हेलिकॉप्टर गिरा,बाल-बाल बचे आसाराम बापू
गोधरा। गुजरात के गोधरा में एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में धर्मगुरू आसाराम बापू बाल-बाल बचे। लैंडिंग के दौरान तकनीकी गड़बड़ी के चलते हेलिकॉप्टर ने संतुलन खो दिया और जमीन पर गिरकर टुकड़े-टुकड़े हो गया। हालांकि उसपर सवार आसाराम बापू सुरक्षित है,जबकि पायलट मामुली जख्मी हुआ है।
जानकारी के अनुसार आसाराम बापू एक सत्संग में भाग लेने के पहुचे थे। यहां हेलिकॉप्टर लैंडिग के वक्त क्रैश हो गया जिससे हादसे में आसाराम समेत पांच लोग सुरक्षित बच गए,लेकिन पायलट को हल्की चोटें आई। यह हादसा विज्ञान महाविद्यालय के पास हुआ हैं। फिलहाल दुर्घटना के कारणों को पता नहीं लग पाया है।
नई दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मंगलवार को अपने नेतृत्व की जबर्दस्त बानगी पेश करके जहां विपक्ष को हैरत में डाल दिया, वहीं पार्टी कार्यकर्ताओंं में नई जान फूंक दी।
जहां पार्टी की संसदीय दल की बैठक में सोनिया ने बीजेपी पर अपने आक्रामक तेवर दिखाए, वहीं लोकसभा में सहयोगी दल एसपी के नेता मुलायम सिंह की बेंच पर जाकर उनसे गुफ्तगू करके बीजेपी के खिलाफ नए समीकरण बनाने के संकेत दिए।
समय पूर्व चुनाव : सोनिया ने अगले लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी को तैयार रहने की ताकीद करते हुए संकेत दिए कि चुनाव समय पूर्व भी हो सकते हैं।
राहुल नहीं, सोनिया : यूपीए-2 की सरकार बनने के साथ ही कांग्रेस की मुसीबतें भी बढ़ने लगी थीं। कई मंत्रियों पर आरोप लगने के बाद जब बीजेपी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से भी इस्तीफा मांगना शुरू कर दिया तो ऐसे में सोनिया ने ही मोर्चा संभाला। कांग्रेस में बहुत सारे लोगों को लगता था कि ऐसे मुश्किल वक्त में राहुल गांधी को अपनी नेतृत्व क्षमता दिखाने की जरूरत है, मगर उनके बदले सोनिया ने कमान संभाल कर दिखा दिया कि अभी पार्टी को उनकी बहुत जरूरत है।
मंगलवार को संसद में सोनिया के तीखे तेवरों के बाद उनकी पुरानी निकट सहयोगी रहीं अंबिका सोनी ने बीजेपी पर हमला बोला। इससे पहले सोनिया, आडवाणी को सदन में अपने शब्द वापस लेने पर मजबूर कर चुकी हैं।
मुलायम से गुफ्तगू : सुबह सदन शुरू होने से पहले सोनिया अचानक मुलायम सिंह की सीट पर जा पहुंचीं। 'नमस्ते' करके सोनिया ने उनसे कुछ देर बातें कीं। फिर 'शुक्रिया' कहके वापस अपने स्थान पर आ गईं। बाद में जब संवाददाताओं ने मुलायम से इस बारे में पूछा तो वह जवाब देने से बचते रहे। नया विवाद : लेकिन उनकी पार्टी के प्रवक्ता मोहन सिंह ने यह कहकर एक नया विवाद छेड़ दिया कि कांग्रेसी ही प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को हटाने की कोशिशें कर रहे हैं। कांग्रेसी मनमोहन सिंह के बचाव में आगे नहीं आ रहे हैं। लेकिन कांग्रेस की तरफ से इस बयान को कल्पना की उपज बताया गया।
लोगों में कांग्रेस के प्रति उत्साह का माहौल:जोशी
कांग्रेसी नेताओं ने लोगों को सोनिया की सभा में भाग लेने का न्यौता दिया
बाड़मेर। बाड़मेर लिफ्ट केनाल परियोजना का उद्घाटन करने बाड़मेर आ रही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दौरे के मदे्नजर जिला उपाध्यक्ष यज्ञदत्त जोशी के नेतृत्व में कई कांग्रेसी नेताओं बाड़मेर शहर और आस‑पास के गांवों का दौरा कर लोगों को कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्षा के कार्यक्रम में आने का न्यौता दिया।
जिला कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष एडवोकेट यज्ञदत्त जोशी ने बताया कि बुधवार को विधि प्रकोष्ठ के अध्यक्ष सोहनालाल चौधरी, जगदीश जाखड़, मेवाराम सोनी, उगमसिंह राणीगांव, केवलाराम मेघवाल, भूरसिंह, पदमसिंह, तुलछाराम, गुमनाराम डउकिया, मोहन मेघवाल, लखाना खान, गोर्वद्वन माली, चेतन माली सहित कई कांग्रेसी नेताओं ने रानीगांव, बलाउ, कुरजा, उण्डखा आदि गांवों का दौरा कर सघन जनसम्पर्क किया।
जोशी ने बताया कि राज्य की गहलोत सरकार के जनकल्याणकारी कार्यो और योजनाओं से जनता को बहुत लाभ मिला है, ऐसे में बाड़मेर के लोगों में कांग्रेस पार्टी के प्रति और खासकर कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्षा के दौरे के मदेनजर खासा जोश है। उन्होनें कहा कि और हमे उम्मीद है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष चन्द्रभान के निर्देशों के मुताबिक निर्धारित लक्ष्य से अधिक भीड़ जुटेगी। जोशी ने कहा कि बाड़मेर जिले की पेयजल समस्या का समाधान करने वाली सबसे महत्वपूर्ण योजना का उद्घाटन एक ऐतिहासिक मौका है और इस मौके पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का बाड़मेर आना सौभाग्य की बात है।
हिम धाराओं से नहाएगी थार धरा बाड़मेर लिफ्ट पेयजल परियोजना
सृजन-भगीरथी के आवाहन को आतुर हैं मरुवासी
खारेपन से मुक्ति, मीठे पानी की सौगात
- डॉ. दीपक आचार्य
जिला सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी
बाड़मेर
बाड़मेर, 29 अगस्त/सदियों से प्यासी मरुधरा के लिए 30 अगस्त का दिन स्वर्णिम ऐतिहासिक है जब हिमालय का पानी थार के द्वार पहुंचकर सृजन का नया इतिहास रचेगा।
मीलों तक पसरे रेत के समन्दर में बून्द-बून्द पानी का मोल इस रेगिस्तान के बाशिन्दांे के सिवा कौन जान सकता है जो सदियांे से कितनी कठिनाइयों से पानी पाने और संजोकर रखने की कला में माहिर रहे हैं।
अतीत की बेरियों, बेरों, नाड़ियों और टाँको से लेकर आज के नवीन स्रोतांे और संसाधनों का सफर देखने वालों के लिए यह कल्पनाओं से परे था कि हिमालय का पानी उनके आँगन तक भी कभी पहुंच सकता है।
करिश्मा ही है यह परियोजना
सरकार की दृढ़ इच्छा शक्ति और भगीरथी प्रयासों का ही परिणाम है कि आज हिमालय का पानी मरुथल में पहुँच कर प्यास बुझा रहा है। सदियों और युगों की पेयजल समस्या का इस तरह समाधान ढूँढ़ लेना राज्य सरकार का वो करिश्मा ही है जिसे आने वाली पीढ़ियाँ युगों तक याद रखेंगी।
बदलने लगी तकदीर
राष्ट्रीय सलाहकार परिषद् की अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी के हाथों लोकार्पित हो रही यह योजना मानव श्रम की कीर्ति पताका फहराने वाली वह महत्वाकांक्षी योजना है जो बाड़मेर जिले की तकदीर बदलने वाली सिद्ध होगी।
हिमालय से निकला यह भगीरथी प्रवाह पर्वतों से निकली जीवनधारा से मरुथल को सरसब्ज कर देने वाला सिद्ध होगा वहीं सदियों की समस्या पर विजयश्री का परचम भी लहराएगा।
मुख्यमंत्री के हाथों हुआ शिलान्यास
राजस्थान में पेयजल प्रबंधन का स्वर्णिम इतिहास रचने वाली इस योजना का सूत्रपात 7 फरवरी 2003 को हुआ, जब प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में ही अशोक गहलोत ने जैसलमेर जिले के मोहनगढ़ तथा बाड़मेर शहर में इसका शिलान्यास किया।
इसके लिए उस समय 424 ़91 करोड़ रुपए की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति जारी हुई। इस परियोजना से सम्बन्धित कुल पानी की 172 एमएल़डी निर्धारित है जिसमें सैन्य क्षेत्र के लिए पानी की मांग 52 एम ़एल ़डी है।
मोहनगढ़ से बाड़मेर तक का लंबा सफर
इस परियोजना का आउट लेट स्थान जैसलमेर जिले में मोहनगढ़ के पास स्थित इन्दिरा गांधी नहर बुरजी संख्या 1434 ़75 है जहाँ से नहर का पानी लिफ्ट कर बाड़मेर के लिए पहुंचाया जा रहा है।
इस परियोजना के अन्तर्गत मोहनगढ़ स्रोत पर 38 हजार 450 लाख लीटर क्षमता की डिग्गी है जबकि इससे सम्बन्धित फिल्टर प्लान्ट भी मोहनगढ़ स्रोत पर स्थित है जिसकी क्षमता 172 एम ़एल ़डी है। परियोजना अन्तर्गत मोहनगढ़ एवं भागू का गांव फाटा में एक-एक पंपिंग स्टेशन स्थापित है।
कुल 196 किमी लम्बी पाईप लाईन
मोहनगढ़ (जैसलमेर) से लेकर बाड़मेर तक कुल 196 किलोमीटर लम्बी पाईप लाईन बिछाई गई है तथा कुल पंपिंग हैड़ 200 मीटर है। इस परियोजना पर कुल 668 करोड़ रुपए की धनराशि व्यय हो चुकी है।
बाड़मेर लिफ्ट पेयजल परियोजना में ट्रंक मैन में लाभान्वित करने के लिए कुल 529 गांव स्वीकृत हैैैं। इनमें विधानसभावार स्वीकृत गांवों में शिव में 162, बायतु मंे 151, सिवाना में 2, पचपदरा में 3 तथा बाड़मेर विधानसभा क्षेत्र के सभी 211 गांव स्वीकृत हैं।
इसी प्रकार कलस्टर में स्वीकृत गांवों में इस परियोजना अन्तर्गत बायतु विधानसभा क्षेत्र के 145, सिवाना में एक, पचपदरा में तीन तथा बाड़मेर विधानसभा क्षेत्र में 90 गांव स्वीकृत हैं।
द्वितीय चरण भी ले रहा आकार
बाड़मेर लिफ्ट पेयजल परियोजना के द्वितीय चरण में विभिन्न क्षेत्रों को पेयजल से लाभान्वित किया जाएगा। इसके लिए कलस्टर पार्ट ए व बी निर्धारित है। कलस्टर पार्ट-ए के अन्तर्गत भाड़का-चोखला-बान्दरा परियोजना से कुल 172 गांव लाभान्वित हांेगे।
इनमें तहसील बायतु के 128, बाड़मेर के 40, पचपदरा के तीन तथा सिवाना का एक गांव शामिल हैै। इस योजना के लिए 202 ़36 करोड़ का कार्य आवन्टित किया जा चुका हैै।
इसी प्रकार कलस्टर पार्ट-बी के अन्तर्गत बाड़मेर तहसील के 67 गांवों के लिए निविधाएं प्रक्रियाधीन हैं जबकि शेष 239 गांवों के लिए सर्वे का कार्य प्रगति पर हैै।
हिमालय सा गौरव देगी
हिमालय के पानी से थार की प्यास बुझाने वाली यह परियोजना सरकार की उपलब्धियों में सर्वोपरि महत्त्व रखती है।
हजारो-लाखों कण्ठों को तर करने का सुकून देने वाली यह परियोजना हिमालय की तरह राजस्थान सरकार का गौरव बढ़ाने वाली सिद्ध होगी।
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सोनिया गॉधी अध्यक्ष यू.पी.ए. का बाड़मेर के यात्रा के सम्बंध में यातायात एवं पार्किग व्यवस्था :
बाड़मेर बाड़मेर श्रीमती सोनिया गॉधी की गुरूवार को बाड़मेर यात्रा के दौरान सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध बाड़मेर पुलिस ने किये हें साथ ही यातायात तथा पार्किंग की बेहतरीन व्यवस्थाए की गई हें .पुलिस अधीक्षक राहुल बारहट ने बताया की गुरूवार को सोनिया गाँधी उतरलाई एयरस्ट्रीप से रवाना होकर करीब 12.00 बजे सभा स्थल पर पहॅूचेगी। वीवीआईपी के उतरलाई से सभा स्थल आदशर स्टेडिय पहॅूचने तक उतरलाई से आदशर स्टेडियम वाया बीएनसी चौराहा से सम्पूर्ण मार्ग के वीवीआईपी कार केड के अलावा अन्य किसी भी प्रकार के यातायात के लिये पूर्ण रुप से बन्द रहेगा। इसी प्रकार वीवीआईपी के सभा समाप्त होने पर दोपहर 1.15 बजे से करीब 45 मिनट तक उक्त मार्ग पुनः यातायात हेतु बन्द रहेगा। इस दौरान उतरलाई से बाड़मेर, सिणधरी चौराहा, शिव रोड़ पर पुराने डीटीओ कार्यालय के पास एव ंबीएसएफ सेक्टर हैडक्वाटर के मुख्य द्वार के पास सड़क पर भी यातायात को रोकने के लिये बेरीगेटिंग की गई है इस दौरान इस मार्ग पर यातायात पुर्ण रुप से बन्द रखा जावेगा। वीवीआईपी के सुरक्षा के सम्बंध में की गई विशोा यातयात व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए सभा में आने वाले सभी लोगों से समय से करीब 1 घण्टा पुर्व पहॅूचने का अनुरोध किया जाता है।
2. पार्किग व्यवस्था :
ए शिवजैसलमेर रोड़ से विधान सभा क्षैत्र शिव एवं विधान सभा क्षैत्र. बाड़मेर से विभिन्न ग्रामों से सभा में आने वाले वाहनों के लिए पार्किग सर्किट हाउस के पास स्थित पुराने डीटीओं ऑफिस के पीछे निश्चित की गई है।
बी जोधपुरबालोतरा (नेशलन हाइवे नं0 112) मार्ग से विधान सभा क्षैत्र बालोतरा, पचपदरा एवं बायतु से आने वाले वाहनों की पार्किग राजकीय महाविघालय बाड़मेर के मैदान में की गई है जो वाया बीएनसी चौराहा, सिणधरी चौराहा होते हुए उक्त स्थान पर पहॅूचेंगे। उक्त विधान सभा क्षैत्रों से देरी से आने वाले वाहन बायतु से बाड़मेर वाया चवा, सिणधरी रोड़ होकर आयेंगे क्योकि वीवीआईपी के यात्रा के समय उतरलाई पर यातायात को आने से रोका जाऐगा।
सी सिणधरी रोड़ से आने वाले विधान सभा क्षैत्र. सिवाना के वाहनों की पार्किग सिणधरी चौराहा से 100 मीटर पहले सिणधरी रोड़ पर पार्किग निश्चित की गई है।
डी चौहटन विधान सभा क्षैत्र से आने वाले वाहनों की पार्किग नेशनल हाईव बाईपास रोड़ पर चांमुण्डा चौराहा के अन्दर से तनसिंह जी के गेरेज होते हुए मुलसिंह जी रिटायर्ड अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के घर के पास जाते दांयी तरफ कच्चे रास्ते से रेल्वे स्टेडियम में पार्किंग की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।
ई बाड़मेर ाहर के विभिन्न क्षैत्रों से आने वाले वाहनों की पार्किग रेल्वे स्टेशन पार्किग परिसर में की गई है।
एफ विधान सभा क्षेत्र गुड़ामालानी से आने वाले वाहनों की पार्किग बालाजी कृि फार्म में की गई है।
अनुरोध
इसी प्रकार आम सभा में आने वाले सभी आगन्तुकों से अनुरोध है कि वीवीआईपी की सुरक्षा को दृटिगत रखते हुए कोई भी इलेक्ट्रोंनिक सामान साथ नही लायेंगे। सभा में मोबाईल लाया जाना पुर्णरुप से निोध है। इसके अतिरिक्त भी बिड़ी, सिगरेट, गुटखा, माचिस, ज्वलनशील पदार्थ, खाने की सामग्री, प्लास्टिक थेली इत्यादि साथ में नही लायेंगे।
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केन्द्रीय विद्यालयों में सप्ताह में 2 छुट्टी!
मुंबई। देश भर में एक लाख से अधिक केन्द्रीय विद्यालय के स्टूडेंट्स के लिए एक खुशखबरी हैं कि हो सकता हैं कि आने वाले समय में स्टूडेंट्स को सप्ताह की दो दिन छुट्टी मिले। सूत्रों के अनुसार स्कूल संगठन जल्द ही स्कूल्स में केवल पांच वर्किग डे पर फैसला कर सकता है।
केन्द्रीय विद्यालय संगठन के प्रमुख ने पिछले सप्ताह हुई मीटिंग के दौरान बताया कि उनका मुख्य उद्देश्य "सेल्फ लर्निग" पर हैं। वह यह भी चाहते हैं कि छात्र पढ़ाई के साथ ही नॉन ऎकै डमिक ऎक्टिविटी को भी समय दे इससे उनके टैलेंट को सामने लाने का मौका मिलेगा। छह दिन के स्कूल शेड्यूल में बच्चों को अपने इनर टैलेंट को उभारने का मौका नहीं मिलता हैं।
भारत से बाहर इरान,मॉस्को और काठमांडू के केन्द्रीय विद्यालयों में पांच दिन ही पढ़ाई करवाई जाती हैं। इसी के चलते पश्चिमी एज्यूकेशन सिसटम को सराहना मिलती हैं। वहां छात्रों को उनकी हॉबीज के लिए पूरा समय मिलता हैं और इससे बच्चों की ग्रोथ होती हैं।
ऑल इंडिया केन्द्रीय विद्यालय एसोसिएशन के अध्यक्ष ए एस मजदूर ने मीटिंग के दौरान बताया कि भारत में कई ऎसे संस्थान हैं जहां पांच दिनो का टाइम टेबल फॉलो किया जाता हैं। कई शिक्षकों ने माना कि अगर पांच दिन का स्कूल हो तो उन पर भी काम का बोझ थोड़ा कम आएगा। वहीं मीटिंग में इस बात को भी उठाया गया कि शिक्षकों के पास काफी पेपर वर्क होता हैं तो क्या वे पांच दिनों में उसे पूरा कर पाएंगे।
जब इस सिफारिशों पर कुछ और अधिकारियों के साथ विमर्श किया गया तो उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव को लागू करने की संभावनाए कम लग रहीं हैं। क्योंकि राइट टू एज्यूकेशन एैक्ट के तहत शिक्षकों के वर्किग ऑर्स निर्घारित हैं। एैक्ट के मुताबिक शिक्षकों को 6 घंटे काम करना होता हैं। वहीं शिक्षकों का कहना था कि छात्रों के साथ उन्हें भी काफी महनत करनी पड़ती हैं।
इसके बाद मजामुराद ने एक बिंदु उठाया कि सीबीएसई के कई स्कू लों में भी पांच दिन का टाइम टेबल फॉलो किया जाता हैं। लेकिन अधिकारियों ने इस पर जवाब किया हैं कि ऎसे स्कूलों की लिस्ट पेश की जाए जहां सप्ताह में दो छुटि्टयां होती हैं। कहा जा सकता हैं कि अगर स्कूलों में इस तरह से सप्ताह में दो छुटि्टयां दी जाएं तो छात्रों को जरूर उनकी हॉबीज के लिए भी समय मिलेगा।
मैगजीन के कवर पर टॉपलेस मिसेल ओबामा
वॉशिगंटन। एक स्पेनिश मैगजीन के कवर परअमरीका की फर्स्ट लेडी मिसेल ओबामा के टॉपलेस फोटो ने स्पेन से लेकर अमरीका तक सनसनी फैला दी है। "मैगजीन" में कवर पर मिसेल ओबामा को एक दासी के रूप में दिखाया गया है,जिसका गाउन निचे खिसका हुआ है और एक स्तन साफ दिख रहा है। यह फोटो 1800 शताब्दी की एक पोट्रेट के साथ ट्रिक फोटोग्राफी से जोड़कर बनाया गया है,जबकि मैगजिन के अंदर आर्टिकल में ओबामा को फर्स्ट लेडी के रूप में बराक ओबामा के साथ खड़ा दिखाया है।
जानकारी के अनुसार "मैगजीन" के कवर पर ट्रिक फोटोग्राफी से एक अश्वेत दासी की पोट्रेट पर मिसेल ओबामा का सिर जोड़ा गया है। इस स्पेनिश मैगजिन के कवर पर मिसेल का यह फोटो अमरीका सहित दुनियाभर में चर्चा का विष्ाय बना हुआ है।
उल्लेखनीय है कि जिस पोट्रेट पर मिसेल का सिर जोड़ा गया है वह फ्रेच आर्टिस्ट मैरी बेनिस्ट की बनाई गई है जिसे सन् 1800 में एक सालाना प्रदर्शनी में लगाया गया है। यह पोट्रेट को बड़े महत्व के साथ देखा जाता रहा है,क्योंकि इसके कुछ समय बाद ही स्पेन में "दास" प्रथा को समाप्त कर दिया गया था।
मोदी को झटका,दंगों में पूर्व मंत्री दोषी
अहमदाबाद। अहमदाबाद में 28 फरवरी 2002 को भड़के दंगों के आरोपियों पर कोर्ट के फैसले ने नरेन्द्र मोदी सरकार को झटका दिया है। फैसला सुनाते हुए अहमदाबाद की विशेष्ा निचली अदालत ने 32 लोगों को दोषी करार दिया है,इनमें मोदी सरकार में मंत्री रह चुकी माया कोडनानी का नाम भी शामिल है। साथ ही बीएसपी के पूर्व नेता बाबू बजरंगी को दोषी करार दिया है। कोर्ट ने इस मामले में 29 आरोपियों को बरी भी कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि जिस समय दंगे हुए माया कोडनानी सिर्फ विधायक थी, लेकिन बाद में मोदी सरकार में उन्हें मंत्री बनाया दिया गया था। आई विटनेस के बयान और अन्य सबूतों के आधार पर माया कोडनानी और बाबू बजरंगी पर लोगों को इकट्ठा करना का आरोप है।
ज्ञात हो कि गोधरा कांड के बाद अहमदाबाद शहर के नरोडा पाटिया में भड़के दंगों में इससे पूर्व जून में विशेष न्यायाधीश डॉ. ज्योत्सना बेन याçज्ञक ने सुनवाई की थी और फैसले की तारीख 29 अगस्त निर्धारित की थी।
97 लोग मारे गए थे
गोधरा कांड के बाद 28 फरवरी 2002 को अहमदाबाद शहर के नरोडा पाटिया इलाके में भड़के दंगे में 97 लोग मारे गए थे। इस मामले में नरोडा से भाजपा विधायक व नरेन्द्र मोदी मंत्रिमंडल की पूर्व मंत्री माया बेन कोडनानी सहित तीन महिलाएं, पूर्व विहिप नेता बाबू बजरंगी, पूर्व पार्षद विपिन पंचाल, वकील राजकुमार चौमल सहित 61 आरोपी शामिल थे।
2008 में एसआईटी ने शुरू की थी जांच
इस मामले की जांच पहले गुजरात पुलिस ने की थी, लेकिन वर्ष 2008 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस मामले की जांच एसआईटी को सौंपी गई। आरोपियों के खिलाफ हत्या, हत्या का षड्यंत्र, हत्या का प्रयास, हथियारों के साथ एकत्रित होने, दंगा भड़काने, लूट-पाट, डकैती सहित भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत आरोप तय किए गए।
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई हमले के दोषी पाकिस्तानी आतंकी मोहम्मद अजमल कसाब की अपील पर फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने कसाब की अर्जी में उसकी तरफ से रखी गई सभी दलीलें खारिज कर दी हैं। कोर्ट ने कहा है कि यदि देश की संप्रभुता पर हमला होता है तो इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस अपराध की बड़ी सजा मिलनी चाहिए।
26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए इस हमले में 166 लोग मारे गए थे। इस हमले में मुंबई पुलिस के तीन अफसर हेमंत करकरे, अशोक काम्टे और विजय सालस्कर भी शहीद हो गए थे।
बाड़मेर में रिफायनरी की कोई संभावना नहीं दो साल तक
बाड़मेर। राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बाड़मेर में प्रस्तावित रिफायनरी को लेकर कितनी ही बयान बाजियां करते रहे, लेकिन हकीकत में राजस्थान सरकार की ढिलाई के कारण ही रिफायनरी अटकी हुई है।रिफायनरी अगले दो साल तक लगने की कोई संभावना नहीं हें .
यह खुलासा बाड़मेर सांसद हरीश चौधरी द्वारा लोकसभा में पुछे गए एक प्रश्न के जवाब में हुआ, जिसमें केन्द्रीय पेट्रोलियम मंत्री जयपाल रेडडी ने रिफायनरी में देरी के राजस्थान सरकार को जिम्मेदार ठहराया। केन्द्रीय पेट्रोलियम मंत्रालय के मुताबिक बाड़मेर में प्रस्तावित रिफायनरी के मामलें में ओएनजीसी को राजस्थान सरकार के सकारात्मक जवाब का इंतजार है।
बाड़मेर सांसद को लिखे पत्र में केन्द्रीय पेट्रोलियम मंत्री जयपाल रेडडी ने बताया कि राजस्थान सरकार ने रिफायनरी के संबध में राजस्थान सरकार की 26 फीसदी भागीदारी, 15 वर्ष के लिए बिना ब्याज के ग्यारह सौ करोड़ रूपए के ऋण और कुछ अन्य शर्तो के संबध में अब तक सिद्वातंत: मंजूरी दी है, जबकि ओएनजीसी इस मामलें में किसी भी प्रकार के निवेश से पूर्व सिद्वातंत: मंजूरी के बजाय केबिनेट मंजूरी का इंतजार कर रही है।
उल्लेखनीय है कि बाड़मेर में प्रस्तावित रिफायनरी के लिए साल 2010 में गठित त्रिपाठी कमेटी ने बाड़मेर में बड़ी रिफायनरी के बजाय 4.5 से 6 मिलीयन टन की रिफायनरी लगाने की बात कही थी। त्रिपाठी कमेटी की रिपोर्ट के बाद रिफायनरी की सबसे बड़ी भागीदार मानी जा रही ओएनजीसी ने बाड़मेर में 4.5 मिलीयन टन रिफायनरी के लिए इंजीनीयर्स इण्डिया लिमिटेड की टीम से तकनीकी रिर्पोट और भारतीय स्टेट बैंक से वित्तीय रिर्पोट मंगवायी। इस रिर्पोट के बाद ओएनजीसी को बाड़मेर में रिफायनरी लगाना घाटे का सौदा लगा, जिसके बाद कंपनी ने राजस्थान सरकार से रिफायनरी में राजस्थान सरकार की 26 फीसदी भागीदारी, 15 वर्ष के लिए बिना ब्याज के ग्यारह सौ करोड़ रूपए के ऋण और कुछ अन्य जरूरतों के संबध में शर्त रखी।
ओएनजीसी का कहना है कि राजस्थान सरकार उसकी शर्तो पर सिद्वातंत: सहमत है, लेकिन इस मामलें में किसी भी प्रकार के निवेश से पूर्व केबिनेट मंजूरी जरूरी है।
तीन नवजात बालिकाओं की संदिग्ध मौत
जैसलमेर जिले में एक बार फिर नवजात बालिकाओं की संदिग्ध मौत का सिलसिला सामने आ रहा है। सोमवार को सीतोड़ाई में दो दिन पूर्व जन्मी एक बालिका की मौत के बाद मंगलवार को नरसिंगों की ढाणी में दो बालिकाओं की संदिग्ध मौत का मामला सामने आया है। दो तीन दिन पूर्व जन्मी बालिकाओं की संदिग्ध मौत को कन्या हत्या से जोड़कर देखा जा रहा है। जिसके चलते चिकित्सा महकमा सजग हो गया और मामले की जांच शुरू कर दी है। जानकारी के अनुसार नरसिंगों की ढाणी में एक बच्ची जो 25 अगस्त को जन्मी थी उसकी मौत हो गई। वहीं एक बच्ची जिसका जन्म 25 को हुआ था और 26 अगस्त को ही उसकी मौत हो गई। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आनंद गोपाल पुरोहित ने बताया कि मंगलवार को सामने आए दो बालिकाओं की संदिग्ध मौत के मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं वहीं एक दिन पूर्व सीतोड़ाई में हुई संदिग्ध मौत के मामलों की जांच मेडिकल टीम द्वारा की जा रही है। अभी तक इन मामलों में मौत के कारणों का पता नहीं चल पाया है। सूत्रों के अनुसार इन मामलों में कन्या हत्या की आशंका भी जताई जा रही है।
कहीं हल्की, कहीं मूसलाधार थार में मेघ मल्हार
किसानों के चेहरे खिले गांवों में भी बरसे बदरा
बाड़मेर. जिले में मंगलवार को मानसून एक बार फिर सक्रिय हुआ। कहीं झमाझम तो कहीं हल्की फुहारों से मौसम खुशगवार बन गया। देर रात तक हल्की बूंदाबांदी का दौर जारी रहा। शहर में करीब पंद्रह मिनट तक हुई हल्की बारिश से सड़कें पानी से तरबतर हो गई। इससे पहले दिनभर बादल छाए रहे।
जिले के बालोतरा, रामसर, शिव व चौहटन क्षेत्र में भी मंगलवार शाम को तेज बारिश हुई। इस बारिश से मौसम सुहाना बन गया। रात में मंद शीतल बयार चलने लगी। बालोतरा में दिन भर सावन की झड़ी लगी रही। शाम में एक इंच बरसात दर्ज की गई। रामसर पंचायत के कई गांवों में मूसलाधार बारिश हुई। गलियों में कीचड़ फैल जाने से ग्रामीणों को आने-जाने में परेशानियों का सामना करना पड़ा। शिव कस्बे के मुख्य बाजार, हाइवे, जोरानाडा रोड, गडरा चौराहे आदि जगहों पर पानी भर जाने से राहगीरों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। चोचरा, भियाड़, समदड़ी व कल्याणपुरा में भी तेज बरसात हुई। बायतु पंचायत समिति के माधासर, बायतु चिमनजी, पनावड़ा, कानोड़ सहित अकदड़ा में भी बरसात हुई।
पिछले कई दिनों से मानसून के रूठने से किसान मायूस हो गए थे, क्योंकि पिछले दिनों की बरसात में बोई फसलें मुरझाने लगी थी। इस बरसात से फिर फसलों को जान मिलने की उम्मीद है। जिले में काफी जगहों पर कम बरसात से अकाल से हालात बने हुए हैं।
जोधपुर.पुलिस कंट्रोल रूम में सोमवार देर रात दो बजे एक अंतरराष्ट्रीय नंबर से आए कॉल से जोधपुर रेलवे स्टेशन को बम से उड़ाने की धमकी मिली। आधी रात बाद मिली इस धमकी के बाद पुलिस ने पूरे रेलवे स्टेशन को खाली करवाया और चप्पे-चप्पे की तलाशी ली, लेकिन वहां कुछ भी संदिग्ध वस्तु नहीं मिली।
पुलिस की छानबीन अभी चल ही रही थी कि एक स्थानीय मोबाइल नंबर से कंट्रोल रूम में इसी संदर्भ में फोन आया। पुलिस की ओर से उदयमंदिर थाने में अज्ञात शख्स के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया गया है।
उदयमंदिर पुलिस ने बताया कि सोमवार रात पुलिस कंट्रोल रूम में हैड कांस्टेबल उमेश व अन्य ड्यूटी पर थे। रात ठीक दो बजे 0034441211463 नंबर से कंट्रोल रूम के फोन पर एक कॉल आया। फोन करने वाले ने पहले तो गाली-गलौच की, फिर जोधपुर रेलवे स्टेशन को बम से उड़ाने की धमकी दी।
पुलिस की प्रारंभिक पड़ताल के अनुसार यह इंटरनेट के जरिए किया गया कॉल हो सकता है। वहीं, सुबह 6:50 बजे मोबाइल नंबर 9001879322 से रेलवे स्टेशन को उड़ाने की धमकी दी गई थी। पुलिस के अनुसार यह स्थानीय मोबाइल नंबर है। इन दोनों नंबरों के बारे में पड़ताल की जा रही है।
2:00 सोमवार देर रात अंतरराष्ट्रीय मोबाइल नंबर से मिली धमकी
3:00 AM एक घंटे में पुलिस ने पूरा स्टेशन खाली करवाया
6:50 AM मंगलवार सुबह स्थानीय मोबाइल नंबर से आया कॉल
पुलिस कंट्रोल रूम में सोमवार देर रात दो बजे एक अंतरराष्ट्रीय नंबर से आए कॉल से जोधपुर रेलवे स्टेशन को बम से उड़ाने की धमकी मिली। कंट्रोल रूम स्टाफ ने इसकी सूचना तत्काल उच्च अधिकारियों के साथ जीआरपी व आरपीएफ को दी। आधी रात बाद मिली इस धमकी के बाद पुलिस ने पूरे रेलवे स्टेशन को खाली करवाया और चप्पे-चप्पे की तलाशी ली, लेकिन वहां कुछ भी संदिग्ध वस्तु नहीं मिली।
पुलिस की छानबीन अभी चल ही रही थी कि एक स्थानीय मोबाइल नंबर से कंट्रोल रूम में इसी संदर्भ में फोन आया। पुलिस की ओर से उदयमंदिर थाने में अज्ञात शख्स के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया गया है। उदयमंदिर पुलिस ने बताया कि सोमवार रात पुलिस कंट्रोल रूम में हैड कांस्टेबल उमेश व अन्य ड्यूटी पर थे।
रात ठीक दो बजे 0034441211463 नंबर से कंट्रोल रूम के फोन पर एक कॉल आया। फोन करने वाले ने पहले तो गाली-गलौच की, फिर जोधपुर रेलवे स्टेशन को बम से उड़ाने की धमकी दी। उसका कहना था कि स्टेशन के प्लेटफॉर्म, प्रतीक्षालय में सो रहे अनगिनत लोगों की जान बचा सको तो बचा लो। कंट्रोल रूम ने तत्काल इसकी सूचना रात्रि गश्त कर रहे एडीसीपी (मुख्यालय) गजानंद वर्मा व अन्य अधिकारियों को दी। वर्मा तत्काल रेलवे स्टेशन पहुंचे।
कुछ देर बाद जीआरपी एसपी प्रेमप्रकाश टाक, उप अधीक्षक मंसूर अली, जीआरपी थानाधिकारी अनिल पुरोहित के साथ सभी सुरक्षा एजेंसियों व रेलवे के अधिकारी, सीआईडी, बम निरोधक दस्ता आदि भी रेलवे स्टेशन पहुंचा। पुलिस की टीमों ने रेलवे स्टेशन का हर कोना छान मारा, लेकिन काफी तलाश के बाद भी उन्हें कोई संदिग्ध वस्तु नहीं मिली।
पुलिस की प्रारंभिक पड़ताल के अनुसार यह इंटरनेट के जरिए किया गया कॉल हो सकता है। वहीं, सुबह 6:50 बजे मोबाइल नंबर 9001879322 से रेलवे स्टेशन को उड़ाने की धमकी दी गई थी। पुलिस के अनुसार यह स्थानीय मोबाइल नंबर है। इन दोनों नंबरों के बारे में पड़ताल की जा रही है।
घोषणा के बाद मची भागमभाग
रात करीब ढाई बजे अधिकांश अधिकारी रेलवे स्टेशन पहुंच गए। इस दौरान रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म व प्रतीक्षालय में सैकड़ों लोग सो रहे थे। पुलिस ने रेलवे स्टेशन खाली करवाने के लिए माइक पर उद्घोषणा की तो लोगों की नींद उड़ गई और वे बाहर की ओर भागने लगे।
कुछ ही देर में पूरा स्टेशन खाली करा लिया गया। इसके साथ ही डॉग स्क्वाड की टीम व बम निरोधक दस्ते ने स्टेशन का हर कोना खंगाला और स्टेशन पर खड़ी गाड़ियों, ऑफिस, टी- स्टॉल, फुट ओवरब्रिज व रेल पटरियों की तलाशी ली। इसी बीच वहां पहुंची दिल्ली-जोधपुर इंटरसिटी, बाड़मेर लोकल ट्रेन की भी तलाशी ली गई। करीब तीन घंटे की मशक्कत के बाद भी वहां कुछ नहीं मिला, तब कहीं जाकर अधिकारियों ने चैन की सांस ली।
भीड़ नियंत्रित करने में हुई मशक्कत
आधी रात को स्टेशन खाली करवाया गया तो वहां सो रहे जातरुओं के साथ अन्य यात्री, भिखारियों व अन्य लोगों की भीड़ स्टेशन के बाहर एकत्र हो गई। अलसुबह तक चली तलाशी के दौरान लोगों की भीड़ को बाहर ही रोकने के लिए रात्रि गश्त कर रही सभी पुलिस पार्टियों और आरएसी की टुकड़ी को मौके पर बुलाया गया।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट मुंबई हमले के दोषी पाकिस्तानी आतंकी मोहम्मद अजमल कसाब की अपील पर बुधवार को फैसला सुनाएगा।
कसाब ने इस आतंकी हमले में मिली मौत की सजा के विशेष अदालत के निर्णय को चुनौती दे रखी है। इस हमले में 166 लोग मारे गए थे। न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति चंद्रमौलि कुमार प्रसाद की खंडपीठ ने कसाब की अपील पर 25 अप्रैल को सुनवाई पूरी की थी।
अदालत ने कसाब की याचिका पर करीब ढाई महीने सुनवाई की। शीर्ष अदालत ने कसाब की मौत की सजा पर पिछले साल 10 अक्टूबर को रोक लगा दी थी। मौत का अंतहीन इंतजार कर रहे सैकड़ों कैदियों को नहीं मालूम कि उन्हें जीने का कानूनी अधिकार है या नहीं। कोई स्पष्ट नीति न होने की वजह से न्यायपालिका और कार्यपालिका सजा-ए-मौत पर आखिरी फैसला नहीं कर पा रहीं। जिंदगी भर चलने वाली मौत की सजा पर विवेक शुक्ला की रिपोर्ट मौत से बुरा क्या हो सकता है? शायद मौत का इंतजार। खास तौर पर तब, जब इंतजार कुछ घंटों का नहीं, चंद दिनों या महीनों का नहीं, बल्कि वर्षो का हो। कुछ मामलों में तो इंतजार दशकों का है। भारतीय जेलों में सड़ रहे कैदियों की बड़ी तादाद इसी इंतजार से गुजर रही है, क्योंकि यह तय नहीं हो पा रहा है कि ऐसे खूंखार गुनहगारों के साथ आखिर करना क्या है? उन्हें फांसी के फंदे पर लटका दिया जाए, जैसा कि देश की अदालतें एक-एक मामले में कई-कई बार फैसला कर चुकी हैं या फिर संविधान में दिए गए माफी के प्रावधान के तहत जीवनदान दे दिया जाए। दरअसल, दिक्कत उन्हें फांसी देने या माफी देने से नहीं जुड़ी। दिक्कतहै इन दोनों में से कुछ न करने की, हाथ पर हाथ धरे बैठे रहने की। क्या कुछ चल रहा है, यह न तो न्यायपालिका जानती है, न सरकार और न राष्ट्रपति। गुनहगारों और पीड़ितों से इस बात की उम्मीद करना बेमानी है कि उन्हें इस बारे में कुछ पता होगा। तो आखिर किसकी जिम्मेदारी बनती है? कड़वी सच्चाई यह है कि जिम्मेदारी किसी की नहीं बनती। न कोई यह जिम्मेदारी लेने या तय करने में दिलचस्पी रखता है। देवेंद्र सिंह भुल्लर का मामला ले लीजिए। दिल्ली में 1993 में हुए बम विस्फोट में 13 लोग मारे गए। इस मामले में भुल्लर को दोषी ठहराया गया। अगले 13 साल में सेशनकोर्ट, हाईकोर्ट और सुप्रीमकोर्ट, सभी ने उसे सजा-ए-मौत दी। उसने दया याचिका दाखिल की और मई, 2011 में जाकर राष्ट्रपति ने उसकी याचिका खारिज कर दी। लेकिन इतने लंबे वक्त बाद भी मामले का अंत नहीं हुआ। सितंबर 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने भुल्लर की सजा घटाने पर विचार करने संबंधी वह याचिका स्वीकार कर ली, जिसमें उसने अपने जीने के अधिकार का हवाला दिया था। फिलहाल, यह किसी को नहीं पता कि भुल्लर का भविष्य क्या होगा? अपवाद ज्यादा, नियम कम अगर आपका मानना है कि भुल्लर का मामला अपवाद है, तो जरा इस मामले पर निगाह डालिए, जो इससे भी बदतर हालात बयां कर रहा है। 1991 में राजीव गांधी की हत्या हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने मुरुगन, संतन और ए जी पेरारीवालन को जनवरी 1998 में सजा-ए-मौत दी। इन सभी की दया याचिका अगस्त 2011 में खारिज कर दी गई। एक तरफ जहां अब तक इन्हें फांसी पर नहीं लटकाया जा सका, वहीं दूसरी तरफमद्रास हाईकोर्ट ने फांसी देने में हुई देरी का हवाला देते हुए मामले में स्टे भी दे दिया। गुनहगारों की ओर से दलील पेश करने वाले वरिष्ठ एडवोकेट राम जेठमलानी ने कहा, ‘अगर फांसी का इंतजार कर रहे दोषी को लंबे समय तक जेल में रखा जाता है, तो इसका मतलब है दोहरी सजा। यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है, जो सभी नागरिकों को सुरक्षा का अधिकार देता है।’ किसी को नहीं पता कि इन तीनों हत्यारों को फांसी के फंदे पर कब लटकाया जाएगा? फिर एक मामला पंजाब का भी है, जहां दोषी को इसलिए फांसी नहीं दी जा सकी, क्योंकि जेलर के पास जल्लाद उपलब्ध नहीं था देश में आखिरी फांसी आठ साल पहले हुई थी, जब धनंजय चटर्जी को 2004 में फंदे पर लटकाया गया। फांसी या माफी का मामला एक बार फिर सुर्खियों में तब आया, जब राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने दया याचिका के 40 लंबित मामलों का निपटारा किया। उन्होंने 5 याचिकाएं खारिज कर दीं, जबकि 35 अन्य को राहत देते हुए फांसी की सजा उम्र कैद में बदल दी। 18 और दया याचिकाओं पर फैसला होना अभी बाकी है, लेकिन यह कम बड़ी बात नहीं कि उन्होंने फैसला तो किया। उनसे पहले कई राष्ट्रपतियों ने पूरे कार्यकाल में एक भी दया याचिका पर फैसला नहीं किया। जैसा कि बताया गया, राष्ट्रपति का फैसला भी अंतिम नहीं माना जा सकता। जाने-माने वकील मजीद मेनन ने रसरंग से कहा, ‘मैं मानता हूं कि दया याचिकाओं के मामले में देरी कैबिनेट के लेटलतीफ रवैये की वजह से होती है। अगर वहां से राष्ट्रपति को सिफारिश जल्दी भेजी जाने लगें, तो इस स्तर पर होने वाली देरी दूर की जा सकती है।’ राष्ट्रपति दया यचिकाओं के मामले में अकेले फैसला नहीं कर सकतीं। संविधान के अनुच्छेद 74 के मुताबिक राष्ट्रपति को केंद्रीय मंत्रिमंडल दया याचिकाओं पर मशविरा देता है और महामहिम उसके हिसाब से फैसला करने के लिए बाध्य हैं। हालांकि, अतीत खंगालने पर ऐसे भी कई मामले मिले, जिनमें सरकार की ओर से सलाह मिलने के बावजूद राष्ट्रपतियों ने कई साल तक अंतिम फैसले का एलान नहीं किया। निर्णय में देरी और बैकलॉग के मामले 1990 के दशक की शुरुआत से ज्यादा बढ़े। राष्ट्रपति या सरकार की ओर से दया याचिकाओं पर फैसला करने के लिए कोई समयसीमा तय नहीं है, लेकिन 1980 के दशक के अंतिम वर्षो तक इस तरह के फैसलों में दो-तीन साल से ज्यादा वक्त नहीं लगता था। सीनियर एडवोकेट केटीएस तुलसी के अनुसार, ‘1990 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कहा गया कि लंबित दया याचिकाओं पर दो साल के भीतर फैसला करने को लेकर राष्ट्रपति को बाध्य नहीं किया जा सकता, क्योंकि हर मामले में सबूत अलग-अलग होते हैं।’ तब से अब तक मौत या माफी के फैसले लगातार अटकते और लटकते रहे हैं।समयसीमा नहीं होगी तय केंद्रीय गृह राज्य मंत्री मुल्लापली रामचंद्रन ने इसी साल 20 मार्च को लोकसभा में बताया कि दया याचिकाओं पर फैसला करने के लिए कोई समयसीमा तय करने की सरकार की मंशा नहीं है। इसके अलावा सियासी और मजहबी वजहें भी देरी के लिए जिम्मेदार हैं, क्योंकि जब ऐसी चीजें शामिल होती हैं, तो पहले से ढीला रुख रखने वाली सरकार और भी हिचकिचाहट दिखाने लगती है। बलवंत सिंह राजोआना का मामला ले लीजिए, जिसे पंजाब के पूर्व सीएम बेअंत सिंह की हत्या का दोषी ठहराया गया। उसे 31 मार्च, 2011 को फांसी होनी थी। पर पटियाला जेल के जेलर ने कहा कि यह फांसी नहीं हो सकती, क्योंकि उनके पास जल्लाद की व्यवस्था नहीं है। यह अलग बात है कि गृह मंत्रालय ने राजोआना की फांसी पंजाब सरकार के आग्रह पर टाली। बताया जाता है कि इस मामले में राज्य सरकार शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के दबाव में आई। दिसंबर 2001 में संसद पर हमले के गुनहगार मोहम्मद अफजल गुरु को सुप्रीमकोर्ट ने 2004 में सजा-ए-मौत दी। अफजल की दया याचिका लंबे वक्त से राष्ट्रपति के पास फैसले का इंतजार कर रही है। 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमले की साजिश रचने और उसे अंजाम देने के दोषी मोहम्मद अजमल कसाब को चार आरोपों के लिए सजा-ए-मौत और पांच आरोपों के लिए उम्र कैद की सजा सुनाई गई। लेकिन कुछ कानूनी जानकारों को आशंका है कि उसे निकट भविष्य में शायद ही फांसी हो पाएगी। फांसी जीरो, फैसले सैकड़ों भारत में पिछले आठ साल में किसी को फांसी नहीं दी गई, लेकिन देश की अलग-अलग अदालतें सजा-ए-मौत देना जारी रखे हुए हैं। प्राप्त जानकारी के मुताबिक 2010 से इस साल जून तक 221 लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई। नेशनल क्राइम रिकॉर्डस ब्यूरो के मुतबिक 31 दिसंबर, 2010 को 402 लोग फांसी का इंतजार कर रहे थे। जिन राज्यों में सबसे ज्यादा गुनाहगार फांसी का इंतजार कर रहे हैं, उनमें उत्तर प्रदेश (131), कर्नाटक (60) और महाराष्ट्र (49) प्रमुख हैं। ऐसा कोई कानूनी प्रावधान नहीं, जो दया याचिकाओं पर फैसले के लिए कोई वक्त निर्धारित करे, लेकिन फिर ऐसा क्यों होता है कि कुछ याचिकाएं लंबे वक्त तक लटकी रहती हैं, जबकि अन्य पर फैसले को लेकर तेजी दिखाई जाती है? सुप्रीम कोर्ट ने इस साल सरकार से यह सवाल किया। लेकिन कोई ठोस जवाब नहीं मिला। 3.85 करोड़ रुपए हर दिन का खर्च वॉल स्ट्रीट जर्नल के माइकल एडिसन हेडन ने अपने ब्लॉग में लिखा है, ‘अंतिम फैसले में कई दशक लग जाते हैं। इसलिए भारत में सैकड़ों कैदी तब तक जेलों में सड़ते रहते हैं, जब तक कि प्राकृतिक कारणों से उनकी मौत नहीं हो जाती।’ हेडन कर्नाटक के बेलगाम सेंट्रल जेल गए। वहां उनकी मुलाकात ऐसे दो कैदियों से हुई, जो मौत मांग रहे हैं, लेकिन उन्हें इंतजार मिल रहा है। सजा-ए-मौत या उसमें होने वाले देरी पर करदाताओं के करोड़ों रुपए खर्च होते हैं। यह पैसा ऐसे सिस्टम पर खर्च हो रहा है, जिसमें कैदियों को दशकों तक फांसी का इंतजार रहता है। और कई तो मौत का इंतजार करते-करते खुद ही मर जाते हैं। दिल्ली की तिहाड़ जेल के पीआरओ सुनील गुप्ता के मुताबिक सरकार हर रोज एक कैदी पर 125 रुपए खर्च करती है। इस हिसाब से देश भर के कैदियों पर एक दिन में 3.85 करोड़ रुपए खर्च होता है। इनमें सजा-ए-मौत और उम्र कैद पाने वाले गुनाहगारों के अलावा विचाराधीन कैदी शामिल हैं। इस देरी के जाने-अनजाने सभी कारणों के बीच देश कम से कम एक मुद्दे पर निश्चित फैसला कर सकता है। हमें इस बात का निर्णय लेना होगा कि क्या सजा-ए-मौत खत्म कर दी जानी चाहिए। एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक 175 मुल्क सजा-ए-मौत खत्म कर चुके हैं, जबकि 18 देशों में अभी भी इसका प्रावधान है। चीन में सबसे ज्यादा लोगों को फांसी दी गई, उसके बाद ईरान का नंबर आता है। अमेरिका ने 2011 में करीब 50 लोगों को फांसी दी। महात्मा गांधी के पुत्र ने नाथू राम गोडसे को जीवनदान देने की अपील की थी और खुद गांधीजी भी सजा-ए-मौत पर विरोध जताया करते थे। जिस हिसाब से सजा-ए-मौत के फैसले लटक रहे हैं, ऐसा मालूम देता है कि देश में फांसी पर व्यावाहारिक रोक लगी हुई है। तो क्यों न फांसी पर आधिकारिक रूप से पूर्णविराम लगा दिया जाए? पिछले महीने ही केरल में मावेलीकारा एडिशनल डिस्ट्रिक्ट और सेशन कोर्ट-2 ने 22 साल के विश्वराजन को फांसी की सजा सुनाई। उसे 34 साल की विधवा और एक बच्ची की मां से बलात्कार और उसकी हत्या करने का दोषी ठहराया गया। विश्वराजन ने जो गुनाह किया, वह भले कितना गंभीर हो, लेकिन उसकी जिंदगी लंबी रहेगी, क्योंकि अब वह मौत का इंतजार करेगा। वह दया के लिए गुहार लगा सकता है। वह इंतजार और भी लंबा होगा। ‘अगर सजा-ए-मौत पाए किसी मुजरिम को लंबे समय तक कालकोठरी में रखा जाता है, तो इसका यह मतलब हुआ कि उसे अतिरिक्त सजा दी जा रही है। एक सजा-ए-मौत, और दूसरे कालकोठरी में बिताए दिन। किसी भी मुजरिम को एक जुर्म के लिए दो सजाएं नहीं दी जा सकतीं’ : राम जेठमलानी, सीनियर एडवोकेट, सुप्रीमकोर्ट ‘1990 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लंबित दया याचिकाओं पर दो साल के भीतर फैसला करने को लेकर राष्ट्रपति को बाध्य नहीं किया जा सकता, क्योंकि हर मामले में सबूत अलग-अलग होते हैं’ : केटीएस तुलसी, सीनियर एडवोकेट, सुप्रीमकोर्ट
पदोन्नति में आरक्षण पर फैसला आज
जयपुर । पदोन्नति में आरक्षण मामले में तत्कालीन मुख्य सचिव सलाउद्दीन अहमद व तत्कालीन प्रमुख कार्मिक सचिव खेमराज की अपील पर सुप्रीम कोर्ट बुधवार को फैसला सुनाएगा।
इधर, मंगलवार को समता आंदोलन समिति की ओर से पांच माह से लम्बित इस अपील पर कोर्ट का ध्यान दिलाते हुए प्रार्थना पत्र पेश करने की अनुमति चाही गई थी, इस पर कोर्ट ने कहा था कि जल्द फैसला आने वाला है। बुधवार को न्यायाधीश अल्तमस कबीर व जे. चेलमेश्वर की खण्डपीठ के सामने यह अपील कॉज लिस्ट में सबसे ऊपर है।