गुरुवार, 5 दिसंबर 2013

सांप्रदायिक हिंसा बिल पर मचा "घमासान"

नई दिल्ली। सांप्रदायिक हिंसा विरोधी बिल का विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है। गुरूवार को संसद के शीतकालीन सत्र में भी इसको लेकर जमकर घमासान हुआ। सत्तापक्ष जहां बिल को एकमत होकर पास कराने की बात कह रहा है। वहीं, गृहमंत्री सुशील कुमार ने मोदी की (पीएम को) चिट्ठी के संदर्भ में कहा कि बिल इसी सत्र में पास हो जाएगा। इस पर बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा ने बिल पर गंभीर आपत्तियां जाहिर करते हुए मोदी के पक्ष को सही ठहराया।

उल्लेखनीय है कि भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने सांप्रदायिक हिंसा बिल का विरोध करते हुए इसे "आपदा का नुस्खा" करार दिया है। उन्होंने इस संबंध में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को चिट्ठी लिखी है। मोदी ने लिखा है कि सांप्रदायिक हिंसा बिल से समाज बंटेगा। मोदी ने संसद में सांप्रदायिक हिंसा विरोधी बिल लाए जाने के समय पर भी सवाल उठाया। उन्होंने बिल के मसौदे पर सवाल उठाते हुए कहा है कि यह संघीय ढांचे के खिलाफ है।

असल मकसद वोट बैंक की राजनीति: मोदी
मोदी ने लिखा है कि ये बिल असल मकसद के लिए नहीं वोटबैंक की राजनीति का हिस्सा है। मोदी ने लिखा कि केंद्र ऎसे कानून बनाने में व्यस्त है जो राज्य सरकारों का मामला है। अगर ये कानून लागू हुआ तो समाज बंट जाएगा और हिंसा बढ़ जाएगी।

सरकार आम सहमति की कोशिश करेगी: पीएम
नरेन्द्र मोदी की ओर से सा प्रदायिक हिंसा बिल को "आपदा का नुस्खा" करार दिये जाने के बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि सरकार उन सभी मुद्दों पर व्यापक सहमति बनाने का प्रयास करेगी जिनका महत्व काफी अधिक है। सिंह ने कहा कि सरकार विधेयकों को आसानी से पारित कराने के लिए संसद के सभी वर्गो का सहयोग चाहती है।

वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं मोदी: कांग्रेस
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री के. रहमान खान ने कहा कि मोदी वोटबैंक की राजनीति कर रहे हैं। हम इस विषय पर 2005 से ही राज्यों से विचार-विमर्श कर रहे हैं। वहीं,संसदीय कार्य राज्य मंत्री राजीव शुक्ला ने आरोप लगाया कि मोदी हर चीज को तोड़-मरोड़ कर पेश करते हैं और विवाद पैदा करते हैं। उन्होंने कहा कि वह राजनीतिक फायदे के लिए इसका विरोध कर रहे हैं।

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