शनिवार, 21 जून 2014

अब तराना बढ़ाएगा मायड़ भाषा का मान ..





अब तराना बढ़ाएगा मायड़  भाषा  का मान ...

- मरुधरा के स्वरूप खान ने दी आवाज , राजस्थानी भाषा बचाने की अनूठी पहल

बाड़मेर राजस्थान के लोक संगीत और लोक गायन ने सात समंदर पार तक भले ही अपनी धमक मचाई हो लेकिन यहाँ की मायड़ भाषा और लोक गान ने अपनी ही जमी पर बुरे दिन देखे है। राजस्थान अपने पधारो म्हारे देश गीत के बाद एक अदद ऐसे तराने को तरसा है जिसे हर कोई गुनगुना सके ऐसेमें मारवाड़ के उभरते हुई गायक स्वरूप खान ने राजस्थान को राज्य गान के तोर पर नई सौगात दी है। म्हारो राजस्थान के तराने ने आज राज्य के हर कोने में धूम मचा रखी है। दिल्ली में रिकॉर्ड हुए इस तराने में न केवल राजस्थान की मायड़ भाषा का बखूबी इस्तेमाल हुआ है साथ ही इसे रेपरिया बालम और कुणाल वर्मा ने युवाओ के आज की पसन्द को देखते हुए राजस्थानी शब्दों को रेप्प् कर मायड़ शब्दों का भी सुन्दर समावेश किया है। म्हारो राजस्थान गाने का शूट जैसलमेर , उदयपुर, चितौरगढ़ , जयपुर ,अजमेर और जोधपुर समेत राजस्थान के 12 जिलो में हुआ है। अब तक फिल्मिस्तान , हवा हवाई , भारत का वीर पुत्र महाराणा प्रताप , देवो के देव महादेव और अता पता लापता में गए चुके स्वरूप ने मशहूर सिंगर लेडी गागा के साथ भी एक गीत गाया है। इंडियन आईडल सीजन 5 के अंतिम 4 प्रतियोगियों में शामिल होकर मशहूर हुए स्वरूप बाड़मेर के प्रख्यात लोक गायक नियाज खान के बेटे और अनवर खान बहिया के भतीजे है। मुंबई में रह कर अपनी मायड़ भाषा कुछ करने के मानस से इस प्रोजेक्ट पर काम किया। म्हारो राजस्थान गीत को करना उनके लिए अपनी जमी के लिए कुछ करने के इरादे से सभी को रूबरू करवाने वाला है। अपनी इस नई प्रस्तुति पर स्वरूप खान कहते राजस्थान में राजस्थानी भाषा को लेकर चल रहे महाअभियान की सही मायने में आज जरूरत है और आज हमे हर क्षेत्र में राजस्थानी भाषा को बढ़ने की जरूरत है ऐसेमें मै गायन क्षेत्र से जुड़ा हु तो मुझे इस बात का अहसास हुआ की मुझे मेरी जमीं के लिए कुछ करना चाहिए। जयपुर मूल के रेपरिया बालम और कुणाल वर्मा के साथ म्हारो राजस्थान नामक गाना किया जो की आज राज्य भर में धूम मचाये हुए है। राजस्थान की जनता के दिलो से जुड़े जैसलमेर के सोनार और सम , उदयपुर के लेक पैलेस , चितौरगढ़ के विजय स्तम्भ , जयपुर के आमेर फोर्ट ,अजमेर ख्वाजा साहब की दरगाह और जोधपुर के मेहरानगढ़ को इस बड़ी बखूबी दिखाया गया है साथ ही राजस्थान के महाराणा प्रताप , पृथ्वी राज चौहान और भगतीमई मीरा को भी इस गीत में नमन किया गया है। बाड़मेर के उभरते गायक स्वरूप खान द्वारा अपनी मायड़ भाषा के लिए किया गया प्रयास सही मायने में वह कदम है जिनकी आज राजस्थानी भाषा आज अपने पांच करोड़ निवासियों आशा रखती है।


मुख्यमंत्री से मुलाकात करेंगे

राजस्थान की कला संस्कृति और लोकरंग के साथ साथ यहाँ के प्रमुख किलो और धरोहरो को प्रमुखता से वाले गीत म्हारो राजस्थान को राजस्थान पर्यटन विभाग से जोड़ने के लिए गायक स्वरूप खान जल्द ही राज्य की मुख्यमंत्री वशुंधरा राजे से मिलेंगे। खान ने बताया की अपनी जमीं और अपनी मायड़ भाषा के प्रचार प्रसार के लिए उन्होंने इस गाने को आवाज दी है। वह यह भी चाहते है की राजस्थानी भाषा से जुड़े इस तरह के तरानों को सरकार की तरफ प्रोत्शाहन मिले इसी के चलते वह जल्द ही राज्य की मुख्यमंत्री वशुंधरा राजे से मुलाकात करेंगे।

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