केन्द्रीय विद्यालयों में सप्ताह में 2 छुट्टी!
मुंबई। देश भर में एक लाख से अधिक केन्द्रीय विद्यालय के स्टूडेंट्स के लिए एक खुशखबरी हैं कि हो सकता हैं कि आने वाले समय में स्टूडेंट्स को सप्ताह की दो दिन छुट्टी मिले। सूत्रों के अनुसार स्कूल संगठन जल्द ही स्कूल्स में केवल पांच वर्किग डे पर फैसला कर सकता है।
केन्द्रीय विद्यालय संगठन के प्रमुख ने पिछले सप्ताह हुई मीटिंग के दौरान बताया कि उनका मुख्य उद्देश्य "सेल्फ लर्निग" पर हैं। वह यह भी चाहते हैं कि छात्र पढ़ाई के साथ ही नॉन ऎकै डमिक ऎक्टिविटी को भी समय दे इससे उनके टैलेंट को सामने लाने का मौका मिलेगा। छह दिन के स्कूल शेड्यूल में बच्चों को अपने इनर टैलेंट को उभारने का मौका नहीं मिलता हैं।
भारत से बाहर इरान,मॉस्को और काठमांडू के केन्द्रीय विद्यालयों में पांच दिन ही पढ़ाई करवाई जाती हैं। इसी के चलते पश्चिमी एज्यूकेशन सिसटम को सराहना मिलती हैं। वहां छात्रों को उनकी हॉबीज के लिए पूरा समय मिलता हैं और इससे बच्चों की ग्रोथ होती हैं।
ऑल इंडिया केन्द्रीय विद्यालय एसोसिएशन के अध्यक्ष ए एस मजदूर ने मीटिंग के दौरान बताया कि भारत में कई ऎसे संस्थान हैं जहां पांच दिनो का टाइम टेबल फॉलो किया जाता हैं। कई शिक्षकों ने माना कि अगर पांच दिन का स्कूल हो तो उन पर भी काम का बोझ थोड़ा कम आएगा। वहीं मीटिंग में इस बात को भी उठाया गया कि शिक्षकों के पास काफी पेपर वर्क होता हैं तो क्या वे पांच दिनों में उसे पूरा कर पाएंगे।
जब इस सिफारिशों पर कुछ और अधिकारियों के साथ विमर्श किया गया तो उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव को लागू करने की संभावनाए कम लग रहीं हैं। क्योंकि राइट टू एज्यूकेशन एैक्ट के तहत शिक्षकों के वर्किग ऑर्स निर्घारित हैं। एैक्ट के मुताबिक शिक्षकों को 6 घंटे काम करना होता हैं। वहीं शिक्षकों का कहना था कि छात्रों के साथ उन्हें भी काफी महनत करनी पड़ती हैं।
इसके बाद मजामुराद ने एक बिंदु उठाया कि सीबीएसई के कई स्कू लों में भी पांच दिन का टाइम टेबल फॉलो किया जाता हैं। लेकिन अधिकारियों ने इस पर जवाब किया हैं कि ऎसे स्कूलों की लिस्ट पेश की जाए जहां सप्ताह में दो छुटि्टयां होती हैं। कहा जा सकता हैं कि अगर स्कूलों में इस तरह से सप्ताह में दो छुटि्टयां दी जाएं तो छात्रों को जरूर उनकी हॉबीज के लिए भी समय मिलेगा।
मुंबई। देश भर में एक लाख से अधिक केन्द्रीय विद्यालय के स्टूडेंट्स के लिए एक खुशखबरी हैं कि हो सकता हैं कि आने वाले समय में स्टूडेंट्स को सप्ताह की दो दिन छुट्टी मिले। सूत्रों के अनुसार स्कूल संगठन जल्द ही स्कूल्स में केवल पांच वर्किग डे पर फैसला कर सकता है।
केन्द्रीय विद्यालय संगठन के प्रमुख ने पिछले सप्ताह हुई मीटिंग के दौरान बताया कि उनका मुख्य उद्देश्य "सेल्फ लर्निग" पर हैं। वह यह भी चाहते हैं कि छात्र पढ़ाई के साथ ही नॉन ऎकै डमिक ऎक्टिविटी को भी समय दे इससे उनके टैलेंट को सामने लाने का मौका मिलेगा। छह दिन के स्कूल शेड्यूल में बच्चों को अपने इनर टैलेंट को उभारने का मौका नहीं मिलता हैं।
भारत से बाहर इरान,मॉस्को और काठमांडू के केन्द्रीय विद्यालयों में पांच दिन ही पढ़ाई करवाई जाती हैं। इसी के चलते पश्चिमी एज्यूकेशन सिसटम को सराहना मिलती हैं। वहां छात्रों को उनकी हॉबीज के लिए पूरा समय मिलता हैं और इससे बच्चों की ग्रोथ होती हैं।
ऑल इंडिया केन्द्रीय विद्यालय एसोसिएशन के अध्यक्ष ए एस मजदूर ने मीटिंग के दौरान बताया कि भारत में कई ऎसे संस्थान हैं जहां पांच दिनो का टाइम टेबल फॉलो किया जाता हैं। कई शिक्षकों ने माना कि अगर पांच दिन का स्कूल हो तो उन पर भी काम का बोझ थोड़ा कम आएगा। वहीं मीटिंग में इस बात को भी उठाया गया कि शिक्षकों के पास काफी पेपर वर्क होता हैं तो क्या वे पांच दिनों में उसे पूरा कर पाएंगे।
जब इस सिफारिशों पर कुछ और अधिकारियों के साथ विमर्श किया गया तो उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव को लागू करने की संभावनाए कम लग रहीं हैं। क्योंकि राइट टू एज्यूकेशन एैक्ट के तहत शिक्षकों के वर्किग ऑर्स निर्घारित हैं। एैक्ट के मुताबिक शिक्षकों को 6 घंटे काम करना होता हैं। वहीं शिक्षकों का कहना था कि छात्रों के साथ उन्हें भी काफी महनत करनी पड़ती हैं।
इसके बाद मजामुराद ने एक बिंदु उठाया कि सीबीएसई के कई स्कू लों में भी पांच दिन का टाइम टेबल फॉलो किया जाता हैं। लेकिन अधिकारियों ने इस पर जवाब किया हैं कि ऎसे स्कूलों की लिस्ट पेश की जाए जहां सप्ताह में दो छुटि्टयां होती हैं। कहा जा सकता हैं कि अगर स्कूलों में इस तरह से सप्ताह में दो छुटि्टयां दी जाएं तो छात्रों को जरूर उनकी हॉबीज के लिए भी समय मिलेगा।
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