शुक्रवार, 6 दिसंबर 2013

पिस्तौल की नोक पर कॉलेज गर्ल किडनेप

सीकर/तारानगर। राजस्थान में कॉलेज से घर लौटते समय एक लड़की को पिस्तौल की नोक पर अगवा करने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। हालांकि, किडनेपिंग के दौरान राहगीरों के दखल से आरोपी घबरा गए और लड़की को छोड़ कर भाग निकले।
जानकारी के अनुसार यह घटना सीकर के तारानगर कस्बे की है। लड़की को अगवा करने वाला आरोपी उसकी गांव "ढाणी आशा" का रहने वाला है। पुलिस में दर्ज रिपोर्ट के अनुसार पीडिता बुधवार दोपहर कॉलेज से लौट रही थी तभी रास्ते से आरोपी ने पिस्तौल दिखा कर अगवा करने का प्रयास किया।

पुलिस के अनुसार आरोपी अशोक ने अगवा करने से पहले बस में लड़की से छेड़छाड़ की थी,जिसके विरोध पर उसने बदला लेने की नीयत से यह कदम उठाया। इसी के चलते उसने अपने साथियों के साथ लड़की का पीछा किया। उसने बाइक पर सवार होकर लड़की को पिस्तौल दिखा कर उसे घसीटते हुए ले जाने का प्रयास किया। छात्रा ने शोर मचाया तो आनंदसिंह पुरा गांव की ओर से आ रहे चार पांच लोगों ने आरोपितों को ललकारा तो वे भगा गए। छात्रा की रिपोर्ट पर पुलिस ने अशोक व उसके साथी के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू की है।

नहीं रहे पहले अश्वेत राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला

जोहानिसबर्ग। दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला का गुरूवार देर रात (भारतीय समयानुसार) निधन हो गया। अफ्रीकी राष्ट्रपति जैकब जुमा ने इसकी आधिकारिक घोषणा करते हुए कहा, "हमारे देश ने अपना महानतम बेटा खो दिया।" लंबे समय से बीमार मंडेला ने घर पर अंतिम सांस ली।

गत सितंबर में फेफड़े के संक्रमण के कारण बीमार मंडेला को सैन्य अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उसके बाद से लगातार वे सेना के विशेषज्ञ चिक्तिसकों की निगरानी में थे। 95 वर्षीय मंडेला को दक्षिण अफ्रीका में रंगभेदी सरकार के विरूद्ध संघर्ष और लोकतांत्रिक सरकार की स्थापना के लिए जाना जाता था। इस संघर्ष के लिए उन्हें 27 साल जेल में रहना पड़ा। मंडेला ने कई संघर्षो में शांति बहाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1993 में उन्हें शांति का नोबेल पुरस्कार दिया गया।


रंगभेद के खिलाफ बुलंद आवाज

नेल्सन मंडेला, ये नाम रंगभेद के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले क्रांतिकारी या दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति तक सीमित नहीं है, ये नाम परिचायक है विश्व में शांति, समानता और प्रेम के लिए चल रहे निरंतर प्रयास का। ये नाम है उस अनथक संघर्ष का, जिसने तमाम मुश्किल हालातों का सामना करते हुए दक्षिण अफ्रीका को नई बुलंदियों पर स्थापित करने का काम किया।

नेल्सन मंडेला थेंबू राजवंश से संबंधित थे। उनको उनके पिता ने नाम दिया रोहिल्लाला, जिसका अर्थ होता है पेड़ की डालियों को तोड़ने वाला या फिर प्यारा शैतान बच्चा। उनका परिवार परम्परा से ही गांव का प्रधान परिवार था। नेल्सन अपनी पिता की तीसरी पत्नी की पहली सन्तान थे। उनकी मां एक मेथडिस्ट ईसाई थीं, और उनके प्रभाव में वे मिशनरी स्कूल गए। वहीं उन्हें ईसाई नाम, नेल्सन दिया गया।


स्कूली शिक्षा के दौरान ही उनका सामना पहली बार रंगभेद से हुआ। नौ वर्ष की आयु में पिता को गंवाने वाले नेल्सन पर इस भेदभाव का गहरा असर पड़ा। उन्होंने पिता की विरासत सम्भालने के बजाय खुद को शिक्षित करना जरूरी समझा। 1937 में वे हेल्डटाउन गए और अश्वेतों के लिए बनाए गए विशेष कॉलेज "फोर्ट हेयर" में दाखिला लिया। छात्र जीवन में ही उन्होंने रंगभेदी सरकार की नीतियों की मुखालफत शुरू कर दी, नतीजतन कॉलेज से भी निकाले गए। 1944 में उन्होंने अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस की सदस्यता ली और अपना जीवन रंगभेद के विरूद्ध लड़ाई में झोंक दिया। इस लड़ाई में 27 साल जेल में भी बिताने पड़े।


आखिर लाए परिवर्तन

अंतत: 1989 में दक्षिण अफ्रीका में सत्ता परिवर्तन हुआ और उदार एफ .डब्ल्यू. क्लार्क देश के मुखिया बने। सत्ता सम्भालते ही उन्होंने सभी अश्वेत दलों पर लगा हुआ प्रतिबंध हटा लिया। साथ ही सभी राजनीतिक बंदियों को आजाद कर दिया गया, जिन पर किसी तरह का आपराधिक मुकदमा दर्ज नहीं था। वर्ष 1994 में दक्षिण अफ्रीका का आम चुनाव रंगभेद रहित हुआ। अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस ने अन्य दलों को पीछे छोड़ते हुए 62 फीसद मतों को हासिल किया। चुनाव जीतने के बाद 10 सितंबर 1994 को नेल्सन मंडेला दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने जो अपने पद पर 14 जून, 1999 तक रहे। जून 2004 में उन्होंने सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया।

सशस्त्र सेना का नेतृत्व

सरकार द्वारा रंगभेद के खिलाफ छिडे आंदोलन को रोकने के हर संभव प्रयास किए जा रहे थे। रंगभेद के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने शार्पविले शहर में प्रदर्शनकारियों पर गोलियों की बौछार कर दी। 180 लोग मारे गए और 69 लोग घायल हुए। ऎसी घटनाओं से मंडेला का अहिंसा पर से विश्वास उठने लगा और उन्होंने हिंसा का रास्ता अख्तियार किया। वर्ष 1961 में नेशनल अफ्रीकन कांग्रेस ने एक लड़ाका दल "स्पीयर ऑफ द नेशन" का गठन किया और नेल्सन मंडेला ने इस सशस्त्र टुकड़ी का नेतृत्व किया।

पुरस्कार

मंडेला को 250 से भी ज्यादा पुरस्कार और सम्मान मिले। वैश्विक स्तर पर उनकी उपलब्धियों के लिए उन्हें फ्रेडरिक डी क्लार्क के साथ संयुक्त रूप से 1993 में शांति का नोबेल पुरस्कार दिया गया।

भारत से जुड़ाव

मंडेला का भारत से गहरा जुड़ाव रहा है। वर्ष 1990 में जेल से आजाद होने के बाद मंडेला भारत की यात्रा पर आए थे। इसके बाद दक्षिण अफ्रीका में राष्ट्रपति बनने के तुरंत बाद ही मंडेला भारत की यात्रा पर आए। भारत से उनके गहरे लगाव का ही परिणाम था कि वर्ष 1995 में भी मंडेला भारत की यात्रा पर आए और भारत से पिछले 40 वर्षो से बंद पड़े विदेशी व्यापार के मामले में तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव से बातें कीं।

मंडेला दिवस

संयुक्त राष्ट्र संघ ने मंडेला के जन्मदिन को एक अंतरराष्ट्रीय दिवस के तौर पर स्वीकार किया है। इस दिवस के आयोजन के पीछे संयुक्त राष्ट्र संघ की सोच रही है कि प्रत्येक व्यक्ति और संगठन इस दिवस को अपना 67 मिनट समय दूसरे की सहायता करने में लगाए। 67 मिनट का यह समय नेल्सन मंडेला के सामाजिक न्याय के लिए किए गए 67 वर्षो के लंबे युद्ध को इंगित करता है।

भारत में सम्मान

वर्ष 1990 में मंडेला को भारत के सबसे बड़े सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया। उन्हें यह पुरस्कार दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के खिलाफ चलाए गए आंदोलन के लिए दिया गया था। वर्ष 1999 में मंडेला को अहिंसा के वैश्विक आंदोलन के लिये गांधी-किंग एडवर्ड पुरस्कार से नवाजा गया। उन्हें यह पुरस्कार महात्मा गांधी की पौत्री इला गांधी ने दिया।

राजनीति से इतर जीवन

वर्ष 1999 में राष्ट्रपति पद से हटने के बाद मंडेला विभिन्न सामजिक और मानवाधिकार संगठनों के लिए वकालत का काम करने लगे। उन्होंने नेल्सन मंडेला फाउंडेशन, नेल्सन मंडेला चिल्ड्रेन्स फंड और मंडेला रोडेश फाउंडेशन को स्थापित करने में सहयोग दिया। इसके अलावा उनकी प्राथमिकताओं में एड्स जैसी बीमारी से लड़ना भी शामिल था। मंडेला ने अपने जीवन काल में कई पुस्तकों का प्रकाशन किया।

उनमें से "नो इजी वाक टू फ्रीडम", लांग वाक टू फ्रीडम, "नेल्सन मंडेला : द स्ट्रगल इज माइ लाइफ" प्रमुख हैं। वर्ष 1997 में उनके जीवन पर "मंडेला एण्ड डी क्लार्क" नाम से फिल्म भी बन चुकी है। इसके अलावा 1992 की फिल्म "माल्कोम" भी उनके जीवन से प्रभावित रही है।

मंडेला व महात्मा गांधी

मंडेला के व्यक्तित्व पर महात्मा गांधी का गहरा प्रभाव था। द.अफ्रीका में नस्लभेद के खिलाफ किए गए संघर्षो की प्रेरणा भी उन्हें महात्मा गांधी से ही मिली, क्योंकि वो पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने दक्षिण अफ्रीका में जाकर नस्लभेद और रंगभेद के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद किया था। वर्ष 2000 में टाइम पत्रिका को दिए गए साक्षात्कार में उन्होंने कहा था कि महात्मा गांधी उपनिवेशवाद को उखाड़ फेंकने वाले क्रांतिकारी थे। दक्षिण अफ्रीका के स्वतंत्रता आंदोलन को मूर्त रूप देने में मैंने उनसे ही प्रेरणा पाई।


नाम
नेल्सन मंडेला
जन्म
18 जुलाई 1918
(दक्षिण अफ्रीका में मबासा नदी के किनारे ट्रांस्की के मवेजो गांव में)
पिता
गाडला हेनरी फाकानिस्वा
मां
नेक्यूफी नोस्केनी
पत्नी
इवलिन मेस
(पहली पत्नी 1944-1957)
नोमजामो विनी मेडीकिजाला
(दूसरी पत्नी (1957-1996)
ग्रेस मेकल
(तीसरी पत्नी 1998 से अब तक)
बच्चे
छह
शिक्षा
हेल्डटाउन कॉलेज से स्नातक।
विशेष
द.अफ्रीका में मंडेला को मदिबा के नाम से भी जाना जाता है।

गुरुवार, 5 दिसंबर 2013

फिर पकड़ा गया रिश्वतखौर पटवारी

जयपुर। राजस्थान भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की कार्रवाई में फिर से एक पटवारी रिश्वत लेते पकड़ा गया। ताजा मामला पटवार हल्का फोलाई (बूंदी) का है। यहां के पटवारी को पांच हजार रूपए की रिश्वत लेते गुरूवार को गिरफ्तार किया गया।



उल्लेखनीय है कि ब्यूरो की ओर से रिश्वतखौर कर्मचारियों को रंगे हाथों पकड़ने की कार्रवाई में अब तक सौ से भी अधिक पटवारी गिरफ्त में आ चुके हैं।

ब्यूरो महानिरीक्षक स्मिता श््रीवास्तव ने बताया कि परिवादी शिवराज गुर्जर निवासी गोठडा,तहसील केसोरायपाटन जिला बूंदी ने शिकायत दर्ज कराई कि उसके पिताजी करीब 22 बीघा जमीन पर काफी सालों से खेती करते रहे हैं।

इस भूमि को उसके भाई पुष्पचन्दा व देशराज एवं स्वयं के नाम खाते में दर्ज कराने की एवज में पटवार हल्का फोलाई(अतिरिक्त चार्ज गोठडा) जिला बूंदी के पटवारी चतुरभुज ने पन्द्रह हजार रूपए की रिश्वत की मांग की है। ब्यूरो टीम बूंदी ने पटवारी चतुरभुज को पांच हजार रूपए की रिश्वत राशि लेते हुये रंगे हाथों पटवार हल्का से गिरफ्तार कर लिया।

"बरसी" पर आयोध्या में सुरक्षा चाकचौबंद

अयोध्या। अयोध्या में विवादित ढांचा ध्वस्त होने की बरसी पर उत्तर प्रदेश सरकार किसी भी चूक की गुंजाइश नहीं छोड़ना चाहती है। इसी लिहाज से सरकार ने आयोध्या समेत प्रदेशभर में पुलिस को सतर्कता बरतने के निर्देश जारी कर दिए है।
उल्लेखनीय है कि शुक्रवार यानि 6 दिसम्बर को विवादित ढांचा ध्वस्त होने की बरसी है और दोनों समुदायों की ओर से इस मौके पर शौर्य और काला दिवस मनाने की घोषणा की गई है। बता दें कि हाल ही मुजफ्फरनगर हिंसा में में यूपी सरकार पर समय रहते कार्रवाई नहीं करने के साथ ही प्रशासन की विफलता के आरोप लगे थे।

पुलिस को जारी किए निर्देश

आधिकारिक प्रवक्ता के अनुसार राज्य के अपर पुलिस महानिदेशक(कानून व्यवस्था)मुकुल गोयल द्वारा समस्त वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पुलिस अधीक्षक प्रभारी जिलों को गुरूवार को निर्देश दिये गए हैं कि बाबरी ढांचा ढहाये जाने की घटना के बाद प्रत्येक वष्ाü छह दिसम्बर को मुस्लिम और हिन्दू सम्प्रदाय अलग अलग ढंग से प्रतिक्रियायें व्यकत करते हैं । इस दिन मुस्लिम समुदाय के लोग काली पट्टी बांधकर और ज्ञापनआदि देकर इस घाटना पर विरोध प्रकट करते हैं तथा हिन्दू समुदाय के कु छ संगठन इसे शौर्य दिवस केरू प में मनाते हैं और मंदिरों में पूजा पाठ. शंख घाडियाल और घांटे बजाते हैं।

आयोध्या में धारा 144 लागू

पुलिस को जारी निर्देशों के अनुसार इस दिन कहीं-कहीं शान्तिव्यवस्था की समस्यायें भी उत्पन्न होती हैं। ऎसे में आगामी सात दिसम्बर तक आवश्यक सेवाएं बाधित नहीं होने पाए। पूरे जिले में धारा 144 लागू करा दी जाएं एवं शुक्रवार छह दिसम्बर को कोई भी धार्मिक आयोजन, उत्सव, रैली या सभा किए जाने की अनुमति नहीं दी जाए।

माहौल बिगाड़ने वालों पर नजर

अनुसार साम्प्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने वाले तत्वों को चिन्हित कर उन पर सतर्क दृष्टि रखी जाए और आवश्यकता पडने पर उनके खिलाफ निरोधात्मक कार्रüवाई सुनिश्चित की जाए। शांति समितियों की बैठक करके उनका सहयोग प्राप्त किया जाए तथा शहरों में सेक्टर स्कीम लागू की जाए।

पटाखा शॉप पर लगेंगे ताले

दुरूपयोग की आशंका के चलते यूपी सरकार की ओर से शुक्रवार को पटाखों की दुकानों को भी बंद रखने के निर्देश दिए गए है। साथ ही शस्त्र और शराब की दुकानों पर सतर्क दृष्टि रखी जाए। अपर पुलिस महानिदेशक ने कहा कि यदि कोई संगठन इस संबंध में ज्ञापन देना चाहे तो उसे जुलूस बनाकर कचहरी। तहसील आदि स्थानों पर आने की अनुमति न-न दी जाए अपितु जुलूस के उद्गम स्थान पर मजिस्ट्रेट स्वयं जाकर उनका ज्ञापन प्राप्त कर लें।

अतरिक्त पुलिस बल की तैनाती

सरकार की ओर से मिश्रित आबादी वाले क्षेत्रों और साम्प्रदायिक दृष्टि से संवेदनशील स्थानों पर अतिरिक्त पुलिस बल लगाने के निर्देश जारी किए गए है। ड्यूटी पर लगा बल दंगा निरोधक उपकरणों से लैस रहे। पीएसी बल के साथ जिला पुलिस का एक उपनिरीक्षक गाइड के रू प में रहे तथा चौकीदारों और होमगाडाेंü का प्रयोग किया जाएगा। पुलिस लाइनों में कु छ पुलिस बल रिजर्व में रखे जाने के निर्देश भी जारी किए गए है।

foto...अतीत के झरोखे से भारत-पाकिस्तान युद्ध (1971)













अतीत के झरोखे से 

सन् 1971 का युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच एक सैन्य संघर्ष था। हथियारबंद लड़ाई के दो मोर्चों पर 14 दिनों के बाद, युद्ध पाकिस्तान सेना और पूर्वी पाकिस्तान के अलग होने की पूर्वी कमान के समर्पण के साथ खत्म हुआ, बांग्लादेश के स्वतंत्र राज्य पहचानने, 97,368 पश्चिम पाकिस्तानियों जो अपनी स्वतंत्रता के समय पूर्वी पाकिस्तान में थे, कुछ 79,700 पाकिस्तान सेना के सैनिकों और अर्द्धसैनिक बलों के कर्मियों और 12,500 नागरिकों, सहित लगभग भारत द्वारा युद्ध के कैदियों के रूप में ले जाया गया।

राजनीतिक हलचल

लड़ाई शुरू होने से दो महीने पहले अक्तूबर 1971 में नौसेना अध्यक्ष एडमिरल एसएम नंदा भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी से मिलने गए। नौसेना की तैयारियों के बारे में बताने के बाद उन्होंने श्रीमती गांधी से पूछा अगर नौसेना कराची पर हमला करें, तो क्या इससे सरकार को राजनीतिक रूप से कोई आपत्ति हो सकती है। इंदिरा गांधी ने हाँ या न कहने के बजाए सवाल पूछा कि आप ऐसा पूछ क्यों रहे हैं। नंदा ने जवाब दिया कि 1965 में नौसेना से ख़ास तौर से कहा गया था कि वह भारतीय समुद्री सीमा से बाहर कोई कार्रवाई न करें, जिससे उसके सामने कई परेशानियाँ उठ खड़ी हुई थीं। इंदिरा गांधी ने कुछ देर सोचा और कहा, 'वेल एडमिरल, इफ़ देयर इज़ अ वार, देअर इज़ अ वार.' यानी अगर लड़ाई है तो लड़ाई है। एडमिरल नंदा ने उन्हें धन्यवाद दिया और कहा, ‘मैडम मुझे मेरा जवाब मिल गया।’
हमले की योजना

सील्ड लिफ़ाफ़े में हमले के आदेश कराची पर हमले की योजना बनाई गई और 1 दिसंबर 1971 को सभी पोतों को कराची पर हमला करने के सील्ड लिफ़ाफे में आदेश दे दिए गए। पूरा वेस्टर्न फ़्लीट 2 दिसंबर को मुंबई से कूच कर गया। उनसे कहा गया कि युद्ध शुरू होने के बाद ही वह उस सील्ड लिफ़ाफ़े को खोलें। योजना थी कि नौसैनिक बेड़ा दिन के दौरान कराची से 250 किलोमीटर के वृत्त पर रहेगा और शाम होते-होते उसके 150 किलोमीटर की दूरी पर पहुँच जाएगा। अंधेरे में हमला करने के बाद पौ फटने से पहले वह अपनी तीव्रतम रफ़्तार से चलते हुए कराची से 150 दूर आ जाएगा, ताकि वह पाकिस्तानी बमवर्षकों की पहुँच से बाहर आ जाए और हमला भी रूस की ओसा क्लास मिसाइल बोट से किया जाएगा। वह वहाँ खुद से चल कर नहीं जाएंगी, बल्कि उन्हें नाइलोन की रस्सियों से खींच कर ले जाया जाएगा। ऑपरेशन ट्राइडेंट के तहत पहला हमला निपट, निर्घट और वीर मिसाइल बोट्स ने किया। प्रत्येक मिसाइल बोट चार-चार मिसाइलों से लैस थीं। स्क्वार्डन कमांडर बबरू यादव निपट पर मौजूद थे। बाण की शक्ल बनाते हुए निपट सबसे आगे था उसके पीछे बाईं तरफ़ निर्घट था और दाहिना छोर वीर ने संभाला हुआ था। उसके ठीक पीछे आईएनएस किल्टन चल रहा था
ख़ैबर डूबा

विजय जेरथ के नेतृत्व में कराची पर हमला हुआ था। कराची से 40 किलोमीटर दूर यादव ने अपने रडार पर हरकत महसूस की। उन्हें एक पाकिस्तानी युद्ध पोत अपनी तरफ़ आता दिखाई दिया। उस समय रात के 10 बज कर 40 मिनट हुए थे। यादव ने निर्घट को आदेश दिया कि वह अपना रास्ता बदले और पाकिस्तानी जहाज़ पर हमला करे। निर्घट ने 20 किलोमीटर की दूरी से पाकिस्तानी विध्वंसक पीएनएस ख़ैबर पर मिसाइल चलाई। ख़ैबर के नाविकों ने समझा कि उनकी तरफ़ आती हुई मिसाइल एक युद्धक विमान है। उन्होंने अपनी विमान भेदी तोपों से मिसाइल को निशाना बनाने की कोशिश की लेकिन वह अपने को मिसाइल का निशाना बनने से न रोक सके। तभी कमांडर यादव ने 17 किलोमीटर की दूरी से ख़ैबर पर एक और मिसाइल चलाने का आदेश दिया और किल्टन से भी कहा कि वह निर्घट के बग़ल में जाए। दूसरी मिसाइल लगते ही ख़ैबर की गति शून्य हो गई। पोत में आग लग गई और उससे गहरा धुँआ निकलने लगा. थोड़ी देर में ख़ैबर पानी में डूब गया. उस समय वह कराची से 35 नॉटिकल मील दूर था और समय था 11 बजकर 20 मिनट। उधर निपट ने पहले वीनस चैलेंजर पर एक मिसाइल दागी और फिर शाहजहाँ पर दूसरी मिसाइल चलाई। वीनस चैलेंजर तुरंत डूब गया जबकि शाहजहाँ को नुक़सान पहुँचा। तीसरी मिसाइल ने कीमारी के तेल टैंकर्स को निशाना बनाया जिससे दो टैंकरों में आग लग गई। इस बीच वीर ने पाकिस्तानी माइन स्वीपर पीएन एस मुहाफ़िज़ पर एक मिसाइल चलाई जिससे उसमें आग लग गई और वह बहुत तेज़ी से डूब गया। इस हमले के बाद से पाकिस्तानी नौसेना सतर्क हो गई और उसने दिन रात कराची के चारों तरफ़ छोटे विमानों से निगरानी रखनी शुरू कर दी। 6 दिसंबर को नौसेना मुख्यालय ने पाकिस्तानी नौसेना का एक संदेश पकड़ा जिससे पता चला कि पाकिस्तानी वायुसेना ने एक अपने ही पोत पीएनएस ज़ुल्फ़िकार को भारतीय युद्धपोत समझते हुए उस पर ही बमबारी कर दी। पश्चिमी बेड़े के फ़्लैग ऑफ़िसर कमांडिंग एडमिरल कुरुविला ने कराची पर दूसरा मिसाइल बोट हमला करने की योजना बनाई और उसे ऑपरेशन पाइथन का नाम दिया गया।[
'विनाश' का हमला

इस बार अकेली मिसाइल बोट विनाश, दो फ़्रिगेट्स त्रिशूल और तलवार के साथ गई। 8 दिसंबर 1971 की रात 8 बजकर 45 मिनट का समय था। आईएनएस विनाश पर कमांडिंग ऑफ़िसर विजय जेरथ के नेतृत्व में 30 नौसैनिक कराची पर दूसरा हमला करने की तैयारी कर रहे थे। तभी बोट की बिजली फ़ेल हो गई और कंट्रोल ऑटोपाइलट पर चला गया। वह अभी भी बैटरी से मिसाइल चला सकते थे लेकिन वह अपने लक्ष्य को रडार से देख नहीं सकते थे। वह अपने आप को इस संभावना के लिए तैयार कर ही रहे थे कि क़रीब 11 बजे बोट की बिजली वापस आ गई। जेरथ ने रडार की तरफ़ देखा। एक पोत धीरे धीरे कराची बंदरगाह से निकल रहा था। जब वह पोत की पोज़ीशन देख ही रहे थे कि उनकी नज़र कीमारी तेल डिपो की तरफ़ गई। मिसाइल को जाँचने-परखने के बाद उन्होंने रेंज को मैनुअल और मैक्सिमम पर सेट किया और मिसाइल फ़ायर कर दी। जैसे ही मिसाइल ने तेल टैंकरों को हिट किया वहाँ जैसे प्रलय ही आ गई। जेरथ ने दूसरी मिसाइल से पोतों के एक समूह को निशाना बनाया। वहाँ खड़े एक ब्रिटिश जहाज़ हरमटौन में आग लग गई और पनामा का पोत गल्फ़ स्टार बरबाद होकर डूब गया। चौथी मिसाइल पीएनएस ढाका पर दागी गई लेकिन उसके कमांडर ने कौशल और बुद्धि का परिचय देते हुए अपने पोत को बचा लिया। लेकिन कीमारी तेल डिपो में लगी आग की लपटों को 60 किलोमीटर की दूरी से भी देखा जा सकता था। ऑपरेशन ख़त्म होते ही जेरथ ने संदेश भेजा, 'फ़ोर पिजंस हैपी इन द नेस्ट. रिज्वाइनिंग.' उनको जवाब मिला, ’एफ़ 15 से विनाश के लिए: इससे अच्छी दिवाली हमने आज तक नहीं देखी.’ कराची के तेल डिपो में लगी आग को सात दिनों और सात रातों तक नहीं बुझाया जा सका। अगले दिन जब भारतीय वायु सेना के विमान चालक कराची पर बमबारी करने गए तो उन्होंने रिपोर्ट दी, ‘यह एशिया का सबसे बड़ा बोनफ़ायर था।’ कराची के ऊपर इतना धुआं था कि तीन दिनों तक वहाँ सूरज की रोशनी नहीं पहुँच सकी
युद्ध परिणाम

3 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान की ओर से भारतीय ठिकानों पर हमले के बाद भारतीय सैनिकों ने पूर्वी पाकिस्तान को मुक्त कराने का अभियान शुरू किया। भारतीय सेना के सामने ढाका को मुक्त कराने का लक्ष्य रखा ही नहीं गया। इसको लेकर भारतीय जनरलों में काफ़ी मतभेद भी थे पीछे जाती हुई पाकिस्तानी सेना ने पुलों के तोड़ कर भारतीय सेना की अभियान रोकने की कोशिश की लेकिन 13 दिसंबर आते-आते भारतीय सैनिकों को ढाका की इमारतें नज़र आने लगी थीं। पाकिस्तान के पास ढाका की रक्षा के लिए अब भी 26400 सैनिक थे जबकि भारत के सिर्फ़ 3000 सैनिक ढाका की सीमा के बाहर थे, लेकिन पाकिस्तानियों का मनोबल गिरता चला जा रहा था। 1971 की लड़ाई में सीमा सुरक्षा बल और मुक्ति बाहिनी ने पाकिस्तानी सैनिकों के आत्मसमर्पण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। फिर भी यह एक तरफ़ा लडा़ई नहीं थी। हिली और जमालपुर सेक्टर में भारतीय सैनिकों को पाकिस्तान के कड़े प्रतिरोध का सामना करना पडा। लड़ाई से पहले भारत के लिए पलायन करते पूर्वी पाकिस्तानी शरणार्थी, एक समय भारत में बांग्लादेश के क़रीब डेढ़ करोड़ शरणार्थी पहुँच गए थे। लाखों बंगालियों ने अपने घरों को छोड़ कर शरणार्थी के रूप में पड़ोसी भारत में शरण लेने का फ़ैसला किया। मुक्ति बाहिनी ने पाकिस्तानी सैनिकों पर कई जगह घात लगा कर हमला किया और पकड़ में आने पर उन्हें भारतीय सैनिकों के हवाले कर दिया। रज़ाकारों और पाकिस्तान समर्थित तत्वों को स्थानीय लोगों और मुक्ति बाहिनी का कोप भाजन बनना पड़ा।

शादी के बहाने दो भाइयों ने विवाहिता से किया दुष्कर्म



जयपुर। राजधानी जयपुर में गुरूवार को बेहद ही शर्मनाक मामला सामने आया। एक युवक ने पहले तो अपने किराएदार की बीवी से दोस्ती गांठकर शारीरिक संबंध बनाए। इसके बाद आरोपी ने खुद की सरकारी नौकरी लगने पर महिला की अपने भाई से दोस्ती करवा दी। महिला को धोखे का सिलसिला यहीं नहीं रूका उसने अपने पति से तलाक ले लिया और आरोपी के भाई के साथ लिव-इन में रहने लगी। लिव-इन में रहने के बाद आरोपी के भाई ने भी शादी से इनकार कर नाता तोड़ लिया। सांगानेर पुलिस ने महिला की शिकायत पर मामला दर्ज कर आरोपी दोनों भाइयों को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार युवकों में एक की सालभर पहले सचिवालय के गृह विभाग में नौकरी लगी है।
शादी के बहाने दो भाइयों ने विवाहिता से किया दुष्कर्म


पुलिस ने बताया कि गिरफ्तार उपेन्द्र सिंह जयपुर के निर्माण नगर और उसका फुफेरा भाई त्रिभुवन गांधी नगर में रहता है। दोनों के खिलाफ पीडिता ने 28 नवम्ब्ार को दुष्कर्म की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। महिला ने रिपोर्ट में बताया कि उसने 1998 में सिरोही निवासी युवक से लव मैरिज की थी। 2008 में पति-पत्नी जयपुर आ गए और निर्माण नगर में उपेन्द्र के मकान में किराए से रहने लगे। इस दौरान पीडिता की उपेन्द्र से नजदीकी बढ़ गई और वह पति की कमाई से रूपए छिपाकर उपेन्द्र को देने लगी।




आरोपी उपेन्द्र ने शादी का झांसा दे उससे शारीरिक संबंध बना लिए। शक होने पर पति ने सांगानेर के प्रताप नगर में फ्लैट खरीद लिया और वे वहां रहने लगे। लेकिन उपेन्द्र से उसके संबंध जारी रहे। सालभर पहले उपेन्द्र की सरकारी नौकरी लग गई। उपेन्द्र ने उससे दूरी बना ली और खुद के फुफेरे भाई त्रिभुवन से दोस्ती करवा दी। इसके बाद त्रिभुवन ने भी पीडिता को शादी करने का झांसा दिया। इसपर पीडिता ने 2012 में अपने पति से तलाक ले लिया।




इसके बाद वह गांधी नगर स्थित उपेन्द्र के सरकारी क्वार्टर में त्रिभुवन के साथ रहने लगी। लेकिन कुछ दिनों पहले त्रिभुवन ने पीडिता को शादी से इनकार कर दिया और दूसरी लड़की से शादी करने की तैयारी में जुट गया। इस पर पीडिता ने थाने में रिपोर्ट दर्ज करादी। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।

भाई की 'लाश' दिखाकर किया गैंग रेप



नई दिल्ली  बीते भाईदूज के दिन एक युवती को कुछ लोगों ने उसके भाई की फर्जी लाश दिखाकर उसके साथ गैंग रेप किया। पुलिस ने एफआईआर लिखना तो दूर, उलटे विक्टिम को ही थाने से भगा दिया। अब विक्टिम और उसका परिवार इंसाफ पाने के लिए दर-दर भटक रहा है। मामला उत्तर प्रदेश के जिला फिरोजाबाद के गांव जेरा का है। रेप का आरोप ग्राम प्रधान के पति और उसके 6 साथियों पर लगा है।
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विक्टिम के पिता अनुज यादव (बदला हुआ नाम) के मुताबिक घटना 5 नवंबर की है। उनकी 22 साल की बेटी आशा (बदला हुआ नाम) भाई-दूज की पूजा करने के बाद गांव में ही अपनी सहेली के घर गई हुई थी। दोपहर करीब 12 बजे आशा वहां से अपने घर के लिए लौट रही थी कि रास्ते में बाइक से एक लड़का उसके पास आया और उसको बताया कि आशा के भाई का एक्सिडेंट हो गया है। खबर सुनकर बदहवास आशा उस लड़के के संग अपने भाई को देखने चली गई। वह लड़का उसे पास के ही कस्बे एका लेकर पहुंचा जहां लाल रंग की बोलेरो खड़ी थी। लड़के ने आशा को बताया कि इसी में उसका भाई है। आशा ने जब बोलेरो के अंदर देखा तो सफेद कपड़े में लिपटी एक बॉडी दिखी। उसके आस-पास आगे और पीछे की सीट पर कुछ और आदमी बैठे हुए थे जिनमें से एक उसके गांव की प्रधान का पति दलबीर सिंह यादव (पुत्र साधु सिंह यादव) भी था। आशा कपड़ा हटाने के लिए आगे झुकी ही थी कि उन आदमियों ने उसे अंदर खींच लिया। वह कुछ कर पाती इससे पहले ही बोलेरो का दरवाजा बंद हो चुका था।

विक्टिम ने बताया कि आरोपी उसे लेकर गांव के ही बाहर बने एक वीरान पुल पर पहुंचे। पुल के आस-पास जंगल होने की वजह से वहां राहगीरों का आना-जाना लगभग न के बराबर था। दिन भर उसके साथ वहशियों से भी बदतर हरकत करने के बाद वे लोग उसे रात करीब 11:55 बजे अधमरी हालत में उसके घर से 20 मीटर की दूरी पर छोड़कर भाग गए। अनुज यादव ने जब बाहर आकर देखा तो उनकी बेटी नग्नावस्था में बेसुध पड़ी हुई थी। आरोपियों ने उसी की साड़ी से उसके हाथ और पैर बांध दिए थे। उसके मुंह पर भी कपड़ा बांधा हुआ था। उसके प्राइवेट पार्ट्स पर दांतो के निशान थे और पूरे शरीर पर जगह-जगह बेल्ट के निशान थे। अगले दिन सुबह जब आशा को होश आया तो वह इस कदर डरी हुई थी कि किसी का नाम तक बताने को तैयार नहीं थी। वह बस यह कह रही थी कि अगर मैंने किसी का नाम लिया तो वे मुझे मार डालेंगे। पिता के ज्यादा जोर देने पर उसने सबका नाम बताया।




अनुज यादव ने बताया कि वह जब 6 नवंबर को एफआईआर दर्ज कराने एका थाने पहुंचे तो एसओ ने यह कहते हुए उनकी तहरीर फाड़ दी कि ग्राम प्रधान का पति ऐसा कर ही नहीं सकता। इसके बाद अनुज यादव के जान-पहचान वालों में किसी ने आईजी इलाहाबाद से बात की। तब आईजी इलाहाबाद ने एसपी फिरोजाबाद को एफआईआर दर्ज करवाने का निर्देश दिया। आईजी इलाहाबाद से मिले आश्वासन के बाद विक्टिम के घरवाले एसपी फिरोजाबाद के पास पहुंचे। तब एसपी के कहने पर थाना एका के एसओ ने 19 नवंबर को एफआईआर दर्ज कराई और तभी विक्टिम का मेडिकल भी कराया। मेडिकल की रिपोर्ट अब तक उनको नहीं दी गई है। बड़ी मुश्किल से उन्होंने एफआईआर की फोटो कॉपी निकलवाई है जिसमें सातों आरोपियों के नाम हैं। एफआईआर लिखे हुए 15 दिन बीत चुके हैं लेकिन अब तक कोई ऐक्शन नहीं लिया गया है। आरोपी खुले घूम रहे हैं।

एसपी नेता का नाम
विक्टिम के घरवालों का कहना है कि पुलिस इसलिए कोई ऐक्शन नहीं ले रही है क्योंकि दलबीर सिंह एसपी के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव का करीबी है। रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव को पहली बार लोकसभा चुनाव के लिए फिरोजाबाद से टिकट मिला है। दलबीर सिंह के दम पर अक्षय यादव को 21 गांवों से समुदाय विशेष के लोगों का वोट मिलना पक्का है। इस वजह से दलबीर सिंह को पकड़ना तो दूर, पुलिस उससे इस मामले में पूछताछ तक नहीं कर रही है।

पति ने भी दिया था जहर
विक्टिम के पिता अनुज यादव ने बताया, 'मेरी बेटी शादीशुदा है। 2 महीने से मायके में ही रह रही है। बेटी पैदा होने के बाद उसके शराबी पति ने एक बार उसे जहर देकर मारने की कोशिश की थी। तब से वह मायके में ही रहती है। सोचा था कि यहां वह खुश रहेगी लेकिन यहां तो उसके साथ ऐसा घटना हो गई, जिसे वह जिंदगी भर नहीं भुला सकती।'

बिहार में जमीन के विवाद में 5 बहनों की हत्या



गया  बिहार के गया जिले के खिजरसराय थाना क्षेत्र में बुधवार देर रात बदमाशों ने एक ही परिवार की पांच लड़कियों की गोली मारकर हत्या कर दी। हत्या का कारण भूमि विवाद बताया जा रहा है। सभी लड़कियां रिश्ते में बहन लगती थीं।
Five minor girls killed in Gaya
पुलिस के अनुसार, बदमाशों ने सोनाथ गांव निवासी शशि भूषण सिंह के घर पर रात में धावा बोलकर पांच लड़कियों की गोली मारकर हत्या कर दी। लड़कियों की उम्र आठ से 16 साल के बीच बताई गई है। मृतकों की पहचान स्वीटी कुमारी, रेशमा, जूली, मनीता और अनीता के रूप में हुई है। वहीं, इस खूनी वारदात के बाद से गांव में तनाव का माहौल है।

ग्रामीण कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। गया के एसएसपी निशांत कुमार तिवारी ने गुरुवार को बताया, 'मृतक लड़कियों के परिवार और उसी गांव के रहने वाले शंभू सिंह के परिवार में जमीन को लेकर विवाद चल रहा था। वारदात के समय लड़कियों के माता-पिता घर पर नहीं थे।'उन्होंने बताया कि इस घटना की प्राथमिकी संबंधित थाने में दर्ज करा दी गई है। पुलिस मामले की छानबीन कर रही है। शव गया स्थित मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल भिजवा दिए गए हैं।

हॉस्टल में 9 छात्रों से 3 साल तक तक किया कुकर्म

अहमदाबाद। गुजरात के पोरबंदर में एक हैरान करने वाली घटना सामने आई है। यहां एक हॉस्टल वार्डन ने 9 छात्रों से 3 साल तक कुकर्म करने का आरोप लगा हैं। एक अन्य छात्र में शारीरिक शोषण का भी आरोप लगाया है। सभी पीडित छात्रों की उम्र 9 से 11 साल तक की है।

आरोपी वार्डन राजेश कनानी कई सालों से हॉस्टल में वार्डन की नौकर कर रहा था। राजेश का अपराध उजागर होने के बाद रविवार से फरार हो गया है। पुलिस ने उसके खिलाफ मामला दर्ज कर आरोपी को लताश शुरू कर दी हैं।

उन पीडितों में से एक छात्र वार्डन की करतूतों से परेशान होकर मुंबई में अपने चाचा के पास चला गया। उसने वार्डन की इस शर्मनाक करतूत के बारे अपने चाचा को बताया। बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष पी बी पंडित ने बताया कि रविवार को अभिभावकों की बैठक की गई थी। वार्डन की करतूत सामने आई तो हमने तत्काल पुलिस से शिकायत करने का निर्णय लिया।

स्थानीय लोगों ने पुलिस को बताया कि वार्डन अक्सर बच्चों को पीटता था। एक अधिकारी गोविंद सावु ने बताया कि वार्डन उसी हॉस्टल में रहता था। जनवरी में उसकी बीवी की मौत हो गई थी।

वह अकेले रह रहा था। एसपी दीपेन भंद्रा ने कहा कि वह इस मामले को देख रहे हैं। एक बार वार्डन पकड़ में आ जाए तो उससे सारी हकीकत सामने आ जाएगी।

सांप्रदायिक हिंसा बिल पर मचा "घमासान"

नई दिल्ली। सांप्रदायिक हिंसा विरोधी बिल का विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है। गुरूवार को संसद के शीतकालीन सत्र में भी इसको लेकर जमकर घमासान हुआ। सत्तापक्ष जहां बिल को एकमत होकर पास कराने की बात कह रहा है। वहीं, गृहमंत्री सुशील कुमार ने मोदी की (पीएम को) चिट्ठी के संदर्भ में कहा कि बिल इसी सत्र में पास हो जाएगा। इस पर बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा ने बिल पर गंभीर आपत्तियां जाहिर करते हुए मोदी के पक्ष को सही ठहराया।

उल्लेखनीय है कि भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने सांप्रदायिक हिंसा बिल का विरोध करते हुए इसे "आपदा का नुस्खा" करार दिया है। उन्होंने इस संबंध में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को चिट्ठी लिखी है। मोदी ने लिखा है कि सांप्रदायिक हिंसा बिल से समाज बंटेगा। मोदी ने संसद में सांप्रदायिक हिंसा विरोधी बिल लाए जाने के समय पर भी सवाल उठाया। उन्होंने बिल के मसौदे पर सवाल उठाते हुए कहा है कि यह संघीय ढांचे के खिलाफ है।

असल मकसद वोट बैंक की राजनीति: मोदी
मोदी ने लिखा है कि ये बिल असल मकसद के लिए नहीं वोटबैंक की राजनीति का हिस्सा है। मोदी ने लिखा कि केंद्र ऎसे कानून बनाने में व्यस्त है जो राज्य सरकारों का मामला है। अगर ये कानून लागू हुआ तो समाज बंट जाएगा और हिंसा बढ़ जाएगी।

सरकार आम सहमति की कोशिश करेगी: पीएम
नरेन्द्र मोदी की ओर से सा प्रदायिक हिंसा बिल को "आपदा का नुस्खा" करार दिये जाने के बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि सरकार उन सभी मुद्दों पर व्यापक सहमति बनाने का प्रयास करेगी जिनका महत्व काफी अधिक है। सिंह ने कहा कि सरकार विधेयकों को आसानी से पारित कराने के लिए संसद के सभी वर्गो का सहयोग चाहती है।

वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं मोदी: कांग्रेस
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री के. रहमान खान ने कहा कि मोदी वोटबैंक की राजनीति कर रहे हैं। हम इस विषय पर 2005 से ही राज्यों से विचार-विमर्श कर रहे हैं। वहीं,संसदीय कार्य राज्य मंत्री राजीव शुक्ला ने आरोप लगाया कि मोदी हर चीज को तोड़-मरोड़ कर पेश करते हैं और विवाद पैदा करते हैं। उन्होंने कहा कि वह राजनीतिक फायदे के लिए इसका विरोध कर रहे हैं।

"चाइल्ड पोर्नोग्राफी"पर लग पाएगा अंकुश?

दुनिया भर में बाल पोर्नोग्राफी बना ज्वलंत मुद्दा। इंटरनेट पर बच्चों से जुड़े बढ़ते अपराधों को देखते हुए प्रमुख सर्च इंजन गूगल और माइक्रोसॉफ्ट ने इसे रोकने के लिए की अहम पहल। गूगल के एक्जीक्यूटिव चेयरमैन एरिक श्मिट ने बताया कि इंटरनेट पर अश्लील तस्वीरों की खोज के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले एक लाख से अधिक शब्दों पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी से अब कोई परिणाम नहीं आएगा।
इसके साथ ही बच्चों की अश्लील तस्वीरों को गैर कानूनी बताने वाला एक संदेश भी दिखाई देगा। फिलहाल यह अंग्रेजी भाषी देशों पर लागू होगा, पर बाद में छह महीनों के भीतर इसे 158 भाषाओं पर लागू किया जाएगा।

एक मुहिम ऎसी भी!
नीदरलैंड्स में मानवाधिकार के लिए काम करने वाले एक संगठन "टेरे डेस होम्मेस" ने बाल यौन शोषण के इस नए रूप को दुनिया के सामने लाने के लिए एक ऑनलाइन योजना की मदद ली। उन्होंने दुनिया भर से 1,000 पीडोफीलो को ढूंढ निकाला और ऎसे लोगों की जानकारी पुलिस को दी, जो विकासशील देशों के बच्चों को ऑनलाइन सेक्स के एवज में पैसे देना चाहते हैं। इसके लिए कंप्यूटर पर एक 10 साल की लड़की "स्वीटी" के पात्र को विकसित किया और उसके जरिए बच्चों का यौन शोषण करने वालों तक पहुंच बनाई।

इसको चैटरूम में स्थापित करने के 10 हफ्तों के भीतर ही 71 देशों के करीब 20 हजार लोगों ने स्वीटी से संपर्क किया और उससे वेबकैम के सामने उत्तेजक हरकतों की मांग की। संगठन के प्रमुख के अनुसार ये लोग इन गतिविधियों के लिए कीमत चुकाने को तैयार थे। इसे "वेबकैम बाल यौन पर्यटन" नाम दिया गया है। जिस समय ये लोग स्वीटी से ऑनलाइन बात कर रहे थे, उस समय रिसर्चरों ने सोशल मीडिया के जरिए इन लोगों की पहचान इकटा की। जानकारी पुलिस को सौंप दी गई। इसके ज्यादातर शिकार बच्चे हजारों की तादाद में फिलीपींस में हंै।

भारत में सुप्रीम कोर्ट की कार्रवाई
भारत की सर्वोच्च अदालत ने चाइल्ड पोर्नोग्राफी (बच्चों से जुड़े अश्लील चित्र/वीडियो) को रोकने के उपायों के लिए निर्देश देने संबंधी याचिका पर दूरसंचार विभाग से जवाब तलब किया है। न्यायमूर्ति बी. एस. चौहान और न्यायमूर्ति एस. ए. बोबड़े की खंडपीठ ने पेशे से वकील इंदौर निवासी कमलेश वासवानी की याचिका की सुनवाई के दौरान दूरसंचार विभाग को नोटिस जारी करके पूछा कि पोर्नोग्राफी साइटों को किस तरह ब्लॉक किया जा सकता है? कोर्ट ने संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को जवाब देने के लिए तीन हफ्ते का वक्त दिया है।

इसी मंत्रालय के तहत दूरसंचार विभाग आता है। याचिकाकर्ता के वकील विजय पंजवानी ने दलील दी कि महिलाओं, बच्चे और लड़कियो के खिलाफ यौन अपराध के मामले अश्लील सामग्री देखने के बाद बढ़ रहे हैं। इससे पहले केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया था कि देश में पोर्न वेबसाइटों को रोकना मुश्किल काम है।

सरकार ने कोर्ट से समय मांगा था ताकि अलग-अलग मंत्रालयों से इस मुद्दे पर चर्चा की जा सके। पंजवानी के मुताबिक इंटरनेट कानून की गैरमौजूदगी में लोगों को पोर्न देखने से नहीं रोका जा सकता। उनके मुताबिक 20 करोड़ से ज्यादा पोर्न क्लिपिंग या पोर्न वीडियो बाजार में उपलब्ध हैं। याचिका में दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 के सामूहिक बलात्कार कांड का भी जिक्र था, जिसमें पैरामेडिकल की छात्रा के साथ चलती बस में बलात्कार हुआ था। पीडित लड़की के साथ 6 लोगों ने गैंगरेप किया था, इसके बाद इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।

"नो रिजल्ट" कितना होगा कामयाब ?
इसके बाद इन कंपनियों ने एक ऎसा अल्गोरिथम बनाया, जो कि बच्चों की अश्लील तस्वीरों की खोज को रोकता है। इसके लिए गूगल ने पहल करते हुए पिछले तीन महीनों में 200 से भी ज्यादा कर्मचारियों को इस समस्या के समाधान का उपाय ढूंढने पर लगा दिया था। उन्होंने कड़ी मशक्कत के बाद ऎसे 1 लाख शब्दों को हटाने का फैसला किया है, जिस पर अब 'नो रिजल्ट' दिखाई पड़ेगा। वहीं माइक्रोसॉफ्ट ने भी कहा है कि अब बिंग पर भी ऎसे शब्द खोजने पर कोई परिणाम नहीं आएगा। दोनों कंपनियों ने कहा है कि वे बच्चों के शोषण से संबंधित सामग्री बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेंगे।


वाकई असरकारी होगा?
ब्रिटेन के इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (आईईटी) का कहना है कि इंटरनेट पर बच्चों से जुड़ी अश्लील वेबसाइटों (चाइल्ड पोर्नोग्राफी) की खोज या सर्च बंद करना प्रभावी उपाय नहीं है। संस्थान का कहना है कि यह उपाय अप्रभावी है तथा इसे आसानी से धोखा दिया जा सकता है। गौरतलब है कि प्रौद्योगिकी कंपनी गूगल तथा माइक्रोसॉफ्ट ने हाल ही अपने सर्च में चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़े 1,00,000 संभावित संदर्भ को ब्लॉक करने की घोषणा की थी। चेयरमैन मार्टिन थॉमस के मुताबिक यह सही दिशा में उठाया गया कदम है लेकिन मुद्दे को पूरी तरह सुलझाने में पर्याप्त नहीं। आईईटी के अनुसार इंटरनेट सर्च इंजनों के जरिए बाल शोषण से जुड़े फोटो की खोज को कठिन करना ज्यादा दूरगामी उपाय नहीं है। इंस्टीट्यूशन के 127 देशों में 1 लाख 50 हजार से ज्यादा सदस्य हैं।

12 प्रतिशत वेबसाइट हैं इंटरनेट पर पोर्नोग्राफिक, यानी कुल 24,644,172 साइट।
4.9
बिलियनकी है ग्लोबल पोर्न इंडस्ट्री।

72
मिलियन व्यूअर्स हैं इंटरनेट पर प्रति माह।

2.5
बिलियन ई-मेल भेजे जाते हैं प्रतिदिन पोर्नोग्राफिक।

25
प्रतिशत रिक्वेस्ट पोर्नोग्राफिकहोती हैं।

68
मिलियन सर्च होती हैं प्रतिदिन पोर्न से संबंधित।


मन्जु माहेश्वरी

"एक चाय वाला भी पीएम बन सकता है"

नई दिल्ली। भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी के मुखर आलोचक कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने कहा है कि मोदी अपनी उन्मादी विचारधारा से पीछे हट रहे हैं और एक चायवाला भी प्रधानमंत्री बन सकता है। मोदी की आलोचना करने वाले दिग्विजय की इस टिप्पणी को भाजपा ने हाथों-हाथ लेते हुए प्रशंसा की है।
सिंह ने एक कार्यक्रम में कहा कि वह इस बात का स्वागत करते हैं कि मोदी धीरे धीरे अपनी उन्मादी विचारधारा से हट रहे हैं और अटल बिहारी वाजपेयी की विचारधारा की ओर बढ़ रहे हैं और इसका स्वागत करना चाहिए कि यदि संघ और भाजपा कांग्रेस और (जवाहरलाल) नेहरू की विचारधारा के करीब आ रहे हैं।

साथ ही दिग्विजय ने कहा कि मोदी को भारत की जनता स्वीकार नहीं करेगी और खुदा न करे यदि भाजपा सत्ता में आए तो वह मोदी की जगह सुषमा स्वराज को तरजीह देंगे। सिंह ने कहा कि भारत की जनता को वाजपेयी और सुषमा स्वीकार्य हो सकते हैं लेकिन मोदी स्वीकार्य नहीं होंगे।

सिंह इस बात को गलत बताया कि कांग्रेस एक परिवार और कुछ विशेष लोगों के हाथों में है और भाजपा की तरह कांग्रेस आम कार्यकर्ता को बढते नहीं देखना चाहती। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में यदि केरल का कोई गरडिया राष्ट्रपति बन सकता है तो एक चाय वाला भी प्रधानमंत्री बन सकता

सिंधी कैंप थाने का एएसआई रिश्वत लेते गिरफ्तार

जयपुर। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने गुरूवार सुबह राजधानी जयपुर के सिंधी कैंप थाने के एएसआई को छह हजार की रिश्वत लेते गिरफ्तार किया। पकड़े गए एएसआई गणेश नारायण ने लूट के आरोपी की रिमांड नहीं लेने के बदले रिश्वत मांगी थी। सिंधी कैंप थाने का एएसआई रिश्वत लेते गिरफ्तार
एसीबी के अतिरिक्त पुलिस अधिक्षक बजरंग सिंह ने बताया कि सिंधी कैंप थाने के एएसआई गणेश नारायण के विरूद्ध शिकायत प्राप्त हुई थी। एएसआई ने पिछले दिनों लूट के मामले में फरार आरोपी गोल्डी सिंह को गिरफ्तार किया था। मामले में एएसआई ने गिरफ्तार आरोपी की रिमांड नहीं लेने व जब्ती नहीं दिखाने की एवज में 10 हजार रूपए की मांग की थी।

इस पर गोल्डी की मां मंजीत कौर ने एसीबी में शिकायत की। छह हजार रूपए गुरूवार को लेना तय हुआ था। एएसआई ने जैसे ही छह हजार रूपए लिए, एसीबी ने दबिश देकर उसे पकड़ लिया।

कोई नहीं जानता किसके वोट गिनने हैं

जयपुर। मतदान दलों की तर्ज पर ही मतगणना कार्मियोंको भी अंतिम समय पर ही बताया जाएगा कि उन्हें किस विधानसभा क्षेत्र में किस टेबल पर बैठकर मतगणना करनी है। इतना ही नहीं उन्हें मतगणना से पहले गोपनीयता बरकरार रखने के लिए बकायदा शपथ भी दिलाई जाएगी।
इस बार निर्वाचन विभाग ने मतदान दलों के गठन में काफी गोपनीयता बरती थी। इन्हें पहले सिर्फ यह बताया गया था कि उन्हें किस विधानसभ क्षेत्र में जाना है, मतदान बूथ के बारे में नहीं बताया गया था। दल में कौन होंगे, यह जानकारी भी उन्हें रवानगी से पहले ही दी गई थी।

अब मतगणना में भी ऎसा ही किया गया है। इसके तहत ही प्रशासन ने कार्ययोजना बनाकर मतगणना कार्मिकों को बुधवार को प्रशिक्षण दिया और उन्हें गोपनीयता के प्रति गंभीरता बरतने की हिदायत भी दी। इसके साथ ही मतगणना स्थलों की सुरक्षा व्यवस्था व मतगणना कक्षों के इंतजामों की भी समीक्षा की।

मोबाइल पर भी पाबन्दी
मतगणना के दौरान माचिस, खाने का सामान, बीडी, सिगरेट, तम्बाकू के पैकेट, ब्लेड, चाकू, समेत अन्य कोई भी निषेधात्मक सामग्री अपने साथ मतगणना स्थल पर नहीं ले जाई जाएगी। मतगणना व्यवस्था में नियुक्त पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों एवं कर्मचारियों के अतिरिक्त अन्य के मोबाइल पर भी पाबन्दी रहेगी।

मतगणना का प्रशिक्षण
मतगणना के लिए नियुक्त मतगणना सहायक, मतगणना सुपरवाइजर एवं मतगणना माईक्रो ऑब्जर्वर्स को बुधवार को ओटीएस एवं पंचायती राज संस्थान में प्रशिक्षण दिया गया। इस दौरान उन्हें बताया कि सर्वप्रथम कंट्रोल यूनिट की सील की जांच होगी। इसके बाद "रिजल्ट सेक्शन" को खोला जाएगा और फिर ग्रीन पेपर सील एवं एड्रेस टैग आदि के क्रमांक मतगणना टेबिल पर अभिकर्ताओं को दिखाए जाएंगे। उन्हें मतगणना कार्य को सावधानी से करने को लेकर भी कई तरह की जानकारी दी।

पूर्व एमडी ने महिला पत्रकार से की छेड़छाड

जयपुर। उम्र 65 साल और काम फेसबुक पर युवतियों को दोस्ती कर झांसा देकर घर बुलाना और फिर उनसे छेडछाड़ और अश्लीलता करना। ऎसा ही एक मामला बुधवार को सांगानेर थाना क्षेत्र में सामने आया है। पुलिस के अनुसार आरोपी जयपुर डेयरी में एमडी के पद से रिटायर्ड है।

पिछले दिनों उसने वैशाली नगर निवासी एक इलेक्ट्रॉनिक चैनल की महिला पत्रकार से फेसबुक पर दोस्ती की। काफी दिनों तक चेटिंग चलती रही। उसके बाद आरोपी ने महिला पत्रकार से कहा कि उसे डेयरी की बड़ी खबर देगा, इसलिए मिलने आओ।

पीडिता ने अपने मित्रों को उसकी जानकारी दी और उससे मिलने चली गई। आरोपी उसे गोपालपुरा से अपनी गाड़ी में ले गया और घर पर छेड़छाड़ व अश्लीलता की। इस बीच पीडिता ने अपने मित्र को फोन कर बुला लिया और थाने पहुंच मामला दर्ज करवाया। पुलिस ने आरोपी रणवीर सिंह गोदारा को गिरफ्तार कर लिया है।

रास्ते में खरीदी शराब की बोतल

एसीपी बाघसिंह ने बताया कि पीडिता का कहना है कि आरोपी ने गोपालपुरा के पास ही एक दुकान से शराब की बोतल खरीदी। उसने पीडिता को भी शराब पीने के लिए कहा, लेकिन उसने मना कर दिया। जिस पर आरोपी ने उसे कुछ दूर जाकर एक स्वीट कैटर्स से खाने के लिए कुछ दिलाया। घर ले जाने के बाद आरोपी ने शराब पी और पत्रकार से छेड़छाड़ की।

दिखाने लगा बैडरूम

रिपोर्ट के अनुसार आरोपी उसे घर ले जाकर अपना घर, बैडरूम व बाथरूम तक दिखाने लगा। आरोपी ने उसे बाथरूम की चाबी दी और फ्रेश होने के लिए भी कहा। और इस बीच खुद शराब पीने लगा।

पीडिता ने आरोपी के मंसूबों को भांप लिया और अपने मित्र को इसकी जानकारी दी। मित्र के पहुंचने के बाद वह सांगानेर थाने पहुंचे और रिपोर्ट दर्ज करवाई। पुलिस ने बुधवार को ही आरोपी को गिरफ्तार कर लिया।