मंगलवार, 4 जनवरी 2011

कलेक्टर की अगुवाई में दो स्थानों पर दबिश, दुकानों से शराब बरामद,

कलेक्टर की अगुवाई में दो स्थानों पर दबिश, दुकानों से शराब बरामद, दो आरोपी गिरफ्तार
बाड़मेर

रात्रि आठ बजे के बाद सरकारी प्रतिबंध के बावजूद पुलिस व आबकारी विभाग की नाक के नीचे खुलेआम शराब माफियों की ओर से बेरोक-टोक शराब बिक्री के मामले को जिला कलेक्टर ने गंभीरता से लेते हुए सोमवार को देर रात नेहरू नगर व बीएनसी चौराहे स्थित एक होटल में दबिश देकर बड़ी मात्रा में शराब बरामद की। अचानक हुई कार्रवाई से एक बारगी तो यहां हड़कंप मच गया। इन दुकानों से शराब खरीदने आए ग्राहक भागने लगे तो पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया। नेहरू नगर स्थित शराब की दुकान से एक जने को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इसी तरह बीएनसी होटल में अवैध रूप से शराब बेचे जाने पर कार्रवाई को अंजाम देते हुए वहां से शराब बरामद की।
राज्य सरकार ने भले ही रात आठ बजे के बाद देशी व अंग्रेजी शराब की दुकानों पर शराब बिक्री पर प्रतिबंध लगा रखा है। लेकिन शहर में रात्रि आठ बजे के बाद शराब की खुले आम बिक्री का सिलसिला लंबे अर्से से जारी है। यह सबकुछ पुलिस व आबकारी विभाग के सामने चल रहा है। लंबे समय से मिल रही शिकायतों के बाद जब पुलिस व आबकारी विभाग की ओर से कार्रवाई नहीं की गई तो कलेक्टर गोयल ने शराब माफियों पर नकेल कसने को अलग-अलग टीमें गठित की। टीम के सदस्यों को पहले विभिन्न दुकानों पर भेजा गया,जहां दुकानों से उन्होंने शराब खरीदी। इसके बाद कलेक्टर गौरव गोयल, गुड़ामालानी एसडीएम सी.आर. देवासी, भूमि अवाप्ति अधिकारी एम.एल. नेहरा, नायब तहसीलदार बाड़मेर जगदीश आचार्य,
पहली बार जिला कलेक्टर के नेत्तृत्व में प्रशासन की टीम ने अलग-अलग स्थानों पर दबिश देकर शराब माफियों का पटाक्षेप कर दिया। यह अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई रही। जब कलेक्टर व आला अधिकारियों की उपस्थिति में कार्रवाई शुरू हुई तो भगदड़ मच गई। इस दौरान मोहल्ले के लोग व सड़क मार्ग से गुजरने वाले लोग एकत्रित हो गए। यहां करीब आधे घंटे तक चली कार्रवाई के दौरान वाहनों की लंबी कतारें लग गई। 
शहर में वैध के साथ अवैध रूप से शराब बेचने का कारोबार लंबे अर्से से जारी है। इसे अंजाम देने के पीछे कई गिरोह सक्रिय है। हर गली-नुक्कड़ पर शराब की दुकान के पास अवैध शराब की बिक्री खुलेआम चल रही है। शराबमाफिया की ओर से पंजाब, हरियाणा राज्यों की शराब रातों-रात सप्लाई की जा रही है। पूर्व में पुलिस प्रशासन की ओर से बड़ी मात्रा में कई बार शराब बरामद की गई।

सोमवार, 3 जनवरी 2011

करोड़पति बीपीएल!

करोड़पति बीपीएल! 

 बाड़मेर। अनुसूचित जाति के एक बीपीएल के खाते में एक ही दिन में करीब डेढ़ करोड़ रूपए जमा होने और इस राशि से कई लोगों को भुगतान व व्यवसायिक भूखण्ड की खरीद किए जाने का मामला सामने आया है।
चौहटन के देवपुरा गांव निवासी भगाराम पुत्र चिमाराम मेघवाल का वर्ष 2002 बीपीएल में चयन हुआ। भगाराम की पत्नी के पास गुजारे लायक राशि नहीं होने से वृद्धावस्था पेंशन के 500 रूपए मासिक दिए जा रहे हंै। इसी भगाराम के नाम से वर्ष 2005 में बाड़मेर शहर के निकट दो बीघा जमीन क्रय की गई। लाखों में हुए इस सौदे के बावजूद वह बीपीएल सूची में ही रहा। इतना ही नहीं बाद में इस गरीब ने नगर पालिका में 18 लाख 25 हजार नगद जमा करवा कर इस दो बीघा जमीन का व्यावसायिक में भू उपयोग परिवर्तन करवाया और एक लाख दस हजार रूपए देकर जमीन का पंजीयन कराया।
इसके बाद वर्ष 2010 में बीपीएल भगाराम ने एक करोड़ 43 लाख रूपए में इस व्यावसायिक जमीन का बेचान जोधपुर के एक बिल्डर को किया और यह राशि 23 दिसंबर को उसके खाते में जमा हुई। भगाराम ने इस राशि में से कई लोगों को राशि का भुगतान किया और अब भी उसके खाते में 17 लाख 30 हजार रूपए शेष है।
बीपीएल के इस्तेमाल का आरोप
मैने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री से की है। यह गंभीर मामला है। इस बीपीएल परिवार के नाम का इस्तेमाल किया गया है। प्रभावशाली लोग बाड़मेर में ऎसा कर रहे हंै। इस मामले के पीछे ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज राज्यमंत्री का दामाद है। इसलिए मामले की पूरी जांच होनी चाहिए और दलितों का इस्तेमाल रूकना चाहिए।
-उदाराम मेघवाल, पूर्व प्रधान, शिव

वे गुलाब भेंट करते है राजस्थान भारत का गुलाब

जैसलमेर । वे भारत में जहां-जहां घूमते हंै, वहां की संस्कृति के रंग में रंग जाते हैं। वे भले ही दूसरे देश की माटी में जन्मे हो, लेकिन हिन्दुस्तान की भूमि से उन्हें अपार लगाव है। अपनी संस्कृति और परम्पराओं से भटके हुए लोगों को राह दिखाना उनके जीवन का हिस्सा है तो परोपकार व समाज सेवा से जुडे कार्यो से जुडे लोगो की मदद करना उनकी ख्वाहिश। ये हैं जर्मन के दम्पती मिस्टर हूडी हर्ट्ज और मिसेज आयरस। इजरायल मे जन्मे जर्मन निवासी हूडी और उनकी पत्नी को भारत इतना प्यारा लगा कि उन्होने देशवासियो से दिल का रिश्ता बनाने के लिए हिन्दी भाषा भी सीख ली।
विशेषकर राजस्थान उनका पसंदीदा इलाका है और उनकी नजर मे राजस्थान भारत का गुलाब है। इस काराण जो भी उन्हे राजस्थान मे अपना अजीज लगता है, उसे वे गुलाब भेंट करते है। जैसलमेर मे आकर ये दम्पती यहीं के रंग मे रंग गए है। उनका कहना है वे बार-बार भारत इसलिए आते हैं कि यहां की संस्कृति और परम्पराओं से प्यार है।
...लेकिन दिल है हिंदुस्तानी
इस दम्पती को राजस्थान की संस्कृति व परम्पराएं इतनी भाईं कि उन्होंने इसे अपनी जिंदगी का एक हिस्सा बना लिया है। अब तक चार बार राजस्थान आ चुका यह दम्पती दूसरी बार जैसलमेर आया है। उनका कहना है कि जब 33 वष्ाü पहले वे यहां आए थे तो उन्हे केवल धोरे नजर आते थे, जैसे वे अलीबाबा की कहानी वाले शहर आ गए हो, लेकिन अब सब कुछ बदल गया है और पूरा नजारा अलग ही नजर आ रहा है। नहीं बदली है तो बस यहां की महान परंपराएं और लोगो का विनम्र स्वभाव। यह मरूप्रदेश की कला, संस्कृति व धरोहर लोगो को सांस्कृतिक गौरव को अपनाने की सीख देते हैं। यहां की विविध संस्कृति में भी एकता नजर आती है। पेशे से डॉक्टर जैसलमेर मे आंखो के मरीजो के लिए कुछ करना चाहती है। करीब 33 वर्ष पहले जैसलमेर मे आए हूडी को रेलवे स्टेशन के पास एक धर्मशाला मे रूकना पडा था। उस दौरान उसकी भेंट स्थानीय युवक ओमप्रकाश सैन से हुई थी, जिसने उसे जैसलमेर के बारे मे जानकारी दी थी। संयोग से इस दम्पती ने 33 वर्ष बाद इसी शहर मे ओमप्रकाश से ही भेट की और उसे लाल गुलाब भेंट किया। उसके बाद जो भी उन्हे शहर मे अजीज लगता है, उसे वे लाल गुलाब भेंट करते हैं, लाल गुलाब प्यार का।

राजस्थानी साफा अब विश्व में नई पहचान लेने जा रहा है

राजस्थानी साफा अब विश्व में नई पहचान लेने जा रहा है।

जोधपुर के एमडी रंगरेज ने इसे ‘सिरमौर’ बनाने के लिए दुनिया का सबसे बड़ा साफा बनाने का दावा किया है। यह पचरंगी साफा बगैर जोड़ वाले 450 मीटर लंबे कपड़े से बना है। रंगरेज अब इस साफे को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज करवाने के लिए आवेदन करेंगे। बचपन से ही साफे व शेरवानी के अपने पुश्तैनी काम से जुड़े रंगरेज देश-विदेश की कई जानी मानी हस्तियों के यहां आयोजित समारोह में साफे बांध चुके हैं। इनमें बॉलीवुड स्टार अमिताभ बच्चन के बेटे अभिषेक बच्चन की शादी भी शामिल है। 

स्पेशल ऑर्डर से आया कपड़ा: रंगरेज ने इस साफे के लिए बिना जोड़ का कपड़ा बनाने का जिम्मा एक स्थानीय फैक्ट्री को सौंपा था जिसने स्पेशल ऑर्डर देकर मुम्बई से 450 मीटर का सफेद कपड़े का थान मंगवाया। इस थान को जोधपुर में पांच रंगों में रंगने के बाद सात दिन तक इसे कलफ लगाई गई। रंगरेज ने इसे अपनी दुकान हमजोली साफा एंड शेरवानी में सजा रखा है। 

मेजरसिंह के नाम दर्ज है 400 मीटर की पगड़ी: गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में फिलहाल ‘टरबन’ श्रेणी का रिकॉर्ड पंजाब के मेजरसिंह के नाम है। उसने गत एक दिसंबर को ही 400 मीटर कपड़े से बनी पगड़ी पहन कर यह रिकॉर्ड बनाया था। रंगरेज के प्रयास से अगर गिनीज बुक में राजस्थानी साफे को स्थान मिला तो यह प्रदेश के लिए गौरव की बात होगी। 

सवा सात सौ मीटर का साफा: हस्तशिल्प उत्सव में स्थित केन्द्रीय पंडाल में लगाए गए राजस्थानी साफों के स्टॉल लोगों के आकर्षण का केन्द्र बने हुए हैं। ऋषभ साफा नामक इस स्टॉल में एक साफा ऐसा भी है जिसकी कुल लंबाई 729 मीटर है तथा बांधने के बाद इसका व्यास ढाई फीट से भी ज्यादा हो जाता है। स्टॉल संचालक सरदारमल पटवा के अनुसार नौ मीटर के 81 पीसेज को मिला कर बनाए गए इस साफे को टाई एंड डाई से तैयार करने में एक सप्ताह से अधिक का समय लगा।

रविवार, 26 दिसंबर 2010

लोक व सुफी गायकी का पर्याय हैं फकीरा खान







लोक व सुफी गायकी का पर्याय हैं फकीरा खान

बाड़मेर: पश्चिमी राजस्थान की धोरा धरती की कोख से ऐसी प्रतिभाएं उभर कर सामने आई हैं, जिन्होंने ‘थार की थळी’ का नाम सात समंदर पार रोशन कर लोक गायिकी को नए शिखर प्रदान किए हैं। इसी कड़ी में एक अहम नाम है-फकीरा खान। लोक गायकी में सुफियाना अन्दाज का मिश्रण कर उसे नई उंचाईयां देने वाले लोक गायक फकीरा खान ने अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर अपना एक मुकाम बनाया है।

राजस्‍थान के सीमावर्ती बाड़मेर जिले के छोटे से गांव विशाला में सन 1974 को मांगणियार बसर खान के घर में फकीरा खान का जन्‍म हुआ था। उनके पिता बसर खान शादी-विवाह के अवसर पर गा-बजाकर परिवार का पालन-पोषण करते थे। बसर खान अपने पुत्र को उच्च शिक्षा दिलाकर सरकारी नौकरी में भेजना चाहते थे ताकि परिवार को मुफलिसी से छुटकारा मिले, मगर कुदरत को कुछ और मंजूर था।

आठवीं कक्षा उर्तीण करने तक फकीरा अपने पिता के सानिध्य में थोड़ी-बहुत लोक गायकी सीख गए थे। जल्दी ही फकीरा ने उस्ताद सादिक खान के सानिध्य में लोक गायकी में अपनी खास पहचान बना ली। उस्ताद सादिक खान की असामयिक मृत्यु के बाद फकीरा ने लोक गायकी के नये अवतार अनवर खान बहिया के साथ अपनी जुगलबन्दी बनाई। उसके बाद लोक गीत-संगीत की इस नायाब जोड़ी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्‍होंने लोक संगीत की कला को सात समंदर पार ख्याति दिलाई। फकीरा-अनवर की जोड़ी ने परम्परागत लोक गायकी में सुफियाना अन्दाज का ऐसा मिश्रण किया कि देश-विदेश के संगीत प्रेमी उनके फन के दीवाने हो गए। फकीरा की लाजवाब प्रतिभा को बॉलीवुड़ ने पूरा सम्मान दिया।

फकीरा ने ‘मि. रोमियों’, ‘नायक’, ‘लगान’, ‘लम्हे’ आदि कई फिल्मों में अपनी आवाज का जलवा बिखेरा। फकीरा खान ने अब तक उस्ताद जाकिर हुसैन, भूपेन हजारिका, पं. विश्वमोहन भट्ट, कैलाश खैर, ए.आर. रहमान, आदि ख्यातिनाम गायकों के साथ जुगलबंदियां देकर अमिट छाप छोडी। फकीरा ने 35 साल की अल्प आयु में 40 से अधिक देशों में हजारों कार्यक्रम प्रस्तुत कर लोक गीत-संगीत को नई उंचाइयां प्रदान की। फकीरा के फन का ही कमाल था कि उन्‍होंने फ्रांस के मशहूर थियेटर जिंगारो में 490 सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर राजस्थान की लोक कला की अमिट छाप छोड़ी।

फकीरा ने अब तक पेरिस, र्जमनी, स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रिया, फ्रांस, इजरायल, यू.एस.ए बेल्जियम, हांगकांग, स्पेन, पाकिस्तान सहित 40 से अधिक देशों में अपने फन का प्रदर्शन किया। मगर, फकीरा राष्‍ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस पर वर्ष 1992, 93, 94, 2001, 2003 तथा 2004 में नई दिल्‍ली के परेड ग्राउंड में दी गई अपनी प्रस्तुतियों को सबसे यादगार मानते हैं।

फकीरा खान ने राष्‍ट्रीय स्तर के कई समारोहों में शिरकत कर लोक संगीत का मान-सम्मान बढ़ाया है। उन्होंने समस्त आकाशवाणी केन्द्रों, दूरदर्शन केन्द्रों, डिश चैनलों पर अपनी प्रस्तुतियां दी हैं।

फकीरा खान ने सितम्बर 2009 में जॉर्डन के सांस्कृतिक मंत्रालय द्वारा आयोजित ‘द सुफी फेस्टिवल’ में अपनी लोक गायिकी से धूम मचा दी। उनके द्वारा गाये राजस्थान के पारम्परिक लोक गातों के साथ सुफियाना अन्दाज को बेहद पसंद किया गया।

फकीरा लोक गीत-संगीत की मद्धम पड़ती लौ को जिलाने के लिए मांगणियार जाति के बच्चों को पारम्परिक जांगड़ा शैली के लोक गीतों, भजनों, लोक वाणी और सुफियाना शैली का प्रशिक्षण देकर नई पौध तैयार कर रहे हैं। फकीरा ने हाल में ही ‘वर्ल्‍ड म्यूजिक फैस्टिवल’, शिकागो द्वारा आयोजित 32 देशों के 57 ख्यातिनाम कलाकारों के साथ लोक संगीत की प्रस्तुतियां दे कर परचम लहराया। फकीरा खान को ‘दलित साहित्य अकादमी’ द्वारा सम्मानित किया गया। राज्य स्तर पर कई मर्तबा समानित हो चुके फकीरा खान के अनुसार, लोक संगीत खून में होता है, घर में जब बच्चा जन्म लेता है और रोता है, तो उसके मुंह से स्वर निकलते हैं।

उनके अनुसार, लोक गीत संगीत की जांगड़ा, डोढ के दौरान लोक-कलाकारों के साज बाढ में बह गए थे। फकीरा खान ने खास प्रयास कर लगभग दो हजार लोक कलाकारों को सरकार से निःशुल्क साज दिलाए।

dr.seema tanwar,jaisalmer...congratulation

rudp jaipur ownered dr seema tanwar ,a ceeo,rudp jaisalmer,,,,,,,,,,,,,,congratulation.........

गुरुवार, 23 दिसंबर 2010

district collector gaurav goyal barmer...in photo














भूमि अवाप्ति के विरोध में किसानो ने दी गिरफ्तारीया

जालीपा लिग्नाईट परियोजना के लिये



भूमि अवाप्ति के विरोध में किसानो ने दी गिरफ्तारीया दी
बाड़मेर। सीमावर्ती बाड़मेर जिला मुख्यालय पर राज्य सरकार द्वारा जालीपा लिग्नाईट परियोजना के लिये अवाप्त की जा रही 70 हजार बीघा भूमि अवाप्ति के विरोध में आज सैकडों किसानो ने जिला कलक्टर कार्यालय परिसर के आगे महापड़ाव के तीसरे दिन शाम 6 बजे सैकडों किसानों नें गिरफ्तारीया दी ।
किसान नेता राजपालसिंह पूनिया के नेतृत्व मे ंहजारों किसानों ने महापड़द्याव के साथ सैकडों किसानो ने जिला कलक्टर कार्यालय परिसर के आगे महापड़ाव के तीसरे दिन शाम 6 बजे सैकडों किसानों नें गिरफ्तारीया दी ।

किसान नेता राजपालसिह पूनिया ने बताया कि राज्य सरकार किसानों के हितों की अनदेखी कर रही है। किसान जिला मुख्यालय पर गत 23 दिनों से धरने पर बैठे है मगर सरकार किसानों की सुध नही ले रही है ना ही सरकार किसानों की मांगों के प्रति गंभीर है। सरकार की संवेदनहीनता से आहत किसानों ने रेलवे ट्रेक पर कब्जे का निर्णय लिया है। किसान अपनी मांगों के लिये हर तरह की कुर्बानी देने के लिए तैयार है। जिला मुख्यालय पर आज किसान संघ की ओर से किसानों के महापड़ाव का आहवान था मगर किसान संघ द्वारा महापड़ाव की शुरूआत के साथ ही रेलवे ट्रेक पर कब्जा करने के साथ आज शम को किसानों ने महिलाओं के साथ गिरफ्तारीया का आहवान किया तो सुरक्षा व्यवस्था में लगे पुलिस बलों के कान खड़े हो गए तथा अफरा तफरी मच गई। किसानों नें भूमि अवाप्ति के विरोध में गिरफ्तारीया दी बाद में उन्हे जमानत पर रिहा कर दिया। किसानों ने एक स्वर में आर.एस.एम.एम. लि. तथा राज्य सरकार द्वारा जालीपा लिग्नाईट परियोजना के लिये अवाप्त की जा रही 70 हजार बीघा भूमि की अवाप्ति का जोरदार विरोध किया। महापड़ाव को राजेन्द्रसिह भीयाड़,मेहराराम राईका उगराराम डूडी, असरफ अली,लक्ष्मण वडेरा चिनेसर खान सहित कई नेताओं ने सम्बोधित किया।

मंगलवार, 21 दिसंबर 2010

जालीपा लिग्नाईट परियोजना के लिये भूमि अवाप्ति के विरोध में किसानो ने रेल्वे ट्रेक पर कब्जा किया




जालीपा लिग्नाईट परियोजना के लिये
भूमि अवाप्ति के विरोध में किसानो ने रेल्वे ट्रेक पर कब्जा किया।

बाड़मेर। सीमावर्ती बाड़मेर जिला मुख्यालय पर राज्य सरकार द्वारा जालीपा लिग्नाईट परियोजना के लिये अवाप्त की जा रही 70 हजार बीघा भूमि अवाप्ति के विरोध में आज हजारों किसानो ने जिला कलक्टर कार्यालय परिसर के आगे महापड़ाव आरम्भ कर कलेक्टर परिसर से महज दो कदम दूर स्थित रेलवे ट्रेक पर कब्जा कर लिया। किसान नेता राजपालसिंह पूनिया के नेतृत्व मे ंहजारों किसानों ने महापड़द्याव की घोषणा के साथ रेलवे ट्रेक फाटक संख्या 325 पर स्थित रेलवे ट्रेक पर कब्जा कर धरना आरम्भ कर दिया।वहीं किसानो नें बाडमेर जोधपुर के बीच चलने वाली रेल को ट्रेक पर रोक दस पर कबजा कर लियाएजिसके कारण रेल अपने निधोरित समय एक बजकर पचपन मिनट पर रवाना होने की बजाए दो बजकर चालीस मिनअ पर रवाना हो सकी।किसान रेल ें इंजन पर च गऐ पथा पूरे िउब्बों पर कब्जा कर लिया।लगभग चालीस मिनअ तक रेल को किसानों नें रोके रखा।बाद में जिला प्रशासन की समझाईस पर रेल से नीचे दतरे।
किसान नेता राजपालसिह पूनिया ने बताया कि राज्य सरकार किसानों के हितों की अनदेखी कर रही है। किसान जिला मुख्यालय पर गत 20 दिनों से धरने पर बैठे है मगर सरकार किसानों की सुध नही ले रही है ना ही सरकार किसानों की मांगों के प्रति गंभीर है। सरकार की संवेदनहीनता से आहत किसानों ने रेलवे ट्रेक पर कब्जे का निर्णय लिया है। किसान अपनी मांगों के लिये हर तरह की कुर्बानी देने के लिए तैयार है। जिला मुख्यालय पर आज किसान संघ की ओर से किसानों के महापड़ाव का आहवान था मगर किसान संघ द्वारा महापड़ाव की शुरूआत के साथ ही रेलवे ट्रेक पर कब्जा करने का आहवान किया तो सुरक्षा व्यवस्था में लगे पुलिस बलों के कान खड़े हो गए तथा अफरा तफरी मच गई। समाचार लिखे जाने तक किसानों ने रेलवे ट्रेक पर अधिकार पर महापड़ाव शुरू कर दिया। किसानों ने एक स्वर में आर.एस.एम.एम. लि. तथा राज्य सरकार द्वारा जालीपा लिग्नाईट परियोजना के लिये अवाप्त की जा रही 70 हजार बीघा भूमि की अवाप्ति का जोरदार विरोध किया। महापड़ाव को राजेन्द्रसिह भीयाड़, उगराराम डूडी, असरफ अली,लक्ष्मण वडेरा चिनेसर खान सहित कई नेताओं ने सम्बोधित किया।

पीने के पानी का अधिकार दिया जाए

 कांग्रेस के 83वें महाअधिवेशन में बाड़मेर जैसलमेर के सांसद हरीश चौधरी ने भी संबोधित किया। चौधरी ने अपने संबोधन में युवा विकास, पीने के पानी का अधिकार, सांप्रदायिक सद्भाव पर जोर दिया। सांसद चौधरी ने कहा कि देश के कई बड़े सुदूर क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की आज भी पीने का पानी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। कई शहरी क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल नहीं मिल रहा है। जबकि पीने का पानी हर व्यक्ति की मौलिक आवश्यकता है। आज भारत का स्थान दुनिया में बहुत उच्च है। कई विश्व शक्तियां हमें संयुक्त राष्ट्र में स्थाई सदस्यता के लिए समर्थन कर रही है। ऐसे में हमें जाति धर्म से उठकर भारत देश के विकास के लिए कार्य करना चाहिए। चौधरी ने कहा कि हमारे देश में जीडीपी रेट बढ़ गई है। प्रधानमंत्री की आर्थिक नीतियों से देश आर्थिक रूप से समृद्ध हो रहा है। उन्होंने कहा कि बाड़मेर जिले में नरेगा योजना में पचास हजार से अधिक टांके बने हैं, जो लोगों के लिए पेयजल संचय का महत्त्वपूर्ण स्त्रोत है। चौधरी ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के प्रभावी क्रियान्वयन की बात रखी ताकि लोगों को अधिकाधिक फायदा मिल सके।

रविवार, 19 दिसंबर 2010

happy birth day parul






 aaj meri pyari bitiya PARUL ka janm divas hai,dher sari shubh kamanae...badhai...today is birth day of my lovely daughter PARUL,

शनिवार, 18 दिसंबर 2010

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अज्ञात व्यक्ति की लाश खेत में दबी मिली

बाडमेर सीमावर्ती बाडमेर जिले के सदर थाना क्षैत्र के खेतसिंह की प्याउ गांव की सरहद पर एक खेत में आात व्यक्ति की लाश मिलने से क्षैत्र में सनसनी फैल गइ्र हैं।घटना की जानकारी मिलने पर पुलिस दल सहित पुलिस अधीक्षक मौके पर पहॅच गऐं हैंपुलिस सुत्रों नें बताया कि शनिवार प्रात खेतसिंह की प्याद निवासी भूराराम नें सदर पुलिस को सूचित किया कि दसके क्षेत में एक लाश गडी होने का अन्देशा हैं।खेत के आसपास खून बिखरा पडा हैं।इस सूचना पर पुलिस दल ने मौके पर पहूॅच कर खेत में सें लाया को बाहर निकाला ।लाश एक सिख व्यक्ति की हैं।पुलिस ने ाव बरामद कर जॉच आरम्भ कर दी हैं।सूत्रों ने बताया कि कोई 24 घण्टों पहले ही दक्त व्यक्ति की हत्या कर लाश को जमीन में गाड दिया गया था।पुलिस मामले की जॉच में जुट गइ हेै।बाडमेर जिला मुख्यालय सें राष्ट्रिय राजमार्ग 15 धोरीमन्ना रोड पर 20 किलोमीटर दूर एक खेत में यह घटना हुई।पुलिस को मौके पर कई स्थानों पर खून के निशान मिले हैं।समाचार लिखे जाने तक पुलिस दल मौके पर कार्यवाही में जुटा थ।

बुधवार, 15 दिसंबर 2010

जब सीमावर्ती लोगों ने पाक के इरादे नाकाम किये









भारत पाक के मध्य तृतीय युद्ध 1971 

जब सीमावर्ती लोगों ने  पाक के इरादे नाकाम किये

चन्दन सिंह भाटी 

भारत पाक के मध्य तृतीय युद्ध 1971 में पाक की भीषण गोलाबारी सही हैं। पाक की गोलाबारी व बमबारी का जिस दृ़ता के साथ बाड़मेर से साहसी नागरिकों ने सामना किया था, वह इतिहास बन चुका हैं। सीमावर्ती क्षेत्र के लोगों ने युद्ध के दौरान विशेष उत्साह दिखाया, वहीं सेना का मार्गदर्शन कर पाक को शिकस्त देने में मदद की।

आज जब भारत पाक सीमा पर तनाव का माहौल हैं। दोनों की सेनाएं अपने अपने शस्त्र संभाल मोर्चे पर तैनात हैं। आज फिर सीमावर्ती गांवो के जवानों की भुजाएं पाक से दो चार हाथ करने को फडफडा रही हैं। सीमावर्ती गांवो के लोगो ने 1971 के युद्ध में अविस्मरणीय यादें आज भी ताजा हैं। गांवो के बुजुर्गो ने बताया कि पाक ने पहली बार एक साथ 19 बम हवाई जवाज से उतरलाई स्टेशन पर गिराए इन बमों के फटने से कोई हानि नहीं हुई। भारतीय सैनिकों ने इसी दिन 3 दिसम्बर 1971 को एंटी एयर क्राफ्ट गनो से शत्रु को भगा दिया। इसके अलावा एक केबिन, प्याऊ व दुकान नष्ट हो गई। अगले दिन 4 दिसम्बर को सायं सवा 5 बजे गडरारोड़ में एक तामलोरलीलमा के मध्य कई बम गिराए पाक ने। इसी बीच पाक ने हवाई हमले तेज कर दिये। 5 दिसम्बर को उतरलाई स्टेशन तथा गडरारोड़ में एकएक बम गिराया गया जो फटे भी मगर क्षति नहीं हुई। इस क्रम को 6 दिसम्बर को जारी रख पचपदरा मण्डली मार्ग पर स्थित मवडी गांव में एक साथ 43 बम गिराए जिसमें 41 फट ग तथा 2 बम बिना फटे ही रह गए। वहीं इसी दिन महाबार में 13 बम गिराए गए जिनमें पांच बम फटे और आठ बम बिना फटे ही रह गए। इन बमों के फटने से जानमाल की क्षति नहीं हुई क्योंकि लोग पहले से ही सुरक्षित स्थानों पर जा चुके थे।

अपनी विफलता पर घबराए पाक ने 7 दिसम्बर को पुनः रात्रि 11 बजे 5 बम गिराए मगर हानि नहीं हुई। बाड़मेर मुख्यालय को पहली बार 8 दिसम्बर को पाक के अब झेलने का अवसर मिला। पाक रात्रि लगभग 1 बजे मालगोदाम पर बम गिरा। मालगोदाम में रखी सामग्री जल गई। वहीं 5 मालगाडी के डिब्बे जलकर राख हो गये। इसी क्रम में उतरलाई हवाई अड्डे पर 1 बजकर 20 मिनिट पर बम गिराया। तत्पश्चात बाड़मेर रेल्वे स्टेशन पर स्थित सवारी रेलगाडी पर बम गिराया इससे चार यात्री डिब्बे में ही जलकर राख हो गये। इसी स्थान पर रखी पेट्रोल व डीजल की टंकियों को नागरिक सुरक्षा के जवानों ने तुरन्त खाली कर क्षति होने से बचाया। मगर पास रखे कोयलों में आग लग चुकी थी। स्वयं सेवको ने निस्वार्थ भावना से कार्य कर मालगोदाम कार्यालय में रखा फर्नीचर, रेकर्ड व अन्य सामग्री सुरक्षित स्थान पर डाली।

इसी रात्रि को लगभग ़ाई बजे पाक हवाई जहाज ने कोयले की ़ेरी में बम डाला मगर झाति नहीं हुई। तत्पश्चात दो बम मालगोदाम पर और गिराए गए जिसमें एक बम फटा मगर नुकसान नहीं हुआ। इसी तरह अगले दिन 9 दिसम्बर को सायं सा़े पांच बजे कोनरा तथा बच्चू का तला में 17 बम गिराए जिसमें 11 बम फटे, 5 बम फटे बिना ही रह गए तथा संदेहास्पद स्थिति में भी उन बमों के फटने से नुकसान हुआ। लखा की ़ाणी जलकर राख हो गई। वहीं लगभग 65 बकरियां जिन्दा जल गई। इसी रात्रि गौर का तला में चार बम गिराए गए जो बिनो फटे रहे। इसी दिन उतरलाई में एक बम गिराया मगर क्षति नहीं हुई।

अगले दिन 10 दिसम्बर को कुड़ला गांव के दीपसिंह की ़ाणी पर दो बम गिराए। दोनो बम फट जाने से कुछ घरों में नुकसान हुआ। अगले दिन 11 दिसम्बर को लगभग सा़े 8 बजे प्रातः रावतसर, कुडला के पास बम गिरे जिससे क्षति नहीं हुई, उधर नौ बजे प्रातः उतरलाई पर 2 बम गिराए जिके फट जाने से एक जीप जल गई तथा एक हवाई जहाज को क्षति पहुंची। रात सवा नौ बजे परबतसिंह की ़ाणी की कोटडी के पास 2 बम गिरे मगर क्षति नहीं हुई। रात्रि ड़े बजे गुलाबसिंह की ़ाणी के पास एक पेट्रोल की टंकी गिराई जिससे अग लगी मगर मामूली क्षति पहुंची। 12 दिसम्बर को जयसिन्धर स्टेशन पर बमबारी की जिससे कुछ नुकसान हुआ।

प्रातः पौने नौ बजे मीठडा खुर्द में दो बम गिराए मगर क्षति नहीं हुई। इसी दिन रात्रि 12 बजे सीमावर्ती नेवराड गांव में पैराशूट से सिलेंडर उतारा गया जो लगभग 8 कि.ग्रा. था। इस रात्रि को सरली गांव में 10 बम गिराए क्षति नहीं हुई मगर 40 गुणा 15 फीट के गड्े पड गए। इसी दिन गरल गांव के समीप रोशनी वाले सिलेंडर पैराशूट से उतारकर भय का वातावरण पैदा करने का असफल प्रयास किया गया।

इस प्रकार सेडवा में एक, बामरला में दो बम गिराए मगर क्षति नहीं हुई। पाकिस्तान ने बमबारी कर बाड़मेर की जनता में भय का वातावरण बनाने का असफल प्रयास किया। पाक को भारतीय सेना ने मुंह तोड जवाब दिया। पाक द्वारा लगभग 10 दिन लगातार बम बरसाने के बावजूद नागरिक शहर में रह कर पाक हमलों का मुकाबला किया। अंत में पाक को हार का सामना करना पड़ा। लोग आज भी अतीत को यादर कर रोमांचित हो उठते हैं। मगर इस सरहदी क्षेत्र के गांवो में 1971 के युद्ध के दौरान भीषण बमबारी की गई थी जिसमें लगभग 60 फीसदी पाक बम बिना फटे रह गए थे।

सोमवार, 13 दिसंबर 2010

खड़ताल का जादुगर सदीक खान



खड़ताल का जादुगर सदीक खान

बाड़मेर पिश्चमी सीमावर्ती बाड़मेर जिले की लोक गायिकी ने थार की थळी के इस क्षैत्र की ख्याति सात समुन्द्र पार पहुचांई है।थार की थळी के लाल मांगणियार जाति के लोक गायको ने अपनी सुर साधनां के लिए ऐसे पारम्परिक वाद्य यत्रों का प्रयोग किया है जो अनुठेपन के कारण कला साधको को रोमांचित कर देते हैं।लोक गायकी के सरताज सदीक खान ने ऐसे पारम्परिक वाद्य यंत्र खड़ताल का आविश्कार कर अपने फन की विश्व भर में धूम मचा दी थी।खड़ताल का जादू संगीत प्रेमियो के सिर च कर बोला। खड़ताल ने सदीक की ख्याति में चार चॉद लगा दिए ं।खड़ताल ने सदीक को तथा सदीक ने खड़ताल को अमर कर दियां।


बाड़मेर जिले के शिव तहसील के झॉपली में जन्में सदीक ने अपने बचपन में लोक गययिकी में महारत हासिल कर ली थी।उन्होने लोक सगींत को गली कुच्चो से उठाकर सात समुन्द्र पार पंहुचाया ।सदीक का परिवार सदियो से गांव के उच्च घरानो में लोक गीतसंगीत की महफिले सजा कर जीवन निर्वाहन करते। यजमानी के साथसाथ शादी विवाह सगाई एवं अन्य समारोह में लोक गीत संगीत के जरिए दो वक्त की रोटी परिवार को मुहैया कराते थे।मंगत की बैशाखी पर लोक गायकी टिकी थी।

बचपन से ही सदीक अपने पिता के साथ झॉपली एवं शिव के विभिन्न ठिकानो पर गा बजा कर लोक गायिकी तथा वादय में दक्षता हासिल कींउनके पिता की सारंगी,तन्दुरा,कमायचा,और खड़ताल बजाने में ख्याति क्षैत्र में अर्जित की थी।अपने पूर्वजो की इस विरासत को सदीक ने जिस मनोयोग ,साधना,और समर्पित भाव से अंगीकार किया उसके परिणामस्वरुप उनकी खास पहचान बनी।सदीक अनप अवश्य था मगर लोक गीत ,संगीत ओैर वाद्य के ज्ञान का समृद्ध भण्डार था।


ोलकक,सारंगी,तन्दुरा,कमायचा ,रावणहत्था, तथा खड़ताल बजाने के फन में माहिर थे।साथ ही सैकड़ो लोक गीत कंठस्थ थे वहीं सैकड़ो लोक गीतो के रचयिता थे जिसमें उनके द्घारा रचे लोक गीत नीम्बुड़ानिम्बुड़ा ने कई कीर्तिमान स्थापित किए।

सदीक और खड़ताल एक दूसरे के पर्याय थे। खड़ताल बजाने में उनका कोई सानी ना था।खड़ताल बजाने में उनको उच्च कोटि की दक्षता हासिल थी।लोक संगीत की महफिलें सदीक के बिना अधूरी लगती थी।खास अंदाज में खड़ताल बजाने की दक्षता के कारण वे कई अन्तराश्टिृय समारोहो की शान बनकर थार को ख्याति दिलाइ्रं।जल्द सदीक खड़ताल के जादुगर के रुप में चर्चित और ख्यातिनाम हो गए।खड़ताल से इन्हे लोकप्रियता और सम्मान मिला।


छः से आठ ईंच लम्बी और डेदो ईंच चौड़ी साधरण सी दिखने वाली लकड़ी की दो पटियां जब सदीक के हाथो से बजती संगीत प्रेमी झूम उठतेंसदीक जब हाथ के अंुठे के आन्तरिक भाग एवं दूसरी चारों अंगुलियों में हथेली के बीच खड़ताल रखकर अंगुलियों के बल अधखड़ा हो कर झूमता हुआ खड़ताल बजाता तो वह सब कुछ भूल कर उसी में खो जाते थे।सुर और गीतों के स्वर जितने तेजी से साथी गायको के कण्ठ से निकलते उससे कहीं तेज गति से सदीक के हाथो से खड़ताल बजतीं। सुरीले मनमोहक लोक गीतों को जब सदीक की खड़ताल का साथ मिलता संगीत प्रेमी झूम उठतें।


सदीक ने खड़ताल का जादु सात समुन्द्र पार अमेरिका,अजे्रटिना,आस्टेृलिया,जापान, रुस सहित कई देशो में लोक गीत संगीत की स्वर लहरियॉ बिखेर कर परचम लहराया।पिश्चमी राजस्थान के लोक गीत संगीत को नई उॅचाईयां देने वाले सदीक को केन्द्रिय संगीत नाटक अकादमी ने दस हजार रुपये का नकद पुरस्कार देकर उनकी साधना को सम्मान दिया।वहीं मध्यप्रदेश सरकार ने तुलसी सम्मान से 1989 -90 में सम्मानित किया।


प्रदेश स्तर पर कई र्मतबा सम्मानित हुए हैं सदीक खान।मंगत की बैशाखी पर टिकी लोक गायिकी तथा खड़ताल की स्वर लहरियों को विश्व भर में नई पहचान देने वाले सदीक के फ.न को उनके कई शार्गिद इागे बा रहे हैं। केसरिया बालम पधारो म्हारे देस,निम्बुडानिम्बूडा चिड़कली,कुरजां,गोरबधं जेसे सैकड़ों गीत जो सदीक ने गाए आज भी संगीत प्रेमियों के बीच खासे लोक प्रिय हैं सिदिक खान के गाए लोक गीतों की कैसेट सीडीयों की मांग बराबर बनी हुई हैं।


सदीक खान की जयपुर के जवाहर कला केन्द्र में एक कार्यक्रम के दौरान तबीयत बिगड़ने से मार्च 2002 में मौत हो गई थीं।राजस्थानी लोक गीत संगीत को सादिक खान ने ना केवल नई उॅचाईयां प्रदान की बल्कि लोक गायिकी में दक्ष शार्गिद तैयार कर दिए।उनके शार्गिद अनवर खान,फकीरा खान,गाजी खान, साकर खान, परम्परागत लोक गायिकी को अन्तरराश्टिृय स्तर पर नई उॅचाईयां प्रदान कर रहे हैं।


सदीक खान के पुत्र समुन्द्र खान और शाकर खान लोक गायकी के जीते जागते उदाहरण हैं,खड़ताल बजाने में दक्ष समुन्द्र खान और ाकर खान लोक कला के सरक्षण के लिए स्वयं सेवी संस्था के माध्यम से पुरजोर प्रयास कर रहे हैं।समुन्द्र खान स्थानिय लोक कलाकारो के लिये विदेशो में कार्यक्रम तय कर उन्हें अवसर प्रदान कर रहे हैं।सादिक खान का पूरा परिवार लोक कला के संरक्षण में जुटा ह