जैसलमेर भ्रष्टाचारी को तो बचा लिया लेकिन खुद फंस गए एएसपी साहब!
जैसलमेर भ्रष्टाचार के आरोपी जयपुर डिस्कॉम में पदस्थ एक अफसर के खिलाफ जांच के दौरान गवाही के लिए 12 बार बुलाने पर भी नहीं आना पुलिस के एक एएसपी को भारी पड़ गया। गवाही नहीं दिए जाने की वजह से भ्रष्टाचार का आरोपी बिजली विभाग का अफसर तो विभागीय कार्रवाई में बच निकला, लेकिन इसकी सजा अब एएसपी को भुगतनी पड़ेगी। जयपुर डिस्कॉम के सीएमडी की शिकायत पर पुलिस महानिदेशक कार्यालय ने उस एएसपी को 17 सीसीए की चार्जशीट थमाने के आदेश जारी किए हैं।
कार्यालय महानिदेशक पुलिस राजस्थान जयपुर से अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस सतर्कता ने आईजी रेंज जोधपुर को 12 अप्रैल 2012 को पत्र भेजा था। इसमें कहा कि जयपुर डिस्कॉम के जांच अधिकारी रिटायर्ड आईएएस के.एन.गुप्ता ने बिजली विभाग के अधिकारी गुलाब सिंह वर्मा के खिलाफ जांच में गवाही के लिए जैसलमेर में पदस्थ एएसपी गणपत लाल को बार- बार बुलाने पर भी नहीं आए।
एडीजी विजिलेंस ने आईजी जोधपुर को लिखा कि आपको पुन: निर्देश दिए जाते हैं कि वांछित जांच रिपोर्ट एवं दोषी अधिकारी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई 17 सीसीए के प्रस्ताव तैयार करके निर्धारित प्रपत्र में भरकर इस कार्यालय में भिजवाने का श्रम करावें। आईजी रेंज जोधपुर ने एडीजी विजिलेंस के पत्र के जवाब में तथ्यात्मक टिप्पणी के साथ सारी जांच रिपोर्ट हाल ही एडीजी विजिलेंस को भेज दी है।
अब इस मामले में 17 सीसीए की चार्जशीट देने के लिए डीजीपी एच.सी. मीणा ने अनुमति दे दी है। यह अपनी तरह का अनूठा मामला है, जिसमें भ्रष्टाचार के आरोपी को बचाने को लेकर किसी एएसपी को चार्जशीट थमाई जा रही है। डीबी स्टार के पास विजिलेंस की ओर से भेजे गए पत्र से लेकर जयपुर डिस्कॉम की जांच रिपोर्ट तक सारे दस्तावेज मौजूद हैं।
जांच समिति ने की थी कार्रवाई की सिफारिश
जयपुर डिस्कॉम की ओर से नियुक्त जांच अधिकारी रिटायर्ड आईएएस के.एन. गुप्ता ने इस मामले में पुलिस महानिदेशक को शिकायत की थी, जिसमें कहा था कि जैसलमेर में पदस्थ एएसपी गणपत लाल 12 बार नोटिस भेजे जाने के बावजूद विभागीय जांच में साक्ष्य में अनुपस्थित रहे। उनकी सुविधा अनुसार तारीख पेशी भी निश्चित की गई। इस सबके बावजूद एएसपी गणपत लाल ने गवाही में आना उचित नहीं समझा।
फलस्वरूप उनकी गवाही बंद करनी पड़ी। इससे आरोपित कर्मचारी को लाभ पहुंचा। इस प्रकार अभी जैसलमेर में पदस्थ एएसपी गणपत लाल ने एक आपराधिक मामले में गवाही नहीं देकर अपने प्रशासनिक उत्तरदायित्व में लापरवाही बरती। जानबूझकर कर्मचारी को अनावश्यक लाभ पहुंचाया है। अत: गणपत लाल के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई के लिए प्रकरण जांच प्रतिवेदन के साथ भेजा जा रहा है।
इनको देनी थी गवाही
विद्युत निगम की सतर्कता शाखा अलवर विजिलेंस में पदस्थ रहने के दौरान तत्कालीन पुलिस उपाधीक्षक गणपत लाल (अब एएसपी) ने कनिष्ठ अभियंता गुलाब सिंह वर्मा के प्रकरण की जांच करके रिपोर्ट अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जयपुर को भेजी थी। इस वजह से जयपुर डिस्कॉम के विभागीय प्रतिनिधि आर.एल. पुरी ने विभागीय जांच के दौरान प्रमुख गवाह के रूप में गणपत लाल वर्मा के बयान करवाए जाना आवश्यक बताया।
आईएएस गुप्ता के जांच प्रतिवेदन के मुताबिक जयपुर डिस्कॉम कार्यालय से अभी जैसलमेर में पदस्थ एएसपी गणपत लाल वर्मा को इस प्रकरण में गवाही देने के लिए बुलाया। रिकॉर्ड के मुताबिक 23 सितंबर 2010 से लेकर 28 जुलाई 2011 तक गणपत लाल वर्मा को जयपुर डिस्कॉम की ओर से 12 नोटिस भेजे गए। इसके बावजूद गणपत लाल वर्मा तय पेशी तारीख पर गवाह देने के लिए नहीं पहुंचे।
नियमानुसार कार्रवाई करेंगे
'एएसपी गणपत लाल वर्मा को 17 सीसीए की चार्जशीट देने के मामले में विजिलेंस कार्यालय से जोधपुर आईजी को भेजे गए पत्र का जवाब और वहां से आई जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्यालय ने अब तक क्या कार्रवाई की है, वो देखने के बाद ही पूरी तरह बता सकता हूं। मामला मुझे अभी ज्यादा याद नहीं आ रहा है, लेकिन दोषी अधिकारी के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।'
-प्रदीप कुमार व्यास, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, (सतर्कता) राजस्थान जयपुर
डीजीपी के समक्ष पक्ष रखूंगा
'जयपुर डिस्कॉम ने मुझे जब भी गुलाब सिंह वर्मा के प्रकरण में गवाही के लिए बुलाया था, तब मैं लगातार कानून एवं व्यवस्था की ड्यूटी में लगा हुआ था। इस वजह से गवाही देने के लिए नहीं जा पाया था। इस बारे में डीजीपी कार्यालय ने एसपी जैसलमेर को पूछा था, तब तारीख के हिसाब से जवाब तैयार करके भेज दिए थे। जोधपुर आईजी ने भी मेरे फेवर में रिपोर्ट भेजी थी, ऐसे में अब 17 सीसीए का नोटिस देने का क्या औचित्य है। वैसे भी मेरी मंशा कभी भी बिजली विभाग के दोषी अफसर को बचाने की नहीं रही थी। नोटिस के बारे में पूछे जाने पर मैं अपना पक्ष डीजीपी के समक्ष रख दूंगा।'
-गणपत लाल, एएसपी जैसलमेर
जैसलमेर भ्रष्टाचार के आरोपी जयपुर डिस्कॉम में पदस्थ एक अफसर के खिलाफ जांच के दौरान गवाही के लिए 12 बार बुलाने पर भी नहीं आना पुलिस के एक एएसपी को भारी पड़ गया। गवाही नहीं दिए जाने की वजह से भ्रष्टाचार का आरोपी बिजली विभाग का अफसर तो विभागीय कार्रवाई में बच निकला, लेकिन इसकी सजा अब एएसपी को भुगतनी पड़ेगी। जयपुर डिस्कॉम के सीएमडी की शिकायत पर पुलिस महानिदेशक कार्यालय ने उस एएसपी को 17 सीसीए की चार्जशीट थमाने के आदेश जारी किए हैं।
कार्यालय महानिदेशक पुलिस राजस्थान जयपुर से अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस सतर्कता ने आईजी रेंज जोधपुर को 12 अप्रैल 2012 को पत्र भेजा था। इसमें कहा कि जयपुर डिस्कॉम के जांच अधिकारी रिटायर्ड आईएएस के.एन.गुप्ता ने बिजली विभाग के अधिकारी गुलाब सिंह वर्मा के खिलाफ जांच में गवाही के लिए जैसलमेर में पदस्थ एएसपी गणपत लाल को बार- बार बुलाने पर भी नहीं आए।
एडीजी विजिलेंस ने आईजी जोधपुर को लिखा कि आपको पुन: निर्देश दिए जाते हैं कि वांछित जांच रिपोर्ट एवं दोषी अधिकारी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई 17 सीसीए के प्रस्ताव तैयार करके निर्धारित प्रपत्र में भरकर इस कार्यालय में भिजवाने का श्रम करावें। आईजी रेंज जोधपुर ने एडीजी विजिलेंस के पत्र के जवाब में तथ्यात्मक टिप्पणी के साथ सारी जांच रिपोर्ट हाल ही एडीजी विजिलेंस को भेज दी है।
अब इस मामले में 17 सीसीए की चार्जशीट देने के लिए डीजीपी एच.सी. मीणा ने अनुमति दे दी है। यह अपनी तरह का अनूठा मामला है, जिसमें भ्रष्टाचार के आरोपी को बचाने को लेकर किसी एएसपी को चार्जशीट थमाई जा रही है। डीबी स्टार के पास विजिलेंस की ओर से भेजे गए पत्र से लेकर जयपुर डिस्कॉम की जांच रिपोर्ट तक सारे दस्तावेज मौजूद हैं।
जांच समिति ने की थी कार्रवाई की सिफारिश
जयपुर डिस्कॉम की ओर से नियुक्त जांच अधिकारी रिटायर्ड आईएएस के.एन. गुप्ता ने इस मामले में पुलिस महानिदेशक को शिकायत की थी, जिसमें कहा था कि जैसलमेर में पदस्थ एएसपी गणपत लाल 12 बार नोटिस भेजे जाने के बावजूद विभागीय जांच में साक्ष्य में अनुपस्थित रहे। उनकी सुविधा अनुसार तारीख पेशी भी निश्चित की गई। इस सबके बावजूद एएसपी गणपत लाल ने गवाही में आना उचित नहीं समझा।
फलस्वरूप उनकी गवाही बंद करनी पड़ी। इससे आरोपित कर्मचारी को लाभ पहुंचा। इस प्रकार अभी जैसलमेर में पदस्थ एएसपी गणपत लाल ने एक आपराधिक मामले में गवाही नहीं देकर अपने प्रशासनिक उत्तरदायित्व में लापरवाही बरती। जानबूझकर कर्मचारी को अनावश्यक लाभ पहुंचाया है। अत: गणपत लाल के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई के लिए प्रकरण जांच प्रतिवेदन के साथ भेजा जा रहा है।
इनको देनी थी गवाही
विद्युत निगम की सतर्कता शाखा अलवर विजिलेंस में पदस्थ रहने के दौरान तत्कालीन पुलिस उपाधीक्षक गणपत लाल (अब एएसपी) ने कनिष्ठ अभियंता गुलाब सिंह वर्मा के प्रकरण की जांच करके रिपोर्ट अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जयपुर को भेजी थी। इस वजह से जयपुर डिस्कॉम के विभागीय प्रतिनिधि आर.एल. पुरी ने विभागीय जांच के दौरान प्रमुख गवाह के रूप में गणपत लाल वर्मा के बयान करवाए जाना आवश्यक बताया।
आईएएस गुप्ता के जांच प्रतिवेदन के मुताबिक जयपुर डिस्कॉम कार्यालय से अभी जैसलमेर में पदस्थ एएसपी गणपत लाल वर्मा को इस प्रकरण में गवाही देने के लिए बुलाया। रिकॉर्ड के मुताबिक 23 सितंबर 2010 से लेकर 28 जुलाई 2011 तक गणपत लाल वर्मा को जयपुर डिस्कॉम की ओर से 12 नोटिस भेजे गए। इसके बावजूद गणपत लाल वर्मा तय पेशी तारीख पर गवाह देने के लिए नहीं पहुंचे।
नियमानुसार कार्रवाई करेंगे
'एएसपी गणपत लाल वर्मा को 17 सीसीए की चार्जशीट देने के मामले में विजिलेंस कार्यालय से जोधपुर आईजी को भेजे गए पत्र का जवाब और वहां से आई जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्यालय ने अब तक क्या कार्रवाई की है, वो देखने के बाद ही पूरी तरह बता सकता हूं। मामला मुझे अभी ज्यादा याद नहीं आ रहा है, लेकिन दोषी अधिकारी के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।'
-प्रदीप कुमार व्यास, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, (सतर्कता) राजस्थान जयपुर
डीजीपी के समक्ष पक्ष रखूंगा
'जयपुर डिस्कॉम ने मुझे जब भी गुलाब सिंह वर्मा के प्रकरण में गवाही के लिए बुलाया था, तब मैं लगातार कानून एवं व्यवस्था की ड्यूटी में लगा हुआ था। इस वजह से गवाही देने के लिए नहीं जा पाया था। इस बारे में डीजीपी कार्यालय ने एसपी जैसलमेर को पूछा था, तब तारीख के हिसाब से जवाब तैयार करके भेज दिए थे। जोधपुर आईजी ने भी मेरे फेवर में रिपोर्ट भेजी थी, ऐसे में अब 17 सीसीए का नोटिस देने का क्या औचित्य है। वैसे भी मेरी मंशा कभी भी बिजली विभाग के दोषी अफसर को बचाने की नहीं रही थी। नोटिस के बारे में पूछे जाने पर मैं अपना पक्ष डीजीपी के समक्ष रख दूंगा।'
-गणपत लाल, एएसपी जैसलमेर