खग्रास चन्द्र ग्रहण (10 -12 -2011 _का विभिन्न राशियों पर प्रभाव---
पंडित दयानन्द शास्त्री
इस खग्रास चन्द्र ग्रहण का प्रभाव विभिन्न राशियों पर भिन्न-भिन्न पडे़गा. यह ग्रहण वृष राशि में रोहिणी तथा मृगशिरा नक्षत्र में लगेगा. इसलिए इस ग्रहण का प्रभाव इन दोनों नक्षत्रों के जातकों तथा राशि पर पडे़गा. इन्हें इस दिन दान तथा जाप आदि अवश्य करने चाहिए. इन्हें चन्द्र, शुक्र तथा राहु का जाप तथा दान करना चाहिए. ग्रहण का प्रभाव ग्रहण लगने के 15 दिन तक देखा जा सकता है. सभी राशियों पर इस खग्रास चन्द्र ग्रहण का प्रभाव निम्न होगा :-
मेष राशि---
इन जातकों को धन हानि उठानी पड़ सकती है. घर में कलह-क्लेश का सामना करना पड़ सकता है. घर के सुख में अथवा माता के सुख में कमी रह सकती है.
वृष राशि ---
यह ग्रहण वृष राशि में लगने के कारण इन जातकों को शारीरिक कष्ट का सामना करना पड़ सकता है. स्वास्थ्य खराब अथवा चोट आदि भी लग सकती है.
मिथुन राशि ---
इस राशि के जातकों को धन हानि हो सकती है. लाभ में कमी बनी रह सकती है. अकारण खर्चों में बढोतरी हो सकती है. आमदनी कम तो व्यय अधिक होगा.
कर्क राशि ---
कर्क राशि के जातकों को निराश नहीं होना चाहिए, क्योंकि यह ग्रहण उनके लिए धन लाभ देने वाला है. उन्हें आकस्मिक लाभ हो सकता है.
सिंह राशि----
सिंह राशि के जातकों को गुप्त चिन्ता बनी रह सकती है. इन्हें अपनी चिन्ताओं को किसी के साथ अवश्य बाँटना चाहिए.
कन्या राशि----
कन्या राशि के जातकों को सतर्क रहना चाहिए, क्योंकि उन्हें अपमान का सामना करना पड़ सकता है. इन्हें शत्रु भय भी सता सकता है.
तुला राशि---
इन जातकों को सुख की प्राप्ति होगी. गुप्त रुप से लाभ में वृद्धि होगी. राह की बाधाएँ दूर होगीं.
वृश्चिक राशि ----
वृश्चिक राशि के जातकों के लिए यह ग्रहण कुछ कष्टकारी हो सकता है. इस ग्रहण का प्रभाव इनके दाम्पत्य जीवन पर पडे़गा. घर में कलह अथवा जीवनसाथी का स्वास्थ्य चिन्ता का विषय बन सकता है.
धनु राशि----
इस राशि के जातकों को शारीरिक रोगों का सामना करना पड़ सकता है. इससे मन भी दुखी रहेगा.
मकर राशि -----
मकर राशि के जातकों को संतान से कष्ट अथवा संतान को कष्ट हो सकता है. इन्हें सभी क्षेत्रों में सावधान रहना चाहिए, क्योंकि इन्हें मानहानि का सामना करना पड़ सकता है.
कुम्भ राशि----
इन जातकों के सभी मनोरथ पूर्ण होने की संभावना बनती है. मनोवांछित कार्य सिद्ध होगें.
मीन राशि ----
मीन राशि के जातकों के लिए यह ग्रहण शुभफलदायी रहेगा. इन्हें धन लाभ होगा. छोटे भाई-बहनों की ओर से सुख की प्राप्ति हो सकती है.
व्यक्तिगत रूप में जिनका जन्म रोहिणी एवं मृगशिरा नक्षत्र में हुआ है तथा कुंडली में विंशोत्तरी महादशा किसी प्रबल षष्ठेश, अष्टमेश या द्वादशेश क़ी चल रही हो तो कृपया मानसिक रूप से भयंकर हानि एवं कष्ट का सामना करने के लिए तैयार रहे. किन्तु यदि शुभ लग्नेश, पंचमेश, नवमेश या द्वादशेश क़ी महादशा चल रही हो तो थोड़ी बहुत परेशानी ही होगी. उत्तरा फाल्गुनी एवं हस्त नक्षत्र में जन्म लेने वालो को पारिवारिक क्लेश का सामना करना पडेगा. चित्रा एवं स्वाती नक्षत्र वालो को अपमान एवं पदावानती झेलनी पड़ेगी. ज्येष्ठा नक्षत्र जातको को पति/पत्नी तथा बच्चो से घृणा या अपमान मिलेगा. शेष नक्षत्र में जन्म लेने वाले सामान्य रूप से ही रहेगें. पुष्य एवं अश्लेषा नक्षत्र में जन्म लेने वालो को शुभ सन्देश एवं सफलता के अलावा धन लाभ का भी बहुत बड़ा अवसर मिलेगा. उत्तरभाद्रपद, रेवती, पूर्वाफाल्गुनी एवं मघा नक्षत्र में जन्म लेने वाले सुख एवं उन्नति प्राप्त करेगें. कुंडली में जिसकी बुध एवं चन्द्रमा क़ी दशान्तार्दाशा चल रही होगी उन्हें भी विशेष सावधानी क़ी ज़रुरत है.
ऊपर जिनके लिए ग्रहण का फल अशुभ बताया गया है उन्हें चाहिए कि ग्रहण के दौरान समूल कुश, मंजरी समेत तुलसी के पत्ते, लाल चन्दन क़ी एक छोटी लकड़ी, हाथी के पूंछ का एक या दो बाल, अरोघ्नी, देवरस एवं निवारू साथ में रखे. इसे शास्त्रों में “सप्तार्क” कहा गया है. जब तक जगे है तब तक तो इन सब को पाकिट में ग्रहण के दौरान रखें. जब ग्रहण समाप्त हो जाय तो इन सब को स्वच्छ शुद्ध जल में ड़ाल कर स्नान कर लें. अगले दिन सूरज निकलने पर फिर इन सब को कही ज़मीन में दबा दें या कही बहते जल में ड़ाल दें. इससे ग्रहण का कुप्रभाव दूर होता है.