सोमवार, 4 नवंबर 2013

"देश में मोदी का असर है लेकिन लहर नहीं"

जम्मू। जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने यह कहा कि देश में मोदी का असर है न कि मोदी की लहर। उन्होंने कहा कि भाजपा का यह कहना कि देश में मोदी की लहर है, बिल्कुल गलत है। हालांकि उन्होंने यह माना कि देश में मोदी का जो असर दिख रहा है, उसका प्रभाव आगामी चुनाव में पडेगा।
उमर अब्दुल्ला केंद्र सरकार के सहयोगी हैं और सरकार के किसी सहयोगी ने पहली बार इस बात को स्वीकार किया है कि देश में नरेंद्र मोदी का असर है।

उमर अब्दुल्ला के इस बयान पर प्रतिक्रिया जारी करते हुए भाजपा नेता कीर्ति आजाद ने कहा कि चलिए अंतत: उमर ने सच को स्वीकारा, यह बडी बात है।

उमर ने पत्रकारों से बातचीत में कहा मोदी का असर है जिसे नकारा नहीं जा सकता। यह असर आम वोटरों पर नहीं बल्कि भाजपा के कैडर पर है।

उमर ने कहा कि मैं लहर जैसे शब्द का इस्तेमाल नहीं करूंगा लेकिन हां, मोदी का असर जरूर है। असर कितना होगा इसका पता तो चुनाव बाद ही पता चलेगा

उमर के बयान के बाद भाजपा नेता कीर्ति आजाद ने कहा कि उमर अब्दुल्ला ने आखिरकार सच्चाई को स्वीकार कर लिया। आज की तारीख में हर किसी की जुबान पर मोदी का नाम है। यह काफी है मोदी का असर बताने के लिए।

एक सप्ताह पहले एक समाचार पत्र को दिए साक्षात्कार में उमर ने कहा था कि मोदी की उपेक्षा करना यूपीए के लिए मूर्खता होगी। असल में यह एक बहुत बड़ी गलती होगी।

उमर ने कहा कि नेशनल कांफ्रेंस का तीसरे मोर्चे से कोई लेना देना नहीं है। पार्टी यूपीए का प्रमुख घटक है। ओपिनियन पोल पर प्रतिबंध लगाए जाने की कांग्रेस की मांग पर उमर ने कहा कि यह कांग्रेस की निजी राय हो सकती है।

नेशनल कांफ्रेंस क्षेत्रीय पार्टी है इसलिए देश के अन्य हिस्सों के बारे में वह राय नहीं दे सकते। जम्मू कश्मीर में कभी ओपिनियन पोल नहीं होते। अगर कभी हुए तो वह देखेंगे कि इसमें हिस्सा लेना है या नहीं।

कांग्रेस ने निकाला मोदी के ओबीसी का तोड़ जाटों को आरक्षण देने का ऎलान कर सकती है

नई दिल्ली। बीजेपी अपने प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को ओबीसी बताकर अन्य पिछड़ा वर्ग को लुभाने में लगी हुई है और दूसरी ओर कांग्रेस इसका तोड़ निकालने में जुटी हुई है।
कांग्रेस जाट समुदाय को आरक्षण देने की घोषणा के कर सकती है। सूत्रों के मुताबिक संप्रग सरकार जल्द ही केंद्र सरकार की नौकरियों में जाटों को आरक्षण देने का ऎलान कर सकती है। हालांकि इससे जुड़े कुछ तकनीकी पहलुओं को सुलझाया जाना बाकी है।

एक तरफ बीजेपी मोदी को ओबीसी बताकर आगामी लोकसभा चुनाव में ओबीसी वोटर को अपनी ओर लुभाने में लगी है। और इधर कांग्रेस पार्टी का रूख भी जाट आरक्षण को लेकर सकारात्मक है।

हाल ही कांग्रेस पार्टी ने जाट आरक्षण के मुद्दे पर मंत्री समूह का भी गठन किया था। पार्टी को इस बात का एहसास हो गया है कि मोदी की ओबीसी वाली आइडेंटिटी को झुठलाया नहीं जा सकता है।

कांग्रेस नेतृत्व का मानना है कि मोदी की इस पहचान का तोड़ नहीं ढूंढ़ा गया तो यह सपा, बसपा (यूपी), राजद और जदयू (बिहार) की तरह भाजपा के लिए फायदेमंद हो सकता है।

कांग्रेस के रणनीतिकारों की माने तो ध्रुवीकरण की स्थिति में ये निश्चित नहीं है कि ओबीसी वोटर किस तरफ जाएगा? क्या वो क्षेत्रवाद को महत्ता देगा या मोदी की तरफ खिंचा चला जाएगा। जबकि ये तय है कि मुस्लिम वोट बंट जाएंगे।

उनका कहना है कि किसी भी स्थिति में पार्टी के लिए आधार वोट जुटाने की कोशिश है। उन्होंने ने कहा कि अगर भाजपा मोदी की ओबीसी पहचान को लेकर बहुत ज्यादा आक्रामक नहीं होती, तो शायद कांग्रेस पार्टी ये दांव नहीं चलती।

भाजपा ने केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद की टिप्पणी "गंगू तेली" को मोदी के साथ पूरे पिछड़ा वर्ग का अपमान बताया था। हिंदी पट्टी के राज्यों (उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली और मध्यप्रदेश) में जाट समुदाय के लोग चुनावों में बड़ी भूमिका निभाते है।

कुछ राज्यों में जाट समुदाय को ओबीसी कैटेगरी में शामिल किए जाने के बाद केंद्र की सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने की मांग उठने लगी थी।

कांग्रेस के सूत्रों ने इस बात को स्वीकार किया है जाटों को ओबीसी वर्ग में जगह दिए जाने पर विरोध हो सकता है। लेकिन कांग्रेस, क्षेत्रीय पार्टियों की तरह कभी भी ओबीसी केंद्रित पार्टी नहीं रही है। कांग्रेस रणनीतिकारों के मुताबिक ओबीसी वोटर कभी भी एक पार्टी को एकमुश्त वोट नहीं करता और उनके अपने विभिन्न कारक है। कांग्रेस पार्टी इसी कोण को पकड़ नया दांव चलने की तैयारी में है।

हालांकि, कांग्रेस पार्टी को कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। क्योंकि राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग (एनसीबीसी) ने जाट आरक्षण की मांग को खारिज कर दिया था।

एनसीबीसी के एक सदस्य के मुताबिक साल 2011 में आयोग पर पुर्नविचार के लिए जोर डाला गया था। साथ ही आईसीएसएसआर की ओर से एक आयोग का गठन किया गया था। ताकि जाटों के सामाजिक और आर्थिक स्थिति का विश्लेषण किया जा सके।

उन्होंने कहा कि रिपोर्ट के मिलने के बाद भी आयोग के लिए अपना निर्णय बदलना और उसके विपरीत खड़ा होना आसान नहीं होगा। लेकिन जो भी हो सरकार जाटों के लिए आरक्षण की घोषणा कर सकती है।

क्या ओपिनियन पोल से घबरा गई है कांग्रेस?

नई दिल्ली: चुनाव से पहले टीवी न्यूज चैनलों के ओपिनियन पोल से क्या कांग्रेस और सरकार घबरा गई है? कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने ओपिनियन पोल को जोक करार दिया है.

दिग्विजय सिंह ने मांग की है कि ओपिनियन पोल पर रोक लगाई जाए. दिग्विजय सिंह ने कहा है कि कोई भी पैसे देकर अपने पक्ष में ओपिनियन पोल करा सकता है.

आपको बता दें कि पांच राज्यों में विधानसभा चुवान होने वाले हैं. चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक पार्टियों से ओपिनियन पोल पर राय मांगी थी कि इसे बैन कर देना चाहिए या नहीं.

कांग्रेस ने चुनाव आयोग के इस विचार का समर्थन किया है. कांग्रेस के मानवाधिकार एवं कानून विभाग के सचिव के.सी. मित्तल ने कहा था, "हम चुनाव आयोग के चुनाव के दौरान मतदान सवेक्षणों पर रोक लगाने के विचार का समर्थन करते हैं, क्योंकि यह वैज्ञानिक नहीं होता है. इस तरह के सर्वेक्षण सटीक और पारदर्शी नहीं होते हैं."


चुनाव आयोग को 30 अक्टूबर को लिखित जवाब में कांग्रेस ने कहा कि वह चुनावों के दौरान ओपिनियन पोल के प्रकाशन और प्रसारण पर रोक लगाने के चुनाव आयोग के विचारों को पूरा समर्थन देता है.

राहुल ने चुनाव आयोग से एक सप्ताह की मोहलत मांगी

नई दिल्ली।। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने भाषणों को लेकर जारी नोटिस का जवाब देने के लिए चुनाव आयोग से एक सप्ताह का और समय मांगा है। राहुल ने राजस्थान और मध्य प्रदेश में अपनी चुनावी रैलियों में कहा था कि बीजेपी मुजफ्फरनगर में सांप्रदायिक हिंसा भड़काने का काम कर रही है। इसके साथ ही राहुल ने मुजफ्फरनगर दंगे के पीड़ित युवकों से पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के संपर्क में होने का दावा किया था। बीजेपी ने चुनाव आयोग से शिकायत की थी कि राहुल चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन कर रहे हैं।

चुनाव आयोग ने गुरुवार को राहुल गांधी को इन भाषणों के लिए नोटिस जारी करते हुए 4 नवंबर साढ़े ग्यारह बजे तक जवाब देने को कहा था। आयोग के एक सूत्र ने कहा, 'नोटिस का जवाब देने के लिए राहुल ने एक सप्ताह का समय मांगा है।' हालांकि, बीजेपी ने कहा है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष को और समय नहीं मिलना चाहिए।

राहुल ने मुख्य चुनाव आयुक्त वी. एस. संपत को भेजे पत्र में कहा कि वह जवाब देने के लिए कुछ और समय चाहते हैं। उन्होंने त्योहारों के कारण छुट्टियों और पहले से तय यात्रा प्रतिबद्धताओं का हवाला देते हुए कहा कि उन्हें इस मुद्दे पर अपने वकीलों से सलाह करने का बहुत कम समय मिला था। राहुल ने कहा कि उन्हें आयोग का नोटिस 31 अक्टूबर को रात साढ़े नौ बजे मिला था। आयोग के सूत्रों ने बताया कि चुनाव आयोग राहुल गांधी के आग्रह पर विचार कर रहा है।
आयोग ने नोटिस में कहा कि गांधी की 23 अक्टूबर को चुरु और 24 अक्टूबर को इंदौर में दिया गया भाषण पहली नजर में आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है। उनसे सोमवार तक जवाब देने को कहा गया था कि क्यों न उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। अपनी विज्ञप्ति में आयोग ने कहा कि उसने राहुल गांधी के भाषण की सीडी देखी है और उस पर व्यापक विचार-विमर्श के बाद नोटिस जारी किया गया है।

मोदी की रैली: पंजाब पुलिस को अलर्ट जारी

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली में आतंकी हमला होने की आशंका व्यक्त की गई है।
इस बार आईबी को एक जानकारी मिली है, जिसमें खबर है कि मोदी की रैली में आतंकी, धमाका करने की योजना बना रहे हैं। इस खबर के बाद आईबी ने पंजाब पुलिस को एलर्ट कर दिया है।

आतंकी पाकिस्तान की सीमा से घुसपैठ करने की तैयारी कर रहे हैं। धमाका में सिख कट्टरपंथियों का इस्तेमाल किया जा सकता है, आईबी ने इसकी भी आशंका जारी की है। इस खबर के बाद मोदी की सुरक्षा बढ़ा दी गयी है। मोदी को अब एलपीजी जैसी सुरक्षा दी जाएगी।

इससे पहले नरेंद्र मोदी की पटना में संपन्न हुई हुंकार रैली के दौरान आतंकियों ने बम ब्लास्ट किया था, जिसमें छ: लोगों की मौत हो गई थी। धमाके के बाद आईबी को खबर मिल रही है कि नरेंद्र मोदी आतंकियों के निशाने पर हैं।

मिलिए बायतु विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस प्रत्यासी कर्नल सोनाराम चौधरी


मिलिए बायतु विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस प्रत्यासी कर्नल सोनाराम चौधरी

लोकप्रियता ,दबंगता और साफगोई ही पहचान 



बाड़मेर मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विस से सेवानिवृति के बाद थार कि राजनीती में ध्रुव तारे के सामान राजनीती के चमकाने वाले कर्नल सोनाराम चौधरी तीन बार सांसद रहे ,मुख्यंत्री अशोक गहलोत के साथ सैद्धांतिक विचारधारा के विरोध के चलते कर्नल कि छवि राष्ट्रिय नेता कि बन गयी। कर्णव ने गत चुनाव बायतु से विधानसभा के लिए लड़ा था जिसमे उन्होंने भाजपा के कैलाश चौधरी को पेंतीस हज़ार से अधिक मतों से हरा कर बायतु के प्रथम विधायक बनाने का गौरव हासिल किया ,कर्नल ने आम आदमी के सुख दुःख में खड़ा रह कर जन नेता कि छवि का जबर्दस्त विकास किया। आज बाड़मेर कि राजनीती में कर्नल ही एक मात्र जन नेता हें जिनकी पीछे जनता कड़ी हें,बायतु से कर्नल ने रिफायनरी मुद्दे पर किसानो का साथ देकर वाह वाही लुटी तो उनके पॉटर रमन चौधरी ने भी अपना दायित्व निभाया। कर्नल पुरे राजस्थान में कांग्रेस के एक मात्र नेता हें जिनकी जीत पक्की मानी जाती रही ,कर्नल कि राजनीती पहुँच इसी से साबित होती हें कि लगातार गहलोत के विरोध के बावजूद उन्हें चुनाव समिति का सदस्य बनाया गया। जन हित के मुद्दो पर जनता के साथ रहना ,विकास को प्राथमिकता कर्नल कि खाशियत रही हें यही उनकी जीत का आधार रह सकती हें।

किराएदार के प्रेम में पति को सुलाया मौत की नींद, फिर नाम बदल किया कारनामा



जयपुर। सात वर्ष पहले प्रेमी के साथ मिलकर पति की हत्या करने के मामले का जवाहर सर्किल पुलिस ने शनिवार को खुलासा कर पत्नी, प्रेमी और उनके सहयोगी को गिरफ्तार कर लिया। इस मामले का पता तब चला, जब जवाहर सर्किल पुलिस ने फर्जी इंस्पेक्टर और उसके साथी दिल्ली में हैंड कांस्टेबल को विदेशी महिला से अभद्रता करने के मामले में गिरफ्तार किया था। दोनों ने पूछताछ में हत्या के मामले का खुलासा कर आरोपी महिला से मोटी रकम एंठने की बात कही।






डीसीपी (ईस्ट) डॉ. अमनदीप सिंह कपूर ने बताया कि गिरफ्तार सरोज सोनी उर्फ किरण बर्मन उर्फ शमा सैफी, उसके प्रेमी शाबिर शफी और उनके सहयोगी राजेंद्र गुर्जर को गिरफ्तार कर लिया। तीनों ने देवा बर्मन की हत्या कर जुर्म स्वीकार कर लिया।

हत्या के बाद फिर की शादी और अपना नाम बदलाप्रतापनगर थाना प्रभारी राजबीर सिंह ने बताया कि सरोज सोनी ने घर से भागकर सन् 2000 में आर्य समाज में देवा बर्मन से शादी कर ली थी। शादी के बाद वह प्रताप नगर में देवा बर्मन के घर में रहने लगी। देवा ने 2004 में साबिर शफी को अपने घर में किराए पर कमरा दे दिया। सरोज को शाबिर से प्रेम हो गया।इस प्रेम प्रसंग का पता देवा बर्मन को लग गया। इसके बाद पति-पत्नी में झगड़ा होने लगा। सरोज व साबिर ने मिलकर देवा बर्मन की हत्या करने की साजिश रची। उन्होंने 2006 में 31 दिसंबर की रात को मकान नंबर 85/574 प्रताप नगर में नववर्ष के जश्न मनाने का कार्यक्रम रखा।देवा, साबिर और राजेंद्र ने शराब पी। इसके बाद सरोज ने देवा बर्मन की सब्जी-मीट में नींद की 10 गोलियां पीस कर डाल दी, जिससे देवा अचेत हो गया। इसके बाद राजेंद्र गुर्जर ने देवा का चुन्नी से गला दबा दिया। तीनों देवा को कार में डालकर बीसलपुर ले गए।वहां बांध के पास बनास नदी के पानी में डाल दिया। सरोज ने अपना दूसरा मकान बेचकर पति की हत्या में मदद के लिए एक लाख रुपए राजेंद्र गुर्जर को दिए। सरोज ने 2009 में साबिर से निकाह कर लिया और अपना नाम शमा शफी रख लिया।

मुजफ्फरनगर के रिलीफ कैंप में रह रही युवती से गैंगरेप



मुजफ्फरनगर। मुजफ्फरनगर में एक युवती के साथ गैंगरेप की घटना सामने आई है। युवती फुगाना इलाके के राहत कैंप में अपने परिवार के साथ रह रही थी। आरोप है कि जब वो कैंप से बाहर गई तो सचिन और सुनील नाम के दो युवकों ने उसके साथ गैंगरेप किया।


आरोपियों ने जुबान खोलने पर लड़की को जान से मारने की धमकी भी दी थी। लड़की ने वापस लौटकर अपने पिता को पूरी घटना बताई। पिता की शिकायत के बाद पुलिस ने केस दर्ज कर दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।



बताया जाता है कि खुद गांववालों ने ही दोनों युवकों को पकड़ा, उसकी पिटाई की और फिर पुलिस को सौंप दिया। पुलिस के मुताबिक मेडिकल जांच में रेप की पुष्टि हुई है।

कृष्ण भक्ति का पर्व है ‘गोवर्धन पूजा’

दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा पर देश के कोने-कोने से श्रद्धालु चुम्बक की तरह गोवर्धन की ओर खिंचे चले आते हैं। 



इस दिन गोवर्धन पूजा और गोवर्धन परिक्रमा का विशेष महत्व है क्योंकि यह पर्व विशुद्ध कृष्ण भक्ति का पर्व है तथा इसी दिन कृष्ण ने ब्रजवासियों को इन्द्र पूजा की जगह गोवर्धन की पूजा करने के लिए प्रेरित किया था तथा उन्होंने स्वयं भी गोवर्धन की पूजा की थी-“एक हाथ से पूजत हैं, एक से रहे पुजाय ।”

गर्ग संहिता का जिक्र करते हुए दानघाटी मंदिर के सेवायत आचार्य मथुरा प्रसाद कौशिक ने बताया कि जब श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों से इन्द्र की पूजा करने की जगह गोवर्धन की पूजा करने को कहा था तो इन्द्र ने अपने संवर्तक मेघों से ब्रज को डुबोने का आदेश दिया था। उस समय इन्द्र का प्रयास इसलिए बेकार हो गया कि श्यामसुन्दर ने अपनी सबसे छोटी उंगली पर गोवर्धन को उठाकर ब्रजवासियों की रक्षा की थी।

उसके बाद इन्द्र को जब असलियत का पता चला तो उन्होंने श्यामसुन्दर का दुग्धाभिषेक किया था। इसीलिए गोवर्धन पूजा पर गिर्राज महाराज की परिक्रमा और धारा (दूध की धार से) परिक्रमा करने की होड़ लग जाती है।

इस दिन अन्न सकड़ी का मंदिर का प्रसाद पाने का बड़ा महत्व है।

इस दिन गोवर्धन में विदेशी कृष्ण भक्त पूरी श्रद्धा के साथ गोवर्धन की पूजा के लिए झुण्ड के रुप में निकलते हैं। प्रसाद की डलिया सिर पर रखे हुए विदेशी पुरुष व महिलाएं हरगोकुल मंदिर पहुंचते हैं जहां पर ठाकुर जी का दुग्धाभिषेक कई मन दूध से कई घण्टे तक होता है।

इस दिन अपराह्न बडे़ बाजार से भी शोभा यात्रा निकलकर मुकुट मुखारबिन्द मंदिर जाती है। इस दिन दानघाटी मंदिर, मुखारबिन्द, जतीपुरा मंदिर, हरगोगुल मंदिर, मुकुट मुखारबिन्द मंदिर समेत गोवर्धन के अधिकांश मंदिरों में ठाकुर जी का दुग्धाभिषेक करने की होड़ सी लग जाती है। घरों में गोबर के गोवर्धन बनाकर पूजन किया जाता है।

पुराणों के अनुसार कंस के दरबार में गोवर्धन नामक एक गोप था जो कंस का नौकर था। गोवर्धन की पत्नी बहुत अधिक कृष्णभक्त थी।

गोप के मना करने के बावजूद वह कृष्ण प्रेम में लीन रहती। जब गोप कंस के यहां जाता तो कृष्ण वहां आ जाते। वह उनका पूजन करती और कुछ समय बाद वे चले जाते। गोप को डर था कि यदि कंस को पता चल गया कि कृष्ण उसके यहां आते हैं तो उसे मार डालेगा।

उसके सभी प्रयास असफल होने के बाद एक दिन वह अपनी मां से यह कहकर चला गया कि आज कृष्ण आवें तो वे उसे चुपके से कमरे में बंद कर दें जिससे वह जब आये तो उन्हें सबक सिखा दे। वह जैसे ही गया उसके कुछ क्षण बाद ही श्रीकृष्ण गोवर्धन गोप के रुप में आ गये और गोवर्धन गोप की मां से कहा कि आज चूंकि उसके सिर में दर्द है इसलिए वह नौकरी में नहीं जायेगा।

गोवर्धन गोप की पत्नी ने माखन मिश्री का प्रसाद लगाया तो ठाकुर ने उन्हें दर्शन दिये। बाद में जब गोवर्धन गोप आया तो उसकी मां ने उसे घुसने नहीं दिया तथा लाठी और पत्थर मारकर घायल कर दिया तथा कहा कि उसका बेटा तो पहले ही आ गया है। मां से अनुनय विनय कर घायल गोवर्धन गोप जब घर में घुसा तो उसने पत्नी से श्रीकृष्ण के आने के बारे में पूछ लिया। उसकी पत्नी ने बताया कि वह श्रीकृष्ण की सच्चे मन से भक्ति करती है और उसे चाहे कितना कष्ट मिले वह कृष्णभक्ति को नहीं छोड़ सकती।

इसके बाद गोवर्धन गोप उसे मारने दौडा तो श्यामसुन्दर प्रकट हो गये। उन्होंने उससे पूछा कि वह क्या चाहता है तो उसने कहा कि जिस प्रकार उनकी ‘श्यामसुन्दर की’ पूजा होती है उसी प्रकार ब्रजवासी उससे प्रेम करें एवं उसकी ‘गोवर्धन गोप’ पूजा हो। श्रीकृष्ण ने ‘एवमस्तु’ कहकर यह कहा कि आज से गोबर का गोवर्धन गोप बनाकर सभी उसकी पूजा करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग उसकी पूजा करेंगे उसके कष्टों को वे (श्रीकृष्ण) हर लेंगे।

इस दिन देश विदेश के लाखों कृष्णभक्त गोवर्धन की सप्तकोसी परिक्रमा करते हैं और अपना जीवन धन्य करते हैं तथा जो यह नहीं कर पाते हैं वे अकेले या सामूहिक रुप से गोबर के गोवर्धन बनाकर उसकी पूजा करते हैं।

गोवर्धन पूजा भारतीय लोकजीवन में काफी महत्व है

गोवर्धन पूजा भारतीय लोकजीवन में काफी महत्व है
दीपावली की अगली सुबह गोवर्धन पूजा की जाती है। लोग इसे अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं। इस त्यौहार का भारतीय लोकजीवन में काफी महत्व है। इस पर्व में प्रकृति के साथ मानव का सीधा सम्बन्ध दिखाई देता है। इस पर्व की अपनी मान्यता और लोककथा है। गोवर्धन पूजा में गोधन यानी गायों की पूजा की जाती है । शास्त्रों में बताया गया है कि गाय उसी प्रकार पवित्र होती जैसे नदियों में गंगा। गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप भी कहा गया है। देवी लक्ष्मी जिस प्रकार सुख समृद्धि प्रदान करती हैं उसी प्रकार गौ माता भी अपने दूध से स्वास्थ्य रूपी धन प्रदान करती हैं। इनका बछड़ा खेतों में अनाज उगाता है। इस तरह गौ सम्पूर्ण मानव जाती के लिए पूजनीय और आदरणीय है। गौ के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए ही कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन गोर्वधन की पूजा की जाती है और इसके प्रतीक के रूप में गाय की ।

जब कृष्ण ने ब्रजवासियों को मूसलधार वर्षा से बचने के लिए सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उँगली पर उठाकर रखा और गोप-गोपिकाएँ उसकी छाया में सुखपूर्वक रहे। सातवें दिन भगवान ने गोवर्धन को नीचे रखा और हर वर्ष गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी। तभी से यह उत्सव अन्नकूट के नाम से मनाया जाने लगा।

कथा 
गोवर्धन पूजा के सम्बन्ध में एक लोकगाथा प्रचलित है। कथा यह है कि देवराज इन्द्र को अभिमान हो गया था। इन्द्र का अभिमान चूर करने हेतु भगवान श्री कृष्ण जो स्वयं लीलाधारी श्री हरि विष्णु के अवतार हैं ने एक लीला रची। प्रभु की इस लीला में यूं हुआ कि एक दिन उन्होंने देखा के सभी बृजवासी उत्तम पकवान बना रहे हैं और किसी पूजा की तैयारी में जुटे। श्री कृष्ण ने बड़े भोलेपन से मईया यशोदा से प्रश्न किया " मईया ये आप लोग किनकी पूजा की तैयारी कर रहे हैं" कृष्ण की बातें सुनकर मैया बोली लल्ला हम देवराज इन्द्र की पूजा के लिए अन्नकूट की तैयारी कर रहे हैं। मैया के ऐसा कहने पर श्री कृष्ण बोले मैया हम इन्द्र की पूजा क्यों करते हैं? मैईया ने कहा वह वर्षा करते हैं जिससे अन्न की पैदावार होती है उनसे हमारी गायों को चारा मिलता है। भगवान श्री कृष्ण बोले हमें तो गोर्वधन पर्वत की पूजा करनी चाहिए क्योंकि हमारी गाये वहीं चरती हैं, इस दृष्टि से गोर्वधन पर्वत ही पूजनीय है और इन्द्र तो कभी दर्शन भी नहीं देते व पूजा न करने पर क्रोधित भी होते हैं अत: ऐसे अहंकारी की पूजा नहीं करनी चाहिए।

लीलाधारी की लीला और माया से सभी ने इन्द्र के बदले गोवर्घन पर्वत की पूजा की। देवराज इन्द्र ने इसे अपना अपमान समझा और मूसलाधार वर्षा शुरू कर दी। प्रलय के समान वर्षा देखकर सभी बृजवासी भगवान कृष्ण को कोसने लगे कि, सब इनका कहा मानने से हुआ है। तब मुरलीधर ने मुरली कमर में डाली और अपनी कनिष्ठा उंगली पर पूरा गोवर्घन पर्वत उठा लिया और सभी बृजवासियों को उसमें अपने गाय और बछडे़ समेत शरण लेने के लिए बुलाया। इन्द्र कृष्ण की यह लीला देखकर और क्रोधित हुए फलत: वर्षा और तेज हो गयी। इन्द्र का मान मर्दन के लिए तब श्री कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से कहा कि आप पर्वत के ऊपर रहकर वर्षा की गति को नियत्रित करें और शेषनाग से कहा आप मेड़ बनाकर पानी को पर्वत की ओर आने से रोकें।

इन्द्र लगातार सात दिन तक मूसलाधार वर्षा करते रहे तब उन्हे एहसास हुआ कि उनका मुकाबला करने वाला कोई आम मनुष्य नहीं हो सकता अत: वे ब्रह्मा जी के पास पहुंचे और सब वृतान्त कह सुनाया। ब्रह्मा जी ने इन्द्र से कहा कि आप जिस कृष्ण की बात कर रहे हैं वह भगवान विष्णु के साक्षात अंश हैं और पूर्ण पुरूषोत्तम नारायण हैं । ब्रह्मा जी के मुंख से यह सुनकर इन्द्र अत्यंत लज्जित हुए और श्री कृष्ण से कहा कि प्रभु मैं आपको पहचान न सका इसलिए अहंकारवश भूल कर बैठा। आप दयालु हैं और कृपालु भी इसलिए मेरी भूल क्षमा करें। इसके पश्चात देवराज इन्द्र ने मुरलीधर की पूजा कर उन्हें भोग लगाया ।

इस पौराणिक घटना के बाद से ही गोवर्घन पूजा की जाने लगी। बृजवासी इस दिन गोवर्घन पर्वत की पूजा करते हैं। गाय बैल को इस दिन स्नान कराकर उन्हें रंग लगाया जाता है व उनके गले में नई रस्सी डाली जाती है। गाय और बैलों को गुड़ और चावल मिलाकर खिलाया जाता है।

रविवार, 3 नवंबर 2013

शिव विधानसभा से अमिन खान राजनितिक कुंडली

शिव विधानसभा से अमिन खान होंगे कांग्रेस के उम्मीदवार

जानिये अमिन खान कि राजनितिक कुंडली 




भाटी चन्दन सिंह 


बाड़मेर जिले कि ख़ास बन चुकी विधानसभा सीट पर इस बार दो दिग्गज आमने सामने होंगे। अमिन खान कांग्रेस के वफादार सिफाही रहे हें। उन्होंने वैन विभाग में नौकरी करने के बाद राणासर पंचायत से सरपंच का चुनाव लड़ कर राजनितिक केरियर कि शुरुआत कि। उन्होंने अपना पहला विधानसभा चुनाव 1980 में शिव से लड़ा। उनके सामने निर्दलीय शोभ सिंह मैदान में थे। उन्होंने शोभ सिंह को लगभग पांच हज़ार मतों से हराकर चुनाव जीता तथा विधानसभा पहुंचे। 1985 के चुनावो में अमिन खान जनता पार्टी के रावत उम्मीद सिंह से ग्यारह हज़ार मतों से चुनाव हार गए ,तीसरा चुनाव उन्होंने 1990 में लड़ा उनके सामने जनता दल के हरी सिंह थे। अमिन खान ने हरी सिंह को चार हज़ार से अधिक मतो से हराया। दूसरी बार विधायक बने। अगले चुनाव 1993 में हरी सिंह भाजपा से खड़े हुए उन्होंने अमिन खान को छह हज़ार से अधिक मतो से हराया। 1998 में फिर अमिन खान से हरी सिंह को उनीस हज़ार से अधिक मतो से हराया। २००३ में भाजपा के डॉ जालम सिंह रावलोत ने अमिन खान को दस हज़ार से अधिक मतों से हराया। फिर 2008 में अमिन खान ने डॉ जालम सिंह को उन्तीस हज़ार से अधिक वोटो से हराकर हिसाब चुकता किया। 


अमिन खान का प्रभाव अमिन खान जिले के दूसरे बड़े मुस्लिम नेता हें। उनसे पहले अब्दुल हादी मुस्लिमो के बड़े नेता रहे ,हादी के इंतकाल के बाद एकमात्र प्रभावी मुस्लिम नेता हें ,अमिन खान का मुस्लिम समाज के साथ अन्य समाजो में जाट ,राजपूत ,अनुसूचित जाती ,अनुसूचित जन जाती में खासा प्रभाव रहा।


बड़बोलापन। ऽमिन खान कोई बात साफगोई से कहते हें। साफ़ गोई क्षेत्र के लोगो को पसंद नहीं आ रही। उनके बात करने के अंदाज से उनके समर्थक परेशान रहते हें। उनके द्वारा दिए बयानो के कारण उनका राजनीती नुक्सान भी हुआ। राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के खिलाफ टिपणी के बाद देश भर में हो हल्ला हुआ। बाद में उन्होंने कांग्रेस कि प्रदेश बैठक में कार्यसमिति के सददस्य पैसे लेकर बनाने का बयां देकर कांग्रेस के सामने संकट खड़ा कर दिया। गाहे बगाहे उनके कई बयान चर्चाओ में आते रहे। इसके बावजूद उनके व्यक्तित्व के कारन कांग्रेस को उनके आगे बार बार झुकना पड़ा।




राजनितिक पद। ।अमिन खान चौथी बार विधायक बनाने के सात पहली बार राज्य मंत्री मंडल में अल्पसंख्यक मामलात और ग्रामीण विकास मंत्रालय के मंत्री बने। इस्तीफे के बाद वापस मंत्री बनाये गए तो ग्रामीण मंत्रालय उनसे छीन लिया। अशोक गहलोत के नज़दीक माने जाने वाले अमिन खान श्रीमती सोनिआ गांधी के सलाहकार अहमद पटेल के काफी नज़दीक माने जाते हें।


चुनावी गणित। .इ बार अमिन खान के सामने सबसे बड़ी चुनौती उनके द्वारा राजनितिक सिखाये मानवेन्द्र सिंह उनके सामने होंगे। मानवेन्द्र सिंह कि मुस्लिम वोटो पर व्यक्तिगत पकड़ हें। मुस्लिम वोटो के बिखराव को रोकना उनका पहला मकसद होगा




हादी परिवार कि नाराजगी। । गत पांच सालो में अमिन खान के अब्दुल हादी परिवार से रिश्ते काफी कट्टु रहे हें। अमिन खान गाहे बगाहे हादी परिवार कि पुत्रवधु और चौहटन प्रधान पर हमले बोलते रहे हें। अमिन खान कि हादी परिवार से नाराजगी साफ़ झलकती हें। अब टिकट मिलाने कि सम्भावना के बीच हादी परिवार को मानना उनके लिए चुनाव जीतने सम्मान होगा।


जाट नेताओ कि नाराजगी। . इस बार अमिन खान को जाट नेताओ कि नाराजगी भी झेलनी पड़ेगी।

कांग्रेस कि पहली सूचि। राहुल गांधी फॉर्मूले कि ऐसी तैसी कि अशोक गहलोत ने

कांग्रेस कि पहली सूचि। राहुल गांधी फॉर्मूले कि ऐसी तैसी कि अशोक गहलोत ने



खोदा पहाड़ निकला चूहा। दो माह कि मशकत टिकटे पुरानो को


बाड़मेर दो माह से राजस्थान कोंग्रेस में आगामी विधानसभा चुनावो में प्रत्यासियो को टिकट देने में राहुल गांधी के फार्मूले को आधार बनाने कि बड़ी चर्चा रही ,जब तक टिकटों का खुलासा नहीं हुआ लगता था कांग्रेस ने अब तक भाजपा के पक्ष में आये समस्त सर्वे को चुनौती मान प्रत्यासी उतरने कि कारगर रणनीति बनाई हें टिकट वितरण में शायद रही हें। राहुल फॉर्मूले के कायदे आते तो लगता कि कोंग्रेस आमूल चूल परिवर्तन कर नए चेहरो को जनता के बीच उतारेगी। राहुल नियमो ने कइयो कि नींद उड़ा दी। बाकायदा बैठको के उपडेट आते रहे। बैठको में दिग्गजों कि ताकत काटने से लेकर वर्त्तमान विधायको के टिकट काटने कि बात सामने आई। बाद में सांसद चुनावो में विधायक क्षेत्र से पीछे रहने इन विधायको टिकट काटने कि बात आई। बीस हज़ार से अधिक हारे हुए , टिकट आईए तो उम्मीद जगी कि कांग्रेस नै उम्मीदे जगाएगी ,नए चेहरो के साथ चुनावी वैतरणी ओआर करने कि उम्मीदे बढ़ी। मगर शनिवार कि रात को जो सूचि अधिकृत होक आई उसमे कई राहुल फॉर्मूले के विपरीत इस बार हज़ारो वोटो से हरे ,दो बार हरे ,लोगो को टिकट दिया। पार्टी कार्यकर्ताओ और आम वोरोध के बावजूद टिकट दिए कई जगह पार्टी लाइन से बाहर के लोगो को टिकट दिए जिसका खामियाज़ा कांग्रेस को
बाड़मेर जिले के सिवाना में कांग्रेस ने टिकट के लिय्रे कई चेहरे परखे जिसमे भंवर लाल देवासी ,महेंद्र टाइगर ,अणदाराम ,बालाराम ,पृथ्वी सिंह ,गणपत सिंह ,खेताराम देवासी। मगर कांग्रेस को पसंद आया महंत निर्मलदास का चेहरा जो बाहरी प्रत्यासी होने के साथ स्थानीय कांग्रेस के साथ कभी रहा नहीं। सिवाना कोंग्रेस ने विरोध शुरू कर दिया। नेताओ ने सिफारिश कि किसी और कि टिकर दिया किसी और को। पचपदरा का रहा जहा वर्त्तमान विधायक का बार बार विरोध किया कांग्रेस कमिटी ने एक स्वर में मदन प्रजापत के अलावा किसी को भी टिकट देने कि पैरवी कि। मगर कांग्रेस आलाकमान ने उसे भी अनदेखा किया। टिकट वितरण में बाड़मेर नेताओ कि नहीं चली स्व्यं राजस्व मंत्री हेमाराम चौधरी को मनचाही जस्गाह यिक्त नहीं गुड़ा कि दावेदारी भी दूसरी सूचि तक टल गई। हेमाराम चौधरी जैसे कद्दावर नेता का नाम पहली सूचि में ना आना गहलोत कि जाट विरोधी छवि के रूप ने समाज देख रहा हें। आखिर हेमाराम को बाड़मेर न सही गुड़ा से टिकट दी जा सकळती थी ,इन टिकट वितरण में हेमनाराम कि साड़ी गणित फेल हो गयी शायद वो चुनाव लड़ने से मनाकर दे ,गुड़ा से महिपाल मदेरणा कि पुत्री मदेरणा को उतरा जा सकता हें हेमाराम कि जगह या सांसद हरीश चौधरी गुड़ा से आ जाये तो कोई आश्चर्य नहीं। हेमाराम चौधरी को सांसद चुनाव लड़ाने का लोलयपोप दिया जा सकता हें।


शेष बाड़मेर से मेवाराम जैव ,बायतु कर्नल सोनाराम ,चौहटन से पदमाराम शिव से अमिन खान को टिकट दिया यह टिकट चार माह पूर्व भी दे दिए होते तो कोई फर्क नहीं पड़ता। कर्नल को छोड़ कर सरे उम्मीदवार हरने योग्य हें। भाजपा के घर बेठे वारे न्यारे हो गए ,


राहुल फॉर्मूले कि ऐसी तैसी कर दी अशोक गहलोत ने। जैसलमेर के पोकरण में राष्ट्रद्रोही आरोपो से घिरे साले मोहम्मद को सांसद चुनावो में सांसद को अपने क्षेत्र में पीछे अमिन खान को भी टिकट दिया हेमन। अब कांग्रेस क्या करेगी।


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नीतीश के कारण पार्टी छोड़ने के मूड में ज्यादातर जदयू नेता

पटना। जनता दल यूनाइटेड के दो वरिष्ठ नेताओं ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ बगावत कर दी है। एक समाचार पत्र के मुताबिक जदयू नेता रमई राम और मंगानी लाल मंडल पार्टी छोड़कर लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल में शामिल होने वाले हैं। एक मंत्री है और दूसरा सांसद। नीतीश के कारण पार्टी छोड़ने के मूड में ज्यादातर जदयू नेता
पार्टी सांसद पूर्णमासी राम और जय प्रसाद निषाद ने भाजपा में शामिल होने के लिए पिछले महीने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की थी। विधायक छेदी पासवान को मोदी से मिलने के कारण पार्टी से सस्पेंड कर दिया गया था। झांझरपुर से सांसद मंगानी लाल मंडल ने राजद के टिकट पर 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ने का मन बना लिया है।

उन्होंने रांची की बिरसा मुंडा जेल में बंद लालू यादव से मुलाकात की थी। मंडल ने बताया कि नीतीश कुमार उन्हें पिछले चार साल से प्रताडित कर रहे हैं। वह पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से ईष्र्या,जलन और द्वेष रखते हैं। पिछले चुनाव में मेरा प्रदर्शन अच्छा रहा था। इससे उन्हें जलन होने लगी। 2010 में उन्होंने मुझे पार्टी से सस्पेंड कर दिया।

नीतीश ने लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार को भेजी शिकायत वापस ले ली थी इस कारण मंडल सांसद बने रहे। बिहार के राजस्व और भूमि सुधार मंत्री रमई राम भी नीतीश कुमार से नाखुश हैं। सूत्रों के मुताबिक वह राजद नेताओं के संपर्क में है। वह हाजीपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री राम सुंदर दास हाजीपुर सीट से प्रतिनिधित्व करते हैं। रमई राम पहले भी राजद में रह चुके हैं।

सूत्रों के मुताबिक मोदी से मुलाकात के कारण पार्टी से निष्कासित किए गए गोपालगंज से सांसद पूर्णमासी राम राजद में शामिल हो सकते हैं जबकि मुजफ्फरपुर से सांसद कैप्टन जय नारायण प्रसाद निषाद भाजपा से टिकट चाह रहे हैं। निषाद अपने बेटे के लिए भी टिकट मांग रहे हैं। विधायक छेदी पासवान ने अहमदाबाद में मोदी से मुलाकात कर भाजपा में शामिल होने की इच्छा जताई थी।

बाड़मेर महंत निर्मलदास कि टिकट पर सिवाना में बवाल ,कांग्रेस उतरी विरोध में


महंत निर्मलदास कि टिकट पर सिवाना में बवाल ,कांग्रेस उतरी विरोध में 


बाड़मेर शनिवार रात को घोषित बाड़मेर जिले कि शिवबा सिधानसभा सीट से घोषित महंत निर्मलदास कि उम्मीदवारी का जोरदार विओरोध सिवाना में शुरू हो गया। कांग्रेस के और्व ब्लॉक अध्यक्ष और वरिष्ठ नेता प्रेम सिंह पादरू ने निर्मलदास कि उम्मीदवारी का वोरोध किया। कांग्रेस के अधिकांस कार्यकर्ता निर्मलदास कि उम्मीदवारी के खिलाफ हें। पादरू का हाहना हें कि महंत जैसे बाहरी व्यक्ति को टिकट देकर सिवाना के कर्मठ कार्यकर्ता कि संघठन ने अनदेखी कर निर्मल दस को थोपने कि कोशिश कि जिसे बर्दास्त नहीं किया जाएगा ,उन्होंने आलाकमान सहित वरिष्ट नेताओ से बात कर निर्मल दस कि जगाय स्थानीय नेता को टिकट देने को कहा हें उन्होंने कहा कि कांग्रेस को टिकट वापस लेनी पड़ेगी। कांग्रेस कि इस गलती से चार सीटे हाथ से फिसल जायेगी ,सांसद कि जिद और उनकी अपनी स्वार्थपूर्ति के चलते निर्मलदास को उम्मीदवार बनाया जो गलत हें। सिवाना में निर्मलदास के विरोध में कांग्रेस एकत्रित हो रही हें

दहेज के लिए पूर्व विधायक ने की बहू की हत्या!

नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व विधायक सादिराम की बहू की शनिवार को संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। पीडिता के पिता का आरोप है कि उनकी बेटी की हत्या हुई है जबिक ससुराल वालों ने आत्महत्या की बात कही है। पुलिस ने इस मामले में सादिराम,उनकी पत्नी और बेटे को गिरफ्तार किया है। दहेज के लिए पूर्व विधायक ने की बहू की हत्या!
सभी के खिलाफ हत्या,घरेलू हिंसा और दहेज उत्पीड़न का केस दर्ज किया गया है। सादिराम दिल्ली के सराय रोहिल्ला इलाके में रहते हैं। शनिवार को घर पर उनकी बहू का शव मिला। बताया जा रहा है उसे दहेज के लिए प्रताडित किया जा रहा था। प्रताड़ना से तंग आकर वह फांसी के फंदे पर झूल गई।

27 साल की रेखा के पिता अशोक चौधरी ने बताया कि गत दिसंबर से उनकी बेटी को दहेज के लिए प्रताडित किया जा रहा था। चौधरी ने आरोप लगाया है कि उनकी बेटी की हत्या की गई है। दिसंबर 2012 में रेखा की शादी सादिराम के बेटे सुधांशु से हुई थी। चौधरी के मुताबिक शादी के कुछ दिन बाद ही उनकी बेटी के ससुराल वालों ने और दहेज की मांग शुरू कर दी।

जब मैं उनकी मांग पूरी नहीं कर पाया तो उन्होंने मेरी बेटी की हत्या कर दी। पुलिस अधिकारी ने बताया कि रेखा का शव पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेजा गया है। पोस्टमार्टम के बाद ही पता चल पाएगा कि उसने आत्महत्या की है या हत्या हुई है।