गडरा को लगा झटका!
जैसलमेर। इंदिरा गांधी नहर के मुहाने बसे जैसलमेर जिले के बशिंदो को बाबा रामदेव ब्रांच यानि गडरा शाखा को पूरा कराने का अभी भी इंतजार है। जानकारी के मुताबिक राज्य सरकार इंदिरा गांधी नहर परियोजना के 19 लाख हैक्टयर सिंचित क्षेत्र को घटाकर 16 लाख हैक्टयर तक सीमित कर रही है। वर्तमान मे नहर के निर्माण का कार्य करीब आठ वर्षो से बंद पड़ा है। परियोजना के 19 लाख हेक्टयर मे पांच लाख हेक्टयर लिफ्ट योजनाओ का शामिल है। ये योजनाएं आर्थिक दृष्टि से अधिक खर्चीली है, जिसमे काफी विद्युत शक्ति की जरूरत पड़ती है।
इस परियोजना के अंतिम छोर बाबा रामदेव ब्रांच का क्षेत्र प्राकृतिक ढलान मे है, जिसका निर्माण जरूरी है। जानकारो के मुताबिक गडरा ब्रांच का कार्य पूर्ण नहीं होता है तो इस शाखा का कुल प्राकृतिक ढलना का कृçष्ा योग्य कमांड क्षेत्र 2 लाख 6 हजार 126 हेक्टर असिंचित रह जाएगा, जिसमे बाड़मेर जिले की 60 हजार हेक्टयर भूमि है। इस निर्णय से इंदिरा गांधी नहर का पानी बाड़मेर जिले मे प्रवेश नहीं कर पाएगा और जिले का भी बड़ा भाग नहरी पानी से वंचित रहेगा।
महत्व यह भी
इंदिरा गांधी नहर भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा के समांतर चलती है। गडरा रोड ब्रांच के पूर्ण होने पर पूरी सीमा को कवर करती है। इस क्षेत्र मे पेयजल की बड़ी किल्लत है। आपातकाल के दिनो मे सुरक्षा विभाग को इसी नहर से पानी की आपूर्ति की गई थी। सामरिक दृष्टि से इस परियोजना के महत्व को सुरक्षा विभाग भी अनुश्ंासा करना रहा है।
महत्पूर्ण योजना
राष्ट्रीय सुरक्षा, पश्चिमी राजस्थान मे पेयजल स्थाई स्रोत, अकाल का स्थाई समाधान और बढ़ते हुए रेगिस्तान को रोकने के लिए जैसलमेर व बाड़मेर जिले की यह एक महत्वपूर्ण योजना है। इस निर्माण कार्य मे वन्य जीव अभ्यारण्य राष्ट्रीय मरू उद्यान की जो बाधा बताई जा रही है, उसका निवारण राष्ट्रीय हित मे किया जा सकता है। यह वन्य जीव अभ्यारण्य की योजना वर्ष 1980-81 मे बनी थी, जबकि नहर की योजना 1958 मे तय की गई थी।
यह है जरूरत
जानकारो के मुताबिक राज्य सरकार हरिके बेरिज मे पानी की कमी के कारण सिंचित क्षेत्र घटाना चाहती है तो लिफ्ट योजनाओ का कार्य सीमित करने की जरूरत है, न कि प्राकृतिक ढलाना के नहर निर्माण को। इस संबंध मे समूचे प्रकरण की तकनीकी जांच करवाकर इंदिरा गांधी नहर परियोजना का पुनरिक्षण करने व बाबा रामदेव ब्रांच को पूर्ण करने की जरूरत है।
जैसलमेर। इंदिरा गांधी नहर के मुहाने बसे जैसलमेर जिले के बशिंदो को बाबा रामदेव ब्रांच यानि गडरा शाखा को पूरा कराने का अभी भी इंतजार है। जानकारी के मुताबिक राज्य सरकार इंदिरा गांधी नहर परियोजना के 19 लाख हैक्टयर सिंचित क्षेत्र को घटाकर 16 लाख हैक्टयर तक सीमित कर रही है। वर्तमान मे नहर के निर्माण का कार्य करीब आठ वर्षो से बंद पड़ा है। परियोजना के 19 लाख हेक्टयर मे पांच लाख हेक्टयर लिफ्ट योजनाओ का शामिल है। ये योजनाएं आर्थिक दृष्टि से अधिक खर्चीली है, जिसमे काफी विद्युत शक्ति की जरूरत पड़ती है।
इस परियोजना के अंतिम छोर बाबा रामदेव ब्रांच का क्षेत्र प्राकृतिक ढलान मे है, जिसका निर्माण जरूरी है। जानकारो के मुताबिक गडरा ब्रांच का कार्य पूर्ण नहीं होता है तो इस शाखा का कुल प्राकृतिक ढलना का कृçष्ा योग्य कमांड क्षेत्र 2 लाख 6 हजार 126 हेक्टर असिंचित रह जाएगा, जिसमे बाड़मेर जिले की 60 हजार हेक्टयर भूमि है। इस निर्णय से इंदिरा गांधी नहर का पानी बाड़मेर जिले मे प्रवेश नहीं कर पाएगा और जिले का भी बड़ा भाग नहरी पानी से वंचित रहेगा।
महत्व यह भी
इंदिरा गांधी नहर भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा के समांतर चलती है। गडरा रोड ब्रांच के पूर्ण होने पर पूरी सीमा को कवर करती है। इस क्षेत्र मे पेयजल की बड़ी किल्लत है। आपातकाल के दिनो मे सुरक्षा विभाग को इसी नहर से पानी की आपूर्ति की गई थी। सामरिक दृष्टि से इस परियोजना के महत्व को सुरक्षा विभाग भी अनुश्ंासा करना रहा है।
महत्पूर्ण योजना
राष्ट्रीय सुरक्षा, पश्चिमी राजस्थान मे पेयजल स्थाई स्रोत, अकाल का स्थाई समाधान और बढ़ते हुए रेगिस्तान को रोकने के लिए जैसलमेर व बाड़मेर जिले की यह एक महत्वपूर्ण योजना है। इस निर्माण कार्य मे वन्य जीव अभ्यारण्य राष्ट्रीय मरू उद्यान की जो बाधा बताई जा रही है, उसका निवारण राष्ट्रीय हित मे किया जा सकता है। यह वन्य जीव अभ्यारण्य की योजना वर्ष 1980-81 मे बनी थी, जबकि नहर की योजना 1958 मे तय की गई थी।
यह है जरूरत
जानकारो के मुताबिक राज्य सरकार हरिके बेरिज मे पानी की कमी के कारण सिंचित क्षेत्र घटाना चाहती है तो लिफ्ट योजनाओ का कार्य सीमित करने की जरूरत है, न कि प्राकृतिक ढलाना के नहर निर्माण को। इस संबंध मे समूचे प्रकरण की तकनीकी जांच करवाकर इंदिरा गांधी नहर परियोजना का पुनरिक्षण करने व बाबा रामदेव ब्रांच को पूर्ण करने की जरूरत है।
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