जोधपुर। राजपूत समाज के नेता व राजपूत करणी सेना के प्रधान संरक्षक लोकेंद्र सिंह कालवी ने कहा है कि आनेवाले विधानसभा चुनावों में जोधपुर, नागौर सहित प्रदेश के किसी भी हिस्से से एमएलए के पद का दावेदार नहीं हैं। वे विधायक का चुनाव नहीं लड़ेंगे। संसदीय चुनाव के लिए राजनीतिक निर्णय लेना अभी उनके हाथ में नहीं है, ना ही उनका चुनावी राजनीति का मानस है। उनका मानस सामाजिक व्यक्ति बन कर जीना है।
भाजपा ने आरक्षण के मामले में धोखा किया
भारतीय जनता पार्टी ने राजपूत, ब्राह्मण, वैश्य, सिंधी, पंजाबी, कायस्थ, शेख, बोहरा व पठान जैसी नौ कौम के साथ आरक्षण के मामले में धोखा किया है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि पिछले डेढ़ माह से मृत प्राय: पड़े आरक्षण के मुद्दे को अब फिर उठाने और इन नौ जातियों के साथ धोखा करने वाले राजनीतिक दलों को संख्या बल की ताकत दिखाने का समय आ गया है। कुछ चीजें राजनीति तय करती है और उसी से सब कुछ तय होता है। गुर्जर आंदोलन के दौरान गोलीबारी हुई और उसमें 72 लोग मारे गए बावजूद इसके गुर्जरों को आरक्षण नहीं मिल सका। इससे यह तय है कि कुछ निर्णय राजनीति के दबाव में होता है और इसलिए अब राजनीतिक ताकत भी मजबूत करने पर समाज को विचार करना चाहिए। कालवी का कहना है कि पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को हराने का संकल्प लेने वाली करणी सेना का कांग्रेस के साथ गठबंधन के सवाल पर लोकेंद्र सिंह कालवी ने कहा कि करणी सेना बिकाऊ नहीं है। उन्होंने कहा कि सेना समाज के हित के लिए संघर्ष करने को तैयार है मगर ऐसा कोई कार्य नहीं करेगी जिससे उस पर कोई आरोप लगे।
कालवी शुक्रवार को जगदंबा माता के मंदिर में स्थित सभा भवन में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। कालवी ने जोर देकर कहा कि भारतीय जनता पार्टी के नेता अटलबिहारी वाजपेयी ने जाटों को आरक्षण देकर राजपूत-ब्राह्मण-वैश्य सहित प्रमुख 9 जातियों, जिनके प्रदेश में 80 फीसदी वोटर हैं, को आरक्षण के मामले में धोखा दिया। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों ने इस मुद्दे को घोषणा पत्र में तो शामिल कर लिया, लेकिन आरक्षण देने की इच्छा शक्ति नहीं जुटा पा रहे हैं। ऐसे में 13 जनवरी को राजधानी जयपुर में राजपूत करणी सेना रैली कर ताकत दिखाएगी। इस रैली को आयोजित करने के पीछे आरक्षण मुख्य उद्देश्य है। इसके साथ कल्याणसिंह कालवी की जयंती, करणी सेना में नए नेतृत्व से अवगत कराने सहित चार प्रमुख उद्देश्यों के तहत स्वाभिमान सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। इससे पहले 16 दिसंबर को ब्राहाण इस संबंध में रैली कर रहे हैं।
40 की उम्र के साढ़े सात लाख सदस्य -
कालवी ने कहा कि करणी सेना विभिन्न उद्देश्यों को लेकर संघर्ष कर रही है। वर्तमान में 40 साल उम्र से कम वाले करीब साढे सात लाख सदस्य हैं। किसी भी सदस्य को राजनीति में जाने की कोई रोक टोक नहीं है। राजनीति में कोई चुनाव जीतता हैं तो उन्हे करणी सेना का पद छोड़ना पड़ेगा, जबकि उनकी सदस्यता बरकरार रहेगी।