नई दिल्ली बीते भाईदूज के दिन एक युवती को कुछ लोगों ने उसके भाई की फर्जी लाश दिखाकर उसके साथ गैंग रेप किया। पुलिस ने एफआईआर लिखना तो दूर, उलटे विक्टिम को ही थाने से भगा दिया। अब विक्टिम और उसका परिवार इंसाफ पाने के लिए दर-दर भटक रहा है। मामला उत्तर प्रदेश के जिला फिरोजाबाद के गांव जेरा का है। रेप का आरोप ग्राम प्रधान के पति और उसके 6 साथियों पर लगा है।
विक्टिम के पिता अनुज यादव (बदला हुआ नाम) के मुताबिक घटना 5 नवंबर की है। उनकी 22 साल की बेटी आशा (बदला हुआ नाम) भाई-दूज की पूजा करने के बाद गांव में ही अपनी सहेली के घर गई हुई थी। दोपहर करीब 12 बजे आशा वहां से अपने घर के लिए लौट रही थी कि रास्ते में बाइक से एक लड़का उसके पास आया और उसको बताया कि आशा के भाई का एक्सिडेंट हो गया है। खबर सुनकर बदहवास आशा उस लड़के के संग अपने भाई को देखने चली गई। वह लड़का उसे पास के ही कस्बे एका लेकर पहुंचा जहां लाल रंग की बोलेरो खड़ी थी। लड़के ने आशा को बताया कि इसी में उसका भाई है। आशा ने जब बोलेरो के अंदर देखा तो सफेद कपड़े में लिपटी एक बॉडी दिखी। उसके आस-पास आगे और पीछे की सीट पर कुछ और आदमी बैठे हुए थे जिनमें से एक उसके गांव की प्रधान का पति दलबीर सिंह यादव (पुत्र साधु सिंह यादव) भी था। आशा कपड़ा हटाने के लिए आगे झुकी ही थी कि उन आदमियों ने उसे अंदर खींच लिया। वह कुछ कर पाती इससे पहले ही बोलेरो का दरवाजा बंद हो चुका था।
विक्टिम ने बताया कि आरोपी उसे लेकर गांव के ही बाहर बने एक वीरान पुल पर पहुंचे। पुल के आस-पास जंगल होने की वजह से वहां राहगीरों का आना-जाना लगभग न के बराबर था। दिन भर उसके साथ वहशियों से भी बदतर हरकत करने के बाद वे लोग उसे रात करीब 11:55 बजे अधमरी हालत में उसके घर से 20 मीटर की दूरी पर छोड़कर भाग गए। अनुज यादव ने जब बाहर आकर देखा तो उनकी बेटी नग्नावस्था में बेसुध पड़ी हुई थी। आरोपियों ने उसी की साड़ी से उसके हाथ और पैर बांध दिए थे। उसके मुंह पर भी कपड़ा बांधा हुआ था। उसके प्राइवेट पार्ट्स पर दांतो के निशान थे और पूरे शरीर पर जगह-जगह बेल्ट के निशान थे। अगले दिन सुबह जब आशा को होश आया तो वह इस कदर डरी हुई थी कि किसी का नाम तक बताने को तैयार नहीं थी। वह बस यह कह रही थी कि अगर मैंने किसी का नाम लिया तो वे मुझे मार डालेंगे। पिता के ज्यादा जोर देने पर उसने सबका नाम बताया।
अनुज यादव ने बताया कि वह जब 6 नवंबर को एफआईआर दर्ज कराने एका थाने पहुंचे तो एसओ ने यह कहते हुए उनकी तहरीर फाड़ दी कि ग्राम प्रधान का पति ऐसा कर ही नहीं सकता। इसके बाद अनुज यादव के जान-पहचान वालों में किसी ने आईजी इलाहाबाद से बात की। तब आईजी इलाहाबाद ने एसपी फिरोजाबाद को एफआईआर दर्ज करवाने का निर्देश दिया। आईजी इलाहाबाद से मिले आश्वासन के बाद विक्टिम के घरवाले एसपी फिरोजाबाद के पास पहुंचे। तब एसपी के कहने पर थाना एका के एसओ ने 19 नवंबर को एफआईआर दर्ज कराई और तभी विक्टिम का मेडिकल भी कराया। मेडिकल की रिपोर्ट अब तक उनको नहीं दी गई है। बड़ी मुश्किल से उन्होंने एफआईआर की फोटो कॉपी निकलवाई है जिसमें सातों आरोपियों के नाम हैं। एफआईआर लिखे हुए 15 दिन बीत चुके हैं लेकिन अब तक कोई ऐक्शन नहीं लिया गया है। आरोपी खुले घूम रहे हैं।
एसपी नेता का नाम
विक्टिम के घरवालों का कहना है कि पुलिस इसलिए कोई ऐक्शन नहीं ले रही है क्योंकि दलबीर सिंह एसपी के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव का करीबी है। रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव को पहली बार लोकसभा चुनाव के लिए फिरोजाबाद से टिकट मिला है। दलबीर सिंह के दम पर अक्षय यादव को 21 गांवों से समुदाय विशेष के लोगों का वोट मिलना पक्का है। इस वजह से दलबीर सिंह को पकड़ना तो दूर, पुलिस उससे इस मामले में पूछताछ तक नहीं कर रही है।
पति ने भी दिया था जहर
विक्टिम के पिता अनुज यादव ने बताया, 'मेरी बेटी शादीशुदा है। 2 महीने से मायके में ही रह रही है। बेटी पैदा होने के बाद उसके शराबी पति ने एक बार उसे जहर देकर मारने की कोशिश की थी। तब से वह मायके में ही रहती है। सोचा था कि यहां वह खुश रहेगी लेकिन यहां तो उसके साथ ऐसा घटना हो गई, जिसे वह जिंदगी भर नहीं भुला सकती।'
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