17वीं संतान भी मृत समझ छोड़ गई मां
. जयपुर. यह संभवत: प्रदेश का पहला ही मामला होगा। अलवर जिले के दलवाड़ गांव की बबली मीणा 16 बार गर्भवती हुई और हर बार प्री-मैच्योर डिलीवरी। बच्चों ने या तो जन्म से पहले ही गर्भ में दम तोड़ दिया या जन्म लेने के कुछ देर बाद।
बबली ने 6 जुलाई को भरतपुर के रस्तोगी हॉस्पिटल में 17वीं संतान को जन्म दिया तो वह भी प्री-मैच्योर था। माता-पिता ने समझा यह बच्ची भी जिंदा नहीं रहेगी। भाग्य के भरोसे उसे अस्पताल में ही छोड़ गए। बच्ची को सांस लेने में तकलीफ, आंतों में संक्रमण और पेट फूलने की शिकायत थी। उसके चाचा रामदेव मीणा आगे आए और नवजात की देखरेख का जिम्म्मा संभाला। 14 जुलाई को बच्ची को जयपुर के बेबीलोन अस्पताल में भर्ती कराया। नवजात अब स्वस्थ है। दूध भी पीने लगी है। अब उसे इंतजार है तो अपनी मां और पिता राधेश्याम का, जिन्होंने करीब 15 दिन से उसे देखा तक नहीं है।...शेष पेज त्न१०
बच्ची स्वस्थ, चाचा कर रहे देखभाल : बबली आंगनबाड़ी कार्यकर्ता है और बच्ची के चाचा रामदेव गुजरात में रेलवे फोर्स में हैड कांस्टेबल हैं। बच्ची का पिता राधेश्याम खेती करता है। शेष त्न पेज ४
रामदेव अस्पताल में बच्ची की मां की भूमिका निभा रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के हरसंभव प्रयास कर रही है। मैं भी इस नेक काम में पीछे हटने वाला नहीं हूं। रामदेव ने बताया कि बबली के सभी बच्चे प्री-मैच्योर और नॉर्मल डिलीवरी से हुए थे, लेकिन कोई जिंदा नहीं रहा। यह बच्ची उसकी 17वीं संतान है और डिलीवरी सिजेरियन हुई थी। बेबीलोन अस्पताल के डॉ. धनंजय मंगल ने बताया कि 14 जुलाई को जब रामदेव अस्पताल में इस साढ़े सात माह की नवजात बच्ची को लाए थे उस समय इसे सांस में तकलीफ, आंतों में संक्रमण एवं पेट फूलने की शिकायत थी।
अब उसकी हालत में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। बच्ची को अभी मशीन पर रखा गया है। उसे जल्द ही अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी।
उन्होंने बार-बार प्री मैच्योर डिलीवरी के लिए मां को सही तरह से पोषण नहीं मिलने तथा आनुवांशिकता को कारण बताया।
ऐसे केस बहुत कम
वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. सुनिला खंडेलवाल ने बताया कि मैंने तो ऐसे मामले नहीं हैं कि लगातार 16 प्री मैच्योर डिलीवरी हों और सभी बच्चे मर जाएं। बच्चों की मौत के पीछे आनुवांशिक, मां व बच्चे में संक्रमण, यूट्रस की बनावट में खराबी, संक्रमण एवं मुंह का ज्यादा खुलना आदि कारण हो सकते हैं। इसके अलावा पोषण व खून की कमी भी इसके कारण हैं। लगातार ऐसा होने पर महिला को ब्लड, हिस्ट्रोस्कोपी एवं एंटी फॉस्फोलिपिड एंटी बॉडीज सिन्ड्रोम जांच करानी चाहिए।पुलिस ने थाने में ही शुरू कर दी समाज की पंचायत
बिराई निवासी हस्ती नट का पास की ढाणी में रहने वाली एक युवती से प्रेम संबंध होने से उसके घर आना-जाना था। गुरुवार को युवती के परिजनों ने दोनों को मिलते हुए देख लिया। युवती के परिजनों ने गुरुवार शाम युवक के पिता लालाराम पुत्र अंग्रेज नट को अपनी ढाणी में बुलाया और उसे डांटने लगे। वहां मौजूद लोगों ने लाला के सिर के बाल व मूंछें काट दी। इसके बाद उसके मुंह पर कालिख पोत दी। पीडि़त चिल्लाता रहा पर किसी ने उसकी नहीं सुनी। उसे धमकाया गया कि यदि वह पुलिस थाने गया तो उसके बेटे के खिलाफ ज्यादती का मामला दर्ज कराया जाएगा। पहले तो वह चुप रहा, लेकिन बाद में परिजनों को आप बीती सुनाई। शनिवार दोपहर को पीडि़त अपने परिजनों के साथ खेड़ापा पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने पहुंचा। तब पुलिस ने समाज के पंचों को बुला लिया और थाने में ही समाज की पंचायत शुरू करवा दी। शाम को जोधपुर में मामले की जानकारी उच्चाधिकारियों को मिलने के बाद थाने में मामला दर्ज कर लिया गया।
१६ संतानें, एक बार जुड़वां भी
पहले ६ बच्चे छह माह के जन्मे
7 व 8 वां भरतपुर के रस्तोगी
अस्पताल में, मृत जन्मे
9 से 12वां सात माह के जन्मे
13वां जुड़वां, मृत
14 से 16वां छह से साढ़े सात माह,
मृत जन्मे
16 डिलीवरी प्री-मैच्योर : अलवर जिले की महिला के पहले सभी 16 बच्चों की हो चुकी थी मौत
. जयपुर. यह संभवत: प्रदेश का पहला ही मामला होगा। अलवर जिले के दलवाड़ गांव की बबली मीणा 16 बार गर्भवती हुई और हर बार प्री-मैच्योर डिलीवरी। बच्चों ने या तो जन्म से पहले ही गर्भ में दम तोड़ दिया या जन्म लेने के कुछ देर बाद।
बबली ने 6 जुलाई को भरतपुर के रस्तोगी हॉस्पिटल में 17वीं संतान को जन्म दिया तो वह भी प्री-मैच्योर था। माता-पिता ने समझा यह बच्ची भी जिंदा नहीं रहेगी। भाग्य के भरोसे उसे अस्पताल में ही छोड़ गए। बच्ची को सांस लेने में तकलीफ, आंतों में संक्रमण और पेट फूलने की शिकायत थी। उसके चाचा रामदेव मीणा आगे आए और नवजात की देखरेख का जिम्म्मा संभाला। 14 जुलाई को बच्ची को जयपुर के बेबीलोन अस्पताल में भर्ती कराया। नवजात अब स्वस्थ है। दूध भी पीने लगी है। अब उसे इंतजार है तो अपनी मां और पिता राधेश्याम का, जिन्होंने करीब 15 दिन से उसे देखा तक नहीं है।...शेष पेज त्न१०
बच्ची स्वस्थ, चाचा कर रहे देखभाल : बबली आंगनबाड़ी कार्यकर्ता है और बच्ची के चाचा रामदेव गुजरात में रेलवे फोर्स में हैड कांस्टेबल हैं। बच्ची का पिता राधेश्याम खेती करता है। शेष त्न पेज ४
रामदेव अस्पताल में बच्ची की मां की भूमिका निभा रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के हरसंभव प्रयास कर रही है। मैं भी इस नेक काम में पीछे हटने वाला नहीं हूं। रामदेव ने बताया कि बबली के सभी बच्चे प्री-मैच्योर और नॉर्मल डिलीवरी से हुए थे, लेकिन कोई जिंदा नहीं रहा। यह बच्ची उसकी 17वीं संतान है और डिलीवरी सिजेरियन हुई थी। बेबीलोन अस्पताल के डॉ. धनंजय मंगल ने बताया कि 14 जुलाई को जब रामदेव अस्पताल में इस साढ़े सात माह की नवजात बच्ची को लाए थे उस समय इसे सांस में तकलीफ, आंतों में संक्रमण एवं पेट फूलने की शिकायत थी।
अब उसकी हालत में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। बच्ची को अभी मशीन पर रखा गया है। उसे जल्द ही अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी।
उन्होंने बार-बार प्री मैच्योर डिलीवरी के लिए मां को सही तरह से पोषण नहीं मिलने तथा आनुवांशिकता को कारण बताया।
ऐसे केस बहुत कम
वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. सुनिला खंडेलवाल ने बताया कि मैंने तो ऐसे मामले नहीं हैं कि लगातार 16 प्री मैच्योर डिलीवरी हों और सभी बच्चे मर जाएं। बच्चों की मौत के पीछे आनुवांशिक, मां व बच्चे में संक्रमण, यूट्रस की बनावट में खराबी, संक्रमण एवं मुंह का ज्यादा खुलना आदि कारण हो सकते हैं। इसके अलावा पोषण व खून की कमी भी इसके कारण हैं। लगातार ऐसा होने पर महिला को ब्लड, हिस्ट्रोस्कोपी एवं एंटी फॉस्फोलिपिड एंटी बॉडीज सिन्ड्रोम जांच करानी चाहिए।पुलिस ने थाने में ही शुरू कर दी समाज की पंचायत
बिराई निवासी हस्ती नट का पास की ढाणी में रहने वाली एक युवती से प्रेम संबंध होने से उसके घर आना-जाना था। गुरुवार को युवती के परिजनों ने दोनों को मिलते हुए देख लिया। युवती के परिजनों ने गुरुवार शाम युवक के पिता लालाराम पुत्र अंग्रेज नट को अपनी ढाणी में बुलाया और उसे डांटने लगे। वहां मौजूद लोगों ने लाला के सिर के बाल व मूंछें काट दी। इसके बाद उसके मुंह पर कालिख पोत दी। पीडि़त चिल्लाता रहा पर किसी ने उसकी नहीं सुनी। उसे धमकाया गया कि यदि वह पुलिस थाने गया तो उसके बेटे के खिलाफ ज्यादती का मामला दर्ज कराया जाएगा। पहले तो वह चुप रहा, लेकिन बाद में परिजनों को आप बीती सुनाई। शनिवार दोपहर को पीडि़त अपने परिजनों के साथ खेड़ापा पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने पहुंचा। तब पुलिस ने समाज के पंचों को बुला लिया और थाने में ही समाज की पंचायत शुरू करवा दी। शाम को जोधपुर में मामले की जानकारी उच्चाधिकारियों को मिलने के बाद थाने में मामला दर्ज कर लिया गया।
१६ संतानें, एक बार जुड़वां भी
पहले ६ बच्चे छह माह के जन्मे
7 व 8 वां भरतपुर के रस्तोगी
अस्पताल में, मृत जन्मे
9 से 12वां सात माह के जन्मे
13वां जुड़वां, मृत
14 से 16वां छह से साढ़े सात माह,
मृत जन्मे
16 डिलीवरी प्री-मैच्योर : अलवर जिले की महिला के पहले सभी 16 बच्चों की हो चुकी थी मौत
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