रविवार, 15 जुलाई 2012

जैसलमेर कहीं बारिश में गिर न जाए भवन!


जैसलमेर  कहीं बारिश में गिर न जाए भवन!


 परिषद की ओर से करवाए गए सर्वे सर्वाधिक 30 जर्जर भवन है सोनार दुर्ग में

नियमों के मकडज़ाल के कारण अटक जाती है इनके खिलाफ कार्रवाई।
हर बार बारिश के दिनों में ढह जाते हैं बंद पड़े भवन

जैसलमेर शहर के भीतरी हिस्सों के कई गली-मोहल्लों में जर्जर भवन खतरा बन कर मंडरा रहे है। वर्षों पुराने ये भवन वर्तमान में जर्जर है। हर बार बारिश के समय कई भवन गिर जाते है। पुराने हो चुके इन भवनों को गिराने को लेकर शहरवासियों ने कई बार मांग की लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। नगर परिषद की ओर से हाल ही में करवाए गए सर्वे में कुल 38 भवन जो सर्वाधिक जर्जर है, उन्हें चिन्हित भी किया गया है। जिसमें से 30 भवन तो सोनार दुर्ग में ही है, मगर इन्हें गिराने को लेकर कार्रवाई नहीं की जा रही है। मानसून शुरू हो गया है और बारिश के दौरान इन जर्जर मकानों के गिरने की संभावना ज्यादा रहती है।

हर मोहल्ले में खतरा: शहर के लगभग हर गली-मोहल्ले में बंद पड़े यह मकान मोहल्लेवासियों के लिए खतरे का सबब बने हुए है। मोहता पाड़ा, बिसानी पाड़ा, भाटिया पाड़ा, गंगणा पाड़ा, कोठारी पाड़ा, खत्री पाड़ा सहित अन्य मोहल्लों में पिछले कई वर्षों से बंद पड़े यह मकान खतरा बन चुके है। किसी मकान की दीवार पूर्व में ढह चुकी है तो कोई मकान अंदर से ढह चुका है। कहीं दीवार से पत्थर निकल चुके है। कई गलियों में तो मकान ढहने की कगार पर है। बारिश के दिनों में अक्सर इन मकानों में से पत्थर निकलते रहते है। इससे कई बार हादसे भी हो चुके है लेकिन फिर भी प्रशासन सबक नहीं ले रहा।

नोटिस दिए पर कार्रवाई नहीं: जब-जब भी इन भवनों के निस्तारण की बात उठती है तो जिम्मेदार मकान मालिकों को नोटिस जारी कर देते हैं।

हर साल नगर परिषद की ओर से इन भवनों के लिए नोटिस जारी किए जाते है लेकिन उसके बाद जो कार्रवाई होनी चाहिए वह नहीं होती। इससे अभी तक इन भवनों का निस्तारण नहीं हो पाया है। वहीं न तो मकान मालिक इनकी मरम्मत करवाते हैं और न ही प्रशासन इन्हें दुरुस्त करवा रहा है। शहर में आए दिन इन जर्जर भवनों के ढहने से छोटे-मोटे हादसे घटित होते है।

कोई धणी धोरी नहीं

शहर के अधिकांश मोहल्लों में इन जर्जर भवनों के मालिकों का भी किसी को पता नहीं है। इन भवनों के मालिक कई साल पूर्व जैसलमेर छोड़ चुके है। इसके बाद से लेकर आज तक उन्होंने इस ओर रुख नहीं किया। इस कारण कोई इन जर्जर भवनों की मरम्मत भी नहीं करवा रहा है। कई भवन तो ऐसे है जिनका कोई धणी-धोरी नहीं है तो कई भवनों पर कोर्ट केस के चलते मरम्मत नहीं करवाई जा रही है। कारण चाहे जो भी लेकिन बारिश के दिनों में यह पड़ोसियों के लिए समस्या बने हुए हैं। 

नियमों में अटकती है कार्रवाई

नगरपरिषद जैसलमेर की ओर से हाल ही में करवाए गए सर्वे में सर्वाधिक जर्जर 38 भवन चिन्हित किए गए है। लेकिन उन्हें गिराने की कार्रवाई में पुरातत्व विभाग के नियम आड़े आ रहे है। दुर्ग में ऐसे 30 भवन है जो खतरे के निशान पर है। दुर्ग एवं दुर्ग से 300 मीटर के क्षेत्र में आने वाले भवनों की मरम्मत से लेकर नव निर्माण के लिए पुरातत्व विभाग से परमिशन लेनी पड़ती है। जो काफी जटिल एवं लंबी प्रक्रिया है। इस कारण भी इन भवनों के खिलाफ कार्रवाई हर साल शुरू होती है और ठंडे बस्ते में चली जाती है
॥ नगर परिषद की ओर से हाल ही में सर्वे करवाकर भवन चिह्नित कर दिए गए हैं। काछबा पाड़ा में दो भवनों को गिराने के नोटिस भी जारी किए गए हैं। शहर के 300 मीटर क्षेत्र में आने वाले भवनों की मरम्मत या उन्हें ढहाने की परमिशन पुरातत्व विभाग से लेनी पड़ती है। जो काफी जटिल है। आरके माहेश्वरी, आयुक्त, नगर परिषद जैसलमेर

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