सोमवार, 7 जनवरी 2013

एक मामला ऐसा भी जहां रेप करने वाला हुआ आजाद, पीड़िता के लिए मांगी गई 'मौत'!

मुंबई। पिछले महीने देश की राजधानी दिल्ली में एक छात्रा के साथ हुए क्रूर बलात्कार ने सारे देश का ध्यान आकर्षित किया और यह घटना दुनियाभर में नाराजगी का कारण बनी।
एक मामला ऐसा भी जहां रेप करने वाला हुआ आजाद, पीड़िता के लिए मांगी गई 'मौत'! 
लेकिन, जहां दिल्ली में हुई घटना सुर्खियां बनीं वहीं, सुर्खियों में आने के बाद भी ऐसी ही कई घटनाएं मीडिया और लोगों की याददाश्त से गायब हो गईं।

एक ऐसे देश में जहां लगभग हर 21 मिनट पर किसी नारी की आबरू तार-तार की जाती है वहां, बलात्कार की कई ऐसी घटनाएं पहले भी हुई हैं जो मानवता को शर्मिंदा कर देने वाली हैं।

पीड़िता और उनका परिवार आज भी उस जंग को लड़ तो रहा है लेकिन, बिलकुल अकेला और एकांत में। आइए, निगाह डालते हैं ऐसे ही कुछ दहला देने वाले रेप केस जिन्हें भुला दिया गया है...
एक मामला ऐसा भी जहां रेप करने वाला हुआ आजाद, पीड़िता के लिए मांगी गई 'मौत'!
केस 1: मुंबई में नर्स का काम करने वाली अरुणा शानबाग 27 नवम्बर 1973 को अपनी ड्यूटी पर आईं। उसे क्या पता था कि यहीं काम करने वाले एक क्लीनर सोहनलाल भरता वाल्मिकी की उसपर निगाह है। अकेले में पाते ही सोहनलाल ने अरुणा पर हमला कर दिया। उसके साथ बेहद अप्राकृतिक ढंग से बलात्कार किया। लेकिन उसकी हैवानियत यहीं ख़त्म नहीं हुई। सबूत मिटाने के लिए उसने अरुणा को जान से मारने का भी प्लान बना रखा था। उसने अरुणा के गले में लोहे की चेन बांधी और गला घोटने की कोशिश की। जब उसे लगा कि वो मर चुकी है तो छोड़ फरार हो गया। लेकिन अरुणा मरी नहीं। बेहद प्रताड़ित किये जाने की वजह से वह कोमा में चली गई। इस दौरान जांच में पुलिस को कुछ सुराग हाथ लगे और सोहनलाल गिरफ्तार कर लिया गया।

एक मामला ऐसा भी जहां रेप करने वाला हुआ आजाद, पीड़िता के लिए मांगी गई 'मौत'!एक मामला ऐसा भी जहां रेप करने वाला हुआ आजाद, पीड़िता के लिए मांगी गई 'मौत'!


अरुणा पुलिस को ये भी नहीं बता सकी कि उसके साथ किस कदर दरिंदगी के साथ एक घिनौने अपराध को अंजाम दिया गया। सोहनलाल पर लूटपाट और हत्या के प्रयास का केस चला और सात साल की छोटी सी सजा दी गई। लेकिन यहां से शुरू होती है इस भयंकर अपराध की सबसे डरा देने वाली सच्चाई।इस वारदात को हुए 39 साल बीत चुके हैं। अरुणा आज भी जिन्दा है लेकिन, न तो बोल सकती है न सुन सकती न ही हिल सकती है। पिछले 39 साल से वह अस्पताल में पड़ी हुई है। वह जिन्दा तो है लेकिन, एक लाश की तरह। वह अपनी बेहद प्राकृतिक क्रियाएं भी खुद नहीं कर सकती जबकि, उसे इस भयानक अंजाम पर पहुंचाने वाला दरिंदा आज भी इसी समाज में छुट्टा घूम रहा है। अगर सूत्रों की माने तो सोहनलाल अपना नाम बदल कर दिल्ली के एक अस्पताल में आज भी एक वार्डबॉय का काम कर रहा है। दरिंदा बाहर घूम रहा है जबकि, पीड़िता आज भी उसके गुनाहों की सजा भुगत रही है। ये भी पता नहीं कि कब तक उसकी सजा जारी रहेगी। पेशे से जर्नलिस्ट और लेखिका पिंकी विरानी, अरुणा की इस दास्तान पर किताब लिख रही हैं। उन्होंने काफी कोशिश की कि अरुणा के साथ हुए इस गुनाह की सजा सोहनलाल को दिला सकें, लेकिन वह असफल रहीं।
एक मामला ऐसा भी जहां रेप करने वाला हुआ आजाद, पीड़िता के लिए मांगी गई 'मौत'!
अरुणा की तकलीफ को देखते हुए पिंकी विरानी ने उनके लिए सुप्रीम कोर्ट में इच्छा मृत्यु की मांग की लेकिन, कोर्ट ने उसे अस्वीकार कर दिया। दरिंदगी की यह दास्तां यहीं ख़त्म नहीं होती बल्कि, बदस्तूर जारी है। इस श्रृंखला की अगली कड़ी में हम आपको बतायेंगे दिल्ली में घटी एक दर्दनाक घटना के बारे में।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें