बोफोर्स तोप की तकनीक से बनाए गए भारतीय तोप के ग्रीष्मकालीन परीक्षण राजस्थान की पोखरण फायरिंग रेंज में शुरू हो गए हैं।
सेना के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि 115 एमएमकी 45 कैलीबर वाली इस देसी बोफोर्स ने शीतकालीन परीक्षणों में अपनी ताकत साबित कर दी है और अब इसकी अग्नि परीक्षा आग उगलते राजस्थान के रेगिस्तानी रणक्षेत्र में ली जा रही है।
"धनुष" नाम की इस तोप के शीतकालीन परीक्षण सिक्किम में पिछले साल हुए थे और अब सात दिन तक चलने वाली गर्मियों के परीक्षण में यह तोप खरी उतरती है तो आर्डिने ंस फैक्ट्री बोर्ड ..ओएफबी.. को इनके निर्माण के लिए हरी झंडी मिल जाएगी।
भारतीय रक्षा वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने यह देसी बोफोर्स स्वीडन से अस्सी के दशक में हासिल हुई प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से तैयार की है। भारतीय सेना को पिछले 28 साल से कोई नई तोप मयस्सर नहीं हुई है और इस अकाल को दूर करने के लिए ओएफबी ने देश में ही उन्नत बोफोर्स बनाने का निर्णय लिया था। स्वीडन से आयात की गई बोफोर्स तोपें 39 कैलीबर की थीं।
सूत्रों ने बताया कि रक्षा राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह खुद पोखरण रेंज गए हैं। सेना को इस तरह की डेढ़ हजार से अधिक तोपों की जरूरत है, जिनकी खरीदारी पर करीब 10 हजार करोड रूपये लागत आने का अनुमान है। यदि ओएफबी की तोपें सेना के परीक्षणों में खरी उतरती हैं तो देश को आर्थिक रूप से भी हजारों करोड़ का फायदा होगा।
इस तोप की कीमत करीब 14 करोड़ रूपये आने का अनुमान है जबकि विदेशी तोप की कीमत लगभग 30 करोड़ रूपये बैठती है। भारतीय सेना में बोफोर्स तोपें 1986 में आईं थीं और इसके बादसे ये तोपें बोफोर्स घोटाले का पर्याय बन गई। बोफोर्स घोटाले का यह काला साया राजनीतिक नेतृत्व पर खौफ बनकर मंडराया और एक के बाद एक बनने वाली सरकारों ने तोपों से तौबा कर ली।
38 किलोमीटर मारक क्षमता
ऎसे में अचानक राजनीतिक नेतृत्व की नींद टूटी और करोडों रूपये की अदायगी से हासिल की गई बोफोर्स तोपों की प्रौद्योगिकी से भारतीय तोप बनाने का निर्णय लिया गया। सेना ने शुरूआत में ओएफबी से 116 तोपें लेने की मंशा जाहिर की है।
सूत्रों ने कहा कि अगर भारतीय तोपें मानकों पर खरी उतरी तो इस आर्डर में 300 तोपें और जोडी जाएंगी। अभी ओएफबी के पास हर साल इस तरह की 18 तोपें बनाने की क्षमता है और समझा जाता है कि इस क्षमता को बढ़ाने की तैयारियां भी चल रही हैं। स्वीडन से ली गई बोफोर्स तोपों की मारक क्षमता 27 किलोमीटर है जबकि भारतीय बोफोर्स की रेंज 38 किलोमीटर होगी।
सेना के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि 115 एमएमकी 45 कैलीबर वाली इस देसी बोफोर्स ने शीतकालीन परीक्षणों में अपनी ताकत साबित कर दी है और अब इसकी अग्नि परीक्षा आग उगलते राजस्थान के रेगिस्तानी रणक्षेत्र में ली जा रही है।
"धनुष" नाम की इस तोप के शीतकालीन परीक्षण सिक्किम में पिछले साल हुए थे और अब सात दिन तक चलने वाली गर्मियों के परीक्षण में यह तोप खरी उतरती है तो आर्डिने ंस फैक्ट्री बोर्ड ..ओएफबी.. को इनके निर्माण के लिए हरी झंडी मिल जाएगी।
भारतीय रक्षा वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने यह देसी बोफोर्स स्वीडन से अस्सी के दशक में हासिल हुई प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से तैयार की है। भारतीय सेना को पिछले 28 साल से कोई नई तोप मयस्सर नहीं हुई है और इस अकाल को दूर करने के लिए ओएफबी ने देश में ही उन्नत बोफोर्स बनाने का निर्णय लिया था। स्वीडन से आयात की गई बोफोर्स तोपें 39 कैलीबर की थीं।
सूत्रों ने बताया कि रक्षा राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह खुद पोखरण रेंज गए हैं। सेना को इस तरह की डेढ़ हजार से अधिक तोपों की जरूरत है, जिनकी खरीदारी पर करीब 10 हजार करोड रूपये लागत आने का अनुमान है। यदि ओएफबी की तोपें सेना के परीक्षणों में खरी उतरती हैं तो देश को आर्थिक रूप से भी हजारों करोड़ का फायदा होगा।
इस तोप की कीमत करीब 14 करोड़ रूपये आने का अनुमान है जबकि विदेशी तोप की कीमत लगभग 30 करोड़ रूपये बैठती है। भारतीय सेना में बोफोर्स तोपें 1986 में आईं थीं और इसके बादसे ये तोपें बोफोर्स घोटाले का पर्याय बन गई। बोफोर्स घोटाले का यह काला साया राजनीतिक नेतृत्व पर खौफ बनकर मंडराया और एक के बाद एक बनने वाली सरकारों ने तोपों से तौबा कर ली।
38 किलोमीटर मारक क्षमता
ऎसे में अचानक राजनीतिक नेतृत्व की नींद टूटी और करोडों रूपये की अदायगी से हासिल की गई बोफोर्स तोपों की प्रौद्योगिकी से भारतीय तोप बनाने का निर्णय लिया गया। सेना ने शुरूआत में ओएफबी से 116 तोपें लेने की मंशा जाहिर की है।
सूत्रों ने कहा कि अगर भारतीय तोपें मानकों पर खरी उतरी तो इस आर्डर में 300 तोपें और जोडी जाएंगी। अभी ओएफबी के पास हर साल इस तरह की 18 तोपें बनाने की क्षमता है और समझा जाता है कि इस क्षमता को बढ़ाने की तैयारियां भी चल रही हैं। स्वीडन से ली गई बोफोर्स तोपों की मारक क्षमता 27 किलोमीटर है जबकि भारतीय बोफोर्स की रेंज 38 किलोमीटर होगी।
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