रविवार, 15 जुलाई 2012

PHOTOS: अंतरिक्ष में पहुंचीं सुनीता, नवंबर में लौटेंगी

नई दिल्ली.भारतीय मूल अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स ने कजाकिस्तान के बेकोनुर स्पेस स्टेशन से अंतरिक्ष के लिए रविवार सुबह उड़ान भरी और 10 मिनट में ही वे अंतरिक्ष में दाखिल हो गईं। वे 3 सदस्यीय एक्सपीडीशन 32 टीम का हिस्सा हैं।
PHOTOS: अंतरिक्ष में पहुंचीं सुनीता, नवंबर में लौटेंगी  PHOTOS: अंतरिक्ष में पहुंचीं सुनीता, नवंबर में लौटेंगी  PHOTOS: अंतरिक्ष में पहुंचीं सुनीता, नवंबर में लौटेंगी  PHOTOS: अंतरिक्ष में पहुंचीं सुनीता, नवंबर में लौटेंगी 
यह सुनीता की दूसरी अंतरिक्ष यात्रा है। वे 4 महीनों तक अंतरिक्ष में रहेंगी। सुनीता अपने साथ मेढक और मछली ले जा रही हैं। इन जीवों को अंतरिक्ष में रखा जाएगा ताकि इस बात का पता लगाया जा सके कि वहां जीव किस तरह जिंदा रह सकते हैं। यह मिशन नवंबर में खत्म होगा।
सुनीता विलियम्स एक्सपीडिशन 32 की फ्लाइट इंजीनियर हैं। वे सोयुज अंतरिक्ष यान से रवाना हुई हैं। अगले 2 दिनों में सुनीता का अंतरिक्ष यान अंतरिक्ष में मौजूद इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंचेगा। जहां पहले से ही 3 लोग की मदद से सुनीता की टीम के 3 सदस्य अनुसंधान करेंगे। उनकी टीम करीब 200 प्रयोग करेगी। माना जा रहा है कि इन प्रयोगों से मंगल ग्रह पर जीवन की संभावनाओं का पता लगाने में मदद मिलेगी।
 सुनीता विलियम्स के मुताबिक स्पेसवॉक में सबसे अच्छी बात ये है कि आप किसी भी दिशा में मु़ड़ सकते हैं। आप अंतरिक्ष से सूर्योदय या सूर्यास्त देख सकते हैं। आप पृथ्वी को भी आराम से देख सकते हैं। आप जिधर चाहें उधर देख सकते हैं। सूरज निकलने के बाद मैंने अंतरिक्ष से पृथ्वी को देखा। तब मुझे अहसास हुआ कि हमारी पृथ्वी कितनी सुंदर है।
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गुवाहाटी मामलाः 'बदनाम' अमर ज्योति धरा गया, रिपोर्टर ने दिया इस्तीफा



नई दिल्ली. गुवाहाटी में बीती सोमवार रात नाबालिग लड़की से छेड़छाड़ करने वाले 11 आरोपियों में से एक और को रविवार को भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार कर लिया।
गुवाहाटी मामलाः 'बदनाम' अमर ज्योति धरा गया, रिपोर्टर ने दिया इस्तीफा 

वहीं फेसबुक के जरिये चलाई गई मुहिम के बाद गुवाहाटी में सैंकड़ों लोगों ने समाचार चैनल न्यूजलाइव के दफ्तर के बाहर प्रदर्शन किया। चैनल के रिपोर्टर गौरव ज्योति ने भी इस्तीफा दे दिया है। आरटीआई कार्यकर्ता अखिल गोगोई ने गौरव ज्योति पर भीड़ को निर्देशित करने और घटना को प्लान करने का आरोप लगाया है। वहीं न्यूजलाइव के चीफ एडिटर अतानु भूयां ने ट्वीट किया, 'अखिल गोगोई के नेतृत्व में 50-100 कृषक मुक्ति कार्यकर्ता न्यूजलाइव को बंद करने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। अतानु ने यह ट्वीट करीब चार बजे किया।


इसी बीच महिला आयोग के आदेश के बाद उस बार को भी बंद कर दिया गया है जिसके बाहर नौ जुलाई की रात को यह घटना घटी थी। आरोपियों की धरपकड़ के बीच 4 आरोपी अब भी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं। असोम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई की 48 घंटों की डेडलाइन भी खत्म होने को है, लेकिन अभी तक ये गुनहगार कानून की पकड़ से बाहर हैं।


गोगोई के अल्टीमेटम के बावजूद पुलिस अब तक सिर्फ 6 आरोपियों को ही गिरफ्तार कर सकी है। ताज़ा घटनाक्रम में असोम पुलिस ने दो अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इन दोनों आरोपियों के नाम नवज्योति और दिगंतो बताया जा रहे हैं।


वहीं, असोम के कई संगठन लड़की के साथ हुईज़्यादती के खिलाफ आवाज़ उठा रहे हैं। ये संगठन सभी आरोपियों की अब तक गिरफ्तारी न होने से नाराज हैं।

पूर्व सांसद हस्ताक्षर कर देंगे समर्थन


आरटेट में राजस्थानी भाषा को शामिल करने को लेकर अहिंसा चौराहे पर हस्ताक्सर अभियान सोमवार को 

पूर्व सांसद हस्ताक्षर कर देंगे समर्थन 

बाड़मेर अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति बाड़मेर के तत्वाधान में आरटेट में राजस्थानी भाषा को शामिल करने की मांग को लेकर चलाये जा रहे हस्ताक्षर अभियान सोमवार को अहिंसा चौराहे पर आयोजित किया जाएगा .सोमवार प्रातः ग्यारह बजे पूर्व सांसद मानवेन्द्र सिंह आर टेट में राजस्थानी भाषा को शामिल करने की मांग के समर्थन में हस्ताक्षर अभियान में समिलित होंगे .राजस्थानी छात्र परिषद् के जिला अध्यक्ष अशोक सारला ने बताया की जोधपुर संभाग उप पाटवी चन्दन सिंह भाटी प्रदेश महामंत्री राज्केंद्र बारहट के निर्देशानुसार आर टेट में राजस्थानी भाषा को समिलित करने की मांग को लेकर वृहद स्तर पर हस्ताक्षर अभियान चलाया जा रहा हें ,सोमवार को पूर्व सांसद मानवेन्द्र सिंह ग्यारह बजे हस्ताक्षर करने स्थल पर पहुंचेंगे

भूमि अवाप्ति के विरोध में मिले ग्रामीण मानवेन्द्र सिंह से

 भूमि अवाप्ति के विरोध में मिले ग्रामीण मानवेन्द्र सिंह से 



बाड़मेर शिवकर बेल्ट म्वें आर एस एम एम द्वारा की जाने वाली भूमि अवाप्ति को रोकने की मांग लेकर बड़ी तादाद में इस क्षेत्र के लोगो ने पूर्व सांसद मानवेन्द्र सिंह से मुलाक़ात कर भूमि अवाप्ति को रोकने की मांग की .रविवार को सर्किट हाउस में मानवेन्द्र सिंह से मिलने बड़ी संख्या में भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारी और कार्यकर्ता मिलने पहुंचे.कार्यकर्ताओ से मुलाक़ात कर क्षेत्र की समस्याओ के बारे में जानकारी ली .मानवेन्द्र सिंह से शिवकर क्षेत्र में आर एस एम एम द्वारा की जाने वाली भूमि अवाप्ति के विरोध में क्षेत्र के वासिंदे छगन सिंह राठोड के नेतृत्व में मानवेन्द्र सिंह से मिले .उन्होंने सरकार की दोगली निति का विरोध जताया .उन्होंने अवगत कराया की किसान भूमि देने के पक्ष में नहीं हें ,सरकार ने जानबूझ कर जरिये समाचार पत्र के नोटिस जारी किये ,पीड़ित किसानो ने बताया की सरकार ने दस लाख रूपये प्रति बीघा दर निर्धारित की हें जबकि इस जमीन की बाज़ार दर पचास लाख रुपये प्रति बीघा हें .पीड़ित किसान वर्ग के लोगो ने बताया की सरकार ने भेद भाव कर प्रभावशाली लोगो की जमीनों को अवाप्ति से जानबूझ कर वंचित रखा हें .मानवेन्द्र सिंह ने किसानो को इस मामले में पूर्ण मदद का भरोसा दिया.भाजपा के वरिष्ठ नेता पूर्व प्रदेश मंत्री स्वरुप सिंह चाडी,मूलाराम चौधरी ,सुशीला मेहता ,शंकर लाल गोली ,राजेन्द्र सिंह भींयाद सहित बड़ी तादाद में पदाधिकारी और कार्यकर्ता मानवेन्द्र सिंह से मिलाने पहुंचे .कार्यकर्ताओ ने उन्हें राज्य सरकार द्वारा जन हित के विरोध में किये जा रहे कार्यो से भी अवगत कराया .इससे पूर्व मानवेन्द्र सिंह ने नागना में ब्नाग्नेचिया माता के मंदिर में धोक लगी .

गडरा को लगा झटका!

गडरा को लगा झटका!
जैसलमेर। इंदिरा गांधी नहर के मुहाने बसे जैसलमेर जिले के बशिंदो को बाबा रामदेव ब्रांच यानि गडरा शाखा को पूरा कराने का अभी भी इंतजार है। जानकारी के मुताबिक राज्य सरकार इंदिरा गांधी नहर परियोजना के 19 लाख हैक्टयर सिंचित क्षेत्र को घटाकर 16 लाख हैक्टयर तक सीमित कर रही है। वर्तमान मे नहर के निर्माण का कार्य करीब आठ वर्षो से बंद पड़ा है। परियोजना के 19 लाख हेक्टयर मे पांच लाख हेक्टयर लिफ्ट योजनाओ का शामिल है। ये योजनाएं आर्थिक दृष्टि से अधिक खर्चीली है, जिसमे काफी विद्युत शक्ति की जरूरत पड़ती है।

इस परियोजना के अंतिम छोर बाबा रामदेव ब्रांच का क्षेत्र प्राकृतिक ढलान मे है, जिसका निर्माण जरूरी है। जानकारो के मुताबिक गडरा ब्रांच का कार्य पूर्ण नहीं होता है तो इस शाखा का कुल प्राकृतिक ढलना का कृçष्ा योग्य कमांड क्षेत्र 2 लाख 6 हजार 126 हेक्टर असिंचित रह जाएगा, जिसमे बाड़मेर जिले की 60 हजार हेक्टयर भूमि है। इस निर्णय से इंदिरा गांधी नहर का पानी बाड़मेर जिले मे प्रवेश नहीं कर पाएगा और जिले का भी बड़ा भाग नहरी पानी से वंचित रहेगा।

महत्व यह भी
इंदिरा गांधी नहर भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा के समांतर चलती है। गडरा रोड ब्रांच के पूर्ण होने पर पूरी सीमा को कवर करती है। इस क्षेत्र मे पेयजल की बड़ी किल्लत है। आपातकाल के दिनो मे सुरक्षा विभाग को इसी नहर से पानी की आपूर्ति की गई थी। सामरिक दृष्टि से इस परियोजना के महत्व को सुरक्षा विभाग भी अनुश्ंासा करना रहा है।

महत्पूर्ण योजना
राष्ट्रीय सुरक्षा, पश्चिमी राजस्थान मे पेयजल स्थाई स्रोत, अकाल का स्थाई समाधान और बढ़ते हुए रेगिस्तान को रोकने के लिए जैसलमेर व बाड़मेर जिले की यह एक महत्वपूर्ण योजना है। इस निर्माण कार्य मे वन्य जीव अभ्यारण्य राष्ट्रीय मरू उद्यान की जो बाधा बताई जा रही है, उसका निवारण राष्ट्रीय हित मे किया जा सकता है। यह वन्य जीव अभ्यारण्य की योजना वर्ष 1980-81 मे बनी थी, जबकि नहर की योजना 1958 मे तय की गई थी।

यह है जरूरत
जानकारो के मुताबिक राज्य सरकार हरिके बेरिज मे पानी की कमी के कारण सिंचित क्षेत्र घटाना चाहती है तो लिफ्ट योजनाओ का कार्य सीमित करने की जरूरत है, न कि प्राकृतिक ढलाना के नहर निर्माण को। इस संबंध मे समूचे प्रकरण की तकनीकी जांच करवाकर इंदिरा गांधी नहर परियोजना का पुनरिक्षण करने व बाबा रामदेव ब्रांच को पूर्ण करने की जरूरत है।

जिंदा दफन लाडलों की "माटी" मिली

जिंदा दफन लाडलों की "माटी" मिली
चौहटन। उपखण्ड के ठठर का डेर गांव में पिछले सात दिनों से लगातार जारी रेस्क्यू ऑपरेशन शनिवार तड़के करीब तीन बजे पूरा हो गया। करीब 162 घंटों तक जमीन में दबे रहे दो युवकों के शव 100 फीट की गहराई से बाहर निकालने में कामयाबी हासिल की गई। प्रशासन द्वारा ग्रामीणों की मदद से चलाए गए इस ऑपरेशन में प्रशासन की सांसे अटकी हुई थी। वहीं मीरा खान एवं गबर खान के परिजनों को अपने लाडलों की "माटी" का दीदार करने की उम्मीदे थी। शनिवार तड़के जब एक के बाद, दूसरा शव बाहर निकालने में कामयाबी हासिल हुई तो प्रशासन ने राहत की सांस ली।

यूं हुआ था हादसा
बामणोर पंचायत के ठठर का डेर गांव में मोहमद के खेत में कुआ खुदाई का कार्य चल रहा था। मीरा खान एवं गबर खान सहित चार जने इस कार्य में लगे थे। करीब सौ फीट गहराई तक कुआ खोद रहे मीर खान व गबर खान अंदर उतरे हुए थे कि साठ फीट ऊंचाई से फर्मा टूटा और दरकती रेत में दोनो दब गए। शनिवार की शाम को यह हादसा हुआ।

मिशन में जुटे थे सैकड़ो हाथ
पिछले शनिवार को हुए इस हादसे के बाद तत्काल प्रारम्भ किए इस रेस्क्यू आपरेशन में कुएं में उतरने वाले एक दर्जन मददगारों के अलावा सैकड़ों लोग इस कार्य में सहयोगी बने। हरपालिया के सच्चू खान, उपखण्ड अधिकारी राकेश चौधरी, बामणोर सरपंच गुलामशाह, नायब तहसीलदार नानगाराम चौधरी, एईन सुजानाराम के निर्देशों में 162 घंटों तक चले इस ऑपरेशन में आखिर कामयाबी मिल गई।

पहले मीरा खान बाद में गबर
शुक्रवार आधी रात बाद करीब साढ़े बारह बजे मीर खान का शव बाहर निकाला गया तथा उसी के पास रेत में धंसे गबर खान को शनिवार तड़के कुएं से बाहर निकालने में कामयाबी मिल पाई।

कितनोरिया में सुपुर्दे खाक
ठठर का डेर की जमीन 100 फीट गहरे मिट्टी में दबे मीर खां (30) पुत्र शरीफ खां एवं गबर खान (30) पुत्र सुमार खां के शव निकालने के बाद उनकी पार्थिव देह को उनके गांव कितनोरिया पहुंचाया गया। यहां सैकड़ो लोगों की मौजूदगी में कब्रगाह में सुपुर्दे खाक किया गया।

परिजनों को बंधाया ढाढस
विधायक पदमाराम मेघवाल, श्रम समिति के अध्यक्ष गफूर अहमद, उपखण्ड अधिकारी राकेश चौधरी ने कितनोरिया गांव पहुंचकर मृतकों के परिजनों को ढाढस बंधाया तथा दोनो ही बीपीएल परिवारों को राजकीय सहायता दिलाने का आश्वासन दिया। विधायक ने बताया कि इन्हें पन्नाधाय अमृतकलश योजना से पचहतर-पचहतर हजार रूपए एवं मुख्यमंत्री सहायता कोष से 20-20 हजार रूपए की सहायता दिलाई जाएगी। इनकी पत्नियों को पेंशन प्रारम्भ करवाने के निर्देश दिए गए है।

बेटी पैदा हुई,बाप ने जिंदा दफना दिया

बेटी पैदा हुई,बाप ने जिंदा दफना दिया
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में एक पिता ने एक दिन पूर्व जन्मी अपनी बेटी को जिंदा दफना दिया। पुलिस ने पिता चांद खान को गिरफ्तार कर लिया। खान ने डाक्टरों से आग्रह किया था कि वे उसकी नवजात बेटी को जहरीला इंजेक्शन दे दें लेकिन डाक्टरों ने ऎसा करने से मना कर दिया। इसके बाद उसने नवजात बेटी को जिंदा दफना दिया।

घटना खानेवाल शहर के काचा खू इलाके की है। दफनाए जाने के समय उसका भाई और पुत्र मौजूद थे। एक धर्मगुरू के जनाजे की नमाज पढ़ने के बाद उसे दफनाया गया। धर्मगुरू को जब बच्ची के रोने की आवाज सुनाई पड़ी तो उसे संदेह हुआ और उसने स्थानीय निवासियों को सूचित किया। पिता चांद खान और उसके पुत्र को स्थानीय निवासियों ने पुलिस को सौंप दिया। बच्ची की मां अब भी अस्पताल में है।

सुनीता दूसरी अंतरिक्ष यात्रा पर रवाना

सुनीता दूसरी अंतरिक्ष यात्रा पर रवाना
वाशिंगटन। भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स रविवार को दूसरी बार अंतरिक्ष यात्रा पर रवाना हुई। सुनीता साल 2006 में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र (आईएसएस) में छह माह गुजार चुकी हैं। सुनीता महिला के रूप में सबसे लम्बी अंतरिक्ष उड़ान (195 दिन) का रिकॉर्ड बना चुकी हैं।

सुनीता ने कजाकिस्तान के बैकानूर कास्मोड्रोम से रविवार सुबह 8:10 बजे रूसी संघीय अंतरिक्ष एजेंसी के फ्लाइट इंजीनियर यूरी मालेन्चें और जापान के अंतरिक्ष अन्वेषण एजेंसी के अकिहिको होशिदे के साथ उड़ान भरी। यूरी अपने साथ अपनी बेटी की एक गुडिया भी अंतरिक्ष में ले गए हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने पिछले साल अपनी अंतरिक्ष शटल परियोजना बंद कर दी थी जिसके बाद से अंतरिक्ष में जाने वाले यात्रियों के लिए रूसी सोयुज रॉकेट ही फिलहाल सबसे प्रमुख साधन है।

नासा के अनुसार तीनों अंतरिक्ष यात्रियों का यान "सोयुज टीएमए-05 एम" अंतरिक्ष में परिक्रमा कर रहे आईएसएस स्थित रैस्वेट मॉडयूल से मंगलवार को जुडेगा। आईएसएस पर मौजूद एस्पपडिशन 32 के सदस्यों कमांडर जेनाडी पेडेल्का और फ्लाइट इंजीनियर जोए अकाबा व सर्जेई रेविन से उनकी मुलाकात होगी।

सुनीता आईएसएस पहुंचने पर एक्सपेडिसन-33 के कमांडर का कार्य संभालेंगी। उनकी टीम ने लंदन ओलंपिक के मौके पर अंतरिक्ष में खेल का आयोजन करने की तैयारी की है। उन्होंने हाल ही कहा था, मुझे जमीन पर काम करने से आसान अंतरिक्ष में चलना लगता है। मुझे पूरी आशा है कि ये यात्रा बिना किसी परेशानी के होगी। मेरी टीम बहुत अच्छी है और हम लोग मिलकर काम करते हैं। इसलिए इस यात्रा में सब कुछ सामान्य होना चाहिए।

अंतरिक्ष में कार्यक्रम बहुत व्यस्त होगा -
नासा के मुताबिक सुनीता विलियम्स और उनके सहयोगियों का अंतरिक्ष केंद्र में कार्यक्रम बहुत व्यस्त होगा। इनमें दो स्पेस वॉक के अलावा जापानी और अमरीकी वाणिज्यिक और रूसी आपूर्ति यानों का शोध शामिल है। सुनीता और उनकी टीम नवंबर के मध्य में धरती पर लौटेगी।


सुनाती ने बनाया रिकॉर्ड -
विलियम्स ने 2006 में अपनी पहली अंतरिक्ष यात्रा के दौरान महिला अंतरिक्ष यात्री के रूप में तीन रिकॉर्ड बनाए थे - सबसे लम्बी अंतरिक्ष उड़ान (195 दिन), अंतरिक्ष भ्रमणों की संख्या (चार), और अंतरिक्ष भ्रमणों पर खर्च हुआ कुल समय (29 घंटे और 17 मिनट)। गुजरात के रहने वाले अमरीकी भारतीय पिता और स्लोवेनियाई मां की संतान सुनीता अंतरिक्ष में इतना समय बिताने वाली पहली महिला अंतरिक्ष यात्री हैं।

कल्पना चावला के बाद नासा द्वारा किसी अंतरिक्ष मिशन के लिए चुनी गईं विलियम्स भारतीय मूल की दूसरी महिला हैं और रोनाल्ड एम. सेगा के बाद स्लॉवेनियाई मूल की दूसरी अंतरिक्ष यात्री हैं। उनसे पहले दिवंगत कल्पना चावला भी अंतरिक्ष में जा चुकी थीं। साल 2003 में पृथ्वी पर लौटते हुए उनका यान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था जिसमें सभी यात्रियों की मौत हो गई थी।

1988 में हुआ था चयन -
अमेरिकी नौसैन्य अकादमी से 1987 में स्त्रातक विलियम्स, नासा द्वारा 1998 में अंतरिक्ष यात्री के उम्मीदवार के रूप में चुने जाने से पहले नौसैन्य अधिकारी के रूप में विभिन्न भूमिकाएं निभा चुकी हैं। सुनीता ने 1995 में फ्लोरिडा इंस्टीटयूट ऑफ टेक्नोलॉजी से मास्टर्स डिग्री ली थी। उन्हें एक्सपिडिशन 14 की सदस्य के तौर पर 2006 में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र में काम सौंपा गया था और बाद में वे एक्सपिडिशन 15 से जुड़ी।

बीवी ने गुंडों से शौहर के हाथ पैर तुड़वाए

बीवी ने गुंडों से शौहर के हाथ पैर तुड़वाए
मुंबई। मुंबई में एक बीवी ने अपने ही पति की गुंडों से पिटाई करवा दी। पत्नी को शक था कि पति के अवैध संबंध हैं। 45 साल की महिला ने गुंडों से कहा था कि वे उसके पति के हाथ पैर तोड़ दें। इस बात का खुलासा तब हुआ तब दो आरोपी पुलिस के हत्थे चढ़े।

पुलिस ने अशोक कोडकांति और घोषपाक शेख को गिरफ्तार किया है। इन दोनों ने 19 जून को बालकृष्ण नायक पर हमला बोला था। इन्होंने नायक को लूटा था। मुख्य आरोपी आशा नायक को भी पुलिस ने हिरासत में लिया है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक 19 जून को करीब 3.30 बजे सीजीएस कॉलोनी में दो लोगों ने बालकृष्ण नायक पर डंडों से हमला किया।

उन्होंने नायक से 22 हजार 550 रूपए भी लूट लिए। नायक टैक्सी ड्राइवर है। उसने पुलिस में एनटॉप हिल पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कराई। अलग से मामले की जांच करने वाली क्राइम ब्रांच की यूनिट 4 ने शुक्रवार को दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया। पूछताछ में शेख ने बताया कि नायक की पत्नी आशा ने उन्हें पति की पिटाई करने को कहा था। इसके लिए उसने 20 हजार रूपए भी दिए थे। आशा को लगता था कि पिटाई के बाद नायक दूसरी औरत के पास जाना बंद कर देगा।

कलेक्टर ने किया अस्पताल का निरीक्षण


कलेक्टर ने किया अस्पताल का निरीक्षण


आहोर



उपखंड मुख्यालय पर स्थित राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का शनिवार को कलेक्टर राजन विशाल ने आकस्मिक निरीक्षण कर निशुल्क दवा वितरण केंद्र और लेबर कक्ष सहित अस्पताल की व्यवस्थाओं के साथ अस्पताल में भर्ती मरीजों से जानकारी ली। वहीं सामूजा से छागाड़ी गांव की सरहद तक बनने वाली ग्रेवल सड़क का जायजा लिया।

कलेक्टर ने शनिवार को अस्पताल का जायजा लेते हुए लेबर, आपात चिकित्सा कक्ष, जेएसवाई योजना, प्रसव कक्ष जेएसवाई वार्ड, ऑपरेशन कक्ष, निशुल्क दवा केंद्र, प्रयोगशाला का निरीक्षण किया। साथ ही अस्पताल में बंद पड़े जनरेटर एवं ब्लड स्टोरेज को शीघ्र शुरू करवाने को लेकर चिकित्सा प्रभारी डॉ. घनश्याम त्रिपाठी, ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी डॉ. वेदप्रकाश मीणा को निर्देश दिए। साथ ही कलेक्टर राजन विशाल अस्पताल में महिला मरीजों से रूबरू भी हुए। निरीक्षण के दौरान डॉ. घनश्याम त्रिपाठी ने कलेक्टर को अवगत करवाया कि अस्पताल में एमओ गायनिक के पद रिक्त होने से मरीजों के साथ कार्यरत चिकित्सकों को भी परेशान होना पड़ रहा है। इस मौके पर एसडीएम लोकेश मीणा, मुख्य कार्यकारी अधिकारी पीआर पंडत, नायब तहसीलदार चुन्नीलाल प्रजापत, पटवारी राजाराम चौधरी, पंचायत समिति सहायक अभियंता एम.एल. चौधरी, डॉ. आर. सी. सोनी, वैद्य हरजीराम विश्नोई, अन्नाराम देवासी, दलपतसिंह, कैलाशसिंह सहित नर्सिंग स्टॉफ से भी जानकारी प्राप्त की। इसी प्रकार कलेक्टर राजन विशाल ने चरली गांव स्थित राजकीय माध्यमिक विद्यालय का निरीक्षण किया।

एएनएम लगाने की मांग : आहोर अस्पताल में निरीक्षण के दौरान कलेक्टर से शंखवाली के नवलसिंह और मदनसिंह सहित ग्रामीणों ने शिकायत कर बताया कि पिछले कई दिनों से शंखवाली गांव स्थित उप स्वास्थ्य केंद्र पर कार्यरत एएनएम का तबादला होने के कारण पद रिक्त होने से ग्रामीण महिलाओं को परेशानी हो रही है। ग्रामीणों ने एएनएम लगाने की मांग की है।

गुडा बालोतान. कलेक्टर राजन विशाल ने शनिवार को मादड़ी गांव स्थित टिपरू नाड़ी में चल रहे मनरेगा कार्यों का जायजा लिया। इस दौरान उन्होंने श्रमिकों की उपस्थिति, मनरेगा स्थलों पर छाया और पानी की जानकारी ली। उन्होंने मनरेगा की मार्ग दर्शिका के अनुसार कार्य स्थल तक सुविधा मुहैया करवाने को लेकर ग्रामसेवक राजेश देवल को निर्देश दिए। इस दौरान मुख्य कार्यकारी अधिकारी पीआर पंडत, उपखंड अधिकारी लोकेश मीणा, कार्यवाहक विकास अधिकारी मोहनलाल चौधरी, कैलाशसिंह, मोहनसिंह, किसाराम, रोजगार सहायक नरेन्द्रसिंह और मेट किकाराम सहित कई श्रमिक मौजूद थे।

गुडा बालोतान के मादड़ी गांव स्थित टिपरू नाड़ी में चल रहे मनरेगा कार्यों का लिया जायजा

आहोर. अस्पताल का निरीक्षण करते कलेक्टर राजन विशाल।

सिंधी कॉलोनी स्थित रुद्रेश्वर महादेव मंदिर में दिनभर रही श्रद्धालुओं की कतार

सिंधी कॉलोनी स्थित रुद्रेश्वर महादेव मंदिर में दिनभर रही श्रद्धालुओं की क  तार
.पाली शहर के सिंधी कॉलोनी स्थित रुद्रेश्वर महादेव मंदिर में शनिवार को नंदी को दूध पिलाने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। इधर, शहर के और भी शिव मंदिरों सहित जिले के सादड़ी, सोजत रोड, आनंदपुर कालू व खिंवाड़ा कस्बे में भी अफवाह के चलते शिवजी के वाहन नंदी को दूध पिलाने की हौड़ मची रही। खबर फैलते ही आसपास के श्रद्धालु मंदिर में दूध लेकर पहुंच गए तथा चम्मच से नंदी को दूध पिलाने लगे।

रुद्रेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी राधेश्याम शर्मा ने बताया कि क्षेत्र में अच्छी बारिश की कामना को लेकर शनिवार को नंदी को दूध पिलाया गया। कामधेनु राष्ट्रीय गोरक्षा समिति के जिलाध्यक्ष सोहनसिंह के नेतृत्व में यहां गजेंद्रसिंह मंडली ने भजनों की प्रस्तुति दी तो श्रद्धालु झूमने लगे।इस अवसर पर किशन चंदानी, कबीर भाई, लालू भाई, पूर्व पार्षद मोती मोटवानी, सीतलदास शीतल, पंकज छुगानी आदि ने बारिश के लिए प्रार्थना की।

बाघ बचाने जंगल में अमिताभ


रणथंभौर सदी के महानायक अमिताभ बच्चन शनिवार को बाघ बचाओ अभियान के तहत एक कार्यक्रम में शरीक होने रणथंभौर अभयारण्य आए। काली पैंट और सफेद शर्ट पहने अमिताभ एक नीम के पेड़ के नीचे चबूतरे पर पहुंचे। लोगों ने तालियां बजाकर उनका अभिवादन किया। इसके बाद शुरू हुआ बातचीत का सिलसिला। किसी ने विस्थापन के बाद सड़क, पानी, बिजली की परेशानी बताई तो किसी ने कहां जंगल से निकलकर जिंदगी अब पटरी पर लौट रही है। बच्चन हर एक की बात तसल्ली से सुनते रहे और वादा किया कि सरकार से मिलकर उनकी तकलीफें जल्द दूर करेंगे। अमिताभ करीब 27 साल बाद रणथंभौर पहुंचे हैं। बाघों के लिए जंगल छोड़कर विस्थापित हुए ग्रामीणों से वे घुल-मिल गए। शेष त्न पेज ४ 

उन्होंने लंबे समय तक बातचीत के बाद सबके साथ फोटो खिंचवाई।

हिंदवाड़ और मोरडूंगरी के विस्थापित परिवारों ने कहा कि उन्हें अब तक रसोई गैस कनेक्शन नहीं मिले। युवा हरकेश ने अमिताभ से वादा मांगा कि वे अभिषेक, ऐश्वर्या और पोती सहित यहां आएंगे। बच्चन ने मुस्कुराकर हामी भरी और कहा कि मौका मिला तो जरूर आएंगे। अमिताभ ने बाघों का ख्याल रखने की नसीहत भी दी।

बाघों पर फिल्म बनाएंगे
अमिताभ ने कहा कि यदि सरकार उन्हें बाघों पर फिल्म बनाने के लिए कहेगी तो वे इसके लिए तैयार हैं। उन्होंने क्षेत्र में बाघ संरक्षण के लिए काम करने वाले दिवंगत फतह सिंह राठौड़ के जीवन चरित्र पर भी फिल्म बनाने पर सहमति प्रकट की। उन्होंने कहा कि जंगलों से विस्थापन का काम अब तक सरकार की ओर से ही किया जा रहा है, लेकिन इसमें बड़ी कंपनियां और एनजीओ को मदद के लिए आगे लाने का प्रयास कर रहे हैं। टाइगर के उम्र के इस पड़ाव में भी चुस्त-दुरुस्त रहने के राज पर वे खिलखिलाते हुए बोले, यह बात जंगल में टाइगर से ही पूछो।

रीयल 'सिल्क स्मिता' की दर्दनाक कहानी, जानिए तस्वीरों की जुबानी


रीयल 'सिल्क स्मिता' की दर्दनाक कहानी, जानिए तस्वीरों की जुबानीरीयल 'सिल्क स्मिता' की दर्दनाक कहानी, जानिए तस्वीरों की जुबानीरीयल 'सिल्क स्मिता' की दर्दनाक कहानी, जानिए तस्वीरों की जुबानीरीयल 'सिल्क स्मिता' की दर्दनाक कहानी, जानिए तस्वीरों की जुबानीरीयल 'सिल्क स्मिता' की दर्दनाक कहानी, जानिए तस्वीरों की जुबानी



2 दिसंबर 1960। उस दिन आंध्र प्रदेश के एल्लुरू में एक गरीब परिवार में विजयलक्ष्‍मी का जन्म हुआ। उस वक्त पड़ोस क्या परिवार वालों तक को इल्‍म न था कि यह लड़की आगे चल कर देश की सबसे चर्चित हिरोइन बनेगी। परिवार गरीब था, इसलिए प्राथमिक शिक्षा तो नहीं मिल पाई, लेकिन कंधों पर चूल्‍हें चौके का भार डाल दिया गया।




कमसिन उम्र में ही शादी कर दी गई। शादी के बंधनों और ससुरालवालों की जबरदस्‍ती ने विजयलक्ष्मी का जीना मुश्किल कर दिया। पर कहते हैं ना मुश्किलें ही इंसान की सफलता की सीढ़ियां बनती हैं।परेशान और हालात से मजबूर विजयलक्ष्मी ससुराल छोड़ कर चेन्‍नई पहुंच गई। वहां अपनी एक आंटी के साथ रहने लगी। उसने शुरुआत में मेकअप गर्ल बनकर गुजारा किया। वह शूटिंग के दौरान हीरोइन के चेहरे पर टचअप का काम किया करती थी।सांवला रंग और नशीली नैनों की मल्लिका विजयलक्ष्मी की आंखों में यहीं से ग्लैमर के आसमान पर सितारे की तरह चमकने के सपने पलने शुरू हो गए।वह फिल्म निर्माताओं से दोस्ती करने लगी। दोस्ती और उसका जज्बा रंग लाया। 1979 में मलयालम फिल्म 'इनाये थेडी' में पहली बार लोगों ने परदे पर एक ऐसी लड़की देखी जो गोरी नहीं थी। छरहरी नहीं थी। अदाओं में शराफत नहीं थी। आंखें आम लड़कियों की तरह शर्म से झुकती नहीं थी। उसकी हर अदा नशीली थी। उत्तेजक थीस्मिता ने दक्षिण भारतीय सिनेमा को अपने मदमस्त यौवन के जादू से हिलाकर रख दिया था। उस दौर की कोई भी फिल्म वितरक तभी खरीदते थे जब उसमें कम से कम सिल्क स्मिता का एक आइटम सांग जरूर हो।स्मिता ने अपने दस साल के छोटे-से करियर में करीब पांच सौ फिल्मों में काम किया। उसे अपने करियर का सबसे बड़ा ब्रेक 1980 में रिलीज हुई फिल्म 'वांडी चक्रम' में मिला। उसमें उसने अपने किरदार को खुद डिजाइन किया और मद्रासी चोली को फैशन स्टेटमेंट बना दिया।इस फिल्म तक उसका नाम सिर्फ स्मिता ही था, लेकिन फिल्म में अपने किरदार सिल्क को मिली शोहरत को उन्होंने अपने साथ जोड़ते हुए अपना नाम 'सिल्क स्मिता' कर लिया।1980 से 1983 का दौर सिल्क स्मिता के करियर का वह दौर था जिसमें उसने करीब 200 फिल्में की। एक दिन में तीन-तीन शिफ्टों में काम किया। एक-एक गाने की कीमत 50 हजार रुपये तक वसूली।सिल्क की शोहरत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शिवाजी गणेशन से लेकर रजनीकांत, कमल हासन और चिरंजीवी तक की फिल्मों में उनका कम से कम एक गाना उस वक्त बॉक्स ऑफिस पर फिल्म की सफलता की जरूरत बन चुका था।

जैसलमेर कहीं बारिश में गिर न जाए भवन!


जैसलमेर  कहीं बारिश में गिर न जाए भवन!


 परिषद की ओर से करवाए गए सर्वे सर्वाधिक 30 जर्जर भवन है सोनार दुर्ग में

नियमों के मकडज़ाल के कारण अटक जाती है इनके खिलाफ कार्रवाई।
हर बार बारिश के दिनों में ढह जाते हैं बंद पड़े भवन

जैसलमेर शहर के भीतरी हिस्सों के कई गली-मोहल्लों में जर्जर भवन खतरा बन कर मंडरा रहे है। वर्षों पुराने ये भवन वर्तमान में जर्जर है। हर बार बारिश के समय कई भवन गिर जाते है। पुराने हो चुके इन भवनों को गिराने को लेकर शहरवासियों ने कई बार मांग की लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। नगर परिषद की ओर से हाल ही में करवाए गए सर्वे में कुल 38 भवन जो सर्वाधिक जर्जर है, उन्हें चिन्हित भी किया गया है। जिसमें से 30 भवन तो सोनार दुर्ग में ही है, मगर इन्हें गिराने को लेकर कार्रवाई नहीं की जा रही है। मानसून शुरू हो गया है और बारिश के दौरान इन जर्जर मकानों के गिरने की संभावना ज्यादा रहती है।

हर मोहल्ले में खतरा: शहर के लगभग हर गली-मोहल्ले में बंद पड़े यह मकान मोहल्लेवासियों के लिए खतरे का सबब बने हुए है। मोहता पाड़ा, बिसानी पाड़ा, भाटिया पाड़ा, गंगणा पाड़ा, कोठारी पाड़ा, खत्री पाड़ा सहित अन्य मोहल्लों में पिछले कई वर्षों से बंद पड़े यह मकान खतरा बन चुके है। किसी मकान की दीवार पूर्व में ढह चुकी है तो कोई मकान अंदर से ढह चुका है। कहीं दीवार से पत्थर निकल चुके है। कई गलियों में तो मकान ढहने की कगार पर है। बारिश के दिनों में अक्सर इन मकानों में से पत्थर निकलते रहते है। इससे कई बार हादसे भी हो चुके है लेकिन फिर भी प्रशासन सबक नहीं ले रहा।

नोटिस दिए पर कार्रवाई नहीं: जब-जब भी इन भवनों के निस्तारण की बात उठती है तो जिम्मेदार मकान मालिकों को नोटिस जारी कर देते हैं।

हर साल नगर परिषद की ओर से इन भवनों के लिए नोटिस जारी किए जाते है लेकिन उसके बाद जो कार्रवाई होनी चाहिए वह नहीं होती। इससे अभी तक इन भवनों का निस्तारण नहीं हो पाया है। वहीं न तो मकान मालिक इनकी मरम्मत करवाते हैं और न ही प्रशासन इन्हें दुरुस्त करवा रहा है। शहर में आए दिन इन जर्जर भवनों के ढहने से छोटे-मोटे हादसे घटित होते है।

कोई धणी धोरी नहीं

शहर के अधिकांश मोहल्लों में इन जर्जर भवनों के मालिकों का भी किसी को पता नहीं है। इन भवनों के मालिक कई साल पूर्व जैसलमेर छोड़ चुके है। इसके बाद से लेकर आज तक उन्होंने इस ओर रुख नहीं किया। इस कारण कोई इन जर्जर भवनों की मरम्मत भी नहीं करवा रहा है। कई भवन तो ऐसे है जिनका कोई धणी-धोरी नहीं है तो कई भवनों पर कोर्ट केस के चलते मरम्मत नहीं करवाई जा रही है। कारण चाहे जो भी लेकिन बारिश के दिनों में यह पड़ोसियों के लिए समस्या बने हुए हैं। 

नियमों में अटकती है कार्रवाई

नगरपरिषद जैसलमेर की ओर से हाल ही में करवाए गए सर्वे में सर्वाधिक जर्जर 38 भवन चिन्हित किए गए है। लेकिन उन्हें गिराने की कार्रवाई में पुरातत्व विभाग के नियम आड़े आ रहे है। दुर्ग में ऐसे 30 भवन है जो खतरे के निशान पर है। दुर्ग एवं दुर्ग से 300 मीटर के क्षेत्र में आने वाले भवनों की मरम्मत से लेकर नव निर्माण के लिए पुरातत्व विभाग से परमिशन लेनी पड़ती है। जो काफी जटिल एवं लंबी प्रक्रिया है। इस कारण भी इन भवनों के खिलाफ कार्रवाई हर साल शुरू होती है और ठंडे बस्ते में चली जाती है
॥ नगर परिषद की ओर से हाल ही में सर्वे करवाकर भवन चिह्नित कर दिए गए हैं। काछबा पाड़ा में दो भवनों को गिराने के नोटिस भी जारी किए गए हैं। शहर के 300 मीटर क्षेत्र में आने वाले भवनों की मरम्मत या उन्हें ढहाने की परमिशन पुरातत्व विभाग से लेनी पड़ती है। जो काफी जटिल है। आरके माहेश्वरी, आयुक्त, नगर परिषद जैसलमेर

अब नहीं लगेगा रेलवे क्रॉसिंग पर जाम


अब नहीं लगेगा रेलवे क्रॉसिंग पर जाम


बाड़मेर शहर में ओवरब्रिज निर्माण को लेकर हो रही ट्रैफिक व्यवस्था में अव्यवस्था को सही करने के लिए जिला पुलिस अधीक्षक राहुल मनहर्दन बारहट के निर्देशानुसार सेवासदन के सामने ट्रैफिक डायवर्ट ने विशेष व्यवस्था बनाने के निर्देश दिए हैं। सीओ बाड़मेर नाजिम अली ने बताया कि दिन में कई बार ट्रेनों के आवागमन के दौरान सेवासदन के आगे लगने वाले जाम की समस्या को लेकर अस्थाई समाधान किया गया है। अब यहां से सीधे निकलने के बजाय ट्रैफिक को डायवर्ट किया गया है।

ये रहेगी व्यवस्था

नेहरु नगर से रेलवे क्रॉसिंग पार करने के बाद राजकीय चिकित्सालय, कलेक्ट्रेट, राय कॉलोनी की तरफ जाने के लिए अब वाहन चालकों को अहिंसा सर्किल की ओर जाकर यू-टर्न लेकर इन क्षेत्रों की ओर जाना पड़ेगा। वहीं अहिंसा सर्किल व गल्र्स कॉलेज रोड से नेहरु नगर की ओर जाने के लिए विवेकानंद सर्किल से यू-टर्न लेकर वापस मुडऩा होगा।

फाटक बंद होने पर एक लाइन रहेगी खाली

रेलवे फाटक बंद होने की स्थिति में वाहन चालक सड़क की दोनों ही लाइन अपने व्हीकल खड़े कर देते हैं। ऐसे में जब फाटक खुलता है तो दोनों ही तरफ से छोटे व बड़े वाहन आमने-सामने हो जाते है और दोनों तरफ लंबा जाम लग जाता है। अब नई व्यवस्था के तहत दिनभर रेलवे फाटक पर पुलिस के तीन जवान तैनात रहेंगे।

ये जवान फाटक बंद होने पर सभी वाहनों को एक ही लाइन में खड़ा करवाएंगे। इससे दांई ओर की लाइन खाली रहेगी।

जाम से मिली मुक्ति

शनिवार को शुरू की गई इस व्यवस्था के बाद जाम की स्थिति नहीं बनी। ट्रैफिक पुलिस के जवानों ने सभी वाहन चालकों को निर्धारित मार्ग से ही गुजरने की हिदायत दी गई। यह व्यवस्था ओवरब्रिज निर्माण पूरा होने तक यह डायवर्सन जारी रहेगा।