गुरुवार, 5 दिसंबर 2013

"चाइल्ड पोर्नोग्राफी"पर लग पाएगा अंकुश?

दुनिया भर में बाल पोर्नोग्राफी बना ज्वलंत मुद्दा। इंटरनेट पर बच्चों से जुड़े बढ़ते अपराधों को देखते हुए प्रमुख सर्च इंजन गूगल और माइक्रोसॉफ्ट ने इसे रोकने के लिए की अहम पहल। गूगल के एक्जीक्यूटिव चेयरमैन एरिक श्मिट ने बताया कि इंटरनेट पर अश्लील तस्वीरों की खोज के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले एक लाख से अधिक शब्दों पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी से अब कोई परिणाम नहीं आएगा।
इसके साथ ही बच्चों की अश्लील तस्वीरों को गैर कानूनी बताने वाला एक संदेश भी दिखाई देगा। फिलहाल यह अंग्रेजी भाषी देशों पर लागू होगा, पर बाद में छह महीनों के भीतर इसे 158 भाषाओं पर लागू किया जाएगा।

एक मुहिम ऎसी भी!
नीदरलैंड्स में मानवाधिकार के लिए काम करने वाले एक संगठन "टेरे डेस होम्मेस" ने बाल यौन शोषण के इस नए रूप को दुनिया के सामने लाने के लिए एक ऑनलाइन योजना की मदद ली। उन्होंने दुनिया भर से 1,000 पीडोफीलो को ढूंढ निकाला और ऎसे लोगों की जानकारी पुलिस को दी, जो विकासशील देशों के बच्चों को ऑनलाइन सेक्स के एवज में पैसे देना चाहते हैं। इसके लिए कंप्यूटर पर एक 10 साल की लड़की "स्वीटी" के पात्र को विकसित किया और उसके जरिए बच्चों का यौन शोषण करने वालों तक पहुंच बनाई।

इसको चैटरूम में स्थापित करने के 10 हफ्तों के भीतर ही 71 देशों के करीब 20 हजार लोगों ने स्वीटी से संपर्क किया और उससे वेबकैम के सामने उत्तेजक हरकतों की मांग की। संगठन के प्रमुख के अनुसार ये लोग इन गतिविधियों के लिए कीमत चुकाने को तैयार थे। इसे "वेबकैम बाल यौन पर्यटन" नाम दिया गया है। जिस समय ये लोग स्वीटी से ऑनलाइन बात कर रहे थे, उस समय रिसर्चरों ने सोशल मीडिया के जरिए इन लोगों की पहचान इकटा की। जानकारी पुलिस को सौंप दी गई। इसके ज्यादातर शिकार बच्चे हजारों की तादाद में फिलीपींस में हंै।

भारत में सुप्रीम कोर्ट की कार्रवाई
भारत की सर्वोच्च अदालत ने चाइल्ड पोर्नोग्राफी (बच्चों से जुड़े अश्लील चित्र/वीडियो) को रोकने के उपायों के लिए निर्देश देने संबंधी याचिका पर दूरसंचार विभाग से जवाब तलब किया है। न्यायमूर्ति बी. एस. चौहान और न्यायमूर्ति एस. ए. बोबड़े की खंडपीठ ने पेशे से वकील इंदौर निवासी कमलेश वासवानी की याचिका की सुनवाई के दौरान दूरसंचार विभाग को नोटिस जारी करके पूछा कि पोर्नोग्राफी साइटों को किस तरह ब्लॉक किया जा सकता है? कोर्ट ने संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को जवाब देने के लिए तीन हफ्ते का वक्त दिया है।

इसी मंत्रालय के तहत दूरसंचार विभाग आता है। याचिकाकर्ता के वकील विजय पंजवानी ने दलील दी कि महिलाओं, बच्चे और लड़कियो के खिलाफ यौन अपराध के मामले अश्लील सामग्री देखने के बाद बढ़ रहे हैं। इससे पहले केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया था कि देश में पोर्न वेबसाइटों को रोकना मुश्किल काम है।

सरकार ने कोर्ट से समय मांगा था ताकि अलग-अलग मंत्रालयों से इस मुद्दे पर चर्चा की जा सके। पंजवानी के मुताबिक इंटरनेट कानून की गैरमौजूदगी में लोगों को पोर्न देखने से नहीं रोका जा सकता। उनके मुताबिक 20 करोड़ से ज्यादा पोर्न क्लिपिंग या पोर्न वीडियो बाजार में उपलब्ध हैं। याचिका में दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 के सामूहिक बलात्कार कांड का भी जिक्र था, जिसमें पैरामेडिकल की छात्रा के साथ चलती बस में बलात्कार हुआ था। पीडित लड़की के साथ 6 लोगों ने गैंगरेप किया था, इसके बाद इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।

"नो रिजल्ट" कितना होगा कामयाब ?
इसके बाद इन कंपनियों ने एक ऎसा अल्गोरिथम बनाया, जो कि बच्चों की अश्लील तस्वीरों की खोज को रोकता है। इसके लिए गूगल ने पहल करते हुए पिछले तीन महीनों में 200 से भी ज्यादा कर्मचारियों को इस समस्या के समाधान का उपाय ढूंढने पर लगा दिया था। उन्होंने कड़ी मशक्कत के बाद ऎसे 1 लाख शब्दों को हटाने का फैसला किया है, जिस पर अब 'नो रिजल्ट' दिखाई पड़ेगा। वहीं माइक्रोसॉफ्ट ने भी कहा है कि अब बिंग पर भी ऎसे शब्द खोजने पर कोई परिणाम नहीं आएगा। दोनों कंपनियों ने कहा है कि वे बच्चों के शोषण से संबंधित सामग्री बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेंगे।


वाकई असरकारी होगा?
ब्रिटेन के इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (आईईटी) का कहना है कि इंटरनेट पर बच्चों से जुड़ी अश्लील वेबसाइटों (चाइल्ड पोर्नोग्राफी) की खोज या सर्च बंद करना प्रभावी उपाय नहीं है। संस्थान का कहना है कि यह उपाय अप्रभावी है तथा इसे आसानी से धोखा दिया जा सकता है। गौरतलब है कि प्रौद्योगिकी कंपनी गूगल तथा माइक्रोसॉफ्ट ने हाल ही अपने सर्च में चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़े 1,00,000 संभावित संदर्भ को ब्लॉक करने की घोषणा की थी। चेयरमैन मार्टिन थॉमस के मुताबिक यह सही दिशा में उठाया गया कदम है लेकिन मुद्दे को पूरी तरह सुलझाने में पर्याप्त नहीं। आईईटी के अनुसार इंटरनेट सर्च इंजनों के जरिए बाल शोषण से जुड़े फोटो की खोज को कठिन करना ज्यादा दूरगामी उपाय नहीं है। इंस्टीट्यूशन के 127 देशों में 1 लाख 50 हजार से ज्यादा सदस्य हैं।

12 प्रतिशत वेबसाइट हैं इंटरनेट पर पोर्नोग्राफिक, यानी कुल 24,644,172 साइट।
4.9
बिलियनकी है ग्लोबल पोर्न इंडस्ट्री।

72
मिलियन व्यूअर्स हैं इंटरनेट पर प्रति माह।

2.5
बिलियन ई-मेल भेजे जाते हैं प्रतिदिन पोर्नोग्राफिक।

25
प्रतिशत रिक्वेस्ट पोर्नोग्राफिकहोती हैं।

68
मिलियन सर्च होती हैं प्रतिदिन पोर्न से संबंधित।


मन्जु माहेश्वरी

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