बाड़मेर राजनीती *कांग्रेसियो की बोपरह।।बीजेपी ढूंढ रही नये चेहरे।*
*हालांकि विधानसभा चुनावों में अभी साल भर का वक़्त है।मगर सत्तासीन और विपक्ष अपने चुनावी चौसर के घोड़े चुनने में लगी है।इस बार दिलचस्प है है दोनों दल नये चेहरे ढूंढ रहे।कांग्रेस के लिए सचिन पायलट का होम वर्क पूरा हो चुका है।तो भाजपा अभी तक चेहरे तलाष नही कर पाई।।राजनीतिक गलियारों में चर्चा ए आम है कि कांग्रेस ने अपने नए चेहरों का पैनल तैयार कर लिया।पुराने चेहरों को बदलने का काम तेजी से हो रहा।सचिन ने जातीय समीकरण के हिसाब से मोहरे फिट करने में कामयाबी हासिल कर ली।इस कामयाबी में पूर्व मुख्यमंत्री ढ़ोक गहलोत के विश्वशनीय नेताओ की बलि चढ़ना तय है।हाल ही में अशोक गहलोत की तरफ से चर्चा में आये नये चेहरों की गोपनीय रिपोर्ट निजी स्तर पर मंगवाई है।गहलोत के पुराने साथी उनका साथ लगभग छोड़ सचिन से हाथ मिला चुके है।एक मात्र जनप्रतिनिधि अभी भी गहलोत के गुणगान कर रहे।।विधानसभा चुनाव पायलट के नेतृत्व में लड़े गए तो बाड़मेर से पूर्व राजस्व मंत्री हेमाराम चौधरी,राष्ट्रीय सचिव हरीश चौधरी और जैसलमेर से प्रदेश सचिव रूपाराम धनदे नई शक्ति के रूप में उभर कर सामने आएंगे।।ऐसे में गहलोत के मोहरों का क्या हश्र ह्योग ज्यादा सोचने की जरूरत नही।।इस वक्त अल्पसंख्यक नेताओ की बात करे तो बाड़मेर के दोनों राजनीतिक घराने सचिन में विश्वास व्यक्त कर चुके है तो जैसलमेर में फकीर परिवार अभी भी असमंज की स्थिति में है।सचिन के साथ खुलकर फकीर परिवार अभी नही गया जिसका खामियाजा भी भुगत रहे है।बहरहाल कांग्रेस सत्ता की सीढ़ियां सफलतापूर्व चढ़ने के लिए राजपूत समाज को प्रतिनिधित्व देकर बीजेपी पर बढ़त और मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने का प्रयास कर रहा।अमीन खान का राजपूतो को कांग्रेस में लाने का बयान इसी संदर्भ में देखा जा रहा हैं। इसी की परिणीति है कि गत दिनों एक युवा राजपूत की कई दशकों बाद कांग्रेस में जाट बाहुल्य क्षेत्र में हुई।।पिछला और आगे भी कई वर्षों तक एक राजपूत नेता का कांग्रेस में जाट बाहुल्य क्षेत्र में जाकर प्रवेश सम्भव नही लगता।मगर यह युवा नेता के लिए जरूर संतोष का विषय है कि उनका कांग्रेस में प्रवेश जाट बाहुल्य क्षेत्र में संगठन के जिला अध्यक्ष और दिग्गज जाट नेताओं की उपस्थिति में हुआ।कांग्रेस में राजपूत नेताओ का बाड़मेर में प्रवेश दिवास्वप्न सा था।राजपूतो को एक मात्र विधायक ने कभी कांग्रेस में आगे आने नही दिया।राजपूतो को अपना वोट बैंक में पिछलग्गू बनाये रखा।।जिसके चलते राजपूत समाज के कई होनहार युवाओ का राजनीतिक भविष्य चौपट हो गया।जाट नेताओं द्वारा युवा राजपूत पर भरोसा सारी कहानी बयां कर रहा है।सचिन की चौसर जम चुकी है।वही बीजेपी ने बिधान सभा चुनाव जीतने का नया फार्मूला तैयार किया हैं।इसपे आगे बात करेंगे।*