85 वर्षीय वृद्ध ने खोली गड़बड़ी की पोल
नागौर। 85 वर्ष की उम्र है मेरी। अपनी लाठी के सहारे चलता हूं। मेरी आंखें भले ही मुझे धोखा देने लग गई, लेकिन जब तक दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी, मुझे चैन नहीं मिलने वाला। जयपुर तक जाकर आ गया हूं, मुख्यमंत्री से भी मिला, उनके आदेशों के बावजूद स्थानीय अधिकारी कार्रवाई नहीं करते। पूरे कुएं में भांग मिली हुई है। अब भी दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई तो मैं दिल्ली तक जाऊंगा। यह पीड़ा है फिड़ौद गांव के 85 वर्षीय कंवराराम की, जो पिछले दो-ढाई साल से जिला परिषद कार्यालय में अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं।
ग्रामीण विकास मंत्रालय एवं पेयजल स्वच्छता योजना के तहत भारत सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में किए गए विकास कार्यो की मॉनिटरिंग के लिए दिल्ली से तीन अधिकारी 2 जनवरी को नागौर आए थे। रविवार को सर्किट हाउस में नेशनल लेवल मॉनिटर आरएन ओझा ग्रामीणों की शिकायतें सुन रहे थे।
इस दौरान वहां पहुंचे वृद्ध कंवराराम ने जब राजस्थानी में उनसे फिड़ौद ग्राम पंचायत में हुए गड़बड़झाले की शिकायत करनी चाही तो वे समझ नहीं पाए और जिला परिषद के सुरेश दाधीच को पूरा मामला बताने के लिए कहा। दाधीच ने जब पूरे मामले की जानकारी उन्हें दी तो उन्होंने लिखित में शिकायत मांगी, लेकिन कंवराराम अनपढ़ होने के साथ आंखों की रोशनी भी काफी हद तक खो चुके हैं।
अनपढ़ हैं लेकिन कार्य शिक्षित से बेहतर
दरअसल, कंवराराम अनपढ़ है और पूर्व सरपंच के कार्यकाल में कुछ कार्यो में किए गए गड़बड़झाले से काफी आहत हैं। अधिकारियों की मिलीभगत से जो भुगतान बिना काम के हुआ उसकी विभागीय जांच एवं दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर पिछले दो-ढाई साल से सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं। कंवराराम का कहना है कि पूर्व सरपंच द्वारा साढ़े तीन लाख का भुगतान सीसी सड़क के नाम पर उठाया गया, जबकि वहां इंटरलॉकिंग की हुई है।
विभागीय जांच में यह साबित भी हो चुका है, लेकिन न तो तत्कालीन सरपंच के खिलाफ कोई कार्रवाई हुई और न ही उस राशि की वसूली हुई, जो सीसी सड़क के नाम पर जारी की गई थी। दूसरा मामला गांव के गंदे पानी को निकालने के लिए बनाए गए नाले का है। कंवराराम का कहना है कि नाले की ढाल उल्टी होने के कारण गंदा पानी बाहर जाने की बजाए वापस आता है। ऎसे कई मामलों के दस्तावेज अपने थैले में लिए घूमने वाले कंवराराम का जज्बा आज भी युवाओं से ज्यादा एवं बेहतर है।
जांच नहीं मॉनिटरिंग है : ओझा
ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से करवाए गए विकास कार्यो की मॉनिटरिंग करने नागौर पहंुचे के नेशनल लेवल मॉनिटर आरएन ओझा ने पत्रिका से विशेष बातचीत में बताया कि उन्होंने पिछले चार दिनों में लाडनूं, मकराना व कुचामन पंचायत समितियों का दौरा कर विकास कार्यो की मॉनिटरिंग की।
ओझा ने बताया कि इस दौरान उन्होंने योजना से लाभान्वित होने वाले लोगों से भी बात की तथा योजना लागू करने वाले अधिकारियों की कार्यशैली के बारे में भी जाना। ओझा ने बताया कि उनका काम सिर्फ मॉनिटरिंग करना है। मॉनिटरिंग की रिपोर्ट तैयार कर वे मंत्रालय को सौंपेंगे तथा उसकी एक कॉपी जिला कलक्टर को भी भेजी जाएगी। उन्होंने अपनी रिपोर्ट या मॉनिटरिंग के बारे में फिलहाल कुछ भी बताने से असमर्थतता जताते हुए कहा कि ग्रामीणों एवं जनप्रतिनिधियों की शिकायतें एवं सुझाव उन्होंने अपनी रिपोर्ट में शामिल कर लिए हैं।
नागौर। 85 वर्ष की उम्र है मेरी। अपनी लाठी के सहारे चलता हूं। मेरी आंखें भले ही मुझे धोखा देने लग गई, लेकिन जब तक दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी, मुझे चैन नहीं मिलने वाला। जयपुर तक जाकर आ गया हूं, मुख्यमंत्री से भी मिला, उनके आदेशों के बावजूद स्थानीय अधिकारी कार्रवाई नहीं करते। पूरे कुएं में भांग मिली हुई है। अब भी दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई तो मैं दिल्ली तक जाऊंगा। यह पीड़ा है फिड़ौद गांव के 85 वर्षीय कंवराराम की, जो पिछले दो-ढाई साल से जिला परिषद कार्यालय में अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं।
ग्रामीण विकास मंत्रालय एवं पेयजल स्वच्छता योजना के तहत भारत सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में किए गए विकास कार्यो की मॉनिटरिंग के लिए दिल्ली से तीन अधिकारी 2 जनवरी को नागौर आए थे। रविवार को सर्किट हाउस में नेशनल लेवल मॉनिटर आरएन ओझा ग्रामीणों की शिकायतें सुन रहे थे।
इस दौरान वहां पहुंचे वृद्ध कंवराराम ने जब राजस्थानी में उनसे फिड़ौद ग्राम पंचायत में हुए गड़बड़झाले की शिकायत करनी चाही तो वे समझ नहीं पाए और जिला परिषद के सुरेश दाधीच को पूरा मामला बताने के लिए कहा। दाधीच ने जब पूरे मामले की जानकारी उन्हें दी तो उन्होंने लिखित में शिकायत मांगी, लेकिन कंवराराम अनपढ़ होने के साथ आंखों की रोशनी भी काफी हद तक खो चुके हैं।
अनपढ़ हैं लेकिन कार्य शिक्षित से बेहतर
दरअसल, कंवराराम अनपढ़ है और पूर्व सरपंच के कार्यकाल में कुछ कार्यो में किए गए गड़बड़झाले से काफी आहत हैं। अधिकारियों की मिलीभगत से जो भुगतान बिना काम के हुआ उसकी विभागीय जांच एवं दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर पिछले दो-ढाई साल से सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं। कंवराराम का कहना है कि पूर्व सरपंच द्वारा साढ़े तीन लाख का भुगतान सीसी सड़क के नाम पर उठाया गया, जबकि वहां इंटरलॉकिंग की हुई है।
विभागीय जांच में यह साबित भी हो चुका है, लेकिन न तो तत्कालीन सरपंच के खिलाफ कोई कार्रवाई हुई और न ही उस राशि की वसूली हुई, जो सीसी सड़क के नाम पर जारी की गई थी। दूसरा मामला गांव के गंदे पानी को निकालने के लिए बनाए गए नाले का है। कंवराराम का कहना है कि नाले की ढाल उल्टी होने के कारण गंदा पानी बाहर जाने की बजाए वापस आता है। ऎसे कई मामलों के दस्तावेज अपने थैले में लिए घूमने वाले कंवराराम का जज्बा आज भी युवाओं से ज्यादा एवं बेहतर है।
जांच नहीं मॉनिटरिंग है : ओझा
ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से करवाए गए विकास कार्यो की मॉनिटरिंग करने नागौर पहंुचे के नेशनल लेवल मॉनिटर आरएन ओझा ने पत्रिका से विशेष बातचीत में बताया कि उन्होंने पिछले चार दिनों में लाडनूं, मकराना व कुचामन पंचायत समितियों का दौरा कर विकास कार्यो की मॉनिटरिंग की।
ओझा ने बताया कि इस दौरान उन्होंने योजना से लाभान्वित होने वाले लोगों से भी बात की तथा योजना लागू करने वाले अधिकारियों की कार्यशैली के बारे में भी जाना। ओझा ने बताया कि उनका काम सिर्फ मॉनिटरिंग करना है। मॉनिटरिंग की रिपोर्ट तैयार कर वे मंत्रालय को सौंपेंगे तथा उसकी एक कॉपी जिला कलक्टर को भी भेजी जाएगी। उन्होंने अपनी रिपोर्ट या मॉनिटरिंग के बारे में फिलहाल कुछ भी बताने से असमर्थतता जताते हुए कहा कि ग्रामीणों एवं जनप्रतिनिधियों की शिकायतें एवं सुझाव उन्होंने अपनी रिपोर्ट में शामिल कर लिए हैं।