शनिवार, 10 दिसंबर 2011

प्रमिला की कविताओं में राष्ट्रप्रेम के स्वर


प्रमिला की कविताओं में राष्ट्रप्रेम के स्वर

बीकानेर  संवेदनशीलता के पटल पर शब्द बनकर प्रमिला गंगल की रचनाएं आग्नेय तत्व रचनात्मक चेतना के रूप में उभरा है। यह कहना है साहित्यकार भवानीशंकर व्यास ‘विनोद’ का। कवयित्री प्रमिला गंगल की हिन्दी काव्य कृति ‘आह्वान’ तथा ‘ब्रज सुधा’ का लोकार्पण शुक्रवार को महाराजा नरेन्द्रसिंह ऑडिटोरियम नागरी भंडार में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विनोद ने कहा कि ब्रज के माधुर्य के साथ मुखरित हुई ‘ब्रज सुधा’ में लौकितता में अलौकिकता, देशप्रेम के स्वर, भारतीय संस्कृति के प्रति अनुराग, समय का सत्य आदि भावों को प्रकट किया है। हिन्दी विश्वभारती अनुसंधान परिषद की ओर से आयोजित कार्यक्रम में संवित् सोमगिरि महाराज ने कहा कि पुस्तकों में प्रमिला गंगल की भीतर की पीड़ा, आवेग, उत्साह, विद्रोह के भाव कविता बनकर प्रकट हुए हैं। मुख्य अतिथि डॉ. मदन केवलिया ने प्रमिला की कविताओं में ब्रज की मिठास व जनजागरण का स्वर बताया। विशिष्ट अतिथि गौरीशंकर आचार्य ‘अरुण’ ने कहा कि प्रमिला में स्वतंत्रता सेनानी परिवार के संस्कार है। डॉ.सत्यनारायण व्यास ने ब्रज रचना का पाठ किया। कार्यक्रम संयोजक विजय धमीजा ने डॉ. मदन सैनी द्वारा रचित आह्वान पुस्तक पर तथा ओ.पी.पाठक ने ब्रज सुधा पुस्तक पर पत्र वाचन किया। इस अवसर पर प्रमिला गंगल ने अपनी चुनिंदा रचनाओं का पाठ भी किया। परिषद के अशफाक कादरी ने बताया कि आह्वान पुस्तक में कुल 49 कविताएं है। कार्यक्रम में अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।

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