मंगलवार, 25 फ़रवरी 2014

पहले भरी प्रेमिका की मांग, फिर खाया जहर

श्रीगंगानगर। परिजन शादी को राजी नहीं हुए तो गांव के पास ही एक खेत में जाकर अग्नि के समक्ष सात फेरे लिए, खुद ही विवाह की सारी रस्में निभाई और बाद में जहर खाकर साथ जीने और मरने का वादा निभा गए।
घटना पंजाब के अबोहर क्षेत्र के गांव खाटवां में रविवार रात की है। पुलिस ने प्रेमी युगल के शव बरामद कर पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप दिए।

पुलिस के अनुसार गांव खाटवां के रहने वाले सोनू का गांव की सुनीता के साथ प्रेम प्रसंग था। दोनों के परिजन इसका लगातार विरोध करे रहे थे।

रविवार रात सोनू सुनीता को अपने खेत में ले गया। वहां उसने सुनीता की मांग में सिन्दूर भरने के बाद अग्नि के समक्ष सात फेरे लिए।

फेरे पूरे होने के बाद दोनों ने जहर गटक लिया। उधर रात्रि में दोनों को घरों में नहीं पाकर उनके परिजन सुबह तक ढूंढ़ते रहे। इसी बीच सुबह खेत में काम करने वाले लोगों ने युवक-युवती के शव खेत में पड़े होने की सूचना दी।

सुसाइड नोट मिले
घटनास्थल से दोनों की ओर से लिखे अलग-अलग सुसाइड नोट बरामद हुए। इसमें उन्होंने अपनी मौत का जिम्मेदार खुद को ही बताया है। चिकित्सकों के अनुसार दोनों की मौत जहर के असर से हुई है।

इश्क में पागल छोरा पाक सरहद में घुसा

जयपुर। मोहब्बत भी अजीब होती है जो किसी धर्म, जाति और किसी देश की सरहदों को नहीं मानती। प्यार करने वाले सरहदों को लांघ कर एक दूसरे से मिलने पहुंच जाते हैं।
अगर इस प्रेम कहानी में प्रेमी जोड़ा भारत-पाकिस्तान का हो तो फिर मामला पूरा फिल्मी हो जाता है। यह प्रेम कहानी है मुंबई के एक नौजवान और पाकिस्तान की एक युवती की, जो एक दूसरे से फेसबुक पर मिले और फिर एक दूसरे को दिल दे बैठे।

लेकिन लड़की के घरवाले जब उसकी शादी की बात किसी और लड़के से चलाने लगे तो उसने अपने प्रेमी को यह बात बताई। फिर क्या था, 26 साल का हामिद नेहाल अंसारी अपनी महबूबा से मिलने निकल पड़ा। काबुल से होता हुआ वह पाकिस्तान की सरजमीं पर पहुंच गया। लेकिन उसका कुछ महीनों से पता नहीं चल रहा है।

कोर्ट से मदद की गुहार
हामिद 4 नवंबर को काबुल पहुंचा और फिर वह अवैध तरीके से 10 नवंबर को पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिम इलाके में घुस गया। आखिरी बार वह पाकिस्तान के कोहाट क्षेत्र में था। वहां वह एक उदूूü अखबार के पत्रकार के साथ रह रहा था।

उसके रिश्तेदारों ने फेसबुक से जाना कि वह एक नौकरी के लिए काबुल गया था। हामिद की मां फौजिया कोे सोमवार को उच्चतम न्यायालय से कुछ मदद की उम्मीद जगी। उसने कोर्ट से बेटे को खोजने के लिए भारत सरकार को इस मसले को पाक सरकार के सामने उठाने की अपील की थी।

"तालिबान के गढ़ में बेटा"
फौजिया को जब पता चला कि उसका बेटा कोहाट में है तो उसकी चिंता बढ़ गई। यह क्षेत्र पाक तालिबान के प्रभाव वाले इलाके वजीरिस्तान के पास ही है। तब उसने नवंबर 2013 में सुप्रीम कोर्ट से मदद की अपील की थी।

हामिद को ढूंढने की कोशिश
कोर्ट ने फौजिया की याचिका की एक कॉपी एडिशनल सॉलिसीटर जनरल इंदिरा जयसिंह को भेजने का आदेश दिया। उन्होंने कोर्ट को बताया कि भारत सरकार हामिद का पता लगाने की कोशिश कर रही है।

फौजिया के वकील ने सोमवार को कोर्ट को बताया कि हामिद 4 नवंबर को रोटरी क्लब के माध्यम से अफगानिस्तान गया था। पाक में वह जिस पत्रकार के साथ रहा, उसने भारतीय उच्चायोग को बताया कि वह दो दिन उसके साथ रहा था और अपनी प्रेम कहानी उसे बताई थी। ऎसा लगता है कि उसके बाद पाक की सुरक्षा एजेंसियों ने उसे पकड़ लिया हो और उसके बाद कोर्ट में उसका मामला ठंडे बस्ते में चला गया हो।

हामिद को खोजने की भारत सरकार के प्रयासों से संतुष्ट होकर कोर्ट ने फिलहाल कुछ नहीं कहा और उसकी मां को फिलहाल खाली हाथ ही लौटना पड़ा।

ऊंट को राज्य धरोहर का दर्जा देने की तैयारी



साभार अरविंद सिंह शक्तावत/

जयपुर। रेगिस्तान के जहाज ऊंट को राज्य की धरोहर का दर्जा देने की तैयारी की जा रही है। धरोहर घोषित होने के बाद ऊंट का वध करने वाले को कम से कम एक साल की सजा भुगतनी पड़ेगी।

मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने पिछले दिनों ही ऊंटों की तेजी से घटती संख्या पर गहरी चिंता जताते हुए इनके संरक्षण के निर्देश अधिकारियों को दिए थे। इसके साथ ही सरकार ऊंट की प्रदेश से बाहर निकासी पर भी प्रतिबंध लगाने जा रही है।

राज्य सरकार ऊंट को राजकीय धरोहर घोषित कर इसके "लोगो" अर्थात प्रतीक चिन्ह का प्रमुख विभागों, संस्थाओं, राजकीय उपक्रमों एवं प्रचार-प्रसार सामग्रियों में इस्तेमाल करेगी।

वर्तमान में सिर्फ राजस्थान पर्यटन विकास निगम ही अपने "लोगो" में ऊंट के चित्र का उपयोग कर रहा है। ऊंट को राज्य, राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने और उसके संरक्षण के प्रति जन-जागरूकता फैलाने के लिए सरकार यह कदम उठाने जा रही है।

मुख्यमंत्री ऊंटों की घटती संख्या को लेकर खासी चिंतित हैं। उनके निर्देश के बाद ऊंट को राजकीय धरोहर घोषित करने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। ऊंट को बचाने के लिए हर स्तर पर प्रयास किए जाएंगे। प्रभुलाल सैनी, कृषि एवं पशुपालन मंत्री

राज्य में ऊंट
1983 -- 7.56 लाख
2007-- 4.22 लाख
2014-- 02 लाख से कम होने की आशंका

ये कदम उठाए जाएंगे
सभी जिलों में ऊंट, ऊंट टोलों, ऊंट पालकों का पंजीकरण होगा। स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से ऊंट पालक सहकारी समितियों का गठन होगा।
अलग से प्रजनन नीति लागू की जाएगी। इससे ऊंटों की नस्लों में सुधार और दुग्ध उत्पादन में बढ़ोतरी होगी।
चराई के लिए ऊंटों को राज्य से बाहर जाने से रोकने के लिए गोचर भूमियों का विकास होगा, वन क्षेत्र में भी एक सीमित क्षेत्र में चराई की अनुमति के प्रयास होंगे।
कैमल सफारी को बढ़ावा देने के लिए ऊंट पालकों को पर्यटन विभाग से जोड़ा जाएगा। ऊंट की बीमा राशि को बढ़ाया जाएगा।

ऊंट वध पर जेल
पशुपालन विभाग ने जो प्रस्ताव तैयार किया है, उसके मुताबिक, कोई ऊंट का वध करता है, तो कम से कम एक साल की सजा का प्रावधान किया गया है। इसके लिए सरकार राजस्थान ऊंष्टवंशीय पशु (वध का प्रतिषेध और अस्थाई प्रजनन या निर्यात का विनियमन ) अधिनियम 2014 बनाने जा रही है। यह प्रस्ताव एक-दो दिन में विधि विभाग को भिजवाया जाएगा।

20 हजार में बनी थी एक रात की दुल्हन

सीकर। इलाके के सुरपुरा गांव में एक युवक को शादी का झांसा देकर एक रात की दुल्हन व उसके साथियों ने साढ़े तीन लाख रूपए ठग लिए। शादी के बाद युवक व उसके परिवार वाले रूपए व दुल्हन को लाने के लिए चक्कर लगाते रहे, लेकिन रूपए वापस नहीं मिले।
बाद में युवक ने महिला व उसके साथी के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज करवाया। मामले में पुलिस ने सोमवार को दुल्हन को रेवाड़ी से गिरफ्तार किया है। दुल्हन पहले से शादीशुदा है तथा उसके दो बच्चे हैं। पूछताछ में उसने बताया कि 20 हजार रूपए देकर एक रात की दुल्हन बनाया गया था।

साढ़े तीन लाख रूपए में तय हुई थी शादी

थानाप्रभारी भगवानसिंह ने बताया कि सुरपुरा निवासी बहादुरसिंह की कई दिनों से शादी नहीं हो रही थी। बहादुर का सम्पर्क अपने रिश्तेदार लाडपुरा स्थित टीलावाली ढाणी निवासी मूलचंद से हुआ। मूलचंद ने बहादुर की शादी करवाने की बात कहीं।

मूलचंद ने शादी करवाने की एवज में साढ़े तीन लाख रूपए की मांग की। साढ़े तीन लाख रूपए मिलने पर कोटपुतली में बहादुर की सुनीता से शादी करवा दी गई। शादी के दूसरे दिन पत्नी सुनीता वापस ससुराल चली गई। वहां से सुनीता लौटी नहीं। बाद में बहादुर को ठगी का पता चला। इस पर उसने मूलचंद व रेवाड़ी की सुनीता के खिलाफ मामला दर्ज करवाया।

दो बच्चों की मां है

मामले में पुलिस ने सोमवार को रेवाड़ी से सुनीता को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में सामने आया कि सुनीता की शादी रेवाड़ी में हुई है। सुनीता के दो बच्चे हैं। मूलचंद ने 20 हजार रूपए देकर एक रात की दुल्हन बनने के लिए राजी किया था। पुलिस मूलचंद की तलाश कर रही है।

सोमवार, 24 फ़रवरी 2014

बाड़मेर धोरीमन्ना थानाधिकारी के खिलाफ प्रसंज्ञान

  बाड़मेर धोरीमन्ना थानाधिकारी के खिलाफ प्रसंज्ञान

 प्रकाशचंद बिश्नोई (धोरीमन्ना)


बाड़मेर। अतिरिक्त सिविल न्यायाधीन कनिष्ठ खंड बाड़मेर ने धोरीमन्ना थानाधिकारी राजेंद्र चौधरी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 166 ए((सी)) के तहत प्रसंज्ञान लिया है।
6 सितंबर 2013 को भादूओ की बेरी कातरला निवासी एक जने ने अपनी पत्नी के साथ दुष्कर्म के मामले की रिपोर्ट पुलिस थाना धोरीमन्ना को दी, लेकिन पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया। वहीं 1 अक्टूबर 2013 को पीडि़त ने एसपी को ज्ञापन सौंपा और पुलिस की ओर से मामला दर्ज नहीं करने की शिकायत की। 19 अक्टूबर 2013 को पीडि़त ने परिवादी की पत्नी ने न्यायिक मजिस्ट्रेट बाड़मेर के समक्ष अपना परिवाद पेश किया। कोर्ट ने इस मामले में थानाधिकारी के खिलाफ भी प्रसंज्ञान लिया है। 

बाड़मेर बजट बैठक में नहीं आई सभापति ,भाजपा परिषदो के हंगामे कि आशंका के चलते

बाड़मेर बजट बैठक में नहीं आई सभापति ,भाजपा परिषदो के हंगामे कि आशंका के चलते 


बाड़मेर बाड़मेर के सालन बजट पारित करने के लिए सोमवार को राखी गयी अहम् बैठक सभापति के बैठक में नहीं आने से स्थगित कर दी गयी। सभापति को भाजपा पार्षदो के हंगामा करने कि आशंका थी। उल्लेखनीय हें वर्त्तमान में कांग्रेस का बोर्ड हें।


सोमवार को बाड़मेर नगर परिषद् के वार्षिक बजट निर्धारण के लिए अहम् बैठक आहूत कि गयी थी। निर्धारि बाराज बजे तक कांग्रेस और भाजपा के पारिषद और आयुक्त बैठक में पहुँच गए मगर दो घंटे तक सभापति का इन्तजार करने के बावजूद उनके ना आने से पार्षद बिफर गए। बैठक छोड़ चलते बने। इधर सभापति को बैठक पूर्व सूचना मिली थी कि बैठक में भाजपा पार्षद हंगामा खड़ा करने जा रहे हें ,चूँकि पूर्व कि बोर्ड कि बैठको में स्थानीय विधायक उपस्थित रहते थे जो सभापति का बचाव करते मगर राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद पहली बार हो रही बैठक में क्षेत्रीय कांग्रेसी विधायक ने आना मुनासिब नहीं समझा वाही सभापति ने भी बैठक से किनारा कर लिया।

नेताजी बोस ने नहीं दिया जय हिंद का नारा!

नई दिल्ली। जय हिंद का नारा नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने नहीं बल्कि उनके दुभाषिए और सचिव जैनुल आबिदीन हसन ने दिया था। ये दावापूर्व ब्यूरोक्रेट नरेन्द्र लूथर ने अपनी किताब "लिजेंड्स ऑफ हैदराबाद" में किया है। हालांकि ये अभी तक माना जाता है कि ये नारा बोस ने दिया था। नेताजी बोस ने नहीं दिया जय हिंद का नारा!
नेताजी के लिए छोड़ दी थी इंजीनियरिंग
लूथर ने अपनी किताब में आजादी के समय की बातों का उल्लेख किया है। उनकी किताब का केन्द्र हैदराबाद शहर है। किताब में हैदराबाद के बारे में भी कई रोचक बातें लिखी गई है। उन्होंने किताब में लिखा है कि जय हिंद का नारा सबसे पहले नेताजी के सचिव और दुभाषिए जैनुल आबिदीन हसन ने दिया था। हसन मूल रूप से हैदराबाद के निवासी थे। उन्होंने केवल नेताजी के साथ काम करने के लिए जर्मनी में अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई छोड़ दी थी। खास बात यह भी है कि हसन के पिता स्वयं कलक्टर थे।

इस तरह हुआ जय हिंद का जन्म
लूथर ने लिखा है, नेताजी आजाद भारत के लिए एक भारतीय नारा चाहते थे। बहुत सारी सलाहें मिलीं। हसन ने भी पहले हलो शब्द दिया। इसपर नेताजी खफा हो गए थे। फिर उन्होंने जय हिंद का नारा दिया जो नेताजी को पसंद आया और इस तरह जय हिंद आईएनए और क्रांतिकारी भारतीयों के अभिवादन का वास्तविक स्वरूप बन गया।

आईएनए में मेजर बने थे हसन
लूथर के अनुसार द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान नेताजी बोस भारत की आजादी के लिए सशस्त्र संघर्ष के लिए समर्थन जुटाने जर्मनी चले गए थे। वहां वे भारतीयों से मिले और उनसे अपनी लड़ाई में शामिल होने की अपील की। हसन युवा थे और वो भी नेताजी से मिले और देशभक्ति की भावना से प्रेरित होकर अपनी पढ़ाई खत्म कर उनके साथ काम करने की बात कही। हसन बाद में इंडियन नेशनल आर्मी में मेजर बन गए। इसके बाद बर्मा (अब म्यांमार) से भारत की सीमा पार तक के मार्च में हिस्सा लिया।

प्यार में हताशा मिली तो युवती ने दी जान!

बाड़मेर। राजस्थान के बाड़मेर में रविवार रात को एक युवती ने तालाब में कूदकर आत्महत्या कर ली। घटना की जानकारी सोमवार सुबह लगी। इस पर पुलिस ने शव को तालाब से बाहर निकलवाया। प्राथमिक जानकारी में मामला प्रेम प्रसंग का माना जा रहा है। डूबनेप्यार में हताशा मिली तो युवती ने दी जान!
सदर थानाधिकारी ओपी उज्जवल ने बताया कि जिले के महाबर गांव में युवती के तालाब में कूदने की जानकारी मिली। इसके बाद उसके शव को गोताखोरों की मदद से बाहर निकाला गया। हालांकि तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। युवती की आत्महत्या के पीछे प्रेम प्रसंग में असफलता को माना जा रहा है।

गौरतलब है कि रविवार को दोपहर में ही इसी तालाब में एक युवक ने आत्महत्या की थी। पुलिस दोनों मामलों की जांच कर रही है।

पढ़ने के लिए बन गई पोर्न स्टार

वाशिंगटन। लाचारी और तंगी लोगों से क्या-क्या नहीं कराने को मजबूर करता है। एक अमरीकन छात्रा को अपनी फीस भरने के लिए ऎसा काम करना पड़ा जिसके बारे में आप सोच भी नहीं सकते।
डयूक विश्वविद्यालय की एक छात्रा के लिए फीस भरना इतना मुश्किल था कि उसने पढ़ाई छोड़ने से बेहतर पोर्न फिल्मों में काम करना समझा। यूनिवर्सिटी से लॉ कर रही छात्रा लॉरेन ने ये चौंकाने वाला खुलासा किया है।

लॉरेन ने बताया कि पढ़ाई की भारी फीस 60,000 डॉलर चुकाने के लिए वो पोर्न फिल्मों में काम करती थी और उसे यह काम करने मेे कुछ भी गलत नजर नहीं आता। लॉरेन की परेशानी तब बढ़ी जब एक नया छात्र थामस बैगल यूनिवर्सिटी में पढने आया।

जब वह लॉरेन से मिला तो उसने पूछा कि क्या वह एडल्ट फिल्मों में काम करती थी? छात्र ने कहा कि उसने लॉरेन को पोर्न फिल्मों में देखा है। तब लॉरेन को ये स्वीकार करना पड़ा कि वो अपनी पहचान छिपाकर पोर्न फिल्मों में काम करती है।

लॉरेन के बारे में यह बात पता चलने पर टि्वटर और एफबी पर कमेंट का दौर चल पड़ा। इसके बाद लॉरेन ने ऑनलाइन चर्चाओं को थामने के लिए अपना पक्ष रखा। उसने बताया कि वह यूनिवर्सिटी की पढ़ाई की भारी फीस चुकाने के लिए ऎसा करती थी।

लॉरेन ने कहा कि खबर छपने से उसका भरोसा टूटा है। खबर में उसे पैसा उड़ाने और मौजमस्ती करने वाली लड़की बताया गया। उसने कहा कि आर्थिक परेशानियों की वहज से वह यूनिवर्सिटी की भारी भरकम ट्यूशन फीस नहीं दे सकती थी, इसलिए स्नातक की शिक्षा पूरी करने के लिए यह रास्ता चुना।

कामधेनू के आशीर्वाद को आतुर हुए लोग

शोलापुर। गाय को हमारे देश में माता का दर्जा दिया गया है। हर शुभ कार्य में हम गाय माता की पूजा कर उनको भोग लगाते हैं।
अब यहां के लक्ष्मण भोंसले को ही लीजिए जो कुछ ऎसा ही कर लोगों को लाभान्वित कर रहे हैं।

लक्ष्मण की गाय भी बड़ी विचित्र है। इस गाय के पांच पैर हैं । इसका पांचवा पैर इसकी पीठ पर है। लक्ष्मण आजकल अपनी इस गाय को लेकर भारत भ्रमण पर निकले हैं। कारण यह विश्वास कि चार साल की इस गाय के पांचवे पैर को छूना शुभ होता है।

लक्ष्मण का कहना है कि गाय का यह पांचवा पैर हमें यह सीख देता है कि इस प्राणी का सम्मान करना चाहिए और इसका आशीर्वाद लेना चाहिए। उनका यह भी कहना है कि इस से अच्छा भाग्य प्राप्त होता है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

लक्ष्मण पिछले साल की 15 जुलाई से भारत यात्रा पर हैं और महाराष्ट्र के शोलापुर से शुरू हुई इस कामधेनू यात्रा में वे अब तक 6 राज्य और 15 प्रमुख शहर कवर कर चुके हैं।

वे बताते हैं कि इस गाय के दर्शन और आशीर्वाद को आतुर लोग दूर दराज से भी इसके पास आते थे । इसीलिए उन्होंने इस यात्रा का प्रायोजन किया ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इसका आशीर्वाद प्राप्त कर सकें।

अब तक लक्ष्मण महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, हरियाणा और उत्तर प्रदेश राज्यों को इस यात्रा में माप चुके हैं।

आतंकवादी संगठन से जुड़ा फौजी अरेस्ट

गुरदासपुर। खालिस्तान लिबरेशन फोर्स आतंकवादी संगठन के साथ संबंध रखने के आरोप में भारतीय सेना के एक जवान को गिरफ्तार किया गया है। पंजाब के गुरदासपुर जिले की अदालत से आदेश प्राप्त कर इसे हरियाणा के हिसार जिले में भारतीय सेना की यूनिट से दबोचा गया।
पुलिस सूत्रों के अनुसार गत वर्ष सितम्बर माह में पुलिस ने शिव सेना नेताओं को मारने की योजना बनाने बाले तथा हथियारों की आपूर्ति करने वाले गिरोह के 12 सदस्यों को गिरफ्तार किया था लेकिन जांच के बाद दो नौजवानों को निर्दोष पाए जाने पर उन्हे छोड़ दिया गया था।

इन खालिस्तान लिबरेशन फोर्स के गिरफ्तार आतंकवादियों मे से एक गुरप्रीत सिंह उर्फ गोपी ने स्वीकार किया था कि उनका एक भाई हरप्रीत सिंह फौजी जो हिसार मे सेना मे नौकरी करता है, वह भी खालिस्तान संबंधी गतिविधियों मे शामिल है।

सूचना के आधार पर पुलिस ने अदालत से हरप्रीत सिंह सैनिक को गिरफ्तारी करने संबंधी वारंट प्राप्त किए और उसे गिरफ्तार करके जिला गुरदासपुर लाया गया।

पुलिस सूत्रों के अनुसार हरप्रीत सिंह से पूछताछ करने पर उसने स्वीकार किया कि उसने अपने गांव खोखर से एके-47 राइफल तथा दो पिस्तौल गत वर्ष उठाकर गांव सोहल में अपने भाई की सास को दिए थे। आरोपी का पुलिस रिमांड लेकर उससे गहनता से पूछताश की जा रही है तथा उससे महत्वपूर्ण सुराग मिलने की उम्मीद है।

सरकार हटा सकती है तबादलों पर रोक!

जयपुर। प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी के बड़े बदलाव के बाद अब भाजपा विधायकों ने सरकार पर लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने से पहले तबादलों से प्रतिबंध हटाने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया है।
हालांकि सरकार की ओर से तबादलों से प्रतिबंध हटाने का कोई संकेत नहीं मिला है। दूसरी ओर विधायक चाहते हैं कि लोकसभा चुनाव से पहले तबादलों से प्रतिबंध हटाया जाए, जिससे उनको लोकसभा चुनाव के लिए वोटबैंक बनाने में कुछ मदद मिल सके।

सूत्रों की मानें तो शिक्षा, चिकित्सा, पानी और बिजली महकमों के मंत्रियों ने लगभग 50 से 60 हजार कार्मिकों के तबादलों की सूचियां तैयार भी कर ली हैं।

गौरतलब है कि सरकार के विधायक मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से सरकार बनने के बाद लगतार यह शिकायत कर रहे थे कि उनके विधानसभा क्षेत्रों में पिछली सरकार के समय लगे एडीएम, एसडीएम, तहसीलदार समेत तमाम अधिकारी लगे हुए हैं, जिन्हें हटाया जाए।

पैठ बनाने में सहारा
मुख्यमंत्री ने रविवार रात को विधायकों की भावना को ध्यान में रखते हुए 400 से अधिक अफसरों को बदल दिया। अब विधायक चाहते हैं कि चुनाव आचार संहिता लगने से पहले विभागों में लगे तबादलों से प्रतिबंध भी हटा लिया जाए, जिससे लोकसभा चुनाव में वोट बैंक बनाया जा सके।

दौरे के दौरान मिलीं अर्जियां
वैसे भी मुख्यमंत्री जब सभी मंत्रियों के साथ भरतपुर संभाग के दौरे पर गई तो खुद उनके और मंत्रियों को पास हजारों की संख्या में तबादला कराने के लिए अर्जियां आईं, जिन्हें मंत्रियों ने आश्वासन देकर अपने पास रख लिया। सूत्रों के अनुसार अगर तबादलों से प्रतिबंध हटता है तो सबसे ज्यादा तबादले शिक्षा, चिकित्सा, पानी बिजली महकमों में होंगे।

जैसलमेर।हुक्का-पानी किया बंद, पंचायत पर एफआईआर



जैसलमेर। एक जाति पंचायत के खिलाफ पुलिस ने एफआईआर दर्ज किया है। इस पंचायत ने गांव के एक परिवार का हुक्का पानी इसलिए बंद कर दिया था क्योंकि उन्होंने बेटी के ससुराल वालों के खिलाफ दर्ज मामला वापस लेने से इनकार कर दिया था।

परिवार के मुखिया की शिकायत पर पुलिस ने रामगढ़ क्षेत्र की पंचायत के 24 सदस्यों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। यह घटना राजस्थान के जैसलमेर की है।

"खुदकुशी के लिए बेटी को उकसाया"
राणाराम ने दो साल पहले अपनी बेटी संतोष की शादी खेमराम से की थी। पांच अक्टूबर 2013 को खेमराम और उसके घरवालों ने दहेज के लिए संतोष को खुदकुशी के लिए मजबूर कर दिया। राणाराम की शिकायत पर पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर आरोपी खेमराम को गिरफ्तार कर लिया। वह फिलहाल जेल में है।

समझौते के लिए दबाव
पुलिस में मामला दर्ज कराने से नाराज खेमराम के घरवालों ने जाति पंचायत में इस मुद्दे को उठाया और उनके पक्ष में फैसला करने की बात की। इसके कुछ दिनों बाद ही मेघवाल पंचायत ने राणाराम को बुलाया। उसे एफआईआर वापस लेने और समझौता करने को कहा। ताकि खेमराम को जेल से आजादी मिल सके।

पंचायती फरमान के इनकार पर हुक्का पानी बंद
राणाराम ने पंचायती फरमान मानने से इनकार कर दिया। मेघवाल समुदाय ने उसके परिवार का हुक्का पानी बंद कर दिया। इस पर राणाराम ने पुलिस को लिखित शिकायत दी। एसपी विकास शर्मा के निर्देश पर पंचायत के 24 सदस्यों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।

‘निर्मल बाबा’ पर 3.5 करोड़ का कर चोरी का आरोप



नयी दिल्ली, स्वयंभू धार्मिक गुरु ‘निर्मल बाबा’ को मिल रहे ‘दसबंद’ ने उन्हें संकट में डाल दिया है। निर्मल बाबा को 3.5 करोड़ रुपए की कथित सेवाकर चोरी का नोटिस भेजा गया है। दसबंद श्रद्धालु की आय का दसवां हिस्सा है जो वह दान में प्राप्त करते हैं। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय उत्पाद शुल्क विभाग ने इस आधार पर नोटिस जारी किया है कि ‘समागम’ में आने वाले श्रद्धालुओं से एक ‘सेवा’ के लिए दसबंद वसूला जाता है।
‘निर्मल दरबार’ की गतिविधियां जुलाई, 2012 के बाद उत्पाद शुल्क विभाग की नजर में आईं। जुलाई, 2012 में और सेवाओं को ‘सेवाकर’ दायरे में लाने के लिए एक नकारात्मक सूची जारी की गई थी। उन्होंने कहा कि निर्मल बाबा के खिलाफ दसबंद संग्रह को लेकर करीब 3.5 करोड़ रुपए का नोटिस दिया गया है। निर्मल दरबार को भेजे गए ई-मेल का कोई जवाब नहीं आया। इसी तरह, फोन किए जाने पर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।
निर्मल दरबार के एक कर्मचारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया, ‘हमारे यहां मीडिया से बातचीत करने के लिए कोई व्यक्ति नहीं है। कृपया हमारी वेबसाइट पर दिए गए पते पर ईमेल भेजें।’ निर्मल बाबा के वेबसाइट के अनुसार उनके समागम में शामिल होने के लिए प्रति व्यक्ति 3,000 रुपए (कर सहित) पंजीकरण शुल्क का भुगतान करना होता है, जबकि ‘शो’ में शामिल होने का खर्च प्रति व्यक्ति 5,000 रुपए (कर सहित) है।

तेरहताली नृत्य रेत के टीलों से निकल कर विदेशी धरती पर


तेरहताली नृत्य रेत के टीलों से निकल कर विदेशी धरती पर

साभार ओम मिश्रा

राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र के प्रसिद्ध तेरहताली नृत्य को देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में पहचान दिलाने वाली मांगी बाई आज किसी भी परिचय का मोहताज नहीं है। शारीरिक कौशल का पर्याय माने जाने वाले इस लोकनृत्य को कामड़ जाति की औरतें प्रस्तुत करती हैं। कामड़ जाति के आराध्य देव बाबा रामदेव जी हैं। अपने आराध्य देव की प्रार्थना में किये जाने वाले भजनों को तेरहताली लोकनृत्य के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है। कामड़ जाति की स्त्रियां इस नृत्य को बैठकर करती हैं और पुरुष स्त्रियों के चौतरफा बैठकर तंदूरा, ढोलक एवं मंजीरा बजाकर बाबा रामदेव व अन्य देवी-देवताओं की जीवन-लीला तथा भजनों को गाते हैं।
राजस्थान के लोकनृत्य को देश के अतिरिक्त विदेशों में लोकप्रिय बनाने का श्रेय 72 वर्षीय नृत्यांगना मांगीबाई को जाता है। उन्होंने इस लोकनृत्य को अपनी रोजी-रोटी का साधन न बनाकर भक्ति, कला और साधना के साथ में ही अंगीकार किया। यह मांगी बाई की कला साधना का ही परिणाम है कि उनके द्वारा किए जाने वाले तेरहताली नृत्य में बजने वाले मंजीरों से निकलने वाली स्वर लहरियों ने समूचे संसार को मंत्र मुग्ध कर दिया।
मांगीबाई का जन्म यूं तो चित्तौडग़ढ़ के बनिला गांव में हुआ। परन्तु विवाह पाली जिले के पादरला गांव में मात्र दस वर्ष की अवस्था में हो गया। ससुराल में आकर अपने जेठ गोरमदास से तेरहताली नृत्य की कला सीखी। तेरहताली उनके परिवार तथा जाति का पुश्तैनी धंधा था। मांगीबाई शुरू में तो अपने पुश्तैनी धंधे के रूप में यह नृत्य आस-पास के गांवों में ही करती रही। सन् 1954 पं. जवाहर लाल नेहरू की उपस्थिति में चित्तौडग़ढ़ में आयोजित गाडिय़ा लुहार सम्मेलन में पहली बार हजारों दर्शकों तथा पं. नेहरू जी को भी अपनी नृत्यकला से मोहित कर लिया। इस अविस्मरणीय प्रथम प्रस्तुति के बाद मांगीबाई एक के बाद एक सफलता के पायदान तय करती हुई आज इस स्थिति में पहुंच गयी कि उन्हें तेरहताली नृत्य का पर्याय माना जाने लगा।
72 वर्षीय मांगीबाई तेरहताली नृत्य के बारे में बताती हैं कि — ‘ तेरहताली नृत्य में तेरह मंजीरे हाथ और पांव पर बंधे रहते हैं। दायें पैर पर एड़ी से घुटने के मध्य रेखीयक्रम में नौ मंजीरे बंधे होते हैं। जबकि एक-एक मंजीरा दोनों हाथों की कुहनियों पर तथा दो तथा दो मंजीरे हाथ की उंगलियों में खुलेे रहते हैं। हाथ के दोनों मंजीरों को लेकर जब इन बंधे हुए मंजीरों को बजाया जाता है तो ध्वनि तथा लय का अद्भुत समा बंध जाता है। इस नृत्य के दौरान तेरहताली नृत्यांगनाएं सिर पर पूजा की थाली, कलश, दीपक रखकर तथा मुंह में तलवार दबाकर अनेकानेक भाव भंगिमाओं एवं शारीरिक संतुलन के साथ बैठकर नृत्य करती हैं। नृत्य के दौरान लेट कर तेरहताली बजाना, चक्कर लगाकर तेरहताली बजाना जैसे करतब विशिष्टï शारीरिक संतुलन को प्रदर्शित करते हैं। इस दौरान क्या मजाल कि एक भी मंजीरा बजने से चूक जाए। यह नृत्य महिलाओं द्वारा ही किया जाता है। पुरुष तानपुरे पर भजन तथा देवलीला का गायन करते हैं।
पचास वर्षों से लगातार तेरहताली नृत्य को प्रस्तुत करने वाली मांगीबाई को महामहिम राष्ट्रपति महोदय, माननीय प्रधानमंत्री भारत सरकार द्वारा संगीत नाटक अकादमी अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। राजस्थान सरकार द्वारा प्रतिष्ठिïत मीरा अवार्ड तथा राजस्थानी लोकनृत्य तेरहताली अवार्ड दिया जा चुका है। जिला कलक्टर पाली एवं पर्यटन विभाग भारत सरकार द्वारा भी उनकी कला को सम्मानित किया गया है। इस नृत्यकला के भविष्य के बारे में वह कहती हैं कि ‘ इस बात की पीड़ा है कि उन नृत्य को साधना के रूप में आज बहुत कम महिलाएं ले रही हैं। केवल जीविकोपार्जन के लिए नृत्य करना या जागरण में नृत्य करना इस कला के विकास को अवरुद्ध ही करता है। आने वाले समय में इस हिसाब से यह अनूठी लोकनृत्य कला लुप्त हो जाएगी। इसलिए यह जरूरी है कि तेरहताली नृत्य को एक कला साधना के रूप में स्वीकार कर इसके फलक को विस्तार दिया जाए। मैंने इसी क्रम में कुछ प्रयास किया है। नई पीढ़ी भी कुछ सक्रिय सार्थक प्रयास करे तो इस कला के क्षितिज को विस्तार मिलेगा।Ó
पेरिस,लंदन,अमेरिका, इटली,स्पेन, कनाडा, रूस आदि देशों में तेरहताली नृत्य का परचम फहराने वाली मांगीबाई की इस लोकनृत्य के लिए एक बेहद प्रशिक्षण केंद्र खोलने की योजना है लेकिन आर्थिक सहायता के अभाव में उनकी यह योजना परवान नहीं चढ़ पा रही है। अपनी इस योजना के संबंध में वह बताती हैं कि -’मैं अब तक पच्चीस से अधिक युवतियों को अपने स्तर पर इस कला में पारंगत कर चुकी हूं। लेकिन यह प्रयास थोड़ा ही है। यदि तेरहताली नृत्य प्रशिक्षण केंद्र खोलकर इस लोकनृत्य की तालीम युवतियों को दी जाती है तो अधिक से अधिक युवतियां इस कला को सीखने के लिए आयेंगी तथा इस लोकनृत्य कला का विकास भी होगा। परन्तु इस प्रशिक्षण संस्थान हेतु राजकीय स्तर पर अभी तक कोई मदद नहीं मिली है। मैं इस लोकनृत्य को फलता-फूलता देखना चाहती हूं।’