रविवार, 28 अक्तूबर 2012

हरियाणाः अब बच्चियों के 'पेट के दर्द' ने बलात्कारियों को पहुंचाया हवालात

अंबाला. लगातार बलात्कार की खबरों से शर्मसार हो रहे हरियाणा पर अब अंबाला जिले ने दाग लगाये हैं। यहां अलग-अलग मामलों में दो नाबालिगों से बलात्कार करने वाले तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। दोनों ही मामलों में लड़कियों के पेट में दर्द होने के बाद मेडिकल जांच में रेप का पता चला।

एक 13 साल की बच्ची के बलात्कार के आरोप में एक शादीशुदा व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया। बच्ची के प्रेग्नेंट होने पर बलात्कार की बात परिजनों को पता चली। पीड़िता के पिता की मौत हो चुकी है और मां बीमार रहती है

पुलिस जांच में पता चला है कि आरोपी शादीशुदा है और उसका एक बेटा भी है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक पीड़िता ने अपने परिजनों से पेट में दर्द होने की शिकायत की थी। दादी उसे अस्पताल ले गई जहां जांच में उसे गर्भवती पाया गया।

गर्भवती होने की बात पता चलने के बाद पीड़िता ने बताया कि पड़ोस का रहने वाला दीपक उसके साथ कई महीनों से सेक्स संबंध बना रहा है। लड़की ने यह भी बताया की दीपक ने किसी को इस बारे में बताने पर बुरे अंजाम की धमकी भी दी था।

लड़की के इस बयान के बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। इस मामले में पीड़िता को पंचकूला के सिविल अस्पताल रैफर किया गया है। गौरतलब है कि 16 साल से कम उम्र की लड़की से मर्जी से सेक्स करने को भी बलात्कार माना जाता है।

वहीं अंबाला में ही एक 11वीं कक्षा की छात्रा ने दो युवकों पर लगातार गैंगरेप करने का आरोप लगाया है। पीड़िता ने पेट में दर्द की शिकायत की तो परिजनों ने मेडिकल टेस्ट करवाया गया। इसके बाद ही उसने रेप की बात परिजनों को बताई। इस नाबालिग छात्रा से रेप के मामले में अमित और बलविंदर नाम के दो युवकों को गिरफ्तार कर लिया गया।

रेप के मामलों से शर्मसार हरियाणा पर इन ताजा मामले ने एक और दाग लगा दिया है। गौरतलब है कि गैंगरेप की ताबड़तोड़ वारदातों के चलते हरियाणा की देशभर में तीखी आलोचना हो रही है।

बाड़मेर भूमि अवाप्ति विरोध पर दुनिया की नजर

बाड़मेर भूमि अवाप्ति विरोध पर दुनिया की नजर


बाड़मेर शिवकर लिग्नाइट परियोजना के विरोध में छह दिन से चल रहे धरने ने बाड़मेर को विश्व पटल पर ला दिया है, शहर से केवल आठ किलोमीटर की सीमा में बाड़मेर के सात गावों में उक्त परियोजना के लिए भूमि आवाप्ति के लिए कार्यवाही की जा रही है, जिसके विरोध में लीगल मित्र संस्था के बैनर तले पीड़ित किसान एक जुट हो कर पिछले छह दिन से कलेक्ट्रेट के सामने धरने पर बैठे है, गौरतलब है की उक्त परियोजना से न केवल गोवों की तकरीबन पांच हजार लोग प्रभावित होंगे बल्कि शहर के इतने समीप होने वाले खनन से पुरे बाड़मेर शहर का वातावरण ख़राब हो जायेगा.


उक्त भूमि को आर एस एम् एम् एल कंपनी के लिए अवाप्त किया जाना प्रस्तावित है लेकिन सरकार ने अभी तक उक्त परियोजना के लिए पर्यावरण महकमे की मंजूरी नहीं ली है. लीगल मित्र के सचिव रितेश शर्मा ने बताया की " बिना पर्यावरण विभाग की अनुमति लिए और बिना सामाजिक सर्वेक्षण करवाए इतने लोगों को बेदखल किये जाने की कार्यवाही मनमानी है, यदि भूमि अवाप्त होने के बाद उक्त परियोजना को पर्यावरण की अनुमति नहीं मिलती तो गरीब किसान बेवजह बेघर हो जायेंगे" यही कारण है की बाड़मेर में अंतर्राष्ट्रीय सीमा , तेल की खोज और सैन्य अभ्यास सुदर्शन के बाद इस धरने ने बाड़मेर को विश्व पटल पर ला दिया है , धरने के मीडिया प्रवक्ता स्वरुप सिंह आगोर और विक्रम सिंह तारातरा ने बताया की "पीड़ित किसानों और लीगल मित्र का उक्त धरने की खबर सम्पूर्ण भारत के अलावा अमरीका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों में प्रकाशित हुई है, दुःख इस बात का है इस बार किसानों के रोष के लिए बाड़मेर ख़बरों में है" हालांकि किसानो को इस बात का भी दुःख हैं की सरकार ने भी सिवाय आश्वासन के अलावा अभी तक कोई लिखित कार्यवाही नहीं की हैं जो किसानो को निश्चिंत कर सके


जागरण का हुआ आयोजन भजनों के जरिये सरकार को जगाने का प्रयास


पिछले काफी दिनों से कलेक्ट्रेट के सामने गर्मी और रात को हाड़ कंपाने वाली सर्दी में बैठे किसानो को अभी तक सरकार से सकारात्मक कार्यवाही की उम्मीद हैं जो कब पूरी होगी इसी का किसानो को इंतज़ार हैं। इसी क्रम में धरना स्थल पर रविवार शाम को गंगागिरी मठ के महंत खुशालगिरी एंड पार्टी के द्वारा भजन संध्या में भजनों की प्रस्तुतियां दी गई इस भजन संध्या के जरिये सरकार की सोई चेतना को जगाने के लिए प्रार्थना की गई और तमाम किसानो ने भगवान से प्रार्थना की कि सरकार जल्द सभी किसानो को भूमि अवाप्ति नहीं होने की खुशखबरी दे


स्थानीय विधायक मेवाराम जैन धरने ने छठे दिन बाड़मेर पहुंचते ही सीधे धरना स्थल पर पहुँच कर धरनार्थियों को "शिवकर लिग्नाइट परियोजना" के अवाप्ति के बारे में उनकी मुख्य मंत्री से हुई मुलाकात के बारे में बताते हुए कहा की मुख्यमंत्री जी ने भूमि अवाप्ति रुकवाने के लिए सकारात्मक कार्यवाही करने को कहा है उन्होंने किसानो को भरोसा दिलाया की उनके साथ किसी भी प्रकार का अन्याय नही होगा उन्होंने कहा की मुख्यमंत्री इस मामले को लेकर गम्भीर हैं और उन्होंने किसानो की जमीन पर किसी प्रकार की अवैधानिक कार्यवाही नहीं किये जाने का भरोसा दिलाया हैं

वर्षो से फरार तीन स्थाई वारन्टी पुलिस की गिरफ्त में



वर्षो से फरार तीन स्थाई वारन्टी पुलिस की गिरफ्त में
जैसलमेर पुलिस अधीक्षक जिला जैसलमेर ममता राहुल के आदेशानुसार जिले में स्थाई वारन्टी/भगौडों को गिरफ्तार करने के लिए चलाये जा रहे अभियान के तहत कल्याणमल बंजारा वृताधिकारी के निर्देशन में थानाधिकारी पोकरण रमेश कुमार शर्मा द्वारा गठित टीम गंगाराम उ.नि., कानि. नारायणसिंह, भाईराम, सुभाषचन्द, व सवाईसिंह द्वारा रविवार  स्थाई वारन्टी ईलमदीन पुत्र आलमखां मुसलमान निवासी जेमला पुलिस थाना बाप जो दुर्धटना के मामले में वर्ष 2003 से, ईस्लामदीन पुत्र हासमखां मुसलमान निवासी बडली पुलिस थाना पोकरण जो मारपीट के मामले में वर्ष 2011 से व बाबुशाह पुत्र गनीशाह मुसलमान निवासी ताजियों का चौक पोकरण जो चोरी के मामले में वर्ष 2011 से फरार चल रहे थे को गिरफतार किया गया। तीना स्थाई वारंटी काफी समय से फरार चल रहे थे। पुलिस की कडी मेहनत एवं लगातार दबिशो के कारण तीनो स्थाई वारन्टीयों को गिरफतार कर न्यायालय में पेश किया गया।

बाड़मेर जालोर पीरो की जाल दरगाह का चमत्कार के तीन सौ साल

पीरो की जाल दरगाह का चमत्कार के तीन सौ साल 



बाड़मेर जालोर पीरो की जाल दरगाह का चमत्कार के तीन सौ साल बाडमेर सीमावर्ती बाडमेर जिले की जालोर जिले की सरहद पर स्थित तीन सौ साल पुरानी बाबा अब्बनशाह की दरगाह जिसे पूरा हिन्दुस्तान पीरों की जाल के नाम से जानता हैं।इस दरगाह में गत तीन सौ सालों से चमत्कार हो रहे हैं।इस चमत्कार से हजारों लोगों को नयी जिन्दगी मिली।विज्ञान के इस युग में भले ही लोग इसे अंधविश्वास का नाम दें मगर जो लोग चमत्कार से नई जिन्दगी पाऐं हैं।

उनकी मानें तो पीरों की जाल आस्था और चमत्कार का अवतार हैं।जॅहा मानसिक रोगी बुरी स्थिति से बाहर निकल आते हैं। कहते हें किसी मर्ज का इलाज अस्पताल में होता हें लेकिन कभी सुना हें आपने कि कब्रिस्तान में किसी मर्ज का इलाज होता हें . आपकी सोच और दिमागी दोड़ से कोसो दूर हम आपको रूबरू करवा रहे हें एक ऐसे अस्पताल में जहा अपने दिमाक का संतुलन कहो चुके मरीजो के इलाज के दावे होते हें . लेकिन ये दावे धरती पे एक कब्रिस्तान में उतरते नजर आते हें . बाड़मेर जालोर कि सीमा पर स्थित पिरो की जाल में हें कब्रिस्तान में हें पागलो का अस्पताल . राजस्थान के जालोर जिले में एक कब्रिश्तान में पागलो का अस्पताल है. देश और दुनिया की सोच से परे एक इसी जगह झा होता हे पागलपन का इलाज . न किसी तरह का बिस्तर न कोई डाक्टर और न ही कोई दवाई . यह हे पिरो की जाल . 
पिरो की जाल में राजस्थान ,गुजरात ,महारास्ट,बिहार सहित देश के की इलाको से अलग अलग मजहब से जुड़े लोग आते हे . बताते हे कि जिन पर पागलपन या फिर भूतो का साया हो और जो किसी भी इलाज से सही नही हुए है उन लोगो के घर वाले यहा पर उन्हें लेकर आते है जिस समय उन को लाया जाता है उस समय उनकी हालत मरने सरीखी होती हे . लेकिन उन्हें यहा लेन पर बरसों से चले आ रहे इलाज को दोर होता हे शुरू . उन लोगो को कब्रिश्तान में जजीरो से बांध दिया जाता हे . बाड़मेर के रहने वाले सरकारी कर्मचारी राजेंद्र खत्री के अनुसार सन 1971 में उसके घर पर किसी ने पलित टूने टोटेक कर दिया थे क्योकि उनके पास जो धन और सम्पति हडपना चाहते थे इस वजह से उनके रिश्तेदारों ने उन पर जादू टोना कर दिया था जिस वजह से उसकी घरवाली और बच्चे की मोत हो गयी थी मुझ पर भी टोटका किया गया था तो मुझे भी इलाज के लिए यहा लाया गया . 
कई महीनो के इलाज के बाद वह सही हो गया राजेंद्र खत्री निवासी बाड़मेर सन 1971 में मरे घर पर किसी ने पलित टूने टोटेक कर दिया थे क्योकि उनके पास जो धन और सम्पति हडपना चाहते थे इस वजह से उनके रिश्तेदारों ने उन पर जादू टोना कर दिया था जिस वजह से मेरी घरवाली और बच्चे की मोत हो गयी थी मुझ पर भी टोटका किया गया था तो मुझे भी इलाज के लिए यहा लाया गया . कई महीनो के इलाज के बाद वह सही हो गया राजेद्र खत्री के अनुसार पागलपन के दोर में इस कब्रिश्तान में रहकर उसने बाबा की पूजा अर्चना की तो तिन सालो बाद उसकी जजीरे अपने आप खुल गयी और आज में हर साल में तीन बार आता हु. वह कहता हे कि मेरा सही होना एक चमत्कार ही था राजेंद्र खत्री निवासी बाड़मेर पागलपन के दोर में इस कब्रिश्तान में रहकर उसने बाबा की पूजा अर्चना की तो तिन सालो बाद उसकी जजीरे अपने आप खुल गयी और आज में हर साल में तीन बार आता हु. वह कहता हे कि मेरा सही होना एक चमत्कार ही था पिरो कि जाल में बरसों से कब्रिस्तान में होता आ रहा हे पागलो का इलाज . इस अनूठे अस्पताल के बारे में वह के खलीफा मोहोमद बक्स खिलिफा बताते हे कि कब्रिश्तान में पागलो का अस्पताल में इनको इसलिए रखा जाता है की ये किसी जायरीन के साथ मारपीट न करे फिर ये २ या तीन साल में जब ये सही होते है तो अपने आप इनका जजीरो का ताला खुल जाता है .

फिर हम इनके घर वालो को इतला कर देते है ये सब बाबा का चमत्कार होता है इस कब्रिश्तान में हर वक्त दर्जनों भर मानसिक रोगियों को रखा जाता है मोहोमद बक्स खिलिफा पीरो की जाल जालोर कब्रिश्तान में पागलो का अस्पताल में इनको इसलिए रखा जाता है की ये किसी जायरीन के साथ मारपीट न करे फिर ये २ या तीन साल में जब ये सही होते है तो अपने आप इनका जजीरो का ताला खुल जाता है फिर हम इनके घर वालो को इतला कर देते है ये सब बाबा का चमत्कार होता है इस कब्रिश्तान में हर वक्त दर्जनों भर मानसिक रोगियों को रखा जाता है

बाड़मेर खड़ताल का जादुगर सदीक खान

खड़ताल का जादुगर सदीक खान



बाड़मेर पिश्चमी सीमावर्ती बाड़मेर जिले की लोक गायिकी ने थार की थळी के इस क्षैत्र की ख्याति सात समुन्द्र पार पहुचांई है।थार की थळी के लाल मांगणियार जाति के लोक गायको ने अपनी सुर साधनां के लिए ऐसे पारम्परिक वाद्य यत्रों का प्रयोग किया है जो अनुठेपन के कारण कला साधको को रोमांचित कर देते हैं।लोक गायकी के सरताज सदीक खान ने ऐसे पारम्परिक वाद्य यंत्र खड़ताल का आविश्कार कर अपने फन की विश्व भर में धूम मचा दी थी।खड़ताल का जादू संगीत प्रेमियो के सिर च कर बोला। खड़ताल ने सदीक की ख्याति में चार चॉद लगा दिए ं।खड़ताल ने सदीक को तथा सदीक ने खड़ताल को अमर कर दियां।

बाड़मेर जिले के शिव तहसील के झॉपली में जन्में सदीक ने अपने बचपन में लोक गययिकी में महारत हासिल कर ली थी।उन्होने लोक सगींत को गली कुच्चो से उठाकर सात समुन्द्र पार पंहुचाया ।सदीक का परिवार सदियो से गांव के उच्च घरानो में लोक गीतसंगीत की महफिले सजा कर जीवन निर्वाहन करते। यजमानी के साथसाथ शादी विवाह सगाई एवं अन्य समारोह में लोक गीत संगीत के जरिए दो वक्त की रोटी परिवार को मुहैया कराते थे।मंगत की बैशाखी पर लोक गायकी टिकी थी।


बचपन से ही सदीक अपने पिता के साथ झॉपली एवं शिव के विभिन्न ठिकानो पर गा बजा कर लोक गायिकी तथा वादय में दक्षता हासिल कींउनके पिता की सारंगी,तन्दुरा,कमायचा,और खड़ताल बजाने में ख्याति क्षैत्र में अर्जित की थी।अपने पूर्वजो की इस विरासत को सदीक ने जिस मनोयोग ,साधना,और समर्पित भाव से अंगीकार किया उसके परिणामस्वरुप उनकी खास पहचान बनी।सदीक अनप अवश्य था मगर लोक गीत ,संगीत ओैर वाद्य के ज्ञान का समृद्ध भण्डार था।

ोलकक,सारंगी,तन्दुरा,कमायचा ,रावणहत्था, तथा खड़ताल बजाने के फन में माहिर थे।साथ ही सैकड़ो लोक गीत कंठस्थ थे वहीं सैकड़ो लोक गीतो के रचयिता थे जिसमें उनके द्घारा रचे लोक गीत नीम्बुड़ानिम्बुड़ा ने कई कीर्तिमान स्थापित किए।


सदीक और खड़ताल एक दूसरे के पर्याय थे। खड़ताल बजाने में उनका कोई सानी ना था।खड़ताल बजाने में उनको उच्च कोटि की दक्षता हासिल थी।लोक संगीत की महफिलें सदीक के बिना अधूरी लगती थी।खास अंदाज में खड़ताल बजाने की दक्षता के कारण वे कई अन्तराश्टिृय समारोहो की शान बनकर थार को ख्याति दिलाइ्रं।जल्द सदीक खड़ताल के जादुगर के रुप में चर्चित और ख्यातिनाम हो गए।खड़ताल से इन्हे लोकप्रियता और सम्मान मिला।

छः से आठ ईंच लम्बी और डेदो ईंच चौड़ी साधरण सी दिखने वाली लकड़ी की दो पटियां जब सदीक के हाथो से बजती संगीत प्रेमी झूम उठतेंसदीक जब हाथ के अंुठे के आन्तरिक भाग एवं दूसरी चारों अंगुलियों में हथेली के बीच खड़ताल रखकर अंगुलियों के बल अधखड़ा हो कर झूमता हुआ खड़ताल बजाता तो वह सब कुछ भूल कर उसी में खो जाते थे।सुर और गीतों के स्वर जितने तेजी से साथी गायको के कण्ठ से निकलते उससे कहीं तेज गति से सदीक के हाथो से खड़ताल बजतीं। सुरीले मनमोहक लोक गीतों को जब सदीक की खड़ताल का साथ मिलता संगीत प्रेमी झूम उठतें।

सदीक ने खड़ताल का जादु सात समुन्द्र पार अमेरिका,अजे्रटिना,आस्टेृलिया,जापान, रुस सहित कई देशो में लोक गीत संगीत की स्वर लहरियॉ बिखेर कर परचम लहराया।पिश्चमी राजस्थान के लोक गीत संगीत को नई उॅचाईयां देने वाले सदीक को केन्द्रिय संगीत नाटक अकादमी ने दस हजार रुपये का नकद पुरस्कार देकर उनकी साधना को सम्मान दिया।वहीं मध्यप्रदेश सरकार ने तुलसी सम्मान से 1989 -90 में सम्मानित किया।

प्रदेश स्तर पर कई र्मतबा सम्मानित हुए हैं सदीक खान।मंगत की बैशाखी पर टिकी लोक गायिकी तथा खड़ताल की स्वर लहरियों को विश्व भर में नई पहचान देने वाले सदीक के फ.न को उनके कई शार्गिद इागे बा रहे हैं। केसरिया बालम पधारो म्हारे देस,निम्बुडानिम्बूडा चिड़कली,कुरजां,गोरबधं जेसे सैकड़ों गीत जो सदीक ने गाए आज भी संगीत प्रेमियों के बीच खासे लोक प्रिय हैं सिदिक खान के गाए लोक गीतों की कैसेट सीडीयों की मांग बराबर बनी हुई हैं।

सदीक खान की जयपुर के जवाहर कला केन्द्र में एक कार्यक्रम के दौरान तबीयत बिगड़ने से मार्च 2002 में मौत हो गई थीं।राजस्थानी लोक गीत संगीत को सादिक खान ने ना केवल नई उॅचाईयां प्रदान की बल्कि लोक गायिकी में दक्ष शार्गिद तैयार कर दिए।उनके शार्गिद अनवर खान,फकीरा खान,गाजी खान, साकर खान, परम्परागत लोक गायिकी को अन्तरराश्टिृय स्तर पर नई उॅचाईयां प्रदान कर रहे हैं।

सदीक खान के पुत्र समुन्द्र खान और शाकर खान लोक गायकी के जीते जागते उदाहरण हैं,खड़ताल बजाने में दक्ष समुन्द्र खान और ाकर खान लोक कला के सरक्षण के लिए स्वयं सेवी संस्था के माध्यम से पुरजोर प्रयास कर रहे हैं।समुन्द्र खान स्थानिय लोक कलाकारो के लिये विदेशो में कार्यक्रम तय कर उन्हें अवसर प्रदान कर रहे हैं।सादिक खान का पूरा परिवार लोक कला के संरक्षण में जुटा ह

बाड़मेर जहॉ बच्चे मॉ के नाम से जाने जाते हैं

जहॉ बच्चे मॉ के नाम से जाने जाते हैं

बाड़मेर सीमावर्ती बाड़मेर जिले के सिवाना क्षैत्र के सांवरड़ा गांव जिले की एक मात्र बदनाम बस्ती हैं।जहॉ सदियों से नगर वधुऐं देह व्यापार में लिप्त हैं।साटिया जाति के लगभग सत्तर परिवार यहा आबाद हैं।पुरुषविहीन इस बस्ती में नगर वधुऐं और उनके बच्चें निवास करते हैं।यहा पैदा हुए बच्चों को कभ्ज्ञी पिता का नाम नहीं मिला जिसके कारण ये बच्चे अपनी माताओं के नाम से ही जाने जाते हैं।यहॉ तक की इन बच्चों के विद्यालयों में भी पिता के नाम के सिन पर माता का नाम दर्ज हैं।बाड़मेर जिले का सांवरडा गांव सदियों से देह व्यापार के धन्धे में लिप्त हे।ंसत्तर परिवारों के इस गांव में 132 नगर वधुऐं हैं वहीं 4045 बच्चे हैं।इस गांव में प्राथमिक स्तर का एक विद्यालय हैं।जिसमें नगर वधुओं के बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं।इन बच्चों के नाम विद्यालय में दर्ज हैं।इन बच्चों के पिता के नाम के सिन पर माता का नाम दर्ज हैं।विद्यालय के अध्यापक पुखराज जो इसी बस्ती का बेटा हैं ने बताया कि बस्ती की महिलाऐं देह व्यापार कर दो जून की रोटी का इंतजाम कर अपना और अपने परिवार का पेट पालती हैं।इन परिवारों में शादी का रिवाज नही हैं।जिसके कारण घर पुरुष विहीन हैं।बस्ती के बच्चों को पिता का भान नहीं हैं।बच्चो के लिए उनको जन्म देने वाली मॉ ही मॉबाप का फर्ज अदा करती हैं।देह व्यापार से जुड़ी पेम्पली देवी ने बताया कि बस्ती में परम्परागत रुप से देह व्यापार होता हैं।कुछ नगर वधुऐं पी लिखी हैं।पहले हम बच्चों को विद्यालय नहीं भेजते थे।कृष्णा संस्था के द्घारा हमें समझाइ्रस कर बच्चो को विद्यालय में भिजवाना आरम्भ किया।समाज की मुख्य धारा में शामिल होने की चाह के चलते इन नगर वधुओं ने अपना नाम देकर बच्चों को शिक्षित करने का साहस दिखाया।विद्यालय दस्तावेजों में देवा पुत्र छगनी,राजु पुत्र शारदा ,संतोष पुत्री मदनी देवी आदी दर्ज हैं।विद्यालय में इन बच्चो को माकुल सुविधा तो दूर आवश्यक सुविधा तक उपलब्ध नही हैं।इन विद्यार्थियों को नि:शुल्क पुस्तके,पोशाके और पाठय सामग्री तक नहीं मिलती।कृष्णा संस्था द्घारा प्रयास कर इन बच्चो के लिए पानी का एक टेंक बनाया गया था।इसके बाद इनकी तरफ प्रशासन या सरकार ने कभी झांका तक नही॥बस्ती की महिलाओं ने विद्यालय की क्रमोनति की कई र्मतबा प्रशासन से मांग की मगर कोई कार्यवाही नही हुई।इस बस्ती के पुखराज,शांति,और मदन प लिख कर सरकारी सेवा तक पहुॅचने में सफल हुए हैं।इन बच्चों को सम्बल की आवश्यक्ता हैं।प लिख कर बच्चे समाज की मुख्य धारा में जुड़ना चाहते हैं।

बाड़मेर.मुनाबाव सड़क मार्ग को डबल लेन करने की योजना गृह मंत्रालय में अटक गई


बाड़मेर.मुनाबाव सड़क मार्ग को डबल लेन करने की योजना गृह मंत्रालय में अटक गई

बाड़मेर से सटी भारत.पाकिसतान अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा के लिए तैनात जवानों और सरहदी इलाको में बसे ग्रामीणों की सुविधा के लिहाज से 76 करोड़ की लागत से बाड़मेर.मुनाबाव सड़क मार्ग को डबल लेन करने की योजना गृह मंत्रालय में अटक गई है। इस योजना की स्वीकृति को लेकर जनप्रतिनिधि उदासीनता बरत रहे हैं। नतीजतन सरहद पर दूरदराज के इलाकों में बसी गांव.ढाणियों के लोगों को संकरे मार्गों से लंबी दूरी तय करके बाड़मेर पहुंचने को मजबूर होना पड़ रहा है।

करीब डेढ़ वर्ष पूर्व बाड़मेर से मुनाबाव मार्ग पर 127 किलोमीटर तक की सड़क को डबल लेन करने की योजना बनाई गई थी। इसके तहत मौजूदा समय में ग्रीफ के अधीन इस मार्ग को पीडब्ल्यूडी को हैंडओवर किया जाना था। तत्पश्चात इस मार्ग को डबल लेन करने की प्रक्रिया शुरू होनी थीए मगर इस योजना का खाका गृह मंत्रालय को भेजने के बाद अभी तक इसकी फाइल इसी मंत्रालय में अटकी हुई है। इससे इस मार्ग को अभी तक डबल लेन नहीं किया जा सका है। उधर ग्रीफ के अधिकारियों का तर्क है कि बाड़मेर.मुनाबाव मार्ग को पीडब्ल्यूडी को हैंडओवर करने को लेकर लिखित रूप में किसी तरह के आदेश नहीं मिले हैं। अतरू पीडब्ल्यूडी को सड़क हैंडओवर नहीं की गई हैए जबकि पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों की मानें तो गृह मंत्रालय से हरी झंडी मिलने की स्थिति में ही यह योजना गति पकड़ पाएगी।

बाड़मेर.मुनाबाव मार्ग को डबल लेन करने के फायदे

बाड़मेर में प्रतिवर्ष सरहदी इलाकों में होने वाले युद्धाभ्यास में शामिल होने के लिए मुनाबाव मार्ग से बड़ी संख्या में सेना व बीएसएफ के वाहन आवागमन करते हैं। इसके साथ ही आम दिनों में यहां से सवारी व मालवाहक वाहनों का आवागमन रहता है। इस मार्ग के डबल लेन होने से मारूड़ीए जसाईए देरासर खड़ीनए हाथमाए भाचभरए रामसर और गागरिया व गडरा समेत मुनाबाव के ग्रामीणों को भी काफी फायदा होगा।

स्पेन का लार्को न बन जाये रेतीला बाड़मेर










स्पेन का लार्को न बन जाये रेतीला बाड़मेर 

 बाड़मेर रेतीले बाड़मेर से हजारो किलोमीटर दूर स्थित स्पेन के लरका शहर में 2011 में आये एक भूकम्प के कारणों ने हमारी पेशानी में बल दल दिए है . स्पेन के इस शहर में आये विनाशकारी भूकंप में पुरे शहर को चंद सेकेंडो में लील लिया . इस जगह आये भूकंप के कारणों की जब जाँच की गई तो जो नतीजे आये वह हमारे बाड़मेर के लिए आने वाले बड़े खतरे से कम नही है . स्पेन के इस शहर में आये भूकंप का कारण अत्यधिक जलदोहन है . भूजल में पानी की कमी से खली हुए स्थान की चटाने सरकी और एक हस्त खेलते शहर तबाह हो गया और यही आलम बाड़मेर का कभी भी हो सकता है . और उसका सबसे बड़ा कारण यह है की एक तो यह भूजल का अत्यधिक दोहन हो रहा है और बाड़मेर के 8 में से 7 ब्लोक डार्क जोन में आ चुके है और भूकंप के लिहाज से बाड़मेर अति स्वेंदशील इलाके में आता है और यह कभी भी 3-5 रिवेक्टर पैमाने पर भूकंप आ सकता हे . स्पेन के लार्को में आये भूकंप का रिएक्टर पैमाने पर 5 था . अगर एसा आलम बाड़मेर में हुआ तो परिणाम क्या होगा यह सोच कर भी रूह कांप जाती है .

जानकारी के मुताबित स्पने के शहर लॉर्का में 2011 में आए भूकंप का अध्ययन कर रहे वैज्ञानिकों का कहना है कि वहां भू-जल के अत्यधिक दोहन को भूकंप के लिए ज़िम्मेदार ठहराया जा सकता है.सैटेलाइट के ज़रिए भूकंप प्रभावित इलाक़े की ली गई तस्वीरें से वो ये जानने में सफल हुए कि ज़मीन के किस हिस्से में हलचल हुई थी और कौन सा हिस्सा अपनी जगह से हट गया था.यूनिवर्सिटि ऑफ़ वेस्टर्न ऑनटेरियो के प्रोफ़ेसर पैब्लो गॉनज़ालेज़ और उनके सहयोगियों ने सैटेलाइट रेडार के ज़रिए भेजे गए आंकड़ों के अध्ययन के बाद पाया कि स्पेन के शहर लॉर्का में आए भूकंप में ज़मीन के केवल तीन किलोमीटर नीचे ज़मीन का एक हिस्सा अपनी जगह से फिसला था .वैज्ञानिकों के अध्ययन से पता चला है कि किस तरह बोरिंग के ज़रिए वर्षों तक ज़मीन से पानी निकालने से भूकंप आने का ख़तरा बढ़ सकता है.वैज्ञानिकों के अनुसार इसी कारण भूकंप की तीव्रता केवल 5.1 होने के बावजूद बहुत ज़्यादा नुक़सान हुआ था. स्पेन के लार्को में जो हुआ वह रेतीले बाड़मेर के लिए लिए किसी चेतावनी से कम नहीं है . भू जलस्तर में कमी से भूकंप आने के इस मामले से झा आज दुनिया पूरी सरोकार रखे हुए है व्ही दूसरी तरफ रेतीले इलाके में जिस तेजी से भूजल का दोहन हो रहा है वह अपने आप में यह के लोगो द्वारा खुद के लिए कहदी की जा रही किसी विकत समस्या से कम नही है .

भज्जी के हाथ से गई डीएसपी की नौकरी

भज्जी के हाथ से गई डीएसपी की नौकरी

चंडीगढ़। टर्बनेटर के नाम से मशहूर हरभजन सिंह के सितारे इन दिनों गर्दिश में चल रहे हैं। पहले बीसीसीआई ने उनको ए ग्रेड से डिमोट कर बी ग्रेड में डाल दिया अब पंजाब सरकार ने भज्जी को 10 साल पहले दिए उस ऑफर को बंद कर जिसमें उन्हें डीएसपी की पोस्ट लेने को कहा गया था।

हरभजन सिंह ने हाल ही में पंजाब सरकार के उस ऑफर में रूचि दिखाई थी जो उन्हें 2002 में दिया गया था। पंजाब पुलिस ने भज्जी को उप पुलिस अधीक्षक पद पर ज्वाइन करने का ऑफर दिया था। उस वक्त पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने हरभजन को पंजाब दा पुत्तर की उपाधि से सम्मानित किया था। इसके अलावा उन्हें पाच लाख रूपए नगद और जालंधर में एक प्लॉट भी दिया गया था।

उस वक्त हरभजन अपने करियर के टॉप पर थे। क्रिकेट कमिटमेंट और ढेरों कमर्शियल ऑफर्स के कारण भज्जी ने पंजाब पुलिस के ऑफर पर ध्यान नहीं दिया।
करीब दस साल बाद पंजाब सरकार ने साफ किया है कि 10 साल पुराना ऑफर अब खत्म हो गया है। पंजाब के उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने भज्जी की फाइल पर प्रतिकूल टिप्पणी लिखते हुए मामले को बंद कर दिया।

हरियाणा में झूठी शान के लिए बेटी का कत्ल!

हरियाणा में झूठी शान के लिए बेटी का कत्ल!

पानीपत। हरियाणा के पानीपत में कथित ऑनर किलिंग का मामला सामने आया है। बीबीए की सैकेण्ड ईयर की स्टूडेंड की परिजनों ने इसलिए हत्या कर दी क्योंकि उसने दूसरी जाति के लड़के से शादी कर ली थी।

पीडिता इंदू ने घर वालों की मर्जी के खिलाफ जाकर अपने साथ पढ़ने वाले अजय रोहिल से शादी कर ली थी। शादी के बाद परिजन इंदू के ससुराल पहुंचे और उनसे कहा कि वे इंदू को अपने साथ घर ले जा रहे हैं। थोड़े दिन में पहुंचा देंगे। शनिवार को अजय को उसके मित्र ने बताया कि तुम्हारी पत्नी की मौत हो गई है और जल्दबाजी में उसका अंतिम संस्कार भी कर दिया गया है।

इस पर अजय पुलिस के पास गया और इंदू के परिजनों के खिलाफ केस दर्ज करने को कहा लेकिन पुलिस ने केस दर्ज करने से इनकार करते हुए अजय और उसके पिता को ही गिरफ्तार कर लिया। जब पड़ोसियों ने इसका विरोध किया तो दोनों को रिहा किया गया और इंदू के परिजनों को गिरफ्तार किया गया। अजय को शक है कि उसकी बीवी को जहर दिया गया है। अजय ने बताया कि 26 अक्टूबर को इंदू की हत्या की गई। हमने जब पुलिस को फोन किया तो उन्होंने कहा कि दस मिनट में पीसीआर वैन भेज रहे हैं लेकिन वह नहीं पहुंची।

चंद्रेश कुमारी कैबिनेट,कटारिया राज्य मंत्री

चंद्रेश कुमारी कैबिनेट,कटारिया राज्य मंत्री

नई दिल्ली। कैबिनेट फेरबदल में राजस्थान को अच्छा प्रतिनिधित्व मिला है। जोधपुर से सांसद चंद्रेश कुमारी को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है।

जयपुर ग्रामीण से लालचंद कटारिया को राज्य मंत्री बनाया गया है। महादेव खंडेला के इस्तीफे से राजस्थान से एक मंत्री कम हो गया था। इसलिए लालचंद कटारिया को राज्य मंत्री बनाया गया है।

वहीं हिमाचल प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर चंद्रेश कुमारी को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। चंद्रेश कुमारी का ससुराल हिमाचल में है। वे कांगड़ा से राजनीति करती रही हैं।

मनमोहन ने बदली टीम,22 मंत्री बने

मनमोहन ने बदली टीम,22 मंत्री बने

नई दिल्ली। केन्द्रीय मंत्रिमण्डल में बहुप्रतीक्षित फेरबदल आखिरकार रविवार को अंजाम तक पहुंच गया। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 22 नए मंत्रियों को शपथ दिलाई गई। इनमें 7 कैबिनेट,13 राज्य मंत्री और दो स्वतंत्र प्रभार के राज्य मंत्री शामिल हैं। पांच राज्य मंत्रियों को प्रमोट कर कैबिनेट बनाया गया है।

कैबिनेट मंत्रियों में दो नए चेहरे शामिल किए गए हैं। राजस्थान से दो नए चेहरों को मंत्रिमण्डल में शामिल किया गया है। इनमें जोधपुर से सांसद चंद्रेश कुमारी और जयपुर ग्रामीण से सांसद लालचंद कटारिया शामिल हैं। कैबिनेट फेरबदल में युवा चेहरों की बजाय अनुभवी नेताओं को तरजीह दी गई है। आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल का मंत्रिमण्डल फेरबदल में खास ध्यान रखा गया है। माना जा रहा है कि यह फेरबदल वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव का संभवत: अंतिम फेरबदल है।

केन्द्रीय मंत्री
के रहमान खान-(नया चेहरा)कर्नाटक से सांसद
दिनशा पटेल-प्रमोशन(खदान राज्य मंत्री थे) गुजरात से सांसद
अजय माकन-प्रमोशन(पहले स्वतंत्र प्रभार के खेल मंत्री थे)
चंद्रेश कुमारी-(नया चेहरा)जोधपुर से सांसद
एमएम पल्लम राजू-प्रमोशन(रक्षा राज्य मंत्री थे)
अश्विन कुमार-प्रमोशन(विज्ञान और तकनीकी राज्य मंत्री थे)
हरीश रावत-प्रमोशन(संसदीय कार्य और कृषि राज्य मंत्री थे)

राज्य मंत्री

शशि थरूर,के.के.सुरेश,तारिक अनवर,के जयप्रकाश रेड्डी,ए एच खान चौधरी,अधीर रंजन चौधरी,रानी राना,एस सत्यनारायण,निनांग इरिंग,बलराम नाइक,दीपादास मुंशी,लालचंद कटारिया,कृपा रवि किल्ली।

राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार

मनीष तिवारी(नया चेहरा)
चिरंजीवी(नया चेहरा)

सेक्स रैकिट चलाने वाली महिला समेत 9 अरेस्ट

सेक्स रैकिट चलाने वाली महिला समेत 9 अरेस्ट

फरीदाबाद।। संजय कॉलोनी की गली नंबर -20 के एकमकान में छापा मारकर मुजेसर थाना पुलिस ने सेक्स रैकिटका भंडाफोड़ कर 9 लोगों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों में5 पुरुष व 4 महिलाएं शामिल हैं। गिरफ्तार की गई महिलाओंमें से एक वेस्ट बंगाल , दो फरीदाबाद व एक उत्तर प्रदेश कीरहने वाली है। इन महिलाओं में से एक रैकिट की संचालक है।सभी आरोपियों को कोर्ट में पेश करने के बाद न्यायिक हिरासतमें भेज दिया गया है।

जानकारी के अनुसार , थाना मुजेसर पुलिस को शुक्रवार कोसूचना मिली कि संजय कॉलोनी की गली नंबर -20 में एक महिला सेक्स रैकिट चलाती है। सूचना मिलने परपुलिस ने रेड का प्लान बनाया। प्लान के मुताबिक , एक पुलिसकर्मी ग्राहक बनकर महिला के पास पहुंचे औरमहिला से बात करके सौदा तय किया। सौदे के हिसाब से सिपाही ने महिला को 500 का नोट दिया और उस नोटपर इंस्पेक्टर ने साइन किए हुए थे।

सौदा तय होने के बाद पुलिस ने घर पर रेड की और वहां मौजूद 9 लोगों को गिरफ्तार किया। पूछताछ में पताचला कि आरोपी मुजेसर , अजरौंदा , मिर्जापुर जिला गोंडा , गांव रेवाड़ी , यूपी , वेस्ट बंगाल और संजयकॉलोनी के रहने वाले थे। रैकिट को चलाने वाली महिला की तलाशी में पुलिस ने 3500 रुपये बरामद किए।3500 रुपयों में से पुलिस ने इंस्पेक्टर का साइन किया हुआ 500 का नोट भी बरामद किया।

हुरमुचो भारत की प्राचीन और पारम्परिक कशीदा शैली

हुरमुचो भारत की प्राचीन और पारम्परिक कशीदा शैली



बाड़मेर कशीदाकारी भारत का पुराना और बेहद खूबसूरत हुनर है । बेहद कम साधनों और नाममात्र की लागत के साथ शुरु किये जा सकने वाली इस कला के कद्रदान कम नहीं हैं । रंग बिरंगे धागों और महीन सी दिखाई देने वाली सुई की मदद से कल्पनालोक का ऎसा संसार कपड़े पर उभर आता है कि देखने वाले दाँतों तले अँगुलियाँ दबा लें । लखनऊ की चिकनकारी,बंगाल के काँथा और गुजरात की कच्छी कढ़ाई का जादू हुनर के शौकीनों के सिर चढ़कर बोलता है। इन सबके बीच सिंध की कशीदाकारी की अलग पहचान है । तेज़ रफ़्तार ज़िन्दगी में जबकि हर काम मशीनों से होने लगा है, सिंधी कशीदाकारों की कारीगरी "हरमुचो" किसी अजूबे से कम नज़र नहीं आती । बारीक काम और चटख रंगों का अनूठा संयोजन सामान्य से वस्त्र को भी आकर्ष्क और खास बना देता है । हालाँकि वक्त की गर्द इस कारीगरी पर भी जम गई है । 
नई पीढ़ी को इस हुनर की बारीकियाँ सिखाने के लिये भोपाल के राष्ट्रीय मानव संग्रहालय ने पहचान कार्यक्रम के तहत हरमुचो के कुशल कारीगरों को आमंत्रित किया । इसमें सरला सोनेजा, कविता चोइथानी और रचना रानी सोनेजा ने हरमुचो कला के कद्रदानों को सुई-धागे से रचे जाने वाले अनोखे संसार के दर्शन कराये । हुरमुचो सिंधी भाषा का शब्द है जिसका शब्दिक अर्थ है कपड़े पर धागों को गूंथ कर सज्जा करना। हुरमुचो भारत की प्राचीन और पारम्परिक कशीदा शैलियों में से एक है। अविभाजित भारत के सिंध प्रांत में प्रचलित होने के कारण इसे सिंधी कढ़ाई भी कहते हैं। 
सिंध प्रांत की खैरपुर रियासत और उसके आस-पास के क्षेत्र हरमुचो के जानकारों के गढ़ हुआ करते थे। यह कशीदा प्रमुख रूप से कृषक समुदायों की स्त्रियाँ फसल कटाई के उपरान्त खाली समय में अपने वस्त्रों की सज्जा के लिये करती थीं। आजादी के साथ हुए बँटवारे में सिंध प्रांत पाकिस्तान में चला गया किंतु वह कशीदा अब भी भारत के उन हिस्सों में प्रचलित है, जो सिंध प्रान्त के सीमावर्ती क्षेत्र हैं। पंजाब के मलैर कोटला क्षेत्र, राजस्थान के श्री गंगानगर, गुजरात के कच्छ, महाराष्ट्र के उल्हासनगर तथा मध्य प्रदेश के ग्वालियर में यह कशीदा आज भी प्रचलन में है। 

हुरमुचो कशीदा को आधुनिक भारत में बचाए रखने का श्रेय सिंधी समुदाय की वैवाहिक परंपराओं को जाता है। सिंधियों में विवाह के समय वर के सिर पर एक सफेद कपड़ा जिसे ’बोराणी’ कहते है, को सात रंगो द्वारा सिंधी कशीदे से अलंकृत किया जाता है। आज भी यह परम्परा विद्यमान है। सिंधी कशीदे की प्रमुख विशेषता यह है कि इसमें डिजाइन का न तो कपड़े पर पहले कोई रेखांकन किया जाता है और न ही कोई ट्रेसिंग ही की जाती है। डिजाइन पूर्णतः ज्यामितीय आकारों पर आधारित और सरल होते हैं। जिन्हें एक ही प्रकार के टांके से बनाया जाता है जिसे हुरमुचो टांका कहते हैं। यह दिखने में हैरिंघ बोन स्टिच जैसा दिखता है परंतु होता उससे अलग है। पारम्परिक रूप से हुरमुचो कशीदा वस्त्रों की बजाय घर की सजावट और दैनिक उपयोग में आने वाले कपड़ों में अधिक किया जाता था। 

चादरों,गिलाफों,रूमाल,बच्चों के बिछौने,थालपोश,थैले आदि इस कशीदे से सजाए जाते थे । बाद में बच्चों के कपड़े, पेटीकोट, ओढ़नियों आदि पर भी हरमुचो ने नई जान भरना शुरु कर दिया । आजकल सभी प्रकार के वस्त्रों पर यह कशीदा किया जाने लगा है।मैटी कशीदे की तरह सिंधी कशीदे में कपड़े के धागे गिन कर टांकों और डिजाइन की एकरूपता नहीं बनाई जाती। इसमें पहले कपड़े पर डिजाइन को एकरूपता प्रदान करने के लिए कच्चे टाँके लगाए जाते हैं। जो डिजाइन को बुनियादी आकार बनाते हैं। सिंधी कशीदा हर किस्म के कपड़े पर किया जा सकता है। सिंधी कशीदे के डिजाइन अन्य पारम्परिक कशीदो से भिन्न होते हैं।

ड्यूटी पर नहीं आ रहा आरोपी विंग कमाण्डर

ड्यूटी पर नहीं आ रहा आरोपी विंग कमाण्डर

बीकानेर। यहां नाल वायु सेना परिसर के सरकारी क्वार्टर में अपने साथी अघिकारी की पत्नी को शराब पिलाकर उससे दुष्कर्म के मामले में आरोपी विंग कमाण्डर अरूणाक्ष नंदी वर्तमान पदस्थापन स्थल पर अब गैर हाजिर चल रहा है। गिरफ्तारी से बचने के लिए उसने बीकानेर के सेशन न्यायालय में पिछले दिनों अग्रिम जमानत लगाई थी जो खारिज हो गई। अब पता चला है कि राजस्थान उच्च न्यायालय में याचिका पेश की है। हाइकोर्ट ने इस पर गंगाशहर पुलिस से मामले की पत्रावली तलब की है। इस पर सुनवाई तीस अक्टूबर को हो सकती है।

जानकारी के अनुसार विंग कमाण्डर अपने वर्तमान पदस्थापन स्थल श्रीनगर में 19 अक्टूबर तक अवकाश पर था लेकिन इसके बाद से वह बिना अनुमति गैर हाजिर है। इसी साल फरवरी में चले घटनाक्रम की प्राथमिकी पीडिता ने 25अगस्त को गंगाशहर थाने में दर्ज कराई थी। इसकी जांच पुलिस उपनिरीक्षक विकासकुमार कर रहे हैं। पुलिस अधीक्षक के जरिए श्रीनगर ववायुसेना मुख्यालय पत्र भेजे जा चुके हैं लेकिन नंदी अनुसंधान के लिए उपस्थित नहीं हो रहा है।

जेल भेजा : धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार गुसांईसर निवासी सुरजाराम, भेराराम, रेखाराम, आदूराम व ओमप्रकाश को शनिवार को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। जांच अघिकारी जियाराम ने इन्हे शुक्रवार को गिरफ्तार किया था।