भारतीय सेना ने मेजर विकास कुमार को उनकी श्रीलंकाई प्रेमिका से शादी करने की अनुमति तो दे दी है लेकिन रास्ते के रोड़े अभी हटें नहीं है। अनुमति की शर्तों के तहत शादी करने के लिए विकास कुमार को ट्रेनिंग पर सरकारी खर्च की रकम और शादी का प्रमाण पत्र जमा करवाने होंगे।
मेजर विकास ने प्रेमिका से शादी के लिए सेना से मुक्त किए जाने का आग्रह किया था। उन्हें हाई कोर्ट तक की शरण में जाना पड़ा। सेना ने विकास का इस्तीफा 22 नवंबर की तारीख से सशर्त मंजूर कर लिया। इससे पहले कर्नाटक हाई कोर्ट ने सेना को प्यार में रोड़ा अटकाने के लिए फटकारा था।
मेजर विकास कुमार श्रीलंका की रहने वाली शोध छात्रा अर्निला राणामले गुनारत्ने से एक श़पिंग मॉल में मिले थे। दोनों को प्यार हो गया लेकिन विकास कुमार को इस बात का अहसास नहीं था कि उनका सेना में होना प्यार की राह में रोढ़ा बन जाएगा।
मेजर विकास कुमार को दो बार शादी टालनी पड़ी। वो दिसंबर 2011 में ही शादी करना चाहते थे। लेकिन नहीं हो पाई। इसके बाद मार्च 2012 में उन्होंने शादी तय की लेकिन एक बार फिर उनकी शादी नहीं हो पाई। अब अंततः उन्हें शादी करने की अनुमति मिल गई है और वह अगले महीने शादी करने जा रहे हैं।
लेकिन मेजर विकास कुमार की मुश्किलें अभी खत्म नहीं हुई हैं। सेना ने उनकी बीटैक की डिग्री पर हुए खर्च को भी वापस मांगा है। विकास कुमार के अनुसार यह करीब 16 लाख रुपये होगा। हालांकि वह यह रकम लौटाने के लिए तैयार नहीं है। विकास कुमार के अनुसार इंजीनियरिंग कोर्स के लिए उनकी सेवा की शर्तें जुलाई 2012 में ही खत्म हो गईं थीं।
वहीं गुनारत्ने अभी भी शादी को लेकर आशंकित हैं। वह कहती हैं, 'मुझे नहीं लगता कि यह हो पाएगा। यह बहुत मुश्किल रहा है। हमने सोचा था कि सभी मामले 6 महीनों में निपट जाएंगे और हम दिसंबर 2011 तक शादी कर लेंगे।'
मेजर विकास कुमार के लिए मुश्किल सिर्फ ट्रैनिंग का खर्च लौटाना ही नहीं बल्कि एक विदेशी युवती से संबंध रखने के कारण उनके खिलाफ सेना की कोर्ट ऑफ इंक्वायरी भी चल रही है। साल 2004 के एक आदेश के मुताबिक सेना के किसी भी अधिकारी को विदेशी महिला (भूटान की नागरिकों को छोड़कर) से शादी करने से पहले सरकार से अनुमति लेना अनिवार्य है। साथ ही जीवन साथी का भारत की नागरिकता लेना भी अनिवार्य है।
गुणारत्ने कहती हैं, 'सब सोचते हैं कि हाई कोर्ट के आदेश के बाद हमारी शादी का रास्ता साफ हो गया है। लेकिन हमारे पास सेना को लौटाने के लिए पैसा नहीं है और न ही अब हम कानूनी लड़ाई का खर्च उठा सकते हैं। सेना इंजीनियरिंग की डिग्री पर हुए खर्च को लौटाने पर भी अड़ी है। 12 साल सेना की सेवा में कोई इतना पैसा नहीं बचा पाता है। हम एक बार फिर मुश्किल में हैं।'
विजय कुमार ने इस विषय में सेना मुख्यालय को पत्र लिखा है और अब यह जोड़ा सेना के जवाब का इंतजार कर रहा है। सेना को उन्हें यह बताना है कि कुल कितनी रकम लौटानी है।
गुणारत्ने मानती हैं कि मुश्किलों ने उनके रिश्ते को और भी मजबूत कर दिया है। वह कहती हैं, 'हमारी मुश्किलें हमें और करीब ले आईं हैं और रिश्ते को मजबूत किया है। अब यह सामान्य रिश्ता नहीं है। मुझे लगता है कि हम बहुत आगे बढ़ चुके हैं लेकिन शादी के मामले में अटके हुए हैं।' हालांकि कुमार और गुणारत्ने का परिवार पूरी तरह उनके साथ है। गुणारत्ने मानती हैं कि उनके लिए अब कदम पीछे खींचना मुमकिन नहीं है। वह कहती हैं, 'अगर यह अरेंज मैरिज होती तो हम किसी और के बारे में भी विचार कर सकते थे। लेकिन यह हमारा बनाया हुआ रिश्ता है। हमने सबकुछ सोच समझकर किया है। हम 20 साल के युवा नहीं है। हमने स्काइप और फोन के जरिए बहुत बातें की हैं।'
गुणारत्ने मानती है कि अब कोर्ट के चक्कर लगाना उनके लिए मुश्किल है। वह कहती हैं, 'हम कोर्ट के चक्कर लगाकर थक गए हैं। न ही अब हममे धैर्य बचा है और न ही आर्थिक सामर्थ्य। हमारा भविष्य अस्पष्ट है। यदि हम सेना को पैसा नहीं लौटा पाए तो अदालतों के चक्कर काटने में ही साल-ढेड़ साल और बीत जाएगा।'
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