शुक्रवार, 2 सितंबर 2011

मांगी क्षमा, कहा मिच्छमी-दुकड्डम


मांगी क्षमा, कहा मिच्छमी-दुकड्डम


पर्युषण पर्व को लेकर जैन धर्मावलंबियों ने किया शांति स्नात्र पाठ, हुआ बारसासूत्र का वाचन, लोगों ने एक दूसरे से मांगी क्षमा, कहा मिच्छामी-दुक्कडम

जालोर जैन समाज के चल रहे पर्युषण पर्व के अंतिम दिन गुरुवार को जैन धर्मावलंबियों ने उपवास, पोषद व व्रत रखकर जिनालयों की पूजा अर्चना की। साथ ही श्रावक-श्राविकाओं ने शांतिस्नात्र का पाठ किया। जिला मुख्यालय स्थित त्रिस्तुतिक धर्मशाला में भद्रबाहुस्वामी द्वारा रचित पवित्र ग्रंथ बारसासूत्र वाचन के लिए साध्वी संघवणश्री को भाविक रमेश बोहरा ने व्योहराया। वहीं पारसमल मूथा ने ग्रंथ की पूजा अर्चना कर आरती की। साध्वी संघपणश्री ने ग्रंथ का वाचन कर सभी २४ तीर्थंकरों की जीवनी व उनके पंच कल्याणक पढ़कर सुनाए। मीडिया प्रभारी कालूराज मेहता ने बताया कि पर्युषण पर्व का अंतिम दिन सावंत्सरीक पूर्व के नाम से जाना जाता है। जिसमें सभी अपने आपसी वैर को भूलकर क्षमा याचना करते हंै। साथ ही जीवों से भी क्षमा याचना की जाती है।

भीनमाल & किर्ती स्तंभ जैन मंदिर प्रांगण में चल रहे चातुर्मास के दौरान रत्नाकरसुरीश्वर के सानिध्य में आयोजित पर्वाधिराज पर्युषण पर्व के अंतिम दिन गुरुवार को जैनाचार्य ने बारसा सुत्र का वाचन करवाते हुए 24 तीर्थंकर की जीवनी का उल्लेख किया। पर्युषण के अंतिम दिन सवंत्सरी के अवसर पर खमो और खमावों के सिद्धांत को मानते हुए लोगों ने एक दूसरे से क्षमा याचना की। गुरुवार को संवत्सरिक प्रतिक्रमण कर पूरे जैन समाज में सामूहिक रुप से एक दूसरे को खंवत खामना करते हुए क्षमा याचना की। इसी प्रकार जैन समाज के महापर्व पर्युषण के अंतिम दिन गुरुवार को संवत्सरी के दिन जैन समाज के लोगो ने सवेरे जीन मंदिरों में पूजा अर्चना के बाद प्रतिक्रमण से पूर्व गलतियों के लिए क्षमायाचना की।

आहोर & कस्बे के जैन उपासरे में आयोजित चातुर्मास कार्यक्रम के तहत पर्युषण पर्व के सातवें दिन जैन मुनि चंद्रयशविजय महाराज ने कहा कि हृदय में सद्भावना, आंखों में नम्रता, जिह्वा पर अमृत वचन रखकर वर्ष भर के विरोध भावों को क्षमा करना एवं क्षमा मांगना ही सांवत्सरिक पर्व की सार्थकता है। क्षमा से आत्मा पवित्र होती है। दोपहर चार बजे सांवत्सरिक प्रतिक्रमण किया गया। मुनि चंद्रयशविजय महाराज ने इस दौरान स्वर्णाक्षरों से हस्तलिपिक १२ सौ सूत्रों का तीन घंटे तक वाचन किया। संावत्सरिक पर्व पर भीकमचंद चौपडा, यतिन्द्र मुथा, बाबूलाल, घेवरचंद ने केशलोच करवाया।

बाकरा गांव & कस्बे के विमलनाथ जैन मंदिर में पर्युषण के आठवें दिन चल रहे प्रवचन के दौरान मुक्तिप्रज्ञाश्री ने संवत्सरी प्रतिक्रमण के बारे में बताते हुए कहा कि लोगों को किसी भी प्रकार से शंका, चोरी, झगड़ा व एक दूसरे के प्रति निंदा का भाव नहीं रखना चाहिए। उन्होंने पर्युषण के आठवें दिन की महत्ता बताते हुए कहा कि आज का दिन संवत्सरी के प्रतिक्रमण का दिन है। इस दिन पूर्व में किए गए समस्त पापों से मुक्ति के लिए सभी को एक-दूसरे के लिए मिच्छामि दुक्कड़म कह कर क्षमा मांगनी चाहिए। इस दौरान काफी संख्या में जैन समाज के लोगों ने एक दूसरे को मिच्छामि दुक्कड़म कहते हुए क्षमा याचना की। वहीं पर्युषण के सवंत्सरी प्रतिक्रमण पर गांव की विभिन्न गलियों से शोभयात्रा निकाली गई।

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