राज्य सरकार ने बाड़मेर में लगने वाली रिफाइनरी का कामकाज करने के लिए पूर्ववर्ती सरकार द्वारा गठित एक सरकारी कम्पनी राजस्थान स्टेट रिफाइनरी लिमिटेड को बंद करने की तैयारी कर ली है।
इस संबंध में मुख्य सचिव राजीव महर्षि ने प्रमुख वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग निर्देश दिए हैं। चूंकि रिफाइनरी की स्थापना के लिए राज्य सरकार और एचपीसीएल की ज्वॉइंट वेंचर कम्पनी (एचपीसीएल राजस्थान रिफाइनरी लिमिटेड) बन चुकी है, यह कम्पनी अपना काम करती रहेगी।
इसलिए पुरानी कम्पनी (राजस्थान स्टेट रिफाइनरी लिमिटेड) को अब बंद करने की तैयारी है। हाल ही इस कम्पनी राजस्थान स्टेट रिफायनरी लिमिटेड को लेकर महर्षि स्तर पर एक शीर्ष बैठक भी हुई है, जिसमें कुछ विभागों के आला अफसरों को बुलाया गया था। ज्यादातर अधिकारी इसे बंद करने के पक्ष में हैं।
यूं बनी थी यह कम्पनी
पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने वित्तीय वर्ष 2011-12 में इसे बनाया था। इसके लिए वित्त व खान-पेट्रोलियम विभागों के स्तर पर विभिन्न वित्तीय-प्रशासनिक प्रावधान किए गए थे और इसे केबिनेट से मंजूर भी करवाया गया था। चेयरमैन प्रमुख खान-पेट्रोल सचिव को बनाया हुआ है।
यह कम्पनी पूरे प्रदेश में पेट्रोल, डीजल, गैस आदि की खोज व रिफायनरी की स्थापना में आ रही विभिन्न अड़चनों को दूर करने के लिए बनाई गई थी। इसके बाद वर्ष 2013 में जब रिफाइनरी लगाने के लिए केन्द्र सरकार की कम्पनी एचपीसीएल का नाम तय हो गया तो राज्य सरकार का संयुक्त उपक्रम सामने आया। जो अभी कार्यरत है और आगे भी रहेगा।
इस कमेटी का कोई औचित्य या जरूरत है नहीं। फिर भी भंग करने के बारे में अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ है। मुकेश शर्मा, प्रमुख शासन सचिव-खान व पेट्रोलियम
इस संबंध में मुख्य सचिव राजीव महर्षि ने प्रमुख वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग निर्देश दिए हैं। चूंकि रिफाइनरी की स्थापना के लिए राज्य सरकार और एचपीसीएल की ज्वॉइंट वेंचर कम्पनी (एचपीसीएल राजस्थान रिफाइनरी लिमिटेड) बन चुकी है, यह कम्पनी अपना काम करती रहेगी।
इसलिए पुरानी कम्पनी (राजस्थान स्टेट रिफाइनरी लिमिटेड) को अब बंद करने की तैयारी है। हाल ही इस कम्पनी राजस्थान स्टेट रिफायनरी लिमिटेड को लेकर महर्षि स्तर पर एक शीर्ष बैठक भी हुई है, जिसमें कुछ विभागों के आला अफसरों को बुलाया गया था। ज्यादातर अधिकारी इसे बंद करने के पक्ष में हैं।
यूं बनी थी यह कम्पनी
पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने वित्तीय वर्ष 2011-12 में इसे बनाया था। इसके लिए वित्त व खान-पेट्रोलियम विभागों के स्तर पर विभिन्न वित्तीय-प्रशासनिक प्रावधान किए गए थे और इसे केबिनेट से मंजूर भी करवाया गया था। चेयरमैन प्रमुख खान-पेट्रोल सचिव को बनाया हुआ है।
यह कम्पनी पूरे प्रदेश में पेट्रोल, डीजल, गैस आदि की खोज व रिफायनरी की स्थापना में आ रही विभिन्न अड़चनों को दूर करने के लिए बनाई गई थी। इसके बाद वर्ष 2013 में जब रिफाइनरी लगाने के लिए केन्द्र सरकार की कम्पनी एचपीसीएल का नाम तय हो गया तो राज्य सरकार का संयुक्त उपक्रम सामने आया। जो अभी कार्यरत है और आगे भी रहेगा।
इस कमेटी का कोई औचित्य या जरूरत है नहीं। फिर भी भंग करने के बारे में अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ है। मुकेश शर्मा, प्रमुख शासन सचिव-खान व पेट्रोलियम
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