आए, हाजरी लगवाई और चलते बने
बाड़मेर। इसे निकम्मेपन की पराकाष्ठा कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। हजारों श्रमिक मनरेगा के तहत काम करने के लिए आए, लेकिन उन्होंने रत्ती भर भी काम नहीं किया। आए, हाजरी लगवाई और चले गए। इसलिए उनका भुगतान शून्य हो गया। महानरेगा के मस्टरोल तो यही कहानी बयां कर रहे हैं। ऎसा किसी एकाध मस्टरोल में नहीं बल्कि एक हजार से अधिक मस्टरोल में हुआ है और एक मस्टरोल में कम से कम दस श्रमिक नियोजित हो सकते हैं।
बाड़मेर जिले की पंचायत समिति चौहटन की ग्राम पंचायत कोनरा, सारला, गौहड़ का तला, आंटिया इत्यादि ग्राम पंचायतों व धोरीमन्ना पंचायत समिति की कुछ ग्राम पंचायतों में जून व जुलाई महीनों में महानरेगा के तहत हुए कार्याें में चौंकाने वाली स्थिति सामने आई है। सरकारी रेकर्ड कहता है कि यहां पर करीब एक हजार मस्टरोल में नियोजित करीब छह से आठ हजार श्रमिकों ने महानरेगा के तहत होने वाले कार्याें में एक इंच काम नहीं किया, लेकिन वे काम पर जरूर आए।
ग्राम पंचायत सारला की ही बात करें तो पन्नीदेवी, मिरगोंदेवी सहित दस श्रमिक, जिनमें आठ महिला श्रमिकों व दो पुरूष श्रमिकों ने बीस जुलाई से आठ अगस्त तक तेरह दिन महानरेगा कार्यस्थल पर उपस्थिति दी, लेकिन एक ढेले का भी काम नहीं किया। लिहाजा मस्टरोल में न तो काम का कोई माप चढ़ा, न ही कोई भुगतान बना। मेट ने इन श्रमिकों के उपस्थित होने की पुष्टि की तो तकनीकी सहायक ने काम नहीं होने की ताईद की।
बताया तक नहीं
करीब एक हजार मस्टरोल में छह से आठ हजार श्रमिक काम पर आए, लेकिन काम नहीं किया। इसके बावजूद संबंधित मेटों व तकनीकी सहायकों ने इसकी सूचना उच्चाधिकारियों को देना उचित नहीं समझा।
जांच के निर्देश
यह मामला ध्यान में आया है, लेकिन ऎसा होना संभव नहीं है। कुछ गड़बड़ जरूर है। विकास अधिकारी चौहटन को जांच के निर्देश दिए हैं। जांच में वास्तविकता सामने आ जाएगी।
-गौरव गोयल, जिला कलक्टर, बाड़मेर
बाड़मेर। इसे निकम्मेपन की पराकाष्ठा कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। हजारों श्रमिक मनरेगा के तहत काम करने के लिए आए, लेकिन उन्होंने रत्ती भर भी काम नहीं किया। आए, हाजरी लगवाई और चले गए। इसलिए उनका भुगतान शून्य हो गया। महानरेगा के मस्टरोल तो यही कहानी बयां कर रहे हैं। ऎसा किसी एकाध मस्टरोल में नहीं बल्कि एक हजार से अधिक मस्टरोल में हुआ है और एक मस्टरोल में कम से कम दस श्रमिक नियोजित हो सकते हैं।
बाड़मेर जिले की पंचायत समिति चौहटन की ग्राम पंचायत कोनरा, सारला, गौहड़ का तला, आंटिया इत्यादि ग्राम पंचायतों व धोरीमन्ना पंचायत समिति की कुछ ग्राम पंचायतों में जून व जुलाई महीनों में महानरेगा के तहत हुए कार्याें में चौंकाने वाली स्थिति सामने आई है। सरकारी रेकर्ड कहता है कि यहां पर करीब एक हजार मस्टरोल में नियोजित करीब छह से आठ हजार श्रमिकों ने महानरेगा के तहत होने वाले कार्याें में एक इंच काम नहीं किया, लेकिन वे काम पर जरूर आए।
ग्राम पंचायत सारला की ही बात करें तो पन्नीदेवी, मिरगोंदेवी सहित दस श्रमिक, जिनमें आठ महिला श्रमिकों व दो पुरूष श्रमिकों ने बीस जुलाई से आठ अगस्त तक तेरह दिन महानरेगा कार्यस्थल पर उपस्थिति दी, लेकिन एक ढेले का भी काम नहीं किया। लिहाजा मस्टरोल में न तो काम का कोई माप चढ़ा, न ही कोई भुगतान बना। मेट ने इन श्रमिकों के उपस्थित होने की पुष्टि की तो तकनीकी सहायक ने काम नहीं होने की ताईद की।
बताया तक नहीं
करीब एक हजार मस्टरोल में छह से आठ हजार श्रमिक काम पर आए, लेकिन काम नहीं किया। इसके बावजूद संबंधित मेटों व तकनीकी सहायकों ने इसकी सूचना उच्चाधिकारियों को देना उचित नहीं समझा।
जांच के निर्देश
यह मामला ध्यान में आया है, लेकिन ऎसा होना संभव नहीं है। कुछ गड़बड़ जरूर है। विकास अधिकारी चौहटन को जांच के निर्देश दिए हैं। जांच में वास्तविकता सामने आ जाएगी।
-गौरव गोयल, जिला कलक्टर, बाड़मेर