नई दिल्ली : केंद्रीय वित्त मंत्री मंत्री अरुण जेटली ने रेल यात्री किराए में हुई बढ़ोतरी को जायज ठहराया है। जेटली ने शनिवार को कहा कि रेल मंत्री ने यात्री किराया एवं माल भाड़ा बढ़ाने का कठिन लेकिन सही निर्णय किया है। जेटली ने कहा कि देश को निर्णय करना होगा कि उसे विश्व स्तरीय रेल सेवा चाहिए अथवा खस्ताहाल रेल सेवा।
गौरतलब है कि मोदी सरकार ने शुक्रवार को रेल यात्री किराए में 14.2 फीसदी की बढ़ोतरी का फैसला किया। यह बढ़ोतरी 25 जून से लागू होगी। हालांकि, इस वृद्धि का देश की तमाम सियासी पार्टियों ने विरोध किया है। शनिवार को देश भर में कई जगहों पर रेल यात्री किराए में हुई बढ़ोतरी के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन हुए।
जेटली ने कहा कि सरकार के सामने दो रास्ते बचे हैं, वह या तो रेल को खस्ताहाल हालत में छोड़ दे और कर्ज के जाल में उलझती जाए। नहीं तो वह किराए में बढ़ोतरी करे। जेटली ने कहा, 'देश को यह निर्णय करना होगा कि उसे एक विश्व-स्तरीय रेल चाहिए अथवा एक खस्ताहाल रेल सेवा।'
वित्त मंत्री ने कहा, 'रेल मंत्री ने एक कड़ा लेकिन सही फैसला किया है। भारतीय रेल पिछले कुछ वर्षों से घाटे में चल रही है। यात्री किराए में वृद्धि करके ही रेलवे को उबारा जा सकता है।'
रेलवे ने सभी श्रेणियों के यात्री किराये में 14.2 प्रतिशत और माल भाड़े में 6.5 प्रतिशत की वृद्धि की है। यह बढोतरी 25 जून से लागू होंगे। रेलवे की किराया वृद्धि के बारे में शुक्रवार की घोषणा के तहत इस बारे में 16 मई के फैसले को ही बहाल किया गया है। तब लोकसभा चुनाव परिणाम आने के दिन किराया वृद्धि की घोषणा की गई थी लेकिन तुरंत उस पर अमल को रोक दिया गया था। गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले सरकार ने रेल किराये बढ़ाने के संकेत दे दिए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा था कि अच्छे दिन लाने के लिए कुछ कड़वे फैसले लेने जरूरी है। रेलवे के बढ़े हुए किराए में फ्यूल एडजस्टमेंट चार्ज शामिल है। रेलवे ने बाद में सफाई दी कि यात्री किराये में बस 10 फीसदी और मालभाड़े में 5 फीसदी वृद्धि की गई है। गौर हो कि नकदी संकट से जूझ रहे रेल बोर्ड ने यात्री किराये में 14.2 प्रतिशत तथा माल भाड़े में 6.5 प्रतिशत बढ़ोतरी का प्रस्ताव किया था।
रेल मंत्रालय द्वारा 16 मई को आम चुनाव प्रक्रिया के बीच में किराये बढ़ाने की घोषणा से लोगों को कुछ रंज हुआ। इस पर उस दिन रेल भवन में अचानक गतिविधियां बढ़ गईं थी और इसके परिणाम के बारे में विचार के लिए रेलवे बोर्ड की बैठक हुई थी। रेल किराये में यह वृद्धि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के यह कहने के करीब एक सप्ताह बाद हुई है कि देश को ‘कड़े फैसलों’ के लिये तैयार रहना चाहिये। ऐसे फैसले देश की वित्तीय हालात में सुधार के लिये जरूरी हैं। संसद में अगले महीने के पहले सप्ताह में रेल बजट पेश किया जायेगा।