रविवार, 29 जुलाई 2012

आइये जाने एवं समझे विभिन्न रोग और उपायों को-------

आइये जाने एवं समझे विभिन्न रोग और उपायों को-------

गुप्त रोग एवं ज्योतिष ----वागा राम परिहार
पंडित दयानन्द शास्त्री

शुभ कर्मों के कारण ही मानव जीवन मिलता है। जीव योनियों में मानव जीवन ही सर्वश्रेष्ठ है। लेकिन क्या मानव जीवन को प्राप्त करना ही पर्याप्त है या जीवन में पूर्ण स्वास्थ्य प्राप्त कर अंतिम अवस्था को प्राप्त करना? निःसंदेह पहला सुख निरोगी काया ही है। यदि स्वास्थ्य अच्छा नहीं हो तो मानव जीवन पिंजरे मंे बंद पक्षी की तरह ही कहा जाएगा। गुप्त रोग अर्थात् ऐसे रोग जो दिखते नहीं हांे लेकिन वर्तमान में इसका तात्पर्य यौन रोगों से लिया जाता है। यदि समय रहते इनका चिकित्सकीय एवं ज्योतिषीय उपचार दोनों कर लिए जाएं तो इन्हें घातक होने से रोका जा सकता है।
ज्योतिष के अनुसार किसी रोग विशेष की उत्पत्ति जातक के जन्म समय में किसी राशि एवं नक्षत्र विशेष में पाप ग्रहों की उपस्थिति, उन पर पाप प्रभाव, पाप ग्रहों के नक्षत्र में उपस्थिति एवं पाप ग्रह अधिष्ठित राशि के स्वामी द्वारा युति या दृष्टि रोग की संभावना को बताती है।
इन रोग कारक ग्रहों की दशा एवं दशाकाल में प्रतिकूल गोचर रहने पर रोग की उत्पत्ति होती है। ग्रह, नक्षत्र, राशि एवं भाव मानव शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
वृश्चिक राशि व शुक्र को यौन अंगों का, पंचम भाव को गर्भाशय, आंत व शुक्राणु का षष्ठ भाव को गर्भ मूत्र की बीमारियांे, गुर्दे, आंत रोग, गठिया और मूत्रकृच्छ का सप्तम भाव को शुक्राशय, अंडाशय, गर्भाशय, वस्ति, मूत्र व मूत्राशय, प्रोस्टेट ग्रंथि, मूत्रद्वार, शुक्र एवं अष्टम भाव को गुदा, लिंग, योनि और मासिक चक्र का तथा नक्षत्रों में पूर्वाफाल्गुनी को गुप्तांग एवं कब्जियत, उत्तरा फाल्गुनी को गुदा लिंग व गर्भाशय और हस्त को प्रमेह कारक माना गया है।
राशियों में कन्या राशि संक्रामक गुप्त रोगों वसामेह व शोथ विकार और तुला राशि दाम्पत्य कालीन रोगों की कारक कही गई है। ग्रहों में मंगल को गर्भपात, ऋतुस्राव व मूत्रकृच्छ, बृहस्पति को वसा की अधिकता से उत्पन्न रोग व पेट रोग और शुक्र को प्रमेह, वीर्य की कमी, प्रजनन तंत्र के रोग, मूत्र रोग गुप्तांग शोथ, शीघ्र पतन व धातु रोग का कारक माना गया है।
इन कारकों पर अशुभ प्रभाव का आना या कारक ग्रहों का रोग स्थान या षष्ठेश से संबंधित होना या नीच नवांश अथवा नीच राशि में उपस्थित होना यौन रोगों का कारण बनता है।
इसके अतिरिक्त निम्नलिखित ज्योतिषीय ग्रह योगों के कारण भी यौन रोग हो सकते हैं।
शनि, मंगल व चंद्र यदि अष्टम, षष्ठ द्वितीय या द्वादश में हों तो काम संबंधी रोग होता है। इनका किसी भी प्रकार से संबंध स्थापित करना भी यौन रोगों को जन्म देता है।
कर्क या वृश्चिक नवांश में यदि चंद्र किसी पाप ग्रह से युत हो तो गुप्त रोग होता है।
यदि अष्टम भाव में कई पाप ग्रह हांे या बृहस्पति द्वादश स्थान में हो या षष्ठेश व बुध यदि मंगल के साथ हांे तो जननेंद्रिय रोग होता है।
शनि, सूर्य व शुक्र यदि पंचम स्थान में हो, या दशम स्थान में स्थित मंगल से शनि का युति, दृष्टि संबंध हो या लगन में सूर्य व सप्तम में मंगल हो तो प्रमेह, मधुमेह या वसामेह होता है। चतुर्थ में चंद्र व शनि हों या विषम राशि लग्न में शुक्र हो या शुक्र सप्तम में लग्नेश से दृष्ट हो या शुक्र की राशि में चंद्र स्थित हो तो जातक अल्प वीर्य वाला होता है।
शनि व शुक्र दशम या अष्टम में शुभ दृष्टि से रहित हों, षष्ठ या द्वादश भाव में जल राशिगत शनि पर शुभ ग्रहों का प्रभाव न हो या विषम राशिगत लग्न को समराशिगत मंगल देखे या शुक्र, चंद्र व लग्न पुरुष राशि नवांश में हों या शनि व शुक्र दशम स्थान में हों या शनि शुक्र से षष्ठ या अष्टम स्थान में हो तो जातक नपुंसक होता है।
चंद्र सम राशि या बुध विषम राशि में मंगल से दृष्ट हो या षष्ठ या द्वादश भाव में नीचगत शनि हो या शनि व शुक्र पर किसी शुभ ग्रह की दृष्टि न हो तो जातक नपुंसक होता है।
राहु, शुक्र व शनि में से कोई एक या सब उच्च राशि में हों, कर्क में सूर्य तथा मेष में चंद्र हो तो वीर्यस्राव या धातु रोग होता है। लग्न में चंद्र व पंचम स्थान में बृहस्पति व शनि हों तो धातु रोग होता है।
कन्या लग्न में शुक्र मकर या कुंभ राशि में स्थित हो व लग्न को बुध और शनि देखते हांे तो धातु रोग होता है।
यदि अष्टम स्थान में मंगल व शुक्र हांे तो वायु प्रकोप व शुक्र मंगल की राशि में मंगल से युत हो तो भूमि संसर्ग से अंडवृद्धि होती है।
लग्नेश छठे भाव में हो तो षष्ठेश जिस भाव में होगा उस भाव से संबंधित अंग रोगग्रस्त होता है।
यदि यह संबंध शुक्र/पंचम/सप्तम/अष्टम से हो जाए तो निश्चित रूप से यौन रोग होगा।
यदि जन्मांग में शुक्र किसी वक्री ग्रह की राशि में हो या लग्न में लग्नेश व सप्तम में शुक्र हो तो यौन सुख अपूर्ण रहता है।
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अर्श रोग ( बवासीर ) का ज्योतिष से संबंध और उपचार

मनुष्य की कुण्डली मे १२ भाव होते हैं जिसमें प्रथम, षष्ठ, और अष्टम भाव बहुत ही महत्वपूर्ण है । प्रथम भाव से स्वास्थ्य, शरीर का वर्ण आदि और छठे भाव से रोग का मालूम होना आदि और आठवें भाव मे मृत्यु आयु का पता लगाते हैं । छठे भाव को रोग का भाव भी कहा है । यहाँ पर कुण्डली के अनुसार केवल बवासीर का उदारहण दिया जा रहा है ।
कुण्डली मे कौन कौन से ग्रह अर्श रोग को उत्पन्न करते हैं यह बताया जा रहा है --

"मन्देन्त्ये पाप दृष्टेर्शस:"-- बारहवें भाव मे शनि पाप ग्रह से दृष्ट हो तो अर्श रोग होवे ।
मन्दे लग्ने कुस्ते॓Sर्श:स: -- शनि लग्न मे और मंगल सातवें भाव मे हो तो अर्श रोगी होवे ।
द्यूनेरंध्रेशे क्रूरे शुक्रादृष्ते: अर्श: स: -- अष्टमेश क्रूर ग्रह होकर सातवें भाव मे गया हो और शुक्र ग्रह से दृष्ट न हो तो अर्श रोगी होवे ।
मंदेस्तेलौ भौमेंक: अर्शर्स: -- शनि सप्तम भाव मे और वृशिचक राशी का मंगल नवे भाव मे गया हो तो अर्श रोगी होवे ।
मंदेन्त्ये ड्नूनगौ लग्नपोरौ अर्शर्स: -- शनि बारहवें भाव और लग्नेश व मंगल ये दोनों सप्तम भाव मे गये हो तो अर्श रोग होवे ।
व्ययेर्कजे भौमांगेश्दृश्टे: अर्श: स: -- १२ वे भाव मे गया हुआ शनि, मंगल से और लग्नेश से दृष्ट हो तो अर्श रोग होगा ।यदि शनि देव जन्म से कुण्डली मे लग्न मे होवे और सातवें भाव मे मंगल देव विराजमान है तो अर्श का रोग होगा । ज्योतिष मे यह स्पष्ट लिखा है ।
यदि शनिदेव सप्तम भाव मे है और नवें भाव मे वृशिचक राशि मे उसी मे मंगल देव विराजमान है तो अर्श का रोग होगा ।
ज्योतिष मे ऎसा स्पष्ट निर्देश है । ज्योतिष आयुर्वेद की पैथोलोजी की तरह है जैसे आधुनिक डाक्टर विभिन्न लैब टैस्ट करवाते है और रोग का निदान करते है ,उसी तरह आयुर्वेद वैद्य ज्योतिष का साहरा लेकर रोग का निदान करते हैं ।


ज्योतिष के अनुसार अर्श रोग की चिकित्सा --
अष्ट धातु की बनी हुई अंगुठी को बनवाकर जिस हाथ से शौच धोवें उसी हाथ की अंगुली मे पहन लेवें और शौच को धोते समय वह अंगूठी गुदा के छूते रहना चाहिये ।
लाल अपामार्ग के बीज को तवे पर धीमी आंच से जला लेवें और उस जली हुई भस्म को ठण्डी करके उसमें गाय का शुद्ध घृत मिला लेवें तथा काजल बना ले ।इस काजल को प्रात: काल शौच आदि से निवृत होकर आंखों मे आंजे और रात्रि काल मे भी आंजे । एसा करने से अर्श रोग से छुटकारा मिल जाएगा ।
साथ मे शनिदेव और मंगल देव का जाप भी करें ।
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हृदय रोग और ज्योतिष-




"ह्रदय "के बिना जीवन सम्भव नही है "ह्रदय "हमारे शरीर में रक्त का संचार वाहक ही नही अपितु "प्राण "का केन्द्र बिन्दु है २४ घंटे में १०००००लाख बार धड़कने वाला ये दिल क्या कभी थकता है ?हमारा ह्रदय १ मिनिट में ५ लीटर रक्त पम्प करता है मोटोनरी नामक मुख्य धमनिया १८ उपशाखाओ के साथ पुरे शरीर में रक्त की गति विधि को नियंत्रित करती है इन्ही किसी धमनियों में रक्त प्रवाह में रूकावट आने पर इन्जाइना एवं हार्टअटैक होता है एंजियोग्राफी अर्थात धमनी नलियो की तस्वीर ली जाती है ह्रदय को रक्त पहुचने वाली कोरोनरी नली का तस्वीर लिया जाता है एंजाइना से सीने का दर्द होता है ह्रदय रोग का भान होने पर तत्काल चिकित्सा परम आवश्यक है परिक्षण के उपरांत टीएम् टी करना चाहिए वर्तमान में चिकित्सा प्रणाली में काफी सुधार हुआ है "हार्ट ट्रांसप्लांट ,एंजियोप्लास्टिक ,इसमे नली बदलने के स्थान पर बैलून क्रिया द्वारा रक्त के जमाव को साफ़ कर नली में स्प्रिंग लगा दिया जाता है इसी को एंजियोप्लास्टिक कहते है
आयुर्वेद में ह्रदय रोग को तीन प्रकार में विभक्त किया गया है
१.शैलेश्मिक ह्रदय रोग २.वातिक ह्रदय रोग ३.पैत्तिका ह्रदय रोग इनमे त्रिदोशो को कारक माना गया है
ज्योतिष शास्त्र में इस का विश्लेषण शीघ्र और मंद गति से उत्पन्न होने वाले ह्रदय रोगों से किया जाता है जन्मांग चक्र में चतुर्थ स्थान ह्रदय का है इसका कारक ग्रह चंद्रमा है सूर्य से ह्रदय रोगों के कारणों का पता चलता है सिंह राशिः इसकी प्रतिनिधि राशि हैप्राचीन विधाओ में कहा गया है "स्वाजातिजाया गमने जायते हृदयावार्निया "अर्थात अपनी गोत्र एवं जाती की स्त्री से गमन करने से यह रोग होता है इसलिए व्यसन एवं स्त्रीगमन से बचाव आवश्यक है
सबसे बड़ी बात तो यह है की इंसान जितना अधिक तनावग्रस्त रहेगा रोग उतनी जल्दी उस पर संक्रमित होगे हमारे ह्रदय का सम्बन्ध "अनाहत "चक्र से है जिसका स्वामी ग्रह "शुक्र "है शुक्र चंचलता ,उग्रता ,समग्रता का प्रतिनिधि है साथ ही यह करुना दया ,प्रेम ,राग -अनुराग ,द्वेष का भी कारक है इसी ग्रह की शुभ -अशुभ स्थिति हमारे जन्मांग चक्र में होने से फलीभूत होती है लेकिन इस ग्रह के गुणावगुण को धारण करने से पहले हम अपने विवेक का प्रयोग करे तो इस तरह के रोग से बचा जा सकता है वर्तमान समय में भागती दौडती जिन्दगी में सहज रहना सम्भव नही है पर जान है तो जहान है अपने जीवन में जितनी शान्ति रहेगी उतना ही हम रोग मुक्त होगे मेरे कहने का मतलब ये नही की अपना काम छोड़ कर पूजापाठ में लग जाए बल्कि भौतिकता के साथ कुछ अध्यात्मिक पुट का होना जीवन के संतुलन के लिए आवश्यक है
ज्योतिष दृष्टिकोण से सूर्य ,चन्द्रमा ,मंगल ,चतुर्थ भावः .चतुर्थ स्थान का स्वामी ,षष्ठं भावः ,षष्ठेश भी इस रोग से सम्बन्ध रखते है सूर्य +मंगल की युति ,केतु और मंगल का एक ही भावः में होना ,आदि ह्रदय रोग के कारण है
उपाय :-सर्वप्रथम उचित चिकित्सा ,ज्योतिष परामर्श में ध्यान और शान्ति के साथ दैनिकचर्या का निर्धारण करना उचित आहार विहार ,अत्यधिक वजन से बचाव ,गरिष्ठ एवं नशीली वस्तुओ के सेवन में प्रतिबन्ध होना चाहिए हरी एवं अंकुरित सब्जियों का सेवन करे प्रतिदिन योग को प्राथमिकता देवे
सूर्य ह्रदय कारक है अतः इस ग्रह का उन्नत होना आवश्यक है अतः सूर्य के नियमित जाप से भी इस रोग से मुक्ति मिलती है कारण सूर्य बीज मंत्र के जाप से अनाहत चक्र में उर्जा शक्ति का संचार तीव्रता से होने लगता है ओरह्रदय में रक्त का जमाव नही होता "हं "बीज मंत्र के जाप से इडा ,पिंगला और सुषुम्ना नाडी में त्रियामी शक्ति संचारित होती है ,जो स्वयं प्राण कारक है
रत्न धारण करने से पहले ज्योतिष परामर्श अवश्य लेवे



हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार कालावधि पर आधारित कर्म के तीन भेद हैं- प्रारब्ध, संचित तथा क्रियमाण। पाप कर्मों का प्रारब्ध मानव को दु:ख रोग तथा कष्ट प्रदान करता है। किसी व्यक्ति के प्रारब्ध को ज्योतिषशास्त्र तथा योगसमाधि द्वारा जाना जा सकता है। उसमें योगसमाधि जो कि अष्टांग योग का उत्कृष्टतम अंग है, करोड़ों मनुष्यों में किसी बिरले साधक को ही सिद्ध हो पाती है। इस समाधि के सिद्ध होने से वह साधक संसार की घटनाओं के भूत, भविष्य, वर्तमान को प्रत्यक्ष देखता है। इसीलिए ऐसे महापुरुष त्रिकालदर्शी महात्मा कहलाते हैं। प्रारब्ध को जानने का जो दूसरा साधन है वह है फलित ज्योतिष। ज्योतिषशास्त्र में जन्म कुंडली, वर्ष कुंडली, प्रश्न कुंडली, गोचर तथा सामूहिक शास्त्र की विधाएँ व्यक्ति के प्रारब्ध का विचार करती हैं, उसके आधार पर उसके भविष्य के सुख-दु:ख का आंकलन किया जा सकता है। चिकित्सा ज्योतिष में इन्हीं विधाओं के सहारे रोग निर्णय करते हैं तथा उसके आधार पर उसके ज्योतिषीय कारण को दूर करने के उपाय भी किये जाते हैं। इसलिए चिकित्सा ज्योतिष को ज्योतिष द्वारा रोग निदान की विद्या भी कहा जाता है। अंग्रेजी में इसे मेडिकल ऐस्ट्रॉलॉजी कहते हैं। इसे नैदानिक ज्योतिषशास्त्र तथा ज्योतिषीय विकृतिविज्ञान भी कहा जा सकता है। यद्यपि ‘‘चिकित्सा ज्योतिष’’ नया शब्द है तथा इसका नाम भी नवीन है, परन्तु इस विषय पर आयुर्वेद तंत्र, सामुद्रिक ज्योतिषशास्त्र तथा पुराणों में पुष्कल सामग्री उपलब्ध है। प्राचीनकाल में ग्रन्थ सूत्ररूप में तथा तथा श्लोकबद्ध लिखे जाते थे। प्रस्तुत विषय से सम्बद्ध बहुत सा साहित्य मुगल काल में मतान्ध शासकों तथा सैनिकों ने नष्ट कर दिया है, जो कुछ बचा है वह भी प्रकृति प्रकोप तथा जीव-जन्तुओं के आघात से नष्ट हो गया।

प्राचीन समय में सभी पीयूषपाणि आयुर्वेदीय चिकित्सक ज्योतिषशास्त्र के ज्ञाता होते थे और वे किसी भी गम्भीर रोग की चिकित्सा से पूर्व ज्योतिष के आधार पर रोगी के आयुष्य तथा साध्यासाध्यता का विचार किया करते थे। जिसका आयुष्य ही नष्ट हो चुका है उसकी चिकित्सा से कोई लाभ नहीं होता। ‘‘श्रीमददेवीभागवत’’ महापुराण में एक कथा आई है जिसके अनुसार महर्षि कश्यप को जब यह ज्ञात हुआ कि राजा परीक्षित की मृत्यु सर्पदंश से होगी तब महर्षि ने सोचा कि मुझे अपनी सर्पविद्या से राजा परीक्षित के प्राणों की रक्षा करनी चाहिए। महर्षि कश्यप उस काल के ख्याति प्राप्त ‘‘विष वैज्ञानिक’’ थे। महर्षि ने राजमहल की ओर प्रस्थान किया, मार्ग में उन्हें तक्षक नाग मिला जो राजा परीक्षित को डसने जा रहा था। तक्षक ने ब्राह्मण का वेष बनाकर कश्यप से पूछा, ‘‘भगवान् आप कहाँ जा रहे हैं ?’’ कश्यप ने उत्तर दिया ‘‘मुझे ज्ञात हुआ है कि राजा परीक्षित की मृत्यु तक्षक के दंश से होगी, मैं अपने अगद प्रयोग द्वारा राजा के शरीर को विष रहित कर दूँगा जिससे धन और यश की प्राप्ति होगी।’’ तक्षक अपनी छदम् वेष त्यागकर वास्तविक रूप में प्रकट हो गया और कहा, ‘‘मैं इस हरे-भरे वृक्ष पर दंश का प्रयोग कर रहा हूँ। हे महर्षि। आप अपनी विद्या का प्रयोग दिखाएँ।’’ और तक्षक के विष प्रयोग से उस वृक्ष को कृष्ण वर्ण और शुष्क प्राय: कर दिया। महर्षि कश्यप ने अपने अगद प्रयोग से उस वृक्ष को पूर्ववत हरा-भरा कर दिया। यह देखकर तक्षक के मन में निराशा हुई। तब तक्षक ने महर्षि कश्यप से निवेदन किया कि, ‘‘आपका उपचार फलदायी तभी होगा जब राजा का आयुष्य शेष होगा। यदि वह गतायुष हो गया है तो आपको अपने कार्य में यश प्राप्त नहीं होगा।’’ कश्यप ने तत्काल ज्योतिष गणना करके पता लगाया कि राजा की आयु में कुछ घड़ी शेष हैं। ऐसा जानकर वे अपने स्थान को लौट गए। तक्षक के उससे विष को संस्कृत में तक्षकिन् कहते हैं। आजकल का अंग्रेजी में प्रयुक्त शब्द ‘Toxin’ उससे व्युत्पन्न हुआ। इस घटना की तरह पुराणों में अनेक घटनाओं का वर्णन है। जिनसे यह ज्ञात होता है कि प्राचीन वैद्य रोग निदान एवं साध्यासाध्यता के लिए पदे-पदे ज्योतिषशास्त्र की सहायता लेते थे।

योग-रत्नाकर में कहा है कि- औषधं मंगलं मंत्रो, हयन्याश्च विविधा: क्रिया। यस्यायुस्तस्य सिध्यन्ति न सिध्यन्ति गतायुषि।।

अर्थात औषध, अनुष्ठान, मंत्र यंत्र तंत्रादि उसी रोगी के लिये सिद्ध होते हैं जिसकी आयु शेष होती है। जिसकी आयु शेष नहीं है; उसके लिए इन क्रियाओं से कोई सफलता की आशा नहीं की जा सकती। यद्यपि रोगी तथा रोग को देख-परखकर रोग की साध्या-साध्यता तथा आसन्न मृत्यु आदि के ज्ञान हेतु चरस संहिता, सुश्रुत संहिता, भेल संहिता, अष्टांग संग्रह, अष्टांग हृदय, चक्रदत्त, शारंगधर, भाव प्रकाश, माधव निदान, योगरत्नाकर तथा कश्यपसंहिता आदि आयुर्वेदीय ग्रन्थों में अनेक सूत्र दिये गए हैं परन्तु रोगी या किसी भी व्यक्ति की आयु का निर्णय यथार्थ रूप में बिना ज्योतिष की सहायता के संभव नहीं है।


यह जान लें कि कुण्डली का छठा भाव रोग का होता है तथा छठे भाव का कारक ग्रह मंगल होता है। द्वितीय (मारकेश), तृतीय भाव, सप्तम भाव एवं अष्टम भाव(मृत्यु) का है। हृदय स्थान की राशि कर्क है और उसका स्वामी ग्रह चन्द्रमा जलीय है। हृदय का प्रतिनिधित्व सूर्य के पास है जिसका सीधा सम्बन्ध आत्मा से है। यह अग्नि तत्त्च है। जब अग्नि तत्त्व का संबंध जल से होता है तभी विकार उत्पन्न होता है। अग्नि जल का शोषक है। जल ही अग्नि का मारक है।

मंगल जब चन्द्र राशि में चतुर्थ भाव में नीच राशि में बैठता है तब वह अपने सत्त्व को खो देता है। सूर्य, चन्द्र, मंगल, राहु, शनि जब एक दूसरे से विरोधात्मक सम्बन्ध बनाते हैं तो विकार उत्पन्न होता है।

हृदय रोग में सूर्य(आत्मा व आत्मबल) अशुद्ध रक्त को फेफड़ों द्वारा शुद्ध करके शरीर को पहुंचाता है, चन्द्रमा रक्त, मन व मानवीय भावना, मंगल रक्त की शक्ति, बुध श्वसन संस्थान, मज्जा, रज एवं प्राण वायु, गुरु फेफड़े व शुद्ध रक्त, शुक्र मूत्र, चैतन्य, शनि अशुद्ध रक्त, आकुंचन का कारक है।

हृदय रोग के अनेक ज्योतिष योग हैं जोकि इस प्रकार हैं-

पंचमेश द्वादश भाव में हो या पंचमेश-द्वादशेश दोनों ६,८,१२वें बैठे हों, पंचमेश का नवांशेश पापग्रह युत या दृष्ट हो।

पंचमेश या पंचम भाव सिंह राशि पापयुत या दृष्ट हो।

पंचमेश व षष्ठेश की छठे भाव में युति हो तथा पंचम या सप्तम भाव में पापग्रह हों।

चतुर्थ भाव में गुरु-सूर्य-शनि की युति हो या मंगल, गुरु, शनि चतुर्थ भाव में हों या चतुर्थ या पंचम भाव में पापग्रह हों।

पंचमेश पापग्रह से युत या दृष्ट हो या षष्ठेश सूर्य पापग्रह से युत होकर चतुर्थ भाव में हो।

वृष, कर्क राशि का चन्द्र पापग्रह से युत या पापग्रहों के मध्य में हो।

षष्ठेश सूर्य के नवांश में हो।

चतुर्थेश द्वादश भाव में व्ययेश के साथ हो या नीच, शत्राुक्षेत्राी या अस्त हो या जन्म राशि में शनि, मंगल, राहु या केतु हो तो जातक को हृदय रोग होता है।

शुक्र नीच राशि में हो तो उसकी महादशा में हृदय में शूल होता है। द्वितीयस्थ शुक्र हो तो भी उसकी दशा में हृदय शूल होता है।

पंचम भाव, पंचमेश, सूर्यग्रह एवं सिंह राशि पापग्रहों के प्रभाव में हों तो जातक को दो बार दिल का दौरा पड़ता है।

पंचम भाव में नीच का बुध राहु के साथ अष्टमेश होकर बैठा हो, चतुर्थ भाव में शत्राुक्षेत्राीय सूर्य शनि के साथ पीड़ित हो, षष्ठेश मंगल भाग्येश चन्द्र के साथ बैठकर चन्द्रमा को पीड़ित कर रहा हो, व्ययेश छठे भाव में बैठा हो तो जातक को हृदय रोग अवश्य होता है।

राहु चौथे भाव में हो और लग्नेश पापग्रह से दृष्ट हो तो हृदय रोग जातक को अवश्य होता है।

चतुर्थ भाव में राहु हो तथा लग्नेश निर्बल और पापग्रहों से युत या दृष्ट हो।

चतुर्थेश का नवांश स्वामी पापग्रहों से दृष्ट या युत हो तो हृदय रोग होता है।

लग्नेश शत्राुक्षेत्राी या नीच राशि में हो, मंगल चौथे भाव में हो तथा शनि पर पापग्रहों की दृष्टि हो या सूर्य-चन्द्र-मंगल शत्राुक्षेत्राी हों या चन्द्र व मंगल अस्त हों यापापयुत या चन्द्र व मंगल की सप्तम भाव में युति हो तो जातक को हृदय रोग होता है।

शनि तथा गुरु पापगहों से पीड़ित या दृष्ट हों तो जातक को हृदय रोग एवं शरीर में कम्पन होता है।

शनि या गुरु षष्ठेश होकर चतुर्थ भाव में पापग्रह से युत या दृष्ट हो तो जातक को हृदय व कम्पन रोग होता है।

तृतीयेश राहु या केतु के साथ हो तो जातक को हृदय रोग के कारण मूर्च्छा रोग होता है।

चतुर्थ भाव में मंगल, शनि और गुरु पापग्रहों से दृष्ट हों तो जातक को हृदय रोग के कारण कष्ट होता है।

स्थिर राशियों में सूर्य पीड़ित हो तो भी हृदय रोग होता है।

अधिकांश सिंह लग्न वालों को हृदय रोग होता है।

षष्ठेश की की बुध के साथ लग्न या अष्टम भाव में युति हो तो जातक को हृदय रोग का कैंसर तक हो सकता है।

षष्ठ भाव में सिंह राशि में मंगल या बुध या गुरु हो तो हृदय रोग होता है।

छठे भाव में कुम्भ राशि में मंगल हो तो हृदय रोग होता है। छठे भाव में सिंह राशि हो तो भी हृदय रोग होता है।

चतुर्थेश किसी शत्राु राशि में स्थित हो और चौथे भाव में शनि व राहु या मंगल व शनि या राहु व मंगल या मंगल हो एवं शनि या पापग्रह से दृष्ट हो तो हृदय रोग होता है।

सूर्य पापप्रभाव से पीड़ित हो तभी हृदय रोग होता है।

हार्टअटैक के लिए राहु-केतु क पाप प्रभाव होना आवश्यक है। हार्ट अटैक आकसिम्क होता है।

हृदय रोग होगा या नहीं यह जानने के लिए कुछ ज्योतिष योगों की चर्चा करेंगे। इन योगों के आधार पर आप किसी की कुण्डली देखकर यह जान सकेंगे कि जातक को यह रोग होगा या नहीं। प्रमुख हृदय रोग संबंधी ज्योतिष योग इस प्रकार हैं-

१. सूर्य-शनि की युति त्रिाक भाव में हो या बारहवें भाव में हो तो यह रोग होता है।

२. अशुभ चन्द्र चौथे भाव में हो एवं एक से अधिक पापग्रहों की युति एक भाव में हो।

३. केतु-मंगल की युति चौथे भाव में हो।

४. अशुभ चन्द्रमा शत्रु राशि में या दो पापग्रहों के साथ चतुर्थ भाव में स्थित हो तो हृदय रोग होता है।

५. सिंह लग्न में सूर्य पापग्रह से पीड़ित हो।

६. मंगल-शनि-गुरु की युति चौथे भाव में हो।

७. सूर्य की राहु या केतु के साथ युति हो या उस पर इनकी दृष्टि पड़ती हो।

८. शनि व गुरु त्रिक भाव अर्थात्‌ ६, ८, १२ के स्वामी होकर चौथे भाव में स्थित हों।

९. राहु-मंगल की युति १, ४, ७ या दसवें भाव में हो।

१०. निर्बल गुरु षष्ठेश या मंगल से दृष्ट हो।

११. बुध पहले भाव में एवं सूर्य व शनि षष्ठेश या पापग्रहों से दृष्ट हों।

१२. यदि सूर्य, चन्द्र व मंगल शत्रुक्षेत्री हों तो हृदय रोग होता है।

१३. चौथे भाव में राहु या केतु स्थित हो तथा लग्नेश पापग्रहों से युत या दृष्ट हो तो हृदय पीड़ा होती है।

१४. शनि या गुरु छठे भाव के स्वामी होकर चौथे भाव में स्थित हों व पापग्रहों से युत या दृष्ट हो तो हृदय कम्पन का रोग होता है।

१५. लग्नेश चौथे हो या नीच राशि में हो या मंगल चौथे भाव में पापग्रह से दृष्ट हो या शनि चौथे भाव में पापग्रहों से दृष्ट हो तो हृदय रोग होता है।

१६. चतुर्थ भाव में मंगल हो और उस पर पापग्रहों की दृष्टि पड़ती हो तो रक्त के थक्कों के कारण हृदय की गति प्रभावित होती है जिस कारण हृदय रोग होता है।

१७. पंचमेश षष्ठेश, अष्टमेश या द्वादशेश से युत हो अथवा पंचमेश छठे, आठवें या बारहवें में स्थित हो तो हृदय रोग होता है।

१८. पंचमेश नीच का होकर शत्रुक्षेत्री हो या अस्त हो तो हृदय रोग होता है।

१९. पंचमेश छठे भाव में, आठवें भाव में या बारहवें भाव में हो और पापग्रहों से दृष्ट हो तो हृदय रोग होता है।

२०. सूर्य पाप प्रभाव में हो तथा कर्क व सिंह राशि, चौथा भाव, पंचम भाव एवं उसका स्वामी पाप प्रभाव में हो अथवा एकादश, नवम एवं दशम भाव व इनके स्वामी पाप प्रभाव में हों तो हृदय रोग होता है।

२१. मेष या वृष राशि का लग्न हो, दशम भाव में शनि स्थित हो या दशम व लग्न भाव पर शनि की दृष्टि हो तो जातक हृदय रोग से पीड़ित होता है।

२२. लग्न में शनि स्थित हो एवं दशम भाव का कारक सूर्य शनि से दृष्ट हो तो जातक हृदय रोग से पीड़ित होता है।

२३. नीच बुध के साथ निर्बल सूर्य चतुर्थ भाव में युति करे, धनेश शनि लग्न में हो और सातवें भाव में मंगल स्थित हो, अष्टमेश तीसरे भाव में हो तथा लग्नेश गुरु-शुक्र के साथ होकर राहु से पीड़ित हो एवं षष्ठेश राहु के साथ युत हो तो जातक को हृदय रोग होता है।

२४. चतुर्थेश एकादश भाव में शत्राुक्षेत्राी हो, अष्टमेश तृतीय भाव में शत्रुक्षेत्री हो, नवमेश शत्रुक्षेत्री हो, षष्ठेश नवम में हो, चतुर्थ में मंगल एवं सप्तम में शनि हो तो जातक को हृदय रोग होता है।

२५. लग्नेश निर्बल और पाप ग्रहों से दृष्ट हो तथा चतुर्थ भाव में राहु स्थित हो तो जातक को हृदय पीड़ा होती है।

२६. लग्नेश शत्रुक्षेत्री या नीच का हो, मंगल चौथे भाव में शनि से दृष्ट हो तो हृदय शूल होता है।

२७. सूर्य-मंगल-चन्द्र की युति छठे भाव में हो और पापग्रहों से पीड़ित हो तो हृदय शूल होता है।

२८. मंगल सातवें भाव में निर्बल एवं पापग्रहों से पीड़ित हो तो रक्तचाप का विकार होता है।

२९. सूर्य चौथे भाव में शयनावस्था में हो तो हृदय में तीव्र पीड़ा होती है।

३०. लग्नेश चौथे भाव में निर्बल हो, भाग्येश, पंचमेश निर्बल हो, षष्ठेश तृतीय भाव में हो, चतुर्थ भाव पर केतु का प्रभाव हो तो जातक हृदय रोग से पीड़ित होता है।

अगले अंक में हृदय रोग संबंधी अन्य योगों की चर्चा करेंगे और यह बताएंगे कि इस रोग से बचने के निदान क्या हैं अथवा उपाय क्या है?

सूर्य हृदय का प्रतिनिधित्व करता है, जिसका भाव पंचम है। जब पंचम भाव, पंचमेश तथा सिंह राशि पाप प्रभाव में हो तो हार्ट अटैक की सम्भावना बढ़ जाती है। सूर्य पर राहु या केतु में से किसी एक ग्रह का पाप प्रभाव होना भी आवश्यक है। जीवन में घटने वाली घटनाएं अचानक ही घटती हैं जोकि राहु या केतु के प्रभाव से ही घटती हैं। हार्ट अटैक भी अचानक बिना किसी पूर्व सूचना के आता है, इसीलिए राहु या केतु का प्रभाव आवश्यक है।

यदि षष्ठेश केतु के साथ हो तथा गुरु, सूर्य, बुध, शुक्र अष्टम भाव में हों, चतुर्थ भाव में केतु हो तो हृदय रोग होता है।

चतुर्थेश लग्नेश, दशमेश व व्ययेश के साथ आठवें हो और अष्टमेश वक्री होकर तृतीयेश बनकर तृतीय भाव में हो व एकादश भाव का स्वामी लग्न में हो तो जातक को हृदय रोग होता है।

षष्ठेश की अष्टम भाव में स्थित गुरु, सूर्य, बुध, शुक्र पर दृष्टि हो तो जातक हृदय रोग से पीड़ित होता है।

शनि दसवीं दृष्टि से मंगल को पीड़ित करे, बारहवें भाव में राहु तथा छठे भाव में केतु हो, चतुर्थेश व लग्नेश अष्टम भाव में व्ययेश के साथ युत हो तो भी हृदय रोग होता है।

सर्वविदित है की चौथा भाव और दसवां भाव हृदय कारक अंगों के प्रतीक हैं। चतुर्थ भाव का कारक चन्द्र भी आरोग्यकारक है। दशम भाव के कारक ग्रह सूर्य, बुध, गुरु व शनि हैं। पाचंवा भाव छाती, पेट, लीवर, किडनी व आंतों का है, ये अंग दूषित हों तो भी हृदय हो हानि होती है। यह भाव बुद्धि अर्थात्‌ विचार का भी है। गलत विचारों से भी रोग वृद्धि होती है।

रोग के प्रकार के लिए पहले, छठे और बारहवें भाव को भी अच्छी तरह देखना चाहिए।

छठे भाव का कारक मंगल व शनि हैं। मंगल रक्त का कारक और शनि वायु का कारक है। ये भी रोग कारक हैं। आठवां भाव रोग और रोगी की आयु का सूचक है। आठवें का कारक शनि है। विचार करते समय भाव व उनके कारकों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

सूर्य, चन्द्र, मंगल, शनि, राहु व केतु ग्रह का विशेष ध्यान रखना चाहिए क्योंकि ये सभी रोग हो प्रभावित करते हैं या बढ़ाते हैं।

जन्म नक्षत्रा मघा, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी हों तो हृदय रोग अत्यन्त पीड़ादायक होता है।

मेष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, कुम्भ, मीन राशियां जिन जातकों की हैं, उनका यदि मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, कुम्भ या मीन लग्न हो तो उनको हृदय रोग अधिक होता है।

भरणी, कृत्तिका, ज्येष्ठा, विशाखा, आर्द्रा, उत्तराफाल्गुनी नक्षत्रा हृदय रोग कारक हैं।

एकादशी, द्वादशी, चतुर्दशी, पूर्णिमा एवं अमावस्या दोनों पक्षों की हृदय रोग कारक हैं। जिन जातकों का जन्म शुक्ल में हो तो उन्हें कृष्ण पक्ष की उक्त तिथियां एवं जिनका जन्म कृष्ण में हो तो उन्हें शुक्ल पक्ष की उक्त तिथियों में यह रोग होता है।

आंग्ल तिथियों में १,१०,१९,२८,१३,२२,४,९,१८ व २७ में ये रोग होता है।

रोग का निदान कैसे करें?

हृदय रोग संबंधी समस्त योगों को समझ लें और उसका सार तत्त्व ग्रहण कर किसी भी कुण्डली में विचार कर विश्लेषण कर यह निर्णय कर लें कि हृदय रोग होगा या नहीं।

तदोपरान्त रोग कारक ग्रहों के कुप्रभाव को दूर करने के उपाय करें। कुण्डली के बली व शुभ ग्रहों को स्थापित करें।

रोग जटिल अवस्था में है तो अधोलिखित उपाय कराए-

१. पका हुआ पीला काशीफल लेकर उसके बीच निकाल करके किसी भी मन्दिर के प्रांगण में रखकर ईश्वर से स्वस्थ होने की कामना करते हुए रख दें। उपाय सूर्योदय के उपरान्त एवं सूर्यास्त से पूर्व करें। किसी के लिए वही कर सकता है जिसका रोगी से रक्त का संबंध हो। यह अनुसार अल्पतम तीन दिन करें और अधिक कष्ट है तो अधिक दिन भी कर सकते हैं। यहां आस्था एवं निरन्तरता महत्वपूर्ण है।

२. गुड़ की चासनी में आटा गूंथकर अधपकी रोटी तन्दूर में लगवा लें। रोटी की संख्या निर्धारित करने के लिए जिस दिन उपाय करना हो उस दिन रोगी के आसपास जितने लोग हों उन्हें गिनकर चार की संख्या अतिरिक्त जोड़ लें तदोपरान्त उतनी रोटी बनवा लें। इन रोटियों को बराबर मात्राा में दो भाग में करके एक भाग कुत्तों को और दूसरा भाग गायों को खिला दें यह सोचकर कि रोगी स्वस्थ हो जाए।

३. रोगी के सिरहाने एक सिक्का रखकर या श्रद्धानुसार रखकर उसे अगले दिन सूर्योदय के उपरान्त भंगी को दें। यह नित्य करें और ४३ दिन तक बिना नागा करें। मन में भाव रोगी के ठीक होने का रखें।

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रोग एवं उपाय -----

यदि पूर्व ज्ञान हो तो चिकित्सा शास्त्र में आशातीत सफलता प्राप्त होते देर नही लगता कई बार अध्यात्मवाद ,ज्योतिष तथा इष्ट साधन बहुत सहायक होते है इस तथ्य को हम माने या न माने चिकित्सा शास्त्र हो या ज्योतिस्शास्त्र यह हमारे पूर्वजो की ही देन है चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब का उपग्रह है समीप होने के कारन यह मानव जीवन को सर्वाधिक प्रभावित करता है प्रत्येक जीव सूर्य ,चंद्रमा एवं अन्य ग्रहों ,१२ राशियो से प्रभावित होते है पृथ्वी सौरमंडल का महत्वपूर्ण हिस्सा है पृथ्वी में पाए जाने वाले प्रत्येक तत्व का सम्बन्ध ग्रहों से है मानव एवं संपूर्ण ब्रम्हांड एक दुसरे पर अन्योनाश्रित है १२ रशिया कालपुरुष के विभिन्न अंगो का प्रतिनिधित्व करतीहैजो निम्न है :- १.मेष :-सर मस्तिष्क ,मुख ,सम्बंधित हड्डिया २.वृषभ :-गर्दन ,गाल .दाया नेत्र ३.मिथुन: -कन्धा ,हाथ ,श्वासनली .दोनों बाहू ४कर्क :-ह्रदय ,छाती ,स्तन ,फेफड़ा .पाचनतंत्र ,उदर ५.सिंह :-ह्रदय ,उदर ,नाडी ,स्पाईनल ,पीठ की हड्डिया ६.कन्या :-कमर ,आंत ,लिवर ,पित्ताशय ,गुर्दे और अंडकोष ७तुला :-वस्ति नितम्ब ,मूत्राशय ,गुर्दा ८.वृश्चिक :-गुप्तेंद्रिया ,अंडकोष ,गुप्तस्थान ९.धनु :-दोनों जंघे ,नितम्ब १०.मकर :-दोनों घुटने ,हड्डियों का जोड़ ११.कुम्भ :-दोनों पिंडालिया ,टाँगे १२.मीन :-दोनों पैर .तलुए राशियों के भांति ग्रह नक्षत्र में भी स्थायी गुन दोष है जिनके आधार पर रोगों के परिक्षण में सरलता आ जाता है

जेसा की सभी जानते हें की मानव शरीर पंच तत्वों से मिलकर बना है- अग्नि, पृथ्वी, वायु, आकाश एवं जल। इन तत्वों का जब मानव शरीर में संतुलन बना रहता है, मनुष्य प्रसन्नचित्त एवं उत्तम व्यक्तित्व वाला निरोग व स्वस्थ रहता है। मानव शरीर में इन्हीं तत्वों के असंतुलित होने पर मनुष्य रोगग्रस्त, चिड़चिड़ा, दुखों से पीड़ित एवं कांतिहीन हो जाता है। मानव शरीर में तत्वों का असंतुलन साधारण भाषा में रोग कहलाता है। इसी रोग का उपाय करने के लिए व्यक्ति अलग-अलग तरीके अपनाता है। जैसे आयुर्वेद चिकित्सा, एलोपैथी चिकित्सा, होम्योपैथी चिकित्सा, स्पर्श चिकित्सा, रेकी, एक्यूपंक्चर एवं एक्यूप्रेशर आदि या ज्योतिषीय उपाय जैसे रत्न, यंत्र, दान, विसर्जन आदि तथा इन सभी पद्धतियों द्वारा जब असफलता ही हाथ लगती है तो आध्यात्मिक शक्ति की खोज में व्यक्ति साधुओं व ऋषि- मुनियों के पास उनका आशीर्वाद लेने हेतु जाता है। आयुर्वेद चिकित्सा की खोज भारत के ऋषि-मुनियों के द्वारा की गयी। उन्होंने अपने अनुभव और ज्ञान के आधार पर कुछ ऐसी जड़ी-बूटियों की खोज की जिससे शरीर में जिस तत्व की कमी हो उसे पूरा किया जा सके। जैसे ही तत्व की आपूर्ति हो जाती है, शरीर के अंग पुनः क्रियाशील हो जाते हैं और रोग दूर हो जाता है। ऐलोपेथी में भी रासायनिक क्रिया द्वारा तत्वों की कमी को पूरा करने की कोशिश की जाती है या रसायन-क्रिया द्वारा विषाणुओं को कमजोर कर दिया जाता है जिससे शरीर पुनः क्रियाशील हो जाता है। होम्योपेथी में माना जाता है कि जिस पदार्थ के कारण रोग है यदि उस पदार्थ को उससे अधिक शक्ति के रूप में शरीर में प्रेषित करें तो पहले वाला पदार्थ निष्क्रिय हो जाता है और मनुष्य स्वस्थ हो जाता है। इसी सूत्र के आधार पर होम्योपेथी की दवाएं तैयार की जाती है। मनुष्य रोगी क्यों होता है। मुख्यतया रोग का मस्तिष्क से सीधा संबंध पाया गया है। अचानक किसी बड़े संताप के कारण हृदयाघात की आशंका 30 गुना तक बढ़ जाती है। अक्सर देखा जाता है कि बुजुर्ग दंपति में यदि एक की मौत हो जाय तो दूसरे की भी मौत कुछ ही अंतराल में हो जाती है। कारण है कि मस्तिष्क व्यक्ति की सोच के अनुरूप शरीर में विभिन्न रसों का स्राव करता है व कुछ का उत्पादन बंद कर देता है जो कि रोग का मुख्य कारण बनते हैं। इस क्रिया को संतुलित और सुव्यवस्थित करने के लिए हम चिकित्सा-पद्धति का सहारा लेते हैं। एक्यूप्रेशर या एक्यूपंक्चर में हम किसी नर्व के ऊपर प्रेशर डालकर जाग्रत करने की कोशिश करते हैं जिससे वह मस्तिष्क को सही संदेश भेजे और मस्तिष्क सही रसायन क्रिया करने का आदेश दे। स्पर्श पद्धति में या रेकी में हम मनुष्य के मस्तिष्क को ब्रह्माण्डीय ऊर्जा से परिपूर्ण करने की कोशिश करते हैं जिससे वह स्वयं सही कार्य करना शुरू कर दे और शरीर की रसायन क्रियाएं सही हो जाएं। ज्योतिष में भी अनेक उपचार प्रचलित है जैसे कोई रोग हो जाता है तो हम उसे किसी ग्रह का लाॅकेट आदि धारण करने के लिए बतलाते हैं अन्यथा उसे किसी मंत्र जाप या अनुष्ठान के लिए कहते हैं। रोगों से छुटकारे के लिए महामृत्युंजय मंत्र जप के बारे में तो सभी जानते हैं। कभी किसी वस्तु-विशेष का दान या विसर्जन भी बताया जाता है। रत्न-धारण तो मुख्य उपाय है ही। ये उपाय कैसे काम करते हैं? रत्न धारण करने से व्यक्ति के शरीर में वांछित सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश सूर्य की किरणों के माध्यम से होता है। सूर्य से सभी प्रकार के रंगों से ऊर्जा प्राप्त होती है। उसमें से जिस ऊर्जा का अभाव होता है, वह रत्न के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर जाती है, जिससे हमारे शरीर और मस्तिष्क का नियंत्रण व संतुलन बना रहता है और हम स्वस्थ महसूस करते हैं। इन रत्नों को अंगूठी, लाॅकेट, माला, ब्रेसलेट आदि किसी भी रूप में धारण किया जा सकता है। मंत्रों के द्वारा हम एक विशिष्ट प्रकार की ध्वनि पैदा करते हैं तथा मंत्र हमारे वातावरण में सकारात्मक तरंगों को उत्पन्न करते हैं जिससे वांछित ऊर्जा की प्राप्ति से हम रोगमुक्त हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त हम उस ग्रह को भी अपने अनुकूल बना पाते हैं जो हमारे लिये प्रतिकूल होते हैं। कौन सा ग्रह किस व्यक्ति के लिए अनुकूल अथवा प्रतिकूल है यह हम उस जातक की जन्मकुंडली या हस्तरेखा द्वारा जान सकते हैं। दान स्नान, व्रत आदि से जातक को मानसिक शांति का अनुभव होता है, जिससे उसके शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है तथा नकारात्मक ऊर्जा का निराकरण हो जाता है जिससे शरीर में अनुकूल रासायनिक क्रियाऐं होने से जातक अपने को रोगामुक्त और स्वस्थ महसूस करता है। रेकी से स्पर्श द्वारा या बिना स्पर्श किये रोगों का उपचार किया जाता...

धार्मिक भावनाएं भड़काने के आरोप में 12 गिरफ्तार


धार्मिक भावनाएं भड़काने के आरोप में 12 गिरफ्तार

आहोर में जैनाचार्यों के अपमान का मामला, आहोर में अतिरिक्त जाब्ता तैनात, दिनभर एसपी समेत अन्य पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने किया कैंप

. आहोर (जालोर)

शहर में चातुर्मास कर रहे जैनाचार्य अभयदेव सूरीश्वर और अन्य साधुओं के साथ गुरुवार को कुछ लोगों के द्वारा दुव्र्यवहार करने के मामले में शनिवार को पुलिस ने 12 जनों को धार्मिक भावनाएं भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया है। आरोपियों को कोर्ट के आदेश पर न्यायिक अभिरक्षा में भेजा गया। इधर, इन लोगों की गिरफ्तारी के बाद दूसरे पक्ष में भी रोष व्याप्त हो गया तथा रैली निकालकर विरोध जताया। घटना से कस्बे में दिनभर माहौल गर्माया हुआ रहा। इस दौरान भारी पुलिस जाब्ते के साथ एसपी दीपक कुमार, एएसपी यूएल छानवाल और एडीएम चुन्नीलाल सैनी आहोर में ही डेरा डाले रहे।

पुलिस के अनुसार गुरुवार को दो जीपों में भरकर आए एक संगठन से जुड़े कुछ लोगों ने चातुर्मास कर रहे जैन संतों के साथ दुव्र्यवहार कर धार्मिक भावनाओं को आहत करने का प्रयास किया था। इस प्रकरण को लेकर जैन समाज की तरफ से पुलिस में मुकदमा दर्ज कराया गया था। मामले को लेकर जैन समाज में आक्रोश बढ़ता देखकर पुलिस ने पाली जिले के तखतगढ़ कस्बे में अलग-अलग स्थानों पर दबिश देकर 12 युवकों को गिरफ्तार किया। उनको कोर्ट में पेश करने पर मजिस्ट्रेट ने जेल भेजने के आदेश दिए। इस बीच इन लोगों की गिरफ्तारी से खफा हुए एक संगठन के लोगों ने शनिवार को विरोध जताते हुए आहोर में रैली निकाली तथा पुलिस एवं प्रशासनिक अफसरों को ज्ञापन सौंपा। एएसपी छानवाल ने बताया कि जैन संतों के अपमान के मामले में 12 जनों को गिरफ्तार किया है। उन्होंने बताया कि इस संबंध में जैन समाज ने आक्रोश जताया था। उन्होंने बताया कि कस्बे में अब शांति का माहौल है।


इधर, जैन समाज रामसीन की ओर से भी कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन देकर मामले की जांच करवाने की मांग की गई है।

चप्पे-चप्पे पर तैनात रहा पुलिस जाब्ता

ऐहतियात के तौर पर शनिवार को आहोर में भारी संख्या में पुलिस जाब्ते की तैनाती की गई। डीएसपी रामदेवसिंह डूकिया, डीएसपी नरेंद्रसिंह चौधरी एवं नोसरा, सायला, जालोर व बागरा के थानाधिकारी भी आहोर में मौजूद रहे। इसके अलावा शांति और सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए कस्बे के प्रमुख मार्गों और चौराहों पर पुलिसकर्मी तैनात किए गए। एसडीएम लोकेश मीणा और तहसीलदार हनुमानाराम चौधरी भी पूरे दिन हर गतिविधि पर निगाह रखे रहे।

रिहा करने की मांग पर दिया ज्ञापन

कस्बे के अनोप चौक में स्थित एक स्थल पर में शनिवार को संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमृत भाई प्रजापत, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमरसिंह राठौड़ एवं प्रदेशाध्यक्ष खीमसिंह चौहान की उपस्थिति में बैठक हुई। इसके बाद रैली निकालकर प्रशासन को ज्ञापन दिया गया। ज्ञापन में गिरफ्तार किए गए लोगों को रिहा करने की मांग की गई। इससे पूर्व एसडीएम कार्यालय के बाहर एक सभा भी हुई, जिसे संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने संबोधित किया। इसके बाद एडीएम सैनी व एसडीएम मीणा को ज्ञापन देकर बताया कि पुलिस ने उनके संगठनों के भाविकों के खिलाफ झूठा मामला दर्ज कर गिरफ्तार किया है। ज्ञापन में इस मामले में जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई। साथ ही मामले की जांच करवाने की मांग की गई है।

जैन संघ ने की निंदा : भीनमाल. जैनमुनि चंद्रयश विजय महाराज ने आहोर में आचार्य अभयदेव सूरीश्वर के साथ हुए दुव्र्यवहार की निंदा की। उन्होंने कहा कि जैन संतों का अपमान भारतीय धार्मिक संस्कृति का अपमान है। सरकार को इसके लिए कड़े कदम उठाना चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी घटना फिर से नहीं हो।

जसवंतपुरा: कस्बे में शनिवार को आचार्य चंद्र सूरीश्वर की मौजूदगी में बैठक का आयोजन किया गया। इस दौरान जैन संघ की ओर से आहोर में जैन मुनियों के अपमान की निंदा की गई। इसको लेकर संघ ने प्रशासनिक अधिकारियों से जांच कर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की है।

'आशीर्वाद' पर नहीं होगा डिंपल का हक, पत्नी को बेदखल कर गए हैं राजेश खन्ना

'आशीर्वाद' पर नहीं होगा डिंपल का हक, पत्नी को बेदखल कर गए हैं राजेश खन्ना

मुंबई. अपने जमाने के सुपरस्टार हीरो राजेश खन्ना अपने पीछे करोड़ो रुपए की संपत्ति छोड़कर गए हैं। अगर सूत्रों की मानें तो उन्होंने अपनी जायदाद से पत्नी डिम्पल को बेदखल कर दिया है।
विश्वस्त सूत्रों के अनुसार राजेश खन्ना को अपनी मौत का आभास हो गया था। वह जानते थे कि अब उनका ज्यादा समय तक जीना मुश्किल है। इसलिए मरने से पहले उन्होंने वसीयत तैयार करवा ली थी, जिसमें निवेश की जानकारी और तमाम बैंक अकाउंट एक्सेस करने का हक अपनी दोनों बेटियां ट्व‍िंकल खन्ना और रिंकी को दे दिया था। पत्नी डिम्पल को उन्होंने अपनी जायदाद से बिल्कुल अलग कर दिया था।
 यह वसीयत राजेश खन्ना, पत्नी डिम्पल, दामाद अक्षय कुमार, राजेश के कुछ खास दोस्तों और फैमिली डॉक्टर दिलीप वालवकर के सामने भी पढ़ी जा चुकी है। इसके साथ ही वसीयत पढ़े जाने तक का पूरा वीडियो भी बनाया गया। राजेश खन्ना की बंगले आशीर्वाद को लेकर विवाद भी खड़ा हो गया है। उनकी लिव इन पार्टनर होने का दावा करने वाली अनीता आडवाणी ने कहा है कि राजेश खन्ना चाहते थे कि बंगले में उनकी याद में म्यूजिम बने।

PICS: देह-व्यापार के चंगुल में फंसी महिलाओं पर आमिर का 'सत्य'

इस बार आमिर खान ने सत्यमेव जयते शो में कहा कि अब तक उन्होंने इस कार्यक्रम में जनहित के मुद्दे उठाए हैं और किसी की संवेदनाओं को आहत नहीं किया है। 'मैंने जो मुद्दे उठाए हैं, वे इस देश की जनता के मुद्दे हैं और हमें ही इनका हल ढूंढना है।'PICS: देह-व्यापार के चंगुल में फंसी महिलाओं पर आमिर का 'सत्य' 

आमिर खान ने देश के भविष्य बच्चों से मिलवाया और कहा कि इनके कंधों पर ही समाज को आगे बढ़ाने की जिम्मेवारी है। उन्होंने संविधान में निहित आदर्शों के बारे में बताया और कहा कि इन्हें हासिल करना हमारा लक्ष्य होना चाहिए। लोगों की बराबरी, आर्थिक आजादी, सामाजिक न्याय आदि ऐसे मुद्दे हैं, जिन्हें हम आज तक हासिल नहीं कर पाए हैं। उन्होंने कहा कि आज का शो आजादी, बराबरी और न्याय के नाम है।
उन्होंने कुछ ऐसे उदाहरण पेश किए जिनमें साम्र्प्रदायिक दंगों के कारण लोगों का घर-बार उजड़ गया था और न जाने कितने बच्चे यतीम हो गए थे। उन्होंने दंगों के शिकार कई लोगों से बातें कीं और उनके अनुभवों को दर्शकों के साथ साझा किया। शो में आए इन लोगों ने बताया कि नफरत की आग के बीच भी इंसान की भावनाएं मरी नहीं और कई लोगों ने प्यार और भाईचारे की अद्भुत मिसाल पेश की।

साम्प्रदायिक दंगों के सवाल पर उन्होंने कश्मीर के गुलाम कादिर साहब और अब्दुल हबीब जी से बात की। उन्होंने कहा कि ये दंगे भारत की संस्कृति पर हमला हैं। उन्होंने बताया कि कश्मीर में आज भी भाईचारा मौजूद है। 'एक बार दंगे की शिकार एक महिला आशा जी का परिवार घर छोड़ कर भाग रहा था, पर हमने उन्हें ऐसा करने से रोका। 1947 में हमारे पूर्वजों ने भी दंगे के शिकार लोगों को जाने नहीं दिया था।'

आमिर खान ने बिहार के गांव से आए संजीव चौधरी से बात की जिनका दिल्ली में मॉडलिंग में अच्छा कॅरियर चल रहा था, पर उन्हें छुआ-छूत और दलित महिलाओं के उत्पीड़न की समस्या ने इस कदर झकझोरा कि वे ग्लैमर की चकाचौंध भरी दुनिया छोड़ अपने गांव लौट आए और कुप्रथाओं के खिलाफ जंग छेड़ दी। उन्होंने ऊंची जाति के लोगों द्वारा शोषण की शिकार दलित महिलाओं को संगठित करना शुरू किया और उन्हें अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया। आज संजीव चौधरी 167 एकड़ जमीन पर खेती करवाते हैं जिससे दलितों की आर्थिक हालत काफी अच्छी हो गई है। दलितों को गंगा में स्नान करने नहीं दिया जाता था। उन्होंने इसके खिलाफ भी संघर्ष किया और आज दलित गंगा-स्नान करते हैं। इस मुद्दे पर जागरूकता फैलाने के लिए संजीव चौधरी हर साल कलश यात्रा का आयोजन करते हैं।

आमिर ने महानगरों में जारी देह-व्यापार के मुद्दे को भी उठाया। देह-व्यापार के दलदल में फंसी महिलाओं के उद्धार के लिए काम करने वाली कुछ औरतों से उन्होंने बातचीत की। उन औरतों ने बताया कि लाखों महिलाएं देह-व्यापारियों के चंगुल में पड़ी हुई हैं और उनका बेतरह शोषण हो रहा है। यहां तक कि 6-7 साल की लड़कियों को भी इस नरक में धकेल दिया गया है। उन महिलाओं ने बताया कि उनकी संस्था ऐसी लड़कियों को इस नरक से निकालने के लिए लगातार काम कर रही है। खास बात यह है कि 10-20 हजार रुपये में लड़कियों का सौदा कर दिया जाता है।

आमिर ने विक्लांग बच्चों की समस्या को भी उठाया। इस मुद्दे पर उन्होंने नसीमा खातून से बातचीत की जो ऐसे बच्चों के लिए एक स्कूल चलाती हैं। नसीमा ने बताया कि उनके स्कूल में इन बच्चों का पूरा ध्यान रखा जाता है और उन्हें ऐसी ट्रेनिंग दी जाती है, ताकि वे समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें।

इसके अलावा शो में आमिर ने और भी कई समस्याएं उठाईं और इन पर काम करने वाले लोगों से बातचीत की। लोकतंत्र को मजबूत करने का मुद्दा प्रमुखता से उठाया। इस शो से यही संदेश उभर कर सामने आया कि दुनिया के इस सबसे बड़े लोकतंत्र में ऐसी कई सामाजिक समस्याएं हैं जिनका निदान करना बहुत जरूरी है। तभी स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। इस काम को पूरा करने की चुनौती नई पीढ़ी के सामने है। आमिर ने यह उम्मीद जताई कि बच्चे ही इन चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना करेंगे और देश में लोकतांत्रिक अधिकारों की बहाली में अहम भूमिका निभाएंगे।

नाबालिग पत्नी साथ तो रह सकती है लेकिन सेक्स नहीं कर सकतीः कोर्ट


 
नई दिल्‍ली. अगर बीवी नाबालिग है तो पति को उसकी कस्‍टडी मिल सकती है, लेकिन सेक्‍स की इजाजत नहीं। उसे शारीरिक संबंध बनाने की इजाजत पत्‍नी की उम्र 20 साल होने पर ही मिलेगी। दिल्‍ली हाईकोर्ट की तीन सदस्‍यीय बेंच ने यह व्‍यवस्‍था दी है। जजों ने यह भी कहा कि नाबालिग लड़की चाहे तो 20 साल की होने तक शादी तोड़ भी सकती है। उसे कानून इस बात का अधिकार देता है। इसीलिए पति नाबालिग बीवी की कस्टडी तो ले सकता है, लेकिन 20 साल की उम्र तक सेक्स नहीं कर सकता।


बेंच ने यह व्यवस्था दो सदस्यीय बेंच के एक रेफरेंस के जवाब में दी। उसमें पूछा गया था कि क्या यह कहा जा सकता है कि कोई नाबालिग लड़की समझदारी की उम्र में आ गई है और वह अपने माता-पिता की कस्टडी से बाहर निकल सकती है।


जस्टिस ए. के. सीकरी, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस वी के शाली की बेंच ने इस पर कहा, 'हमारी राय में चूंकि शादी अमान्य नहीं है, इसलिए पति को नाबालिग लड़की की देखरेख का अधिकार पाने का हक है। लेकिन उसे शारीरिक संबंध बनाने की अनुमति देना उचित नहीं हो सकता। पीसीएम (बाल विवाह निरोधक) अधिनियम का मकसद है कि कम उम्र में किसी बच्चे की शादी नहीं होनी चाहिए, क्योंकि वे दिमागी व शारीरिक तौर पर शादी के योग्य नहीं होते।'


बेंच ने कहा, 'आखिरकार इस तरह की शादी रद करने योग्य है।

17वीं संतान भी मृत समझ छोड़ गई मां

17वीं संतान भी मृत समझ छोड़ गई मां loading...
. जयपुर. यह संभवत: प्रदेश का पहला ही मामला होगा। अलवर जिले के दलवाड़ गांव की बबली मीणा 16 बार गर्भवती हुई और हर बार प्री-मैच्योर डिलीवरी। बच्चों ने या तो जन्म से पहले ही गर्भ में दम तोड़ दिया या जन्म लेने के कुछ देर बाद।

बबली ने 6 जुलाई को भरतपुर के रस्तोगी हॉस्पिटल में 17वीं संतान को जन्म दिया तो वह भी प्री-मैच्योर था। माता-पिता ने समझा यह बच्ची भी जिंदा नहीं रहेगी। भाग्य के भरोसे उसे अस्पताल में ही छोड़ गए। बच्ची को सांस लेने में तकलीफ, आंतों में संक्रमण और पेट फूलने की शिकायत थी। उसके चाचा रामदेव मीणा आगे आए और नवजात की देखरेख का जिम्म्मा संभाला। 14 जुलाई को बच्ची को जयपुर के बेबीलोन अस्पताल में भर्ती कराया। नवजात अब स्वस्थ है। दूध भी पीने लगी है। अब उसे इंतजार है तो अपनी मां और पिता राधेश्याम का, जिन्होंने करीब 15 दिन से उसे देखा तक नहीं है।...शेष पेज त्न१०

बच्ची स्वस्थ, चाचा कर रहे देखभाल : बबली आंगनबाड़ी कार्यकर्ता है और बच्ची के चाचा रामदेव गुजरात में रेलवे फोर्स में हैड कांस्टेबल हैं। बच्ची का पिता राधेश्याम खेती करता है। शेष त्न पेज ४


रामदेव अस्पताल में बच्ची की मां की भूमिका निभा रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के हरसंभव प्रयास कर रही है। मैं भी इस नेक काम में पीछे हटने वाला नहीं हूं। रामदेव ने बताया कि बबली के सभी बच्चे प्री-मैच्योर और नॉर्मल डिलीवरी से हुए थे, लेकिन कोई जिंदा नहीं रहा। यह बच्ची उसकी 17वीं संतान है और डिलीवरी सिजेरियन हुई थी। बेबीलोन अस्पताल के डॉ. धनंजय मंगल ने बताया कि 14 जुलाई को जब रामदेव अस्पताल में इस साढ़े सात माह की नवजात बच्ची को लाए थे उस समय इसे सांस में तकलीफ, आंतों में संक्रमण एवं पेट फूलने की शिकायत थी।

अब उसकी हालत में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। बच्ची को अभी मशीन पर रखा गया है। उसे जल्द ही अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी।

उन्होंने बार-बार प्री मैच्योर डिलीवरी के लिए मां को सही तरह से पोषण नहीं मिलने तथा आनुवांशिकता को कारण बताया।



ऐसे केस बहुत कम

वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. सुनिला खंडेलवाल ने बताया कि मैंने तो ऐसे मामले नहीं हैं कि लगातार 16 प्री मैच्योर डिलीवरी हों और सभी बच्चे मर जाएं। बच्चों की मौत के पीछे आनुवांशिक, मां व बच्चे में संक्रमण, यूट्रस की बनावट में खराबी, संक्रमण एवं मुंह का ज्यादा खुलना आदि कारण हो सकते हैं। इसके अलावा पोषण व खून की कमी भी इसके कारण हैं। लगातार ऐसा होने पर महिला को ब्लड, हिस्ट्रोस्कोपी एवं एंटी फॉस्फोलिपिड एंटी बॉडीज सिन्ड्रोम जांच करानी चाहिए।पुलिस ने थाने में ही शुरू कर दी समाज की पंचायत

बिराई निवासी हस्ती नट का पास की ढाणी में रहने वाली एक युवती से प्रेम संबंध होने से उसके घर आना-जाना था। गुरुवार को युवती के परिजनों ने दोनों को मिलते हुए देख लिया। युवती के परिजनों ने गुरुवार शाम युवक के पिता लालाराम पुत्र अंग्रेज नट को अपनी ढाणी में बुलाया और उसे डांटने लगे। वहां मौजूद लोगों ने लाला के सिर के बाल व मूंछें काट दी। इसके बाद उसके मुंह पर कालिख पोत दी। पीडि़त चिल्लाता रहा पर किसी ने उसकी नहीं सुनी। उसे धमकाया गया कि यदि वह पुलिस थाने गया तो उसके बेटे के खिलाफ ज्यादती का मामला दर्ज कराया जाएगा। पहले तो वह चुप रहा, लेकिन बाद में परिजनों को आप बीती सुनाई। शनिवार दोपहर को पीडि़त अपने परिजनों के साथ खेड़ापा पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने पहुंचा। तब पुलिस ने समाज के पंचों को बुला लिया और थाने में ही समाज की पंचायत शुरू करवा दी। शाम को जोधपुर में मामले की जानकारी उच्चाधिकारियों को मिलने के बाद थाने में मामला दर्ज कर लिया गया।

१६ संतानें, एक बार जुड़वां भी

पहले ६ बच्चे छह माह के जन्मे

7 व 8 वां भरतपुर के रस्तोगी

अस्पताल में, मृत जन्मे

9 से 12वां सात माह के जन्मे

13वां जुड़वां, मृत

14 से 16वां छह से साढ़े सात माह,

मृत जन्मे

16 डिलीवरी प्री-मैच्योर : अलवर जिले की महिला के पहले सभी 16 बच्चों की हो चुकी थी मौत

बिराई में प्रेम संबंधों का मामला : युवती के परिजनों ने युवक के पिता के बाल व मूंछें भी काटी


'गलती' बेटे की, पिता के मुंह पर कालिख पोती
भोपालगढ़ (जोधपुर). खेड़ापा थाना क्षेत्र के बिराई गांव में बेटे की 'गलती' की सजा उसके पिता को भुगतनी पड़ी। हस्ती नट नामक युवक को एक युवती से मिलते गांव वालों ने देख लिया था। युवती के परिजनों ने हस्ती के पिता लालाराम को अपनी ढाणी में बुलाया। उसके सिर के बाल व मूंछें काटी और उसके मुंह पर कालिख पोत दी। लालाराम शनिवार को इसकी रिपोर्ट दर्ज कराने जब खेड़ापा थाने गया तो पुलिस ने मामला दर्ज करने की बजाय समाज के पंचों को बुलाया। भास्कर संवाददाता जब पुलिस थाने पहुंचा तो पुलिस ने पीडि़त को छिपा दिया। वहीं थाने में ही एक कमरे जोर-जोर से चिल्ला रहे समाज के पंचों का कमरा भी बंद कर दिया। शनिवार देर शाम एसपी (ग्रामीण) नवज्योति गोगोई के निर्देश पर खेड़ापा पुलिस थाने में सात जनों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। रिपोर्ट में हेतुराम, एसपी, राकेश, सिकंदर, प्रदेश, ओमाराम व रघुवीर को आरोपी बनाया गया है।..

गोगोई ने बताया कि पीडि़त की रिपोर्ट पर खेड़ापा पुलिस में सात जनों के खिलाफ मूंछ व बाल काटने तथा कालिख पोतने का मामला दर्ज किया गया है। मामले की जांच के बाद ही आरोपियों को गिरफ्तार किया जाएगा।

पुलिस ने थाने में ही शुरू कर दी समाज की पंचायत

बिराई निवासी हस्ती नट का पास की ढाणी में रहने वाली एक युवती से प्रेम संबंध होने से उसके घर आना-जाना था। गुरुवार को युवती के परिजनों ने दोनों को मिलते हुए देख लिया। युवती के परिजनों ने गुरुवार शाम युवक के पिता लालाराम पुत्र अंग्रेज नट को अपनी ढाणी में बुलाया और उसे डांटने लगे। वहां मौजूद लोगों ने लाला के सिर के बाल व मूंछें काट दी। इसके बाद उसके मुंह पर कालिख पोत दी। पीडि़त चिल्लाता रहा पर किसी ने उसकी नहीं सुनी। उसे धमकाया गया कि यदि वह पुलिस थाने गया तो उसके बेटे के खिलाफ ज्यादती का मामला दर्ज कराया जाएगा। पहले तो वह चुप रहा, लेकिन बाद में परिजनों को आप बीती सुनाई। शनिवार दोपहर को पीडि़त अपने परिजनों के साथ खेड़ापा पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने पहुंचा। तब पुलिस ने समाज के पंचों को बुला लिया और थाने में ही समाज की पंचायत शुरू करवा दी। शाम को जोधपुर में मामले की जानकारी उच्चाधिकारियों को मिलने के बाद थाने में मामला दर्ज कर लिया गया।

बिराई में प्रेम संबंधों का मामला : युवती के परिजनों ने युवक के पिता के बाल व मूंछें भी काटी

जिले में मानसून की बेरुखी से सरहदी गांवों में हालात बने विकट, चारा, पानी व रोजगार का संकट



रोजगार के लिए गुजरात की ओर पलायन

बाड़मेर थार में मानसून की बेरुखी से सूखे के आसार बन गए हैं। सुकाल की आस लगाए बैठे धरती पुत्रों को लंबे इंतजार के बाद निराशा हाथ लगी। सावन सूखा बीता जा रहा है, अब तक खरीफ बुवाई को खेतों में हल नहीं चले है। अब धरती पुत्रों के सब्र का बांध टूट रहा है। रोजगार के लिए ग्रामीणों ने पलायन का मानस बना लिया है। इस साल मानसून के दौरान जिले में मात्र एक बार बरसात हुई है। सावन शुरू होने के तीसरे दिन ही जिले भर में अच्छी बरसात हुई थी। जिससे इस साल भी अच्छे मानसून की आस बंधी थी, लेकिन उसके बाद अब तक कुछ गांवों को छोड़कर कहीं पर भी एक भी बूंद नहीं बरसी। इससे सूखे के आसार हो गए हैं। एक बरसात के बाद जिन किसानों ने खेतों में बुवाई की थी, वह फसल अब कई जगहों पर अंकुरित हो गई, लेकिन बारिश के अभाव में अब मुरझाने लगी है। जिले के सरहदी गांव गडरा, सुंदरा, पांचला, रोहिड़ी, पांचला, बीकेसी, खडाला, बंधड़ा समेत दर्जनों गांवों के अस्सी फीसदी लोगों की आजीविका खेती व पशुपालन पर निर्भर है। इन गांवों में लगातार दूसरे साल अकाल के बादल मंडरा रहे हैं। पशुपालकों के सामने सबसे बड़ी चुनौती पशुधन को बचाना है। आसपास के गांवों के मोट्यार रोजगार के लिए पड़ोसी राज्य गुजरात की ओर रुख कर रहे हैं।

किस पर क्या असर

चारा, पानी व रोजगार: बारिश के अभाव में बुवाई नहीं होने से चारे का संकट अभी से खड़ा हो गया है। पशुओं के लिए कुतर, ग्वारटी के भावों में तेजी से पशुपालकों की चिंताएं बढ़ रही है। पेयजल के लिए जीएलआर बने हैं, मगर पहले से अनियमित जलापूर्ति के चलते ग्रामीणों को पानी के टैंकर मंगवाने पड़ रहे हैं। बारिश नहीं होने से टैंकरों की दरें बढ़ेगी। खेती व पशुपालन से आजीविका चलाने वाले ग्रामीणों के सामने सबसे बड़ी चुनौती रोजगार की है।

अकाल से बढ़ेगी महंगाई: जिले भर में सूखे के आसार बनने से बाजरा, ग्वार, मूंग, मोठ व तिल के भावों में तेजी आई है। खरीफ की पैदावार नहीं होने से आम जरूरत की वस्तुएं महंगी हो जाएगी।

सब्जियों के भाव 50 से 60 फीसदी बढ़ गए हैं। सब्जी विक्रेताओं के अनुसार सावन मास के दौरान ऐसा कई सालों में पहली बार हुआ है।

एनीकट व तालाब रीते: पूरे जिले में लगभग सभी एनीकट व तालाब इस समय खाली पड़े हैं। पिछले साल यह सारे पानी से लबालब भर गए थे। एक साल के दौरान ही यह सभी इस समय खाली हैं।

ऐसे में अब इन एनिकट व तालाबों को भी पानी का इंतजार है। इस बार भी पानी के लिए तरस है। ऐसे में रबी के दौरान भी किसानों के सामने संकट खड़ा होगा।

राजस्थानी भाषा मान्यता को लेकर छात्राएं आगे आईं

राजस्थानी भाषा मान्यता को लेकर छात्राएं आगे आईं


बाड़मेर  मायड़ भाषा राजस्थानी को संविधान की आठवीं अनुसूची व राजस्थान टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट में शामिल करने की मांग को लेकर शनिवार को एमबीसी गल्र्स कॉलेज में हस्ताक्षर अभियान का आयोजन हुआ। अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति के आनुषांगिक संगठन राजस्थानी मोटियार परिषद व राजस्थानी छात्र परिषद के बैनरतले आयोजित कार्यक्रम में कॉलेज छात्राओं ने बढ़-चढ़ कर कैनवास पर दस्तखत कर मायड़ भाषा के प्रति समर्थन जाहिर किया। अभियान के दौरान छात्रा लीला लखारा, करिश्मा भाटी, लक्ष्मी बामनिया सहित कई छात्राओं ने राजस्थानी को मायड़ भाषा बताते हुए प्राथमिक स्तर से ही राजस्थानी भाषा में अध्ययन के साथ ही प्रतियोगी परीक्षाओं में राजस्थानी भाषा को स्थान देने की मांग को दोहराया। छात्र परिषद के जिलाध्यक्ष अशोक सारला ने बताया कि अभियान के अगले चरण में गल्र्स कॉलेज में राजस्थानी भाषा विंग गठित की जाएगी। इस दौरान मोटियार परिषद के नगर अध्यक्ष रमेशसिंह इंदा, भूर चंद जांगिड़, तेजाराम हुड्डा, खेतदान भादरेस, जितेंद्र फुलवारिया सहित कई कार्यकर्ता मौजूद थे।

सरकारी भूमि पर भूमाफिया ने काटी कॉलोनी!

सरकारी भूमि पर भूमाफिया ने काटी कॉलोनी!
नगरपरिषद को आवंटित खसरा न. 1431 में फर्जी रजिस्ट्री के जरिए बेचान किए प्लॉट
कूटरचित दस्तावेजों से किया फर्जीवाड़ा, आयुक्त ने दर्ज करवाई एफआईआर

बाड़मेर  शहर के बहुचर्चित खसरा न. 1431 पर कॉलोनी काटकर फर्जी तरीके से रजिस्ट्री के जरिए प्लॉट बेचान का मामला सामने आया है। नगरपरिषद से फर्जी एनओसी तैयार करवाकर खसरा न. 39/03 में सरकारी भूमि पर कॉलोनी काटने की तैयारी की तो मामला पकड़ में आया। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए आयुक्त ने सिटी कोतवाली में आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज करवा दिया है। शहर के खसरा न. 1431 में गैर मुमकिन भूमि नगरपरिषद के रिकार्ड में दर्ज है। उक्त खसरे में एक बीघा भूमि की रजिस्ट्री करवाने के बाद कॉलोनाइजर ने कॉलोनी काट दी। नगरपरिषद की ओर से जारी एनओसी के आधार पर उप पंजीयक कार्यालय बाड़मेर से प्लॉट बेचान की रजिस्ट्रियां की गई। इस मामले की शिकायत पर आयुक्त बी.एल. सोनी ने गंभीरता से लेते हुए कॉलोनाइजर से भूमि बेचान संबंधी दस्तावेज मांगे तो प्लॉट बेचान की रजिस्ट्रियां प्रस्तुत की गई। इसमें गंगासिंह पुत्र कानसिंह की ओर से आवासीय भूखंड प्यारी देवी पत्नी पुखराज को बेचान करना दर्शाया गया।

इसके साथ गृहकर अभिलेख का स्वामित्व प्रमाण पत्र भी संलग्न पाया गया। इस दौरान नगरपरिषद के वर्ष 2010 के आवक-जावक रजिस्टर का अवलोकन करने पर रजिस्टर के क्रमांक न.6541 में गंगासिंह पुत्र नीनासिंह निवासी डोला डूंगरी का नाम दर्ज मिला। जबकि यह रजिस्ट्री गंगासिंह पुत्र कानसिंह की ओर से प्यारी देवी के पक्ष में बेचान करना पाया गया।

डीएसपी को सौंपी जांच

नगरपरिषद के आयुक्त बी.एल. सोनी ने कोतवाली थाने में मामला दर्ज करवाया कि खसरा न.1431 पर पुखराज, रूपसिंह वगैरह ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए प्लॉट बेचान किए, जबकि उक्त भूमि नगरपालिका के खाते में दर्ज है। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच डीएसपी नाजिम अली को सौंपी है।


यूं पकड़ में आया मामला

गडरा रोड पर खसरा न. 1431 के सामने कॉलोनी काटने का कार्य मशीनों के जरिए चल रहा था। जब कलेक्टर वीणा प्रधान गडरा रोड से गुजरी तो देखा कि सरकारी भूमि पर जेसीबी मशीनें व ट्रेक्टरों से कार्य चल रहा है। इसकी सूचना नगरपरिषद के आयुक्त को दी। इस पर आयुक्त ने परिषद के कर्मचारियों को मौके पर भेजकर मामले की जांच करवाई तो सरकारी भूमि पर कॉलोनी बसाने का मामला सामने आया। इस दौरान तुरंत काम रुकवा दिया गया।

आयुक्त ने जारी की एनओसी

खसरा न. 1431 की भूमि बेचान की रजिस्ट्री के लिए नगरपालिका से एनओसी जारी की गई। एनओसी पर नगरपालिका के तत्कालीन आयुक्त कालू खां के हस्ताक्षर हैं। ये हस्ताक्षर सही या फर्जी इसकी हकीकत तो जांच के बाद ही सामने आएगी। मगर फर्जी तरीके से जारी एनओसी को लेकर नगरपालिका प्रशासन की भूमिका भी संदेह के दायरे में आ गई है।

॥भूमाफियाओं ने खसरा न. 1431 पर फर्जी दस्तावेजों के जरिए कॉलोनी काटकर प्लॉट बेचान किए हैं। यह मामला सामने आने पर कूटरचित दस्तावेजों के जरिए प्लॉट बेचान करने वाले भूमाफिया के खिलाफ कोतवाली में धोखाधड़ी का मामला दर्ज करवा दिया गया है। ञ्जञ्ज बी.एल. सोनी आयुक्त, नगरपरिषद बाड़मेर

महिला कराहती रही बच्चे की हो गई मौत


महिला कराहती रही बच्चे की हो गई मौत
गुस्साए परिजनों ने सुबह दस बजे तक नहीं उठाया शव

बाड़मेर शनिवार को चौहटनउपखंड मुख्यालय के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर प्रसव के लिए आई महिला करीब दो घंटे तक दर्द से कराहती रही। अस्पताल स्टाफ द्वारा ध्यान नहीं देने से बच्चे की मौत हो गई। नाराज परिजनों ने अस्पताल से बच्चे का शव दस बजे तक नहीं उठाया। अस्पताल परिसर में ग्रामीणों की भीड़ जमा हो गई। आखिरकार एसडीएम राकेश कुमार चौधरी ने अस्पताल पहुंच कर लापरवाही बरतने वाली नर्स मीरा बैरवा को जिला मुख्यालय पर एपीओ कर दिया। उसके बाद परिजनों का गुस्सा शांत हुआ।

चौहटन निवासी प्रेमकुमार पुत्र मूलाराम दर्जी ने बताया कि शनिवार सुबह साढ़े चार बजे पत्नी सुमित्रा को प्रसव पीड़ा होने पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र डिलेवरी के लिए ले जाया गया। इस दौरान अस्पताल में नर्स व कंपाउंडर उपस्थित नहीं थे। उसके बाद उन्होंने नर्स मीरा बैरवा को जाकर उठाया। नर्स ने कहा कि उसके पास ग्लब्स नहीं है और वह बिना देखे ही वापस कमरे में जाकर सो गई। परिजनों ने ब्लॉक सीएमओ को फोन किया तो उन्होंने एक कंपाउंडर को अस्पताल भेजा। शेष त्नपेज १६

उसने दर्द से कराह रही प्रसूता को इंजेक्शन लगाया। उसके थोड़ी बाद ही प्रसव पीड़ा ज्यादा होने पर परिजन फिर नर्स को बुलाने के लिए कमरे में गए, लेकिन उसने प्रसूता को देखने से मना कर दिया। उसके बाद परिजनों ने कंपाउंडर को डिलेवरी करवाने का आग्रह किया। कंपाउंडर शंकरलाल ने प्रसव पीड़ा से कराह रही सुमित्रा की डिलेवरी करवाई, लेकिन उस दौरान बच्चा मर चुका था जिससे परिजन आक्रोशित हो गए। घटना की जानकारी मिलते ही अस्पताल में ग्रामीणों की भीड़ जमा हो गई। परिजन डिलेवरी नहीं करवाने वाली नर्स को निलंबित करने की मांग पर अड़ गए तथा शव उठाने से मना कर दिया। मामला बढऩे पर ब्लॉक सीएमओ शंभु राम गढ़वीर अस्पताल पहुंचे और परिजनों से समझाइश की लेकिन वे नहीं माने। इस पर एसडीएम राकेश कुमार चौधरी ने अस्पताल पहुंच लापरवाही बरतने वाली नर्स को तुरंत जिला मुख्यालय पर एपीओ करने के निर्देश ब्लॉक सीएमओ को दिए। इस पर परिजन शांत हुए।

लाखों की अवैध शराब व बीयर बरामद

लाखों की अवैध शराब व बीयर बरामद


299 कर्टन हरियाणा व चंडीगढ़ निर्मित शराब व बीयर के साथ एक आरोपी गिरफ्तार

बाड़मेर जिले के गुड़ामालानीथाना के  ग्राम पंचायत गांधव के राजस्व गांव पालीयाली में दो जगह गुड़ामालानी पुलिस ने दबिश देकर 299 कार्टन अवैध अंग्रेजी शराब व बीयर बरामद करने के साथ एक आरोपी को गिरफ्तार किया गया है। यह शराब हरियाणा व चंडीगढ़ निर्मित है। जिला पुलिस अधीक्षक राहुल बारहट के निर्देशानुसार अवैध शराब की रोकथाम को लेकर चलाए जा रहे अभियान के तहत थानाधिकारी गौरव अमरावत के नेतृत्व में गठित दो टीमों की संयुक्त कार्रवाई के तहत पालीयाली गांव में स्थित टलाराम पुत्र खेताराम मेघवाल के घर दबिश देकर 127 कार्टन बीयर, 23 कार्टन अंग्रेजी शराब बरामद की गई। इसके अलावा हरचंदराम देवासी के खेत में रखे 134 कार्टन अवैध अंग्रेजी शराब व 15 कार्टन बीयर जप्त की गई। पुलिस ने आरोपी टलाराम को गिरफ्तार कर दोनों आरोपियों के खिलाफ आबकारी अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। टीमें एएसआई राजूसिंह व हैड कांस्टेबल रावताराम के नेतृत्व में भेजी गई।

शिक्षक के लिए आई थी खेप. अवैध शराब व बीयर की खेप एक शिक्षक के घर पहुंचाने के लिए भेजी गई थी। पुलिस ने बताया कि रा.मा.वि. गांधव में कार्यरत शारीरिक शिक्षक भागीरथराम पुत्र वीरमाराम विश्नोई लंबे समय से मादक पदार्थों की तस्करी में लिप्त है। यह खेप शिक्षक के पास पहुंचाने के बाद गुजरात भेजी जानी थी।

शनिवार, 28 जुलाई 2012

गूगल ने पेश की सबसे तेज इंटरनेट सर्विस

लंदन।। इंटरनेट की दुनिया के बड़े खिलाड़ी गूगल ने शनिवार को दुनिया की सबसे तेज स्पीड की इंटरनेट सर्विस शुरू की है। इसकी स्पीड एक गीगाबाइट प्रति सेकंड है। ऑप्टिकल फाइबर के उपयोग से मिलने वाली यह स्पीड दुनिया में लगभग सभी जगहों पर उपलब्ध इंटरनेट सर्विस से ज्यादा तेज है। इस स्पीड से 10 सेकंड में एक फिल्म डाउनलोड की जा सकती है।internet 
अखबार 'डेली मेल' की खबर के अनुसार, इंटरनेट सर्च इंजन ने मिजौरी के कानसास शहर में गूगल फाइबर नाम के अपने इस अति तेज इंटरनेट सर्विस की शुरुआत की है। गूगल इस सर्विस को भविष्य में अन्य शहरों में भी शुरू करना चाहता है ।

गूगल के मुख्य फाइनैंस ऑफिसर पैट्रिक पिशेते ने बताया, 'इसे लोगों तक पहुंचाना अगला कदम है और हम इसे फायदे में रहते हुए करने वाले हैं। हमारी यही योजना है। उन्होंने कहा, 'हम एक चौराहे पर हैं। उन्होंने कहा कि 2000 से अभी तक इंटरनेट की स्पीड ब्रॉडबैंड को आधार मान कर मापी जाती थी। पिशेते ने कहा, 'गूगल में हमारा मानना है कि इंतजार करने की कोई जरूरत नहीं है।'

बाड़मेर शहर की होटलों में हाई प्रोफाइल रेव पार्टियों का होता हें आयोजन

बाड़मेर शहर की होटलों में हाई प्रोफाइल रेव पार्टियों का होता हें आयोजन 

बाड़मेर बाड़मेर जिले में बाहरी कंपनियों के बाद से शहर में होटलों की बाढ़ सी आ गयी ,इन होटलों में निजी कंपनियों के अधिकारियों और कराम्चारियो के मन को बहलाने के लिए हाई प्रोफाईल रेव पार्टियों का आयोजन चोरी छुपे किया जा रहा हें .पुख्ता सूत्रों के अनुसार बाड़मेर की इन होटलों में जिस्म की मंडिया शनिवार और रविवार की रात को सजाई जाती हें ,सूत्रों के अनुसार इन होटलों में गुजरात से जिस्म फरोसी का धंधा करने वाली हाई प्रोफाईल लडकियों को विशेष वाहनों से बाड़मेर रात्री में लाया जता हें तथा सुबह होने से पहले वापस उन्ही वाहनों में भेजा जाता हें ,.बाहरी कम्पस्नियो में लगे गोरे अफसरों के लिए ख़ास इंतजामात किये जाकर गुजरात से धंधा करने वाली लडकियों को लाया जाता हें ,बाड़मेर में चार साल पहले जन्हा मात्र दो तीन होटले थी आज तीस से अधिक होटले बन गयी ,इन ह्जोतालो में निजी कंपनियों के कारिंदों को विशेष पैकेज दिया जता हें जिसमे जिस्म फरोसी का काम भी शास्मिल हें .सूत्रों के अनुसार बाड़मेर में पर्यटक नाम मात्र के आते हें एक साल में बाड़मेर में आने वाले पर्यटकों की संख्या मात्र पांच या छः से अधिक नहीं हें ,होटलों का मुख्य व्यवसाय इन कंपनियों पर टिका हें ,इन होटलों में कंपनियों के कारिंदों को विशेष सुविधा देने की होड़ मची हें ,बाड़मेर पुलिस को चाहिए की पिटा एक्ट के तहत गोपनीय कार्यवाही कर इनका पर्दाफास करे ,.प्रत्येक शनिवार और रविवार की रात को इन होटलों में रेव पार्टियों का आयोजन कर जिस्म की मंडिया सजाई जाती हें .

1 AUGUST से राशि बदलेगा शनि, बदलेगी साढ़ेसाती और ढैय्या

1 AUGUST से राशि बदलेगा शनि, बदलेगी साढ़ेसाती और ढैय्या


ज्योतिष के अनुसार 1 अगस्त 2012 का दिन काफी खास है। इस दिन शनि राशि बदलेगा। अभी शनि कन्या राशि में स्थित है और 1 अगस्त से तुला राशि में प्रवेश करेगा।शनि की स्थिति के अनुसार ही साढ़ेसाती और ढैय्या निर्धारित होती है। अभी जबकि शनि कन्या राशि में स्थित है तो साढ़ेसाती सिंह, कन्या और तुला राशि पर है। इसके अलावा ढैय्या मिथुन और कुंभ पर है।1 अगस्त 2012 के बाद शनि की साढ़ेसाती की स्थिति बदलेगी। इस दिन से साढ़ेसाती कन्या, तुला और वृश्चिक पर रहेगी। शनि की ढैय्या कर्क और मीन राशि पर रहेगा .कन्या राशि पर साढ़ेसाती का प्रभाव: 1 अगस्त के बाद कन्या राशि पर उतरती हुई साढ़ेसाती रहेगी। शनि के प्रभाव से इस राशि के लोगों को व्यापार में लाभ होगा। धन और संपत्ति का फायदा मिलेगा। पुराने अटके हुए कार्य पूर्ण हो जाएंगे।तुला राशि पर साढ़ेसाती का प्रभाव: जबतक शनि तुला राशि में रहेगा तबतक इस राशि के लोगों को धन का लाभ देगा। पुरानी बीमारी और कष्टों से मुक्ति मिलेगी। इस समय शनि की साढ़ेसाती का मध्यम प्रभाव तुला राशि पर रहेगा।वृश्चिक राशि पर साढ़ेसाती का प्रभाव: 1 अगस्त से इस राशि पर पुन: साढ़ेसाती का प्रभाव प्रारंभ हो रहा है। इसके प्रभाव से इन लोगों को अत्यधिक परिश्रम करना होगा। कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। विवाद होने की संभावनाएं बनेंगी। अत: इन्हें शनिदेव और हनुमानजी की पूजा करते रहना चाहिए।कर्क राशि पर ढैय्या का प्रभाव: कर्क राशि वालों पर शनि की ढैय्या 1 अगस्त से प्रारंभ होगी। इस कारण इन लोगों को घर-परिवार में क्लेश का सामना करना पड़ सकता है। विद्वानों और वृद्धजनों की सलाह लेकर कार्य करें तो लाभ होगा। यात्रा में चोरी आदि का भय बना हुआ है।मीन राशि पर ढैय्या का प्रभाव: जिन लोगों की राशि मीन है उन्हें शनि की ढैय्या से पुरानी समस्याओं से निजात मिलेगी। चोट आदि का भय रहेगा। इस राशि के दौरान इन लोगों को मान-सम्मान की प्राप्ति होगी।शनि के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए व्यक्ति को प्रति शनिवार तेल का दान करना चाहिए। तेल का दान करने से पूर्व एक कटोरी में तेल लें और उसमें अपनी छाया देखें, इसके बाद दान करें। इसके साथ ही हनुमान चालीसा का पाठ नियमित रूप से करते रहना चाहिए।