्नी श्रीमती मधु बाफना ने पुष्पहार पहनाकर स्वागत किया और पुरातात्विक महत्त्व की हवेली के पुराने झरोखों की मरम्मत आदि के लिए अनुमति का आग्रह किया।
      हवेलियों के संरक्षण के लिए ठोस प्रयासों के निर्देश
       इस पर राज्यपाल ने जिला कलक्टर शुचि त्यागी को निर्देश दिए कि इसके लिए एएसआई से सम्पर्क करें। राज्यपाल ने बाफना दम्पत्ति को आश्वस्त किया कि वे इस बारे में केन्द्रीय संस्कृति मंत्री और भारतीय पुरातत्व संरक्षण विभाग के महानिदेशक से चर्चा करेंगी।        राज्यपाल ने पटवा हवेली के सौन्दर्य से अभिभूत होते हुए कहा कि प्राचीन महत्त्व की इन विलक्षण धरोहरों के संरक्षण के लिए हरसंभव उपाय सुनिश्चित किए जाने चाहिएं।
      धनाराम भील की लम्बी मूंछों ने जगाया आकर्षण
       राज्यपाल ने पटवा हवेली में अपनी सर्वाधिक लम्बी मूँछों के लिए गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड में शुमार स्व. करणाराम भील के नक्शे कदम पर चलकर लम्बी मूँछों का पारिवारिक गौरव बरकरार रखने वाले धनाराम भील ने अपनी लम्बी मूंछें खोलकर राज्यपाल के समक्ष दिखायी। महामहिम ने धनाराम के मौलिक हुनर की तारीफ की और उनके साथ फोटो खिंचवाया।
      हवेली के भीतरी मार्ग को सुन्दर बनाएं
       राज्यपाल श्रीमती मार्गे्रट आल्वा ने पटवा हवेली के आन्तरिक मार्ग को सुन्दर स्वरूप प्रदान करने तथा पूरी तरह साफ-सुथरा बनाए रखने के निर्देश दिए। यहीं पर पार्षद श्रीमती शांति चूरा ने राज्यपाल का स्वागत किया। राज्यपाल ने पार्षद को इस कार्य के लिए पूरा सहयोग देने की बात कही। राज्यपाल श्रीमती मार्गे्रट आल्वा ने सालमसिंह की हवेली को भी देखा तथा इस बारे में जानकारी पायी।
      गड़ीसर सरोवर पर हुई मुग्ध
       राज्यपाल ने रविवार शाम गड़ीसर सरोवर को देखा तथा वहाँ भ्रमण कर इसके बारे में जानकारी पायी। राज्यपाल ने गड़ीसर में लाईट एण्ड साउंड गतिविधियों को बेहतर बनाने के निर्देश दिए और कहा कि इससे गड़ीसर के पर्यटन विकास को और अधिक बढ़ावा मिलेगा।
       इस दौरान राज्यपाल ने वहां मौजूद विभिन्न प्रान्तों से आए सैलानियों का हाथ हिलाकर अभिवादन स्वीकार किया वहीं जोधपुर जिले के शेरगढ़ के दो स्कूलों से आए छात्रों से बातचीत की और उनकी शिक्षा-दीक्षा के बारे में जानकारी ली। राज्यपाल ने बच्चों के साथ फोटो भी खिंचवाये।
       रावणहत्था लोकवाद्य की स्वर लहरियां सुनी
       गड़ीसर झील पर भ्रमण के दौरान् रावणहत्था लोक वाद्य बजा रहे लोककलाकार को देखा तो वहाँ रुक कर इस अनूठे लोक वाद्य के बारे में कलाकार से जानकारी ली एवं उस यंत्र को अपने हाथों में लेकर बजाने का प्रयास भी किया।
       जैसलमेर के पर्यटन स्थलों के भ्रमण के दौरान् जिला कलक्टर शुचि त्यागीनवनियुक्त जिला पुलिस अधीक्षक पंकज चौधरीअतिरिक्त जिला कलक्टर परशुराम धानकापर्यटन विभाग के अधिकारी आदि उपस्थित थे। आरंभ में नगर परिषद के आयुक्त आर.के. माहेश्वरी ने राज्यपाल को गुलदस्ता भेंट कर स्वागत किया। राज्यपाल श्रीमती मार्गे्रट आल्वा ने इन दर्शनीय स्थलों के बारे में गाईड़ हरीशगिरि गोस्वामी से विस्तार से ऎतिहासिक महत्त्व की जानकारी दी।

foto....मरु महोत्सव- ‘‘टैटू शो‘‘ के हैरतअंगेज एवं रोमाचंक करतबों ने दर्शकाें को किया रोमांचित


राज्यपाल श्रीमती मार्ग्रेट आल्वा साक्षी बनी कैमल टैंटू शो की









मरु महोत्सव- ‘‘टैटू शो‘‘ के हैरतअंगेज एवं रोमाचंक करतबों ने दर्शकाें को किया रोमांचित
   जैसलमेर, 24 फरवरी/ मरु महोत्सव के दूसरे दिन डेडानसर मैदान मे सीमा सुरक्षा बल द्वारा प्रस्तुत किया गया ऊँटों के विभिन्न हैरतअंगेज करतबों वाले ‘‘केमल टैटू शो‘‘ ने दर्शकों को आश्चर्यचकित कर दिया। सीमा सुरक्षा बल के प्रहरियों द्वारा ऊंट के विभिन्न रोमांचकारी करतबों को प्रस्तुत कर मरु भूमि एवं सीमाओं की सुरक्षा में इस मूक पशु रेगिस्तान जहाज ने अपनी महत्ता से अवगत करा दिया।
   राज्यपाल श्रीमती माग्र्रेट आल्वा के मुख्यातिथ्य में आयोजित हुए इस हैरतअंगेज कार्यक्रम में प्रमुख शासन सचिव पर्यटन विभाग राकेश श्रीवास्तवमहानिरीक्षक राजस्थान सीमान्त सीमा सुरक्षा बल पी.सी मीणाजिला कलक्टर शुचि त्यागीपुलिस अधीक्षक पंकज चौधरी,उपमहानिरीक्षक सीमा सुरक्षा बल जोधपुर पी.एस राठौडउप महानिरीक्षक जैसलमेर साउथ वी.एस राजपुरोहित उपस्थित थे।
   सीमा सुरक्षा प्रहरियों का साथ दिया रेगिस्तान जहाज ने
   केमल टैंटू शो में उपसेमादेष्टा अमोलसिंह राठौड़ के नेतृत्व में सीमा प्रहरियों का रेगिस्तान के जहाज ऊंट ने सच्चे साथी का साथ निभाने का सचित्र प्रदर्शन कर दर्शकाें को अचम्भित कर दिया।
   ऊॅटाें पर सीमा प्रहरियों द्वारा मार्च पास्ट
   कैमल टैंटू शो के अवसर पर विश्व का एक मात्र केमल माउण्टेण्ड बैण्ड एवं इसकी मधुर धुनों पर प्रशिक्षित ऊंटों ने जो करतब दिखाये वे बहुत ही आकर्षित रहे।      राजस्थानी गीतो की धुनों पर ‘‘आओ नी पधारो म्हारे देश‘‘ पर ऊंटों की टोली ने आकर्षक मार्चपास्ट किया तथा अतिथियों को सलामी मंच के सामने सलामी देते हुए गुजरे।
   बैण्ड मास्टर के नेतृत्व में राजस्थानी लोकगीत की मधुर धुन पर ‘‘ढोला-ढोल मंजीरा बाजे रे‘‘ ‘‘कोरो काजलिया‘‘ ‘‘घूसो बाजे रे महाराज थारे मारवाड में‘‘ ‘‘सागर जानी भरने जाऊ,नजर लग जावे‘‘ ‘‘म्हारी घूमर छै नखराली घूमर रमवा मै ज्यासू‘‘ पर कैमल म्युजिक राईट का प्रदर्शन किया।
   ऊंटों पर एक्रोबैट्स
   टैंटू शो में सीमा प्रहरियों ने दौड़ते हुए ऊंट पर सवार खड़ी पोजीशन में सैल्यूट दिया वही दौडते हुए ऊॅट पर मयूर पोजीशनमच्छी पोजिशन का अद्भूत प्रदर्शन कर दर्शको का मन मोह लिया।
   सीमा प्रहरियों द्वारा फोरमेशन प्रदर्शन
   केमल टैंटू शों में सीमा प्रहरियों ने छः-छः की पंक्ति, 12-12  ऊॅटों की क्रॉसिंग,डाईगनल फोरमेशनशक्कर पारा फोरमेशन करनेचक्रव्यूह लहरियाचौराहापीपल के पत्ते के फोरमेशन की प्रस्तुति ने दर्शकाें को आश्चर्य चकित  कर दिया।
   ऊॅटों पर पीटी प्रदर्शन
   केमल टैंटू शो में सीमा प्रहरियों ने लेटे हुए ऊॅटो में पीटी का आकर्षक प्रदर्शन किया।
   जोकर एवं पणिहारी प्रस्तुति रही सैन्यक
   टैंटू शो में जोकर एवं पणिहारी की प्रस्तुति भी रौचक रही एवं जोकर के करतबों को देखकर दर्शक अपनी हंसी रोक नही सके।
   बी.ओ.पी आक्रेस्ट्रा का मनोरंजन प्रदर्शन
   शो में बल के लतीफ खां लंगा एवं उनके साथियों ने घरों में उपयोग में आने वाले जरीकन चायपत्ती के खाली डिब्बेबाल्टीथालीमंगापाउडर के खाली डिब्बे,बेलचागैतीसाजो पर देश भक्ति गीत ‘‘हम तो सीमा के प्रहरी हैफीदा इस पर हो जायेंगे‘‘ ‘‘ए वतन हमको तरी कसमतुज पर जान लुटायेगे‘‘ प्रस्तुत कर दर्शकाें की वाहवाही लूटी।
   ये थे उपस्थित
   इस अवसर पर अतिरिक्त जिला कलक्टर परशुराम धानकाउपखण्ड अधिकारी रमेशचन्द जैन्थउपायुक्त उपनिवेशन देवाराम सुथारआयुक्त नगरपालिका रामकिशोर माहेश्वरी,उपनिदेशक हनुमानमल आर्य के साथ ही हजारों की संख्या में दर्शकगणसीमा सुरक्षा बल के अधिकारी एवं जवानों के साथ ही विदेशी सैलानियो ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई एवं इस हैरत अंगेज रेगिस्तानी जहाज के करतबों को उत्साह के साथ देखा तथा इन कार्यक्रमों को अपने कैमरों में कैद किया।
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राज्यपाल ने सीमा सुरक्षा बल के लोक कलाकारों की हौंसला अफजाई की
   जैसलमेर, 24 फरवरी/ मरु महोत्सव के दूसरे दिन रविवार को डेडानसर मैदान में महामहिम राज्यपाल श्रीमती माग्रेट आल्वा के मुख्यातिथ्य में आयोजित सीमा सुरक्षा बल के केमल टैंटू शो में बल के लोक कलाकारों द्वारा आम दिन में उपयोग आने वाले ओजारों को वाद्ययंत्र के रूप में उपयोग लेकर लोकगीत प्रस्तुत किये। राज्यपाल इन लोक कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किए गए लोक गीतों से बहुत ही प्रभावित हुई एवं वे अपने आप को कलाकारों के पास जाने से रोक नहीं पाई। राज्यपाल आल्वा ने लोक कलाकार लतीफ खां लंगा एवं उनके साथियों के पास जाकर उन्हें नगद पुरस्कार प्रदान कर उनका उत्साहवद्र्धन किया। इन लोक कलाकारों ने राज्यपाल के साथ फोटो भी खिंचवाये।
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प्रमुख शासन सचिव ने राज्यपाल को स्मृति चिह्न प्रदान किया
   जैसलमेर, 24 फरवरी/ मरु महोत्सव के दूसरे दिन डेडानसर मैदान मे आयोजित सीमा सुरक्षा बल के कैमल टैंटू शो के समापन पर  राज्यपाल श्रीमती माग्रेट आल्वा को प्रमुख शासन सचिव पर्यटन विभाग राकेश श्रीवास्तव ने स्मृति चिह्न प्रदान किया।  

कर्नल सोनाराम की बगावत मामूली नहीं है

बेशक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का फिलहाल कोई विकल्प नहीं है और उन्हें कांग्रेस हाईकमान का वरदहस्त हासिल है, मगर विधायक दल की बैठक में असंतुष्ट विधायक कर्नल सोनाराम ने जिस तरह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को निशाना बनाते हुए हंगामा किया, वह कोई मामूली बात नहीं है।
सब जानते हैं कि सोनाराम शुरू से गहलोत विरोधी मुहिम चलाते रहे हैं। वे बिंदास हैं और बेधड़क बोलते हैं। उनकी गिनती गहलोत विरोधी विधायकों में सबसे ऊपर होती है। अपनी मुहिम के सिलसिले में वे कई बार दिल्ली दरबार में दस्तक देते रहे हैं। अन्य असंतुष्ठ विधायकों से भी उनका तालमेल बराबर बना रहा है। यह बात अलग है कि उन्हें कभी कोई बड़ी कामयाबी हासिल नहीं हुई। अब जब कि चुनाव नजदीक हैं, उन्होंने अपने हमले तेज कर दिए हैं। बीते दिन जैसे ही विधायक दल की बैठक शुरू हुई तो सोनाराम ने मुख्यमंत्री से बोलने की इजाजत मांगी, लेकिन उन्हें मौका नहीं दिया गया। संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल और सरकारी मुख्य सचेतक रघु शर्मा के बाद मुख्यमंत्री ने बोलना शुरू किया तो भाषण के बीच में ही सोनाराम ने उन्हें टोकना शुरू कर दिया कि आप झूठ बोलते हैं। भाजपा की गुटबाजी की बात करते हैं, कांग्रेस में तो आप खुद गुटबाजी फैला रहे हैं। इस बीच कुछ विधायकों ने सोनाराम को बैठाने की कोशिश की लेकिन वे नहीं माने। सोनाराम के इस रवैये से साफ समझा जा सकता है कि वे कितने असंतुष्ट हैं और अपने असंतोष को जाहिर करने के लिए किसी भी सीमा पर चले जाते हैं। और मजे की बात ये कि खुद को पार्टी का सच्चा सिपाही जताते हुए गहलोत को इंगित करते हुए कहते हैं कि आपकी कई चालों को देखकर तो मुझे खुद शर्म आती है। बाहर आप मिलते नहीं, बैठक में बोलने नहीं देते, अपनी बात कहां कहें। मैं कांग्रेस को मजबूत करने की बात के लिए खड़ा हुआ हूं। आप जिस तरह की बातें करते हैं, वह आपको शोभा नहीं देता। इतना ही उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि आपने पार्टी हित को नजरअंदाज करके अपने ऐसे चहेतों को पद दिए जो पार्टी उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं। जैसलमेर में कांग्रेस उम्मीदवार सुनीता भाटी के खिलाफ चुनाव लड़ चुके गोवर्धन कल्ला को आपने बीसूका जिला उपाध्यक्ष बनाया। इससे पार्टी को क्या मजबूती मिली?
हालांकि सोनाराम के इस दावे में दम कुछ कम नजर आता है कि पार्टी के 96 विधायकों में से आधे गहलोत के खिलाफ हैं, मगर तकरीबन 30 विधायक तो चिन्हित ही हैं, जो समय-समय पर अपना विरोध जाहिर करते रहे हैं। इनमें कुछ मंत्री भी शामिल हैं। ऐसे में पार्टी के लिए यह गंभीर चिंतन का विषय हो सकता है कि कहीं चुनाव और नजदीक आने पर विरोध के सुर और तेज न हो जाएं। और जब सोनाराम जैसे मुखर हो कर विरोध की हवा को भड़का रहे हों तो यह चिंता की बात ही है।
सोनाराम के विरोध को इस अर्थ में भी देखा जा सकता है कि वे नेगोसिएशन में कुछ हासिल करना चाहते हों। ज्ञातव्य है कि इन दिनों यह चर्चा गर्म है कि जातीय संतुलन बैठाने के लिए जाट समाज के किसी नेता को उप मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है अथवा किसी महत्वपूर्ण विभाग का मंत्री बनाया जा सकता है। ऐसे में यह संदेह होता है कि कहीं कुछ हासिल करने के लिए ही तो वे नौटंकी नहीं कर रहे हैं।
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तेजवानी गिरधर
http://mediadarbar.com/16416/revolt-of-colonel-sonaram-is-not-a-small-issue/

आर्मी के पीआरओ को 20 करोड़ की ड्रग्स के साथ पकड़ा

इंफाल. मणिपुर में आर्मी के एक सीनियर अफसर को ड्रग्स की तस्करी के आरोप में पकड़ा गया है। इंफाल में पिछले चार सालों से सेना के पीआरओ के तौर पर तैनात कर्नल अजय चौधरी को रविवार को हिरासत में लिया गया। चौधरी के अलावा पांच स्थानीय नागरिकों और एक टेरिटोरियल आर्मी के एक सैनिक को भी हिरासत में लिया गया है। गिरफ्तार लोगों में इंडिगो एयरलाइंस का एक कर्मचारी भी शामिल है। इंटरनेशनल मार्केट में ड्रग्स की कीमत 15 से 20 करोड़ रुपये आंकी जा रही है।
आर्मी के पीआरओ को 20 करोड़ की ड्रग्स के साथ पकड़ा

जानकारी के मुताबिक ये सभी लोग अलग-अलग वाहनों में कई ब्रांड की टैबलेट लेकर मोरेह की ओर जा रहे थे। मोरेह भारत और म्यांमार की सीमा के पास का गांव है। म्यांमार में ड्रग्स की काफी डिमांड है। यह ड्रग्स तीनों वाहनों की छत पर लदी हुई थी। इन्हें स्थानीय पुलिस कमांडो ने हिरासत में लिया। सूत्रों के मुताबिक रक्षा मंत्रालय मामले की जांच कर रहा है। इस मामले में कई और लोगों के नाम सामने आने की उम्मीद है।




हिरासत में लिए जाने के बाद कर्नल अजय चौधरी ने एक वरिष्ठ सेना के अधिकारी का नाम लिया है जिसे अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है। अजय चौधरी का कहना था कि उनसे सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी के भतीजे ने दवाइयों के पैकेट लाने को कहा था। वह म्यांमार की सीमा पर उनका इंतजार कर रहा था। जब वह पैकेट लेकर वापस आ रहे थे तो कमांडों ने उन्हें रोक लिया।



सेना के दूसरे पीआरओ जगदीप दहिया ने कर्नल अजय चौधरी के गिरफ्तार होने की बात स्वीकार की है। कानून के खिलाफ काम किया है तो कानून के तहत ही उन पर कोई कार्रवाई की जाएगी। कर्नल चौधरी और उनके साथ पकड़े गए लोगों के पास से प्रतिबंधित दवाइयों के दो लाख टैबलेट के स्ट्रिप्स बरामद हुए हैं।

लोक रंगों का महामेला - बेणेश्वर लोक लहरियां उमड़ाती हैं आनंद का समंदर


 बेणेश्वर मुख्य मेला माघ पूर्णिमा-25 फरवरी 2013





लोक रंगों का महामेला - बेणेश्वर
लोक लहरियां उमड़ाती हैं आनंद का समंदर
-डॉ. दीपक आचार्य
9413306077


 
बेणेश्वर धाम...... दूर-दूर तक फैला टापूअथाह पानी और संगमखुला आसमान... जहाँ अहर्निश बहा करती हैं संस्कृति की जाने कितनी धाराएँउपधाराएँ और अन्तः सरणियाँ। वह नाम जिसमें समाए हुए हैं लोक संस्कृतिसामाजिक सौहार्द और वनवासी संस्कृति के जाने कितने रंग। मेल-मिलाप की संस्कृति का यह महामेला राजस्थान के दक्षिणांचल की धड़कनों में समाया हुआ है।  
लोक लहरियों का समंदर उमड़ता है यहाँ
राजस्थानमध्यप्रदेश और गुजरात के समीपवर्ती पहाड़ी वाग्वर अंचल की लोक संस्कृति एवं लोक लहरियां यहां की नैसर्गिक सौन्दर्य से लक-दक पर्वतीय उपत्यकाओं से प्रतिध्वनित होती हैं। वनवासियों का मधुर संगीत और घुंघरुओं की झनकारसरिताओं की कल्लोलअर्वाचीन गंधर्वाें व किन्नरों की पुरोधा लगती है।
एक ओर यह मेला परंपरागत लोक संस्कृति का जीवन्त दिग्दर्शन कराता है तो दूसरी ओर जनजातीय क्षेत्रों में सम-सामयिक परिवर्तनोंरहन-सहन में बदलाव और विकास के विभिन्न आयामों को भी अच्छी तरह दर्शाता है। यह बेणेश्वर मेला ही है जो वागड़ अंचल भर की उन तमाम गतिविधियों का सम्यक प्रतिदर्श पेश करता है जो वर्ष भर लोक जीवन में संवहित होती रहती हैं।
सारे तीर्थ आते हैं यहाँ माघ पूनम को
माही मैयासोम और जाखम सलिलाओं के पवित्र जल राशि संगम स्थल पर डूंगरपुर जिला मुख्यालय से 65 किलोमीटर दूर बेणेश्वर धाम के नाम से देश-विदेश में सुविख्यात टापू जन-जन की आस्थाओं का प्रतीक है। वनवासियों के लिए यह महातीर्थ हैजो प्रयागपुष्करगयाकाशी आदि पौराणिक तीर्थों की ही तरह पवित्र माना गया है। यहां का पवित्र संगम पाप मुक्तिदायक एवं सर्वार्थसिद्धि प्रदान करने वाला है।
बेणेश्वर धाम का सर्वोपरि महत्व मृतात्माओं के मुक्ति स्थल के रूप में हैंजहां वनवासियों द्वारा अपने परिजनों के मोक्ष के निमित्त धार्मिक क्रियाएं करने की परिपाटी पुराने समय से चली आ रही है।
सोमवार को मुख्य मेला
हर वर्ष माघ पूर्णिमा पर मुख्य मेला जुटता हैजिसमें वाग्वर अंचल के कई लाख लोगों के अलावा देश के विभिन्न हिस्सों ख़ासकर मध्यप्रदेश और गुजरात जैसे पड़ोसी राज्यों से भी मेलार्थी भाग लेते हैं। तीन सौ से भी अधिक वर्ष पुरानाहिन्दुस्तान भर के वनवासियों का सबसे बड़ा मेला होने के कारण इसे वनवासियों के महाकुंभ’ की संज्ञा भी दी गई है। आर्थिक विपन्नता के कारण यहां के बहुसंख्य वनवासी गया आदि स्थलों पर जाकर अपने मृत परिजनों की उत्तरक्रियाएं करने में समर्थ नहीं हैंऎसे में बेणेश्वर धाम का दिव्य संगम तीर्थ ही उनके लिए हरिद्वारकाशीगयागंगा-यमुना आदि तीर्थों की तरह है। वर्ष में एक बार बेणेश्वर मेले में आकर वे मोक्ष रस्मों को पूरा करते हैं व अपने गुरुत्तर पारिवारिक दायित्व निभाते हैं।
पितरों के मोक्ष का जतन
बीते वर्ष में जब भी घर-परिवार में किसी की मृत्यु होती है तब उसकी चिताभस्म से अवशेष रह गई अस्थियोंजिन्हें स्थानीय भाषा में फूल’ कहा जाता हैको मिट्टी की कुल्हड़ी में सहेज कर रख दिया जाता है। जिन कतिपय समुदायों में शव को गाड़ने का विधान हैउनमें शव को गाड़ने से पूर्व नाखून एवं कुछ केश ले लिए जाते हैं व इन्हें कुल्हड़ में भरकर बाहर रख देते हैं।
सामान्यतः मनुष्य को मृत्यु के अनन्तर की जाने वाली क्रियाएं वनवासियों में भी की जाती हैं। इनकी मान्यता है कि जब तक बेणेश्वर जाकर अस्थि विसर्जन नहीं किया जातातब तक मृतात्मा का मोक्ष नहीं होता व आत्मा भटकती रहती है। इस दृष्टि से हजारों-हजार वनवासी माघ पूर्णिमा के बेणेश्वर मेले की बड़ी ही उत्सुकता से प्रतीक्षा करते हैं।
बेणेश्वर मेले से ठीक पहले घर-परिवार के लोगों का समूह इकट्ठा होता है व अस्थियों भरी कुल्हड़ियों को साथ लेकर मृतात्मा का नाम पुकार कर अपने साथ चलने का आह्वान किया जाता है। मेले में जाते हुए ये लोग अपने साथ पोटलियों एवं डिब्बों में खाने-पीने का सामान भी लेकर जाते हैं।
माघ पूर्णिमा के एक दिन पहले बेणेश्वर पहुंचने वाले सभी मार्गों पर अस्थि विसर्जन के लिए जाने वाले वनवासी परिवारों का सैलाब उमड़ा हुआ दिखाई देता है। माघ पूर्णिमा को बड़े सवेरे मुँह अंधेरे बेणेश्वर संगम तीर्थ पर हर तरफ हजारों-हजार वनवासी नर-नारियों के झुंड करुण अलाप व मृतात्माओं के आह्वान में व्यस्त दिखाई देते हैंइससे समूचा परिक्षेत्र गमगीन हो उठता है। लोग मृतात्मा का स्मरण कर रूदन करते हुए विलाप करते हैं इसे दाड़ पाड़ना’ कहा जाता है।
संगम तीर्थ पर लाल या सफेद रंग के वस्त्र से ढकी अस्थि भरी कुल्हड़ी पर पुष्प एवं कुंकुमादि से पूजा की जाती है। इसके बाद संगम तीर्थ में अस्थि कुल्हड़ियां लिए मृतक का पुत्र या आश्रित आगे ही आगे पानी में बढ़ता जाता है व पीछे-पीछे घर-परिवार के अन्य सदस्य भी कतारबद्ध उसके पीछे चलते जाते हैं। नाभि तक जल में उतर कर सब लोग स्नान करते हैं व दक्षिण दिशा की ओर मुँह करके दिवंगत परिजन की याद में करुण विलाप करते हुए अस्थियों व चिता भस्म को बहती जल धाराओं में प्रवाहित कर देते हैं। इस समय मृत परिजन को स्मरण कर अंतिम प्रणाम किया जाता है। इस क्रिया को फूल पदराना’ कहा जाता है।
धार्मिक मान्यताओं का मनोहारी दिग्दर्शन
लोगों की मान्यता है कि बेणेश्वर में अस्थि विसर्जन के साथ ही आत्मा का इस जन्म का समस्त मोह समाप्त हो जाता है व उसकी पारलौकिक यात्रा शुरू हो जाती है। अस्थि विसर्जन के बाद जल की अंजुलि भरकर तर्पण किया जाता है व सूर्य भगवान को अध्र्य चढ़ाकर अन्य देवी-देवताओं को वंदन करते हैं। स्नानतर्पण एवं अस्थि विसर्जन के बाद जल से बाहर निकल कर पवित्र वस्त्र धारण करते हैं व मृतात्मा के मोक्ष के निमित्त उत्तर क्रिया अनुष्ठान करवाते हैं। दीप प्रज्ज्वलन व विसर्जन भी करते हैं।
संगम तीर्थ के टापूओंजल विहीन चट्टानोंनदी तीरोंगोल-मटोल पत्थरों एवं रेतीले क्षेत्रों पर भगत एवं पुरोहितजिन्हें स्थानीय भाषा में गरु’ अथवा गोरजी’ कहा जाता हैजहां-तहां अपने आसन जमाये बैठेे रहते हैं। गरु संगम तट पर लालसफेद कापले (नन्हें वस्त्र) बिछाकर उस पर चावलगेहूंकुंकुमरोलीहल्दी से यंत्र बनाकर अनुष्ठान में व्यस्त दिखाई देते हैं।
अस्थि विसर्जन के लिए आने वाले मेलार्थी यजमान इन गरुओं के सम्मुख अपने-अपने मृत परिजन की मुक्ति के उद्देश्य से उत्तर क्रिया कराते हैं। गरु द्वारा गणेश पूजन व संकल्प के पश्चात मृतात्माओं का आह्वान किया जाता है। कई-कई लोग मुंडन भी करवाते हैं। इस क्रिया के बाद गरु को दान-दक्षिणा व सीधा (भोजन निर्माण हेतु अन्नादि) दिया जाता है।
मीलों पसरा रहता है मेला
करीब एक-डेढ़ किलोमीटर संगम क्षेत्र भर में यही नज़ारा मृतात्माओं के मोक्ष के उत्सुक जीवात्माओं की परम्परागत श्रद्धा को अभिव्यक्त करता है। अस्थि विसर्जन का यह सिलसिला माघ पूर्णिमा को दिन भर अपने चरमोत्कर्ष पर रहता है। अस्थि विसर्जन के उपरांत वनवासी संगम तट की चट्टानों व रेत पर चूल्हा जला कर बड़े-बड़े काले मटकों या पात्रों में परम्परागतबाकरादाल-बाटी या पानीये(मक्का की मोटी रोटी) पकाते हैं। बाकरा विशेष प्रकार का खाद्यान्न होता हैजिसमें गेहूंचावल आदि को एक साथ मिलाकर पकाया जाता है। इसमें गुड़ या शक्कर मिलाकर मीठा बाकरा तथा मिर्चादि मिलाकर मसालेदार बाकरा बनाया जाता है। समूचे संगम तट पर कण्डों व लकड़ियों के जलने से धूएं के बादल उठते दिखाई देते हैं। यहीं पर पूरे परिवार के लोग एक साथ बैठकर सामूहिक भोजन करते हैं।
संगम तटों पर शुद्ध पानी निकालने के लिए लोगों द्वारा रेत कंकड़ों को निकाल कर खड्डा बनाया जाता है व इसमें से निकला पानी पीने के काम में लिया जाता है। इन जलीय खड्डों को बिलं’ कहते हैं। वारवड़ा(शिशुओं के मुण्डन की बाधा) की रस्में भी यहां पूरी की जाती हैं।
इस सब पारिवारिक दायित्वों से फुर्सत पाकर मेलार्थी मेलास्थल के श्रद्धास्थलोंमंदिरों एवं मेला बाजारों की यात्रा करते हैं। तीनों ही ओर दूर-दूर तक कलनाद करती सरिताओं एवं अथाह जलराशि भरे पवित्र संगम तटीय क्षेत्र के बीचों-बीच सुविस्तीर्ण टापू की सबसे ऊंची पहाड़ी पर प्राचीन बेणेश्वर शिवालय है। मेले का नामकरण भी इसी के आधार पर किया हुआ है।
पौराणिक मिथकों से जुड़ा है यह तीर्थ
यहां विभिन्न देवी-देवताओं के कई मन्दिर हैं जो श्रद्धा और आस्था का ज्वार उमड़ाते हैं। इस महातीर्थ के संबंध में पौराणिक मान्यता है कि इस गुप्त प्रदेश में राजा बलि ने बड़ा भारी यज्ञ किया। उस समय भगवान विष्णु ने तीन पग भूमि का दान इसी स्थल पर लिया। भगवान हरि ने वामन रूप धर कर जिस स्थान पर अपना पग रखा उसे आबूदर्रा’ कहा जाता है। इसकी गहराई अथाह है।
भक्तों का मेला
यह वाल्मीकि मंदिर मेले के दिनों में वनवासी चेतना का धाम बन जाता हैजहां इस अंचल के कोने-कोने से भक्तों की टोलियां अपने-अपने मत-मतांतरों के ध्वजलोकवाद्य यंत्र लेकर शरीक होती हैं व धार्मिक एवं सामाजिक सुधार के विविध कार्यक्रमों के माध्यम से लोक जागरण को प्रभावी दिशा देती हैं। मेले में ऎटीवाला पाड़ला के देवपुरी महाराज की चित्र लेकर पालकी आती है। यहीं हवनकुंडधर्मशालाचुग्गा डालने का चबूतरा आदि हैं। भक्तों द्वारा लगातार यहां भजन लहरियां प्रवाहित की जाती हैं। वाल्मीकि मंदिर पर बड़ी संख्या में लगने वाले रंग-बिरंगे ध्वजोंभक्तों का जमावड़ा और धार्मिक कार्यक्रमों का समन्वय मेले की रंगत को बहुगुणित करता है।
मेला बाजारों का भी है अपना आकर्षण
इस वार्षिक मेले में विस्तृत फैले मेला बाजारों में चारों तरफ असंख्य दुकानें लगती हैं व मनोरंजन के संसाधनों का जमावड़ा होता है। मेला बाजारों में हर वस्तु मिलती हैवहीं मनोरंजन स्थल पर रंगझूलेचकडौलसर्कसपिक्चरमदारियों के कारनामेंमौत का कूआजादूरेलचिड़ियाघर आदि सभी विधाओं को पाया जा सकता है। मेलार्थी अपने जरूरत की चीजों की खरीद-फरोख़्त करते हैं व मेले का पूरा-पूरा लुत्फ उठाते हैं।
पीठाधीश्वर होते हैं श्रद्धा के केन्द्र
मेला स्थल के प्रमुख राधा-कृष्ण मंदिर में बेणेश्वर धाम के पीठाधीश्वर की गादी लगती है। मेलार्थी यहां आकर महन्त के चरणस्पर्श कर आशीर्वाद ग्रहण करते हैं व कुछ न कुछ चढ़ावा अवश्य चढ़ाते हैं। मेले में जहां-तहां साधु संतोंभक्तों एवं मठ-मंदिरों के पुजारियों आदि को धार्मिक क्रिया-कलापों में व्यस्त देखा जाता है। साधु संत धर्म ध्वजाएं लगाये भजनानंद में व्यस्त रहते हैं।
मुक्ति का महाधाम
बेणेश्वर जहां आनंद का ज्वार उमड़ता हैवहीं मृतात्माओं की मुक्ति का महाधाम हैजो पिछले तीन सौ से अधिक वर्षों से अपनी पावनता का बखान कर रहा है। इसके साथ ही वनवासी अंचल में लगने वाला यह परंपरागत मेला इस क्षेत्र की संस्कृतिसामाजिक रीति-रिवाजरहन-सहन के अंदाज और वनवासियों के जीवनदर्शन से भली प्रकार रूबरू कराता है और आनंद के साथ जीने की कला के दर्शन से हर किसी को अभिभूत कर देता है।